PSEB Class 10 Hindi Chapter 8 Ashikshit Ka Hriday (अशिक्षित का हृदय) Question Answers (Important) 

 

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PSEB Class 10 Chapter 8 Ashikshit Ka Hriday Textbook Questions

 

अभ्यास

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए-

(1) बूढ़े मनोहर सिंह का नीम का पेड़ किसके पास गिरवी था ?
उत्तर – बूढ़े मनोहर सिंह का नीम का पेड़ ठाकुर शिवपाल सिंह के पास गिरवी था।

(2) ठाकुर शिवपाल सिंह रुपये न लौटाए जाने पर किस बात की धमकी देता है?
उत्तर – ठाकुर शिवपाल सिंह रुपये न लौटाए जाने पर मनोहर के आंगन में लगे नीम के पेड़ को काटने की धमकी देता है।

(3) मनोहर सिंह ने रुपये लौटाने की मोहलत कब तक की मांगी थी ?
उत्तर – मनोहर सिंह ने रुपये लौटाने के लिए एक सप्ताह की मोहलत मांगी थी।

(4) नीम का वृक्ष किसके हाथ का लगाया हुआ था ?
उत्तर – नीम का वृक्ष, मनोहर सिंह के पिता के हाथ का लगाया हुआ था।

(5) तेजा सिंह कौन था?
उत्तर – तेजा सिंह पंद्रह-सोलह साल का बालक था। वह गाँव के एक प्रतिष्ठित किसान का बेटा था।

(6) ठाकुर शिवपाल सिंह का कर्ज अदा हो जाने के बाद मनोहर सिंह ने अपने नीम के पेड़ के विषय में क्या निर्णय लिया?
उत्तर – ठाकुर शिवपाल सिंह का कर्ज अदा हो जाने के बाद मनोहर सिंह ने अपने नीम के पेड़ के विषय में निर्णय लिया कि वह अपना नीम का पेड़ नहीं कटने देगा और वह पेड़ अब तेजा सिंह का होगा।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए :-

प्रश्न 1 – मनोहर सिंह ने अपने नीम के पेड़ को गिरवी क्यों रखा ?
उत्तर – एक साल पहले उसे खेती कराने की धुन सवार हुई थी। जिसके लिए उसने ठाकुर शिवपाल सिंह की कुछ भूमि लगान पर लेकर खेती भी करवाई थी। परन्तु उसकी बदक़िस्मती थी कि उस साल वर्षा के अभाव के कारण फसल में कुछ पैदावार नहीं हुई। ठाकुर शिवपाल सिंह से जिस शुल्क पर भूमि खेती के लिए ली थी, फसल न होने के कारण वह शुल्क ठाकुर को नहीं दे पाया। मनोहर सिंह को फ़ौज की नौकरी के बाद जो कुछ पेंशन मिलती थी, वह उसके भोजन और वस्त्र के लिए ही पर्याप्त हो पाती थी। अन्त में जब ठाकुर साहब को उनका तय किया गया शुल्क न मिला, तो उन्होंने मनोहर का एक नीम का वृक्ष, जो उसकी झोंपड़ी के द्वार पर लगा था, उसे ही गिरवी रख लिया।

प्रश्न 2 – ठाकुर शिवपाल सिंह नीम के पेड़ पर अपना अधिकार क्यों जताते हैं?
उत्तर – डेढ़ वर्ष पूर्व मनोहर सिंह ने ठाकुर शिवपाल से खेती करने के लिए रुपए उधार लिए थे। रूपए का इंतजाम न होने के कारण वह न तो ऋण चुका पाया था। और न ही ब्याज ही दे पाया था। इसलिए एक दिन शिवपाल सिंह ने अपना लगान वसूल करने के लिए मनोहर के आँगन के नीम के पेड़ को गिरवी रखवा दिया। मनोहर सिंह जब लगान नहीं दे पाया। तो उसने ठाकुर सिंह को एक सप्ताह में रुपए लौटा देने का वायदा किया पर रुपयों का प्रबन्ध फिर भी न हो सका। ठाकुर शिवपाल सिंह अपने 25 रुपयों के बदले पेड़ कटवा लेना चाहता था क्योंकि उन्होंने पहले ही मनोहर को कह दिया था कि यदि वह रूपए नहीं लौटा पाया तो नीम के पेड़ पर उनका पूर्ण अधिकार हो जाएगा।

प्रश्न 3 – मनोहर सिंह ठाकुर शिवपाल सिंह अपने नीम के वृक्ष के लिए क्या आश्वासन चाहता था?
उत्तर – मनोहर सिंह ठाकुर शिवपाल को जब ऋण का रुपया न चुका पाया तो उसने ठाकुर के पास अपना नीम का पेड़ गिरवी रखवा दिया। इसलिए ठाकुर को उसके रुपये का कोई जोखिम नहीं था। क्योंकि वह पेड़ कम-से-कम 25 से तीस रुपये का तो होगा। उधार न चुका पाने की स्थिति में वह पेड़ ठाकुर का हो जाएगा लेकिन मनोहर ठाकुर से आश्वासन चाहता था कि वे उस नीम के पेड़ को कटवायेंगे नहीं।

प्रश्न 4 – नीम के वृक्ष के साथ मनोहर सिंह का इतना लगाव क्यों था?
उत्तर – मनोहर उस पेड़ को अपने सगे भाई के समान मानता था। क्योंकि वह पेड़ उसके पिता के द्वारा लगाया गया था। वह कई साल उस पेड़ पर खेला तथा कई साल उस नीम के पेड़ के छोटे-छोटे फल खाए थे। वह आज तक उस नीम के पेड़ की दतून करता था। गाँव में सैकड़ों पेड़ थे \, परन्तु उसने कभी किसी भी पेड़ की एक पत्ती तक नहीं छुई, चाहे उसे किसी की कसम खाने को कहा जाए। इसका कारण यह था कि जब उनके घर में स्वयं इतना बड़ा पेड़ खड़ा हुआ था, तब उन्हें दूसरे पेड़ में हाथ लगाने की क्या आवश्यकता थी? दूसरा कारण यह था कि, उन्हें अपने नीम के पेड़ के अलावा किसी और पेड़ की दतून अच्छी नहीं लगती थी। पेड़ के इसी उपकारी रूप के कारण मनोहर सिंह को उससे इतना अधिक लगाव था।

प्रश्न 5 – मनोहर सिंह ने अपना पेड़ बचाने के लिए क्या उपाय किया?
उत्तर – अपना पेड़ बचाने के लिए मनोहर सिंह ने हर तरह से कोशिश की थी। परन्तु उसकी सभी कोशिशें विफल रही थीं। अंत में उसने निश्चय किया कि उसके जीते जी कोई भी उसके नीम के पेड़ को न काट सकेगा। उसने अपनी तलवार निकाल ली और उसे साफ़ भी कर लिया। अब वह हर समय पेड़ के नीचे ही रहता था। एक दिन जब ठाकुर के मज़दूर पेड़ काटने के लिए आए तो मनोहर सिंह ने उन्हें डरा धमका कर वापस भेज दिया।

प्रश्न 6 – मनोहर सिंह की किस बात से तेजा सिंह प्रभावित हुआ?
उत्तर – मनोहर सिंह ने ठाकुर शिवपाल सिंह से कर्ज लिया हुआ था। कर्ज न चुका पाने के कारण उसे अपना प्रिय नीम के पेड़ को गिरवी रखना पड़ा था। उसका नीम के पेड़ से बहुत लगाव था क्योंकि वह उसके पिता के हाथ का लगाया हुआ था। वह किसी भी हालत में उसे कटने नहीं देना चाहता था। वह पेड़ की रक्षा के लिए मर मिटने को भी तैयार था। जब मनोहर सिंह ने अपनी यह बातें तेजा सिंह को सुनाई तो उसकी इन बातों से तेजा सिंह बहुत प्रभावित हुआ ।

प्रश्न 7 – तेजा सिंह ने मनोहर सिंह की सहायता किस प्रकार की?
उत्तर – तेजा सिंह ने मनोहर सिंह की सहायता करने के लिए अपने घर से 25 रुपये चुरा कर ले आया था, किन्तु शीघ्र ही सभी को पता चल गया कि उसके रुपये चुराए हुए थे। तब तेजा के पिता ने वे रुपये ले लिए। तेजा ने मनोहर सिंह का ऋण चुकाने के लिए अपनी सोने की अंगूठी दी और कहा कि इस पर उसके पिता का कोई हक नहीं क्योंकि यह उसे उसकी नानी ने दी थी। तेजा सिंह की इस बात से उसका पिता बहुत प्रभावित हुआ और उसने अँगूठी न देकर 25 रुपये ठाकुर को देकर मनोहर का कर्ज़ चुका दिया।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह-सात पंक्तियों में दीजिए :-

प्रश्न 1 – मनोहर सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर –

  • आकर्षक व्यक्तित्व – ‘अशिक्षित का हृदय’ कहानी में मनोहर सिंह का व्यक्तित्व सबसे अधिक आकर्षक करने वाला है। पूरी कहानी मनोहर के इर्द-गिर्द ही घूमती है। मनोहर सिंह की आयु 55 वर्ष के लगभग थी। उसने अपनी जवानी फौज में बिताई थी। अब वह संसार में अकेला था। गाँव में दूर के संबंधी थे, उन्हीं के यहाँ अपना भोजन बनवा लेता था और जैसे-तैसे जीवन की गाड़ी को खींच रहा था। वह कहीं आता जाता नहीं। दिन-रात अपने टूटे-फूटे मकान में पड़ा ईश्वर का भजन करता रहता है।
  • स्वाभिमान तथा अहं का भाव – मनोहर सिंह में स्वाभिमान तथा अहं का भाव एक साथ थे। तेजा सिंह से बात करते हुए यह बात स्पष्ट होती है। जब वह तेजा सिंह को बताता है कि उसने सारी उमर फौज में बिताई है। बड़ी-बड़ी लड़ाई और मैदान देखे हैं। ये बेचारे हैं किस खेत की मूली हैं। आज शरीर में बल होता, तो इनकी मजाल नहीं थी कि उसके पेड़ के लिए ऐसा कहते। वह सबके मुँह नोच लेता। उसने कभी नाक पर मक्खी नहीं बैठने दी। वह बड़े-बड़े साहब-बहादुरों से लड़ पड़ता था। तो गाँव के लोग उसके सामने क्या हैं?
  • मेहनती – मनोहर सिंह बहुत मेहनती व्यक्ति है। वह खेती करना चाहता था। जिस वजह से वह ठाकुर से लगान पर जमीन लेता है। वह बहुत मेहनत करता है परन्तु उस साल वर्षा न होने के कारण फसल नहीं होती और वह कर्ज में डूब जाता है।
  • विनम्र – मनोहर सिंह में विनम्रता का भाव भी था। वह पेड़ देने को तैयार था पर उसे कटवाना नहीं चाहता था। वह ठाकुर से लड़ने व् अपनी जान तक देने को तैयार था। वह बड़ी विनम्रता से अंत तक ठाकुर को समझाने का प्रयास करता रहता है।
  • भावुक – मनोहर बहुत ही भावुक व्यक्ति है। पहले तो वह पेड़ से बड़ी भावुकता के साथ जुड़ा हुआ था। और अंत में जब तेजा ने पेड़ को बचाने में उसकी सहायता की तो वह अपने बाद पेड़ का उत्तराधिकारी तेजा को बना देता है।

प्रश्न 2 – तेजा सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर – तेजा सिंह पंद्रह-सोलह वर्ष का बालक था। वह संपन्न परिवार से संबंधित था। वह भावुक, दयालू, साहसी और समझदार था।

  • भावुक – वह मनोहर सिंह को चाचा कहकर पुकारता था। जब मनोहर सिंह ने उसे अपने और नीम के पेड़ के बारे में बताया तो तेजा बड़ा प्रभावित हुआ। वह मनोहर की बातों को सुन कर भावुक हो गया था।
  • दयालू – तेजा को जब पता चला कि मनोहर की किसी ने कोई मदद नहीं की है और उसका पेड़ बिना पैसे दिए नहीं बच सकता। तो मनोहर के पेड़ की रक्षा के लिए वह अपने घर से 25 रुपए चुरा कर लाया था।
  • साहसी – चोरी का भेद खुलने पर भी तेजा बड़े ही साहस के साथ मनोहर की सहायता के लिए आगे बढ़ता है। वह अपने हाथ की अंगूठी, जो उसकी नानी ने दी थी, उसे देकर पेड़ को कटने से बचाने का प्रयास करता है। तेजा सिंह ने अपने साहस से अपने पिता को ही नहीं सभी उपस्थित लोगों को भी प्रभावित कर दिया था। उसके इसी साहस से प्रभावित होकर मनोहर सिंह सबके सामने यह घोषणा करती थी कि उस नीम के पेड़ पर तेजा का अधिकार होगा।

प्रश्न 3 – ‘अशिक्षित का हृदय’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – ‘अशिक्षित का हृदय’ कहानी से प्रकृति के महत्त्व व् रक्षा का उद्देश्य उजागर होता है। इस कहानी में एक अशिक्षित ग्रामीण मनोहर के साफ, सरल तथा स्नेहपूर्ण हृदय का चित्रण है। एक पेड़ के प्रति अनन्य प्रेम कम ही देखने को मिलता है जो इस कहानी में प्रदर्शित किया गया है। लेखक ने कहानी के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया है कि जब मनुष्य के पास धन-दौलत आ जाती है तो उसका स्वभाव अक्सर बदल जाता है।

(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए :-

घर __________________
गंगा __________________
वृक्ष __________________
बेटा __________________
उत्तर –

शब्द पर्यायवाची शब्द
घर भवन, गृह
गंगा भागीरथी, मंदाकिनी
वृक्ष  पेड़, दरख़्त
बेटा लड़का, पुत्र

II. निम्नलिखित शब्दों से विशेषण शब्द बनाइए :-

सप्ताह __________________
समय __________________
निश्चय __________________
प्रतिष्ठा __________________
स्मरण __________________
अपराध __________________
उत्तर –

शब्द विशेषण
सप्ताह  साप्ताहिक
समय सामयिक
निश्चय निश्चयात्मक
प्रतिष्ठा  प्रतिष्ठित
स्मरण  स्मरणीय
अपराध  आपराधिक

 

III. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर इनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
मुहावरा                          अर्थ                                    वाक्य
बुढ़ापा बिगाड़ना  __________________ __________________
सीधे मुँह बात न करना  __________________ __________________
जान एक कर देना  __________________ __________________
क्रोध के मारे लाल होना  __________________ __________________
तीन तेरह बकना  __________________ __________________
नाक कटवाना __________________ __________________
चेहरे का रंग उड़ना __________________ __________________
उत्तर –
बुढ़ापा बिगाड़ना
– वृद्धावस्था में तकलीफ एवं कठिनाइयां आना
वाक्य – बुढ़ापे में यदि बच्चे माँ-पिता की देखरेख न करें, तो बुढ़ापा बिगड़ ही जाता है।

सीधे मुँह बात न करना – ठीक से बात न करना
वाक्य – जब से हमारे चाचा की लॉटरी लगी है, तब से वह किसी से सीधे मुँह बात नहीं करते।

जान एक कर देना – अत्यधिक मेहनत करना
वाक्य – किसान दिन-रात अपने खेत में अच्छी फसल उगाने के लिए अपनी जान एक कर देते हैं।

क्रोध के मारे लाल होना – अत्यधिक गुस्सा आना
वाक्य – जब राहुल ने उधार वापिस करने से साफ मना कर दिया, तो राधा क्रोध के मारे लाल हो गई।

तीन तेरह बकना – बेकार की बातें करना
वाक्य – राधा के पास जब कोई अच्छी बात कहने को नहीं होती, तो वह तीन तेरह बकने लगती है।

नाक कटवाना – बदनाम करवाना
वाक्य – मोहन ने परीक्षा में फेल होकर,अपने पिता की नाक कटवा दी।

चेहरे का रंग उड़ना – सकपका जाना
वाक्य – तेजा सिंह की चोरी का जब सब को पता चला तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया।

IV. पंजाबी से हिंदी में अनुवाद कीजिए :-

(1) ਠਾਕੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਚਲੋ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਦ ਮਨੋਹਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਤੇਜਾ ਨੂੰ ਬੁਲਾ ਕੇ ਛਾਤੀ ਨਾਲ ਲਾਇਆ ਤੇ ਕਿਹਾ-ਪੁੱਤਰ, ਇਸ ਦਰਖਤ ਨੂੰ ਤੂੰ ਹੀ ਬਚਾਇਆ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਹੁਣ ਮੈਨੂੰ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੇ ਪਿੱਛੋਂ ਤੂੰ ਇਸ ਦਰਖੱਤ ਦੀ ਪੂਰੀ ਰਖਿਆ ਕਰ ਸਕੇਗਾ।
उत्तर – ठाकुर साहब के चले जाने के बाद मनोहर सिंह ने तेजा को बुला कर छाती से लगाया और कहापुत्र, इस पेड़ को तुमने ही बचाया है। इसलिये अब मुझे विश्वास हो गया है कि मेरे बाद तुम इस पेड़ की पूरी रक्षा कर सकोगे।

(2) ਸ਼ਿਵਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੇ ਆਦਮੀਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ-ਵੇਖਦੇ ਕੀ ਹੋ, ਇਸ ਬੁੱਢੇ ਨੂੰ ਫੜ ਲਓ ਅਤੇ ਦਰਖਤ ਕਟਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿਓ।
उत्तर – शिवपाल सिंह ने अपने आदमियों को कहा-देखते क्या हो, इस बूढ़े को पकड़ लो और पेड़ काटना शुरू कर दो।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1 – तेजा सिंह ने मनोहर सिंह की सहायता के लिए रुपये चुराए। इसे आप कहाँ तक उचित मानते हैं?
उत्तर – किसी की सहायता करना अच्छी बात है और तेजा सिंह भी मनोहर सिंह की सहायता करना चाहता था। परन्तु सहायता के नाम पर चोरी करना बहुत ग़लत है। किसी भी कारण से तेजा सिंह का चोरी करना सही नहीं कहा जा सकता। मदद करने का कोई और तरीका भी खोजा जा सकता था। इसके लिए तेजा सिंह अपने पिता को सब सच बताकर उनसे भी मदद ले सकता था। अतः हम किसी भी तरह से तेजा सिंह की चोरी को उचित नहीं मानते।

प्रश्न 2 – पेड़ों का विकास मानव के बिना हो सकता है लेकिन मानव का विकास पेड़ों के बिना संभव नहीं। इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर – पेड़ों का विकास मानव के बिना हो सकता है लेकिन मानव का विकास पेड़ों के बिना संभव नहीं। बिना मानव की देखरेख के भी पेड़-पौधे विकसित हो सकते हैं किन्तु पेड़ों के बिना मानव जीवन संभव नहीं है। पेड़ ऑक्सीजन बनाते हैं जो मानव के लिए अत्यावश्यक है। पेड़-पौधों से ही मानव को भोजन मिल पाता हैं। बिना भोजन व् पानी के मानव जीवन संभव ही नहीं है।

प्रश्न 3 – यह कहानी प्रकृति के साथ मानव के भावात्मक संबंध को प्रकट करती हुई एक मार्मिक कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मनुष्य का स्वभाव स्वार्थी होता है। वह अपने लोभ व् स्वार्थ के लिए किसी को भी हानि पहुँचा सकता है। यह कहानी प्रकृति के साथ मानव के भावात्मक संबंधों को उजागर करने वाली एक मार्मिक कहानी है, जो पेड़ों के कटाव का विरोध करती है। मनोहर सिंह नीम के पेड़ को अपना भाई मानते हुए उसके लिए लड़ने-मरने के लिए तैयार हो जाता है तो तेजा सिंह उसकी रक्षा के लिए अपने सोने की अंगूठी देने से भी नहीं हिचकिचाता। निश्चित रूप से यह कहानी प्रकृति के साथ मानव की भावात्मकता से जुड़ी हुई मार्मिक कहानी है।


 

PSEB Class 10 Hindi Lesson 8 अशिक्षित का हृदय गद्यांश आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

 

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिये- 

1 –
बूढ़ा मनोहर सिंह विनीत भाव से बोला – सरकार, अभी तो मेरे पास रुपये हैं नहीं होते तो दे देता। ऋण का पाप तो देने से ही कटेगा। फिर आपके रुपये को कोई जोखिम नहीं। मेरा नीम का पेड़ गिरवी धरा हुआ है। वह पेड़ कुछ न होगा तो पच्चीस-तीस रुपये का होगा। इतना पुराना पेड़ गाँव भर में दूसरा नहीं।
ठाकुर शिवपाल सिंह बोले-डेढ़ साल का ब्याज मिलाकर कुल २२ होते हैं। वह रुपया अदा कर दो। नहीं तो हम तुम्हारा पेड़ कटवा लेंगे।
मनोहर सिंह कुछ घबरा कर बोला-अरे सरकार, ऐसा अंधेर न कीजिएगा। पेड़ न कटवाइएगा। रुपया मैं दे ही दूँगा। यदि न भी दे सकूँ तो पेड़ आपका हो जाएगा। पर मेरे ऊपर इतनी दया कीजिएगा कि उसे कटवाइगा नहीं।

प्रश्न 1 – प्रस्तुत गद्यांश में किसकी बातचीत हो रही है?
(क) मनोहर और तेजा की
(ख) ठाकुर और तेजा की
(ग) तेजा और ठाकुर की
(घ) मनोहर और ठाकुर की
उत्तर – (घ) मनोहर और ठाकुर की

प्रश्न 2 – ठाकुर के रूपए का जोखिम क्यों नहीं है ?
(क) क्योंकि उसके पास नीम का पेड़ गिरवी पड़ा है
(ख) क्योंकि मनोहर स्वयं गिरवी है
(ग) क्योंकि तेजा मनोहर के रूपए चुकाएगा
(घ) क्योंकि ठाकुर के पास मनोहर का घर गिरवी पड़ा है
उत्तर – (क) क्योंकि उसके पास नीम का पेड़ गिरवी पड़ा है

प्रश्न 3 – मनोहर के डेढ़ साल का ब्याज मिलाकर कुल कितने होते हैं?
(क) 21
(ख) 24
(ग) 25
(घ) 22
उत्तर – (घ) 22

प्रश्न 4 – रुपया अदा न कर पाने पर ठाकुर क्या करेगा ?
(क) मनोहर के पीपल के पेड़ को कटवा लेंगे
(ख) मनोहर के नीम के पेड़ को कटवा लेंगे
(ग) मनोहर के घर को तुड़वा लेंगे
(घ) मनोहर को गांव से बाहर निकलवा लेंगे
उत्तर – (ख) मनोहर के नीम के पेड़ को कटवा लेंगे

प्रश्न 5 – ‘अंधेर’ का क्या अर्थ है ?
(क) अँधेरा
(ख) अन्याय
(ग) संध्या
(घ) रात
उत्तर – (ख) अन्याय

2 –
मनोहर सिंह की आयु 55 वर्ष के लगभग है। अपनी जवानी उसने फ़ौज में व्यतीत की थी। इस समय वह संसार में अकेला है। उसके परिवार में कोई नहीं। गाँव में दो-एक दूर के रिश्तेदार हैं, जिनके यहाँ अपना भोजन बनवा लेता है। न कहीं आता हैं, न जाता है। दिन-रात अपने टूटे-फूटे मकान में पड़ा ईश्वर भजन किया करता है।
एक वर्ष पूर्व उसे खेती कराने की सनक सवार हुई थी। उसने ठाकुर शिवपाल सिंह की कुछ भूमि लगान पर लेकर खेती कराई भी थी। पर उसके दुर्भाग्य से उस साल अनावृष्टि के कारण कुछ पैदावार न हुई। ठाकुर शिवपाल सिंह का लगान न पहुँचा। मनोहर सिंह को जो कुछ पेंशन मिलती थी वह उसके भोजन-वस्त्र भर ही को होती थी। अन्त में जब ठाकुर साहब को लगान न मिला, तो उन्होंने उसका एक नीम का वृक्ष, जो उसकी झोंपड़ी के द्वार पर लगा था, गिरवी रख लिया। यह नीम का वृक्ष बहुत पुराना और उसके पिता के हाथ का लगाया हुआ था।

प्रश्न 1 – मनोहर सिंह की आयु कितनी थी ? 55 वर्ष के लगभग
(क) 45 वर्ष के लगभग
(ख) 55 वर्ष के लगभग
(ग) 65 वर्ष के लगभग
(घ) 75 वर्ष के लगभग
उत्तर – (ख) 55 वर्ष के लगभग

प्रश्न 2 – अपनी जवानी मनोहर ने कैसे व्यतीत की थी?
(क) बेकार में
(ख) शहर में
(ग) खेती करते हुए
(घ) फ़ौज में
उत्तर – (घ) फ़ौज में

प्रश्न 3 – मनोहर ने ठाकुर शिवपाल सिंह की कुछ भूमि लगान पर क्यों ली थी ?
(क) अपने रिश्तेदार को देने के लिए
(ख) खेती करने के लिए
(ग) मकान बनाने के लिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) खेती करने के लिए

प्रश्न 4 – मनोहर ठाकुर शिवपाल सिंह का लगान क्यों नहीं पहुँचा पाया ?
(क) पेंशन न आने के कारण
(ख) उधार न मिल पाने के कारण
(ग) फसल न होने के कारण
(घ) वर्षा अधिक होने के कारण
उत्तर – (ग) फसल न होने के कारण

प्रश्न 5 – अन्त में जब ठाकुर साहब को लगान न मिला, तो उन्होंने क्या किया ?
(क) मनोहर का एक नीम का वृक्ष, जो उसकी झोंपड़ी के द्वार पर लगा था, गिरवी रख लिया
(ख) मनोहर की झोंपड़ी को गिरवी रख लिया
(ग) मनोहर का एक पीपल का वृक्ष, जो उसकी झोंपड़ी के द्वार पर लगा था, गिरवी रख लिया
(घ) मनोहर को एक और सप्ताह का समय दिया ताकि वह लगान दे सके
उत्तर – (क) मनोहर का एक नीम का वृक्ष, जो उसकी झोंपड़ी के द्वार पर लगा था, गिरवी रख लिया

3 –
बुड्ढे ने चौंक कर लड़के की ओर देखा और कहा-क्या कहूँ बेटा तेजा, अपने कर्म से बातें कर रहा हूँ। ठाकुर शिवपालसिंह के मुझ पर कुछ रुपये चाहियें। तुझे तो बेटा मालूम ही है कि पर साल खेतों में एक दाना भी नहीं हुआ होता तो क्या मैं उनका लगान रख लेता ? अब वे कहते हैं, लगान के रुपये दो, नहीं पेड़ कटवा लेंगे। इस पेड़ को कटवा लेंगे जो मेरे बापू के हाथ का लगाया हुआ है। यह बात तो देखो : समय का फेर है, जो आज ऐसी-ऐसी बातें सुननी पड़ती है। बेटा, मैंने सारी उमर फ़ौज में बिताई है। बड़ी-बड़ी लड़ाई और मैदान देखे हैं। ये बेचारे हैं किस खेत की मूली। आज शरीर में बल होता, तो इनकी मजाल थी कि मेरे पेड़ के लिए ऐसा कहते। मुँह नोच लेता। मैंने कभी नाक पर मक्खी नहीं बैठने दी। बड़े-बड़े साहब-बहादुरों से लड़ पड़ता था। ये बेचारे हैं क्या? बड़े ठाकुर की दुम बने घूमते हैं। मैंने तो तोप के मुँह पर डट कर बन्दूकें चलाई हैं। पर बेटा, समय सब कुछ करा लेता है। जिन्होंने कभी तोप की सूरत नहीं देखी, वे वीर और ठाकुर बने घूमते हैं। हमें आंखें दिखाते हैं कि रुपये दो, नहीं पेड़ कटवा लेंगे। देखें, कैसे पेड़ कटवाते हैं? लाख बुड्ढा हो गया हूँ। जब तलवार लेकर डट जाऊँगा तो भागते दिखाई पड़ेंगे और बेटा, सौ बात की एक बात तो यह है कि मुझे अब मरना ही है, चल – चलाव लग रहा है। मैं बड़ी-बड़ी लड़ाइयों से जीता लौट आया। समझँगा, यह भी एक लड़ाई ही है। अब इस लड़ाई में मेरा अंत है। पर इतना समझ रखना कि मेरे जीते जी इस पेड़ की एक डाल भी कोई काटने नहीं पावेगा। उनका रुपया गले बराबर है। भगवान जाने, मेरे पास होता, तो मैं दे देता नहीं है, तो क्या किया जाय? पर यह नहीं हो सकता कि ठाकुर साहब मेरा पेड़ कटवा लें, और मैं बैठे टुकुर-टुकुर देखा करूँ।

प्रश्न 1 – मनोहर तेजा को अपनी कौन सी परेशानी बताता है ?
(क) उसकी पेंशन बहुत देरी से आती है
(ख) वह लगान नहीं दे पाया तो उसका पेड़ काटा जाएगा
(ग) ठाकुर उसकी झोंपड़ी को तोड़ देंगे
(घ) वह अब काम नहीं कर सकता
उत्तर – (ख) वह लगान नहीं दे पाया तो उसका पेड़ काटा जाएगा

प्रश्न 2 – मनोहर को नीम के पेड़ से इतना लगाव क्यों था ?
(क) वह उसकी माँ ने लगाया था
(ख) वह उसने स्वयं लगाया था
(ग) उसे प्रकृति से अत्यधिक लगाव था
(घ) वह उसके पिता ने लगाया था
उत्तर – (घ) वह उसके पिता ने लगाया था

प्रश्न 3 – मनोहर अपने बारे में तेजा को क्या बताता है ?
(क) उसने सारी उमर फ़ौज में बिताई है
(ख) आज उसके शरीर में बल होता, तो किसी की मजाल थी कि उसके पेड़ को काटने की बात करते
(ग) उसने कभी नाक पर मक्खी नहीं बैठने दी और बड़े-बड़े साहब-बहादुरों से वह लड़ पड़ता था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – ठाकुर से अपने पेड़ को बचाने की लड़ाई की मनोहर किससे तुलना करता है ?
(क) युद्ध की लड़ाई से
(ख) गाँव वालों की लड़ाई से
(ग) समय की लड़ाई से
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) युद्ध की लड़ाई से

प्रश्न 5 – टुकुर-टुकुर का क्या अर्थ है ?
(क) छोटा टुकड़ा
(ख) अपलक देखना
(ग) टकराते हुए
(घ) टपकते हुए
उत्तर – (ख) अपलक देखना

4 –
एक सप्ताह बीत गया। आज आठवाँ दिन है। मनोहर सिंह रुपयों का प्रबंध नहीं कर सका। वह समझ गया कि अब पेड़ का बचना कठिन है पर साथ ही वह यह भी निश्चित कर चुका था कि उसके जीते जी कोई उसको नहीं काट सकता। उसने अपनी तलवार भी निकाल ली थी, और साफ करके रख ली थी। अब वह हर समय पेड़ के नीचे पड़ा रहता था। तलवार सिरहाने रखी रहती थी।
आठवें दिन दोपहर के समय शिवपाल सिंह ने मनोहर सिंह को बुलवाया। मनोहर सिंह तलवार बगल में दबाये अकड़ता हुआ ठाकुर साहब के सामने पहुँचा ।
शिवपाल सिंह और उनके पास बैठे हुए लोग बुड्ढे को इस सजधज से देखकर मुस्कराए। शिवपाल सिंह ने कहा- सुनते हो मनोहर सिंह, एक सप्ताह बीत गया। अब पेड़ हमारा हो गया। आज हम उसकी कटाई शुरू करते हैं।
मनोहर – आपको अधिकार है। मुझे रुपया मिलता, तो दे ही देता। और अब भी मिल जायेगा तो दे ही दूँगा। मेरी नीयत में बेईमानी नहीं है। मैं फौज में रहा हूँ। बेईमानी का नाम नहीं जानता।

प्रश्न 1 – शिवपाल सिंह ने मनोहर सिंह को कब बुलवाया?
(क) एक सप्ताह से पहले
(ख) दो सप्ताह के बाद
(ग) आठवें दिन दोपहर को
(घ) आठवें दिन शाम को
उत्तर – (ग) आठवें दिन दोपहर को

प्रश्न 2 – जब मनोहर समझ गया कि अब पेड़ का बचना कठिन है तो उसने क्या निश्चित किया ?
(क) कि उसके जीते जी कोई पेड़ को नहीं काट सकता
(ख) कि अब वह पेड़ को तेजा के नाम कर देगा
(ग) कि अब वह पेड़ को ठाकुर को दे देगा और न काटने की विनती करेगा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) कि उसके जीते जी कोई पेड़ को नहीं काट सकता

प्रश्न 3 – मनोहर ने ठाकुर को मनाने के लिए क्या कहा?
(क) उसे रूपए मिल जाएंगे तो वह दे देगा
(ख) उसकी नीयत में बेईमानी नहीं है
(ग) वह फौज में रहा है। वह तो बेईमानी का नाम भी नहीं जानता।
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – मनोहर सिंह तलवार बगल में दबाये अकड़ता हुआ ठाकुर साहब के सामने पहुँचा। इसका क्या परिणाम हुआ ?
(क) ठाकुर मनोहर से डर गया
(ख) ठाकुर पेड़ को न कटवाने के लिए मान गया
(ग) ठाकुर पेड़ को हर हाल में कटवाने की ज़ीद पर आ गया
(घ) ठाकुर ने मनोहर का मजाक उड़ाया
उत्तर – (ग) ठाकुर पेड़ को हर हाल में कटवाने की ज़ीद पर आ गया

प्रश्न 5 – पेड़ का बचना कठिन क्यों था ?
(क) पेड़ सुख गया था
(ख) मनोहर लगान के रुपयों का इंतजाम नहीं कर पाया था
(ग) मनोहर का पेड़ के प्रति लगाव कम हो गया था
(घ) मनोहर ने पेड़ तेजा को दे दिया था
उत्तर – (ख) मनोहर लगान के रुपयों का इंतजाम नहीं कर पाया था

PSEB Class 10 Hindi Lesson 8 अशिक्षित का हृदय बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1 – नीम का पेड़ किसने लगाया था?
(क) मनोहर ने
(ख) मनोहर के पिता ने
(ग) मनोहर के दादा ने
(घ) मनोहर के भाई ने
उत्तर – (ख) मनोहर के पिता ने

प्रश्न 2 – एक वर्ष बीत जाने के बाद मनोहर को रुपया अदा करने के लिए कितना समय दिया गया?
(क) एक सप्ताह
(ख) एक माह
(ग) एक साल
(घ) एक दिन
उत्तर – (क) एक सप्ताह

प्रश्न 3 – मनोहर को पेड़ से लगाव क्यों था?
(क) मनोहर ने पेड़ के साथ अपना बचपन बिताया था
(ख) मनोहर पेड़ को अपने भाई की तरह मानता था
(ग) उस पेड़ को मनोहर के पिता ने लगाया था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – मनोहर के पिता का देहांत हुए कितने वर्ष बीत चुके थे?
(क) पचास वर्ष
(ख) चालीस वर्ष
(ग) तीस वर्ष
(घ) बीस वर्ष
उत्तर – (ख) चालीस वर्ष

प्रश्न 5 – तेजा के मन में मनोहर के प्रति सहानुभूति कब जागी ?
(क) जब वह मनोहर से मिला
(ख) जब उसने अपने पिता से पूरी बात जानी
(ग) जब मनोहर सिंह से पेड़ के महत्त्व तथा पेड़ की कहानी को सुनाया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) जब मनोहर सिंह से पेड़ के महत्त्व तथा पेड़ की कहानी को सुनाया

प्रश्न 6 – शिवपाल सिंह ने मनोहर सिंह को कितने दिन बाद बुलवाया?
(क) आठवें दिन सुबह के समय
(ख) आठवें दिन दोपहर के समय
(ग) आठवें दिन शाम के समय
(घ) आठवें दिन रात के समय
उत्तर – (ख) आठवें दिन दोपहर के समय

प्रश्न 7 – दोपहर ढलने के बाद कितने आदमी क्या लेकर आते हुए दिखाई दिए?
(क) दो-चार आदमी लाठियाँ लेकर
(ख) दो-चार आदमी लकड़ियाँ लेकर
(ग) दो-चार आदमी टहनियाँ लेकर
(घ) दो-चार आदमी कुलहाड़ियाँ लेकर
उत्तर – (घ) दो-चार आदमी कुलहाड़ियाँ लेकर

प्रश्न 8 – मनोहर सिंह ने अपनी आपबीती किसे कह सुनाई थी?
(क) तेजा को
(ख) ठाकुर को
(ग) तेजा के पिता को
(घ) गांव वालों को
उत्तर – (क) तेजा को

प्रश्न 9 – मनोहर ठाकुर से क्या विनती करता है ?
(क) कि वह लगान माफ के दे
(ख) कि वह उसे और ज्यादा समय दे
(ग) कि वह पेड़ को न काटे
(घ) कि वह उसका आधा रूपय माफ करे
उत्तर – (ग) कि वह पेड़ को न काटे

प्रश्न 10 – ठाकुर को अपने रुपये का कोई ख़तरा क्यों नहीं था?
(क) क्योंकि मनोहर सिंह का पीपल का पेड़ ठाकुर के पास गिरवी पड़ा हुआ था
(ख) क्योंकि मनोहर सिंह का नीम का पेड़ ठाकुर के पास गिरवी पड़ा हुआ था
(ग) क्योंकि मनोहर सिंह का आम का पेड़ ठाकुर के पास गिरवी पड़ा हुआ था
(घ) क्योंकि मनोहर सिंह की सारी सम्पति ठाकुर के पास गिरवी पड़ी हुई थी
उत्तर – (ख) क्योंकि मनोहर सिंह का नीम का पेड़ ठाकुर के पास गिरवी पड़ा हुआ था

प्रश्न 11 – मनोहर लगान देने के लिए रूपए क्यों इकट्ठे नहीं कर पाया ?
(क) किसी ने उसकी मदद नहीं की
(ख) मनोहर एक वृद्ध आदमी था
(ग) मनोहर इस संसार में अकेला था
(घ) वह बहुत घमंडी था
उत्तर – (क) किसी ने उसकी मदद नहीं की

प्रश्न 12 – किस विचार से मनोहर सिंह को दुःख प्रतीत हुआ ?
(क) कोई भी उसकी भावनाओं की नहीं समझता
(ख) वह संसार में बिलकुल अकेला था
(ग) नीम के पेड़ को ठाकुर साहब काट देंगे
(घ) कोई भी उसकी मदद नहीं करना चाहता था
उत्तर – (ग) नीम के पेड़ को ठाकुर साहब काट देंगे

प्रश्न 13 – मनोहर का नीम के पेड़ से लगाव होने का क्या कारण था ?
(क) मनोहर के पिता ने अपने हाथ का लगाया हुआ था
(ख) यदि संसार में किसी ने उसका साथ दिया था तो केवल उस नीम के पेड़ ने ही दिया था
(ग) यदि संसार में किसी ने बिना किसी स्वार्थ के उसकी सेवा की है तो उस नीम के पेड़ ने ही की है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 14 – कहानी में मनोहर के ‘समय के फेर’ की बात से क्या आशय है ?
(क) कभी वह मजबूत था किन्तु आज उसके शरीर में ताकत नहीं है
(ख) कभी तेजा का पिता उसका अच्छा मित्र था आज वह बड़ा आदमी हो गया है तो उसे बात नहीं करता
(ग) कभी उसने दुश्मनों को मारा था आज ठाकुर के लोग उसे आँखें दिखाते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 15 – मनोहर कहता है कि गाँव में सैकड़ों पेड़ हैं, परन्तु उसने कभी किसी भी पेड़ की एक पत्ती तक नहीं छुई, इसका क्या कारण था ?
(क) उन्हें अपने नीम के पेड़ के अलावा किसी और पेड़ की दतून अच्छी नहीं लगती थी
(ख) जब उनके घर में स्वयं इतना बड़ा पेड़ खड़ा हुआ है, तब उन्हें दूसरे पेड़ में हाथ लगाने की क्या आवश्यकता थी
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) केवल (ख)
उत्तर – (ग) (क) और (ख) दोनों

प्रश्न 16 – तेजा मनोहर की मदद करना चाहता है इस बात पर मनोहर ने तेजा से कैसा व्यवहार किया?
(क) मनोहर ने उसे लंबे जीवन का आशीर्वाद दिया
(ख) मनोहर ने उसे अपनी सारी सम्पति दे दी
(ग) मनोहर ने उसे अपने पेड़ पर चढ़ने दिया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) मनोहर ने उसे लंबे जीवन का आशीर्वाद दिया

प्रश्न 17 – आठवें दिन ठाकुर ने अपना पक्ष क्या रखा ?
(क) अब उसका नीम का पेड़ उनका हो गया है
(ख) मनोहर सिंह, को दिया गया एक सप्ताह बीत गया है
(ग) वे अब नीम के पेड़ को काट सकते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 18 – तेजा कहाँ से रूपए लाया था?
(क) पिता से मांग कर
(ख) चोरी करके
(ग) अंगूठी बेच कर
(घ) अपनी बचत से
उत्तर – (ख) चोरी करके

प्रश्न 19 – कहानी से तेजा सिंह का कैसा व्यक्तित्व सामने आता है ?
(क) भावुक
(ख) दयालू
(ग) साहसी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 20 – कहानी के अंत में मनोहर सिंह ने क्या घोषणा की?
(क) अब वह कभी खेती नहीं करेगा
(ख) वह अपना नीम का पेड़ तेजा को दे रहा है
(ग) अब वह किसी से कोई मदद नहीं मांगेगा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) वह अपना नीम का पेड़ तेजा को दे रहा है

 

PSEB Class 10 Hindi अशिक्षित का हृदय प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)

प्रश्न 1 – मनोहर ठाकुर से क्या विनती करता है ?
उत्तर – मनोहर बहुत ही नम्र भाव से ठाकुर से विनती करता है कि अभी तो उसके पास रुपये नहीं हैं और अगर उसके पास रूपए होते तो वह जरूर दे देता। क्योंकि उधार तो तभी कटेगा जब वह उधार चुकाएगा। परन्तु यदि वह ठाकुर के रूपए न लौटा पाया तो ठाकुर उसके नीम के पेड़ को न कटवाए।

प्रश्न 2 – मनोहर ठाकुर को क्या-क्या तर्क देता है जिससे वह नीम के पेड़ को न काटे ?
उत्तर – मनोहर ठाकुर को बताता है कि उसका नीम का पेड़ कम से कम पच्चीस-तीस रुपये का होगा। क्योंकि उसके जितना पुराना पेड़ पुरे गाँव में दूसरा नहीं था। ठाकुर शिवपाल सिंह मनोहर सिंह की बात सुनकर बोले कि उसके द्वारा लिए गए रूपए का डेढ़ साल का ब्याज मिलाकर कुल 22 रूपए होते हैं। वह उसका इतना रुपया चुका दे। नहीं तो वह उसके नीम के पेड़ को कटवा लेगा। ठाकुर की बातों को सुनकर मनोहर सिंह कुछ घबरा गया और ठाकुर से विनती करने लगा कि वह ऐसा अन्याय न करे। वह उसके नीम के पेड़ को न कटवाए। वह ठाकुर का रुपया जरूर चुका देगा। यदि वह ठाकुर के रूपए न भी दे सकें तो पेड़ तो ठाकुर का हो ही जाएगा। परन्तु वह मनोहर सिंह के ऊपर इतनी दया करे कि वह उस नीम के पेड़ को न कटवाए।

प्रश्न 3 – कहानी में मनोहर के बारे में क्या बताया गया है ?
उत्तर – मनोहर सिंह लगभग 55 वर्ष का था। उसने अपनी जवानी फ़ौज में बिताई थी। वह संसार में अकेला था अर्थात उसके परिवार में कोई नहीं था। गाँव में कुछ दो-एक दूर के रिश्तेदार थे, जिनके घर पर वह अपना भोजन बनवा लेता था। वह न कहीं आता था, न जाता था। दिन-रात वह अपने टूटे-फूटे मकान में पड़ा रहता था और ईश्वर-भक्ति में भजन किया करता था। एक साल पहले उसे खेती कराने की धुन सवार हुई थी। जिसके लिए उसने ठाकुर शिवपाल सिंह की कुछ भूमि लगान पर लेकर खेती भी करवाई थी। परन्तु उसकी बदक़िस्मती थी कि उस साल वर्षा के अभाव के कारण फसल में कुछ पैदावार नहीं हुई। ठाकुर शिवपाल सिंह से जिस शुल्क पर भूमि खेती के लिए ली थी, फसल न होने के कारण वह शुल्क ठाकुर को नहीं दे पाया। मनोहर सिंह को फ़ौज की नौकरी के बाद जो कुछ पेंशन मिलती थी, वह उसके भोजन और वस्त्र के लिए ही पर्याप्त हो पाती थी। अन्त में जब ठाकुर साहब को उनका तय किया गया शुल्क न मिला, तो उन्होंने मनोहर का एक नीम का वृक्ष, जो उसकी झोंपड़ी के द्वार पर लगा था, उसे ही गिरवी रख लिया। यह नीम का वृक्ष बहुत पुराना था और उसे मनोहर के पिता के अपने हाथ का लगाया हुआ था। यही कारण था कि मनोहर को उस वृक्ष से लगाव था।

प्रश्न 4 – मनोहर लगान देने के लिए रूपए क्यों इकट्ठे नहीं कर पाया ?
उत्तर – ठाकुर के द्वारा मनोहर सिंह को रूपए वापिस करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था। मनोहर ने बहुत मेहनत की, दो-चार आदमियों से उधार भी माँगा, परन्तु किसी ने उसे रुपये नहीं दिये। क्योंकि लोगों ने सोचा कि मनोहर एक वृद्ध आदमी है, न जाने कब मर जाय। और यदि वह मर गया तो उस स्थिति में वे रुपया किससे वसूल करेंगे? क्योंकि मनोहर इस संसार में अकेला था। मनोहर चारों ओर से उम्मीद खोकर बैठा रहा और धड़कते हुए हृदय से उसको दिए गए एक सप्ताह के बीत जाने की राह देखने के अलावा वह कुछ नहीं कर पा रहा था।

प्रश्न 5 – मनोहर का नीम के पेड़ से लगाव होने का क्या कारण था ?
उत्तर – उस नीम के पेड़ को मनोहर के पिता ने अपने हाथ का लगाया हुआ था। वह पेड़ मनोहर और उसके परिवार को दाँतुन और छाया देता रहा था। यदि संसार में किसी ने उसका साथ दिया था तो केवल उस नीम के पेड़ ने ही दिया था। यदि संसार में किसी ने बिना किसी स्वार्थ के उसकी सेवा की है तो उस नीम के पेड़ ने ही की है। मनोहर उस नीम के पेड़ के लिए तालाब से पानी भर कर लाया करता था। उसके पिता कहा करते थे कि यह नीम का पेड़ उनके हाथ की निशानी है। इस नीम के पेड़ से जब-जब उसे और उसके बाल-बच्चों को सुख पहुंचेगा, तब-तब उन लोगों को उसकी याद आएगी। मनोहर अपने मित्रों के साथ नीम के पेड़ की डालियों पर चढ़ कर खेला करता था। इस संसार में वह नीम का पेड़ ही मनोहर का एक पुराना मित्र था।

प्रश्न 6 – मनोहर तेजा को अपने दुखी होने का क्या कारण बताता है ?
उत्तर – मनोहर तेजा से कहता है कि उसे ठाकुर शिवपाल सिंह के कुछ रुपये चुकाने हैं। पिछले साल खेतों में एक दाना भी नहीं हुआ, अगर फसल हुई होती, तो क्या वह ठाकुर का लगान रख लेता? अर्थात यदि फसल हुई होती तो वह ठाकुर का लगान चुका देता। अब वह ठाकुर मनोहर को लगान के रुपये देने को कह रहा है, नहीं तो वह उसके नीम ले पेड़ को कटवा लेंगे। इसी बात से मनोहर अत्यधिक दुखी था।

प्रश्न 7 – कहानी में मनोहर ने समय के फेर की बात कही है। इससे मनोहर का क्या आशय है ?
उत्तर – मनोहर समय का फेर की बात करता है, क्योंकि आज उसे न जाने कैसी-कैसी बातें सुननी पड़ती है। उसने अपनी सारी उम्र फ़ौज में बिताई है। उसने बड़ी-बड़ी लड़ाई और मैदान देखे हैं। ठाकुर और उसके लोगों को मनोहर तुच्छ समझता है। क्योंकि यदि आज उसके शरीर में ताकत होती, तो किसी का सामर्थ्य नहीं होता कि उसके नीम के पेड़ काटने की बात कह पाते। वह सबके मुँह नोच लेता। उसने कभी नाक पर मक्खी तक नहीं बैठने दी। वह बड़े-बड़े साहब-बहादुरों से लड़ पड़ता था। ठाकुर और उसके लोग उनके सामने बेचारे हैं। ये लोग सिर्फ बड़े ठाकुर की दुम बने घूमते हैं। मनोहर ने तो तोप के मुँह पर डट कर बन्दूकें चलाई थी। पर समय सब कुछ करा लेता है। जिन्होंने कभी तोप की सूरत नहीं देखी, वे वीर और ठाकुर बने घूमते हैं। और मनोहर जैसे सिपाही को आंखें दिखाते हैं कि रुपये दो, नहीं तो पेड़ कटवा लेंगे।

प्रश्न 8 – तेजा मनोहर के दुःख को जान कर उस से क्या कहता है ?
उत्तर – मनोहर सिंह की बातों से तेजा समझ गया था कि वह नीम के पेड़ के कटवाए जाने से दुखी है। इसलिए तेजा मनोहर को समझने की कोशिश करता है कि सब जाने भी दो, बेवजह की बातों में क्या रखा है? यदि ठाकुर पेड़ कटवाने को कहते हैं, तो काट लेने देना। क्योंकि इस पेड़ में मनोहर का रखा ही क्या है? हर जगह, हर रोज कई पेड़ कटा करते हैं।

प्रश्न 9 – मनोहर तेजा को अपने नीम के पेड़ का क्या महत्त्व बताता है ?
उत्तर – जब तेजा ने मनोहर को समझाने की कोशिश की कि ज्यादा मत सोचो, ठाकुर को पेड़ काट लेने दो। तो मनोहर सिंह को गुस्सा आ गया कि तेजा मनोहर के भाव नहीं समझ रहा है। फिर मनोहर, तेजा को समझाते हुए कहता है कि जैसा वह समझ रहा है मनोहर के लिए वह नीम का पेड़ वैसा साधारण नहीं है। मनोहर उस पेड़ को अपने सगे भाई के समान मानता है। क्योंकि वह पेड़ उसके पिता के द्वारा लगाया गया था। वह कई साल उस पेड़ पर खेला है, कई साल उस नीम के पेड़ के छोटे-छोटे फल खाए हैं। वह आज तक उस नीम के पेड़ की दाँतुन करता है।

प्रश्न 10 – मनोहर ने तेजा के पिता से मदद क्यों नहीं मांगी ?
उत्तर – मनोहर ने सब से मदद माँगी थी। परन्तु तेजा के पिता से नहीं माँगी थी। क्योंकि तेजा का पिता अब बड़ा आदमी हो गया था। मनोहर को लगता था कि वह उसके जैसे गरीबों की बात क्यों सुनेगा ? एक समय था, जब तेजा का पिता सरे दिन भर मनोहर के द्वार पर पड़ा रहता था। अर्थात मनोहर के घर पर ही रहता था। घर में लड़ाई होती थी, तो तेजा का पिता मनोहर के ही घर भाग आता था, और दो-दो तीन-तीन दिन तक वहीं रहता था, और अब तेजा का पिता मनोहर से अच्छे से बात तक नहीं करता। इसी कारण मनोहर ने तेजा के पिता से कोई बात नहीं की थी।

प्रश्न 11 – एक सप्ताह बीत जाने पर मनोहर ने पेड़ बचाने के लिए क्या किया ?
उत्तर – मनोहर को दिया गया एक सप्ताह बीत गया था। परन्तु मनोहर सिंह रुपयों का प्रबंध नहीं कर पाया था। उसे समझ आ गया था कि अब नीम के पेड़ को बचना कठिन था परन्तु फिर भी यह निश्चित कर चुका था कि उसके जीते जी कोई उसके नीम के पेड़ को नहीं काट सकता। उसने अपनी तलवार भी निकाल ली थी, और साफ करके रख ली थी। अर्थात वह हर हाल में, हर परिस्थिति में पेड़ को बचाने के लिए तैयार था। अब वह हर समय पेड़ के नीचे ही पड़ा रहता था। अपनी तलवार को वह अपने सिरहाने ही रखता था।

प्रश्न 12 – आठवें दिन मनोहर और ठाकुर ने अपना-अपना पक्ष क्या रखा ?
उत्तर – आठवें दिन दोपहर के समय शिवपाल सिंह ने मनोहर सिंह को बुलवाया। मनोहर सिंह भी तलवार बगल में दबाये रौब दिखाता हुआ ठाकुर के सामने पहुँचा। शिवपाल सिंह और उनके पास बैठे हुए लोग मनोहर को इस तरह आता देखकर मुस्कराए। शिवपाल सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मनोहर सिंह, को दिया गया एक सप्ताह बीत गया है अतः अब उसका नीम का पेड़ उनका हो गया है। इसलिए वे आज से ही उसकी कटाई शुरू कर रहे हैं। मनोहर भी अपना पक्ष रखता हुआ कहता है कि उनको अधिकार है। यदि उसे रुपया मिलता, तो वह दे ही देता। और अब भी यदि कहीं से मिल जायेगा तो वह दे ही देगा। क्योंकि उसके इरादे में कपट नहीं है। वह फौज में रहा है। झूठ, कपट का नाम वह नहीं जानता। शिवपाल भी कहता है कि तो अब वे उस नीम के पेड़ को कटवा लें या नहीं। मनोहर कुछ समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या कहे। तो उसने कहा कि ठाकुर का जो जी चाहे, करे। यह कहकर मनोहर सिंह उसी प्रकार रौब दिखाता हुआ ठाकुर शिवपाल के सामने से चला आया। और अपने नीम के पेड़ के नीचे चारपाई पर आकर बैठ गया।

प्रश्न 13 – पेड़ के कटने का तय होने पर मनोहर की क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर – पेड़ के कटने का तय होने पर दोपहर ढलने पर अर्थात शाम के समय चार-पाँच आदमी कुल्हाड़ियाँ लेकर मनोहर के घर की ओर आते हुए दिखाई पड़े। मनोहर सिंह एक दम से म्यान से तलवार निकाल डट कर खड़ा हो गया और उन आदमियों को ललकार कर बोला कि वे संभल कर आगे बढ़े। यदि किसी ने भी नीम के पेड़ में कुल्हाड़ी लगाई, तो वह उसकी जान और अपनी जान एक कर देगा। अर्थात वह अपनी परवाह किए बिना उसे मार डालेगा। वे मजदूर बुड्ढे मनोहर की ललकार सुन कर और तलवार देखकर भाग खड़े हुए।

प्रश्न 14 – तेजा ने मनोहर की मदद करने के लिए क्या कदम उठाया?
उत्तर – जब मनोहर और ठाकुर की बहस हो रही थी, ठीक उसी समय तेजा सिंह दौड़ता हुआ आया और मनोहर सिंह को कुछ रुपये देकर बोला कि अब तुम्हारा पेड़ बच गया समझो। परन्तु तेजा वह रूपए अपने पिता के संदूक से चुरा कर लाया था। जब मनोहर को पता चला तो उसने रूपए वापिस कर दिए। पीर तेजा ने अपनी सोने की अंगूठी ठाकुर को देनी चाही और तर्क दिया कि उस अंगूठी पर उसके शिव किसी का अधिकार नहीं है अतः वह अंगूठी ले कर पेड़ को छोड़ दे।

प्रश्न 15 – तेजा सिंह के प्यार और अच्छे व्यवहार के कारण मनोहर ने क्या फैसला सुनाया ?
उत्तर – ठाकुर के चले जाने के बाद मनोहर सिंह ने तेजा को अपने पास बुलाया और अपनी छाती से लगाते हुए कहा कि उसके नीम के पेड़ को तेजा ने ही बचाया है, इसलिए उसे विश्वास हो गया है कि मनोहर के बाद वह उसके नीम के पेड़ की पूरी रक्षा कर सकेगा। मनोहर ने वहाँ उपस्थित सभी लोगों से कहा कि वह उन सबके समाने अपने नीम के पेड़ को तेजा सिंह को देता है। तेजा को छोड़ कर उस नीम के पेड़ पर किसी का कोई अधिकार नहीं रहेगा।