Vibhinn Madhyam Ke Liye Lekhan Question Answers

 

CBSE Class 12 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book Chapter 3 विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन Question Answers 

 

Vibhinn Madhyam Ke Liye Lekhan  Class 12 – CBSE Class 12 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book Chapter 3 Vibhinn Madhyam Ke Liye Lekhan Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter,  extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions. 

सीबीएसई कक्षा 12 हिंदी अभिव्यक्ति और माध्यम पुस्तक पाठ 3 विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर  तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है। 

 

Also See : विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन पाठ सार Class 12 Chapter 3

 

विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन पाठ पर आधारित प्रश्नोत्तर (Question and Answers) 

 

प्रश्न 1 – नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिए गए हैं। सटीक विकल्प पर (✓) का निशान लगाइए :
(क) इंटरनेट पत्रकारिता आजकल बहुत लोकप्रिय है क्योंकि

  1. इससे दृश्य एवं प्रिंट दोनों माध्यमों का लाभ मिलता है।
  2. इससे खबरें बहुत तीव्र गति से पहुँचाई जाती हैं।
  3. इससे खबरों की पुष्टि तत्काल होती है।
  4. इससे न केवल खबरों का संप्रेषण, पुष्टि, सत्यापन ही होता है बल्कि खबरों के बैकग्राउंडर तैयार करने में तत्काल सहायता मिलती है।

उत्तर – इससे न केवल खबरों का संप्रेषण, पुष्टि, सत्यापन ही होता है बल्कि खबरों के बैकग्राउंडर तैयार करने में तत्काल सहायता मिलती है।

(ख) टी०वी० पर प्रसारित खबरों में सबसे महत्वपूर्ण है –

  1. विजुअल
  2. नेट
  3. बाइट
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर – उपर्युक्त सभी।

(ग) रेडियो समाचार की भाषा ऐसी हो –

  1. जिसमें आम बोलचाल के शब्दों का प्रयोग हो।
  2. जो समाचारवाचक आसानी से पढ़ सके।
  3. जिसमें आम बोलचाल की भाषा के साथ-साथ सटीक मुहावरों का इस्तेमाल हो।
  4. जिसमें सामासिक और तत्सम शब्दों की बहुलता हो।

उत्तर – जो समाचारवाचक आसानी से पढ़ सके।

प्रश्न 3 – इंटरनेट पत्रकारिता सूचनाओं को तत्काल उपलब्ध कराता है, परंतु इसके साथ ही उसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – जिस तरह से हर विषय के पक्ष और विपक्ष होते हैं, उसी प्रकार इंटरनेट के भी दो पक्ष हैं। इंटरनेट पत्रकारिता से हमें सूचनाएँ तत्काल उपलब्ध हो जाती हैं परंतु इसके साथ ही उसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं। इंटरनेट जहाँ सूचनाओं के आदान-प्रदान का बेहतरीन औजार है, वहीं वह अश्लीलता, दुष्प्रचार और गंदगी फैलाने का भी ज़रिया है। इसके साथ ही यह अत्यंत महँगा साधन भी है।

प्रश्न 4 – श्रोताओं या पाठकों को बाँधकर रखने की दृष्टि से प्रिंट माध्यम, रेडियो और टी०वी० में से सबसे सशक्त माध्यम कौन है? पक्ष-विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर – श्रोताओं या पाठकों को बाँधकर रखने की दृष्टि से प्रिंट माध्यम, रेडियो और टी०वी० में से सबसे सशक्त माध्यम है – टी०वी०।
पक्ष में तर्क –

  • टी०वी० पर समाचार सुनाई देने के साथ-साथ दिखाई भी देते हैं, जिससे सजीवता आती है और यह दर्शकों को बाँधे रखता है।
  • यह साक्षर-निरक्षर दोनों ही तरह के दर्शकों के लिए उपयोगी होते हैं।
  • कम समय में अधिक व् विभन्न जगहों के समाचार दिखाए जा सकते हैं।
  • समाचारों को अलग-अलग तरह से रुचिकर बनाकर दिखाया जाता है।

विपक्ष में तर्क –

  • गरीब व्यक्ति टी०वी० नहीं खरीद सकता। 
  • दूर-दराज के स्थानों पर अभी इसकी पहुँच नहीं है।
  • समाचार सुनने के लिए समाचार के प्रसारण का इंतजार करना पड़ता है।
  • किसी समाचार पर सोच-विचार के लिए नहीं रुक सकते।

 

विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन पाठ पर आधारित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)

प्रश्न 1 – प्रमुख जनसंचार माध्यम कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – जनसंचार माध्यमों में प्रिंट, टी.वी., रेडियो और इंटरनेट प्रमुख है।

प्रश्न 2 – जनसंचार के माध्यमों (प्रिंट, टी.वी., रेडियो और इंटरनेट) में, समाचारों के लेखन और प्रस्तुति में क्या अंतर है?
उत्तर – जनसंचार के माध्यमों में, समाचारों के लेखन और प्रस्तुति में अंतर जानने के लिए कभी ध्यान से किसी शाम या रात को टी.वी. और रेडियो पर सिर्फ समाचार सुनिए और मौका मिले तो इंटरनेट पर जाकर उन्हीं समाचारों को फिर से पढ़िए। अगले दिन सुबह अखबार ध्यान से पढ़िए। इन सभी माध्यमों में पढ़े, सुने या देखे गए समाचारों की लेखन-शैली, भाषा और प्रस्तुति में आपको फर्क नज़र आएगा। सबसे सहज और आसानी से नज़र आने वाला अंतर तो यही दिखाई देता है कि जहाँ अखबार पढ़ने के लिए है, वहीं रेडियो सुनने के लिए और टी.वी. देखने के लिए ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। इसके साथ ही इंटरनेट पर पढ़ने, सुनने और देखने, तीनों की ही सुविधा है। जाहिर है कि अखबार छपे हुए शब्दों का माध्यम है जबकि रेडियो बोले हुए शब्दों का।

प्रश्न 3 – मुद्रित माध्यमों की विशेषताऐं लिखिए।
उत्तर – मुद्रित माध्यमों की सबसे बड़ी विशेषता या शक्ति यह है कि छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है। उसे आप आराम से और धीरे-धीरे पढ़ सकते हैं। पढ़ते हुए उस पर सोच सकते हैं।
अगर आप अखबार या पत्रिका पढ़ रहे हों तो आप अपनी पसंद के अनुसार किसी भी पृष्ठ और उस पर प्रकाशित किसी भी समाचार या रिपोर्ट से पढ़ने की शुरुआत कर सकते हैं।
मुद्रित माध्यमों के स्थायित्व का एक लाभ यह भी है कि आप उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं और उसे संदर्भ की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
मुद्रित माध्यम लिखित भाषा का विस्तार है। इसमें लिखित भाषा की सभी विशेषताएँ शामिल हैं।
मुद्रित माध्यम चिंतन, विचार और विश्लेषण का माध्यम है। इस माध्यम में आप गंभीर और गूढ़ बातें लिख सकते हैं क्योंकि पाठक के पास न सिर्फ उसे पढ़ने, समझने और सोचने का समय होता है बल्कि उसकी योग्यता भी होती है।

प्रश्न 4 – डेडलाइन किसे कहते हैं?
उत्तर – अखबार 24 घंटे में एक बार या साप्ताहिक पत्रिका सप्ताह में एक बार प्रकाशित होती है। अखबार या पत्रिका में समाचारों या रिपोर्ट को प्रकाशन के लिए स्वीकार करने की एक निश्चित समय-सीमा होती है, जिसे डेडलाइन कहते हैं।

प्रश्न 5 – मुद्रित माध्यमों में लेखक को जगह (स्पेस) का ध्यान क्यों रखना चाहिए?
उत्तर – मुद्रित माध्यमों में लेखक को जगह (स्पेस) का पूरा ध्यान रखना चाहिए। जैसे किसी अखबार या पत्रिका के संपादक ने अगर आपको 250 शब्दों में रिपोर्ट या फीचर लिखने को कहा है तो आपको उस शब्द सीमा का ध्यान रखना पडे़गा। इसकी वजह यह है कि अखबार या पत्रिका में असीमित जगह नहीं होती। साथ ही उन्हें विभिन्न विषयों और मुद्दों पर सामग्री प्रकाशित करनी होती है। महत्त्व और जगह की उपलब्धता के अनुसार वे निश्चित करते हैं कि किसे कितनी जगह मिलेगी।

प्रश्न 6 – मुद्रित माध्यम के लेखक या पत्रकार को छपने से पहले आलेख में मौजूद सभी गलतियों और अशुद्धियों को दूर करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर – मुद्रित माध्यम के लेखक या पत्रकार को छपने से पहले आलेख में मौजूद सभी गलतियों और अशुद्धियों को दूर करना आवश्यक है क्योंकि एक बार प्रकाशन के बाद वह गलती या अशुद्धि वहीं चिपक जाएगी। उसे सुधारने के लिए अखबार या पत्रिका के अगले अंक का इंतजार करना पडे़गा। यही कारण है कि अखबार या पत्रिका में यथासंभव कोशिश की जाती है कि कोई गलती या अशुद्धि न छप जाए। इसके लिए अखबार/पत्रिकाओं में संपादक के साथ एक पूरी संपादकीय टीम होती है जिसकी मुख्य ज़िम्मेदारी प्रकाशन के लिए जा रही सामग्री से गलतियों और अशुद्धियों को हटाकर उसे प्रकाशन योग्य बनाना है।

प्रश्न 7 – मुद्रित माध्यमों की खामियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – मुद्रित माध्यमों की खामियाँ –

  • मुद्रित माध्यमों का पाठक वही हो सकता है जो साक्षर हो और जिसने औपचारिक या अनौपचारिक शिक्षा के ज़रिये एक विशेष स्तर की योग्यता भी हासिल की हो। निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम किसी काम के नहीं हैं। 
  • मुद्रित माध्यमों के लिए लेखन करने वालों को अपने पाठकों के भाषा-ज्ञान के साथ-साथ उनके शैक्षिक ज्ञान और योग्यता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
  • मुद्रित माध्यमों के लिए लेखन करने वालों को पाठकों की रुचियों और ज़रूरतों का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है। 
  • मुद्रित माध्यम रेडियो, टी.वी. या इंटरनेट की तरह तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते। ये एक निश्चित अवधि पर प्रकाशित होते हैं। 
  • मुद्रित माध्यमों के लेखकों और पत्राकारों को प्रकाशन की समय-सीमा का पूरा ध्यान रखना पड़ता है।
  • मुद्रित माध्यमों में लेखक को जगह (स्पेस) का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि अखबार या पत्रिका में असीमित जगह नहीं होती। 
  • मुद्रित माध्यम के लेखक या पत्रकार को छपने से पहले आलेख में मौजूद सभी गलतियों और अशुद्धियों को दूर करना आवश्यक है क्योंकि एक बार प्रकाशन के बाद वह गलती या अशुद्धि  वहीं चिपक जाएगी। 


प्रश्न 8 – मुद्रित माध्यमों में लेखन में किन बातें का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर – मुद्रित माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातें –
1. लेखन में भाषा, व्याकरण, वर्तनी और शैली का ध्यान रखना ज़रूरी है। प्रचलित भाषा के प्रयोग पर ज़ोर रहता है।
2. समय-सीमा और आवंटित जगह के अनुशासन का पालन करना हर हाल में जरूरी है।
3. लेखन और प्रकाशन के बीच गलतियों और अशुद्धियों को ठीक करना ज़रूरी होता है।
4. लेखन में सहज प्रवाह के लिए तारतम्यता बनाए रखना ज़रूरी है

प्रश्न 9 – रेडियो, अखबार और टी.वी. में क्या अंतर् है?
उत्तर – रेडियो श्रव्य माध्यम है। इसमें सब कुछ ध्वनि, स्वर और शब्दों का खेल है। रेडियो पत्रकारों को अपने श्रोताओं का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि अखबार पाठकों को यह सुविधा उपलब्ध रहती है कि वे अपनी पसंद और इच्छा से कभी भी और कहीं से भी पढ़ सकते हैं। और अगर किसी समाचार/लेख या फीचर को पढ़ते हुए कोई बात समझ में न आए तो पाठक उसे फिर से पढ़ सकता है या शब्दकोश में उसका अर्थ देख सकता है या किसी से पूछ भी सकता है। लेकिन रेडियो के श्रोता को यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती। वह रेडियो समाचार बुलेटिन को कभी भी और कहीं से भी नहीं सुन सकता। उसे बुलेटिन के प्रसारण समय का इंतजार करना होगा और फिर शुरू से लेकर अंत तक बारी-बारी से एक के बाद दूसरा समाचार सुनना होगा। रेडियो में अखबार की तरह पीछे लौटकर सुनने की सुविधा नहीं है। रेडियो मूलतः एकरेखीय (लीनियर) माध्यम है और रेडियो समाचार बुलेटिन का स्वरूप, ढाँचा और शैली इस आधार पर ही तय होता है। रेडियो की तरह टेलीविज़न भी एकरेखीय माध्यम है लेकिन वहाँ शब्दों और ध्वनियों की तुलना में दृश्यों तसवीरों का महत्त्व सर्वाधिक होता है। टी.वी. में शब्द दृश्यों के अनुसार और उनके सहयोगी के रूप में चलते हैं। लेकिन रेडियो में शब्द और आवाज़ ही सब कुछ है। वैसे तो तीनो ही माध्यमों- प्रिंट, रेडियो और टी.वी. की अपनी-अपनी चुनौतियाँ हैं लेकिन संभवतः रेडियो प्रसारणकर्ताओं के लिए अपने श्रोताओ को बाँधकर रखने की चुनौती सबसे कठिन है।

प्रश्न 10 – उलटा पिरामिड-शैली क्या है?
उत्तर – उलटा पिरामिड-शैली में समाचार के सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य को सबसे पहले लिखा जाता है और उसके बाद घटते हुए महत्त्वक्रम में अन्य तथ्यों या सूचनाओं को लिखा या बताया जाता है। इस शैली में किसी घटना / विचार / समस्या का ब्योरा कालानुक्रम के बजाए सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य या सूचना से शुरू होता है। तात्पर्य यह कि इस शैली में, कहानी की तरह क्लाइमेक्स अंत में नहीं बल्कि खबर के बिलकुल शुरू में आ जाता है। उलटा पिरामिड शैली में कोई निष्कर्ष नहीं होता। उलटा पिरामिड शैली के तहत समाचार को तीन हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है-इंट्रो, बॉडी और समापन। समाचार के इंट्रो या लीड को हिंदी में मुखड़ा भी कहते हैं। इसमें खबर के मूल तत्त्व को शुरू की दो या तीन पंक्तियों में बताया जाता है। यह खबर का सबसे अहम हिस्सा होता है। इसके बाद बॉडी में समाचार के विस्तृत ब्योरे को घटते हुए महत्त्वक्रम में लिखा जाता है। हालाँकि इस शैली में अलग से समापन जैसी कोई चीज़ नहीं होती और यहाँ तक कि प्रासंगिक तथ्य और सूचनाएँ दी जा सकती हैं, अगर ज़रूरी हो तो समय और जगह की कमी को देखते हुए आखिरी कुछ लाइनों या पैराग्राफ को काटकर हटाया भी जा सकता है और उस स्थिति में खबर वहीं समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 11 – रेडियो के लिए समाचार लेखन में अंकों को लिखने के मामले में खास सावधानी क्यों रखनी चाहिए?
उत्तर – रेडियो के लिए समाचार लेखन में अंकों को लिखने के मामले में खास सावधानी रखनी चाहिए। जैसे-एक से दस तक के अंकों को शब्दों में और 11 से 999 तक अंकों में लिखा जाना चाहिए। लेकिन 2837550 लिखने के बजाय अठ्ठाइस लाख सैंतीस हजार पाँच सौ पचास लिखा जाना चाहिए अन्यथा वाचक/ वाचिका को पढ़ने में बहुत मुश्किल होगी। इसी तरह 2837550 रुपए को रेडियो में लगभग अट्टाइस लाख रुपए लिखना श्रोताओं को समझाने के लिहाज़ से बेहतर है। इस तरह की वित्तीय संख्याओं को उनके नज़दीकी पूर्णांक में लिखना चाहिए। लेकिन इसके कुछ अपवाद भी हैं। जैसे खेलों के स्कोर को उसी तरह लिखना चाहिए। सचिन तेंदुलकर ने अगर 98 रन बनाए हैं तो उसे लगभग सौ रन नहीं लिख सकते। रेडियो समाचार कभी भी संख्या से नहीं शुरू होना चाहिए। इसी तरह तिथियों को उसी तरह लिखना चाहिए जैसे हम बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं-15 अगस्त उन्नीस सौ पचासी न कि अगस्त 15, 1985 ।

प्रश्न 12 – रेडियो के लिए समाचार लेखन-बुनियादी बातें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर – रेडियो के लिए समाचार कॉपी तैयार करते हुए कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है –

  • साफ-सुथरी और टाइप्ड कॉपी होनी चाहिए। 
  • प्रसारण के लिए तैयार की जा रही समाचार कॉपी को कंप्यूटर पर ट्रिपल स्पेस में टाइप किया जाना चाहिए। 
  • कॉपी के दोनों ओर पर्याप्त हाशिया छोड़ा जाना चाहिए। 
  • एक लाइन में अधिकतम 12-13 शब्द होने चाहिए। 
  • पंक्ति के आखिर में कोई शब्द विभाजित नहीं होना चाहिए और पृष्ठ के आखिर में कोई लाइन अधूरी नहीं होनी चाहिए। 
  • समाचार कॉपी में ऐसे जटिल और उच्चारण में कठिन शब्द, संक्षिप्ताक्षर (एब्रीवियेशंस), अंक आदि नहीं लिखने चाहिए जिन्हें पढ़ने में ज़बान लड़खड़ाने लगे। 
  • अंकों को लिखने के मामले में खास सावधानी रखनी चाहिए। 
  • अखबारों में % और $ जैसे संकेत चिह्नों से काम चल जाता है लेकिन रेडियो में यह पूरी तरह वर्जित है यानी प्रतिशत और डॉलर लिखा जाना चाहिए। 
  • तिथियों को उसी तरह लिखना चाहिए जैसे हम बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं-15 अगस्त उन्नीस सौ पचासी न कि अगस्त 15, 1985 ।
  • संक्षिप्ताक्षरों के इस्तेमाल में काफी सावधानी बरतनी चाहिए। 

प्रश्न 13 – टी.वी. खबरों के विभिन्न चरण कौन से हैं?
उत्तर – किसी भी टी.वी. चैनल पर खबर देने का मूल आधार वही होता है जो प्रिंट या रेडियो पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रचलित है यानी सबसे पहले सूचना देना। टी.वी. में भी यह सूचनाएँ कई चरणों से होकर दर्शकों के पास पहुँचती हैं। ये चरण हैं –

  • फ़्लैश  या ब्रेकिंग न्यूज़ 
  • ड्राई एंकर
  • फोन-इन
  • एंकर-विजुअल
  • एंकर-बाइट
  • लाइव
  • एंकर-पैकेज

प्रश्न 14 – फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ क्या है?
उत्तर – सबसे पहले कोई बड़ी खबर फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में तत्काल दर्शकों तक पहुँचाई जाती है। इसमें कम से कम शब्दों में महज़ सूचना दी जाती है।

प्रश्न 15 – ड्राई एंकर क्या है?
उत्तर – इसमें एंकर खबर के बारे में दर्शकों को सीधे-सीधे बताता है कि कहाँ, क्या, कब और कैसे हुआ। जब तक खबर के दृश्य नहीं आते एंकर, दर्शकों को रिपोर्टर से मिली जानकारियों के आधार पर सूचनाएँ पहुँचाता है।

प्रश्न 16 – फोन-इन में क्या होता है?
उत्तर – एंकर रिपोर्टर से फोन पर बात करके सूचनाएँ दर्शकों तक पहुँचाता है। इसमें रिपोर्टर घटना वाली जगह पर मौजूद होता है और वहाँ से उसे जितनी ज्यादा से ज्यादा जानकारियाँ मिलती हैं, वह दर्शकों को बताता है।

प्रश्न 17 – एंकर-विजुअल में क्या होता है?
उत्तर – जब घटना के दृश्य या विजुअल मिल जाते हैं तब उन दृश्यों के आधार पर खबर लिखी जाती है, जो एंकर पढ़ता है। इस खबर की शुरुआत भी प्रारंभिक सूचना से होती है और बाद में कुछ वाक्यों पर प्राप्त दृश्य दिखाए जाते हैं।

प्रश्न 18 – एंकर-बाइट क्या है?
उत्तर – बाइट यानी कथन। टेलीविज़न पत्रकारिता में बाइट का काफी महत्त्व है। टेलीविज़न में किसी भी खबर को पुष्ट करने के लिए इससे संबंधित बाइट दिखाई जाती है। किसी घटना की सूचना देने और उसके दृश्य दिखाने के साथ ही इस घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों या संबंधित व्यक्तियों का कथन दिखा और सुनाकर खबर को प्रामाणिकता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 19 – रेडियो और टी.वी. की सरल, संप्रेषणीय और प्रभावी भाषा को जाँचने का क्या तरीका है?
उत्तर – रेडियो और टी.वी. में आप कितनी सरल, संप्रेषणीय और प्रभावी भाषा लिख रहे हैं, यह जाँचने का एक बेहतर तरीका यह है कि आप समाचार लिखने के बाद उसे बोल-बोलकर पढें। इस प्रक्रिया में आपको स्वयं यह अहसास हो जाएगा कि भाषा में कितना प्रवाह है, उसे पढ़ने में समाचार वाचक / वाचिका या एंकर को कोई दिक्कत तो नहीं होगी, या उसे सभी लोग आसानी से समझ तो जाएँगे।

प्रश्न 20 – रेडियो और टी.वी. समाचार में भाषा और शैली के स्तर पर कैसी सावधानी बरतनी पड़ती है?
उत्तर – रेडियो और टी.वी. समाचार में भाषा और शैली के स्तर पर काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। ऐसे कई शब्द हैं जिनका अखबारों में धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है लेकिन रेडियो और टी.वी. में उनके प्रयोग से बचा जाता है। जैसे निम्नलिखित, उपरोक्त, अधोहस्ताक्षरित और क्रमांक आदि शब्दों का प्रयोग इन माध्यमों में बिलकुल मना है। इसी तरह द्वारा शब्द के इस्तेमाल से भी बचने की कोशिश की जाती है क्योंकि इसका प्रयोग कई बार बहुत भ्रामक अर्थ देने लगता है। इसी तरह तथा, एवं, अथवा, व, किन्तु, परंतु, यथा आदि शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए और उनकी जगह और, या, लेकिन आदि शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए। साफ-सुथरी और सरल भाषा लिखने के लिए गैरज़रूरी विशेषणों, सामासिक और तत्सम शब्दों, अतिरंजित उपमाओं आदि से बचना चाहिए। इनसे भाषा कई बार बोझिल होने लगती है। मुहावरों का इस्तेमाल स्वाभाविक और जहाँ ज़रूरी हो, वहीं होना चाहिए अन्यथा वे भाषा के स्वाभाविक प्रवाह को बाधित करते हैं।

प्रश्न 21 – रेडियो और टेलीविशन समाचार की भाषा और शैली कैसी होनी चाहिए?
उत्तर – भारत जैसे विकासशील देश में उसके श्रोताओं और दर्शकों में पढ़े-लिखे लोगों से निरक्षर तक और मध्यम वर्ग से लेकर किसान-मज़दूर तक सभी हैं। इन सभी लोगों की सूचना की ज़रूरतें पूरी करना ही रेडियो और टी.वी. का उद्देश्य है। लोगों तक पहुँचने का माध्यम भाषा है और इसलिए भाषा ऐसी होनी चाहिए कि वह सभी को आसानी से समझ में आ सके लेकिन साथ ही भाषा के स्तर और गरिमा के साथ कोई समझौता भी न करना पड़े।

  • आपसी बोलचाल में जिस भाषा का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह की भाषा का इस्तेमाल रेडियो और टी.वी. समाचार में भी करें। 
  • सरल भाषा लिखने का सबसे बेहतर उपाय यह है कि वाक्य छोटे, सीधे और स्पष्ट लिखे जाएँ। 
  • ऐसे कई शब्द हैं जिनका अखबारों में धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है लेकिन रेडियो और टी.वी. में उनके प्रयोग से बचा जाता है। जैसे निम्नलिखित, उपरोक्त, अधोहस्ताक्षरित और क्रमांक आदि शब्दों का प्रयोग इन माध्यमों में बिलकुल मना है। 
  • द्वारा शब्द के इस्तेमाल से भी बचने की कोशिश की जाती है क्योंकि इसका प्रयोग कई बार बहुत भ्रामक अर्थ देने लगता है। 
  • तथा, एवं, अथवा, व, किन्तु, परंतु, यथा आदि शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए और उनकी जगह और, या, लेकिन आदि शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए। – – – साफ-सुथरी और सरल भाषा लिखने के लिए गैरज़रूरी विशेषणों, सामासिक और तत्सम शब्दों, अतिरंजित उपमाओं आदि से बचना चाहिए। 
  • मुहावरों का इस्तेमाल स्वाभाविक और जहाँ ज़रूरी हो, वहीं होना चाहिए अन्यथा वे भाषा के स्वाभाविक प्रवाह को बाधित करते हैं। 
  • वाक्य छोटे-छोटे हों। एक वाक्य में एक ही बात कहने का धीरज हो। 
  • वाक्यों में तारतम्य ऐसा हो कि कुछ टूटता या छूटता हुआ न लगे।
  • शब्द प्रचलित हों और उनका उच्चारण सहजता से किया जा सके।


प्रश्न 22 – इंटरनेट पर पत्रकारिता के कौन से रूप हैं?

उत्तर – इंटरनेट पर पत्रकारिता के भी दो रूप हैं। पहला तो इंटरनेट का एक माध्यम या औजार के तौर पर इस्तेमाल, यानी खबरों के संप्रेषण के लिए इंटरनेट का उपयोग। दूसरा, रिपोर्टर अपनी खबर को एक जगह से दूसरी जगह तक ईमेल के ज़रिये भेजने और समाचारों के संकलन, खबरों के सत्यापन और पुष्टिकरण में भी इसका इस्तेमाल करता है।

प्रश्न 23 – इंटरनेट पत्रकारिता से आपका क्या आशय है?
उत्तर – इंटरनेट पर अखबारों का प्रकाशन या खबरों का आदान-प्रदान ही वास्तव में इंटरनेट पत्रकारिता है। इंटरनेट पर यदि हम, किसी भी रूप में खबरों, लेखों, चर्चा-परिचर्चाओं, बहसों, फीचर, झलकियों, डायरियों के ज़रिये अपने समय की धड़कनों को महसूस करने और दर्ज करने का काम करते हैं तो वही इंटरनेट पत्रकारिता है। आज तमाम प्रमुख अखबार पूरे के पूरे इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। कई प्रकाशन समूहों ने और कई निजी कंपनियों ने खुद को इंटरनेट पत्रकारिता से जोड़ लिया है। चूँकि यह एक अलग माध्यम है, इसलिए इस पर पत्रकारिता का तरीका भी थोड़ा-सा अलग है।

 

विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन पाठ पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 1 – प्रमुख जनसंचार माध्यम कौन-कौन से हैं?
(क) प्रिंट
(ख) रेडियो और इंटरनेट
(ग) टी.वी.
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2 – जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना कौन सा है?
(क) प्रिंट यानी मुद्रित माध्यम
(ख) टी.वी.माध्यम
(ग) रेडियो और इंटरनेट
(घ) समाचार माध्यम
उत्तर – (क) प्रिंट यानी मुद्रित माध्यम

प्रश्न 3 – भारत में पहला छापाखाना कब और कहाँ खुला?
(क) सन् 1555 में गोवा में
(ख) सन् 1546 में गोवा में
(ग) सन् 1556 में गोवा में
(घ) सन् 1456 में गोवा में
उत्तर – (ग) सन् 1556 में गोवा में

प्रश्न 4 – भारत में पहला छापाखाना मिशनरियों ने क्यों खोला था?
(क) पुस्तकें छापने के लिए
(ख) धर्म प्रचार के लिए
(ग) धर्म प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए
(घ) शैक्षणिक साक्षरता बढ़ाने के लिए
उत्तर – (ग) धर्म प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए

प्रश्न 5 – टेलीविज़न में किसका महत्त्व सर्वाधिक होता है?
(क) शब्दों का
(ख) ध्वनियों का
(ग) दृश्यों तसवीरों का
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) दृश्यों तसवीरों का

प्रश्न 6 – उलटा पिरामिड शैली के तहत समाचार को कितने हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है?
(क) दो
(ख) चार
(ग) छः
(घ) तीन
उत्तर – (घ) तीन

प्रश्न 7 – खबर का सबसे अहम हिस्सा क्या होता है?
(क) इंट्रो
(ख) समापन
(ग) बॉडी
(घ) भाषा
उत्तर – (क) इंट्रो

प्रश्न 8 – जो अखबार प्रिंटर रूप में उपलब्ध ना होकर केवल इंटरनेट पर उपलब्ध है उसका क्या नाम है?
(क) प्रसाक्षी
(ख) प्रभास
(ग) प्रभासाक्षी
(घ) प्रभाक्षी
उत्तर – (ग) प्रभासाक्षी

प्रश्न 9 – टीवी जनसंचार का कैसा माध्यम है?
(क) श्रव्य माध्यम
(ख) दृश्य एवं श्रव्य माध्यम
(ग) दृश्य माध्यम
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) दृश्य एवं श्रव्य माध्यम

प्रश्न 10 – रेडियो जनसंचार का कैसा माध्यम है?
(क) श्रव्य माध्यम
(ख) दृश्य एवं श्रव्य माध्यम
(ग) दृश्य माध्यम
(घ) केवल (ख)
उत्तर – (क) श्रव्य माध्यम

प्रश्न 11 – इंटरनेट जनसंचार को किस नाम से जाना जाता है?
(क) इंटरनेट पत्रकारिता
(ख) ऑनलाइन पत्रकारिता
(ग) साइबर पत्रकारिता या वेब पत्रकारिता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 12 – भारत में इंटरनेट का कौन सा दौर चल रहा है?
(क) दूसरा दौर
(ख) पहला दौर
(ग) तीसरा दौर
(घ) चौथा दौर
उत्तर – (क) दूसरा दौर

प्रश्न 13 – भारत में इंटरनेट का दूसरा दौर कब से शुरू माना जाता है?
(क) 1993
(ख) 2023
(ग) 2003
(घ) 2013
उत्तर – (ग) 2003

प्रश्न 14 – सर्वाधिक खर्चीला जनसंचार माध्यम कौन-सा है?
(क) रेडियो
(ख) टेलीविज़न
(ग) समाचार पत्र
(घ) इंटरनेट
उत्तर – (घ) इंटरनेट

प्रश्न 15 – मुद्रण का आरंभ किस देश में हुआ?
(क) भारत
(ख) जापान
(ग) चीन
(घ) भूटान
उत्तर – (ग) चीन

प्रश्न 16 – समाचार लेखन की प्रभावशाली शैली कौन सी है?
(क) उल्टा पिरामिड शैली
(ख) वर्णनात्मक शैली
(ग) पिरामिड शैली
(घ) विवेचनात्मक शैली
उत्तर – (क) उल्टा पिरामिड शैली

प्रश्न 17 – आधुनिक युग में इंटरनेट पत्रकारिता का कौन-सा दौर चल रहा है?
(क) प्रथम
(ख) तृतीय
(ग) चतुर्थ
(घ) द्वितीय
उत्तर – (ख) तृतीय

प्रश्न 18 – समाचार पत्र को प्रकाशित करने के लिए आखिरी समय सीमा को क्या कहा जाता है?
(क) डैड लाइन
(ख) ब्लैक लाइन
(ग) रैड लाइन
(घ) ब्लू लाइन
उत्तर – (क) डैड लाइन

प्रश्न 19 – प्रिंट मीडिया के लाभ क्या हैं?
(क) प्रिंट मीडिया को धीरे-धीरे, दुबारा या मजी के अनुसार पढ़ा जा सकता है
(ख) किसी भी पृष्ठ या समाचार को पहले या बाद में पढ़ा जा सकता है
(ग) इन्हें सुरक्षित रखकर संदर्भ की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 20 – अखबार अन्य माध्यमों से अधिक लोकप्रिय क्यों है?
(क) शब्दों के स्थायित्व के कारण
(ख) इसे अपनी इच्छानुसार कहीं भी, कभी भी पढ़ा जा सकता है
(ग) कठिन व् गूढ़ शब्दों व् वाक्यांशों को समझने का समय मिल जाता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी