कर्मवीर पाठ सार

PSEB Class 9 Hindi Book Chapter 3 “Karmveer” Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings

 

कर्मवीर सार – Here is the PSEB Class 9 Hindi Book Chapter 3 Karmveer Summary with detailed explanation of the lesson “Karmveer” along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary

 

इस पोस्ट में हम आपके लिए पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड  कक्षा 9 हिंदी पुस्तक के पाठ 3 कर्मवीर पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप  इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से कक्षा 9 कर्मवीर पाठ के बारे में जानते हैं।

 

Karmveer (कर्मवीर)

By अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

 

‘कर्मवीर’ कविता कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित है। यह कविता मनुष्य के दृढ़ निश्चय, अनुशासन और कर्मठता की महत्ता को बताती है। इस कविता में कवि उन लोगों की प्रशंसा करते हैं जो अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाते, कार्य को टालते नहीं और पूरे समर्पण से प्रयास करते हैं। ऐसे लोग अपने साहस और कर्मशीलता से समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि जो व्यक्ति अपने समय का सदुपयोग करता है, कठिनाइयों से नहीं घबराता और निरंतर परिश्रम करता है, वही सफलता प्राप्त करता है और दूसरों के लिए प्रेरणा बनता है।

 

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कर्मवीर पाठ सार Karmveer Summary

‘कर्मवीर’ कविता में कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी ने कर्मठ, साहसी और परिश्रमी व्यक्तियों के गुणों का वर्णन किया है।

पहले पद्यांश में कवि बताते हैं कि कर्मवीर व्यक्ति जीवन में आने वाली विविध बाधाओं और कठिन विघ्नों से कभी घबराते नहीं। वे भाग्य के भरोसे बैठकर दुख भोगने के बजाय अपने साहस, परिश्रम और कर्म से परिस्थितियों को बदलते हैं। चाहे काम कितना ही कठिन क्यों न हो, वे उससे ऊबते नहीं। भीड़ में वे चंचल या अस्थिर नहीं होते, बल्कि स्थिरता और धैर्य का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। ऐसे कर्मठ लोग विपरीत परिस्थितियों में भी अपने बुरे दिनों को अच्छे में बदल देते हैं और हर समय, हर स्थान पर उन्नति तथा सफलता प्राप्त करते हुए फूले-फले दिखाई देते हैं।

दूसरे पद्यांश में कवि बताते हैं कि कर्मवीर वह हैं जो आज के काम को कभी कल पर नहीं टालते। वे जो सोचते और कहते हैं, उसे पूरा कर दिखाने का सामर्थ्य रखते हैं। ऐसे लोग सबकी बात सुनते हैं, पर निर्णय अपने विवेक और शक्ति के आधार पर लेते हैं। वे किसी की मदद पर निर्भर नहीं रहते और अपने हर कार्य को आत्मनिर्भरता और मेहनत के बल पर पूरा करते हैं। उनके अंदर इतना आत्मविश्वास और लगन होती है कि कोई भी कार्य उनके लिए असंभव नहीं रहता।

तीसरे पद्यांश में कवि बताते हैं कि सच्चे कर्मवीर अपना समय कभी व्यर्थ नहीं गंवाते और काम करने के स्थान पर बातों में समय नष्ट नहीं करते। वे ‘आज नहीं तो कल’ कहकर दिन बर्बाद नहीं करते, बल्कि हर काम को तुरंत और परिश्रम से पूरा करते हैं। इनमें प्रयास से कतराने की आदत नहीं होती और वे जी-चुराकर मेहनत से बचते नहीं। उनके लिए ऐसा कोई कार्य नहीं जो वे पूरा न कर सकें। अपनी लगन, समय-निष्ठा और कर्मठ व्यवहार के कारण वे स्वयं समाज के लिए एक आदर्श और प्रेरणा का स्रोत बन जाते हैं।

अंतिम पंक्तियों में कवि बताते हैं कि कर्मवीर वे लोग हैं जो दुर्गम पर्वतों की ऊँची चोटियों, अंधकार से भरे घने जंगलों, समुद्र की गरजती ऊँची लहरों और दिशाओं में फैली आग की भयदायक लपटों से भी भयभीत नहीं होते। ये भयावह प्राकृतिक दृश्य सामान्य मनुष्य को हिला सकते हैं, लेकिन कर्मवीर का कलेजा नहीं कंपा पाते। बड़े से बड़ा संकट भी उसके साहस और संकल्प को डिगा नहीं सकता। वह विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता और कभी असफल नहीं होता।

कर्मवीर व्यक्ति न केवल स्वयं ऊँचाइयों को छूता है, बल्कि अपने कर्म और चरित्र से समाज के लिए प्रेरणा-स्तंभ भी बन जाता है। इस कविता में कवि का संदेश हमें कर्मठ, साहसी, अनुशासित और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करता है, ताकि हम भी जीवन में सफलता और सम्मान प्राप्त कर सकें।

 

कर्मवीर पाठ व्याख्या Karmveer Explanation

 

पाठ
देख कर बाधा विविध बहु विघ्न घबराते नहीं।
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।
काम कितना ही कठिन हो किंतु उबताते नहीं
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।।
हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले।।

शब्दार्थ-
बाधा- रुकावट, संकट
विविध विभिन्न प्रकार की
बहु बहुत
विघ्न संकट, अड़चन
भरोसे आश्रित, निर्भर
भाग- भाग्य
भोग- झेलना
उबताते- उकताते, तंग आना
चंचल- अस्थिर
वीर- बहादुर
आन- क्षण, पल
काल समय
फूले- उन्नति किए
फले सफल हुए

प्रसंग- कवि ने अपने विचारों में कर्मठ और परिश्रमी व्यक्ति को ही सच्चा वीर माना है। उनका मानना है कि जो मनुष्य धर्म का पालन करते हुए दृढ़ निश्चय और परिश्रम के मार्ग पर चलता है, वही अपने जीवन को सार्थक बना पाता है। सफलता भी उसी को प्राप्त होती है जो कर्मशील, संघर्षरत और अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पित होता है। इसी कर्मवीर की महिमा को कवि ने अपनी कविता में गाया है।

व्याख्या- कवि कहते हैं कि सच्चा कर्मवीर वह है जो कठिनाइयों और बाधाओं से घबराता नहीं है। वह भाग्य के सहारे बैठकर दुख नहीं भोगता, बल्कि अपने भविष्य को सँवारने के लिए साहस के साथ जीवन-युद्ध में उतरता है। चाहे कार्य कितना ही कठिन क्यों न हो, कर्मवीर उसकी चुनौती को स्वीकार करता है। संकट को देखकर जो व्यक्ति विचलित हो जाए, वह कर्मवीर नहीं, बल्कि दुर्बल कहलाता है। जो लोग विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करते हैं, उनका बुरा समय भी अच्छा बन जाता है। इतिहास में वही लोग फूले-फले हैं अर्थात् सफल हुए हैं जो दृढ़तापूर्वक अपने संकल्प को पूरा करते हैं। 

Karmveer Summary img1

पाठ
आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही
मानते जो भी है सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।

शब्दार्थ-
सदा हमेशा
जगत- दुनिया
तकते देखते, निहारते

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने कर्मवीर व्यक्ति के गुणों का वर्णन किया है। वह बताते हैं कि जो लोग कर्मठ, सक्रिय और आत्मनिर्भर होते हैं, वही जीवन में सफल होते हैं। ऐसे लोग समय का महत्त्व समझते हैं, अपने निर्णय स्वयं लेते हैं और अपने कार्य को पूरा करने के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहते। 

व्याख्या-  कवि कहते हैं कि सच्चे कर्मवीर वह हैं जो आज के कार्य को कभी कल पर नहीं टालते। वे जो संकल्प करते हैं, उसे पूर्ण करने की क्षमता रखते हैं और अपने विचारों को कर्म के रूप में सिद्ध कर दिखाते हैं। वे दूसरों की बात अवश्य सुनते हैं, पर निर्णय अपने विवेक से करते हैं। ऐसे लोग किसी की सहायता की प्रतीक्षा नहीं करते, बल्कि अपनी शक्ति और प्रयास से ही कार्य को पूरा करते हैं। उनके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं होता, क्योंकि वे आत्मविश्वास, मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर हर लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता रखते हैं।

 

पाठ
जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं
आज कल करते हुए जो दिन गंवाते हैं नहीं
यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं
बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए
बे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए।।

शब्दार्थ-
यों- इस प्रकार
गँवाते व्यर्थ खोते
यत्न- प्रयास
चुराते- बचते, कतरा जाते
नमूना- उदाहरण, आदर्श
औरों- दूसरों 

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने कर्मठ और अनुशासित व्यक्तियों के आदर्श जीवन-चरित्र का वर्णन किया है। कवि यह बताना चाहते हैं कि जो लोग समय का सम्मान करते हैं, परिश्रम से नहीं घबराते और प्रत्येक कार्य को दृढ़ निश्चय के साथ करते हैं, वे न केवल स्वयं सफल होते हैं बल्कि समाज के लिए प्रेरणा-स्त्रोत भी बन जाते हैं।

व्याख्या- कवि बताते हैं कि सच्चे कर्मवीर अपना समय कभी यूँ ही व्यर्थ नहीं गंवाते। वे कार्य के समय केवल बातों में समय नष्ट नहीं करते, बल्कि हर क्षण का उपयोग सार्थक कार्य में लगाते हैं। ऐसे लोग ‘आज नहीं कल’ कहकर समय को टालते नहीं, बल्कि तुरंत और पूरी निष्ठा से काम में लग जाते हैं। वे परिश्रम से कभी नहीं कतराते और प्रयास करने से जी नहीं चुराते, क्योंकि उनके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। अपने इसी दृढ़ संकल्प, नियमितता और कर्मठता के कारण वे स्वयं एक आदर्श बन जाते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा बनकर उभरते हैं।

 

पाठ
व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर
वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर
गर्जते जल राशि की उठती हुई ऊँची लहर
आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लपट
ये कैंपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं
भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।

शब्दार्थ-
व्योम- आकाश
दुर्गम- कठिन, जहाँ जाना मुश्किल हो
शिखर- चोटी
तम- अंधकार
आठों पहर- हर वक़्त
गर्जते जल-राशि– गरजती हुई समुद्र की लहरें
लहर- तरंग
भयदायिनी- डर पैदा करने वाली
कँपा सकती- डरा सकती, भय उत्पन्न कर सकती
कलेजा- हृदय, मन
नाकाम- असफल

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने कर्मवीर मनुष्य की अडिगता, साहस और अदम्य उत्साह का वर्णन किया है। ऊँचे पर्वत, घने अंधकार से भरे जंगल, गरजती समुद्री लहरें और आग जैसी भयावह परिस्थितियाँ भी कर्मवीर के संकल्प को डिगा नहीं पातीं। कवि इन्हीं निर्भीक और दृढ़ चरित्र वाले कर्मवीरों की महत्ता को प्रकट करते हैं।

व्याख्या- कवि कहते हैं कि कर्मवीर उन दुर्गम और आकाश-छूते पर्वत-शिखरों से भी नहीं डरते, जहाँ पहुँचने की हिम्मत सामान्य व्यक्ति नहीं कर पाता। वे उन घने जंगलों से भी नहीं घबराते जहाँ हर समय अंधकार छाया रहता है। ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ करती हुईं पानी की ऊँची लहरें और दिशाओं में फैलती आग की भीषण लपटें भी उनके मन में भय उत्पन्न नहीं करतीं। ऐसी कोई भी विकट परिस्थिति उनके हृदय को कंपा नहीं सकती। वे कभी निराश नहीं होते और न ही असफलता को स्वीकार करते हैं। उनका ध्येय सदैव आगे बढ़ना, चुनौतियों पर विजय पाना और सफलता की राह पर अडिग रहना होता है।

 

Conclusion

इस पोस्ट में ‘कर्मवीर’ पाठ का सारांश, व्याख्या और शब्दार्थ दिए गए हैं। यह पाठ PSEB कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में हिंदी की पाठ्यपुस्तक से लिया गया है। प्रस्तुत पाठ में अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी ने कर्मशील लोगों के गुणों पर प्रकाश डाला है। यह पोस्ट विद्यार्थियों को पाठ को सरलता से समझने, उसके मुख्य संदेश को ग्रहण करने और परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने में सहायक सिद्ध होगा।