CBSE Class 9 Hindi Chapter 1 Dukh Ka Adhikar (दुःख का अधिकार) Question Answers (Important) from Sparsh Book
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दुःख का अधिकार NCERT Solutions
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
प्रश्न 1- मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है?
उत्तर – मनुष्य के जीवन में पोशाक का अत्यधिक महत्त्व है क्योंकि समाज में किसी व्यक्ति की पोशाक देखकर हमें उस व्यक्ति की हैसियत और जीवन शैली का पता लगत। है। एक अच्छी पोशाक व्यक्ति की समृद्धि का प्रतीक भी कही जा सकती है। हमारी पोशाक हमें समाज में एक निश्चित दर्जा दिलवाती है। पोशाक हमारे लिए कई दरवाज़े खोलती है। कभी कभी वही पोशाक हमारे लिए अड़चन भी बन जाती है।
प्रश्न2 – पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
उत्तर – कभी कभार ऐसा होता है कि हम नीचे झुक कर समाज के दर्द को जानना चाहते हैं। ऐसे समय में हमारी पोशाक अड़चन बन जाती है क्योंकि अपनी पोशाक के कारण हम झुक नहीं पाते हैं। हमें यह डर सताने लगता है कि अच्छे पोशाक में झुकने से आस पास के लोग क्या कहेंगे। कहीं अच्छी पोशाक में झुकने के कारण हम समाज में अपना दर्जा न खो दें।
प्रश्न3 – लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
उत्तर – लेखक एक सम्पन्न वर्ग से सम्बन्ध रखता है। उसने अपनी संपन्नता के हिसाब से कपड़े पहने हुए थे। इसलिए वह झुक कर या उस बुढ़िया के पास बैठकर उससे बातें करने में असमर्थ था। इसलिए वह उस स्त्री के रोने का कारण नहीं जान पाया।
प्रश्न4 – भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
उत्तर – भगवाना पास में ही एक ज़मीन पर कछियारी करके अपना और अपने परिवार का निर्वाह करता था। वह उस ज़मीन में खरबूजे उगाता था। वहाँ से वह खरबूजे तोड़कर लाता था और बेचता था। कभी-कभी वह स्वयं दुकानदारी करता था तो कभी दुकान पर उसकी माँ बैठती थी।
प्रश्न5 – लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी?
उत्तर – लड़के के इलाज में बुढ़िया की सारी जमा पूँजी ख़त्म हो गई थी। जो कुछ बचा था वह लड़के के अंतिम संस्कार में खर्च हो गया। अब लड़के के बच्चों की भूख मिटाने के लिए यह जरूरी था कि बुढ़िया कुछ कमा कर लाए। उसकी बहू भी बीमार थी। इसलिए लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया को खरबूजे बेचने के लिए निकलना पड़ा।
प्रश्न6 – बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
उत्तर – बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई कि उस संभ्रांत महिला के पुत्र की मृत्यु पिछले साल ही हुई थी। पुत्र के शोक में वह महिला ढ़ाई महीने बिस्तर से उठ नहीं पाई थी। उसकी खातिरदारी में डॉक्टर और नौकर लगे रहते थे। शहर भर के लोगों में उस महिला के शोक मनाने की चर्चा थी और यहाँ बाजार में भी सभी उसी तरह बुढ़िया के बारे में बात कर रहे थे।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न1- बाजार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बारे में तरह तरह की बातें कर रहे थे। कोई कह रहा था कि बेटे की मृत्यु के तुरंत बाद बुढ़िया को बाहर निकलना ही नहीं चाहिए था। कोई कह रहा था कि सूतक की स्थिति में वह दूसरे का धर्म भ्रष्ट कर सकती थी इसलिए उसे नहीं निकलना चाहिए था। किसी ने कहा, कि ऐसे लोगों के लिए रिश्तों नातों की कोई अहमियत नहीं होती। वे तो केवल रोटी को अहमियत देते हैं। अधिकांश लोग उस स्त्री को नफरत की नजर से देख रहे थे। कोई भी उसकी दुविधा को नहीं समझ रहा था।
प्रश्न2 – पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
उत्तर – पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को उस बुढ़िया के दुख के बारे में पता चला। लेखक को पता चला कि बुढ़िया का इकलौता बेटा साँप के काटने से मर गया था। बुढ़िया के घर में उसकी बहू और पोते पोती रहते थे। बुढ़िया का सारा पैसा बेटे के इलाज में खर्च हो गया था। बहू को तेज बुखार था। इसलिए अपने परिवार की भूख मिटाने के लिए बुढ़िया को खरबूजे बेचने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा था।
प्रश्न3 – लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?
उत्तर – लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने जो उचित लगा, जो उसकी समझ में आया किया। उसने झटपट ओझा को बुलाया। ओझा ने झाड़-फूँक शुरु किया। ओझा को दान दक्षिणा देने के लिए बुढ़िया ने घर में जो कुछ था दे दिया। घर में नागदेव की पूजा भी करवाई।
प्रश्न4 – लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाशा कैसे लगाया?
उत्तर – लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा पहले तो बुढ़िया के रोने से लगाया। लेखक को लगा कि जो स्त्री खरबूजे बेचने के लिए आवाज लगाने की बजाय अपना मुँह ढ़क कर रो रही हो वह अवश्य ही गहरे दुख में होगी। फिर लेखक ने देखा कि अन्य लोग बुढ़िया को बड़े नफरत की दृष्टि से देख रहे थे। इससे भी लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा लगाया। लेखक ने उसके पड़ोस में एक संपन्न स्त्री के दुःख के साथ जोड़ कर भी समझना चाहा।
प्रश्न5 – इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस पाठ में मुख्य पात्र एक बुढ़िया है जो पुत्र शोक से पीड़ित है। उस बुढ़िया की तुलना एक अन्य स्त्री से की गई है जिसने ऐसा ही दर्द झेला था। दूसरी स्त्री एक संपन्न घर की थी। इसलिए उस स्त्री ने ढ़ाई महीने तक पुत्र की मृत्यु का शोक मनाया था। उसके शोक मनाने की चर्चा कई लोग करते थे। लेकिन बुढ़िया की गरीबी ने उसे पुत्र का शोक मनाने का भी मौका नहीं दिया। बुढ़िया को मजबूरी में दूसरे ही दिन खरबूजे बेचने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा। ऐसे में लोग उसे नफरत की नजर से ही देख रहे थे। एक स्त्री की संपन्नता के कारण शोक मनाने का पूरा अधिकार मिला वहीं दूसरी स्त्री इस अधिकार से वंचित रह गई। इसलिए इस पाठ का शीर्षक बिलकुल सार्थक है।
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
प्रश्न 1 -जैसे वायु की लहरें कटी हूई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
उत्तर – कोई भी पतंग कटने के तुरंत बाद जमीन पर धड़ाम से नहीं गिरती। हवा की लहरें उस पतंग को बहुत देर तक हवा में बनाए रखती हैं। पतंग धीरे-धीरे बल खाते हुए जमीन की ओर गिरती है। हमारी पोशाक भी हवा की लहरों की तरह काम करती है। कई ऐसे मौके आते हैं कि हम अपनी पोशाक की वजह से झुककर जमीन की सच्चाई जानने से वंचित रह जाते हैं। इस पाठ में लेखक अपनी पोशाक की वजह से बुढ़िया के पास बैठकर उससे बात नहीं कर पाता है।
प्रश्न 2 – इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
उत्तर – यह एक प्रकार का कटाक्ष है जो किसी की गरीबी और उससे उपजी मजबूरी का उपहास उड़ाता है। जो व्यक्ति यह कटाक्ष कर रहा है उसे सिक्के का एक पहलू ही दिखाई दे रहा है। हर व्यक्ति रिश्तों नातों की मर्यादा रखना चाहता है। लेकिन जब भूख की मजबूरी होती है तो कई लोगों को मजबूरी में यह मर्यादा लांघनी पड़ती है। उस बुढ़िया के साथ भी यही हुआ था। बुढ़िया को न चाहते हुए भी खरबूजे बेचने के लिए निकलना पड़ा था।
प्रश्न 3 – शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और … दुखी होने का भी एक अधिकार होता है।
उत्तर – शोक मनाने की सहूलियत भगवान हर किसी को नहीं देता है। कई बार जीवन में कुछ ऐसी मजबूरियाँ या जिम्मेदारियाँ आ जाती हैं कि मनुष्य को शोक मनाने का मौका भी नहीं मिलता। यह बात खासकर से किसी गरीब पर अधिक लागू होती है। पाठ के आधार पर कहा जा सकता है कि गरीब को तो शोक मनाने का अधिकार ही नहीं होता है।
Class 9 Hindi दुःख का अधिकार Question Answers Lesson 1 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
गद्यांश को पढ़कर पूंछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
1)
मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज़ा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाज़े खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं। उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
i. मनुष्य को विभिन्न श्रेणियों में कौन बाँटती हैं?
(क) पोशाक
(ख) पैसा
(ग) भाषा
(घ) त्वचा का रंग
उत्तर: (क) पोशाक
ii. निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझने में कौन बाधा बनती है?
(क) भाषा
(ख) जाति
(ग) पोशाक
(घ) पैसा
उत्तर: (ग) पोशाक
iii. लेखक ने कटी पतंग की तुलना किससे की?
(क) स्वयं से
(ख) पोशाक से
(ग) बुढ़िया से
(घ) अमीर और गरीब से
उत्तर: (क) स्वयं से
iv. लेखक वायु की लहर किसको बोल रहे?
(क) पोशाक
(ख) धन
(ग) पद
(घ) व्यक्तित्व
उत्तर: (क) पोशाक
2)
पड़ोस की दुकानों के तख्तों पर बैठे या बाज़ार में खड़े लोग घृणा से उसी स्त्री के संबंध में बात कर रहे थे। उस स्त्री का रोना देखकर मन में एक व्यथा-सी उठी, पर उसके रोने का कारण जानने का उपाय क्या था? फुटपाथ पर उसके समीप बैठ सकने में मेरी पोशाक ही व्यवधान बन खड़ी हो गई।
i. पड़ोस की दुकानों के तख्तों पर बैठे या बाज़ार में खड़े लोग उसी स्त्री के संबंध में घृणा से बात क्यों कर रहे थे?
(क) क्योंकि उस स्त्री ने चोरी की थी
(ख) क्योंकि उस स्त्री का बेटा मर गया था और वह अगले ही दिन बाजार में खरबूजे बेचने बैठ गई
(ग) क्योंकि उस स्त्री का पति मर गया था
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (ख) क्योंकि उस स्त्री का बेटा मर गया था और वह अगले ही दिन बाजार में खरबूजे बेचने बैठ गई
ii. लेखक स्त्री के समीप क्यों नहीं बैठ पाया?
(क) अपनी पोशाक की वजह से
(ख) अपनी प्रतिष्ठा की वजह से
(ग) अपने पद की वजह से
(घ) मान मर्यादा की वजह से
उत्तर: (क) अपनी पोशाक की वजह से
iii. फुटपाथ में कौन बैठा था?
(क) बुढ़िया
(ख) लेखक
(ग) भगवाना की पत्नी
(घ) भगवाना के बच्चे
उत्तर: (क) बुढ़िया
iv. रोती हुई स्त्री को देखकर लेखक के मन में क्या भावना उत्पन्न हुई?
(क) दया
(ख) आंतरिक दुख
(ग) घृणा
(घ) प्रेम
उत्तर: (ख) आंतरिक दुख
3)
उस पुत्र-वियोगिनी के दुःख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा। वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी। उन्हें पंद्रह-पंद्रह मिनट बाद पुत्र-वियोग से मूर्छा आ जाती थी और मूर्छा न आने की अवस्था में आँखों से आँसू न रूक सकते थे। दो-दो डॉक्टर हरदम सिरहाने बैठे रहते थे। हरदम सिर पर बरफ़ रखी जाती थी। शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र-शोक से द्रवित हो उठे थे। शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दुःखी होने का भी एक अधिकार होता है।
i. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक के “संभ्रांत” शब्द से क्या तात्पर्य है?
(क) अमीर
(ख) गरीब
(ग) होशियार
(घ) सभ्य
उत्तर: (क) अमीर
ii. प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने संभ्रांत महिला का उदाहरण क्यों दिया?
(क) लेखक बताना चाहता है कि दुख का अधिकार अमीर गरीब दोनो को है
(ख) लेखक बताना चाहता है कि मां चाहे गरीब हो या अमीर पुत्र वियोग की अनुभूति समान होती है
(ग) विकल्प क और ख दोनों
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (ग) विकल्प क और ख दोनों
iii. लड़के के मरने के बाद उस संभ्रांत महिला का क्या हाल था?
(क) रो-रो के मर गई
(ख) गुमसुम हो गई
(ग) बेसुध हो गई
(घ) मूर्छा आ गई
उत्तर: (घ) मूर्छा आ गई
iv. शोक करने और गम मनाने के लिए क्या चाहिए?
(क) सहूलियत
(ख) शांति
(ग) धैर्य
(घ) दिलासा
उत्तर: (क) सहूलियत
4)
एक आदमी ने घृणा से एक तरफ़ थूकते हुए कहा, “क्या ज़माना है! जवान लड़के को मरे पूरा दिन नहीं बीता और यह बेहया दुकान लगा के बैठी है।”
दूसरे साहब अपनी दाढ़ी खुजाते हुए कह रहे थे, “अरे जैसी नीयत होतीं है अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।”
सामने के फुटपाथ पर खड़े एक आदमी ने दियासलाई की तीली से कान खुजाते हुए कहा, “अरे, इन लोगों का क्या है? ये कमीने लोग रोटी के टुकंडे पर जान देते हैं। इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान “सब रोटी का टुकड़ा है।”
परचून की दुकान पर बैठे लाला जीं ने कहा, “अरे भाई, उनके लिए मरे-जिए का कोई मतलब न हो, पर दूसरे के धर्म-ईमान का तो खयाल करना चाहिए! जवान बेटे के मरने पर तेरह दिन का सूतक होता है और यह यहाँ सड़क पर बाज़ार में आकर खरबूज़े बेचने बैठ गई है। हज़ार आदमी आते-जाते हैं। कोई क्या जानता है कि इसके घर में सूतक है। कोई इसके खंरबूज़ें खा ले तो उसका ईमान-धर्म कैसे रहेगा? क्या अँधेर है”
i. निम्न में से कौन सा-विकल्प बेहया शब्द का सही अर्थ है?
(क) बेशर्म
(ख) दीन
(ग) मूर्ख
(घ) स्वार्थी
उत्तर: (क) बेशर्म
ii. निम्न में से कौन सा-विकल्प दियासलाई शब्द का सही अर्थ है?
(क) सींक
(ख) माचिस की तीली
(ग) पेंसिल
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: (ख) माचिस की तीली
iii. धर्म ईमान के ख्याल रखना का ताना किसने मारा?
(क) लाला जी
(ख) परचून वाला
(ग) फुटपाथ पर खड़े व्यक्ति ने
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: (क) लाला जी
iv. निम्नलिखित विकल्पों में से सूतक का क्या अर्थ है?
(क) अशुद्ध दिन
(ख) भारी दिन
(ग) कलिष्ठ दिन
(घ) पवित्र दिन
उत्तर: (क) अशुद्ध दिन
5)
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने घर पता लगा उसका तेईस बरस का जवान लड़का था। घर में उसकी बहू और पोता-पोती हैं। लड़का शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन में कछियारी करके परिवार का निर्वाह करता था। खरबूज़ों की डलिया बाज़ार में पहुँचाकर कभी लड़का स्वयं सौदे के पास बेठ जाता, कभी माँ बैठ जाती।
लड़का परसों सुबह मुँह-अँधेरे बेलों में से पके खरबूज़े चुन रहा था। गीली मेड़ की तरावट-में विश्राम करते हुए एक साँप पर लड़के का पैर पड़ गया। साँप ने लड़के को डँस लिया। लड़के की बुढ़िया माँ बावली होकर ओझा को बुला लाई। झाड़ना-फूँकना हुआ। नागदेव की पूजा हुई। पूजा के लिए दान-दक्षिणा चाहिए। घर में जो कुछ आटा और अनाज था, दान-दक्षिणा में उठ गया। माँ, बहू और बच्चे ‘भगवाना’ से लिपट-लिपटकर रोए पर भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला। सर्प के विष से उसका सब बदन काला पड़ गया था।
i. बुढ़िया के लड़के की मृत्यु कैसे हुई?
(क) दुर्घटना से
(ख) सर्प के काटने से
(ग) बिच्छू के काटने से
(घ) जहर खाने से
उत्तर: (ख) सर्प के काटने से
ii. सर्प के काटने से भगवाना के शरीर पर क्या असर हुआ?
(क) शरीर काला पड़ गया
(ख) शरीर नीला पड़ गया
(ग) शरीर ठंडा पड़ गया
(घ) शरीर अकड़ गया
उत्तर: (क) शरीर काला पड़ गया
iii. सर्प के काटने से बुढ़िया ने अपने बेटे को बचाने के लिए किसको बुलाया?
(क) डॉक्टर को
(ख) वैद्य को
(ग) अघोरी को
(घ) ओझा को
उत्तर: (घ) ओझा को
iv. बुढ़िया के घर का सारा अनाज कैसे खत्म हो गया?
(क) बेटे के इलाज में
(ख) पंडित को दान दक्षिणा देने में
(ग) साग सब्जी खरीदने में
(घ) बेटी का विवाह करने में
उत्तर: (क) बेटे के इलाज में
Class 9 Hindi दुःख का अधिकार प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)
Q1.दुख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए कि मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?
उत्तर: दुख का अधिकार पाठ में लेखक पोशाक की उपयोगिता का वर्णन करते हुए कह रहे हैं कि मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। हमारी पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज़ा निश्चित करती है। हमारी पोशाक हमारे लिए अनेक बंद दरवाज़े खोल देती है। साधारणतय: घर के बाहर मनुष्य अपनी पोशाक के कारण ही पहचाना जाता है।
Q2. लेखक ने पोशाक की सीमितता का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर: लेखक पोशाक की सीमितता का वर्णन करते हुए कह रहे हैं कि हम अपनी पोशाक की वजह से ही समाज की निचली श्रेणियों के कष्टों को समझ नहीं पाते है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
Q3. लेखक उस रोती हुई स्त्री के समीप क्यों नहीं जा पाया?
उत्तर: लेखक उस रोती हुई स्त्री के समीप इसलिए नहीं जा पाया क्योंकि वह स्त्री फुटपाथ में बैठी थी और उसका बेटा एक दिन पहले ही मरा था और लोग उस स्त्री के बारे में घृणापूर्ण बातें कर रहे थे। लेखक अच्छी पोशाक में था और समाज में उसका अलग रुतबा था इसलिए वह उस रोती हुई स्त्री का दुख बांटने उसके समीप न जा पाया।
Q4. भगवाना अपना घर कैसे चलाता था?
उत्तर: भगवाना शहर के समीप डेढ़ बीघा जमीन में कछियारा अर्थात सब्जी उगाने का काम करता था। वह मुख्य रूप से खरबूजे जाता था और उसको डलिया में भर कर बाजार बेचने जाया करता था, कभी-कभी उसकी मां भी उसके साथ बाजार खरबूजे बेचने जाया करती थी इस प्रकार वह अपने घर की रोजी रोटी चलाता था।
Q5. इस अध्याय के शीर्षक “दुख का अधिकार” की सार्थकता प्रमाणित कीजिए?
उत्तर: दुख का अधिकार पाठ में लेखक यह बताना चाहता है कि चाहे अमीर हो या गरीब दुख सभी को होता है और उस दुख को प्रकट करना हर व्यक्ति का अधिकार होता है भले ही आप पद में या रुतबे में काफी अमीर हो या निम्न श्रेणी के हों लेकिन दुख की अनुभूति आपको हर व्यक्ति के जैसे ही होगी।
Q6. खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बेटे के मृत्यु का क्या कारण था?
उत्तर: खरबूजे बेचने वाली स्त्री का बेटा शहर के पास ही डेढ़ बीघा जमीन लेकर कछियारी का काम करता था। एक दिन वह सुबह-सुबह खरबूजे तोड़ने गया और कुछ देर खरबूजा तोड़ने के बाद वह थकान मिटाने के लिए खेत की मेड़ पर ही लेट गया तभी वहां पर पहले से ही उपस्थित सर्प ने उसको डस लिया।
Q7. बाजार के लोग स्त्री के विषय में क्या क्या बात कह रहे थे अपने शब्दों में बताइए?
उत्तर: बाजार के लोग स्त्री के विषय में बड़े ही घृणा पूर्ण शब्द कह रहे थे। एक व्यक्ति थूकता हुआ उसे “बेहया” बोलता है, और दूसरा व्यक्ति अपनी दाढ़ी खुजाता हुआ उसे बोलता है कि जैसी नियत होती है, अल्लाह उसे वैसे ही बरकत देता है।
फुटपाथ पर खड़े एक व्यक्ति ने दियासलाई से कान को जाते हुए कहा कि इनके जैसे लोगों लिए रिश्ते और धर्म सब रोटी के टुकड़े के बराबर हैं।
Q8. बुढ़िया को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद को क्यों आई?
उत्तर: बुढ़िया को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई क्योंकि उस महिला का बेटा भी मृत्यु को प्राप्त हो गया था और वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी। उनके पड़ोस की वह महिला अमीर थी लेकिन पुत्र वियोग की अनुभूति उस गरीब खरबूजे बेचने वाली स्त्री के ही बराबर था।
Q9. दुख के अधिकार पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने उस रोती हुई महिला के दुख का अनुमान कैसे लगाया?
उत्तर: लेखक ने उस रोती हुई महिला के दुख का अनुभव अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला के पुत्र वियोग की दशा को याद करके लगाया। जैसे वह महिला अपने पुत्र के मर जाने के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी और हर पंद्रह मिनट में उसको मूर्छा आ जाती थी और आंसू न रुक रहे थे। भले ही वह महिला अमीर थी और खरबूजे बेचने वाली स्त्री गरीब थी लेकिन थी तो दोनो मां ही, दुख का अनुभव और अभिभूति सबको बराबर होती है।
Q10. बुढ़िया की उस विवशता का उल्लेख कीजिए जिसके कारण उसको सूतक में भी खरबूजे बेचने आना पड़ा दुख के अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर: बुढ़िया के घर में सूतक था लेकिन उसकी बहू बुखार से तप रही थी और पिता के मर जाने के बाद बच्चे भी भूख से तड़प रहे थे अपने बेटे भगवानों के मृत शरीर को ढकने के लिए उसको एक सफेद कपड़े की जरूरत थी और घर में दान देने के बाद कुछ भी नहीं बचा था जिसको वह बेच कर इन सभी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाए इसलिए उसको विवश होकर सूतक में भी खरबूजे बेचने आना पड़ा।
Q11. बुढ़िया ने अपने बेटे को बचाने के लिए कौन-कौन सी तरकीब अपनाई?
उत्तर: बुढ़िया ने अपने बेटे को बचाने के लिए ओझा से झाड़-फूंक करवाई। ओझा नागदेवता की पूजा करने को बोला तथा पूजा के लिए दान-दक्षिणा देने को बोला, अब गरीब बुढ़िया के घर में जितना अनाज था, सब दान-दक्षिणा में चला गया बाद में पूजा हुई लेकिन भगवाना बच न सका।
Q12. भगवाना के मरने के बाद उसके परिवार की दयनीय स्थिति का वर्णन कीजिए?
उत्तर: भगवाना के सर्प के काटने पर उसके घर में चीजें थी वह सब उसको बचाने में किए गए दान में खर्च हो गए।
अब भगवाना के मृत शरीर को ढकने के लिए कपड़े खरीदने के भी पैसे नहीं थे, ऊपर से उसकी पत्नी और बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था, उसकी पत्नी बुखार से तड़प रही थी तो उसके बच्चे भूख से मर रहे थे।
Q13. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजा क्यों नहीं खरीद रहा था?
उत्तर: खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजा इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि उस स्त्री का बेटा 1 दिन पहले मर चुका था और उसी स्त्री के घर में सूतक था, लोगों को भय था कि स्त्री के घर में सूतक होने से उसका खरबूजा जो खरीद कर प्रयोग करेगा उसके घर में भी कोई न कोई मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।
Q14. बुढ़िया को कोई उधार क्यों नहीं दे रहा था?
उत्तर: बुढ़िया को कोई उधार इसलिए नहीं दे रहा था क्योंकि उसके घर का इकलौता कमाने वाला सदस्य मर चुका था। बुढ़िया के पास कमाई का कोई साधन नहीं था और तो और बेटे के इलाज में ओझा को दान दक्षिणा देने में घर का बचा कुचा अनाज आटा भी खत्म हो चुका था। अब उसको कोई उधार देकर अपने पैसे डुबाना नहीं चाहता था।
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