Class 10 Hindi Previous Year Question Paper (2020) with Solutions

 

CBSE Class 10 Hindi Course B Chapter-wise Previous Years Questions (2020) with Solution

 

Class 10 Hindi (Course B) Question Paper (2020) – Solved Question papers from previous years are very important for preparing for the CBSE Board Exams. It works as a treasure trove. It helps to prepare for the exam precisely. One of key benefits of solving question papers from past board exams is their ability to help identify commonly asked questions. These papers are highly beneficial study resources for students preparing for the upcoming class 10th board examinations. Here we have compiled chapter-wise questions asked in all the sets of CBSE Class 10 Hindi (Course B) question paper (2020).

 

Sparsh Bhag 2 Book

 

Chapter 1 – Saakhi

 

प्रश्न  1 – कबीर निंदक को अपने निकट रखने का परामर्श क्यों देते हैं?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – कबीर निंदक को अपने निकट रखने का परामर्श देते हैं क्योंकि उनका मानना है कि  निंदक को अपने निकट रखने से हमारा स्वभाव निर्मल होता है, क्योंकि हमारी निंदा करने वाला ही हमारा सबसे बड़ा हितैषी है। इस संसार में हमारी झूठी प्रशंसा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाले तो अनेक व्यक्ति मिल सकते हैं परन्तु निंदा करने वाले विरले ही होते हैं। हमारे जीवन में निंदक बुराइयों को दूरकर सद्गुणों को अपनाने में सहायक सिद्ध होता है। निंदक की आलोचना को सुनकर अपना आत्मनिरीक्षण कर शुद्ध व निर्मल आचरण करने में सहायता मिलती है।

 

प्रश्न 2 – ‘साखी’ शब्द का क्या अर्थ है? कबीर ने अपनी साखियों के माध्यम से किन भावनाओं को व्यक्त किया है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – साखी शब्द संस्कृत के ‘साक्षित्‌’ (साक्षी) शब्द का रूपांतर है। संस्कृत साहित्य में आँखों से प्रत्यक्ष देखने वाले के अर्थ में साक्षी का प्रयोग हुआ है। कबीर ने अपनी साखियों में ईश्वर प्रेम के महत्त्व को प्रस्तुत किया हैं। कबीर मीठी भाषा का प्रयोग करने की सलाह देते हैं ताकि दूसरों को सुख और और अपने तन को शीतलता प्राप्त हो। कबीर ईश्वर को मंदिरों और तीर्थों में ढूंढ़ने के बजाये अपने मन में ढूंढ़ने की सलाह देते हैं। कबीर ने अहंकार और ईश्वर को एक दूसरे से विपरीत (उल्टा ) बताया है। कबीर के अनुसार ईश्वर के वियोग में कोई व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता, अगर रहता भी है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है। कबीर निंदा करने वालों को हमारे स्वभाव परिवर्तन में मुख्य मानते हैं। कबीर ईश्वर प्रेम के अक्षर को पढने वाले व्यक्ति को पंडित बताते हैं और कबीर कहते हैं कि यदि ज्ञान प्राप्त करना है तो मोह-माया का त्याग करना पड़ेगा।

 

प्रश्न 3 –  कबीर ने ‘ईश्वर प्रेम’ को किस प्रकार समझाया है?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – कबीर जी पुस्तक ज्ञान को महत्त्व न देकर ईश्वर-प्रेम को  महत्त्व देते हैं। कबीर जी कहते है कि इस संसार में मोटी-मोटी पुस्तकें (किताबें) पढ़ कर कई मनुष्य मर गए परन्तु कोई भी मनुष्य पंडित अर्थात ज्ञानी नहीं बन सका।  यदि किसी व्यक्ति ने ईश्वर प्रेम का एक भी अक्षर पढ़ लिया होता तो वह पंडित बन जाता अर्थात कबीर कहना चाहते हैं कि ईश्वर प्रेम ही एक सच है और इसे जानने वाला ही वास्तविक ज्ञानी कहा जा सकता है।

 

प्रश्न 4 – कबीर के दोहे के आधार पर कस्तूरी की उपमा को स्पष्ट कीजिए। मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर – ‘कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन माँहि’ इस पद में कवि कहते हैं कि मृग की नाभि के अंदर कस्तूरी होता है जिसकी सुगंध चारों ओर फैली होती है। मृग इस बात से अनजान होता है और पूरे वन में कस्तूरी की खोज़ करता है। इस साखी में कबीर जी ने हिरण को उस मनुष्य के समान माना है जो ईश्वर की खोज में भटकता रहता है और कस्तूरी को उस मनुष्य के हृदय में रहने वाले ईश्वर के समान माना है। जिस प्रकार एक हिरण कस्तूरी की खुशबु को जंगल में ढूंढ़ता फिरता है जबकि वह सुगंध उसी की नाभि में विद्यमान होती है परन्तु  वह इस बात से बेखबर होता है, उसी प्रकार संसार के कण कण में ईश्वर विद्यमान है और मनुष्य इस बात से बेखबर ईश्वर को देवालयों और तीर्थों में ढूंढ़ता है। कबीर जी कहते है कि अगर ईश्वर को ढूंढ़ना ही है तो अपने मन में ढूंढो। ईश्वर तो हम सबके हृदय में निवास करते हैं लेकिन हम ईश्वर की खोज में व्यर्थ धार्मिक स्थलों के चक्कर लगाते रहते हैं। मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए अपने मन को नियंत्रित करके अपने व् अपने आस-पास ही ध्यान लगाकर ईश्वर को ढूंढना चाहिए। 

 

Related:   

 

Chapter 2 – Meera ke Pad

 

प्रश्न 1 – ‘द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।’ इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर –  ‘द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।’ इस पंक्ति का भाव यह है कि श्री कृष्ण अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करने वाले हैं। इस पंक्ति में मीरा श्री कृष्ण से प्रार्थना कर रहीं हैं कि जिस प्रकार उन्होंने अपमानित द्रौपदी की लाज बचाई थी जब दुःशासन उसे निर्वस्त्र करने का प्रयास कर रहा था तो श्री कृष्ण ने ही उसे वस्त्र प्रदान किये थे, उसी प्रकार मीरा चाहती हैं कि श्री कृष्ण उनकी परेशानी को भी दूर करें। क्योंकि वे ही सभी की पीड़ा को दूर करने वाले हैं।

 

प्रश्न 2 – ‘भगवान भक्तों के संकट दूर करते हैं’ – यह सिद्ध करने के लिए मीरा ने क्या-क्या उदाहरण दिए हैं?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – मीरा भगवान श्री कृष्ण को उनके भक्तों के सभी प्रकार के दुखों को हरने वाला कहती हैं अर्थात वे कहती हैं कि श्री कृष्ण सभी के दुखों का नाश करने वाले हैं। मीरा उदाहरण देते हुए कहती हैं कि द्रोपदी की इज्जत को बचाने के लिए वे साड़ी के कपडे को बढ़ाते चले गए थे, आपने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण कर लिया था और हाथियों के राजा ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था। इन सभी उदाहरणों से मीरा सिद्ध करना चाहती हैं कि  ‘भगवान भक्तों के संकट दूर करते हैं’।

 

प्रश्न 3 – मीरा हरि से अपनी पीड़ा दूर करने के लिए उन्हें क्या-क्या याद दिलाती हैं?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – मीरा हरि से अपनी पीड़ा दूर करने के लिए उन्हें याद दिलाती हैं कि जिस तरह उन्होंने द्रोपदी की इज्जत को बचाया, जिस तरह उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण किया और जिस तरह उन्होंने हाथियों के राजा ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था, उसी तरह वे अपनी दासी अर्थात भक्त के भी सारे दुःख हर लो अर्थात सभी दुखों का नाश कर दें।

 

Related:   

 

Chapter 3- Manushyata 

 

प्रश्न 1 – ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि मनुष्य को क्या प्रेरणा देना चाहता है?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘मनुष्यता ‘ कविता के माध्यम से कवि यह प्रेरणा देना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है। परोपकार ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हम युगों तक लोगो के दिल में अपनी जगह बना सकते है और परोपकार के द्वारा ही समाज का कल्याण व समृद्धि संभव है। अतः हमें परोपकारी बनना चाहिए ताकि हम सही मायने में मनुष्य कहलाये।

 

प्रश्न 2 – मनुष्यता’ कविता में कवि किन-किन मानवीय गुणों का वर्णन करता है। आप इन गुणों को क्यों आवश्यक समझते हैं, तर्क सहित उतर लिखिए।(लगभग 60-70 शब्दों में)

उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य के बहुत से मानवीय गुणों का वर्णन किया है जैसे – प्रेम, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति, उदारता, त्याग आदि। इन सभी मानवीय गुणों को मनुष्य के लिए आवश्यक बताया गया है। क्योंकि असली मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीना व मरना सीख ले। जो दूसरों की चिंता करे। जो त्याग भाव जान ले। जो दूसरों के लिए मरता और जीता है। जो भेदभाव से ऊपर उठ कर सोचे। जो दयालु और परोपकारी हो। जो दुःख में दूसरे मनुष्यों के काम आये। जो विपत्ति और विघ्न को हटाते हुए अपने चुने हुए रास्तों पर चले और आपसी समझ को बनाये रखें क्योंकि ऐसी सोच वाला मनुष्य ही अपना और दूसरों का कल्याण और उद्धार कर सकता है। कवि ने दधीचि, कर्ण, रंतिदेव आदि लोगों के उदाहरण द्वारा दूसरों के लिए जीने की, उनकी सहायता करने की प्रेरणा दी है।

 

प्रश्न 3 – ‘मनुष्यता’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में समझाइए।(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में इंसानियत का सही अर्थ समझाने का प्रयास किया गया है। मनुष्य को मृत्यु से नहीं डरना चाहिए क्योंकि मृत्यु तो निश्चित है पर हमें ऐसा कुछ करना चाहिए कि लोग हमें मृत्यु के बाद भी याद रखें। असली मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीना व मरना सीख ले। हमें उदार बनना चाहिए क्योंकि उदार मनुष्यों का हर जगह गुण गान होता है। पुराणों में  उन लोगों के बहुत उदाहरण हैं जिन्हे उनकी  त्याग भाव के लिए आज भी याद किया जाता है। सच्चा मनुष्य वही है जो त्याग भाव जान ले। मनुष्यों के मन में दया और करुणा का भाव होना चाहिए। हम सब उस एक ईश्वर की संतान हैं। हमें भेदभाव से ऊपर उठ कर सोचना चाहिए। हमें दयालु बनना चाहिए क्योंकि दयालु और परोपकारी मनुष्यों का देवता भी स्वागत करते हैं। विपत्ति और विघ्न को हटाते हुए मनुष्य को अपने चुने हुए रास्तों पर चलना चाहिए, आपसी समझ को बनाये रखना चाहिए और भेदभाव को नहीं बढ़ाना चाहिए ऐसी सोच वाला मनुष्य ही अपना और दूसरों का कल्याण और उद्धार कर सकता है।

 

प्रश्न 4 – ‘मनुष्यता’ कविता के द्वारा कवि ने क्या प्रतिपादित करना चाहा है? विस्तार से स्पष्ट कीजिए।(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर –  ‘मनुष्यता’ कविता के द्वारा कवि एक सच्चे मनुष्य के गुणों का उल्लेख कर रहा है। उसके अनुसार एक सच्चा मनुष्य वही है, जो केवल अपने बारे में न सोचकर सभी के कल्याण के बारे में सोचें। कवि ने राजा रंतिदेव, दधीचि, राजा उशीनर एवं कर्ण जैसे महादानियों का उदाहरण देकर मनुष्यों को दान जैसे पुण्यकर्म करने के लिए प्रेरित किया है। समाज में फैली कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए महात्मा बुद्ध का उदाहरण देकर उनके समान स्नेहपूर्वक सारी कुप्रथाओं का अंत के करने की ओर संकेत किया है। कवि समझाना चाहते हैं कि एक सच्चा मानव वही है जो सब कुछ पाने के बाद भी घमंड न करे और अपना ही कल्याण नहीं अपितु संसार के कल्याण एवं सुख की भी कामना करे। एक सच्चा मनुष्य प्रेम, सद्भावना, सच्चाई एवं दया जैसे गुणों को बढ़ावा देता है। और कभी किसी भी विपत्ति में घबराता नहीं है। समाज की उन्नति व् समृद्धि के लिए आज के समय में सच्चे मनुष्यों की ही आवश्यकता है। 

 

प्रश्न 5 – ”मनुष्यता’ कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने एक ओर स्वर्णिम भारत का पौराणिक और ऐतिहासिक गौरवपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया है तो दूसरी ओर आधुनिक भारत की समस्त चेतनाओं और मान्यताओं का सफल प्रतिनिधित्व भी किया है।’ विस्तार से स्पष्ट कीजिए।(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर – ”मनुष्यता’ कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने एक ओर स्वर्णिम भारत का पौराणिक और ऐतिहासिक गौरवपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि पुराणों तथा पौराणिक कथाएं ऐसे व्यक्तिओं के उदाहरणों से भरी पड़ी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए त्याग दिया जिस कारण उन्हें आज तक याद किया जाता है। भूख से परेशान रतिदेव ने अपने हाथ की आखरी थाली भी दान कर दी थी और महर्षि दधीचि ने तो अपने पूरे  शरीर की हड्डियाँ वज्र बनाने के लिए दान कर दी थी। उशीनर देश के राजा शिबि ने कबूतर की जान बचाने के लिए अपना पूरा मांस दान कर दिया था। वीर कर्ण ने अपनी ख़ुशी से अपने शरीर का कवच दान कर दिया था। इन सभी उदाहरणों के द्वारा मैथिलीशरण गुप्त ने आधुनिक भारत की समस्त चेतनाओं और मान्यताओं का सफल प्रतिनिधित्व भी किया है। जहाँ उन्होंने एक सच्चे मानव के गुणों को बतलाकर मनुष्य को मनुष्यता की ओर अग्रसर किया है। 

 

प्रश्न 6 – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर लिखिए की उदार व्यक्ति के कौन-कौन से गुण उसे अलग पहचान देते हैं। अपने परिचितों में से किसी एक का उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि उसे उदार व्यक्ति कैसे कहा जा सकता है।(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर उदार व्यक्ति परोपकारी होता है। अपने हित से पहले दूसरों के हित के बारे में सोचता है। अपना पूरा जीवन दूसरों के कल्याण व लोकहित में बिता देता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता, सभी के साथ समान आत्मीय भाव रखता है। प्रेम, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति, उदारता, त्याग आदि कुछ ऐसे गुण हैं जो उदार व्यक्ति को दूसरों से अलग पहचान देते हैं। 

अपने ताऊ जी में मैं इन सभी गुणों का मिश्रण देखती हूँ। वे सभी को एक समान दृष्टि से देखते हैं व् सभी का भला करने में विश्वास रखते हैं। वे हम सभी को एक सीख हमेशा देते रहते हैं ‘सादा जीवन उच्च विचार’ , स्वयं भी वे इसका पालन करते हैं। उन्हीं की देख-रेख में मेरा पूरा बचपन बिता है और आज मैं अपने भीतर जो भी सद्गुण अनुभव करती हूँ वे सभी ताऊ जी की ही देन है। ( उदाहरण छात्र अपने शब्दों में लिखें)

 

Related:   

 

Chapter 4 – Parvat Pradesh Mein Pavas

 

प्रश्न 1 – ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने ऐसा क्यों कहा है?  (लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि तेज बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। कहने का अभिप्राय यह है कि घनी धुंध के कारण धरती पर कोई भी भूभाग दिखाई नहीं दे रहा है और धुंध में बादल का आभास हो रहा है। इसी कारण कवि ने ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ कहा है। 

 

प्रश्न 2 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की तुलना किससे की गई है, और क्यों? (लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की तुलना किसी बड़े दर्पण से की गई है क्योंकि बारिश के बाद तालाब में पानी पूरा भर गया है और बिलकुल साफ़ पानी है। जिसमें पर्वत का प्रतिबिम्ब साफ़ दिखाई दे रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं। इसी दृश्य को देख कर कवि ने कल्पना की है कि पहाड़ ने जिस तालाब को अपने चरणों में पाला है वह तालाब पहाड़ के लिए विशाल आईने का काम कर रहा है।

 

प्रश्न 3 – ‘यों जलद-यान में विचर-विचर था – इंद्र खेलता इंद्रजाल।’ – भाव स्पष्ट कीजिए। (लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘यों जलद-यान में विचर-विचर था – इंद्र खेलता इंद्रजाल।’ – पंक्ति का भाव यह है कि बारिश के बाद चारों ओर घनी धुंध होने के कारण ऐसा लग रहा है कि मानो तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है। क्योंकि घनी धुंध इधर-उधर जाते हुए किसी विमान की तरह लग रही है जो इधर-उधर विचरण कर रहा हो।

 

Related: 

 

Chapter 5 – TOP

 

प्रश्न 1 – ‘तोप’ कविता के आलोक में विरासत में मिली चीज़ों के महत्त्व पर अपना दृष्टिकोण लिखिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – पूर्वजों से मिली धरोहर के अत्यधिक महत्त्व हैं। इन धरोहरों के माध्यम से हम अपने देश और समाज की प्राचीन उपलब्धियों को जान सकते हैं और साथ ही साथ सीख भी ले सकते हैं कि हमारे पूर्वजों से कौन-कौन सी ऐसी गलतियाँ हुई थी जिनकी उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। अगर इन धरोहरों को संभाल कर न रखा जाए तो आने वाली पीढ़ी को कभी अपने पूर्वजों के बलिदानों का पता ही नहीं चलेगा और हो सकता है कि अज्ञानता वश वे भी दुबारा वही गलती कर बैठे जिनका परिणाम उनके पूर्वज पहले झेल चुके हों। यही कारण है कि पूर्वजों से मिली धरोहर को सँभालकर रखा जाता है ताकि वे आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सके।  

 

प्रश्न 2 – ‘तोप’ कविता के माध्यम से कवि क्या सीख देना चाहता है और क्यों?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘तोप’ कविता के माध्यम से कवि सीख देना चाहता है कि अज्ञानता वश हम दुबारा ऐसी कोई गलती न कर बैठे जिनका परिणाम हमारे पूर्वज पहले झेल चुके हैं। साथ – ही – साथ तोप की वर्तमान स्थिति को देख कर भी हमें सीख मिलती है कि किसी भी बुराई को हिम्मत और होंसलों के सहारे खत्म किया जा सकता है। क्योंकि कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो एक ना एक दिन उसका भी अंत निश्चित होता है।

 

प्रश्न 3 – ‘तोप’ कविता में गौरैयों से क्या जानकारी मिलती है?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘तोप’ कविता में कवि ने वर्णन किया कि गौरैया जैसी छोटी चिड़िया भी तोप के अंदर घुस जाती है या उसके ऊपर बैठ कर गप्पे लड़ाती है। वो छोटी सी चिड़िया ऐसा करके हमें बताना चाहती हैं कि कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो एक ना एक दिन उसका भी अंत निश्चित होता है। हिम्मत व् निडर हो कर जब हम किसी का सामना करते हैं तो बड़े-से-बड़ा सूरमा भी कदम पीछे खींच देता है। 

 

प्रश्न 4 – ‘तोप’ की शूरवीरता के बारे में क्या कहा गया है?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर –  तोप’ कविता के आधार पर तोप को भूतकाल में बहुत ताकतवर बताया गया है। जिसने अच्छे-अच्छे वीरों के चिथड़े उड़ा दिए थे। अर्थात उस समय तोप का डर हर इंसान को था। वीरों को तोप के सामने खड़ा कर दिया जाता था और तोप उनके चीथड़े उड़ा देती थी। इस बात का तोप को बहुत घमंड था कि कोई भी उसके सामने नहीं टिक सकता।

 

प्रश्न 5 – विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? ‘तोप’ कविता के आधार पर स्पष्ट करते हुए तोप की विशेषताएँ भी लिखिए। (लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर – विरासत में मिली चीज़ों की सँभाल ज़रूरी है क्योंकि विरासत अर्थात निशानी या ‘धरोहर’ दो तरह की होती हैं। एक वे जिनके बारे में जानकर हम अपने देश और समाज की प्राचीन उपलब्धियों के बारे में जान सकते हैं और दूसरी वे जो हमें बताती हैं कि हमारे पूर्वजों से कब क्या गलती हुई थी जिसके कारण देश की कई पीढ़ियों को गहरे दुःख और कष्टों को झेलना पड़ा। 1857 की तोप आज कंपनी बाग़ के प्रवेश द्वार पर रखी गई है इसकी बहुत देखभाल की जाती है। यह तोप भी हमें अंग्रेजों से ही विरासत में मिली है। इस तोप से हमें जानकारी मिलती है कि अंग्रेजों ने आजादी के लिए लड़ने वाले कई वीरों को इस तोप के सम्मुख खड़ा करके मौत के घाट उतारा था। इस विरासत में मिली तोप के जरिए हमें सीख मिलती है कि अज्ञानता वश हम दुबारा ऐसी कोई गलती न कर बैठे जिनका परिणाम हमारे पूर्वज पहले झेल चुके हैं। साथ – ही – साथ तोप की वर्तमान स्थिति को देख कर भी हमें सीख मिलती है कि किसी भी बुराई को हिम्मत और होंसलों के सहारे खत्म किया जा सकता है। तोप अपने भूतकाल में भले ही मज़बूत, हिम्मती और ख़तरनाक रही हो परन्तु आज वर्तमान में वह केवल धरोहर की तरह देखी जाती है। 

 

Related: 

 

Chapter 6 – Kar Chale Hum Fida

 

प्रश्न 1 – ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत में सैनिकों की देशवासियों से क्या अपेक्षाएँ हैं?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – “कर चले हम फ़िदा” गीत में सैनिकों की देशवासियों से अपेक्षाएँ हैं कि वे देश के लिए बलिदान देने वाले सैनिक की आवाज़ सुनें और पूर्ण समर्पण की इच्छा के साथ देश की रक्षा का संकल्प लें। अगर देशवासी बलिदान के काफिले को छोड़ दें तो दुश्मन अपने नापाक मंसूबों में कामयाब हो सकता है। सैनिक  देशवासियों से अपेक्षा करता है कि वे राष्ट्र रूपी सीता के लिए राम और लक्ष्मण बने और देश को बुरी नज़र से देखने वाले को छठी का दूध याद दिला दें।

 

प्रश्न 2 – ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता की मूल संवेदना स्पष्ट करते हुए उसका प्रतिपाद्य लिखिए।(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर – ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध का मर्मस्पर्शी वर्णन है। इस कविता के माध्यम से एक ओर जहाँ भारतीय सैनिकों के साहस तथा वीरता का वर्णन किया गया है, वहीं उनके त्याग एवं बलिदान की अनुपम गाथा को भी यह कविता दोहराती है। इस कविता का महत्त्व जितना अधिक पहले था उससे कहीं अधिक आज इसका महत्त्व है। इस कविता में कवि ने उन सैनिकों के हृदय की आवाज़ को व्यक्त किया है, जिन्हें अपने देश के प्रति किए गए हर कार्य, हर कदम, हर बलिदान पर गर्व है। वर्तमान में जब कभी देश में पड़ोसी देश से घुसपैठ का खतरा बढ़ता है, देश के ही भीतर दंगों की संख्या बढ़ती है या लोग भाषा, जाति, क्षेत्र, धर्म आदि के नाम पर झगड़ते हैं, तब इस कविता की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। यह कविता वीरों का उत्साह बढ़ाने और युवाओं में राष्ट्रभक्ति को सुदृढ़ करने के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

 

प्रश्न 3 – ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में सैनिक की इच्छाएँ – आशाएँ क्या हैं और वे हमें क्या संदेश देती हैं?(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर – ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में कवि ने सैनिकों के माध्यम से देशवासियों से देश के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करने की अपेक्षा की है। सैनिक आशा करते हैं कि देशवासी उनकी भावनाओं व् बलिदान को समझेंगे और जानेगें कि देश की रक्षा का भार केवल सीमा पर लड़ रहे सैनिकों पर ही नहीं ,अपितु आम जनता पर भी है। जवान भारत देश की रक्षा के लिए अपने सर का को भी कटाने की इच्छा रखते हैं और आशा करते हैं कि उनके शहीद हो जाने के बाद इस देश की रक्षा करने की जिम्मेदारी आम जनता अपने कंधों पर लेगी। वे हमें अपने बलिदान से संदेश देते हैं कि भारत के लोगों में, आने वाली पीढ़ियों के मन में देशभक्ति, देश प्रेम व त्याग बलिदान की भावना जागृत होनी चाहिए। अपने देश के लिए शहीद होकर वे उदाहरण प्रस्तुत करते हुए भारतवासियों के मन में देश के लिए साहस, बहादुरी और प्यार की भावना पैदा करने की उम्मीद जगाने का प्रयास करते है। अतः हम उनके बलिदान का सम्मान करते हुए अपनी सामर्थ्य के अनुसार, देशहित में कार्य करके, अपनी देशभक्ति तथा देशप्रेम प्रकट कर सकते हैं।

 

प्रश्न 4 – आपके विचार से ‘कर चले हम फ़िदा’ में ऐसा क्या है कि कविता सभी भारतीयों के लिए प्रेरक बन जाती है? विस्तार से समझाइए।(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर – “कर चले हम फ़िदा” गीत, भारत-चीन युद्ध में भारतीय सैनिकों ने कैसे लड़ाई लड़ी, उन दृश्यों को देशवासियों के सम्मुख रखने का प्रयास करता है। जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा पर हमला किया, तो कई भारतीय सैनिकों ने लड़ते-लड़ते अपना बलिदान दिया था। इसी युद्ध को आधार बनाकर ‘हकीकत’ फिल्म बनाई गई थी। इस फिल्म में युद्ध की घटनाओं को बहुत ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया है। इस फिल्म के लिए मशहूर शायर कैफी आजमी ने “कर चले हम फिदा” नाम का गाना लिखा था। इस गीत में कवि उन सैनिकों की आवाज़ बने जो देश की रक्षा करते हुए, विपरीत परिस्थितियों में भी दुश्मनों का सामने करते हुए शहीद हो गए। यह गीत देशवासियों को जागरूक करता है कि देश की रक्षा करना उनका सबसे बड़ा धर्म व कर्तव्य है। देश के मान के लिए सर कटवाने को भी तैयार रहना सबसे बड़ी देशभक्ति है। यह गीत देशवासियों को भावनात्मक रूप से सैनिकों से जोड़ता है और सैनिकों का कठिन तकलीफों को सहते हुए भी देश के लिए प्राण न्योछावर करने से देशवासियों के भीतर भी देश के लिए कुछ कर गुजरने का साहस भरता है।

 

Related: 

 

Chapter 7 – Atamtran

 

प्रश्न 1 – ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि विपदा में ईश्वर से क्या चाहता है और क्यों?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे प्रभु ! दुःख और कष्टों से मुझे बचा कर रखो, मैं तुमसे ऐसी कोई भी प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ। बल्कि मैं तो सिर्फ तुमसे ये चाहता हूँ कि तुम मुझे उन दुःख तकलीफों को झेलने की शक्ति दो। कष्टों के समय में मैं कभी ना डरूँ और उनका सामना करूँ। क्योंकि कवि एक साहसी, आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी व् ईश्वर में अडिग विश्वास रखने वाला व्यक्ति है।

 

प्रश्न 2 – ‘आत्मत्राण’ कविता में किसी सहायक पर निर्भर न रहने की बात कवि क्यों कहता है? स्पष्ट कीजिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता में किसी सहायक पर निर्भर न रहने की बात कवि इसलिए कहता है क्योंकि कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि कष्टों में कहीं कोई सहायता करने वाला भी उन्हें ना मिले तो कोई बात नहीं परन्तु वैसी स्थिति में उनका पराक्रम कम नहीं होना चाहिए। कवि को अगर इस संसार में हानि भी उठानी पड़े और लाभ से हमेशा वंचित ही रहना पड़े तो भी कोई बात नहीं पर उनके मन की शक्ति का कभी नाश नहीं होना चाहिए अर्थात चाहते हैं कि उनके मन में हर परिस्थिति में आत्मविश्वास भरा रहना चाहिए।

 

प्रश्न 3 – रवींद्रनाथ ठाकुर सुख के दिनों में क्या कामना करते हैं और क्यों?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – सुख के दिनों में रवींद्रनाथ ठाकुर कामना करते हैं कि सुख के दिनों में भी वे ईश्वर को एक क्षण के लिए भी ना भूलें अर्थात हर क्षण ईश्वर को याद करते  रहें। क्योंकि कवि सुख और दुःख दोनों में ही ईश्वर के प्रति समान रूप से आस्था और विश्वास बनाए रखना चाहता है। वह सुख के दिनों में भी हर पल ईश्वर का स्मरण करना चाहता है और चाहता है कि दुःख के पल में भी कभी उसे अपने ईश्वर पर संदेह ना हो।

 

प्रश्न 4 – आत्मत्राण कविता की प्रार्थना अन्य निवेदनों से भिन्न क्यों है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर – आत्मत्राण कविता की प्रार्थना अन्य निवेदनों से भिन्न इसलिए है क्योंकि कवि ईश्वर से अपने दुःख दर्द कम न करने को कह रहे है। वे उनसे दुःख दर्दों को झेलने की शक्ति मांग रहे हैं। कविगुरु ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी भी परिस्थिति में उनके मन में ईश्वर के प्रति संदेह न हो। कवि ईश्वर से ऐसी कोई प्रार्थना नहीं कर रहे हैं कि उन्हें दुःख और कष्टों से बचा कर रखें बल्कि कवि तो सिर्फ ये चाहता है कि ईश्वर उन्हें दुःख तकलीफों को झेलने की शक्ति दे। कष्टों के समय में कवि कभी ना डरे और उनका सामना करे। ईश्वर कवि में इतना आत्मविश्वास भर दें कि कवि हर कष्ट पर जीत हासिल कर सके। कवि के कष्टों के भार को भले ही कम ना करें और न ही कवि को  तसल्ली दें। ईश्वर से कवि की केवल इतनी प्रार्थना है की कवि के अंदर निर्भयता भरपूर डाल दें ताकि कवि सारी परेशानियों का डट कर सामना कर सकें। दुःख से भरी रात में भी अगर कोई कवि की मदद न करे तो भी उनके मन में ईश्वर के प्रति कोई संदेह न हो इतनी शक्ति कवि माँग रहे हैं। 

 

Related:

 

 

Chapter 8 – Bade Bhai Sahab

 

प्रश्न 1 – छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या लाभ उठाया? आपके अभ्यास विचार से छोटे भाई का व्यवहार उचित था या नहीं, तर्क सहित उत्तर लिखिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – सालाना परीक्षा में जब छोटा भाई फिर से पास हो गया और भाई साहब इस बार फिर फेल हो गए तब भाई साहब का स्वभाव कुछ नरम हो गया था। कई बार छोटे भाई को डाँटने का अवसर होने पर भी वे उसे नहीं डाँटते थे, शायद उन्हें खुद ही लग रहा था कि अब उनके पास छोटे भाई को डाँटने का अधिकार नहीं है और अगर है भी तो बहुत कम। इस कारण छोटे भाई की स्वतंत्रता और भी बड़ गई थी। वह भाई साहब की सहनशीलता का गलत उपयोग कर रहा था। उसके अंदर एक ऐसी धारणा ने जन्म ले लिया था कि वह चाहे पढ़े या न पढ़े, वह तो पास हो ही जायेगा। छोटे भाई को पतंगबाज़ी का नया शौक हो गया था और अब उसका सारा समय पतंगबाज़ी में ही गुजरता था। 

हमारे विचार से छोटे भाई का ऐसा व्यवहार बिलकुल अनुचित था। क्योंकि उसे अब घमंड हो रहा था और वह अब केवल किस्मत के भरोसे छोड़ कर पढ़ाई बंद कर चुका था। जिसका परिणाम बहुत गलत हो सकता था। 

 

प्रश्न 2 – छोटे भाई ने टाइम-टेबिल बनाकर भी उसका पालन नहीं किया। इसका कारण समझाइए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – छोटे भाई ने अधिक मन लगाकर पढ़ने का निश्चय कर टाइम-टेबिल बनाया, जिसमें खेलकूद के लिए कोई स्थान नहीं था। पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय उसने यह सोचा कि टाइम-टेबिल बना लेना एक बात है और बनाए गए टाइम-टेबिल पर अमल करना दूसरी बात है। यह टाइम-टेबिल का पालन न कर पाया, क्योंकि मैदान की हरियाली, फुटबॉल की उछल-कूद, बॉलीबॉल की तेज़ी और फुरती उसे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहाँ जाते ही वह सब कुछ भूल जाता।

 

प्रश्न 3 – ‘अम्मा और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार हमेशा रहेगा।’ बड़े भाई साहब ने यह वाक्य क्या समझाने के लिए कहा?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘अम्मा और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार हमेशा रहेगा।’ बड़े भाई साहब ने यह वाक्य छोटे भाई को यह समझाने के लिए कहा कि बड़े लोग छोटों को गलत रास्ते पर जाने से कभी भी रोक सकते हैं। फिर चाहे घर का छोटा सदस्य किसी भी बड़े पद पर हो। छोटे भाई को अपने लगातार अव्वल आने पर घमंड हो गया था और बड़े भाई के बार-बार फेल होने के कारण उनका डर भी छोटे भाई में समाप्त हो रहा था। जिस कारण बड़े भाई ने इस पंक्ति का उपयोग करके उसे यह समझाने का प्रयास किया कि उनके अम्मा-दादा भी तो पढ़े-लिखे नहीं है किन्तु वे बड़े हैं और उन्हें पता है क्या सही है और क्या गलत है अतः उनको हमेशा उन्हें समझाने व् सुधारने का अधिकार रहेगा। 

 

प्रश्न 4 – फेल होने के बाद बड़े भाई साहब के व्यवहार में क्या अंतर आ गया?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – सालाना परीक्षा में जब छोटा भाई फिर से पास हो गया और भाई साहब इस बार फिर फेल हो गए। तब भाई साहब का स्वभाव कुछ नरम हो गया था। कई बार छोटे भाई को डाँटने का अवसर होने पर भी वे छोटे भाई को नहीं डाँटते थे, शायद उन्हें खुद ही लग रहा था कि अब उनके पास उनके छोटे भाई  को डाँटने का अधिकार नहीं है और अगर है भी तो बहुत कम।

 

प्रश्न 5 – बड़े भाई साहब के अनुसार सफल खिलाड़ी कौन होता है?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – बड़े भाई साहब के अनुसार सफल खिलाड़ी वही कहलाता है, जिसका निशाना कभी खाली नहीं जाता है। छोटे भाई को भी यह पता है कि वह कोई अपनी मेहनत से पास नहीं हुआ है, उसे बिना प्रयास के ही सफलता मिली है। बिना प्रयास के सफलता एक बार मिल सकती है बार – बार नहीं यह छोटा भाई  अच्छी तरह जनता है। कभी – कभी अगर गुल्ली – डंडे में भी अनजाने में सही निशाना लग जाये तो इससे हम उस निशाने लगाने वाले को सफल खिलाडी नहीं मान सकते। सफल खिलाडी उसी को कहा जा सकता है जिसका एक भी निशाना खाली ना जाये। और बड़े भाई साहब अपने घर अर्थात अपनी शिक्षा को अपनी सफलता के आधार पर मजबूती प्रदान करना चाहते है चाहे उसके लिए कितना ही समय क्यों ना लगें।

 

प्रश्न 6 –  खेलकर वापस आने पर छोटे भाई की क्या प्रतिक्रिया होती है? ‘बड़े भाई साहब’ कहानी के आधार पर लिखिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – छोटे भाई का पढ़ाई में मन बिलकुल भी नहीं लगता था। अगर एक घंटे भी किताब ले कर बैठना पड़ता तो यह उसके लिए किसी पहाड़ को चढ़ने जितना ही मुश्किल काम था। जैसे ही उसे ज़रा सा मौका मिलता वह खेलने के लिए मैदान में पहुँच जाता था। लेकिन जैसे ही खेल ख़त्म कर कमरे में आता तो भाई साहब का वो गुस्से वाला रूप देखा कर उसे बहुत डर लगता था। जब भी वह खेल कर आता तो भाई साहब हमेशा एक ही सवाल,एक ही अंदाज से पूछते थे – ‘कहाँ थे ‘?और इसके जवाब में वह हमेशा चुप रह जाता था। पता नहीं क्यों वह कभी भाई साहब को ये जवाब नहीं दे पता था कि वह जरा बाहर खेल रहा था। उसके चुप रहने से भाई साहब समझ जाते थे कि वह अपनी गलती मानता है और भाई साहब छोटे भाई से प्यार करते थे इसलिए थोड़ा गुस्सा और प्यार के मिले जुले शब्दों में उसका स्वागत करते थे।

 

प्रश्न 7 – ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप उनके विचारों से सहमत हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।(लगभग 80-100 शब्दों में)

उत्तर –  ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया गया है। उस समय की शिक्षा प्रणाली में जिन कमियों की ओर संकेत किया है उनमें मुख्य हैं-एक ही परीक्षा द्वारा छात्रों का मूल्यांकन अर्थात् वार्षिक परीक्षा के परिणाम पर ही छात्रों का भविष्य निर्भर करता था। इस प्रणाली से रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता था। इसमें छात्रों के अन्य पहलुओं के मूल्यांकन की न तो व्यवस्था थी और न उन्हें महत्त्व दिया जाता था। इसके अलावा परीक्षकों का दृष्टिकोण भी कुछ ऐसा था कि वे छात्रों से उस तरह के उत्तर की अपेक्षा करते थे जैसा पुस्तक में लिखा है। किताब से उत्तर अलग होते ही शून्य अंक मिल जाते थे। लेखक के विचारों से काफ़ी हद तक हम सहमत हैं परन्तु आज की शिक्षा व्यवस्था में बहुत से बदलाव लाए गए हैं जिस आधार पर हम कह सकते हैं कि पहले की शिक्षा प्रणाली में बहुत सी कमियाँ थी जिन्हें समय के साथ बदला गया है और शिक्षा प्रणाली को सुधारा गया है। 

 

Related: 

 

Chapter 9 – Diary Ka Ek Panna 

 

प्रश्न 1 – ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर लिखिए कि 26 जनवरी, 1931 का दिन विशेष क्यों था?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर –  26 जनवरी 1931 का दिन हमेशा याद रखा जाने वाला दिन है। 26 जनवरी 1930 के ही दिन पहली बार सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था और 26 जनवरी 1931 को भी फिर से वही दोहराया जाना था, जिसके लिए बहुत सी तैयारियाँ पहले से ही की जा चुकी थी। सिर्फ़ इस दिन को मनाने के प्रचार में ही दो हज़ार रूपये खर्च हुए थे। सभी मकानों पर भारत का राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था और बहुत से मकान तो इस तरह सजाए गए थे जैसे उन्हें स्वतंत्रता मिल गई हो।

 

प्रश्न 2 – एक संगठित समाज कृतसंकल्प हो तो ऐसा कुछ भी नहीं जो वह न कर सके।’ ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के संबंध में कहे गए उक्त कथन की उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर –  ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ क्रांतिकारियों की कुर्बानियों की याद दिलाते हुए तथ्य की पुष्टि करता है कि यदि एक संगठित समाज कृतसंकल्प हो तो ऐसा कुछ भी नहीं, जो वह न कर सके। 26 जनवरी, 1931 के दिन कलकत्ता में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए हजारों की संख्या में स्त्री-पुरुषों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अंग्रेजी प्रशासकों ने इसे उनका अपराध मानते हुए उन पर लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया, जिसमें अधिक संख्या में लोग घायल हुए, किन्तु फिर भी अंग्रेजों के क्रूर अत्याचारों को सहन करते हुए भी कलकत्तावासियों ने संगठित होकर अपूर्ण उत्साह, साहस एवं बलिदान का परिचय दिया। साथ ही अपने संकल्प को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज फहराया।

 

प्रश्न 3 – “डायरी का एक पन्ना” के संदर्भ में लिखिए कि धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – जब स्त्रियाँ मोनुमेंट की सीढियाँ चढ़कर झंडा फहरा रही थीं। तभी सुभाष बाबू को सैनिकों द्वारा पकड़ लिया गया और गाडी में बैठाकर लॉकअप भेज दिया गया। कुछ देर बाद वहाँ से स्त्रियाँ जुलुस बनाकर चलीं और साथ में बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गयी। भीड़ पर पुलिस ने डंडे बरसाने शुरू कर दिए जिससे बहुत से आदमी घायल हो गए। जिस कारण धर्मतल्ले के मोड़ के पास आकर जुलुस टूट गया और करीब 50-60 महिलाएँ वहीँ बैठ गयीं जिसे पुलिस से पकड़कर लालबाजार भेज दिया।

 

प्रश्न 4 – कलकत्ता में 26 जनवरी 1931 की सभा में स्त्रियों की भूमिका का वर्णन ‘डायरी का एक पन्ना’ के आधार पर कीजिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – 11 बजे मारवाड़ी बालिका विद्यालय की छात्राओं ने अपने विद्यालय में झंडा फहराने का समारोह मनाया। वहाँ पर जानकी देवी, मदालसा बजाज- नारायण आदि स्वयंसेवी भी आ गए थे। अलग अलग जगहों से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने और सही जगह पर पहुँचाने की कोशिश में लगी हुई थी। स्मारक के निचे सीढ़ियों पर स्त्रियाँ झंडा फहरा रही थी और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ रही थी। स्त्रियाँ बहुत अधिक संख्या में आई हुई थी। मदालसा जो जानकीदेवी और जमना लाल बजाज की पुत्री थी ,उसे भी गिरफ़्तार किया गया था। उससे बाद में मालूम हुआ की उसको थाने में भी मारा गया था। सब मिलाकर 105 स्त्रियों को गिरफ्तार किया गया था। कलकत्ता में इस से पहले इतनी स्त्रियों को एक साथ कभी गिरफ़्तार नहीं किया गया था।

 

प्रश्न 5 – ‘बंगाल या कलकत्ता के नाम पर जो कलंक था, वह धुल गया,’ कलंक क्या था और कैसे धुल गया? ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर लिखिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – बंगाल या कलकत्ता के नाम पर कलंक था की यहाँ स्वतंत्रता का कोई काम नहीं हो रहा है। 26 जनवरी 1931 को ये कलंक काफी हद तक धुल गया और लोग ये सोचने लगे कि यहाँ पर भी स्वतंत्रता के विषय में काम किया जा सकता है। इस कलंक के धुलने का कारण उनका अकल्पनीय योगदान था। कलकत्ते के लगभग सभी भागों में झंडे लगाए गए थे। प्रशासन के अत्याचारों को सहते हुए अनगिनत लोग जेल गए और न जाने कितने घायल हो गए। जब लेखक और अन्य स्वयंसेवी अस्पताल गए, तो लोगों को देखने से मालूम हुआ कि 160 आदमी तो अस्पतालों में पहुंचे थे और जो घरों में चले गए उनकी गिनती अलग है। कह सकते हैं कि दो सौ आदमी जरूर घायल हुए। पकड़े गए आदमियों की संख्या का पता नहीं चल सका। पर इतना जरूर पता चला की लालबाज़ार के लॉकअप में स्त्रियों की संख्या 105 थी। इतना सबकुछ पहले कभी नहीं हुआ था ,लोगों का ऐसा प्रचंड रूप पहले किसी ने नहीं देखा था। 

 

प्रश्न 6 – ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर लिखिए 26 जनवरी 1931 को सारे हिंदुस्तान में कौन-सा स्वतंत्रता दिवस मनाया गया और इस दिन बड़े बाज़ार का दृश्य कैसा था?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर –  26 जनवरी 1931 का दिन हमेशा याद रखा जाने वाला दिन है। 26 जनवरी 1930 के ही दिन पहली बार सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था और 26 जनवरी 1931 को भी फिर से वही दोहराया जाना था, जिसके लिए बहुत सी तैयारियाँ पहले से ही की जा चुकी थी। सिर्फ़ इस दिन को मनाने के प्रचार में ही दो हज़ार रूपये खर्च हुए थे। सभी मकानों पर भारत का राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था और बहुत से मकान तो इस तरह सजाए गए थे जैसे उन्हें स्वतंत्रता मिल गई हो। कलकत्ते के लगभग सभी भागों में झंडे लगाए गए थे। जगह-जगह पर भाषण व् झंडा फहराने का प्रबंध किया गया था। पुलिस व् प्रशासन अपनी पूरी ताकत के साथ पूरे शहर में पहरे लिए घूम-घूम कर प्रदर्शन कर रही थी। न जाने कितनी गाड़ियाँ शहर भर में घुमाई जा रही थी। घुड़सवारों का भी प्रबंध किया गया था। ताकि इस दिन को कोई स्वतंत्रता दिवस के रूप में न मना सके। 

 

प्रश्न 7 – दूसरे स्वतंत्रता दिवस पर बड़े बाज़ार में क्या बदलाव देखने को मिले?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर –  26 जनवरी 1931 का दिन हमेशा याद रखा जाने वाला दिन है। 26 जनवरी 1930 के ही दिन पहली बार सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था और 26 जनवरी 1931 को भी फिर से वही दोहराया जाना था, जिसके लिए बहुत सी तैयारियाँ पहले से ही की जा चुकी थी। सभी मकानों पर भारत का राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था और बहुत से मकान तो इस तरह सजाए गए थे जैसे उन्हें स्वतंत्रता मिल गई हो। जगह-जगह पर भाषण व् झंडा फहराने का प्रबंध किया गया था। पुलिस व् प्रशासन अपनी पूरी ताकत के साथ पूरे शहर में पहरे लिए घूम-घूम कर प्रदर्शन कर रही थी। ताकि इस दिन को कोई स्वतंत्रता दिवस के रूप में न मना सके।

 

Related: 

 

Chapter 10 – Tantara-Vamiro Katha 

 

प्रश्न 1 – ‘प्रेम सबको जोड़ता है।’ ‘तताँरा -वामीरो कथा’ पाठ के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – प्रेम को किसी बंधन , सीमा अथवा रीति-रिवाज में नहीं बाँधा जा सकता। यदि कोई जाति,धर्म, क्षेत्र, प्रदेश आदि प्रेम की पवित्र भावना पर पहरे लगाएगा और उसे पनपने का अवसर नहीं देगा, तो इसका परिणाम सुखद नहीं होगा। समाज में जातीय, धार्मिक पर सामाजिक भेद में और अधिक वृद्धि होगी, जिससे अंततः मानवता को ही नुक्सान पहुंचेगा। अतः हमें सभी प्रकार के भेदभावों को मिटाकर सभी को अपनाना चाहिए।

 

प्रश्न 2 – तताँरा -वामीरो के त्याग के बाद उनके समाज में क्या सुखद परिवर्तन आया?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – निकोबार निवासीयों ने तताँरा – वामीरो की त्यागमयी मृत्यु के बाद अपनी परम्परा को बदला और दूसरे गाँव में भी विवाह सम्बन्ध बनने लगे। तताँरा – वामीरो की जो एक -दूसरे के लिए त्यागमयी मृत्यु थी वह शायद इसी सुखद बदलाव के लिए थी।

 

प्रश्न 3 – तताँरा वामीरो की कथा स्थानीय समाज में किन कारणों से प्रसिद्ध हो गई?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – तताँरा-वामीरो की कथा स्थानीय समाज में इसलिए प्रसिद्ध हो गई क्योंकि उनकी प्रेमकथा ने उनके समाज की रुढ़िवादि परंपरा को तोड़ दिया था। उनके सच्चे प्रेम ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के लोगों को सोचने पर मजबूर किया कि विवाह संबंध आपसी प्रेम के आधार पर होने चाहिए, न कि सामाजिक बंधनों के आधार पर।

 

प्रश्न 4 – तताँरा-वामीरो की मृत्यु क्यों हुई और उससे सुखद परिवर्तन क्या हुआ?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – तताँरा-वामीरो अपने-अपने गाँव की प्रथाओं के कारण विवाह नहीं कर सकें और एक दूसरे से बिछड़ गए। तताँरा-वामीरो का एक दूसरे से बिछड़ना ही उनकी मृत्यु का कारण बना। निकोबार निवासीयों ने तताँरा – वामीरो की त्यागमयी मृत्यु के बाद अपनी परम्परा को बदला और दूसरे गाँव में भी विवाह सम्बन्ध बनने लगे। तताँरा – वामीरो की जो एक -दूसरे के लिए त्यागमयी मृत्यु थी वह शायद इसी सुखद बदलाव के लिए थी।

 

प्रश्न 5 – तताँरा की तलवार के बारे में लोगों की क्या धारणा थी?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – तताँरा हमेशा अपनी पारम्परिक पोशाक ही पहनता था और हमेशा अपनी कमर में एक लकड़ी की तलवार को बाँधे रखता था। लोगों का मानना था कि उस तलवार में लकड़ी की होने के बावजूद भी अनोखी दैवीय शक्तियाँ हैं।वह दूसरों के सामने तलवार का प्रयोग भी नहीं करता था। परन्तु उसके सहस से पूर्ण कार्यों के कारण लोगों का तलवार में अनोखी शक्ति होने पर विश्वास था।

 

प्रश्न 6 – आज भी तताँरा वामीरो की प्रेमकथा घर-घर में सुनाई जाती है, क्यों?(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – तताँरा-वामीरो की प्रेमकथा निकोबारियों के घर-घर सुनाने के कई कारण हैं जिनमें प्रमुख है – तताँरा और वामीरो के त्याग और बलिदान को हर बच्चे को समझाने के लिए तथा लोगों की समाज और परम्परा के प्रति समझ को विकसित करने के कारण। साथ-ही-साथ परिवर्तन के लिए त्याग के महत्त्व को समझाने के लिए भी तताँरा-वामीरो की प्रेमकथा निकोबारियों के घर-घर में सुनाई जाती है।

 

प्रश्न 7 – “रूढ़ियाँ जब बंधन बन, बोझ बनने लगें तब उनका टूटना ही अच्छा है।” ‘तताँरा-वामीरो कथा’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – रूढ़ियाँ और बंधन समाज को अनुशासित करने के लिए बने होते हैं ,परन्तु जब इन्ही के कारण मनुष्यों की भावनाओं को ठेस पहुँचने लगे और ये सब बोझ लगने लगे तो उनका टूट जाना ही अच्छा होता है। तताँरा – वामीरो की कहानी में हमनें जाना कि रूढ़ियों के कारण इनका प्रेम -विवाह नहीं हो सकता था ,जिसके कारण दोनों को जान गवानी पड़ी। जहाँ रूढ़ियाँ किसी का भला करने की जगह नुकसान करे और जहाँ रूढ़ियाँ आडंबर लगने लगे वहाँ इनका टूट जाना ही बेहतर होता है।

 

Related: