PSEB Class 10 Hindi Chapter 3 Niti Ke Dohe (नीति के दोहे) Question Answers (Important) 

 

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PSEB Class 10 Chapter 3 Niti Ke Dohe Textbook Questions

 

अभ्यास

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-दो पंक्तियों में उत्तर दीजिए-

(1) रहीम जी के अनुसार सच्चे मित्र की क्या पहचान है ?
उत्तर – रहीम जी के अनुसार जो व्यक्ति मुसीबत में, कठिनाई में अथवा विपरीत परिस्थितियों में आपके साथ खड़ा रहता है, वही सच्चा मित्र होता है।

(2) ज्ञानी व्यक्ति सम्पत्ति का संचय किस लिए करते हैं ?
उत्तर – ज्ञानी व्यक्ति संपत्ति का संचय परोपकार अथवा दूसरों की भलाई के लिए करते हैं।

(3) बिहारी जी के अनुसार किसका साथ शोभा देता है ?
उत्तर – बिहारी जी के अनुसार एक जैसे स्वभाव अथवा प्रकृति वाले व्यक्तियों का साथ शोभा देता है।

(4) बिहारी जी ने मानव को आशावादी होने का क्या संदेश दिया है ?
उत्तर – बिहारी जी ने संदेश दिया है कि मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए। उसे सदैव आशावादी होना चाहिए। क्योंकि बुरा वक्त सदा नहीं रहता और बुरे वक्त के बाद अच्छा वक्त जरूर आता है।

(5) छल और कपट का व्यवहार बार-बार नहीं चल सकता इसके लिए वृन्द जी ने क्या उदाहरण दिया है ?
उत्तर – छल और कपट का व्यवहार बार-बार नहीं चल सकता इसके लिए वृन्द जी ने उदाहरण दिया है कि जैसे लकड़ी की हांडी चूल्हे पर बार-बार नहीं चढ़ती उसी प्रकार छल और कपट का व्यवहार भी बार-बार नहीं चल सकता।

(6) निरंतर अभ्यास से व्यक्ति कैसे योग्य बन जाता है? वृन्द जी ने इसके लिए क्या उदाहरण दिया है ?
उत्तर – निरंतर अभ्यास से व्यक्ति योग्य बन जाता है, जैसे बार-बार रस्सी घिसने से पत्थर पर भी निशान पड़ जाते हैं, वैसे ही निरंतर अभ्यास से अयोग्य व्यक्ति भी योग्य बन जाता है।

(7) शत्रु को कमजोर या छोटा क्यों नहीं समझना चाहिए ?
उत्तर – शत्रु को कमज़ोर या छोटा नहीं समझना चाहिए क्योंकि शत्रु के प्रति लापरवाही आपको बहुत बड़ी हानि पहुँचा सकती है जैसे तिनकों के समूह को आग का एक छोटा-सा अंगारा क्षण भर में जला कर राख कर देता है। उसी प्रकार एक छोटा सा शत्रु भी आपकी सारी मेहनत को ख़ाक कर सकता है।

II. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-

(1) रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि ।
जहां काम आवे सुई, का करे तरवारि ।।
प्रसंग – प्रस्तुत दोहा रहीम जी द्वारा रचित ‘नीति के दोहे’ से लिया गया है। इस दोहे में कवि ने छोटी वस्तु के महत्त्व को अनदेखा न करने की बात कही है।
व्याख्या – प्रस्तुत दोहे में रहीम जी छोटी वस्तु के महत्त्व को बताना चाह रहे हैं। रहीम जी कहते हैं कि किसी बड़े व्यक्ति अथवा वस्तु को देखकर हमें छोटे व्यक्ति अथवा वस्तु को नहीं छोड़ना चाहिए अथवा उसका तिरस्कार नहीं करना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार सुई छोटी है और तलवार बड़ी। किन्तु आवश्यकता के समय जहाँ सुई काम आ सकती है, वहाँ तलवार क्या कर सकती है। कहने का आशय यह है कि हमें बड़ी वस्तु अथवा संपन्न व्यक्ति को देखकर छोटी वस्तु अथवा निर्धन व्यक्ति की उपयोगिता को भूलना नहीं चाहिए। हमें दोनों का सम्मान करना चाहिए।

(2) कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
बह खाये बौरात है, यह पाये बौराय ।।
प्रसंग – प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित ‘नीति के दोहे’ से लिया गया है जिसमें कवि ने धन और वैभव के नशे को सबसे बड़ा नशा बताया है। धन और वैभव का नशा मनुष्य को पागल बना देता है।
व्याख्या – प्रस्तुत दोहे में बिहारी जी ने यह बताया है कि धन और वैभव का नशा मनुष्य को पागल बना देता है। महाकवि बिहारी कहते हैं कि धतूरे की तुलना में स्वर्ण में सौगुना अधिक नशा होता है क्योंकि धतूरे को खाने पर नशा होता है जबकि सोने के प्राप्त करने मात्र से ही नशा हो जाता है। कहने का आशय यह है कि जो नशा धतूरा खाने पर होता है, उससे कहीं अधिक नशा धन-सम्पति के प्राप्त होने मात्र से हो जाता है।

(3) मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान ।
तनिक सीत जल सों मिटे, जैसे दूध उफान ।।
प्रसंग – प्रस्तुत दोहा वृन्द द्वारा रचित ‘नीति के दोहे’ से लिया गया है। इस दोहे में कवि ने मधुर वाणी के प्रभाव का वर्णन किया है।
व्याख्या – प्रस्तुत दोहे में कवि ने मीठी वाणी के प्रभाव का वर्णन किया है। कवि कहता है कि मधुर वचनों अथवा मीठी वाणी से किसी भी अभिमानी व्यक्ति के गर्व अथवा घमंड को उसी प्रकार से शांत किया जा सकता है जैसे थोड़े से ठंडे पानी के छींटों से उबलते हुए दूध के उफ़ान को कम कर लिया जाता है। कहने का आशय यह है कि मधुर वाणी के प्रयोग से क्रोधी व्यक्ति के क्रोध तथा घमंडी के घमंड को भी शांत किया जा सकता है।

(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखें-
सम्पति _______________________________
उत्तम _______________________________
हित _______________________________
आशा _______________________________
बैर _______________________________
उत्तर –

शब्द विपरीत शब्द
संपति विपत्ति
उत्तम अधम
हित अहित
आशा निराशा
बैर मिलाप

II. निम्नलिखित शब्दों के विशेषण शब्द बनाएं-
प्रकृति _______________________________
विष _______________________________
बल _______________________________
मूल _______________________________
हित _______________________________
व्यापार _______________________________

उत्तर –

शब्द विशेषण
प्रकृति प्राकृतिक
विष विषैला
बल बलवान
मूल मूलभूत
हित हितैषी
व्यापार व्यापारिक

 

III. निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा बनाएं-
लघु _______________________________
मादक _______________________________
एक _______________________________
मधुर _______________________________

उत्तर –

शब्द भाववाचक संज्ञा
लघु लघुता
मादक मादकता
एक  एकता
मधुर  मधुरता

 

PSEB Class 10 Hindi Lesson 3 नीति के दोहे पद्यांश आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

1 –
कहि रहीम सम्पति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
विपत कसौटी जे कसे, सोई साँचै मीत।।
एकै साधे सब सधै, सब साधै सब जाय।
रहिमन सींचे मूल को फूलै फलै अधाय।।

प्रश्न 1 – पद्यांश के अनुसार सच्चा मित्र कौन होता है?
(क) सम्पति में साथ देने वाला
(ख) सगे-सम्बन्धियों का साथ देने वाला
(ग) कठिनाई में काम आने वाला
(घ) विपत्ति में साथ न देने वाला
उत्तर – (ग) कठिनाई में काम आने वाला

प्रश्न 2 – धन-दौलत साथ होने पे सभी हमारे ————- बन जाते है?
(क) शत्रु-दुश्मन
(ख) सगे-संबंधी-मित्र
(ग) पड़ोसी-सेवक
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) सगे-संबंधी-मित्र

प्रश्न 3 – अपना ध्यान —————– से ही सफलता की प्राप्ति होती है।
(क) एक लक्ष्य की ओर केंद्रित करने
(ख) अलग-अलग जगह रहने
(ग) आध्यात्म में लगाने
(घ) सज्जनों की बातों में
उत्तर – (क) एक लक्ष्य की ओर केंद्रित करने

प्रश्न 4 – एकै साधे ———– फूलै फलै अधाय।। में कौन सा अलंकार है ?
(क) यमक अलंकार
(ख) पुनःरुक्ति अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर – (ग) अनुप्रास अलंकार

प्रश्न 5 – पद्यांश में ‘अधाय’ का क्या अर्थ है ?
(क) पठन करना
(ख) तृप्त होना
(ग) समर्पित होना
(घ) आधा-अधूरा
उत्तर – (ख) तृप्त होना

2 –
तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित, सम्पति संचहिं सुजान।।
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुईं, का करे तरवारि ।।

प्रश्न 1 – ‘तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान’ यह किस भाव को दर्शाता है ?
(क) करुणा
(ख) परोपकार
(ग) दान
(घ) त्याग
उत्तर – (ख) परोपकार

प्रश्न 2 – कौन अपनी सम्पति दूसरों की भलाई के लिए संचित करता है ?
(क) गुरुजन
(ख) धनवान
(ग) सज्जन
(घ) समर्थवान
उत्तर – (ग) सज्जन

प्रश्न 3 – जहाँ सुई काम आती है, वहाँ ———– किसी काम नहीं आती।
(क) कुल्हाड़ी
(ख) लकड़ी
(ग) धागा
(घ) तलवार
उत्तर – (घ) तलवार

प्रश्न 4 – हमें किसके महत्त्व को अनदेखा नहीं करना चाहिए?
(क) छोटी वस्तु के
(ख) बड़ी वस्तु के
(ग) आवश्यक वस्तु के
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) छोटी वस्तु के

प्रश्न 5 – पद्यांश में कौन सा अलंकार है ?
(क) यमक अलंकार
(ख) पुनःरुक्ति अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर – (ग) अनुप्रास अलंकार

3 –
कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
वह खाये बौरात है, यह पाये बौराय।।
इहि आशा अटक्यों रहै, अलि गुलाब के मूल।
हो है बहुरि बसन्त ऋतु, इन डारनि पै फूल।।
सोहतु संग समानु सो, यह कहै सब लोग ।
पान पीक ओठनु बनैं, नैननु काजर जोग।।

प्रश्न 1 – ‘कनक कनक’ में कौन सा अलंकार है ?
(क) यमक अलंकार
(ख) पुनःरुक्ति अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर – (क) यमक अलंकार

प्रश्न 2 – धतूरे की तुलना में ———– में सौगुना अधिक नशा होता है
(क) अमृत
(ख) भांग
(ग) स्वर्ण
(घ) मदिरा
उत्तर – (ग) स्वर्ण

प्रश्न 3 – __________ का नशा मनुष्य को पागल बना देता है।
(क) धन और वैभव
(ख) धतूरे
(ग) स्वर्ण
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) धन और वैभव

प्रश्न 4 – मनुष्य कब अहंकारी बन जाता है?
(क) समृद्ध बनकर
(ख) सम्मानित होकर
(ग) सफलता पाकर
(घ) धन-संपत्ति पाकर
उत्तर – (घ) धन-संपत्ति पाकर

प्रश्न 5 – पद्यांश में ‘कनक’ के कौन से दो अर्थ लिए गए हैं?
(क) कंगन, अनाज
(ख) धतूरा, सोना
(ग) फसल, चावल
(घ) कान, हाथ
उत्तर – (ख) धतूरा, सोना

4 –
करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।।
फेर न है है कपट सों, जो कीजै व्यापार।
जैसे हाँडी काठ की, चढ़ न दूजी बार।।
मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान।
तनिक सीत जल सों मिटे, जैसे दूध उफान।।

प्रश्न 1 – ‘करत करत’ में कौन सा अलंकार है ?
(क) यमक अलंकार
(ख) पुनःरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर – (ख) पुनःरुक्ति प्रकाश अलंकार

प्रश्न 2 – बार-बार अभ्यास करने से क्या होता है?
(क) मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान् बन सकता है
(ख) मूर्ख व्यक्ति को आलस आ जाता है
(ग) शारीरिक थकावट हो जाती है
(घ) मानसिक तनाव बाद जाता है
उत्तर – (क) मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान् बन सकता है

प्रश्न 3 – कैसा व्यवहार बार-बार नहीं चलता ?
(क) परोपकारी का व्यवहार
(ख) सज्जन का व्यवहार
(ग) छल-कपट का व्यवहार
(घ) अच्छा व् सरलता का व्यवहार
उत्तर – (ग) छल-कपट का व्यवहार

प्रश्न 4 – मधुर वाणी के प्रयोग से किसको शांत किया जा सकता है?
(क) क्रोधी व्यक्ति के क्रोध को
(ख) अभिमानी के गर्व को
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों

प्रश्न 5 – उबलते हुए दूध के उफ़ान को कैसे कम कर लिया जाता है?
(क) गर्म पानी के छींटों से
(ख) ठंडे पानी के छींटों से
(ग) हवा के झोंकें से
(घ) बर्फ डाल के
उत्तर – (ख) ठंडे पानी के छींटों से

 

PSEB Class 10 Hindi Lesson 3 नीति के दोहे बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1 – रहीम का पूरा नाम क्या था ?
(क) अब्दुर्हीम खान खाना
(ख) अब्दुल रहीम खान खाना
(ग) अब्दुर्रहीम खान खाना
(घ) अब्दुर्रहीम खाना
उत्तर – (ग) अब्दुर्रहीम खान खाना

प्रश्न 2 – बिहारी के दोहों में कौन सा रस मुख्य है?
(क) करुण रस
(ख) श्रृंगार रस
(ग) रौद्र रस
(घ) शांत रस
उत्तर – (ख) श्रृंगार रस

प्रश्न 3 – अनेक प्रकार से लोग हमारे सगे-संबंधी-मित्र आदि कब बन जाते हैं?
(क) हमारी सफलता के बाद
(ख) हमारे सुख में
(ग) हमारे दुःख में
(घ) जब पास में धन-दौलत हो
उत्तर – (घ) जब पास में धन-दौलत हो

प्रश्न 4 – कठिनाई में काम आने वाला ही _______ होता है।
(क) सही
(ख) सच्चा मित्र
(ग) मददगार
(घ) शत्रु
उत्तर – (ख) सच्चा मित्र

प्रश्न 5 – एकै साधे सब सधै, सब साधै सब जाय।
रहिमन सींचे मूल को, फूलै फलै अधाय।।
दोहे में कौन सा अलंकार है?
(क) यमक अलंकार
(ख) पुनःरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर – (ग) अनुप्रास अलंकार

प्रश्न 6 – दूसरों की भलाई के लिए ही ___________ धन-दौलत एकत्र करते हैं।
(क) सज्जन
(ख) धनवान
(ग) समृद्ध
(घ) दुर्जन
उत्तर – (क) सज्जन

प्रश्न 7 – जहाँ काम आवे सुई, का करे तरवारि।
पंक्ति का क्या आशय है?
(क) सुई की जगह तलवार का काम नहीं होता
(ख) हमें बड़ी वस्तु को देखकर छोटी वस्तु की उपयोगिता को भूलना नहीं चाहिए
(ग) सुई छोटी है और तलवार बड़ी
(घ) छोटा कभी बड़े की जगह नहीं ले सकता
उत्तर – (ख) हमें बड़ी वस्तु को देखकर छोटी वस्तु की उपयोगिता को भूलना नहीं चाहिए

प्रश्न 8 – कनक-कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय
(क) यमक अलंकार
(ख) पुनःरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर – (क) यमक अलंकार

प्रश्न 9 – __________ की तुलना में स्वर्ण में सौगुना अधिक नशा होता है
(क) धन
(ख) धतूरे
(ग) मदिरा
(घ) ऐश्वर्य
उत्तर – (ख) धतूरे

प्रश्न 10 – फूल न होने पर भी किस उम्मीद से भँवरा गुलाब की जड़ के पास रहता है?
(क) कि फिर से बसंत ऋतु आएगी और गुलाब की डालियों पर फूल खिल जाएँगे
(ख) कि फिर से बसंत ऋतु आएगी और वह गुलाब पर अपना घर बनाएगा
(ग) कि फिर से बसंत ऋतु आएगी और सब कुछ हरा-भरा हो जाएगा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) कि फिर से बसंत ऋतु आएगी और गुलाब की डालियों पर फूल खिल जाएँगे

प्रश्न 11 – इहि आशा अटक्यो रहै, अलि गुलाब के मूल।
हो इहै बहुरि बसन्त ऋतु, इन डारनि पै फूल।।
दोहे का भाव क्या है ?
(ख) मनुष्य को अलि से कुछ सीखना चाहिए
(ग) मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए
(क) मनुष्य को फूलों के खिलने का इन्तजार करना चाहिए
(घ) अलि की तरह गुलाब के खिलने तक सब्र करना चाहिए
उत्तर – (ग) मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए

प्रश्न 12 – कैसे लोगों का साथ सदा रहता है?
(क) एक जैसे स्वभाव वाले
(ख) सज्जन लोगों का
(ग) दुष्ट लोगों का
(घ) एक परिवार में रहने वाले
उत्तर – (क) एक जैसे स्वभाव वाले

प्रश्न 13 – गुनी गुनी सबकै कहैं, निगुनी गुनी न होतु।
(क) शलेष अलंकार
(ख) पुनःरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ग) वक्रोक्ति अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर – (ख) पुनःरुक्ति प्रकाश अलंकार

प्रश्न 14 – सुन्यौ कहूँ तरू अरक तें, अरक-समान उदोतु
(क) उपमा अलंकार
(ख) पुनःरुक्ति प्रकाश अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) शलेष अलंकार
उत्तर – (ग) अनुप्रास अलंकार

प्रश्न 15 – मूर्ख व्यक्ति कैसे विद्वान् बन सकता है?
(क) बार-बार अभ्यास करने से
(ख) विद्वानों की संगत में रहने से
(ग) बार-बार अध्ययन करने से
(घ) लगातार पढ़ाई करने से
उत्तर – (क) बार-बार अभ्यास करने से

प्रश्न 16 – करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान
दोहे का क्या आशय है ?
(क) अभ्यास करते रहने से रस्सी पर भी निशान बनाए जा सकते हैं
(ख) परिश्रम करने से पत्थर पर भी निशान हो जाते हैं
(ग) परिश्रम करने से व्यक्ति अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेता है
(घ) सफलता के लिए परिश्रम आवश्यक है
उत्तर – (ग) परिश्रम करने से व्यक्ति अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेता है

प्रश्न 17 – ___________ का व्यवहार बार-बार नहीं चलता है।
(क) कठोरता
(ख) छल-कपट
(ग) असफलता
(घ) क्रूरता
उत्तर – (ख) छल-कपट

प्रश्न 18 – अभिमानी व्यक्ति के गर्व को कैसे शांत किया जा सकता है?
(क) कठोर वचनों अथवा कटु वाणी से
(ख) सरल वचनों अथवा कोमल वाणी से
(ग) मधुर वचनों अथवा मीठी वाणी से
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) मधुर वचनों अथवा मीठी वाणी से

प्रश्न 19 – थोड़े से ठंडे पानी के छींटों से किसे कम कर लिया जाता है?
(क) उबलते हुए दूध के उफ़ान को
(ख) क्रोध के उफ़ान को
(ग) आग की जलन को
(घ) शब्दों के उफ़ान को
उत्तर – (क) उबलते हुए दूध के उफ़ान को

प्रश्न 20 – गुलाब के मूल से कौन अटका रहता है?
(क) कलि
(ख) अलि
(ग) कली
(घ) आली
उत्तर – (ख) अलि


 

PSEB Class 10 Hindi नीति के दोहे प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)

प्रश्न 1 – रहीम जी ने सच्चे मित्र के क्या लक्षण बताये हैं?
उत्तर – रहीम जी कहते हैं कि जब हमारे पास धन-दौलत होती है तो अनेक प्रकार के लोग हमारे सगे-संबंधी अथवा मित्र बन जाते हैं परंतु सच्चे मित्र की गुणवत्ता की परख कठिन समय में ही होती है। कहने का आशय यह है कि जो मुसीबत के समय में आपके साथ खड़ा रहता है वही आपका सच्चा मित्र होता है।

प्रश्न 2 – हमें एक साथ बहुत से कार्य क्यों नहीं करने चाहिए? उदाहरण दे कर समझाएं।
उत्तर – रहीम के अनुसार अगर हम एक-एक कर कार्यों को पूरा करते हैं तो हमारे सारे कार्य पूरे हो जाएंगे, परन्तु यदि सभी काम एक साथ शुरू कर दियें तो कोई भी कार्य पूरा नही हो पायेगा। उदाहरण के लिए जैसे किसी वृक्ष की जड़ को सींचने से वह फलता-फूलता है तथा उसके फलों को खा कर सब तृप्त हो जाते हैं। कहने का आशय यह है कि पहले एक काम पूरा करने की ओर ध्यान देना चाहिए। बहुत से काम एक साथ शुरू करने से कोई भी काम ढंग से नहीं हो पता, वे सब अधूरे से रह जाते हैं।

प्रश्न 3 – रहीम जी के अनुसार परोपकार क्या है ?
उत्तर – रहीम जी के अनुसार परोपकार किसी दूसरे के लिए निस्वार्थ कुछ करना है। जैसे वृक्ष कभी भी अपने फल नहीं खाता और तालाब भी अपना जल कभी नहीं पीता। उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति दूसरों की भलाई के लिए ही धन-दौलत एकत्र करते हैं। कहने का आशय यह है कि मनुष्य को अपनी धन-संपत्ति का सदुपयोग दूसरों की भलाई अथवा परोपकार के लिए करना चाहिए।

प्रश्न 4 – हमें किसी भी वस्तु को तुच्छ या छोटा नहीं समझना चाहिए। क्यों ?
उत्तर – किसी बड़े व्यक्ति अथवा वस्तु को देखकर हमें छोटे व्यक्ति अथवा वस्तु को नहीं छोड़ना चाहिए अथवा उसका तिरस्कार नहीं करना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार सुई छोटी है और तलवार बड़ी। किन्तु आवश्यकता के समय जहाँ सुई काम आ सकती है, वहाँ तलवार कुछ नहीं कर सकती। कहने का आशय यह है कि हमें बड़ी वस्तु अथवा संपन्न व्यक्ति को देखकर छोटी वस्तु अथवा निर्धन व्यक्ति की उपयोगिता को भूलना नहीं चाहिए। हमें दोनों का सम्मान करना चाहिए।

प्रश्न 5 – बिहारी जी के अनुसार मनुष्य को कौन पागल बना देता है ?
उत्तर – बिहारी जी के अनुसार धन और वैभव का नशा मनुष्य को पागल बना देता है। धतूरे की तुलना में स्वर्ण में सौगुना अधिक नशा होता है क्योंकि धतूरे को खाने पर नशा होता है जबकि सोने के प्राप्त करने मात्र से ही नशा हो जाता है। कहने का भाव यह है कि जो नशा धतूरा खाने पर होता है, उससे कहीं अधिक नशा धन-सम्पति के प्राप्त होने मात्र से हो जाता है।

प्रश्न 6 – बिहारी जी मनुष्य को सदा आशावादी रहने के लिए किसका उदाहरण देते हैं?
उत्तर – बिहारी जी ने मनुष्य को सदा आशावादी रहने का संदेश दिया है। कवि उदाहरण देते है कि फूल न होने पर भी भँवरा गुलाब की जड़ के पास इसलिए रहता है क्योंकि उसे उम्मीद है कि फिर से बसंत ऋतु आएगी और इन डालियों पर फूल खिल जाएँगे। कहने का आशय यह है कि मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि दुःख के बाद सुख आता ही है। मनुष्य को निरन्तर उम्मीद बनाए रखनी चाहिए।

प्रश्न 7 – बिहारी जी के अनुसार किसका साथ सदा बना रहता है ?
उत्तर – बिहारी जी के अनुसार एक जैसे स्वभाव वालों का साथ सदा बना रहता है। जैसे चबाए हुए पान की लालिमा ओंठों के लिए तथा काजल आँखों के लिए बना है। कहने का आशय यह है कि समान प्रकृति तथा स्वभाव के व्यक्तियों का साथ सदा बना रहता है।

प्रश्न 8 – ‘कहने मात्र से ही गुणहीन व्यक्ति गुणवान नहीं हो सकता’ उदाहरण से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – सब लोगों के द्वारा किसी गुणहीन व्यक्ति को बार-बार गुणवान कहने से वह गुणहीन व्यक्ति गुणवान नहीं बन सकता क्योंकि क्या कभी कहीं यह नहीं सुना कि आक या मदार के वृक्ष में भी सूर्य के समान तेज तथा उजाला है। अर्थात जैसे अरक कहने से आक का वृक्ष अरक अर्थात् सूर्य नहीं हो सकता वैसे ही गुणहीन को गुणी-गुणी कहते रहने से वह गुणवान नहीं हो सकता है।

प्रश्न 9 – मूर्ख भी विद्वान् कैसे बन सकता है ? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर – बार-बार अभ्यास करने से मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान् बन सकता है। जैसे कुँए की रस्सी के बार-बार घिसने से कुँए के मेड़ के पत्थर पर भी निशान पड़ जाते हैं। कहने का आशय यह है कि परिश्रम करने से व्यक्ति अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेता है।

प्रश्न 10 – मीठी वाणी का क्या प्रभाव पद सकता है ?
उत्तर – मधुर वचनों अथवा मीठी वाणी से किसी भी अभिमानी व्यक्ति के गर्व अथवा घमंड को उसी प्रकार से शांत किया जा सकता है जैसे थोड़े से ठंडे पानी के छींटों से उबलते हुए दूध के उफ़ान को कम कर लिया जाता है। कहने का आशय यह है कि मधुर वाणी के प्रयोग से क्रोधी व्यक्ति के क्रोध तथा घमंडी के घमंड को भी शांत किया जा सकता है।

प्रश्न 11 – हमें अपने छोटे-से-छोटे शत्रु को भी कमजोर क्यों नहीं समझना चाहिए?
उत्तर – हमें अपने छोटे-से-छोटे शत्रु को भी कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। क्योंकि इस से आपके कई कार्य बिगड़ सकते है। जिस प्रकार तिनकों के समूह को आग का केवल एक छोटा सा अंगारा क्षणभर में जला कर नष्ट कर देता है वैसे ही शत्रु को कम समझने से हानि होती है। कहने का आशय यह है कि कभी भी किसी कार्य अथवा शत्रु को अपने से कम नहीं समझना चाहिए।