PSEB Class 10 Hindi Chapter 12 Mitrata (मित्रता) Question Answers (Important)
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- Mitrata Textbook Questions
- Mitrata Extract Based Questions
- Mitrata Multiple Choice Questions
- Mitrata Extra Question Answers
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PSEB Class 10 Chapter 12 Mitrata Textbook Questions
अभ्यास
(क) विषय-बोध
I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:-
1. घर से बाहर निकलकर बाहरी संसार में विचरने पर युवाओं के सामने पहली कठिनाई क्या आती है?
उत्तर – घर से बाहर निकल कर बाहरी संसार में विचरने पर युवा पुरुष के सामने पहली कठिनाई सच्चे मित्र चुनने की होती है।
2. हमसे अधिक दृढ़ संकल्प वाले लोगों का साथ बुरा क्यों हो सकता है?
उत्तर – हमसे अधिक दृढ़ संकल्प वाले लोगों की हमें हर बात बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है।
3. आजकल लोग दूसरों में कौन-सी दो चार बातें देखकर चटपट उसे अपना मित्र बना लेते है?
उत्तर – आजकल लोग किसी का हँसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, थोड़ी चतुराई या साहस जैसी दो-चार बातें देखकर ही शीघ्रता से चटपट उसे अपना मित्र बना लेते है।
4. किस प्रकार के मित्र से भारी रक्षा रहती है?
उत्तर – विश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है क्योंकि जिसे विश्वासपात्र मित्र मिल जाए उसे समझना चाहिए कि उसे खज़ाना मिल गया है।
5. चिंताशील, निर्बल तथा धीर पुरुष किस प्रकार का साथ ढूँढ़ते हैं?
उत्तर – चिंताशील मनुष्य प्रफुल्लित व्यक्ति का, निर्बल बली का तथा धीर व्यक्ति उत्साही पुरुष का साथ ढूँढ़ते हैं।
6. उच्च आकांक्षा वाला चंद्रगुप्त युक्ति व उपाय के लिए किसका मुँह ताकता था?
उत्तर – उच्च आकांक्षा वाला चंद्रगुप्त युक्ति और उपाय के लिए चाणक्य का मुँह ताकता था।
7. नीति-विशारद अकबर मन बहलाने के लिए किसकी ओर देखता था?
उत्तर – नीति-विशारद अकबर मन बहलाने के लिए बीरवल की ओर देखता था।
8. मकदूनिया के बादशाह डेमेट्रियस के पिता को दरवाजे पर कौन सा ज्वर मिला था ?
उत्तर – मकदूनिया के बादशाह डेमेट्रियस के पिता को दरवाज़े पर मौज-मस्ती में बादशाह का साथ देने वाला कुसंगति रूपी एक हँसमुख जवान नामक ज्वर मिला था।
9. राज दरबार में जगह न मिलने पर इंग्लैंड का एक विद्वान अपने भाग्य को क्यों सराहता रहा?
उत्तर – इंग्लैंड के एक विद्वान् को युवावस्था में राजदरबारियों में जगह नहीं मिली। इस पर वह सारी उम्र अपने भाग्य को सराहता रहा। क्योंकि उसे लगता था कि राजदरबारी बन कर वह बुरे लोगों की संगति में पड़ जाता जिससे वह आध्यात्मिक उन्नति न कर पाता।
10. हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय क्या है?
उत्तर – हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय स्वयं को बुरी संगति से दूर रखना है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए:-
1. विश्वासपात्र मित्र को खजाना, औषध और माता जैसा क्यों कहा गया ?
उत्तर – लेखक ने विश्वासपात्र मित्र को खज़ाना इसलिए कहा है क्योंकि जिसके पास खज़ाना होता है वह किसी भी कठिनाई को दूर कर सकता है। उसी प्रकार से विश्वासपात्र मित्र भी हमारी सभी कठिनाइयों को दूर करने में सक्षम होता है। वह एक औषधि के समान होता है जो हमारी सभी बुराई रूपी बीमारियों को ठीक कर देता है। वह माता के समान धैर्यवान और कोमलता से पूर्ण होता है। क्योंकि वह हमारे कष्टों को दूर करने के लिए धैर्य और कोमलता से काम लेता है।
2. अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले व्यक्ति को मित्र बनाने से क्या लाभ है ?
उत्तर – हमें अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले व्यक्ति को अपना मित्र बनाना चाहिए। ऐसा व्यक्ति हमें उच्च और महान् कार्यों को करने में सहायता देता है। वह हमारी आत्मशक्ति को बढ़ाता है। वह हमें अपनी क्षमता से अधिक कार्य करने की प्रेरणा देता है। उदाहरण के लिए सुग्रीव और श्री राम की मित्रता। श्री राम द्वारा प्रेरित होकर उसने अपने से अधिक बलवान बाली से युद्ध किया था। अपने से अधिक आत्मबल रखने वाले मित्रों के भरोसे से हम कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से कर लेते हैं।
3. लेखक ने युवाओं के लिए कुसंगति और सत्संगति की तुलना किससे की और क्यों?
उत्तर – कुसंगति के कारण हमारा जीवन नष्ट हो जाता है। कुसंगति पैरों में बंधी हुई चक्की के समान होती है जो हमें निरंतर अवनति अथवा पतन के गड्ढे में गिराती जाती है। इसके विपरीत सत्संगति हमें हमारे जीवन में सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है। सत्संगति सहारा देने वाली ऐसी भुजा के समान होती है जो हमें निरंतर उन्नति की ओर उठाती जाती है।
III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात पंक्तियों में दीजिए:-
1. सच्चे मित्र के कौन-कौन से गुण लेखक ने बताएँ हैं?
उत्तर – लेखक के अनुसार सच्चा मित्र पथ-प्रदर्शक के समान होता है, जो हमें हर समय सही रास्ता दिखता है और जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकते हैं। वह हमारे भाई जैसा होता है, जिसे हम अपना प्रीति पात्र बना सकते हैं। सच्चे मित्र में एक सर्वश्रेष्ठ वैद्य के समान निपुणता होती है, वह आपको हर तरह से सहारा देता है। सच्चे मित्र मेंअच्छी-से-अच्छी माता के समान धैर्य और कोमलता होती है, वह आपके हर सुख-दुःख में साथ रहता है। सच्चा मित्र हमारी बहुत रक्षा करता है। सच्चा मित्र हमें संकल्पों में दृढ़ करता है, दोषों से बचाता है तथा उत्तमतापूर्वक जीवन-निर्वाह करने में हर प्रकार से सहायता देता है।
2. बाल्यावस्था और युवावस्था की मित्रता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – बाल्यावस्था की मित्रता में एक मग्न करने वाला आनंद होता है। इसमें मन को प्रभावित करने वाली ईर्ष्या और खिन्नता का भाव भी होता है। इसमें बहुत अधिक मधुरता, प्रेम और विश्वास भी होता है। जल्दी ही रूठना और मनाना भी होता है। बाल्यावस्था में मित्रता की धुन सवार रहती है। मित्रता उनके हृदय से उमड़ पड़ती है। परन्तु युवा पुरुषों की मित्रता स्कूल के बच्चों की मित्रता से दृढ़, शांत और गंभीर होती है। युवावस्था कच्ची मिट्टी के समान होती है जिसे कोई भी आकार दिया जा सकता है। युवावस्था का मित्र सच्चे-पथ प्रदर्शक के समान होता है। अच्छे मित्र की मित्रता ही हमें जीवन में उन्नति व् बुरे मित्र की संगति हमें पतन की दिशा दिखती है।
3. दो भिन्न प्रकृति के लोगों में परस्पर प्रीति और मित्रता बनी रहती है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – संसार में देखा गया है कि भिन्न स्वभाव या प्रकृति के लोगों में भी अच्छी मित्रता होती है। दो भिन्न प्रकृति, व्यवसाय और रुचि के व्यक्तियों में भी मित्रता हो सकती है। राम-लक्ष्मण तथा अकबर-बीरबल और चन्द्रगुप्त-चाणक्य की मित्रता परस्पर विरोधी प्रकृति के होते हुए भी मिसाल है। वस्तुत: समाज में विभिन्नता देखकर ही लोग परस्पर आकर्षित होते हैं तथा क्योंकि हर कोई चाहता हैं कि जो गुण उनमें नहीं हैं, उन्हीं गुणों से युक्त मित्र उन्हें मिले। इसीलिए चिंतनशील व्यक्ति सदा प्रसन्न रहने वाले व्यक्ति को मित्र बनाता है। कमजोर व्यक्ति बलवान् को अपना मित्र बनाना चाहता है।
4. मित्र का चुनाव करते समय हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर – मित्र का चुनाव करते हुए सर्तकता निभानी चाहिए क्योंकि अच्छे मित्र के चुनाव पर ही हमारे जीवन की सफलता व् असफलता निर्भर करती है। जैसी हमारी संगत होगी, वैसे ही हमारे संस्कार भी होंगे, अतः हमें दृढ़ चरित्र वाले व्यक्तियों से मित्रता करनी चाहिए। जो हमारे जीवन को उत्तम और आनंदमय बनाने में सहायता दे सके ऐसा एक मित्र सैंकड़ों की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ है। मित्र बनाते समय ध्यान रखना चाहिए कि वह हमसे अधिक दृढ़ संकल्प का न हो क्योंकि ऐसे व्यक्तियों की हर बात हमें बिना विरोध के माननी पड़ती है। वह हमारी हर बात को मानने वाला भी नहीं होना चाहिए क्योंकि तब हमारे ऊपर कोई नियंत्रण नहीं रहता। केवल हंसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, चतुराई आदि देखकर भी किसी को मित्र नहीं बनाना चाहिए। उसके गुणों तथा स्वभाव की परीक्षा करके ही मित्र बनाना चाहिए। वह हमें जीवन-संग्राम में सहायता देने वाला होना चाहिए।
5. बुराई अटल भाव धारण करके बैठती है? क्या आप लेखक की इस उक्ति से सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – हम लेखक की उक्ति से सहमत हैं। क्योंकि बुरी आदतें तथा बुरी बातें प्राय: व्यक्तियों को अपनी ओर अत्यधिक शोघ्र आकर्षित कर लेती हैं। अतः ऐसे लोगों के पास थोड़े समय भी नहीं रहना चाहिए जो अश्लील, अपवित्र और फूहड़ रूप से हमारे जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं, क्योंकि यदि एक बार व्यक्ति को इन बातों अथवा कार्यों में आनंद आने लगेगा तो बुराई अटल भाव धारण कर उसमें प्रवेश कर जायेगी। व्यक्ति की भले-बुरे में अंतर करने की शक्ति भी नष्ट हो जायेगी तथा विवेक भी कुंठित हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति जल्द ही बुराई का भक्त बन जाता है। स्वयं को बुराई से दूर रखने के लिए समस्त बुराइयों से बचना आवश्यक है क्योंकि कुसंगति के प्रभाव से चतुर व्यक्ति भी बच नहीं पाता है।
(ख) भाषा – बोध
I. निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए :-
मित्र ____________ बुरा ____________
कोमल ____________ अच्छा ____________
शांत ____________ निपुण ____________
लड़का ____________ दृढ़ ____________
उत्तर –
| शब्द | भाववाचक संज्ञा |
| मित्र | मित्रता |
| बुरा | बुराई |
| कोमल | कोमलता |
| अच्छा | अच्छाई |
| शांत | शांति |
| निपुण | निपुणता |
| लड़का | निपुणता |
| दृढ़ | दृढ़ता |
II. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए :-
जिसका सत्य में दृढ़ विश्वास हो ____________
जो नीति का ज्ञाता हो ____________
जिस पर विश्वास किया जा सके ____________
जो मन को अच्छा लगता हो ____________
जिसका कोई पार न हो ____________
उत्तर –
| वाक्यांश | एक शब्द |
| जिसका सत्य में दृढ़ विश्वास हो | सत्यनिष्ठ |
| जो नीति का ज्ञाता हो | नीतिज्ञ |
| जिस पर विश्वास किया जा सके | विश्वसनीय |
| जो मन को अच्छा लगता हो | मनोरम |
| जिसका कोई पार न हो | अपरंपार |
III. निम्नलिखित में संधि कीजिए:
युवा + अवस्था ____________ बाल्य + अवस्था ____________
नीच आशय ____________ महा + आत्मा ____________
नशा उन्मुख ____________ वि+ अवहार ____________
हत + उत्साहित ____________ प्रति + एक ____________
सह + अनुभूति ____________ पुरुष + अर्थी ____________
उत्तर –
| युवा + अवस्था | युवावस्था |
| बाल्य + अवस्था | बाल्यावस्था |
| नीच + आशय | नीचाशय |
| महा + आत्मा | महात्मा |
| नशा + उन्मुख | नशोन्मुख |
| वि + अवहार | व्यवहार |
| हत + उत्साहित | हतोत्साहित |
| प्रति + एकदृढ़ | प्रत्येक |
| सह + अनुभूति | सहानुभूति |
| पुरुष + अर्थी | पुरुषार्थी |
IV. निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कीजिए:-
नीति – विशारद ____________ सत्यनिष्ठा ____________
राजदरबारी ____________ जीवन-निर्वाह ____________
पथप्रदर्शक ____________ जीवन-संग्राम ____________
स्नेह बंधन ____________
उत्तर –
| नीति-विशारद | नीति का विशारद |
| सत्यनिष्ठा | सत्य की निष्ठा |
| राजदरबारी | राज का दरबारी |
| जीवन निर्वाह | जीवन का निर्वाह |
| पथप्रदर्शक | पथ का प्रदर्शक |
| जीवन-संग्राम | जीवन का संग्राम |
| स्नेह बंधन | स्नेह का बंधन |
V. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए:-
मुहावरा अर्थ वाक्य
कच्ची मिट्टी की मूर्ति परिवर्तित होने योग्य ______________
खजाना मिलना अधिक मात्रा में धन मिलना ______________
जीवन की औषधि होना जीवन रक्षा का साधन ______________
मुँह ताकना आशा लगाए बैठना ______________
ठट्ठा मारना ठठोली करना, हँसी ______________
मजाक करना, ऐश करना
पैरों में बँधी चक्की पाँव की बेड़ी ______________
घड़ी भर का साथ थोड़ी देर का साथ ______________
उत्तर –
| मुहावरा | अर्थ | वाक्य |
| कच्ची मिट्टी की मूर्ति | परिवर्तित होने योग्य | बालयवस्था में बच्चों की बुद्धि कच्ची मिट्टी की मूर्ति जैसी होती है। |
| खज़ाना मिलना | अधिक मात्रा में धन मिलना | विश्वासपात्र मित्र मिलना, समझों खज़ाना मिल जाना। |
| जीवन की औषधि होना | जीवन रक्षा का साधन | एक सच्चा मित्र जीवन में औषधि के सामान होता है। |
| ठट्ठा मारना | ठठोली करना, हँसी मज़ाक करना, ऐश करना | एक सच्चा मित्र जीवन में औषधि के सामान होता है। |
| पैरों में बंधी चक्की | पाँव की बेड़ी | माधव की बातें सुनकर सभी ठट्ठा मार कर हँस पड़े। |
| घड़ी भर का साथ | थोड़ी देर का साथ | बुरी संगत का घड़ी भर का साथ भी आपको बुराई में धकेल सकता है। |
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1 – आपने अपने मित्रों का चुनाव उनके किन-किन गुणों से प्रभावित होकर किया है? कक्षा में बताइए।
उत्तर – मैंने अपने मित्रों का चुनाव उनके व्यवहार, रहन-सहन, स्वभाव, विनम्रता, सरल वाणी, उदार व्यक्तित्व, बड़ों के प्रति आदर, स्वच्छता, प्रकृति के प्रति सम्मान, सभी जीवों के प्रति समान स्नेह, सत्यवादिता, अनुशासन के साथ रहने का स्वभाव इत्यादि ऐसे गुण थे, जिन्होंने मुझे अपने मित्रों की ओर आकर्षित किया।
प्रश्न 2 – आपका मित्र बुरी संगति में पड़ गया है। आप उसे कुसंगति से बचाकर सत्संगति की ओर लाने के लिए, क्या उपाय करेंगे?
उत्तर – यदि किसी कारण मेरा मित्र बुरी संगत में पड़ जाता है तो मैं अपने मित्र को सत्संगति की ओर लाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करूँगा। मैं उसे कुसंगति की हानियों और सत्संगति के लाभों से परिचित करते हुए उसके सामने ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करूँगा जिनकी सहायता से उसे कुसंगति की बुराइयाँ स्पष्ट हों। उसे मैं ऐसी कहानियाँ व् कथाएँ बताऊंगा जिनसे शिक्षा लेकर वह कुसंगति छोड़ कर सत्संगति की ओर प्रेरित हो।
प्रश्न 3 – एक अच्छी पुस्तक, अच्छे विचार भी सच्चे मित्र की तरह ही होते हैं। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर – एक अच्छी पुस्तक, अच्छे विचार भी सच्चे मित्र की तरह ही होते हैं। हम इस कथन से पूरी तरह से सहमत हैं। क्योंकि एक अच्छी पुस्तक और अच्छा विचार भी व्यक्ति को बुरे मार्ग पर जाने से रोकता है। उदाहरण के लिए यदि आप रामचरितमानस पढ़ें तो आपको अच्छा मित्र, पुत्र, भाई, पति, पत्नी, राजा आदि बनने की प्रेरणा मिलती है। अच्छी पुस्तकें एक सच्चे मित्र के समान हमारा मार्गदर्शन करती हैं।
प्रश्न 4 – क्या आपने कभी अपनी बुरी आदत को अच्छी आदत में बदलने का प्रयास किया है? उदाहरण देकर कक्षा में बताइए।
उत्तर – मुझे सुबह देर से उठने व् अधिक फोन चलाने की बुरी आदत थी। अपने माता-पिता के बार-बार कहने पर भी मैं अपनी आदतों में सुधार नहीं ला पा रहा था। परीक्षा के दिनों में इन बुरी आदतों के कारण मुझे बहुत बुरा परिणाम झेलना पड़ा। उस समय मुझे सभी की बातें समझ आ रही थी और उस दिन के बाद मैनें सुबह जल्दी उठना शुरू किया और फोन का प्रयोग भी सीमित कर दिया।
PSEB Class 10 Hindi Lesson 12 मित्रता गद्यांश आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
1 –
जब कोई युवा पुरुष अपने घर से बाहर निकलकर बाहरी संसार में अपनी स्थिति जमाता है, तब पहली कठिनता उसे मित्र चुनने में आती है। यदि उसकी स्थिति बिल्कुल एकांत और निराली नहीं रहती तो उसकी जान-पहचान के लोग धड़ाधड़ बढ़ते जाते हैं और थोड़े ही दिनों में कुछ लोगों से उसका हेल-मेल हो जाता है। यही हेल-मेल बढ़ते-बढ़ते मित्रता के रूप में परिणत हो जाता है। मित्रों के चुनाव की उपयुक्तता पर उसके जीवन की सफलता निर्भर हो जाती है, क्योंकि संगति का गुप्त प्रभाव हमारे आचरण पर बड़ा भारी पड़ता है। हम लोग ऐसे समय में समाज में प्रवेश करके अपना कार्य आरम्भ करते हैं, जब कि हमारा चित्त कोमल और हर तरह का संस्कार ग्रहण करने योग्य रहता है। हमारे भाव अपरिमार्जित और हमारी प्रवृत्ति अपरिपक्व रहती है। हम लोग कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान रहते हैं, जिसे जो जिस रूप में चाहे, उस रूप में ढाले चाहे राक्षस बनाए चाहे देवता।
प्रश्न 1 – घर से बाहर निकलने पर पहली कठिनाई क्या आती है ?
(क) धन कमाना
(ख) मित्र बनाना
(ग) घर बनाना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) मित्र बनाना
प्रश्न 2 – घर से बाहर निकलने पर सच्चे मित्र बनाने की पहली कठिनाई किसको आती है ?
(क) युवा को
(ख) बालक को
(ग) विद्यार्थी को
(घ) सज्जन को
उत्तर – (क) युवा को
प्रश्न 3 – हम लोग ऐसे समय में समाज में प्रवेश करके अपना कार्य आरम्भ करते हैं, जब कि हमारा चित्त कैसा रहता है ?
(क) कोमल रहता है
(ख) हर तरह का संस्कार ग्रहण करने योग्य रहता है
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) केवल (ख)
उत्तर – (ग) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 4 – मित्रों के चुनाव की उपयुक्तता पर जीवन की ———– निर्भर हो जाती है।
(क) सफलता
(ख) असफलता
(ग) चुनौतियाँ
(घ) खुशियाँ
उत्तर – (क) सफलता
प्रश्न 5 – उपरोक्त गद्यांश का भाव क्या है ?
(क) प्रारम्भ में हमारा चित्त कोमल और हर तरह का संस्कार ग्रहण करने योग्य रहता है
(ख) मित्रों के चुनाव की उपयुक्तता पर जीवन की सफलता निर्भर हो जाती है
(ग) घर से बाहर निकलने पर सच्चे मित्र बनाने की कठिनाई होती है
(घ) मित्रता सोच-विचार कर करनी चाहिए
उत्तर – (घ) मित्रता सोच-विचार कर करनी चाहिए
2 –
ऐसे लोगों का साथ करना हमारे लिए बुरा है, जो हमसे अधिक दृढ़ संकल्प के हैं, क्योंकि हमें उनकी हर बात बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है पर ऐसे लोगों का साथ करना और भी बुरा है, जो हमारी ही बात को ऊपर रखते हैं, क्योंकि ऐसी दशा में न तो हमारे ऊपर कोई नियंत्रण रहता है और न हमारे लिए कोई सहारा रहता है। दोनों अवस्थाओं में जिस बात का भय रहता है, उसका पता युवकों को प्रायः बहुत कम रहता है। यदि विवेक से काम लिया जाए तो यह भय नहीं रहता, पर युवा पुरुष प्रायः विवेक से कम काम लेते हैं। कैसे आश्चर्य की बात है कि लोग एक घोड़ा लेते हैं तो उसके सौ गुण-दोष को परख कर लेते हैं, पर किसी को मित्र बनाने में उसके पूर्व आचरण और स्वभाव आदि का कुछ भी विचार और अनुसंधान नहीं करते। वे उसमें सब बातें अच्छी-ही-अच्छी मानकर अपना पूरा विश्वास जमा देते हैं। हँसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, थोड़ी चतुराई या साहस – ये ही दो-चार बातें किसी में देखकर लोग चटपट उसे अपना बना लेते हैं। हम लोग यह नहीं सोचते कि मैत्री का उद्देश्य क्या है? क्या जीवन के व्यवहार में उसका कुछ मूल्य भी है? यह बात हमें नहीं सूझती कि यह ऐसा साधन है, जिससे आत्मशिक्षा का कार्य बहुत सुगम हो जाता है। एक प्राचीन विद्वान का वचन है, “विश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है। जिसे ऐसा मित्र मिल जाए उसे समझना चाहिए कि खजाना मिल गया।” विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषध है। हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों से हमें दृढ़ करेंगे, दोषों और त्रुटियों से हमें बचाएँगे, हमारे सत्य, पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्साहित होंगे, तब हमें उत्साहित करेंगे।
प्रश्न 1 – जो हमसे अधिक दृढ़ संकल्प के लोग होते हैं, उनसे हमें क्या हानि होती है ?
(क) हमें उनकी हर बात को अनसुना करना पड़ता है
(ख) हमें उनकी हर बात बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है
(ग) हमें उनकी हर बात को किसी को बताना पड़ता है
(घ) हमें उनकी हर बात को दुबारा पूछना पड़ता है
उत्तर – (ख) हमें उनकी हर बात बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है
प्रश्न 2 – युवा पुरुष प्रायः ———- से कम काम लेते हैं।
(क) मित्रों
(ख) समय
(ग) साधन
(घ) विवेक
उत्तर – (घ) विवेक
प्रश्न 3 – किसी को मित्र बनाने से पूर्व उसके किस चीज पर विचार और अनुसंधान करना चाहिए ?
(क) पूर्व मित्र व् परिजन
(ख) पूर्व सम्पति व् घर
(ग) पूर्व आचरण और स्वभाव
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) पूर्व आचरण और स्वभाव
प्रश्न 4 – विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक ———— है।
(क) औषध
(ख) मिठास
(ग) वैध
(घ) सुगंध
उत्तर – (क) औषध
प्रश्न 5 – हमें अपने मित्रों से क्या आशा रखनी चाहिए?
(क) कि वे उत्तम संकल्पों से हमें दृढ़ करेंगे, दोषों और त्रुटियों से हमें बचाएँगे
(ख) कि वे हमारे सत्य, पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे
(ग) कि वे तब हमें सचेत करेंगे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, जब हम हतोत्साहित होंगे, तब हमें उत्साहित करेंगे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
3 –
छात्रावस्था में मित्रता की धुन सवार रहती है। मित्रता हृदय से उमड़ पड़ती है। पीछे के जो स्नेह-बंधन होते हैं, उनमें न तो उतनी उमंग रहती है, न उतनी खिन्नता। बाल मैत्री में जो मग्न करने वाला आनंद होता है, जो हृदय को बेधनेवाली ईर्ष्या और खिन्नता होती है, वह और कहाँ? कैसी मधुरता और कैसी अनुरक्ति होती है, कैसा अपार विश्वास होता है। हृदय के कैसे उद्गार निकलते हैं। वर्तमान कैसा आनंदमय दिखाई पड़ता है और भविष्य के संबंध में कैसी लुभानेवाली कल्पनाएँ मन में रहती है। कितनी जल्दी बातें लगती हैं और कितनी जल्दी मानना होता है।
‘सहपाठी की मित्रता’ इस उक्ति में हृदय के कितने भारी उथल-पुथल का भाव भरा हुआ है। किंतु जिस प्रकार युवा पुरुष की मित्रता स्कूल के बालक की मित्रता से दृढ़, शांत और गंभीर होती है, उसी प्रकार युवावस्था के मित्र बाल्यावस्था के मित्रों से कई बातों में भिन्न होते हैं। मैं समझता हूँ कि ‘मित्र चाहते हुए बहुत से लोग मित्र के आदर्श की कल्पना मन में करते होंगे, पर इस कल्पित आदर्श से तो हमारा काम जीवन के झंझटों में चलता नहीं। सुन्दर प्रतिभा, मनभावनी चाल और स्वच्छंद प्रकृति, ये ही दो-चार बातें देखकर मित्रता की जाती है, पर जीवन-संग्राम में साथ देने वाले मित्रों में इनसे कुछ अधिक बातें चाहिए। मित्र केवल उसे नहीं कहते, जिसके गुणों की तो हम प्रशंसा करें, पर जिससे हम स्नेह न कर सकें, जिससे अपने छोटे-छोटे काम ही हम निकालते जाएँ, पर भीतर- ही भीतर घृणा करते रहें। मित्र सच्चे पथ-प्रदर्शक के समान होना चाहिए, जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें।
प्रश्न 1 – छात्रावस्था में मित्रता कैसी होती है ?
(क) आनंदित करने वाली
(ख) हृदय को बेधने वाली ईर्ष्या और खिन्नता होती है
(ग) मधुरता और अनुरक्ति होती है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – किसकी मित्रता में हृदय के भारी उथल-पुथल का भाव भरा हुआ रहता है ?
(क) सहपाठी की मित्रता
(ख) छात्रावस्था की मित्रता
(ग) बाल्यावस्था की मित्रता
(घ) युवावस्था की मित्रता
उत्तर – (क) सहपाठी की मित्रता
प्रश्न 3 – किसकी मित्रता दृढ़, शांत और गंभीर होती है?
(क) स्कूल के बालक की
(ख) युवा पुरुष की
(ग) छात्रावस्था की
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) युवा पुरुष की
प्रश्न 4 – मित्र चाहते हुए बहुत से लोग मित्र के ————- की कल्पना मन में करते होंगे?
(क) आदर्श
(ख) सम्पति
(ग) सम्पन्नता
(घ) प्रतिभा
उत्तर – (क) आदर्श
प्रश्न 5 – मित्र किसके समान होना चाहिए?
(क) प्रदर्शक
(ख) सच्चे पथ-प्रदर्शक
(ग) भाई
(घ) सच्चे आदर्शवादी
उत्तर – (ख) सच्चे पथ-प्रदर्शक
4 –
मित्र भाई के समान होना चाहिए, जिसे हम अपना प्रीति पात्र बना सकें। हमारे और हमारे मित्र के बीच सच्ची सहानुभूति होनी चाहिए। ऐसी सहानुभूति जिससे एक के हानि-लाभ को दूसरा अपना हानि-लाभ समझे। मित्रता के लिए यह आवश्यक नहीं है कि दो मित्र एक ही प्रकार का कार्य करते हों या एक ही रुचि के हों। प्रकृति और आचरण की समानता भी आवश्यक वा वांछनीय नहीं है। दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में बराबर प्रीति और मित्रता रही है। राम धीर और शांत प्रकृति के थे, लक्ष्मण उग्र और उद्धत स्वभाव के थे, पर दोनों भाईयों में अत्यंत प्रगाढ़ स्नेह था। उन दोनों की मित्रता खूब निभी। यह कोई बात नहीं है कि एक ही स्वभाव और रुचि के लोगों में ही मित्रता हो सकती है। समाज में विभिन्नता देखकर लोग एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। जो गुण हममें नहीं हैं, हम चाहते हैं कि कोई ऐसा मित्र मिले, जिसमें वे गुण हों। चिंताशील मनुष्य प्रफुल्लित चित्त का साथ ढूँढ़ता है, निर्बल बली का, धीर उत्साही का उच्च आकांक्षा वाला चन्द्रगुप्त युक्ति और उपाय के लिए चाणक्य का मुँह ताकता था नीति विशारद अकबर मन बहलाने के लिए बीरबल की ओर देखता था।
प्रश्न 1 – हमारे और हमारे मित्र के बीच —————- होनी चाहिए?
(क) सच्ची मित्रता
(ख) सच्ची सहानुभूति
(ग) सच्ची श्रद्धा
(घ) सच्ची प्रसिद्धि
उत्तर – (ख) सच्ची सहानुभूति
प्रश्न 2 – मित्रता के लिए क्या वांछनीय नहीं है?
(क) दो मित्र एक ही प्रकार का कार्य करते हों
(ख) दो मित्र एक ही रुचि के हों
(ग) प्रकृति और आचरण की समानता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – किसमें बराबर प्रीति और मित्रता रही है?
(क) दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में
(ख) दो समान प्रकृति के मनुष्यों में
(ग) दो आदर्श प्रकृति के मनुष्यों में
(घ) दो उग्र प्रकृति के मनुष्यों में
उत्तर – (क) दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में
प्रश्न 4 – समाज में —————- देखकर लोग एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं।
(क) प्रसिद्धि
(ख) समानता
(ग) विभिन्नता
(घ) आदर्श
उत्तर – (ग) विभिन्नता
प्रश्न 5 – चिंताशील मनुष्य किसका साथ ढूंढता है?
(क) प्रफुल्लित चित्त का
(ख) बली का
(ग) उत्साही का
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) प्रफुल्लित चित्त का
PSEB Class 10 Hindi Lesson 12 मित्रता बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न 1 – जब कोई युवा व्यक्ति अपने घर से बाहर निकलकर बाहर के संसार में प्रवेश करता है, तब सबसे पहली चुनौती उसे किसमें आती है?
(क) सही घर बनाने में
(ख) सही मित्र बनाने में
(ग) सही आचरण बनाने में
(घ) सही व्यवहार बनाने में
उत्तर – (ख) सही मित्र बनाने में
प्रश्न 2 – सही मित्रों का चयन करना जीवन की सफलता को निर्धारित करता है, क्यों ?
(क) क्योंकि मित्रों की संगति का अदृश्य प्रभाव हमारे स्वभाव व् व्यवहार पर बहुत गहरा पड़ता है
(ख) क्योंकि मित्रों की संगति का अदृश्य प्रभाव हमारे स्वभाव व् व्यवहार पर नहीं पड़ता है
(ग) क्योंकि मित्रों की संगति का अदृश्य प्रभाव हमारे स्वभाव व् व्यवहार पर कुछ हद पड़ता है
(घ) क्योंकि मित्रों की संगति का अदृश्य प्रभाव हमारे स्वभाव व् व्यवहार पर बहुत कम पड़ता है
उत्तर – (क) क्योंकि मित्रों की संगति का अदृश्य प्रभाव हमारे स्वभाव व् व्यवहार पर बहुत गहरा पड़ता है
प्रश्न 3 – युवा अवस्था में हमारा मन कैसा होता है ?
(क) बहुत कोमल
(ख) हर तरह का संस्कार को ग्रहण करने योग्य
(ग) कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – हमारा कैसे लोगों का साथ मित्रता करना बुरा साबित हो सकता है?
(क) जो हमारी ही बात को सबसे अधिक महत्त्व नहीं देते हैं
(ख) जो हमारी ही बात को सबसे अधिक महत्त्व देते हैं
(ग) जो हमारी ही बात को बहुत कम सुनते हैं
(घ) जो हमारी ही बात को दूसरों तक पहुँचते हैं
उत्तर – (ख) जो हमारी ही बात को सबसे अधिक महत्त्व देते हैं
प्रश्न 5 – युवा पुरुष प्रायः ———– से कम काम लेते हैं।
(क) बुद्धि
(ख) साहस
(ग) विश्वास
(घ) मर्यादा
उत्तर – (क) बुद्धि
प्रश्न 6 – इन बातें को किसी में देखकर लोग फटाफट उसे अपना मित्र बना लेते हैं?
(क) हँसमुख चेहरा
(ख) बातचीत का ढंग
(ग) थोड़ी चतुराई या साहस
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 7 – मित्रता एक ऐसा साधन है, जिससे जीवन-ज्ञान का कार्य ————- हो जाता है।
(क) बहुत कठिन
(ख) बहुत पारिश्रमिक
(ग) बहुत सरल
(घ) बहुत पेचीदा
उत्तर – (ग) बहुत सरल
प्रश्न 8 – विश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है। जिसे ऐसा मित्र मिल जाए उसे क्या समझना चाहिए ?
(क) समझना चाहिए कि सच्चा मित्र मिल गया
(ख) समझना चाहिए कि खजाना मिल गया
(ग) समझना चाहिए कि स्नेह-बन्धन मिल गया
(घ) समझना चाहिए कि भाई मिल गया
उत्तर – (ख) समझना चाहिए कि खजाना मिल गया
प्रश्न 9 – हमारे मित्र कैसे होने चाहिए ?
(क) जिनसे हम यह उम्मीद कर सकें कि वे अच्छे निश्चयों से हमें दृढ़ करेंगे
(ख) जिनसे हम यह उम्मीद कर सकें कि बुराइयों और गलतियों से हमें बचाएँगे, हमारे सत्य, पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पक्का करेंगे
(ग) जिनसे हम यह उम्मीद कर सकें कि जब हम गलत रास्ते पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सावधान करेंगे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 10 – विद्यार्थी जीवन में सभी को अधिक से अधिक ————- बनाने की एक धुन सी सवार रहती है।
(क) मित्र
(ख) धन
(ग) जान-पहचान
(घ) साधन
उत्तर – (क) मित्र
प्रश्न 11 – बचपन की दोस्ती में क्या होता है ?
(क) लगन होती है, आनंद होता है
(ख) मित्रों के हृदय को आपस में जोड़े रखने वाली जलन और चिंता
(ग) (क) और (ख) दोनों
(घ) केवल (ख)
उत्तर – (ग) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 12 – युवा पुरुष की मित्रता, स्कूल के बालक की मित्रता से अधिक —————– होती है।
(क) दृढ़
(ख) गंभीर
(ग) शांत
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 13 – मित्रता रखने के लिए क्या आवश्यक नहीं है?
(क) कि दो मित्र अलग-अलग कार्य करते हों
(ख) कि दो मित्र अलग-अलग तरह की रुचि रखते हों
(ग) कि दो मित्र एक ही प्रकार का कार्य करते हों या उनकी एक ही तरह की रुचि भी हों
(घ) कि दो मित्र अलग-अलग सोच रखते हो
उत्तर – (ग) कि दो मित्र एक ही प्रकार का कार्य करते हों या उनकी एक ही तरह की रुचि भी हों
प्रश्न 14 – समाज में विभिन्नता देखकर ही लोग एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। क्यों ?
(क) क्योंकि सभी चाहते हैं कि जो गुण हममें नहीं हैं, कोई ऐसा मित्र मिले, जिसमें वे गुण हों
(ख) क्योंकि सभी चाहते हैं कि उनके मित्र सभी से अनोखे हों
(ग) क्योंकि सभी चाहते हैं कि उनके मित्र सर्वगुण संपन्न हो
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) क्योंकि सभी चाहते हैं कि जो गुण हममें नहीं हैं, कोई ऐसा मित्र मिले, जिसमें वे गुण हों
प्रश्न 15 – मित्र का क्या कर्तव्य है?
(क) कि वह हमारे उच्च और महान कार्यों में हमारी सहायता करे
(ख) कि वह हमारा हौंसला बढ़ाए
(ग) कि वह हमें साहस दिलाए कि हम अपनी योग्यता और क्षमता से बढ़कर काम करें
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 16 – मित्र के क्या गुण होने चाहिए?
(क) जो सम्मानित और शुद्ध हृदय वाले हों, जो कोमल और परिश्रमी हों
(ख) जिनका आचरण अच्छा हो और जो सदैव सत्य का पालन करते हों, मित्र ऐसे हों जिन पर हम अपने आप को उनके भरोसे पर छोड़ सकें
(ग) जिन पर हम यह विश्वास कर सकें कि उनसे हमें किसी भी प्रकार का धोखा नहीं मिलेगा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 17 – जो हमारे लिए कुछ नहीं कर सकते, न कोई बुद्धिमानी, न कोई अच्छी बात-बता सकें, न हमदर्दी, न हमारी ख़ुशी में शामिल हो, ऐसे मित्रों या जान पहचान वाले लोगों से क्या करना चाहिए?
(क) अपने पास रखना चाहिए
(ख) कोसों दूर रहना चाहिए
(ग) उनसे सच्ची दोस्ती करनी चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) कोसों दूर रहना चाहिए
प्रश्न 18 – हमें अपने चारों ओर कोई ————– नहीं सजानी हैं।
(क) जड़ मूर्तियाँ
(ख) प्रसिद्ध मूर्तियाँ
(ग) कीमती मूर्तियाँ
(घ) बेकार मूर्तियाँ
उत्तर – (क) जड़ मूर्तियाँ
प्रश्न 19 – आजकल के समय में कौन सी बात बड़ी नहीं है?
(क) उधार बढ़ाना
(ख) धन बढ़ाना
(ग) जान-पहचान बढ़ाना
(घ) गलतियाँ बढ़ाना
उत्तर – (ग) जान-पहचान बढ़ाना
प्रश्न 20 – कुसंगति के प्रभाव से —————- भी बच नहीं पाता है।
(क) चतुर व्यक्ति
(ख) सरल व्यक्ति
(ग) सज्जन व्यक्ति
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) चतुर व्यक्ति
PSEB Class 10 Hindi मित्रता प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)
प्रश्न 1 – जब कोई युवा व्यक्ति घर से बाहर निकलकर बाहर समाज में प्रवेश करता है, तब सबसे पहली चुनौती क्या मिलती है ?
उत्तर – जब कोई युवा व्यक्ति अपने घर से बाहर निकलकर बाहर के संसार अर्थात समाज में प्रवेश करता है, तब सबसे पहली चुनौती उसे सही मित्र बनाने में आती है। यदि वह समाज में अकेला और अलग नहीं रहता तो उसकी जान-पहचान के लोग लगातार और तेजी से बढ़ते जाते हैं और थोड़े ही दिनों में कुछ लोगों से उसका ताल-मेल बैठ जाता है। अर्थात जल्द ही उसकी कुछ लोगों से घनिष्ठता बढ़ जाती है। यही ताल-मेल बढ़ते-बढ़ते मित्रता के रूप में बदल जाता है।
प्रश्न 2 – सही मित्रों का चयन करना जीवन की सफलता को क्यों निर्धारित करता है?
उत्तर – सही मित्रों का चयन करना उसके जीवन की सफलता को निर्धारित करता है, क्योंकि मित्रों की संगति का अदृश्य प्रभाव हमारे स्वभाव व् व्यवहार पर बहुत गहरा पड़ता है। हम लोग युवा अवस्था में समाज में प्रवेश करके अपना कार्य आरम्भ करते हैं, जब कि युवा अवस्था में हमारा मन बहुत कोमल और हर तरह का संस्कार को ग्रहण करने योग्य रहता है। उस अवस्था में हम लोग कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान रहते हैं, जिसे जो जिस रूप में चाहे, उस रूप में परिवर्तित कर सकता है। चाहे तो राक्षस बना दें या चाहे तो देवता। कहने का अभिप्राय यह है कि युवा अवस्था में व्यक्ति का मन और स्वभाव दोनों किसी कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, उसे जैसी संगति मिलती है वह वैसा ही बनता जाता है।
प्रश्न 3 – किन लोगों के साथ मित्रता करना बुरा साबित हो सकता है?
उत्तर – हमारा ऐसे लोगों का साथ मित्रता करना बुरा साबित हो सकता है, जो हमसे अधिक पक्के इरादे रखने वाले हैं, क्योंकि हम उनकी किसी बात का विरोध नहीं कर सकते और हमें उनकी हर बात मान लेनी पड़ती है। परन्तु ऐसे लोगों के साथ मित्रता करना और भी बुरा होता है, जो हमारी ही बात को सबसे अधिक महत्त्व देते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में न तो हमारे ऊपर किसी का नियंत्रण रहता है और न हमारे लिए कोई सहारा रहता है। अर्थात यदि हमें ही महत्त्व मिलेगा तो हमें किसी का डर नहीं रहेगा और यदि हमें किसी की सहायता की आवश्यकता होगी तो भी हम किसी को नहीं कह पाएंगे।
प्रश्न 4 – युवा व्यक्ति किन बातों का ध्यान नहीं रखते ?
उत्तर – युवक अपने आप को अधिक महत्त्व मिलने के दुष्प्रभावों का ज्ञान नहीं रखते। यदि युवकों को अच्छे-बुरे की समझ का ज्ञान हो जाए तो इस बात का डर नहीं रहता कि मनुष्य आवश्यकता के समय अकेला रह जाएगा। परन्तु युवा पुरुष प्रायः बुद्धि से कम काम लेते हैं। यह बड़ी हैरानी की बात है कि लोग एक घोड़ा लेते हैं तो उसके सौ गुण-दोष की जाँच-पड़ताल कर के लेते हैं, परन्तु किसी को मित्र बनाने में उसके पहले के आचरण और स्वभाव आदि पर किसी भी प्रकार का विचार और जांच-पड़ताल नहीं करते। वे उस व्यक्ति में केवल सब बातें अच्छी-ही-अच्छी मानकर अपना पूरा विश्वास उस पर दिखाते हैं। हँसमुख चेहरा, बातचीत का ढंग, थोड़ी चतुराई या साहस – इन दो-चार बातें को किसी में देखकर लोग फटाफट उसे अपना मित्र बना लेते हैं।
प्रश्न 5 – विश्वासपात्र मित्र होने पर हमें क्या फायदे होते हैं ?
उत्तर – मित्रता एक ऐसा साधन है, जिससे जीवन-ज्ञान का कार्य बहुत सरल हो जाता है। अर्थात एक अच्छे मित्र के साथ से जीवन को अच्छे से जिया जा सकता है। विश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है। जिसे ऐसा मित्र मिल जाए उसे समझना चाहिए कि खजाना मिल गया। अर्थात यदि आपने पास ऐसा मित्र है जिस पर पूरा विश्वास किया जा सकता है तो आप सबसे धनवान व्यक्ति है। विश्वासपात्र मित्र जीवन में एक दवा के समान है। हमारे मित्र ऐसे होने चाहिए कि वे हमें अच्छी तरह से जीवन व्यतीत करने में हर तरह से सहायता करें। सच्ची मित्रता में एक श्रेष्ठ वैद्य की तरह कुशलता और सोचने-समझने की शक्ति होती है, अच्छी से अच्छी माता की तरह धैर्य और कोमलता होती है। प्रत्येक व्यक्ति को इसी तरह की मित्रता करने का प्रयास करना चाहिए। अर्थात हर व्यक्ति को सच्चे मित्र तलाश करने का प्रयास करना चाहिए।
प्रश्न 6 – विद्यार्थी जीवन में सभी को अधिक से अधिक मित्र बनाने की धुन क्यों सवार रहती है?
उत्तर – विद्यार्थी जीवन में सभी को अधिक से अधिक मित्र बनाने की एक धुन सी सवार रहती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे मित्रता उनके हृदय से उमड़ रही हो। उनके जीवन के जो प्रेम- बंधन अर्थात माता-पिता-भाई-बहन-रिश्तेदार इत्यादि होते हैं, उनमें न तो उन्हें उतनी ख़ुशी रहती है, न ही उनका साथ उन्हें उतनी खुशी दे पाता है जितनी वे बाहर मित्रता में पाते हैं।
प्रश्न 7 – बचपन की दोस्ती कैसी होती है ?
उत्तर – बचपन की दोस्ती में जो लगन होती है, जो आनंद होता है, जो मित्रों के हृदय को आपस में जोड़े रखने वाली जलन और चिंता होती है, वह और कहीं नहीं होती। बचपन की दोस्ती में जो मधुरता और प्रेम होता है, जो एक दूसरे पर अत्यधिक विश्वास होता है, वह कहीं नहीं होता। हृदय से केवल मित्रों के लिए भले विचार व् भाव निकलते हैं। बचपन की मित्रता में बच्चों को अपना वर्तमान खुशियों से भरा दिखाई पड़ता है और भविष्य के संबंध में मन को लुभाने वाली कल्पनाएँ मन में रहती है। बचपन में जितनी जल्दी मित्रों की बातें मन में लगती हैं, उतनी ही जल्दी सब मित्रों से सुलह भी हो जाती है।
प्रश्न 8 – सहपाठियों की मित्रता कैसी होती है ?
उत्तर – अपने साथ पढ़ने वाले मित्रों के मन में भारी उथल-पुथल के भाव भरे हुए होते है। अर्थात वे समझ नहीं पाते कि किसको मित्र की श्रेणी में रखना है या किसे नहीं। परन्तु जिस प्रकार युवा पुरुष की मित्रता, स्कूल के बालक की मित्रता से अधिक दृढ़, शांत और गंभीर होती है, उसी प्रकार युवावस्था के मित्र बचपन के मित्रों से कई बातों में अलग भी होते हैं।
प्रश्न 9 – मित्र कैसे होने चाहिए और कैसे नहीं होने चाहिए ?
उत्तर – जब कोई मित्र बनाना चाहता है तो बहुत से लोग एक आदर्श मित्र की कल्पना अपने मन में करते होंगे, परन्तु हमारे जीवन की मुसीबतों में किसी के बनावटी आदर्श से तो काम चलता नहीं है। केवल सुन्दर आकृति, मन को अच्छा लगने वाला आचरण और स्वतंत्र व्यवहार, ये ही दो-चार बातें देखकर लोगों के द्वारा किसी से मित्रता की जाती है, परन्तु जीवन की परेशानियों में साथ देने वाले मित्रों में इन बातों से कुछ अधिक बातें होनी चाहिए। मित्र केवल उसे नहीं कहा जा सकता, जिसके गुणों की तो हम प्रशंसा कर सकते हैं, परन्तु जिससे हम प्रेम न कर सकें, जिससे हम अपने छोटे-छोटे काम ही निकालते जाएँ, परन्तु भीतर-ही-भीतर उससे नफ़रत करते रहें। मित्र ऐसा होना चाहिए जो हमें सच्चे रास्ते को दिखाए, जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें। कहने का अभिप्राय यह है कि मित्र केवल दिखावटी नहीं होना चाहिए बल्कि ऐसा होना चाहिए जिससे हम सुख-दुःख बाँट सकें।
प्रश्न 10 – एक सच्चे मित्र में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?
उत्तर – मित्र हमारे भाई के समान होना चाहिए, जिससे हम अपना प्रेम बाँट सकें। हमारे और हमारे मित्र के बीच सच्ची हमदर्दी या करुणा होनी चाहिए। ऐसी हमदर्दी जिससे यदि किसी एक मित्र को हानि या लाभ हुआ हो, तो दूसरा मित्र उस हानि या लाभ को अपना हानि-लाभ ही समझे।
प्रश्न 11 – मित्रता के लिए क्या आवश्यक नहीं है ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर – मित्रता रखने के लिए यह बिलकुल भी आवश्यक नहीं है कि दो मित्र एक ही प्रकार का कार्य करते हों या उनकी एक ही तरह की रुचि भी हों। व्यवहार और आचरण की समानता भी आवश्यक वा अनिवार्य नहीं है। क्योंकि सदैव देखा गया है कि दो अलग-अलग स्वभाव के मनुष्यों में भी बराबर प्रेम और मित्रता रही है। उदाहरण के लिए जैसे राम धैर्यवान और शांत स्वभाव के थे, वहीँ लक्ष्मण क्रोधी और प्रचंड स्वभाव के थे, परन्तु दोनों भाईयों में अत्यधिक गहरा प्रेम था। उन दोनों में खूब मित्रता रही। यह बात कहीं तक भी सार्थक नहीं है कि एक ही स्वभाव और रुचि रखने वाले लोगों में ही मित्रता हो सकती है। समाज में विभिन्नता देखकर ही लोग एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। क्योंकि सभी चाहते हैं कि जो गुण हममें नहीं हैं, हम चाहते हैं कि कोई ऐसा मित्र मिले, जिसमें वे गुण हों। समाज में सदैव देखा गया है कि विपरीत व्यवहार रखने वाले व्यक्ति अधिक अच्छे व् विश्वासपात्र मित्र बनते हैं।
प्रश्न 12 – मित्र का क्या कर्तव्य है ? और कौन सा मित्र मित्रता के कर्तव्यों को पूरा कर सकता है ?
उत्तर – मित्र का कर्तव्य है कि वह हमारे उच्च और महान कार्यों में हमारी सहायता करे, हमारा हौंसला बढ़ाए और हमें साहस दिलाए कि हम अपनी योग्यता और क्षमता से बढ़कर काम करें। यह कर्तव्य वही मित्र पूरा कर सकता है, जो पक्के मन और सत्य विचारों वाला हो। इसलिए हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए जिनमें हमसे अधिक आत्मविश्वास हो। हमें उनका साथ उसी तरह पकड़ कर रखना चाहिए जिस तरह सुग्रीव ने राम जी का साथ पकड़ा था। मित्र ऐसे होने चाहिए जो सम्मानित और शुद्ध हृदय वाले हों, जो कोमल और परिश्रमी हों, जिनका आचरण अच्छा हो और जो सदैव सत्य का पालन करते हों, मित्र ऐसे हों जिन पर हम अपने आप को उनके भरोसे पर छोड़ सकें और यह विश्वास कर सकें कि उनसे हमें किसी भी प्रकार का धोखा नहीं मिलेगा।
प्रश्न 13 – लेखक के अनुसार जान-पहचान के लोग कैसे होने चाहिए?
उत्तर – लेखक के अनुसार जान-पहचान के लोग ऐसे होने चाहिए, जिनसे हम कुछ लाभ उठा सकते हों, जो हमारे जीवन को अच्छा और खुशहाल बनाने में कुछ सहायता दे सकते हों, यद्यपि जान पहचान वाले लोग उतनी ख़ुशी हमें नहीं दे सकते, जितनी हमारे गहरे मित्र हमें दे सकते हैं। लेखक बताते हैं कि मनुष्य का जीवन बहुत छोटा होता है, उसमें कुछ खोने के लिए समय नहीं रहता।
प्रश्न 14 – लेखक ईश्वर से हमें किससे दूर रखने की बात करते हैं ?
उत्तर – जो हमारे लिए कुछ नहीं कर सकते, न कोई बुद्धिमानी या सुख-ख़ुशी की बातचीत कर सकते हैं, न कोई अच्छी बात हमें बता सकते हैं, न हमदर्दी द्वारा हमें साहस बँधा सकते हैं, न हमारी ख़ुशी में शामिल हो सकते हैं, न हमें हमारे कर्त्तव्य का ध्यान दिला सकते हैं, तो ऐसे मित्रों या जान पहचान वाले लोगों से ईश्वर हमें दूर ही रखे। हमें अपने चारों ओर कोई जड़ मूर्तियाँ नहीं सजानी हैं। अर्थात केवल हमारे आस पास रहने से कोई हमारा नहीं हो जाता।
प्रश्न 15 – आजकल के समय में जान-पहचान बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है। इसके क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर – आजकल के समय में जान-पहचान बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है। कोई भी युवा पुरुष ऐसे अनेक युवा पुरुषों को मित्र बना सकता है, जो उसके साथ थियेटर देखने जाएँगे, नाचरंग में जाएंगे, सैर – सपाटे में जाएंगे, भोजन का निमंत्रण स्वीकार करेंगे। यदि ऐसे जान-पहचान के लोगों से हमें कुछ हानि नहीं होगी तो हमें कोई लाभ भी प्राप्त नहीं होगा। परन्तु यदि उनसे हमें कोई हानि होगी तो वह बहुत बड़ी होगी। यह सोच कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि तब हमारा जीवन कितना नष्ट होगा।
प्रश्न 16 – हमें कैसी सांगत में नहीं रहना चाहिए ?
उत्तर – यदि हमारे आस-पास के जान-पहचान के लोग उन मनमौजी युवकों में से निकलें, जो अमीरों की बुराइयों और मूर्खताओं की नकल किया करते हैं, दिन-रात बनावटी शृंगार में रहा करते हैं, गलियों में फालतू घूमा करते हैं और सिगरेट का धुआँ उड़ाते हैं। ऐसे नवयुवकों से बढ़कर शून्य, व्यर्थ और चिंताजनक जीवन और किसका नहीं होगा। ऐसे लोग अच्छी बातों के सच्चे सुख से कोसों दूर हैं। जिनकी आत्मा अपने इंद्रिय विषयों में ही लिप्त है, जिनका हृदय घटिया इरादों और बुरे विचारों से मलीन हैं, ऐसे नशे में डूबे हुए प्राणियों को दिन-दिन अंधकार में जाते हुए देखते हैं। हमें ऐसे प्राणियों का साथ कभी नहीं करना चाहिए। कहने का अभिप्राय यह है कि उपरोक्त बुराइयों से परिपूर्ण व्यक्तियों से हमें मित्रता नहीं करनी चाहिए। और न ही उनकी संगति में रहना चाहिए।
प्रश्न 17 – लेखक हमें बुराई से दूर रहने को क्यों कहते हैं ?
उत्तर – लेखक के अनुसार हमें पूरी सावधानी रखनी चाहिए, ऐसे लोगों को साथी नहीं बनाना चाहिए जो अश्लील, अपवित्र और फूहड़ बातों से हमें हँसाना चाहें। क्योंकि एक बार व्यक्ति यदि बुरी बातों में फँसता है तो उसे पता नहीं चलता कि वह कितनी बुराई में फँसता जा रहा है। धीरे-धीरे उन बुरी बातों का असर होते-होते उनके प्रति हमारी घृणा कम हो जाएगी। हमारी बुद्धि कमजोर हो जाएगी और हमें भले-बुरे की पहचान न रह जाएगी। अंत में इन सबके द्वारा हम भी बुराई के भक्त बन जाएंगे। इसलिए हृदय को उज्ज्वल और पवित्र रखने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि बुरी संगति को छूने से भी बचना चाहिए। व्यक्ति कितना भी चौकन्ना हो, कितना बुद्धिमान हो, सर्तक हो, पर अगर वह बुरे व्यक्ति का साथ रखता है तो उस पर उसका बुरा असर पड़ना निश्चित है। कुसंगति के प्रभाव से चतुर व्यक्ति भी बच नहीं पाता है।