PSEB Class 10 Hindi Chapter 9 Do Kalakaar (दो कलाकार) Question Answers (Important) 

 

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PSEB Class 10 Chapter 9 Do Kalakaar Textbook Questions

 

अभ्यास

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

(1) छात्रावास में रहने वाली दो सहेलियों के नाम क्या थे ?
उत्तर- छात्रावास में रहने वाली दो सहेलियों के नाम चित्रा और अरुणा थे।

(2) चित्रा कहानी के आरंभ में अरुणा को क्यों जगाती है ?
उत्तर– चित्रा कहानी के आरंभ में अरुणा को इसलिए जगाती है ताकि वह उसका नया बनाया हुआ चित्र देख सके।

(3) अरुणा चित्रा के चित्रों के बारे में क्या कहती है ?
उत्तर- अरुणा चित्रा के चित्रों के बारे में क्या कहती है कि कागज़ पर इन बेजान चित्रों को बनाने की बजाय दो-चार की जिन्दगी क्यों नहीं बना देती।

(4) अरुणा छात्रावास में रात को देर से लौटती है तो शीला उसके बारे में क्या कहती है ?
उत्तर– शीला अरुणा के गुणों की तारीफ़ करती है कि वह हमेशा दूसरों के बारे में सोचती हैं और आज देर से लौटने का कारण भी यही है कि वह फुलिया दाई के बीमार बच्चे की देखभाल करने गयीं थीं।

(5) चित्रा के पिता जी ने पत्र में क्या लिखा था ?
उत्तर– चित्रा के पिता जी ने पत्र में लिखा था कि जैसे ही उसकी पढ़ाई खत्म हो जाएगी, वह विदेश जा सकती है।

(6) अरुणा बाढ़ पीड़ितों की सहायता करके स्वयंसेवकों के दल के साथ कितने दिनों बाद लौटीं?
उत्तर– अरुणा बाढ़ पीड़ितों की सहायता करके स्वयंसेवकों के दल के साथ पंद्रह दिनों बाद लौटीं।

(7) विदेश में चित्रा के किस चित्र ने धूम मचायी थी ?
उत्तर– विदेश में चित्रा के ‘भिखमंगी और दो अनाथ बच्चों’ के चित्र ने धूम मचायी थी।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन चार पंक्तियों में दीजिए-
(1) अरुणा के समाज सेवा के कार्यों के बारे में लिखिए।
उत्तर- अरुणा ने हमेशा ही समाज के लिए कार्य किया है। वह छात्रावास में रहते हुए भी अपना समय गरीब बच्चों को पढ़ाने, महिलाओं को हुनर सिखाने, असहाय लोगों का जीवन बनाने में हमेशा तत्पर रहती है। वह बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए भी जाती है। यहाँ तक की वह दो अनाथ बच्चों को हमेशा के लिए अपने साथ रखती है और उनका पालन-पोषण भी करती है।

(2) मरी हुई भिखारिन और उसके दोनों बच्चों को उसके सूखे शरीर से चिपक कर रोते देख चित्रा ने क्या किया ?
उत्तर- मरी हुई भिखारिन और उसके दोनों बच्चों को उसके सूखे शरीर से चिपक कर रोते देख चित्रा से नहीं रहा गया और उसने इस दृश्य को कागज पर उतारना चाहा। उसे यह दृश्य अत्यंत मार्मिक लगा और उसने इसका तुरंत चित्र बना डाला।

(3) चित्रा की हॉस्टल से विदाई के समय अरुणा क्यों नहीं पहुँच सकी?
उत्तर– चित्रा की हॉस्टल से विदाई के समय अरुणा इसलिए नहीं पहुँच सकी क्योंकि इससे पहले जब चित्रा उस भिखारिन की मरने की खबर सुना रही थी साथ ही उसने उस दृश्य का चित्र बनाया। उस समय अरुणा ये सब बातें सुन रही थी और वह तुरंत उस स्थान पर पहुँच जाती है और भिखारिन के बच्चों को अपना लेती है। इसी समय चित्रा की रेलगाड़ी का समय भी हो गया था। चित्रा अरुणा का इंतज़ार करती रही परन्तु अरुणा उन बच्चों को सहारा देने के लिए उनके साथ थी और समय पर न पहुँच सकी।

(4) प्रदर्शनी में अरुणा के साथ कौन से बच्चे थे?
उत्तर– प्रदर्शनी में अरुणा के साथ वही दो बच्चे थे जो उस मरी हुई भिखारिन के बच्चे थे। जिनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी अरुणा ने ली थी। जब अरुणा को भिखारिन के मरने की खबर मिली थी तो वह तुरंत वहाँ जाकर उन बच्चों को अपना लेती है और उनका पालन-पोषण करती है। अब लड़के की उम्र दस और लड़की की उम्र आठ साल हो चुकी है।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात पंक्तियों में दीजिए-
(1) दो कलाकार कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मन्नू भंडारी की कहानी ‘दो कलाकार’ का उद्देश्य यह है कि सच्ची कला केवल कागज़ पर बने चित्रों या शोहरत तक सीमित नहीं होती, बल्कि दूसरों की ज़िंदगी में आशा, सहारा और ख़ुशी के रंग भरने में भी निहित है। चित्रा चित्रकार होकर नाम और पुरस्कार पाती है, जबकि अरुणा समाजसेवा करके अनाथों और गरीबों की ज़िंदगी बदलती है। लेखिका यह संदेश देती हैं कि मानवता की सेवा ही सबसे बड़ी कला है और यही जीवन का वास्तविक सौंदर्य है। इस कहानी में जन सेवा या मानवता की भावना को बहुत बड़ी कला माना है। इस कहानी के अनुसार सच्ची कला वही है जो मानवता की सेवा करे और दूसरों की जिंदगी को बेहतर बनाने में योगदान दे।

(2) दो कलाकार के आधार पर अरुणा का चरित्र चित्रण करे।
उत्तर– अरुणा का चरित्र-चित्रण-
सहानुभूतिपूर्ण और करुणामयी- अरुणा के भीतर दूसरों के दुख को महसूस करने की गहरी क्षमता है। वह सड़क पर बेसहारा बच्चों को अपनाती है और फुलिया दाई के बीमार बच्चे की सेवा में दिन-रात लगे रहती है और उसके मरने पर दुखी होती है, यह उसकी संवेदनशीलता को दिखाता है।
त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति- अरुणा अपने सुख-सुविधाओं की परवाह नहीं करती। बाढ़-पीड़ितों की सेवा के लिए स्वयंसेवक दल के साथ जाना और बुरी हालत में लौटना उसके त्याग और बलिदान का प्रमाण है।
मानवीय मूल्यों की पक्षधर- उसका मानना है कि कला तभी सार्थक है जब वह इंसान की जिंदगी को बेहतर बनाए। वह अपनी मित्र चित्रा से कहती है कि कागज पर इन बेजान चित्रों को बनाने की बजाय दो-चार की जिंदगी क्यों नहीं बनाती।

(3) चित्रा एक मंझी हुई चित्रकार है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर– चित्रा एक मंझी हुई चित्रकार है। उसके जीवन का मुख्य उद्देश्य कला-साधना ही है। उसके लिए चित्रकारी केवल शौक नहीं बल्कि जीवन का लक्ष्य है। वह चाहती है कि उसका नाम अमृता शेरगिल जैसी प्रसिद्ध कलाकारों की तरह अमर हो। उसके अंदर कला के माध्यम से प्रसिद्धि पाने की गहरी आकांक्षा है। वह अपने चित्रों की गुणवत्ता पर अत्यधिक विश्वास रखती है। वह मानती है कि उसके बनाए चित्र पुरस्कार पाने योग्य हैं।
चित्रा हमेशा मौके की तलाश में रहती है कि जैसे ही उसे कोई दृश्य दिखाई दे और वह उसे चित्रित कर दे। रास्ते में मरी हुई भिखारिन और उससे लिपटे हुए दो बच्चों को देखकर वह तुरंत उसका चित्र बनाना शुरू कर देती है। विदेश पहुँच कर वह बहुत मेहनत करती है और प्रसिद्धि पाती है। वह बहुत अच्छी चित्रकार बन जाती है और उसके चित्रों की प्रदर्शनी लगने लगती है।

(4) ‘दो कलाकार’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- ‘दो कलाकार’ कहानी मानवीय भावनाओं को स्पर्श करती है। चित्रा और अरुणा अंतरंग सहेलियाँ हैं। चित्रा चित्रकार है। उसकी तूलिका में जादू है। उसके बने चित्र राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत होते हैं। लेकिन अरुणा एक समाज सेविका है। वह बेसहारा लोगों को सहारा देती हैं। वह ईश्वर की बनाई इस सृष्टि में गरीब और बेसहारा लोगों की बेरंग जिन्दगी में अपनी सेवा से खूबसूरत रंग भर देती है। चित्रा का दो अनाथ बच्चों और उनकी मरी हुई माँ का चित्र कई पुरस्कार पाता है लेकिन अरुणा उन अनाथ बच्चों को अपनाकर उन्हें माँ का प्यार देकर उनके जीवन में कई रंग बिखेर देती है।
इस प्रकार शीर्षक पूरी तरह सार्थक है क्योंकि चित्रा कला की साधना से समाज की सेवा करना चाहती है, जबकि अरुणा प्रत्यक्ष समाज सेवा को ही सच्ची कला मानती है। दोनों की राहें अलग होते हुए भी उद्देश्य एक ही है, मानवता की सेवा। यही कारण है कि शीर्षक उपयुक्त और प्रभावी है।

(ख) भाषा – बोध
1. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझ कर इनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
मुहावरा                       अर्थ                                    वाक्य
राह देखना           बेसब्री से इंतज़ार करना              ____________
रोब खाना              प्रभाव या हस्ती मानना              ____________
आँखें छलछला     आना आँसू निकल आने               ____________
पीठ थपथपाना      हौसला शाबाशी देना                  ____________
धूम मचना            प्रसिद्धि होना                           ____________
उत्तर-

मुहावरा अर्थ वाक्य
राह देखना बेसब्री से इंतज़ार करना दोस्त मैदान में मोहन की राह देख रहे थे ताकि खेल शुरू कर सकें।
रोब खाना प्रभाव या हस्ती मानना अध्यापक का स्वभाव बहुत सख्त है, इसलिए बच्चे उन पर रोब खाते हैं।
आँखें छलछला आना आँसू निकल आना फिल्म का भावुक दृश्य देखकर उनकी आँखें छलछला आईं।
पीठ थपथपाना हौसला शाबाशी देना बच्चा पहली बार साइकल चला पाया, तो माँ ने उसकी पीठ थपथपाई
धूम मचना प्रसिद्धि होना चित्रा के नए चित्र की प्रदर्शनी में धूम मच गई

 

II. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखे :
बेवकूफी ___________ धनी ___________
बंधन ___________ बीमार ___________
गुण ___________ आदर्श ___________
विदेश ___________ शोहरत ___________
निरक्षरता ___________ जिन्दगी ___________
उत्तर-

शब्द विपरीत शब्द शब्द विपरीत शब्द
बेवकूफी समझदारी  धनी निर्धन 
बंधन मुक्त बीमार स्वस्थ
गुण अवगुण आदर्श अनादर्श/यथार्थ 
विदेश स्वदेश शोहरत बदनामी
निरक्षरता साक्षरता जिन्दगी मौत

 

निम्नलिखित का हिंदी में अनुवाद कीजिए-
(1) “ਮੇਰੇ ਬੱਚੇ ਹਨ, ਹੋਰ ਕਿਸਦੇ। ਇਹ ਤੁਹਾਡੀ ਚਿਤਰਾ ਮਾਸੀ ਹੈ, ਨਮਸਤੇ ਕਰੋ ਆਪਣੀ ਮਾਸੀ ਨੂੰ’’ ਅਰੁਨਾ ਨੇ ਹੁਕਮ ਦਿੱਤਾ।
(2) ਸੱਚ ? ਹੈਰਾਨੀ ਨਾਲ ਬੱਚੀ ਬੋਲ ਪਈ। ਫਿਰ ਤਾਂ ਮਾਸੀ, ਤੁਸੀ ਜ਼ਰੂਰ ਚਿੱਤਰਕਲਾ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲਾ ਨੰਬਰ ਲਿਆਉਂਦੀ ਹੋਵੇਗੀ। ਮੈਂ ਵੀ ਪਹਿਲਾ ਨੰਬਰ ਲਿਆਉਂਦੀ ਹਾਂ।
(3) ਚਿੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਨਹੀਂ, ਚਿਤਰਾ ਨੂੰ ਵੇਖਣ ਆਈ ਸੀ। ਤੂੰ ਤਾਂ ਇਕਦਮ ਭੁੱਲ ਹੀ ਗਈ |
उत्तर-

वाक्य हिंदी में अनुवाद
(1) “ਮੇਰੇ ਬੱਚੇ ਹਨ, ਹੋਰ ਕਿਸਦੇ। ਇਹ ਤੁਹਾਡੀ ਚਿਤਰਾ ਮਾਸੀ ਹੈ, ਨਮਸਤੇ ਕਰੋ ਆਪਣੀ ਮਾਸੀ ਨੂੰ’’ ਅਰੁਨਾ ਨੇ ਹੁਕਮ ਦਿੱਤਾ। “मेरे बच्चे हैं, और किसके ! ये तुम्हारी चित्रा मासी हैं, नमस्ते करो अपनी मासी को।” अरुणा ने आदेश दिया।
(2) ਸੱਚ ? ਹੈਰਾਨੀ ਨਾਲ ਬੱਚੀ ਬੋਲ ਪਈ। ਫਿਰ ਤਾਂ ਮਾਸੀ, ਤੁਸੀ ਜ਼ਰੂਰ ਚਿੱਤਰਕਲਾ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲਾ ਨੰਬਰ ਲਿਆਉਂਦੀ ਹੋਵੇਗੀ। ਮੈਂ ਵੀ ਪਹਿਲਾ ਨੰਬਰ ਲਿਆਉਂਦੀ ਹਾਂ। सच ? आश्चर्य से बच्ची बोल पड़ी। तब तो मासी, तुम ज़रूर चित्रकला में पहला नंबर लाती होगी। मैं भी पहला नंबर लाती हूँ
(3) ਚਿੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਨਹੀਂ, ਚਿਤਰਾ ਨੂੰ ਵੇਖਣ ਆਈ ਸੀ। ਤੂੰ ਤਾਂ ਇਕਦਮ ਭੁੱਲ ਹੀ ਗਈ | चित्रों को नहीं, चित्रा को देखने आई थी। तुम तो बिल्कुल भूल ही गई।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
(1) क्या आप ने भी अरुणा की तरह किसी जरूरतमंद या बेसहारा की मदद की है – अगर की है – तो उस प्रसंग को लिख कर अपने अध्यापक को दिखायें या कक्षा में सुनायें।
(2) स्कूल में हुई किसी चित्र प्रदर्शनी या प्रतियोगिता का अपने शब्दों में वर्णन करें।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता
(1) सभी विद्यार्थी मिलकर अपनी चित्रकला की प्रदर्शनी का आयोजन करें। यह आयोजन दीवाली आदि त्योहार पर किया जा सकता है।
(2) अपने विद्यालय या शहर में आयोजित होने वाली चित्रकला प्रदर्शनी को देखने जायें और चित्रकला से संबंधित ज्ञान प्राप्त करें।
(3) समाज भलाई का काम करने वाले प्रसिद्ध चरित्र मदर टेरेसा, फलोरेंस नाइटगेल, स्वामी दयानन्द आदि के जीवन के बारे में पढ़ें तथा इंटरनेट पर सहायतार्थ कार्य करने वालों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

PSEB Class 10 Hindi Lesson 9 दो कलाकार गद्यांश आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यान पूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1
“अरे, यह क्या ? इसमें तो सड़क, आदमी, ट्रॉम, बस, मोटर, मकान सब एक-दूसरे पर चढ़ रहे हैं, मानो सबकी खिचड़ी पकाकर रख दी हो। क्या घनचक्कर बनाया है ?” और उसने वह चित्र रख दिया।
“जरा सोचकर बता कि यह किसका प्रतीक है ?”
“तेरी बेवकूफी का। आयी है बड़ी प्रतीक वाली।”
“अरे, जनाब, यह चित्र आज के जीवन में चल रही उलझन की तरफ ध्यान खींचता है।”
“समझी, मुझे तो यह चित्र तेरे दिमाग में चल रही उलझन ही लग रही है। बिना मतलब जिन्दगी खराब कर रही है।” और अरुणा मुँह धोने के लिए बाहर चली गयी। लौटी तो देखा, तीन- चार बच्चे उसके कमरे के दरवाजे पर खड़े उसकी राह देख रहे हैं। आते ही बोले, “दीदी ! सब बच्चे आकर बैठ गये, चलिए। “
“आ गये सब बच्चे ? अच्छा चलो, मैं अभी आयी।” बच्चे दौड़ पड़े।
“क्या ये बन्दर पाल रखे हैं तूने भी ?” फिर जरा हँसकर चित्रा बोली, “एक दिन तेरी पाठशाला का चित्र बनाना होगा। ज़रा लोगों को दिखाया ही करेंगे कि हमारी एक ऐसी मित्र साहब थीं जो सारे दाइयों, चपरासियों और दुनिया भर के बच्चों को पढ़ा- पढ़ाकर ही अपने को भारी पण्डिता और समाज सेविका समझती थी।”
“जा जा समझते हैं तो समझते हैं। तू जाकर सारी दुनिया में ढिंडोरा पिटाना, हमें कोई शरम है क्या ? तेरी तरह लकीरें खींचकर तो समय बर्बाद नहीं करते।” और पैर में चप्पल डालकर वह बाहर मैदान में चली गयी, जहाँ एक छोटी-सी पाठशाला बनी हुई थी।

1.चित्रा के बनाए चित्र में क्या-क्या दिखाया गया था?
(क) केवल मकान और पेड़
(ख) सड़क, आदमी, ट्रॉम, बस, मोटर, मकान
(ग) बच्चे और पाठशाला
(घ) खेत और किसान
उत्तर- (ख) सड़क, आदमी, ट्रॉम, बस, मोटर, मकान

2. चित्रा के चित्र का प्रतीक क्या बताया गया?
(क) शांति और सादगी का जीवन
(ख) प्रकृति की सुंदरता
(ग) आज के जीवन की उलझनें
(घ) बच्चों की मासूमियत
उत्तर- (ग) आज के जीवन की उलझनें

3. अरुणा बच्चों को पढ़ाने कहाँ जाती थी?
(क) छोटी-सी पाठशाला
(ख) मंदिर
(ग) चित्रा का घर
(घ) बगीचा
उत्तर– (क) छोटी-सी पाठशाला

4. चित्रा और अरुणा के विचारों में मुख्य भिन्नता क्या थी?
उत्तर- चित्रा अपनी चित्रकलाओं में जीवन की उलझनों और सामाजिक वास्तविकताओं को दर्शाने का प्रयास करती थी, जबकि अरुणा शिक्षा और समाज सेवा के माध्यम से लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में विश्वास रखती थी। एक चित्रों से समाज को बदलना चाहती थी, तो दूसरी शिक्षा और सेवा को जीवन का उद्देश्य मानती थी।

5. अरुणा का बच्चों के प्रति क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर– अरुणा का बच्चों के प्रति गहरा स्नेह और जिम्मेदारी का भाव था। वह उन्हें अपनी राह देखता देख तुरंत उनके साथ पाठशाला जाने को तैयार हो गई। अरुणा शिक्षा को सेवा और समाज सुधार का साधन मानती थी तथा बच्चों के भविष्य को संवारने में अपना योगदान देती थी।

2
रात के दस बजे थे। सारे छात्रावास की बत्तियाँ हमेशा की तरह बुझ चुकी थीं। ऊपर के एक तल्ले पर अँधेरे में ही खुसर- फुसर चल रही थी। रविवार के दिन तो यों ही छुट्टी होती है। दूसरे दिन के समय में काफी नींद निकाल ली जाती थी, सो दस बजे लड़कियों को किसी तरह भी नींद नहीं आती थी। तभी छात्रावास के फाटक में जलती हुई टॉर्च लिए कोई घुसा। अपने कमरे की खिड़की में से झाँकते हुए सविता ने कहा, “ठाठ तो छात्रावास में बस अरुणा ही के हैं, रात नौ बजे लौटो, दस बजे लौटो, कोई बंधन नहीं। हम लोग तो दस के बाद बत्ती भी नहीं जला सकते।”
“लौट आई अरुणा दी ? आज सवेरे से ही वे बड़ी परेशान थी। फुलिया दाई का बच्चा बड़ा बीमार था, दोपहर से वे उसी के यहां बैठी थी। पता नहीं, क्या हुआ बेचारे का ?” शीला ने ठंडी साँस भरते हुए कहा।
“तू बड़ी भक्त है अरुणा दी की !”
“उनके जैसे गुण अपना ले तो तेरी भी भक्त हो जाऊँगी।”
“मैं कहती हूँ, उन्हें यही सब करना है तो कहीं और रहें, छात्रावास में रहकर यह जो नवाबी चलाती हैं, सो तो हमसे बर्दाश्त नहीं होती। सारी लड़कियाँ डरती हैं तो कुछ कहती नहीं, पर प्रिंसिपल और वार्डन तक रोब खाती है इनका, तभी तो सब प्रकार की छूट दे रखी हैं।”
“तू भी जिस दिन हाड़ तोड़कर दूसरों के लिए यों मेहनत करने लग जायेगी न, उस दिन तेरा भी सब रोब खाने लगेंगे। पर तुम्हें तो सजने-संवरने से ही फुर्सत नहीं मिलती, दूसरों के लिए क्या खाक काम करोगी।”
“अच्छा-अच्छा चल, अपना भाषण अपने पास रख।”

1.रात के कितने बजे की घटना का वर्णन है?
(क) नौ बजे
(ख) दस बजे
(ग) ग्यारह बजे
(घ) बारह बजे
उत्तर– (ख) दस बजे

2. अरुणा किस कारण से सवेरे से परेशान थी?
(क) छात्रावास का कामकाज अधिक था
(ख) उसे चित्रा से झगड़ा हुआ था
(ग) फुलिया दाई का बच्चा बीमार था
(घ) उसे बाहर पढ़ाने जाना पड़ा था
उत्तर– (ग) फुलिया दाई का बच्चा बीमार था

3. लड़कियों के अनुसार अरुणा को छात्रावास में किस कारण छूट मिली हुई थी?
(क) अरुणा प्रिंसिपल और वार्डन पर रोब डालती थी
(ख) अरुणा बहुत पढ़ाई करती थी
(ग) अरुणा अमीर परिवार से थी
(घ) अरुणा सजने-संवरने में समय देती थी
उत्तर- (क) अरुणा प्रिंसिपल और वार्डन पर रोब डालती थी

4. छात्रावास की अन्य लड़कियाँ अरुणा के प्रति कैसी सोच रखती थीं?
उत्तर- छात्रावास की कुछ लड़कियाँ अरुणा की मददगार और परोपकारी प्रवृत्ति की प्रशंसा करती थीं, जबकि कुछ लड़कियाँ उसे ‘नवाबी चलाने वाली’ मानकर नाराज़ रहती थीं। उनका मानना था कि प्रिंसिपल और वार्डन तक अरुणा का रोब खाते हैं, इसलिए उसे हर प्रकार की छूट मिल जाती है। इस प्रकार उनके मन में ईर्ष्या और विरोध की भावना भी थी।

5. अरुणा के व्यक्तित्व के कौन-से गुण इस प्रसंग से प्रकट होते हैं?
उत्तर- इस प्रसंग से अरुणा के त्याग, सेवा-भाव और परोपकारी गुण सामने आते हैं। वह फुलिया दाई के बीमार बच्चे की देखभाल के लिए सुबह से लगी रही और अपने आराम तक का त्याग कर दिया। वह दूसरों की पीड़ा को अपनी मानकर सेवा करती थी। यही कारण है कि कुछ लोग उसकी आलोचना करते हुए भी उसके गुणों की प्रशंसा करने से चूकते नहीं थे।

3
अरुणा अपने कमरे में घुसी तो बहुत ही धीरे से जिससे चित्रा की नींद न खराब हो। पर चित्रा जग ही रही थी। दोपहर से अरुणा बिना खाये पिये बाहर थी, उसे नींद कैसे आती भला ? मेस से उसका खाना लेकर उसे मेज़ पर ढककर रख दिया था। अरुणा के आते ही वह उठ बैठी और पूछा, “बड़ी देर लग गयी, क्या हुआ रूनी !”
“वह बच्चा नहीं बचा, चित्रा। किसी तरह उसे नहीं बचा सके।” और उसका स्वर किसी गहरे दुःख में डूब गया।
चित्रा ने माचिस लेकर लालटेन जलाया और स्टोव जलाने लगी, खाना गरम करने के लिए। तभी अरुणा ने कहा, “रहने दे चित्रा, मैं खाऊँगी नहीं, मुझे जरा भी भूख नहीं है। “और उसकी आँखें फिर छलछला आईं।
बहुत ही स्नेह से अरुणा की पीठ थपथपाते हुए चित्रा ने कहा, “जो होना था सो हो गया, अब भूखे रहने से क्या होगा, थोड़ा-बहुत खा ले।”
“नहीं चित्रा, अब रहने दे, बस तू लालटेन बुझा दे।”
उसके बाद दो-तीन दिन तक अरुणा बहुत ही उदास रहीं, लेकिन समय के साथ-साथ वह दुःख भी जाता रहा, और सब काम ज्यों-का-त्यों चलने लगा।
चार बजते ही कॉलेज से सारी लड़कियाँ लौट आई पर अरुणा नहीं लौटी। चित्रा चाय के लिए उसका इंतजार कर रही थी। “पता नहीं कहाँ-कहाँ अटक जाती है, बस इसके पीछे बैठे रहा करो।”
“अरे, क्यों बड़-बड़ कर रही है। ले मैं आ गई। चल बना चाय।”

1.अरुणा इतनी धीरे से अपने कमरे में क्यों घुसी?
(क) ताकि चित्रा की नींद न खराब हो
(ख) ताकि किसी को पता न चले
(ग) ताकि बच्चे जाग न जाएँ
(घ) ताकि वार्डन न देख ले
उत्तर- (क) ताकि चित्रा की नींद न खराब हो

2. अरुणा क्यों बहुत दुखी थी?
(क) परीक्षा में असफल हो गई थी
(ख) उसको बाहर जाने की अनुमति नहीं मिली
(ग) फुलिया दाई का बच्चा बच नहीं सका
(घ) छात्रावास की लड़कियों से झगड़ा हो गया था
उत्तर– (ग) फुलिया दाई का बच्चा बच नहीं सका

3. अरुणा ने खाना क्यों नहीं खाया?
(क) उसे स्वाद अच्छा नहीं लगा
(ख) वह बीमार थी
(ग) उसे बहुत गुस्सा था
(घ) गहरे दुःख के कारण उसे भूख नहीं थी
उत्तर– (घ) गहरे दुःख के कारण उसे भूख नहीं थी

4. अरुणा के दुःख में चित्रा ने किस प्रकार उसका साथ दिया?
उत्तर- चित्रा ने अरुणा को बहुत स्नेह और धैर्य से संभाला। उसने लालटेन जलाकर खाना गरम करने की कोशिश की और अरुणा को समझाया कि भूखे रहने से कोई समस्या हल नहीं होगी। वह लगातार उसका मन बहलाने और सहारा देने का प्रयास करती रही।

5. इस गद्याँश से अरुणा के व्यक्तित्व का कौन-सा पहलू सामने आता है?
उत्तर– इस गद्याँश से अरुणा का संवेदनशील और करुणामयी स्वभाव प्रकट होता है। वह फुलिया दाई के बच्चे की मृत्यु से इतनी गहराई से प्रभावित हुई कि उसे खाने-पीने तक की इच्छा नहीं रही।

4
“कागज़ पर इन बेजान चित्रों को बनाने की बजाय दो-चार की जिन्दगी क्यों नहीं बना देती!”
“वह काम तो तेरे और मनोज के लिए छोड़ दिया है। तुम दोनों ब्याह कर लो और फिर जल्दी से सारी दुनिया का कल्याण करने के लिए झंडा लेकर निकल पड़ना।” और चित्रा हँस पड़ी। फिर बोली-
‘’अच्छा, यह बता कि तेरे यह सब करने से ही क्या हो जायेगा ? तूने अपनी अनोखी पाठशाला में दस-बीस बच्चे पढ़ा दिये, तो क्या निरक्षरता मिट जायगी, या झोंपड़ी में कुछ औरतों को हुनर सिखाकर कुछ कमाने लायक बना दिया तो उससे गरीबी मिट जायगी ? अरे, यह सब काम एक के किये होते नहीं। जब तक समाज का सारा ढाँचा नहीं बदलता तब तक कुछ होने का नहीं, और ढाँचा ही बदल गया तो तेरे मेरे कुछ करने की ज़रूरत नहीं, सब अपने आप ही हो जायेगा।”
तीन दिन से तेज़ वर्षा हो रही थी। रोज़ अखबारों में बाढ़ की खबरें आती थीं। बाढ़ पीड़ितों की दशा बिगड़ती जा रही थी।
“आज शाम को एक स्वयंसेवकों का दल जा रहा है। प्रिंसिपल से अनुमति ले ली, मैं भी उनके साथ जा रही हूँ।” शाम को अरुणा चली गयी। पंद्रह दिन बाद वह लौटी तो उसकी हालत काफी खस्ता हो गयी थी। सूरत ऐसी निकल आयी थी मानो छः महीने से बीमार हो।

1. चित्रा ने अरुणा से क्या कहा कि वह काम किसके लिए छोड़ दिया है?
(क) उसके और बच्चों के लिए
(ख) उसके और मनोज के लिए
(ग) उसके और वार्डन के लिए
(घ) उसके और अध्यापिकाओं के लिए
उत्तर- (ख) उसके और मनोज के लिए

2. चित्रा के अनुसार, गरीबी और निरक्षरता कब मिट सकती है?
(क) जब हर व्यक्ति मेहनत करे
(ख) जब चित्रा चित्र बनाए
(ग) जब समाज का पूरा ढाँचा बदल जाए
(घ) जब सभी पढ़ाई करें
उत्तर- (ग) जब समाज का पूरा ढाँचा बदल जाए

3. अरुणा स्वयंसेवकों के दल के साथ कहाँ गयी थी?
(क) स्कूल में पढ़ाने
(ख) प्रदर्शनी में
(ग) वार्डन के साथ यात्रा करने
(घ) बाढ़ पीड़ितों की मदद करने
उत्तर- (घ) बाढ़ पीड़ितों की मदद करने

4. चित्रा और अरुणा के विचारों में क्या अंतर दिखाई देता है?
उत्तर- चित्रा का मानना है कि व्यक्तिगत प्रयासों से समाज की बड़ी समस्याएँ, जैसे निरक्षरता और गरीबी, दूर नहीं हो सकतीं। उसके अनुसार, जब तक समाज का संपूर्ण ढाँचा नहीं बदलेगा, तब तक छोटे-छोटे प्रयास व्यर्थ हैं। इसके विपरीत, अरुणा मानवीय संवेदनाओं को महत्व देती है और हर संभव सेवा करना आवश्यक मानती है।

5. अरुणा की बाढ़ पीड़ितों की सेवा से उसका कौन-सा गुण प्रकट होता है?
उत्तर- अरुणा की सेवा भावना और त्याग का गुण स्पष्ट रूप से सामने आता है। वह अपनी सेहत की परवाह किए बिना बाढ़ प्रभावित लोगों की सहायता के लिए जाती है। पंद्रह दिन बाद लौटने पर उसकी हालत काफी खराब हो चुकी थी।

PSEB Class 10 Hindi Lesson 9 दो कलाकार बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1.चित्रा की सबसे बड़ी आकांक्षा क्या है?
(क) समाज सेवा
(ख) विदेश में प्रसिद्धि
(ग) बच्चों की शिक्षा
(घ) पुरस्कार जीतना
उत्तर- (ख) विदेश में प्रसिद्धि

2. कहानी के अंत में चित्रा और अरुणा का मिलन कैसा है?
(क) उदास और अलगावपूर्ण
(ख) प्रेमपूर्ण और मिलनसार
(ग) बिना बातचीत के
(घ) केवल पत्रों के माध्यम से
उत्तर– (ख) प्रेमपूर्ण और मिलनसार

3. चित्रा का नया चित्र अरुणा को कैसा लगता है?
(क) सुंदर
(ख) हास्यास्पद
(ग) उलझन भरा और समझ से बाहर
(घ) पुरस्कार जीतने योग्य
उत्तर- (ग) उलझन भरा और समझ से बाहर

4. चित्रा का ‘अनाथ’ चित्र दर्शकों पर क्या प्रभाव डालता है?
(क) खुशी
(ख) स्तब्धता और सहानुभूति
(ग) निराशा
(घ) उदासी
उत्तर– (ख) स्तब्धता और सहानुभूति

5. चित्रा विदेश जाने के बाद अरुणा से संपर्क क्यों कम कर देती है?
(क) नई कल्पनाओं और चित्रों में व्यस्त हो जाती है
(ख) उसने अरुणा को भुला दिया
(ग) वह समाज सेवा में लग जाती है
(घ) पत्राचार बंद कर दिया
उत्तर– (क) नई कल्पनाओं और चित्रों में व्यस्त हो जाती है

6. अरुणा का व्यवहार बच्चों के प्रति कैसा है?
(क) कठोर
(ख) मजाकिया
(ग) उदासीन
(घ) स्नेही और सहायक
उत्तर– (घ) स्नेही और सहायक

7. चित्रा और अरुणा की सोच में मुख्य अंतर क्या है?
(क) चित्रा व्यावहारिक, अरुणा कलात्मक
(ख) चित्रा कलात्मक, अरुणा सामाजिक सेवा में व्यस्त
(ग) चित्रा समाजसेविका, अरुणा चित्रकार
(घ) दोनों में कोई अंतर नहीं
उत्तर– (ख) चित्रा कलात्मक, अरुणा सामाजिक सेवा में व्यस्त

8. अरुणा अपने प्रयास से क्या साबित करती है?
(क) कला ही सबसे महत्वपूर्ण है
(ख) पुरस्कार सबसे बड़ी खुशी है
(ग) मानव सेवा सबसे बड़ी कला है
(घ) विदेश यात्रा जरूरी है
उत्तर- (ग) मानव सेवा सबसे बड़ी कला है

9. कहानी का शीर्षक ‘दो कलाकार’ किसलिए उपयुक्त है?
(क) क्योंकि दोनों चित्र बनाते हैं
(ख) क्योंकि दोनों पुरस्कार जीतते हैं
(ग) क्योंकि दोनों विदेश जाते हैं
(घ) क्योंकि दोनों जीवन को सुंदर बनाते हैं
उत्तर- (घ) क्योंकि दोनों जीवन को सुंदर बनाते हैं

10. अरुणा की उदासी का कारण क्या है?
(क) प्रशंसा न मिलना
(ख) बीमार बच्चे को बचा नहीं पाना
(ग) पुरस्कार न जीतना
(घ) विदेश यात्रा
उत्तर- (ख) बीमार बच्चे को बचा नहीं पाना

11. चित्रा ने किस घटना के कारण अपनी मुलाकात में देर की?
(क) भिखारिन और उसके बच्चों का चित्र बनाने में व्यस्त थी
(ख) भोजन बनाने में व्यस्त थी
(ग) यात्रा के कारण
(घ) प्रतियोगिता में भाग लेने में
उत्तर– (क) भिखारिन और उसके बच्चों का चित्र बनाने में व्यस्त थी

12. कहानी में बच्चों की प्रतिक्रिया कैसी है जब वे चित्रा को देखते हैं?
(क) डरते हैं
(ख) चुप रहते हैं
(ग) नमस्ते और स्नेह करते हैं
(घ) चित्र बनाते हैं
उत्तर– (ग) नमस्ते और स्नेह करते हैं

13. अरुणा का मानना है कि कला से ज़्यादा क्या महत्वपूर्ण है?
(क) पुरस्कार पाना
(ख) विदेश जाना
(ग) दूसरों की सेवा करना
(घ) खुद की प्रसिद्धि
उत्तर- (ग) दूसरों की सेवा करना

14. ‘दो कलाकार’ कहानी की रचयिता हैं-
(क) मन्नू भंडारी
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) सुभद्रा कुमारी चौहान
(घ) महाश्वेता देवी
उत्तर– (क) मन्नू भंडारी

15. चित्रा को विदेश जाने पर कैसा अनुभव होता है?
(क) उदासी का
(ख) खुशी और सफलता का
(ग) निराशा का
(घ) डर का
उत्तर- (ख) खुशी और सफलता का

16. अरुणा चित्र को देखकर क्या कहती है?
(क) यह बहुत सुंदर है
(ख) यह किसी जीव की तस्वीर है
(ग) समझ में नहीं आ रहा कि यह किसका चित्र है
(घ) यह पुरस्कार जीत सकता है
उत्तर- (ग) समझ में नहीं आ रहा कि यह किसका चित्र है

17. चित्रा ने अरुणा को क्यों जगाया?
(क) पत्र पढ़ने के लिए
(ख) नया चित्र दिखाने के लिए
(ग) बच्चों को बुलाने के लिए
(घ) खाना खिलाने के लिए
उत्तर– (ख) नया चित्र दिखाने के लिए

18. कहानी में अरुणा किसका जीवन बदल देती है?
(क) अनाथ बच्चों का
(ख) चित्रकारों का
(ग) प्रतियोगिता जीतने वालों का
(घ) चित्रों के देखने वालों का
उत्तर- (क) अनाथ बच्चों का

19. चित्रा के चित्र किस स्तर पर पुरस्कृत होते हैं?
(क) केवल राष्ट्रीय स्तर पर
(ख) केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
(ग) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर
(घ) विद्यालय स्तर पर
उत्तर– (ग) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर

20. अरुणा का कार्य क्या है?
(क) बच्चों को पढ़ाना और गरीबों की मदद करना
(ख) चित्र बनाना
(ग) प्रतियोगिताओं में भाग लेना
(घ) विदेश यात्रा करना
उत्तर– (क) बच्चों को पढ़ाना और गरीबों की मदद करना

PSEB Class 10 Hindi दो कलाकार प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)

1.चित्रा और अरुणा की मित्रता किस प्रकार की है?
उत्तर- चित्रा और अरुणा अंतरंग सहेलियाँ हैं। चित्रा चित्रकार है और अपनी कला से पहचान बनाती है, जबकि अरुणा समाज सेवा में लगी रहती है। दोनों अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट हैं। उनकी मित्रता आपसी समझ, सम्मान और प्रेम पर आधारित है, जिससे उनकी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में सामंजस्य दिखाई देता है।

2. अरुणा का समाज सेवा में योगदान क्या है?
उत्तर– अरुणा बेसहारा लोगों और बच्चों की सेवा करती है। वह अनाथ बच्चों को अपनाकर माँ का प्यार देती है और गरीबों की जिंदगी में रंग भरती है। वह पाठशालाओं में बच्चों को पढ़ाती है और महिलाओं को हुनर सिखाती है।

3. चित्रा की चित्रकला में क्या विशेषता है?
उत्तर- चित्रा की चित्रकला में जादू है। उसके बनाए चित्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करते हैं। उसकी कला देखकर लोग प्रभावित होते हैं। विशेष रूप से उसने अनाथ बच्चों और भिखमंगी का चित्र बनाया, जो दर्शकों के मन को छू जाता है। उसकी कला में भाव, कल्पना और सौंदर्य की अनुभूति होती है।

4. अरुणा और चित्रा के दृष्टिकोण में अंतर क्या है?
उत्तर– चित्रा कला में उत्कृष्टता को सर्वोच्च मानती है, जबकि अरुणा मानती है कि मानवता और समाज सेवा असली कला है। चित्रा चित्र बनाती है और पुरस्कार पाती है, जबकि अरुणा लोगों की जिंदगी बदलकर उनके जीवन में रंग भरती है। दोनों ही ‘कलाकार’ हैं, पर उनके दृष्टिकोण अलग हैं: एक बाहरी रूप से, दूसरी जीवन में।

5. कहानी में ‘दो कलाकार’ शीर्षक का महत्व क्या है?
उत्तर- ‘दो कलाकार’ शीर्षक कहानी के मूल भाव को स्पष्ट करता है। यह चित्रा और अरुणा दोनों की कलात्मकता को दर्शाता है, चित्रा की चित्रकला और अरुणा की मानवता।

6. चित्रा ने अरुणा को क्यों जगाया?
उत्तर- चित्रा ने अरुणा को इसलिए जगाया क्योंकि उसका नया चित्र पूरा हो गया था और वह उसे तुरंत दिखाना चाहती थी। उसने चादर खींचकर अरुणा को झकझोरते हुए उठाया। अरुणा थोड़ी खीज में थी, लेकिन चित्रा ने उसे हाथ पकड़कर चित्र के पास खड़ा किया और गर्व से कहा कि यह चित्र बहुत अच्छा बना है और पुरस्कार पाने योग्य है।

7. छात्रावास के समय अरुणा के प्रति लड़कियों की प्रतिक्रिया क्या थी?
उत्तर- छात्रावास में दस बजे बत्तियाँ बुझ जाती हैं, लेकिन अरुणा देर से आती थी। सविता ने कहा कि छात्रावास में असली ठाठ अरुणा के हैं। शीला ने अरुणा का पक्ष लिया और कहा कि वह सेवा और मेहनत में लगी रहती है। अन्य छात्राएँ उसे देखकर थोड़ी ईर्ष्या करती थीं, लेकिन अरुणा की समर्पित भावना और मेहनत का सभी सम्मान करते थे।

8. अरुणा का दुःख चित्रा को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर– जब अरुणा किसी बच्चे की मृत्यु या अन्य दुखद स्थिति से पीड़ित होती है, तो चित्रा तुरंत उसकी चिंता करती है। वह लालटेन जलाकर खाना गरम करती है और स्नेह से अरुणा को सहारा देती है। अरुणा के गहरे दुःख और संवेदनशील स्वभाव को देखकर चित्रा भी दुःखी होती है और उसकी मदद करने का प्रयास करती है।

9. विदेश में चित्रा का जीवन और सफलता कैसी रही?
उत्तर- विदेश में चित्रा ने पूरी मेहनत और लगन से चित्रकला में सफलता पाई। उसके चित्रों की धूम मच गई। विशेषकर भिखमंगी और अनाथ बच्चों वाला चित्र अखबारों में चर्चा का विषय बना। उसे अनेक पुरस्कार और शोहरत मिली।

10. ‘दो कलाकार’ कहानी से क्या सन्देश मिलता है?
उत्तर– कहानी से यह संदेश मिलता है कि कला केवल सुंदर चित्र बनाने तक सीमित नहीं है। मानवता और समाज सेवा भी बड़ी कला हैं। चित्रा और अरुणा दोनों अलग-अलग प्रकार से कलाकार हैं, एक चित्र में, दूसरी जीवन में।