गिल्लू और लेखक (महादेवी वर्मा) का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Gillu and the Writer (Mahadevi Verma) from CBSE Class 9 Hindi Chapter 1 गिल्लू
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गिल्लू (गिलहरी) का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Gillu)
लेखिका ने अनेक पशु–पक्षी पाले हुए थे। परन्तु गिल्लू उनमें से सबसे अलग और लेखिका का सबसे प्रिय जीव बन गया था। इसके अनेक कारण थे –
संवेदनशील – गिल्लू गिलहरी का छोटा सा संवेदनशील बच्चा था। एक दिन सुबह जब लेखिका ने गिलहरी के छोटे से बच्चे को जो अपने घोंसले से निचे गिर पड़ा था और कौवे उसमें अपना आसान भोजन खोजते हुए उसे चोट पहुँचा रहे थे। तब वह छोटा सा जीव बिना किसी हरकत के गमले से लिपटा पड़ा था।
आकर्षक – लगातार देखभाल करने पर तीसरे दिन गिल्लू इतना अच्छा और निश्चिन्त हो गया कि वह लेखिका की उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़कर और अपनी नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर–उधर देखने लगा था। लेखिका ने उसका अच्छे से ध्यान रखा जिसके परिणाम स्वरूप तीन–चार महीनों में उसके चिकने रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखें सबको हैरान करने लगी थी। अर्थात वह बहुत आकर्षक बन गया था।
समझदार – लेखिका जब लिखने बैठती थी तब अपनी ओर लेखिका का ध्यान आकर्षित करने की गिल्लू की इतनी तेज इच्छा होती थी कि उसने एक बहुत ही अच्छा उपाय खोज निकाला था। वह लेखिका के पैर तक आता था और तेज़ी से परदे पर चढ़ जाता था और फिर उसी तेज़ी से उतर जाता था। उसका यह इस तरह परदे पर चढ़ना और उतरने का क्रम तब तक चलता रहता था जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए नहीं उठती थी। गर्मियों में जब लेखिका दोपहर में अपना काम करती रहती तो गिल्लू न बाहर जाता था और न ही अपने झूले में बैठता था। गिल्लू ने लेखिका के नजदीक रहने के साथ–साथ गर्मी से बचने का एक सबसे नया उपाय खोज निकाला था। वह लेखिका पास रखी हुई सुराही पर लेट जाता था, जिससे वह लेखिका के नजदीक भी बना रहता और ठंडक में भी रहता। इस तरह उसने दो काम एक साथ करना सीख लिया था।
लेखिका से लगाव – लेखिका को जरुरी कागज़ो–पत्रों के कारण बाहर जाना पड़ता था और उसके बाहर जाने पर कमरा बंद ही रहता था। लेखिका के काॅलेज से लौटने पर जैसे ही वह कमरा खोलकर अंदर पैर रखती, वैसे ही गिल्लू अपने जाली के दरवाजे से अंदर आता और लेखिका के पैर से सिर और सिर से पैर तक दौड़ लगाने लगता। यहाँ तक की जब मोटर दुर्घटना में घायल होकर लेखिका को कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा। उन दिनों जब कोई लेखिका के कमरे का दरवाजा खोलता तो गिल्लू अपने झूले से उतरकर दौड़ता, उसे लगता कि लेखिका आई है और फिर जब वह लेखिका की जगह किसी दूसरे को देखता तो वह उसी तेजी के साथ अपने घोंसले में जा बैठता। गिल्लू की देखभाल के लिए को कोई भी लेखिका के घर जाता वे सभी गिल्लू को काजू दे आते, परंतु अस्पताल से लौटकर जब लेखिका ने उसके झूले की सफाई की तो उसमें काजू भरे मिले, जिनसे लेखिका को पता चला कि गिल्लू उन दिनों अपना मनपसंद भोजन भी कितना कम खाता रहा।
लेखिका के साथ मस्ती – गिल्लू दिन भर गिलहरियों के झुंड का नेता बना हर एक डाल से दूसरी डाल पर उछलता–कूदता रहता और ठीक चार बजे वह खिड़की से भीतर आकर अपने झूले में झूलने लगता। गिल्लू को लेखिका को चैंकाने की इच्छा न जाने कब और कैसे पैदा हो गई थी। वह कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता, कभी परदे की चुन्नट में और कभी सोनजुही की पत्तियों में छिप कर लेखिका को चौंका देता था।
लेखिका के अन्य पशु–पक्षियों से अलग – लेखिका के पास बहुत से पशु–पक्षी थे जो लेखिका के पालतू भी थे और उनका लेखिका से लगाव भी कम नहीं था, परंतु गिल्लू उसके पाले हुए सभी पशु–पक्षियों में सबसे अलग था क्योंकि वह लेखिका के द्वारा बनाए गए सामान्य नियमों का पालन नहीं करता था। लखिका जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती, वह भी खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार और बरामदा पार करके मेज पर पहुँच जाता था और लेखिका की थाली में बैठ जाना चाहता था। बड़ी कठिनाई से लेखिका ने उसे थाली के पास बैठना सिखाया जहाँ बैठकर वह लेखिका की थाली में से एक–एक चावल उठाकर बड़ी सफ़ाई से खाता रहता था। काजू गिल्लू का सबसे मनपसंद भोजन था और यदि कई दिन तक उसे काजू नहीं दिया जाता था तो वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बंद कर देता था या झूले से नीचे फेंक देता था।
लेखिका से अत्यंत प्रेम – लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे–नन्हे पंजों से लेखिका के सिर और बालों को इतने धीरे–धीरे सहलाता रहता कि जब वह लेखिका के सिरहाने से हटता तो लेखिका को ऐसा लगता जैसे उसकी कोई सेविका उससे दूर चली गई हो। अपने जीवन के अंतिम क्षण में भी गिल्लू अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया और अपने ठंडे पंजों से लेखिका की वही उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन में पकड़ा था जब वह मृत्यु के समीप पहुँच गया था।
गिल्लू के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Gillu)
प्रश्न 1 – गिल्लू लेखिका को किस परिस्थिति में मिला था?
प्रश्न 2 – गिल्लू अत्यधिक आकर्षक था। स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 3 – उदाहरण सहित गिल्लू की समझदारी का वर्णन कीजिए?
प्रश्न 4 – गिल्लू को लेखिका से अत्यधिक लगाव था। पाठ के आधार पर बताइए।
प्रश्न 5 – लेखिका के साथ गिल्लू किस तरह की मस्ती किया करता था?
प्रश्न 6 – लेखिका के अस्पताल में होने पर किसी दूसरे के द्वारा गिल्लू की देखरेख पर गिल्लू किस तरह प्रतिक्रिया करता था?
प्रश्न 7 – लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू किस तरह लेखिका का ध्यान रहता था?
प्रश्न 8 – अपने जीवन के अंतिम क्षण में गिल्लू ने किस तरह का व्यवहार किया?
प्रश्न 9 – लेखिका और गिल्लू का सम्बन्ध किस तरह का था?
लेखिका (महादेवी वर्मा) का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Writer)
गिल्लू पाठ में लेखिका ने अपने जीवन के एक अनुभव को सांझा किया है। जिसमें लेखिका ने अपने जीवन के उस पड़ाव का वर्णन किया है जहाँ उन्होंने एक गिलहरी के बच्चे को कवों से बचाया था और उसे अपने घर में रखा था। जिसके बाद वह गिलहरी का बच्चा उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया था। ‘गिल्लू’ पाठ में लेखिका के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ उभर कर सामने आती है –
परदुखकातर – लेखिका का स्वभाव दूसरे के दुख से दुखी होने वाला है। एक दिन उनकी नजर गिलहरी के एक छोटे–से बच्चे पर पड़ी, जो अवश्य ही अपने घोंसले से निचे गिर पड़ा था और अब कौवे उसमें अपना आसान भोजन खोजते हुए उसे चोट पहुँचा रहे थे। उस छोटे से जीव को इस तरह देख कर लेखिका बहुत उदास हो गई थी और उन्होंने उस बच्चे को उन कवों से बचा कर उसकी देखरेख की थी।
संवेदनशील – गिलहरी के बच्चे की अत्यधिक खराब हालत देख कर सबने कहा कि कौवे की चोंच का घाव लगने के बाद यह नहीं बच सकता, इसलिए इसे ऐसे ही रहने दिया जाए। परंतु लेखिका का मन नहीं माना, लेखिका ने उसे धीरे से उठाया और अपने कमरे में ले गई, फिर रुई से उसका खून साफ़ किया और उसके जख्मों पर पेंसिलिन नामक दवा का मरहम लगाया। फिर लेखिका ने रुई की पतली बत्ती बनाई और उसे दूध से भिगोकर जैसे–जैसे उसके छोटे से मुँह में दूध पिलाने के लिए लगाई तो लेखिका ने देखा कि वह मुँह नहीं खुल पा रहा था और दूध की बूँदें मुँह के दोनों ओर ढुलक कर गिर गईं। कई घंटे तक इलाज करने के बाद उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और निश्चिन्त हो गया कि वह लेखिका की उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़कर और अपनी नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर–उधर देखने लगा। लेखिका ने उसका अच्छे से ध्यान रखा जिसके परिणाम स्वरूप तीन–चार महीनों में उसके चिकने रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखें सबको हैरान करने लगी थी।
दयावान – लेखिका ने गिल्लू के लिए एक फूल रखने की हलकी सी डाली में रुई बिछाई और एक तार की मदद से उसे खिड़की पर टाँग दिया। ताकि गिल्लू आराम से रह सके। लेखिका को काम करते हुए गिल्लू जब परेशान करता था तो लेखिका उसको पकड़कर एक लंबे लिफ़ाफ़े में इस तरह से रख देती थी कि उसके अगले दो पंजों और सिर के अलावा उसका छोटा सा पूरा शरीर लिफ़ाफ़े के अंदर बंद रहता था। इस तरह बंद रहने के कारण वह फिर से उछाल–कूद करके लेखिका को परेशान नहीं कर पाता था। जब गिल्लू को उस लिफ़ाफ़े में बंद पड़े–पड़े भूख लगने लगती तो वह चिक–चिक की आवाज करके मानो लेखिका को सूचना दे रहा होता कि उसे भूख लग गई है और लेखिका के द्वारा उसे काजू या बिस्कुट मिल जाने पर वह उसी स्थिति में लिफ़ाफ़े से बाहर वाले पंजों से काजू या बिस्कुट पकड़कर उसे कुतरता था।
जीव–जंतुओं की भावनाओं की सूक्ष्म समझ – लेखिका को जीव–जंतुओं की भावनाओं की सूक्ष्म समझ थी। लेखिका ने जब देखा कि वसंत ऋतु में गिल्लू अन्य गिलहरियों की चिक–चिक सुनकर उन्हें अपनेपन के भाव से खिड़की में से निहारता रहता है। तब लेखिका ने तुरंत कीलें हटवाकर खिड़की की जाली से रास्ता बनवा दिया, जिसके माध्यम से गिल्लू बाहर जाकर अन्य गिलहरियों के साथ उछल–कूद कर सके।
पशु–पक्षी प्रेमी – लेखिका को पशु–पक्षियों से बहुत प्रेम था। उनके पास बहुत से पशु–पक्षी थे जो लेखिका के पालतू भी थे। जिनका लेखिका बहुत अच्छे से ख्याल भी रखती थी। सभी पशु–पक्षियों की भावनाओं का ध्यान रखना और उनके खाने–पिने की व्यवस्था सभी लेखिका ही करती थी।
भावुक– लेखिका अत्यंत भावुक थी। जब लेखिका ने गिल्लू को कौओं से बचाया था तब सभी ने कहा था कि वह नहीं बच पाएगा उसे ऐसे ही छोड़ देना चाहिए परन्तु लेखिका ने उसे मौत के मुँह से बाहर निकाला और गिल्लू के अंतिम समय में जब लेखिका ने महसूस किया कि उसके पंजे ठंडे हो रहे है, तब लेखिका ने हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया। जब गिल्लू नहीं रहा तो सोनजुही की लता के नीचे ही लेखिका ने गिल्लू की समाधि बनाई थी अर्थात लेखिका ने गिल्लू को उस जूही के पौधे के निचे दफनाया था क्योंकि गिल्लू को वह लता सबसे अधिक प्रिय थी।
लेखिका के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of the Writer)
प्रश्न 1 – गिल्लू पाठ में लेखिका ने अपने किस अनुभव को साँझा किया है?
प्रश्न 2 – लेखिका के किस स्वभाव के कारण पता चलता है कि लेखिका का व्यक्तित्व परदुखकातर अर्थात दूसरे के दुख से दुखी होने वाला है?
प्रश्न 3 – लेखिका अत्यंत संवेदनशील थी। स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 4 – पाठ के किस भाग से पता चलता है कि लेखिका को जीव–जंतुओं की भावनाओं की सूक्ष्म समझ थी?
प्रश्न 5 – लेखिका को पशु–पक्षियों से अथाह प्रेम था। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 6 – लेखिका का स्वभाव अत्यंत भावुक था। पाठ के किस भाग से पता चलता है?
प्रश्न 7 – लेखिका ने गिल्लू को सोनजुही की लता के निचे ही क्यों दफनाया?
प्रश्न 8 – गिल्लू पाठ के आधार पर लेखिका के कैसे व्यक्तित्व का पता चलता है?
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