अहसास पाठ सार
PSEB Class 10 Hindi Book Chapter 11 (Part 2) “Ahsaas” Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings
अहसास सार – Here is the PSEB Class 10 Hindi Book Chapter 11 (Part 2) Ahsaas Summary with detailed explanation of the lesson “Ahsaas” along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary
इस पोस्ट में हम आपके लिए पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड कक्षा 10 हिंदी पुस्तक के पाठ 11 (भाग-2) अहसास पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 10 अहसास पाठ के बारे में जानते हैं।
Ahsaas (अहसास)
उषा. आर. शर्मा
लघुकथा ‘अहसास’ लेखिका उषा आर. शर्मा की प्रेरणादायक रचना है। यह कहानी उन बच्चों की भावनाओं और संघर्षों को प्रस्तुत करती है जो शारीरिक रूप से चुनौतियों का सामना करते हैं। कहानी का केंद्रबिंदु दिवाकर नामक छात्र है, जिसकी एक टाँग दुर्घटना में चली जाती है। वह स्वयं को अधूरा समझता है और सहपाठियों से अलग-थलग महसूस करता है। लेकिन परिस्थितियाँ बदलती हैं जब वह अपनी हिम्मत और सूझबूझ से साथियों की जान बचाता है।
इस लघुकथा के माध्यम से लेखिका यह संदेश देना चाहती हैं कि शारीरिक कठिनाइयों के बावजूद यदि मन में आत्मविश्वास और साहस हो, तो कोई भी व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ सकता है। साथ ही, अध्यापक का सहयोग और स्नेह ऐसे बच्चों के लिए आत्मबल का स्रोत बनता है।
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अहसास पाठ सार Ahsaas Summary
लेखिका उषा आर. शर्मा की लघुकथा अहसास एक प्रेरणादायक कहानी है। यह उन बच्चों को आत्मविश्वास देने वाली रचना है, जो शारीरिक चुनौतियों से जूझ रहे होते हैं।
कहानी का नायक दिवाकर है। पिछले साल हुई दुर्घटना में उसकी एक टाँग चली गई थी, इसलिए उसे चलने के लिए बैसाखियों का सहारा लेना पड़ता है। पहले वह खुद को अधूरा और बाकी सहपाठियों से अलग समझता था। पापा के ट्रांसफर के बाद जब वह गाँव से नए स्कूल में आया, तो नई जगह और नए माहौल में ढलने में उसे कठिनाई हुई। परंतु उसकी कक्षा अध्यापिका नीरू मैडम के स्नेहपूर्ण व्यवहार ने उसे हिम्मत दी।
एक दिन स्कूल से बच्चों को रोज़ गार्डन भ्रमण के लिए ले जाया गया। सभी बच्चे हँसी-खुशी खेल रहे थे, पर दिवाकर एक बेंच पर बैठा अपने पुराने अच्छे दिनों को याद कर रहा था। तभी सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान अचानक एक बड़ा साँप बच्चों की ओर बढ़ आया। सभी छात्र-छात्राएँ और अध्यापिका डर से सहम गए। लेकिन दिवाकर नहीं डरा, क्योंकि गाँव में वह ऐसे जानवर कई बार देख चुका था। उसने अपनी बैसाखी से साँप को उठाकर दूर फेंक दिया और सबकी जान बचाई।
इस बहादुरी पर नीरू मैडम ने उसे “असली हीरो” कहा। अगले दिन प्रातःकालीन सभा में प्राचार्य महोदय ने भी उसकी समझदारी और साहस के लिए सम्मानित किया। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच दिवाकर ने पहली बार खुद को अधूरा नहीं बल्कि पूर्ण और सक्षम महसूस किया।
अहसास पाठ व्याख्या Ahsaas Lesson Explanation
पाठ – एक दिवसीय शैक्षिक भ्रमण के लिए स्कूल की बस रवाना हो चुकी थी। परीक्षा के फौरन बाद के इस कार्यक्रम ने सभी को राहत दी थी। छात्र-छात्राएँ मस्ती से झूम रहे थे। छात्राएँ अंताक्षरी खेल रही थीं। छात्र तालियाँ बजाकर उनका हौसला बढ़ा रहे थे, लेकिन दिवाकर खामोश बैठा था। कभी वह खिड़की के बाहर के वृक्षों को देखता और कभी दूर तक फैले आसमां को उसने अभी कुछ दिन पहले ही तो दाखिला लिया था। पापा की ट्रांसफर के बाद वह गाँव के स्कूल से यहाँ आ गया था। नई जगह नए लोग कई बार तो उसे वैशाखियों से यहाँ चलने में भी दिक्कत आती थी। परंतु कक्षा अध्यापक नीरू मैडम के स्नेहपूर्ण व्यवहार ने उसे बहुत हिम्मत दी थी।
शब्दार्थ-
एक दिवसीय– केवल एक दिन का
शैक्षिक भ्रमण- शिक्षा संबंधी भ्रमण के लिए विद्यार्थियों का जाना
रवाना– प्रस्थान करना, निकल पड़ना
फौरन– तुरंत
राहत- आराम
अंताक्षरी– एक प्रकार का मनोरंजक खेल जिसमें दो दल बन जाते हैं। पहले दल के द्वारा गाए गीत या कविता के अन्तिम अक्षर पर दूसरे दल के द्वारा गीत या कविता गाई जाती है।
हौसला– मनोबल
खामोश– चुप
आसमां- आकाश
दाखिला- प्रवेश
ट्रांसफर- तबदीली, बदली, स्थान परिवर्तन
वैशाखी- सहारा देने वाली लकड़ी, जिस पर अपंग या घायल व्यक्ति चलता है
दिक्कत- परेशानी
कक्षा अध्यापक- क्लास टीचर
स्नेहपूर्ण- प्यार से भरा हुआ
व्यवहार- चाल-चलन, बर्ताव
हिम्मत– साहस, शक्ति
व्याख्या- यह अंश एक स्कूल के शैक्षिक भ्रमण का वर्णन करता है। एक दिन के भ्रमण के लिए बस स्कूल से चल दी थी। यह भ्रमण बच्चों के लिए अत्यंत सुखद था क्योंकि परीक्षाएँ बस खत्म ही हुईं थीं। बस में सभी बच्चे बहुत खुश थे, कोई गाना गा रहा था, कोई तालियाँ बजा रहा था। इस माहौल में सब मस्ती कर रहे थे, लेकिन दिवाकर चुपचाप बैठा था। वह खिड़की से बाहर पेड़ों और आसमान को देख रहा था। कारण यह था कि दिवाकर हाल ही में इस स्कूल में नया-नया आया था, क्योंकि उसके पापा का ट्रांसफर हो गया था। नई जगह और नए लोगों के बीच वह थोड़ा अकेलापन महसूस कर रहा था। उसे वैशाखियों से चलने में भी दिक्कत आ रही थी। फिर भी, उसकी कक्षा अध्यापिका नीरू मैडम के प्यार और देखभाल ने उसे साहस और आत्मविश्वास दिया।
पाठ – बस रुक चुकी थी। रोज गार्डन आ गया था – छात्र-छात्राएँ उछलते कूदते पार्क में पहुँच गए थे। चारों तरफ खिले फूल, वृक्षों के झुंड तथा हरी भरी घास थी। बीच में रंग बिरंगे झूले थे। अध्यापिका छात्रों को रिफ्रेशमेंट दे रही थी। दिवाकर भी एक बेंच पर बैठ गया था। उसने अपनी वैशाखियाँ एक ओर रख दी थी जबकि अन्य छात्र-छात्राएँ झूलों का आनंद ले रहे थे। सभी को उछलते कूदते देख उसे भी वे दिन याद आ रहे थे जब दो वर्ष पहले वह बड़ी मौसी के पास दिल्ली गया था तो फन सिटी में कितनी मस्ती की थी।
शब्दार्थ-
पार्क– बगीचा
रिफ्रेशमेंट– खाने के लिए कुछ देना
बेंच- बैठने की लंबी कुर्सी/पट्टी|
आनंद– मज़ा, खुशी
फन सिटी- मनोरंजन का स्थान (झूले, खेल और मस्ती की जगह)
व्याख्या- प्रस्तुत अंश में स्कूल के बच्चों के रोज़ गार्डन पहुँचने का दृश्य दिखाया गया है। बस रुकते ही बच्चे उत्साह से पार्क में दौड़ पड़े। वहाँ चारों ओर खिले फूल, हरे-भरे पेड़ और घास ने वातावरण को सुंदर बना रखा था। बीच में रंग-बिरंगे झूले लगे थे, जिन पर बच्चे खूब मस्ती कर रहे थे। अध्यापिका सबको खाने-पीने की चीज़ें बाँट रही थीं। दिवाकर अपनी बैसाखियाँ एक ओर रखकर बेंच पर बैठ गया। वह झूलों पर नहीं जा सका, लेकिन बच्चों को खेलते देख उसे अपने पुराने दिन याद आए, जब वह बिल्कुल सामान्य था और दो साल पहले मौसी के घर दिल्ली की फन सिटी में खूब मस्ती की थी।
पाठ – पर पिछले साल हुई दुर्घटना ने उसकी एक टाँग ले ली थी। वह कितना अधूरा था। उसे लगता कि वह कक्षा के बाकी लड़कों के समान नहीं है शायद। वह अभी सोच ही रहा था कि नीरू मैडम ने सभी को वहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए बुला लिया। लड़के और लड़कियाँ वृक्षों के नीचे घास पर ही अपने-अपने समूह में बैठ गए थे। दिवाकर सामने बैंच पर बैठा था। कार्यक्रम चल रहा था। अचानक एक साँप वृक्षों के बीच में से रेंगता हुआ इस ओर आ गया था। अपने सामने इतने बड़े साँप को देखकर छात्र-छात्राओं के चेहरे का रंग उड़ गया। नीरू मैडम भी वहीं की वहीं रह गई।
शब्दार्थ-
दुर्घटना- हादसा
बाकी- शेष, अन्य
समान– बराबर, एक जैसा
सांस्कृतिक कार्यक्रम- कला, गीत, नृत्य या अन्य गतिविधि
समूह- झुंड, टोली
रेंगता हुआ- धीरे-धीरे पेट के बल चलता हुआ
चेहरे का रंग उड़ना– डर जाना
व्याख्या- प्रस्तुत गद्याँश में दिवाकर के जीवन की पीड़ा और एक अचानक बने डरावने माहौल का चित्रण है। पिछले साल की दुर्घटना में उसकी एक टाँग चली गई थी, जिससे वह अपने साथियों से अलग और अधूरा महसूस करता था। उसके मन में हीनभावना रहती थी कि वह बाकी लड़कों जैसा नहीं है। वह मन ही मन सोच ही रहा था कि तभी नीरू मैडम ने सभी बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए बुला लिया। जब रोज़ गार्डन में सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हुआ, सब बच्चे पेड़ों के नीचे घास पर बैठकर आनंद ले रहे थे और दिवाकर सामने की बेंच पर था। तभी अचानक एक बड़ा साँप पेड़ों के बीच से निकलकर उनकी ओर बढ़ा। इतने बड़े साँप को देखकर बच्चों के चेहरे का रंग उड़ गया और वे डर से सहम गए। यहाँ तक कि नीरू मैडम भी घबराकर वहीं ठिठक गईं।
पाठ – साँप फन उठाकर फुंकार रहा था। दिवाकर ने देखा तो घबराया नहीं। वह गाँव में इस तरह के जानवरों को खेतों में कई बार देख चुका था। वह चीते की सी फुर्ती के साथ वहाँ पहुँच गया। उसकी निगाहें साँप पर थी। फिर अचानक उसने अपनी बैसाखी से साँप को उठाकर दूर फेंक दिया। छात्र छात्राओं में जैसे जान आ गई। नीरू मैडम ने दिवाकर की पीठ थपथपाते हुए कहा- ‘दिवाकर तुमने आज हम सब की जान बचाई है। तुमने तो कमाल कर दिया। तुम बाकई बहादुर हो – असली हीरो हो।”

अगले दिन प्रातःकालीन सभा में दिवाकर को उसकी सूझ बूझ व बहादुरी के लिए प्राचार्य महोदय ने सम्मानित किया । तालियों की गड़गड़ाहट में उसे भी अपनी पूर्णता का अहसास हो रहा था।
शब्दार्थ-
फन– साँप का ऊपर उठा हुआ सिर और फैलाया हुआ हिस्सा
फुंकारना- साँप का तेज़ आवाज़ निकालना, फुफकारना
फुर्ती– तेज़ी
निगाहें– नज़र, ध्यान
पीठ थपथपाना- प्रशंसा करना, शाबाशी देना
कमाल कर दिया– अद्भुत काम कर दिखाया
बहादुर– साहसी, वीर
असली हीरो- सच्चा नायक, सच्चा वीर
प्रातःकालीन सभा– सुबह की प्रार्थना सभा
सूझ-बूझ– समझदारी, सही निर्णय लेने की क्षमता
प्राचार्य महोदय- प्रधानाचार्य
सम्मानित- आदर से पुरस्कृत करना
तालियों की गड़गड़ाहट– तालियों की आवाज़
पूर्णता– पूरा
अहसास– महसूस करना
व्याख्या- इस अंश में दिवाकर की बहादुरी और आत्मविश्वास के विषय में बताया गया है। जब साँप फन उठाकर फुँकार रहा था, तब सब बच्चे और अध्यापिका घबरा गए, लेकिन दिवाकर डरा नहीं। गाँव में रहने के कारण उसने पहले भी कई बार ऐसे जानवर देखे थे। बिना समय गँवाए वह तुरंत आगे बढ़ा और अपनी बैसाखी से साँप को उठाकर दूर फेंक दिया। ऐसा करने से सभी में जैसे जान आ गयी। उसकी इस बहादुरी से सबकी जान बच गई। नीरू मैडम ने उसकी पीठ थपथपाकर उसकी वीरता की सराहना की कि दिवाकर आज तुमने सबकी जान बचा ली और उसे “असली हीरो” कहा। अगले दिन स्कूल की सभा में प्राचार्य ने भी उसकी सूझबूझ और साहस के लिए उसे सम्मानित किया। सभी ने उसकी ख़ूब प्रशंसा की और तालियाँ बजाई, जिससे पूरा वातावरण गूँज उठा। आज दिवाकर को अपनी पूर्णता का अहसास हो गया।
Conclusion
इस पोस्ट में ‘अहसास’ पाठ का सारांश, व्याख्या और शब्दार्थ दिए गए हैं। यह पाठ PSEB कक्षा 10 के पाठ्यक्रम में हिंदी की पाठ्यपुस्तक से लिया गया है। उषा आर. शर्मा द्वारा लिखित यह कहानी उन बच्चों की भावनाओं और संघर्षों को प्रस्तुत करती है जो शारीरिक रूप से चुनौतियों का सामना करते हैं। यह पोस्ट विद्यार्थियों को पाठ को सरलता से समझने, उसके मुख्य संदेश को ग्रहण करने और परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने में सहायक सिद्ध होगा।