PSEB Class 10 Hindi Chapter 15 Sadachar Ka Taviz (सदाचार का तावीज़) Question Answers (Important)
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- Sadachar Ka Taviz Textbook Questions
- Sadachar Ka Taviz Extract Based Questions
- Sadachar Ka Taviz Multiple Choice Questions
- Sadachar Ka Taviz Extra Question Answers
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PSEB Class 10 Chapter 15 Sadachar Ka Taviz Textbook Questions
अभ्यास
(क) विषय-बोध
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए-
(1) राजा ने राज्य में किस चीज़ के फैलने की बात दरबारियों से पूछी ?
उत्तर- राजा ने राज्य में भ्रष्टाचार के फैलने की बात दरबारियों से पूछी।
(2) राजा ने भ्रष्टाचार ढूंढ़ने का काम किसे सौंपा ?
उत्तर- राजा ने भ्रष्टाचार ढूंढ़ने का काम विशषज्ञों को सौंपा।
(3) एक दिन दरबारियों ने राजा के सामने किसे पेश किया ?
उत्तर– एक दिन दरबारियों ने राजा के सामने एक साधु को पेश किया।
(4) साधु ने राजा को कौन सी वस्तु दिखायी ?
उत्तर– साधु ने राजा को सदाचार का तावीज़ दिखाया।
(5) साधु ने तावीज़ का प्रयोग किस पर किया ?
उत्तर– साधु ने तावीज़ का प्रयोग एक कुत्ते पर किया।
(6) तावीज़ों को बनाने का ठेका किसे दिया गया ?
उत्तर– तावीज़ों को बनाने का ठेका साधु को दिया गया।
(7) राजा वेश बदल कर पहली बार कार्यालय कब गए थे ?
उत्तर- राजा वेश बदलकर पहली बार कार्यालय दो तारीख को गए थे।
(8) साधु को तावीज़ बनाने के लिए कितनी पेशगी दी गई ?
उत्तर– साधु को तावीज़ बनाने के लिए पाँच करोड़ रुपये की पेशगी दी गई।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए-
(1) दरबारियों ने भ्रष्टाचार न दिखने का क्या कारण बताया ?
उत्तर- दरबारियों ने कहा कि उन्हें भ्रष्टाचार इसलिए नहीं दिखता क्योंकि वह बहुत बारीक और सूक्ष्म होता है। उनकी आँखें तो केवल राजा की विराटता, वैभव और महिमा देखने की आदी हो चुकी हैं, इसलिए उन्हें इतनी छोटी और अदृश्य चीज़ दिखाई ही नहीं देती। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उन्हें भ्रष्टाचार दिख भी जाए, तो उसमें भी वे राजा की ही छवि देखेंगे, क्योंकि उनकी आँखों में तो केवल राजा की सूरत बसी हुई है। इस तरह दरबारियों ने अपनी चतुराई से राजा को प्रसन्न करने की कोशिश की
(2) राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से क्यों की ?
उत्तर- राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से इसलिए की क्योंकि विशेषज्ञों ने बताया था कि भ्रष्टाचार सूक्ष्म, अगोचर और सर्वव्यापी है, ये सभी गुण तो ईश्वर के होते हैं। यह सुनकर राजा को लगा कि यदि भ्रष्टाचार सभी जगह है, दिखता नहीं पर महसूस किया जा सकता है, तो वह भी ईश्वर की तरह सर्वशक्तिमान हो गया है। इसीलिए उन्होंने कहा कि अब तो भ्रष्टाचार ही ईश्वर बन गया है।
(3) राजा का स्वास्थ्य क्यों बिगड़ता जा रहा था ?
उत्तर– राजा का स्वास्थ्य इसलिए बिगड़ता जा रहा था क्योंकि वे भ्रष्टाचार की समस्या और उसे मिटाने की योजना को लेकर अत्यंत चिंतित थे। विशेषज्ञों की बातें सुनकर उनके मन में निरंतर असमंजस और चिंता बनी रहती थी। वे रातभर सो नहीं पाते थे और मन ही मन सोचते रहते थे कि राज्य से भ्रष्टाचार कैसे समाप्त किया जाए। लगातार चिंता और अनिद्रा के कारण उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ने लगा था।
(4) साधु ने सदाचार और भ्रष्टाचार के बारे में क्या कहा ?
उत्तर- उत्तर- साधु ने कहा कि सदाचार और भ्रष्टाचार मनुष्य की आत्मा में बसते हैं, वे बाहर की चीज़ें नहीं हैं। विधाता जब मनुष्य को बनाता है, तब किसी की आत्मा में ईमान की कल और किसी की आत्मा में बेईमानी की कल लगाता है। इन्हीं कलों से अच्छे या बुरे विचार और कर्मों के स्वर निकलते हैं। साधु ने यह भी बताया कि मनुष्य अपनी आत्मा की पुकार के अनुसार ही काम करता है। जिसकी आत्मा में ईमान की कल होती है, वह सदाचारी बनता है, और जिसकी आत्मा में बेईमानी की कल होती है, वह भ्रष्ट आचरण की ओर बढ़ता है।
(5) तावीज़ किस लिए बनवाए गए थे ?
उत्तर- तावीज़ इस उद्देश्य से बनवाए गए थे कि जिन्हें यह बाँधा जाएगा, वे सब ईमानदार, निष्कपट और सदाचारी बन जाएँ। राजा का विश्वास था कि इस तावीज़ की शक्ति से लोगों की आत्मा में ईमानदारी के स्वर गूँजेंगे और बेईमानी स्वतः समाप्त हो जाएगी। उसका उद्देश्य था कि राज्य से भ्रष्टाचार की जड़ पूरी तरह उखाड़ दी जाए और प्रशासन पारदर्शी व न्यायपूर्ण बन सके। इसीलिए राजा ने लाखों तावीज़ बनवाने का आदेश दिया ताकि राज्य का प्रत्येक कर्मचारी सदाचार का प्रतीक बन जाए।
(6) महीने के आखिरी दिन तावीज़ में से कौन-से स्वर निकल रहे थे ?
उत्तर- महीने के आखिरी दिन तावीज़ में से यह स्वर निकल रहे थे, “अरे, आज इकतीस। आज तो ले।” यह सुनकर राजा हैरान रह गया, क्योंकि यही तावीज़ तो लोगों को सदाचार की राह दिखाने के लिए बनाया गया था। परंतु अब वही तावीज़ परिस्थिति के अनुसार बेईमानी को बढ़ावा देने लगा था। इससे यह सिद्ध हुआ कि केवल बाहरी उपायों से इंसान का चरित्र नहीं बदला जा सकता; यदि मन और आत्मा शुद्ध न हों।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात पंक्तियों में दीजिए-
(1) विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार खत्म करने के क्या-क्या उपाय बताए ?
उत्तर- विशेषज्ञों ने राजा को समझाया कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सबसे पहले व्यवस्था में बड़े बदलाव करने होंगे। उन्होंने कहा कि जहाँ ठेके होते हैं, वहाँ ठेकेदार और अधिकारी के बीच रिश्वत का लेन-देन होता है। इसलिए ठेका व्यवस्था ही समाप्त करनी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि घूस लेने के पीछे के कारणों को समझना और उन्हें मिटाना जरूरी है। अगर भ्रष्टाचार के मौके ही नहीं रहेंगे तो भ्रष्टाचार भी नहीं रहेगा। उन्होंने राजा को एक विस्तृत योजना दी जिसमें शासन प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने की बात कही गई थी।
(2) साधु ने तावीज़ के क्या गुण बताए ?
उत्तर- साधु ने राजा को बताया कि यह तावीज़ बहुत ही चमत्कारी है और इसे बाँधने वाला व्यक्ति तुरंत सदाचारी बन जाता है। उसके अनुसार भ्रष्टाचार और सदाचार मनुष्य की आत्मा में रहते हैं, बाहर नहीं। यह तावीज़ मंत्रों से सिद्ध है और इसमें से ईमानदारी के स्वर निकलते हैं। जब किसी की आत्मा बेईमानी की ओर जाती है, तो यह तावीज़ उसकी आत्मा को रोक देता है और उसे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। साधु ने यह भी कहा कि उसने इसका प्रयोग एक कुत्ते पर किया और वह भी रोटी नहीं चुराता। इस प्रकार, साधु ने इसे आत्मिक सुधार का अद्भुत साधन बताया।
(3) ‘सदाचार का तावीज़’ पाठ में छिपे व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर– ‘सदाचार का तावीज़’ पाठ में लेखक ने समाज और शासन में फैले पाखंड और दिखावे पर व्यंग्य किया है। कहानी यह दिखाती है कि राजा और दरबारी भ्रष्टाचार को मिटाने के असली उपाय करने के बजाय आसान रास्ते ढूँढ़ते हैं। वे व्यवस्था में सुधार या नैतिक शिक्षा पर ध्यान नहीं देते, बल्कि एक साधु के जादुई तावीज़ पर भरोसा करते हैं। यह व्यंग्य इस बात पर है कि लोग नैतिकता को बाहरी साधनों से प्राप्त करना चाहते हैं, जबकि असली ईमानदारी आत्मा और विचारों से आती है। लेखक यह संदेश देता है कि जब तक मनुष्य के भीतर से लोभ और स्वार्थ समाप्त नहीं होंगे, तब तक कोई तावीज़ या उपाय भ्रष्टाचार नहीं मिटा सकता।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए-
एक _______________ पाप _______________
गुण _______________ विस्तार _______________
सूक्ष्म _______________ ईमानदारी _______________
उत्तर-
| शब्द | विपरीत शब्द | शब्द | विपरीत शब्द |
| एक | अनेक | पाप | पुण्य |
| गुण | अवगुण | विस्तार | संक्षेप |
| सूक्ष्म | स्थूल | ईमानदारी | बेईमानी |
2. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
राजा _____________ कान _____________
मनुष्य _____________ दिन _____________
सदाचार _____________ भ्रष्टाचार _____________
उत्तर-
| शब्द | पर्यायवाची शब्द | शब्द | पर्यायवाची शब्द |
| राजा | नरेश, महीप | कान | कर्ण, श्रवण |
| मनुष्य | इंसान. मानव | दिन | दिवस, वासर |
| सदाचार | सद्व्यवहार, सत्पथ | भ्रष्टाचार | व्यभिचार, दुराचार |
3. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए-
अच्छे आचरण वाला _____________
बुरे आचरण वाला _____________
जो किसी विषय का ज्ञाता हो _____________
हर तरफ फैला हुआ _____________
जो दिखाई न दे _____________
जिसकी आत्मा महान हो _____________
उत्तर-
| वाक्यांश | एक शब्द |
| अच्छे आचरण वाला | सदाचारी |
| बुरे आचरण वाला | दुराचारी |
| जो किसी विषय का ज्ञाता हो | विशेषज्ञ |
| हर तरफ फैला हुआ | सर्वव्यापी |
| जो दिखाई न दे | अदृश्य |
| जिसकी आत्मा महान हो | महात्मा |
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
1. साधु के स्थान पर आप राजा को भ्रष्टाचार समाप्त करने का कौन-सा सा उपाय बताते?
उत्तर– यदि मैं साधु के स्थान पर होता तो राजा को यह सलाह देता कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए तावीज़ या जादू पर विश्वास करने के बजाय सच्ची नीयत और सख्त कार्यवाही की आवश्यकता है। राजा को चाहिए कि वह ईमानदार अधिकारियों को प्रोत्साहित करे, गलत लोगों को दंड दे, और जनता में नैतिकता की शिक्षा फैलाए। इसके साथ ही पारदर्शी व्यवस्था बनाकर लोगों को जवाबदेह बनाए।
2. विद्यार्थी के रूप में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए आप कौन-कौन से कदम उठाएंगे?
उत्तर– विद्यार्थी के रूप में मैं सबसे पहले खुद ईमानदार रहने की कोशिश करूँगा। मैं परीक्षा में नकल नहीं करूँगा, अपने काम स्वयं करूँगा और सच्चाई का साथ दूँगा। इसके अलावा, मैं अपने दोस्तों को भी ईमानदारी के महत्व के बारे में बताऊँगा। समाज में जागरूकता फैलाने और छोटी-बड़ी बेईमानी के खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास करूँगा।
3. भ्रष्टाचार या रिश्वत से संबंधित आप अपना या अपने माता पिता का कोई अनुभव लिखिए।
उत्तर– एक बार मेरे माता-पिता को किसी सरकारी कार्यालय में काम करवाना था। वहाँ के कर्मचारी ने फाइल जल्दी आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत माँगी। मेरे पिता ने मना कर दिया और कहा कि वे केवल कानूनी तरीके से ही काम करवाएँगे। थोड़ी देर की परेशानी के बाद बिना रिश्वत दिए काम हो गया। इस घटना से मुझे सच्चाई और दृढ़ता का महत्व समझ में आया।
(घ) पाठ्येतर सक्रियता
1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध स्लोगन लिखकर स्कूल में निश्चित स्थान पर लगाइए।
उत्तर-
स्लोगन/नारे-
“भ्रष्टाचार मिटाओ, देश को आगे बढ़ाओ।”
“ईमानदारी है सच्ची ताकत, भ्रष्टाचार है सबसे बड़ी आफत।”
“जब तक भ्रष्टाचार रहेगा, विकास अधूरा रहेगा।”
“ना दूँगा, ना लूँगा, भ्रष्टाचार से दूरी रखूँगा।”
“ईमानदार बनो, देश का सम्मान करो।”
“साफ मन, सच्चे कर्म, यही है राष्ट्र का धर्म।”
2. ‘भ्रष्टाचार और उसका समाधान’ – विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
3. ईमानदारी से संबंधित कहानियाँ पढ़िए।
4. इस निबंध में आए संवादों के आधार पर किसी एक प्रसंग को लघु नाटिका में रूपांतरित करके उसे स्कूल / कक्षा में मंचित कीजिए।
5. समय-समय पर विभिन्न पत्रिकाओं / समाचार पत्रों आदि में ‘भ्रष्टाचार उन्मूलन’ सम्बन्धी विषय पर कविता, निबन्ध, स्लोगन राइटिंग (नारे लेखन) आदि प्रतियोगिताओं में भाग लीजिए।
6. स्कूल अथवा अपने इलाके में चल रहे लीगल लिटरेसी क्लब के सक्रिय सदस्य बनें तथा अपने आस-पास हो रहे भ्रष्टाचार-उन्मूलन में सहयोग करें।
PSEB Class 10 Hindi Lesson 15 सदाचार का तावीज़ गद्यांश आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
1
एक राज्य में हल्ला मचा कि भ्रष्टाचार बहुत फैल गया है।
राजा ने एक दिन दरबारियों से कहा, “प्रजा बहुत हल्ला मचा रही है कि सब जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है। हमें तो आज तक कहीं नहीं दिखा। तुम लोगों को कहीं दिखा हो तो बताओ।”
दरबारियों ने कहा – “जब हुजूर को नहीं दिखा तो हमें कैसे दिख सकता है?”
राजा ने कहा- “नहीं, ऐसा नहीं, ऐसा नहीं है। कभी-कभी जो मुझे नहीं दिखता, वह तुम्हें दिखता होगा। जैसे मुझे बुरे सपने कभी नहीं दिखते, पर तुम्हें दिखते होंगे।”
दरबारियों ने कहा- “जो दिखते हैं। पर वह सपनों की बात है।”
राजा ने कहा- ” फिर भी तुम लोग सारे राज्य में ढूँढ़कर देखो कि कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं है। अगर कहीं मिल जाए तो हमारे देखने के लिए नमूना लेते आना। हम भी तो देखें कि कैसा होता है।”
1. राज्य में किस बात का हल्ला मचा हुआ था?
(क) अकाल पड़ने का
(ख) युद्ध होने का
(ग) भ्रष्टाचार फैलने का
(घ) कर बढ़ने का
उत्तर- (ग) भ्रष्टाचार फैलने का
2. राजा ने दरबारियों से क्या कहा?
(क) राज्य की प्रजा बहुत खुश है
(ख) प्रजा हल्ला मचा रही है कि भ्रष्टाचार फैल गया है
(ग) राज्य में बहुत सुख-शांति है
(घ) किसी ने विद्रोह किया है
उत्तर- (ख) प्रजा हल्ला मचा रही है कि भ्रष्टाचार फैल गया है
3. राजा ने दरबारियों को क्या करने का आदेश दिया?
(क) भ्रष्टाचार का नमूना लाने का
(ख) भ्रष्टाचार मिटाने का
(ग) प्रजा को दंड देने का
(घ) सपनों का अर्थ बताने का
उत्तर– (क) भ्रष्टाचार का नमूना लाने का
4. दरबारियों ने राजा से क्या कहा?
उत्तर– दरबारियों ने कहा कि जब हुजूर को भ्रष्टाचार नहीं दिखा तो हमें कैसे दिख सकता है। उनका जवाब राजा की चापलूसी भरा था।
5. राजा ने दरबारियों को क्या आदेश दिया?
उत्तर- राजा ने दरबारियों को आदेश दिया कि वे पूरे राज्य में घूमकर देखें कि कहीं भ्रष्टाचार है या नहीं। अगर कहीं मिले तो उसका नमूना लाकर उन्हें दिखाएँ ताकि वह भी जान सकें कि भ्रष्टाचार कैसा होता है।
2
एक दरबारी ने कहा- “हुजूर, वह हमें नहीं दिखेगा। सुना है, वह बहुत बारीक होता है। हमारी आँखें आपकी विराटता देखने की इतनी आदी हो गई हैं कि हमें बारीक चीज़ नहीं दिखती। हमें भ्रष्टाचार दिखा भी तो उसमें हमें आपकी ही छवि दिखेगी, क्योंकि हमारी आँखों में तो आपकी ही सूरत बसी है। पर अपने राज्य में एक जाति रहती है जिसे “विशेषज्ञ” कहते हैं। इस जाति के पास कुछ ऐसा अंजन होता है कि उसे आँखों में आँजकर वे बारीक से बारीक चीज़ भी देख लेते हैं। मेरा निवेदन है कि इन विशेषज्ञों को ही हुजूर भ्रष्टचार ढूँढ़ने का काम सौंपे।”
राजा ने “विशेषज्ञ” जाति के पाँच आदमी बुलाए और कहा- “सुना है, हमारे राज्य में भ्रष्टाचार है। पर वह कहाँ है, यह पता नहीं चलता। तुम लोग उसका पता लगाओ। अगर मिल जाए तो पकड़ कर हमारे पास ले आना। अगर बहुत हो तो नमूने के लिए थोड़ा-सा ले आना।”
1. दरबारी ने राजा से क्या कहा कि उन्हें भ्रष्टाचार क्यों नहीं दिखता?
(क) क्योंकि वे अंधे थे
(ख) क्योंकि भ्रष्टाचार बहुत बारीक होता है
(ग) क्योंकि वे आलसी थे
(घ) क्योंकि राज्य में भ्रष्टाचार था ही नहीं
उत्तर- (ख) क्योंकि भ्रष्टाचार बहुत बारीक होता है
2. दरबारी ने किस जाति का नाम लिया जो भ्रष्टाचार देख सकती थी?
(क) ब्राह्मण
(ख) व्यापारी
(ग) विशेषज्ञ
(घ) सैनिक
उत्तर– (ग) विशेषज्ञ
3. राजा ने विशेषज्ञों से क्या कहा?
(क) भ्रष्टाचार मिटाने को कहा
(ख) भ्रष्टाचार पर सभा करने को कहा
(ग) भ्रष्टाचार पर किताब लिखने को कहा
(घ) भ्रष्टाचार का पता लगाकर नमूना लाने को कहा
उत्तर- (घ) भ्रष्टाचार का पता लगाकर नमूना लाने को कहा
4. दरबारी ने भ्रष्टाचार ढूँढ़ने के लिए किसका सुझाव दिया?
उत्तर- दरबारी ने सुझाव दिया कि “विशेषज्ञ” नामक जाति को यह काम सौंपा जाए, क्योंकि उनके पास ऐसा अंजन होता है जिससे वे बहुत सूक्ष्म चीज़ें भी देख सकते हैं।
5. राजा ने विशेषज्ञों को क्या आदेश दिया?
उत्तर- राजा ने विशेषज्ञों को आदेश दिया कि वे पूरे राज्य में जाकर भ्रष्टाचार का पता लगाएँ। अगर भ्रष्टाचार मिल जाए तो उसे पकड़कर लाएँ, और यदि बहुत अधिक हो तो नमूने के रूप में थोड़ा-सा ले आएँ।
3
विशेषज्ञों ने उसी दिन से छानबीन शुरू कर दी।
दो महीने बात वे फिर से दरबार में हाज़िर हुए।
राजा ने पूछा- “विशेषज्ञों, तुम्हारी जाँच पूरी हो गई?”
“जी, सरकार।”
“क्या तुम्हें भ्रष्टाचार मिला।”
“जी, बहुत-सा मिला।”
राजा ने हाथ बढ़ाया- “लाओ, मुझे बताओ। देखूं, कैसा होता है।”
विशेषज्ञों ने कहा- “हुजूर, वह हाथ की पकड़ में नहीं आता। वह स्थूल नहीं, सूक्ष्म है, अगोचर है। पर वह सर्वत्र व्याप्त है। उसे देखा नहीं जा सकता, अनुभव किया जा सकता है।”
राजा सोच में पड़ गए। बोले- “विशेषज्ञों, तुम कहते हो कि वह सूक्ष्म है, अगोचर है और सर्वव्यापी है। ये गुण तो ईश्वर के हैं। तो क्या भ्रष्टाचार ईश्वर है?”
विशेषज्ञों ने कहा- “हाँ, महाराज, अब भ्रष्टाचार ईश्वर हो गया है।”
एक दरबारी ने पूछा- “पर वह है कहाँ ? कैसे अनुभव होता है?”
विशेषज्ञों ने जवाब दिया- “वह सर्वत्र है। वह इस भवन में है। वह महाराज के सिंहासन में है।”
“सिंहासन में है।” कहकर राजा साहब उछलकर दूर खड़े हो गए।
1.विशेषज्ञों ने राजा को बताया कि भ्रष्टाचार कैसा है?
(क) सूक्ष्म और अगोचर
(ख) स्थूल और दृश्यमान
(ग) बड़ा और चमकीला
(घ) केवल कुछ लोगों में पाया जाता है
उत्तर- (क) सूक्ष्म और अगोचर
2. विशेषज्ञों के अनुसार भ्रष्टाचार कहाँ पाया जाता है?
(क) केवल जनता में
(ख) केवल मंत्रियों में
(ग) सर्वत्र, हर जगह
(घ) केवल दरबार में
उत्तर– (ग) सर्वत्र, हर जगह
3. राजा क्यों उछलकर दूर खड़े हो गए?
(क) क्योंकि उन्हें डर लग गया
(ख) क्योंकि विशेषज्ञों ने कहा कि भ्रष्टाचार उनके सिंहासन में भी है
(ग) क्योंकि उन्हें किसी ने पुकारा
(घ) क्योंकि दरबार में आग लग गई
उत्तर- (ख) क्योंकि विशेषज्ञों ने कहा कि भ्रष्टाचार उनके सिंहासन में भी है
4. ‘भ्रष्टाचार’ का संधि-विच्छेद है-
(क) भ्रष्ट + चार
(ख) भ्रष्टा + चार
(ग) भ्रष्ट + आचार
(घ) भ्रष्ट + र
उत्तर- (ग) भ्रष्ट + आचार
5. राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से क्यों की?
उत्तर- राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना ईश्वर से इसलिए की क्योंकि विशेषज्ञों ने कहा था कि भ्रष्टाचार सूक्ष्म, अगोचर और सर्वव्यापी है, ये सभी गुण तो ईश्वर के माने जाते हैं।
4
विशेषज्ञों ने कहा- “हाँ, सरकार, सिंहासन में है। पिछले माह इस सिंहासन पर रंग करने के जिस बिल का भुगतान किया गया है, वह बिल झूठा है। वह वास्तव में दुगुने दाम का है। आधा पैसा बीच वाले खा गए। आपके पूरे शासन में भ्रष्टाचार है और वह मुख्यतः घूस के रूप में है।”
विशेषज्ञों की बात सुनकर राजा चिंतित हुए और दरबारियों के कान खड़े हुए।
राजा ने कहा- “यह तो बड़ी चिंता की बात है। हम भ्रष्टाचार बिल्कुल मिटाना चाहते हैं। विशेषज्ञों, तुम बता सकते हो कि वह कैसे मिट सकता है?”
विशेषज्ञों ने कहा- “हाँ महाराज, हमने उसकी भी योजना तैयार की है। भ्रष्टाचार मिटाने के लिए महाराज को व्यवस्था ने बहुत परिवर्तन करने होंगे। एक तो भ्रष्टाचार के मौके मिटाने होंगे। जैसे ठेका है तो ठेकेदार है और ठेकेदार है तो अधिकारियों को घूस है। ठेका मिट जाए तो उसकी घूस मिट जाए। इसी तरह और बहुत सी चीज़ है। किन कारणों से आदमी घूस लेता है, यह भी विचारणीय है।”
राजा ने कहा- “अच्छा, तुम अपनी पूरी योजना रख जाओ। हम और हमारा दरबार उस पर विचार करेंगे।”
विशेषज्ञ चले गए।
1.विशेषज्ञों ने राजा को सिंहासन के बारे में क्या बताया?
(क) सिंहासन बहुत पुराना हो गया है
(ख) सिंहासन पर किया गया रंग का बिल झूठा है
(ग) सिंहासन पर देवता का वास है
(घ) सिंहासन टूट गया है
उत्तर– (ख) सिंहासन पर किया गया रंग का बिल झूठा है
2. विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए क्या सुझाव दिया?
(क) अधिकारियों को सज़ा दी जाए
(ख) जनता से कर वसूला जाए
(ग) भ्रष्टाचार के मौके ही मिटा दिए जाएँ
(घ) राजा को विदेश भेज दिया जाए
उत्तर- (ग) भ्रष्टाचार के मौके ही मिटा दिए जाएँ
3. राजा ने विशेषज्ञों की योजना पर क्या कहा?
(क) अपनी पूरी योजना रख जाओ, हम विचार करेंगे
(ख) इसे जनता को बताओ
(ग) इसे तुरंत लागू करो
(घ) यह सब झूठ है
उत्तर– (क) अपनी पूरी योजना रख जाओ, हम विचार करेंगे
4. भ्रष्टाचार मिटाने के लिए विशेषज्ञों ने क्या सुझाव दिए?
उत्तर– विशेषज्ञों ने कहा कि भ्रष्टाचार मिटाने के लिए राजा को व्यवस्था में बड़े परिवर्तन करने होंगे। उन्होंने कहा कि जहाँ-जहाँ भ्रष्टाचार के मौके हैं, जैसे ठेकेदारी, उन्हें खत्म कर देना चाहिए ताकि रिश्वत के अवसर ही न रहें।
5. विशेषज्ञों की बात सुनकर राजा की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर– राजा विशेषज्ञों की बातें सुनकर बहुत चिंतित हो गए। उन्होंने कहा कि वे भ्रष्टाचार को पूरी तरह मिटाना चाहते हैं और विशेषज्ञों से पूरी योजना दरबार में विचार करने के लिए छोड़ जाने को कहा।
PSEB Class 10 Hindi Lesson 15 सदाचार का तावीज़ बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
1.कहानी “सदाचार का तावीज़” का मुख्य विषय क्या है?
(क) देशभक्ति
(ख) भ्रष्टाचार और नैतिकता
(ग) शिक्षा का महत्व
(घ) मित्रता
उत्तर- (ख) भ्रष्टाचार और नैतिकता
2. राजा को किस बात की शिकायत सुनाई दी थी?
(क) बाढ़ की
(ख) अकाल की
(ग) भ्रष्टाचार फैलने की
(घ) युद्ध की
उत्तर– (ग) भ्रष्टाचार फैलने की
3. राजा ने सबसे पहले भ्रष्टाचार के बारे में किससे पूछा?
(क) जनता से
(ख) दरबारियों से
(ग) साधु से
(घ) विशेषज्ञों से
उत्तर– (ख) दरबारियों से
4. दरबारियों ने भ्रष्टाचार न दिखने का क्या कारण बताया?
(क) भ्रष्टाचार बहुत बारीक होता है
(ख) वे सब ईमानदार थे
(ग) राज्य में भ्रष्टाचार नहीं था
(घ) जनता झूठ बोलती थी
उत्तर– (क) भ्रष्टाचार बहुत बारीक होता है
5. दरबारियों ने भ्रष्टाचार खोजने का कार्य किसे सौंपने की सलाह दी?
(क) सैनिकों को
(ख) पुजारियों को
(ग) विशेषज्ञों को
(घ) मंत्रियों को
उत्तर– (ग) विशेषज्ञों को
6. विशेषज्ञों की संख्या कितनी थी?
(क) तीन
(ख) चार
(ग) सात
(घ) पाँच
उत्तर– (घ) पाँच
7. विशेषज्ञ कितने दिनों में लौटे?
(क) एक दिन में
(ख) एक हफ्ते में
(ग) दो महीने बाद
(घ) एक साल बाद
उत्तर– (ग) दो महीने बाद
8. विशेषज्ञों के अनुसार भ्रष्टाचार कैसा था?
(क) सूक्ष्म और अगोचर
(ख) स्थूल और मोटा
(ग) दिखाई देने वाला
(घ) वस्तु के रूप में
उत्तर– (क) सूक्ष्म और अगोचर
9. राजा ने भ्रष्टाचार की तुलना किससे की?
(क) धन से
(ख) जनता से
(ग) ईश्वर से
(घ) शिक्षा से
उत्तर– (ग) ईश्वर से
10. विशेषज्ञों ने राजा को बताया कि भ्रष्टाचार कहाँ है?
(क) केवल प्रजा में
(ख) सिंहासन में भी
(ग) मंदिर में
(घ) सेना में
उत्तर– (ख) सिंहासन में भी
11. सिंहासन पर किया गया बिल कैसा था?
(क) सही
(ख) अधूरा
(ग) झूठा
(घ) सस्ता
उत्तर– (ग) झूठा
12. राजा ने भ्रष्टाचार मिटाने का कार्य किससे करवाया?
(क) विशेषज्ञों से
(ख) साधु से
(ग) दरबारियों से
(घ) मंत्रियों से
उत्तर- (क) विशेषज्ञों से
13. विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए क्या सुझाव दिया?
(क) भ्रष्ट लोगों को जेल भेजो
(ख) ठेका प्रणाली समाप्त करो
(ग) कर बढ़ाओ
(घ) राजा को त्यागपत्र देना चाहिए
उत्तर- (ख) ठेका प्रणाली समाप्त करो
14. राजा का स्वास्थ्य क्यों बिगड़ने लगा?
(क) अधिक काम से
(ख) बीमारी से
(ग) युद्ध से
(घ) भ्रष्टाचार की चिंता से
उत्तर- (घ) भ्रष्टाचार की चिंता से
15. महीने के आखिरी दिन तावीज़ में से कौन-से स्वर निकले?
(क) “ईमानदारी ही जीवन है।”
(ख) “अरे, आज इकतीस। आज तो ले।”
(ग) “कर्म ही पूजा है।”
(घ) “भ्रष्टाचार पाप है।”
उत्तर- (ख) “अरे, आज इकतीस। आज तो ले।”
16. राजा ने साधु को क्या पद देने का प्रस्ताव रखा?
(क) मंत्री
(ख) प्रमुख सचिव
(ग) जनरल मैनेजर
(घ) सैनिक अधिकारी
उत्तर- (ग) जनरल मैनेजर
17. साधु के अनुसार भ्रष्टाचार कहाँ होता है?
(क) मनुष्य की आत्मा में
(ख) मनुष्य के बाहर
(ग) समाज में
(घ) धन में
उत्तर– (क) मनुष्य की आत्मा में
18. साधु ने तावीज़ पर सबसे पहले प्रयोग किस पर किया?
(क) राजा पर
(ख) कुत्ते पर
(ग) मंत्री पर
(घ) स्वयं पर
उत्तर- (ख) कुत्ते पर
19. तावीज़ का क्या नाम था?
(क) ईमानदारी का तावीज़
(ख) सत्य का तावीज़
(ग) सदाचार का तावीज़
(घ) धर्म का तावीज़
उत्तर- (ग) सदाचार का तावीज़
20. प्रस्तुत पाठ “सदाचार का तावीज़” किसके द्वारा रचित है?
(क) शरद जोशी
(ख) श्रीलाल शुक्ल
(ग) काका हाथरसी
(घ) हरिशंकर परसाई
उत्तर– (घ) हरिशंकर परसाई
PSEB Class 10 Hindi सदाचार का तावीज़ प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)
1.कहानी “सदाचार का तावीज़” का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर– इस कहानी का मुख्य उद्देश्य समाज में फैले भ्रष्टाचार पर व्यंग्य करना है। लेखक ने दिखाया है कि राजा और मंत्री भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर केवल दिखावा करते हैं। असली परिवर्तन व्यक्ति के भीतर सदाचार के विकास से ही संभव है, न कि बाहरी उपायों या आदेशों से।
2. राजा को भ्रष्टाचार के बारे में पहली सूचना कैसे मिली?
उत्तर- राजा को विशेषज्ञों द्वारा यह बताया गया कि राज्य में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है। सिंहासन की रंगाई के लिए जो बिल पास हुआ था, वह झूठा था और उसमें आधा पैसा अधिकारियों और बीचवालों ने खा लिया था। यह सुनकर राजा बहुत चिंतित हो गए और भ्रष्टाचार मिटाने का उपाय पूछने लगे।
3. दरबारियों ने भ्रष्टाचार के विषय में क्या कहा?
उत्तर- दरबारियों ने राजा से कहा कि उन्हें तो भ्रष्टाचार कहीं दिखाई नहीं देता, क्योंकि यह बहुत सूक्ष्म होता है और सामान्य दृष्टि से पकड़ा नहीं जा सकता। वास्तव में वे स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त थे और राजा की चापलूसी करते थे।
4. विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए क्या सुझाव दिए?
उत्तर- विशेषज्ञों ने कहा कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन करने होंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि ठेका प्रणाली समाप्त की जाए क्योंकि ठेके के साथ ही रिश्वत और घूस की प्रवृत्ति बढ़ती है।
5. राजा विशेषज्ञों की बात सुनकर क्यों चिंतित हुए?
उत्तर- राजा को जब यह पता चला कि भ्रष्टाचार उनके शासन में व्याप्त है और यहाँ तक कि सिंहासन की रंगाई तक में गड़बड़ी हुई है, तो वे बहुत चिंतित हो गए। उन्हें अपनी छवि और शासन की सच्चाई पर संदेह होने लगा। इसी चिंता के कारण उनका स्वास्थ्य भी धीरे-धीरे बिगड़ने लगा।
6. साधु का चरित्र इस कहानी में क्या भूमिका निभाता है?
उत्तर– साधु इस कहानी में व्यंग्य का प्रमुख पात्र है। वह राजा को “सदाचार का तावीज़” देकर कहता है कि इससे भ्रष्टाचार मिट जाएगा। पर वास्तव में वह स्वयं भ्रष्ट निकलता है। वह तावीज़ बनाने के लिए भारी रकम लेता है और उसी भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता है, जिससे कहानी का व्यंग्य और बढ़ जाता है।
7. साधु ने राजा को तावीज़ के बारे में क्या आश्वासन दिया?
उत्तर- साधु ने राजा से कहा कि यह तावीज़ भ्रष्टाचार मिटा देगा और जिस व्यक्ति के पास यह होगा, वह कभी गलत काम नहीं करेगा। राजा इस पर विश्वास कर लेते हैं और साधु को पाँच करोड़ रुपये देकर तावीज़ बनाने का ठेका दे देते हैं। यह आश्वासन व्यंग्यात्मक रूप से समाज की अंधश्रद्धा को भी बताता है।
8. साधु ने राजा को कैसे धोखा दिया?
उत्तर– साधु ने “सदाचार का तावीज़” बनाने के नाम पर पाँच करोड़ रुपये की भारी रकम ली। उसने साधारण-से तावीज़ बनाए और उन्हें सरकारी कर्मचारियों को बाँट दिया। महीने के अंत में वही तावीज़ रिश्वत माँगते हुए “अरे, आज इकतीस, आज तो ले” जैसी आवाज़ें निकालने लगे, जिससे उसका असली धोखा सामने आ गया।
9. कहानी में व्यंग्य का तत्व कैसे प्रकट होता है?
उत्तर- इस कहानी में व्यंग्य उस समय प्रकट होता है जब भ्रष्टाचार मिटाने के लिए बनाई गई योजना स्वयं भ्रष्ट निकली। साधु, जो सदाचार सिखाने का दावा करता है, वही रिश्वतखोर बन जाता है। इस प्रकार, लेखक ने दिखाया है कि जब शासन और समाज दोनों ही अंदर से भ्रष्ट हों, तो सुधार केवल ढोंग बनकर रह जाता है।
10. कहानी का अंत क्या सन्देश देता है?
उत्तर– कहानी का अंत यह सन्देश देता है कि भ्रष्टाचार बाहरी वस्तुओं या उपायों से नहीं मिटता। जब तक व्यक्ति स्वयं अपने अंदर से ईमानदार और सच्चा नहीं बनता, तब तक कोई भी व्यवस्था या तावीज़ समाज को सुधार नहीं सकता। असली सुधार आत्मचिंतन और सदाचार से ही संभव है।