गाता खग पाठ सार
PSEB Class 10 Hindi Book Chapter 5 “Gata Khag” Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings
गाता खग सार – Here is the PSEB Class 10 Hindi Book Chapter 5 Gata Khag Summary with detailed explanation of the lesson “Gata Khag” along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary
इस पोस्ट में हम आपके लिए पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड कक्षा 10 हिंदी पुस्तक के पाठ 5 गाता खग पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 10 गाता खग पाठ के बारे में जानते हैं।
Gata Khag (गाता खग)
समुत्रिनंदन पंत
‘गाता खग’ पंत जी की प्रमुख कविता है। इसमें कवि ने प्रकृति के विविध स्वरूपों का वर्णन किया है। ये मनुष्य के कल्याण के लिए संदेश देते हैं। प्रभात या सुबह के समय पक्षी संसार के लोगों के सुखी एवं समृद्ध और संध्या के समय वह कल्याणकारी और मधुर जीवन के गीत गाता है। तारों की अनेक पंक्तियां मानव के दुःख और आँसू देखकर ओस के रूप में स्वयं भी आँसू बहाती हैं। मुस्कराते हुए फूल मानव को हमेशा मुस्कराने का संदेश देते हैं। पानी की लहरें भी मानव को बिना असफलता या किसी डर की परवाह किए बिना आगे बढ़ते रहने का संदेश देती हैं। पानी का बुलबुला विलीन होकर ज़िन्दगी के मकसद को समझ जाता है। कविता की अंतिम पंक्तियों में रहस्यवाद की झलक भी मिलती है।
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गाता खग पाठ सार Gata Khag Summary
‘गाता खग’ पंत जी की प्रमुख कविता है। इसमें कवि ने प्रकृति के विविध स्वरूपों का वर्णन किया है। कवि ने प्रकृति के माध्यम से मानव-जीवन, उसकी कामनाओं, कार्य-व्यापारों, नश्वरता आदि का वर्णन किया है। सुबह के समय पक्षी संसार के लोगों के सुखी एवं समृद्ध जीवन की कामना करता है। संध्या के समय वह कल्याणकारी और मधुर जीवन के गीत गाता है। अनंत आकाश में छाए अंधकार में टिमटिमाते तारे मानव जीवन की करुणा और दुःख का संदेश देते प्रतीत होते हैं। मुस्कराते हुए फूल मानव को हमेशा मुस्कराने का संदेश देते हैं। वे बताते हैं कि जिन्दगी बहुत छोटी है। इस छोटी सी जिन्दगी में संसार में आशा की खुशियां बांटकर संसार के आंगन को मुस्कराहट से भर दो- आशा और विश्वास से भर दो। पानी की लहरें भी मानव को बिना असफलता या किसी डर की परवाह किए बिना आगे बढ़ते रहने का संदेश देती हैं। किनारा दिखाई दे या न दे परन्तु हमारे कदम मंजिल की ओर बढ़ते रहने चाहिए। हिलोर काँपती रहती है और किनारे से दूर रहती है परन्तु पानी का बुलबुला विलीन होकर ज़िन्दगी के मकसद को समझ जाता है। कविता की अंतिम पंक्तियों में रहस्यवाद की झलक भी मिलती है।
गाता खग पाठ व्याख्या Gata Khag Explanation

1 –
गाता खग प्रातः उठकर-
सुंदर, सुखमय जग-जीवन !
गाता खग संध्या तट पर –
मंगल, मधुमय जग जीवन ।
शब्दार्थ –
खग – पक्षी
प्रातः – सुबह
तट – किनारा
संध्या – शाम
मंगल – कल्याण
मधुमय – आनंदपूर्ण
व्याख्या – प्रस्तुत काव्यांश में कवि पक्षियों के माध्यम से संसार के लोगों के सुखी तथा कल्याणकारी जीवन की कामना कर रहा है। कवि कहता है कि सुबह के समय पक्षी चहचहाते हुए गाना गाते हैं, और संसार के लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं। शाम के समय सरोवर के किनारों पर पक्षी पुनः इकट्ठे होकर चहकते हैं। उस समय उनका चहचहाना कल्याण व् आनंदपूर्ण जीवन को व्यक्त करता है। कहने का आशय यह है कि पक्षियों का गान यही उपदेश देता है कि यह जीवन सौंदर्य और सुख का भंडार है। कवि को पक्षियों के स्वर में जीवन का संगीत सुनाई पड़ता है।
2 –
कहती अपलक तारावलि
अपनी आँखों का अनुभव,
अवलोक आँख आँसू की
भर आतीं आँखें नीरव !
शब्दार्थ –
अपलक – एकटक
तारावलि – तारों की पंक्ति
अनुभव – तजुरबा, समझ
अवलोक – देखकर
नीरव – मौन, खामोश, चुपचाप।
व्याख्या – प्रस्तुत काव्यांश में कवि आकाश में चमकने वाले तारों के माध्यम से मानव जीवन में व्याप्त करुणा और संवेदना को व्यक्त कर रहा है। कवि कहता है कि तारों की पंक्तियाँ अपनी एकटक आँखों से देखा हुआ अनुभव बताती हैं। जिस प्रकार दुःख सहते हुए किसी की आँखों में से आँसू बह जाते हैं और आँसुओं से भरी आँखों को देखकर दूसरे में सहानुभूति के कारण करुणा का संचार हो जाता है, उसी प्रकार तारे भी मानव के दुःख और आँसू देखकर चुपचाप ओस के रूप में मानो स्वयं भी आँसू बहाते हैं। आँखों की भाषा नीरव अर्थात मौन होती है। केवल आँसुओं के माध्यम से ही प्रकट होती है। कहने का आशय यह है कि तारों की पंक्तियाँ टिमटिमाकर मानव के दुःख और आँसू देखकर ओस के रूप में स्वयं भी आँसू बहाती है।

3 –
हँसमुख प्रसून सिखलाते
पल भर है, जो हँस पाओ,
अपने उर की सौरभ से
जग का आँगन भर जाओ !
शब्दार्थ –
हँसमुख – प्रसन्न, खिले हुए
प्रसून – पुष्प, फूल
उर – हृदय
सौरभ – सुगंध
जग – संसार
व्याख्या – प्रस्तुत काव्यांश में कवि मानव को सदा खिले हुए फूलों की तरह मुस्कराते रहने का संदेश दे रहा है। कवि कहता है कि मुस्कुराते हुए फूल मानव को सन्देश देते हैं कि जीवन बहुत छोटा है इसलिए जितना हो सके हमें मुस्कुराते रहना चाहिए। अपने हृदय की आशा और उम्मीद रूपी खुशियों से संसार के आँगन को भर देना चाहिए। कहने का आशय यह है कि सुबह के समय खिले हुए पुष्प अपनी कोमलता और सुगंध से वातावरण को पूरी तरह से सकारात्मकता से भरते हुए मानव को यह प्रेरणा देते हैं कि इस नाशवान और छोटे-से जीवन को, जो अनेक प्रकार की विषमताओं और समस्याओं से भरा है, यदि हो सके तो प्रसन्नता और आनंद से व्यतीत करना चाहिए।
4 –
उठ उठ लहरें कहतीं यह-
हम कूल विलोक न पाएँ,
पर इस उमंग में वह बह
नित आगे बढ़ती जाएँ।
शब्दार्थ –
कूल – किनारा
विलोक – निर्जन, एकांत, शून्य
उमंग – आनंद, उल्लास
नित – हमेशा
व्याख्या – प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने मनुष्य को सदा आशावान बने रहने की प्रेरणा दी है। कवि कहता है कि लहरें उठ-उठकर मानव को डर की परवाह किए बिना आगे बढ़ने का सन्देश देती है। लहरें कहती हैं कि भले ही उन्हें शांत या एकांत किनारा नहीं दिखता, परन्तु वे इसी उम्मीद या उल्लास के साथ हमेशा आगे बढ़ती रहती हैं कि कभी न कभी तो उन्हें उनका लक्ष्य किनारा अवश्य मिलेगा। कहने का आशय यह है कि हमें भी लहरों की तरह बिना असफलता के डर से उमंग के साथ अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
5 –
कैंप कैंप हिलोर रह जाती-
रे मिलता नहीं किनारा।
बुद्बुद् विलीन हो चुपके
पा जाता आशय सारा।
शब्दार्थ-
कैंप कैंप – काँपती
हिलोर – जल में उठने वाली तरंग या लहर
बुद्बुद् – बुलबुला
विलीन – लुप्त, जो घुल गय़ा या मिल गया हो
आशय – उद्देश्य
व्याख्या – प्रस्तुत काव्यांश में कवि मानव को जीवन के उद्देश्य को समझने व् नकारात्मकता से दूर रहने का सन्देश देता है। कवि कहता है कि लहरें काँपती – काँपती आपस में टकराती रहती है अथवा किनारे से टकरा कर बिखर जाती हैं। वे किनारे से दूर चली जाती हैं और उन्हें किनारा नहीं मिल पता। परंतु उन लहरों में से निकला हुआ बुलबुला उसी के जल में विलीन हो कर अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर लेता है कि यह जीवन नश्वर है। इसी से उत्पन्न होना और इसी में विलीन होना है। कहने का आशय यह है कि पानी के बुलबुले के समान हमें जीवन की नश्वरता को स्वीकार करना चाहिए और सदा सकारात्मक और खुशहाल जीवन जीना चाहिए।
Conclusion
‘गाता खग’ में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने प्रकृति के अलग-अलग रूपों का वर्णन किया है। ये मनुष्य के कल्याण के लिए संदेश देते हैं। सुमित्रानंदन पंत ने प्रकृति के माध्यम से मानव-जीवन, उसकी कामनाओं, कार्य-व्यापारों, नश्वरता आदि का वर्णन किया है। PSEB Class 10 Hindi – पाठ-5 ”गाता खग’ की इस पोस्ट में सार, व्याख्या और शब्दार्थ दिए गए हैं। छात्र इसकी मदद से पाठ को तैयार करके परीक्षा में पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।