अरुणा और चित्रा का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Aruna and Chitra from PSEB Class 10 Hindi Book Chapter 9 Do Kalakaar

 

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अरुणा का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Aruna)

मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध कहानी ‘दो कलाकार’ में अरुणा का चरित्र समाजसेवा, त्याग और मानवीय संवेदनाओं का प्रतीक बनकर सामने आता है। अरुणा का जीवन दूसरों की सेवा और दुख-दर्द बाँटने में बीतता है। वह गरीब, बीमार और निराश्रित लोगों की मदद करके सच्ची संतुष्टि पाती है। अरुणा सरल, सहृदय, उदार और करुणा से भरी हुई युवती है। उसका चरित्र इस कहानी में चित्रा के बिल्कुल विपरीत दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है और यह बताता है कि समाज को संवारने में निस्वार्थ सेवा का भी उतना ही महत्व है जितना कला और यश का।

  1. समाजसेवा में समर्पित- अरुणा का जीवन पूरी तरह समाजसेवा के लिए समर्पित है। वह गरीब, बेसहारा और असहाय लोगों की मदद करने में ही अपनी खुशी तलाशती है। पाठशाला चलाकर बच्चों को शिक्षित करना और औरतों को हुनर सिखाना उसका उद्देश्य है।
  2. सहानुभूतिपूर्ण और करुणामयी– अरुणा के भीतर दूसरों के दुख को महसूस करने की गहरी क्षमता है। वह सड़क पर बेसहारा बच्चों को अपनाती है और फुलिया दाई के बीमार बच्चे की सेवा में दिन-रात लगे रहती है और उसके मरने पर दुखी होती है, यह उसकी संवेदनशीलता को दिखाता है। 
  3. त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति– अरुणा अपने सुख-सुविधाओं की परवाह नहीं करती। बाढ़-पीड़ितों की सेवा के लिए स्वयंसेवक दल के साथ जाना और बुरी हालत में लौटना उसके त्याग और बलिदान का प्रमाण है।
  4. सादगी और आदर्शवादिता– वह भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर रहकर सादगीपूर्ण जीवन जीती है। पत्रों में भी वह आदर्शवादी बातें लिखती है, जिससे उसके उच्च विचारों का पता चलता है।
  5. निडर और आत्मविश्वासी– अरुणा बिना किसी झिझक के समाजसेवा को महत्व देती है। छात्रावास में भी उसे देर से लौटने की छूट मिलती है क्योंकि सब उसकी ईमानदारी और निस्वार्थ सेवा-भाव से प्रभावित हैं।
  6. मानवीय मूल्यों की पक्षधर– उसका मानना है कि कला तभी सार्थक है जब वह इंसान की जिंदगी को बेहतर बनाए। वह अपनी मित्र चित्रा से कहती है कि कागज पर इन बेजान चित्रों को बनाने की बजाय दो-चार की जिंदगी क्यों नहीं बनाती। 

 

अरुणा के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to the Character of Aruna)

Q1. अरुणा के चरित्र को उजागर कीजिये।
Q2. अरुणा का चरित्र चित्र से भिन्न कैसे है ?

 

चित्रा का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Chitra)

मन्नू भंडारी की कहानी ‘दो कलाकार’ में चित्रा एक चित्रकार के रूप में प्रस्तुत की गई है। वह कला-प्रेमी, महत्वाकांक्षी और आत्मविश्वास से भरी हुई युवती है। उसके बनाए चित्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत होते हैं। कहानी में उसका चरित्र अरुणा के विपरीत दृष्टिकोण को सामने लाता है।

  1. कला-प्रेमी और महत्वाकांक्षी– चित्रा के जीवन का मुख्य उद्देश्य कला-साधना है। उसके लिए चित्रकारी केवल शौक नहीं बल्कि जीवन का लक्ष्य है। वह चाहती है कि उसका नाम अमृता शेरगिल जैसी प्रसिद्ध कलाकारों की तरह अमर हो। उसके अंदर कला के माध्यम से प्रसिद्धि पाने की गहरी आकांक्षा है।
  2. आत्मविश्वासी और जिद्दी– चित्रा अपने चित्रों की गुणवत्ता पर अत्यधिक विश्वास रखती है। वह मानती है कि उसके बनाए चित्र पुरस्कार पाने योग्य हैं। कभी-कभी उसका यह आत्मविश्वास ज़िद का रूप भी ले लेता है, क्योंकि वह अपने दृष्टिकोण को ही सही मानती है और दूसरों की राय को अधिक महत्व नहीं देती।
  3. भौतिकवादी दृष्टिकोण– चित्रा मानती है कि समाज की बड़ी समस्याएँ केवल व्यक्तिगत प्रयासों से हल नहीं हो सकतीं। वह अरुणा की समाज सेवा को क्षणिक और सीमित मानती है तथा कला को ऊँचा दर्जा देती है। उसका दृष्टिकोण व्यावहारिक और कुछ हद तक भौतिकवादी दिखाई देता है।
  4. भावुक और सहानुभूतिशील- हालाँकि चित्रा व्यावहारिक और महत्वाकांक्षी है, परंतु उसमें मानवीय संवेदनाएँ भी हैं। जब अरुणा दुखी होती है, तो वह उसका हौसला बढ़ाती है, स्नेहपूर्वक उसका दुख बाँटती है और उसकी देखभाल करती है। इससे उसका संवेदनशील और भावुक स्वभाव सामने आता है।
  5. मित्रवत और हँसमुख- चित्रा और अरुणा के बीच घनिष्ठ मित्रता है। वह अक्सर अरुणा से मज़ाक करती है, उसे चिढ़ाती है और उसकी खिंचाई करती है। उसके भीतर एक हँसमुख और मिलनसार स्वभाव झलकता है।

चित्रा का चरित्र महत्वाकांक्षा, कला-प्रेम और आत्मविश्वास से भरा हुआ है। वह कला को जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य मानती है। 

 

चित्रा के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to the Character of Chitra)

Q1. कैसे पता चलता है की चित्रा कला प्रेमी है ?
Q2. चित्रा की महत्वकांक्षाओं के बारे में लिखिए।