PSEB Class 10 Hindi Chapter 1 Dohawali (दोहावली) Question Answers (Important) 

 

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PSEB Class 10 Chapter 1 Dohawali Textbook Questions

 

अभ्यास

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए-

(1) तुलसीदास जी के अनुसार राम जी के निर्मल यश का गान करने से कौन-से चार फल मिलते हैं ?
उत्तर– तुलसीदास जी के अनुसार राम जी के निर्मल यश का गान करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये चार फल प्राप्त होते हैं।

(2) मन के भीतर और बाहर उजाला करने के लिए तुलसी कौन-सा दीपक हृदय में रखने की बात करते हैं ?
उत्तर- मन के भीतर और बाहर उजाला करने के लिए तुलसी राम-नाम रूपी मणि का दीपक हृदय में रखने की बात करते हैं।

(3) संत किस की भाँति नीर क्षीर विवेक करते हैं ?
उत्तर– संत हंस की भाँति नीर-क्षीर विवेक करते हैं, अर्थात् जल और दूध को अलग कर लेते हैं।

(4) तुलसीदास के अनुसार भव सागर को कैसे पार किया जा सकता है ?
उत्तर– तुलसीदास के अनुसार श्रीराम के प्रति ममता रखने से, सभी के प्रति समान भावना रखने से, राग, रोष, दोष, दुःख आदि को त्यागने से भव सागर को पार किया जा सकता है।

(5) जो व्यक्ति दूसरों के सुख और समृद्धि को देखकर ईर्ष्या से जलता है, उसे भाग्य में क्या मिलता है?
उत्तर- जो व्यक्ति दूसरों के सुख और समृद्धि को देखकर ईर्ष्या करता है, ऐसे व्यक्ति का कभी भी हित नहीं हो सकता।

(6) रामभक्ति के लिए गोस्वामी तुलसीदास किसकी आवश्यकता बतलाते हैं?
उत्तर- रामभक्ति के लिए गोस्वामी तुलसीदास भगवान पर अटूट विश्वास रखने की आवश्यकता बतलाते हैं।

II. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-

(1) प्रभु तरुतर कपि द्वार पर, ते किए आप समान ।
तुलसी कहुँ न राम से, साहिब सील निधान ।।
उत्तर-
प्रसंग– प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक के अध्याय 1 ‘दोहावली – तुलसीदास’ से लिया गया है, जिसके रचयिता कवि तुलसीदास जी हैं। इस दोहे में श्रीराम जी के उदार चरित्र का वर्णन किया गया है, जहाँ उन्होंने वृक्षों पर रहने वाले साधारण वानरों को भी सम्मान और आदर प्रदान किया है।
व्याख्या- प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास जी कहते हैं कि वानरों के स्वामी श्रीराम स्वयं वृक्ष के नीचे विराजते थे, जबकि सेवक होने पर भी वानर पेड़ की डालियों पर बैठे रहते थे। फिर भी प्रभु ने इस अशिष्टता पर ध्यान न देकर उन्हें अपने ही समान मान दिया। तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रीराम जैसे शील और विनम्रता के भंडार स्वामी संसार में और कहीं नहीं मिलते।

(2) सचिव, वैद, गुरु तीनि जो, प्रिय बोलहिं भय आस ।
राज, धर्म, तन तीनि कर, होड़ बेगिही नास
उत्तर-
प्रसंग– प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक के अध्याय 1 ‘दोहावली – तुलसीदास’ से लिया गया है, जिसके रचयिता कवि तुलसीदास जी हैं। इस दोहे में नीति का संदेश दिया गया है।
व्याख्या– प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास जी नीति की बात समझाते हैं। वह बताते हैं कि यदि गुरु अपने शिष्य को सही मार्ग न दिखाए, वैद्य रोगी को सच्चा उपचार न बताए और मंत्री राजा को उचित परामर्श न दे, बल्कि डर या लालच के कारण केवल उसकी बातों को मान ले, तो उसका परिणाम विनाशकारी होता है। धर्म नष्ट होता है, शरीर रोगग्रस्त होकर समाप्त होता है और राज्य भी टिक नहीं पाता। रावण इसका उदाहरण है, जिसके मंत्री डरकर उसे सही सलाह न दे सके और उसी की वजह से उसका नाश हो गया।

(ख) भाषा-बोध

(1) निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखें :
संपति = ________________________ भलाई = ________________________
सेवक = ________________________ लाभ = ________________________
उत्तर-

शब्द  विपरीत शब्द
संपति विपत्ति 
सेवक स्वामी 
भलाई बुराई 
लाभ हानि 

(2) निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा बनाएँ:
दास = ________________________ निज = ________________________
गुरु = ________________________ जड़ = ________________________
उत्तर-

शब्द  भाववाचक संज्ञा 
दास दासता 
गुरु गुरुत्व 
निज निजता 
जड़ जड़त्व 

(3) निम्नलिखित के विशेषण शब्द बनाएँ:
धर्म = ________________________ मन = ________________________
भय = ________________________ दोष = ________________________
उत्तर-

शब्द  विशेषण शब्द 
धर्म धार्मिक 
भय  भयानक 
मन मानसिक 
दोष  दोषी

 


 

PSEB Class 10 Hindi Lesson 1 दोहावली सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

 

1.
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 1
राम नाम मनी दीप धरु, जीह देहरी द्वार
तुलसी भीतर बाहरु हुँ, जौ चाहसि उजियार।। 2

1. तुलसीदास जी के अनुसार गुरु के चरणों की धूल से क्या पवित्र होता है?
(क) तन
(ख) मन रूपी दर्पण
(ग) घर
(घ) वाणी
उत्तर- (ख) मन रूपी दर्पण

2. तुलसीदास जी के अनुसार राम जी के यश का स्मरण करने से कौन-से चार पुरुषार्थ मिलते हैं?
(क) धन, सुख, प्रेम, विजय
(ख) दया, प्रेम, शांति, क्षमा
(ग) ज्ञान, भक्ति, वैराग्य, योग
(घ) धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष
उत्तर– (घ) धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष

3. ‘राम नाम मणि दीप’ किसके ऊपर स्थापित करने की बात तुलसीदास करते हैं?
(क) हृदय रूपी कक्ष में
(ख) बुद्धि रूपी द्वार पर
(ग) जीभ रूपी देहरी पर
(घ) आँख रूपी दीपक पर
उत्तर- (ग) जीभ रूपी देहरी पर

4. तुलसीदास जी गुरु की उपमा दर्पण साफ करने वाले से क्यों देते हैं?
उत्तर– जैसे दर्पण धूल से ढक जाने पर प्रतिबिंब नहीं दिखाता, वैसे ही मन भी सांसारिक मलिनता से अशुद्ध हो जाता है। गुरु की कृपा से मन पवित्र होकर भगवान का यश ग्रहण करने योग्य बनता है।

5. “राम नाम दीपक” रखने से मनुष्य को क्या लाभ होता है?
उत्तर- राम-नाम दीपक हृदय के भीतर और बाहर दोनों ओर प्रकाश फैलाता है, जिससे अज्ञान और अंधकार दूर होकर जीवन आलोकित हो जाता है।

 

2.
जड़ चेतनगुन दोषधय, बिस्व कौन्ह करतार।
संत हंस गुन गहहिं पय, परिहरि बारि विकार ।। 3
भु तरुतर कपि द्वार पर, वे किए आयु समान।
तुलसी कहुँ न राम से, साहिब सील निधान।। 4

1. तुलसीदास जी ने संतों की तुलना किस पक्षी से की है?
(क) मोर
(ख) हंस
(ग) गरुड़
(घ) चक्रवाक
उत्तर- (ख) हंस

2. श्रीराम ने वानरों को किस प्रकार सम्मान दिया?
(क) उन्हें सेना का अंग बनाया
(ख) उन्हें भोजन करवाया
(ग) उन्हें अपने समान माना
(घ) उन्हें सोने के सिंहासन पर बैठाया
उत्तर– (ग) उन्हें अपने समान माना

3. तुलसीदास जी के अनुसार श्रीराम किसके भंडार हैं?
(क) शील और विनम्रता
(ख) धन और वैभव
(ग) बल और पराक्रम
(घ) भक्ति और ज्ञान
उत्तर– (क) शील और विनम्रता

4. तुलसीदास जी ने संतों को हंस के समान क्यों बताया?
उत्तर– क्योंकि जैसे हंस दूध और पानी को अलग करके केवल दूध पी लेता है, वैसे ही संत इस संसार में अच्छाई और बुराई को पहचानकर केवल अच्छे गुणों को अपनाते हैं और दोषों को त्याग देते हैं।

5. वानरों के प्रति श्रीराम का कैसा व्यवहार था?
उत्तर- श्रीराम ने वानरों की अशिष्टता को नज़रअंदाज़ करके उन्हें अपने समान मान दिया और उन्हें पूरा सम्मान दिया।

 

3.
तुलसी ममता राम लो, समता सब संसार।
राग न रोष न दोष दुःख, दास भए भन पार।। 5
गिरिजा संत समागम सम, न लाभ कछु आन
बिनु हरि कृपा न होइ सो गावहिं वेद पुरान। 6

1. तुलसीदास जी के अनुसार कौन-सा भक्त भवसागर से पार हो जाता है?
(क) जो श्रीराम से ममता रखता है और सबमें समता रखता है
(ख) जो धन-संपत्ति में आसक्ति रखता है
(ग) जो दूसरों के दुःख में स्वयं दुःखी होता है
(घ) जो ईश्वर से प्रेम न करके केवल यश चाहता है
उत्तर- (क) जो श्रीराम से ममता रखता है और सबमें समता रखता है

2. तुलसीदास जी के अनुसार संसार में सबसे बड़ा लाभ किससे मिलता है?
(क) धन-संपत्ति से
(ख) विद्या से
(ग) संतों की संगति से
(घ) राज्य-सत्ता से
उत्तर- (ग) संतों की संगति से

3. तुलसीदास जी के अनुसार संत-संग कब संभव होता है?
(क) जब मनुष्य बहुत प्रयत्न करे
(ख) जब श्रीहरि की कृपा हो
(ग) जब मनुष्य विद्वान बने
(घ) जब मित्र सहयोग दें
उत्तर- (ख) जब श्रीहरि की कृपा हो

4. तुलसीदास जी भक्त की किन विशेषताओं को भवसागर से पार होने का कारण बताते हैं?
उत्तर- श्रीराम में ममता रखना, सबमें समता रखना, राग-द्वेष और दोषों को त्यागना भक्त को भवसागर से पार करा देता है।

5. संतों की संगति का महत्व तुलसीदास जी क्यों बताते हैं?
उत्तर- क्योंकि संत-संग से मनुष्य का जीवन शुद्ध और भक्ति-मार्गी हो जाता है, अज्ञान दूर होता है और ईश्वर-भक्ति सहज हो जाती है।

 

4.
पर सुख संपति देखि सुनि, जरहिं जे जड़ बिनु आगि।
तुलसी तिन के भाग ते, चलै भलाई भागि।। 7
साहब ते सेवक बड़ो, जो निज धरम सुजान।
राम बाँध उत्तरे उद्धि, लांधि गए हनुमान।। 8

1. तुलसीदास जी के अनुसार, दूसरों की समृद्धि देखकर ईर्ष्या करने वाले व्यक्ति का क्या परिणाम होता है?
(क) वह और अधिक सुखी हो जाता है
(ख) उसका भाग्य नष्ट हो जाता है
(ग) उसे भगवान की कृपा मिलती है
(घ) उसे समाज में सम्मान मिलता है
उत्तर- (ख) उसका भाग्य नष्ट हो जाता है

2. तुलसीदास ने भक्त और भगवान की तुलना में किसे बड़ा बताया है?
(क) गुरु
(ख) राजा
(ग) भगवान
(घ) भक्त
उत्तर– (घ) भक्त

3. श्रीराम ने लंका जाने के लिए क्या उपाय किया था?
(क) आकाश मार्ग से गए
(ख) हनुमान की पीठ पर चढ़े
(ग) समुद्र पर पुल बनवाया
(घ) नाव से पार गए
उत्तर- (ग) समुद्र पर पुल बनवाया

4. तुलसीदास जी के अनुसार, ईर्ष्यालु व्यक्ति का कल्याण क्यों नहीं हो सकता?
उत्तर– क्योंकि ऐसा व्यक्ति दूसरों की खुशी और संपत्ति देखकर जलता है और उसका सौभाग्य स्वयं ही उससे दूर चला जाता है।

5. तुलसीदास जी ने हनुमान जी की महिमा को किस प्रकार भगवान से भी बड़ा बताया है?
उत्तर: उन्होंने कहा कि जहाँ श्रीराम को समुद्र पार करने के लिए पुल का सहारा लेना पड़ा, वहीं हनुमान जी ने अपनी शक्ति और भक्ति से बिना किसी सहारे के समुद्र लांघ लिया।

 

PSEB Class 10 Hindi Lesson 1 दोहावली बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. यदि ये तीन लोग ‘सचिव वैद गुरु’ भय या लोभ से प्रिय बोलते हैं, तो क्या होता है?
(क) धन बढ़ता है
(ख) धर्म, तन और राज्य का नाश होता है
(ग) यश मिलता है
(घ) सब सुख मिलता है
उत्तर– (ख) धर्म, तन और राज्य का नाश होता है

2. सचिव वैद गुरु तीनि जो प्रिय बोलहिं भयु आस।
राज, धर्म, तन तीनि कर, होइ बेगिही नाम ।।
यह दोहा किसके प्रसंग से जुड़ा है?
(क) रावण
(ख) विभीषण
(ग) हनुमान
(घ) लक्ष्मण
उत्तर– (क) रावण

3. बिना किसके भक्ति संभव नहीं है?
(क) गुरु
(ख) विश्वास
(ग) धन
(घ) शिक्षा
उत्तर– (ख) विश्वास

4. श्रीराम की कृपा के बिना मनुष्य को क्या नहीं मिलता?
(क) धन
(ख) यश
(ग) शांति
(घ) सुख
उत्तर– (ग) शांति

5. तुलसीदास जी के अनुसार सच्चा भक्त कैसा होता है?
(क) जो पूजा करता है
(ख) जो विश्वास रखता है
(ग) जो दान करता है
(घ) जो यश पाता है
उत्तर- (ख) जो विश्वास रखता है

6. श्रीराम ने समुद्र पार करने के लिए क्या किया?
(क) नौका चलाई
(ख) उड़कर गए
(ग) पुल बनाया
(घ) हनुमान की सहायता ली
उत्तर- (ग) पुल बनाया

7. तुलसीदास जी ने किसे भगवान से भी बड़ा बताया है?
(क) गुरु को
(ख) भक्त को
(ग) वैद्य को
(घ) मंत्री को
उत्तर– (ख) भक्त को

8. दूसरों की समृद्धि देखकर ईर्ष्या करने वाले का क्या होता है?
(क) उसका भला होता है
(ख) उसे राम कृपा मिलती है
(ग) उसे यश मिलता है
(घ) उसका भाग्य नष्ट हो जाता है
उत्तर- (घ) उसका भाग्य नष्ट हो जाता है

9. संत संगति किसके बिना नहीं मिलती?
(क) तपस्या
(ख) हरि कृपा
(ग) दान
(घ) गुरु
उत्तर- (ख) हरि कृपा

10. तुलसीदास जी के अनुसार सबसे बड़ा लाभ क्या है?
(क) संतों की संगति
(ख) धन कमाना
(ग) राज्य पाना
(घ) यश पाना
उत्तर- (क) संतों की संगति

11. तुलसीदास जी के अनुसार भवसागर से कौन पार होता है?
(क) जो तपस्या करता है
(ख) जो राम से ममता रखता है
(ग) जो दान करता है
(घ) जो पूजा करता है
उत्तर- (ख) जो राम से ममता रखता है

12. संसार को किसने गुण-दोष से युक्त बनाया है?
(क) मनुष्य ने
(ख) संतों ने
(ग) सृष्टिकर्ता ने
(घ) राम ने
उत्तर- (ग) सृष्टिकर्ता ने

13. श्रीराम को तुलसीदास ने किसका ‘निधान’ कहा है?
(क) बल का
(ख) शील का
(ग) ज्ञान का
(घ) प्रेम का
उत्तर- (ख) शील का

14. श्रीराम ने वानरों को किसके समान माना?
(क) शत्रु
(ख) दास
(ग) अपने ही समान
(घ) सेवक
उत्तर- (ग) अपने ही समान

15. हंस किसे अलग कर केवल दूध पी लेता है?
(क) जल और अग्नि
(ख) दूध और घी
(ग) रस और जल
(घ) दूध और जल
उत्तर- (घ) दूध और जल

16. तुलसीदास ने संतों की तुलना किस पक्षी से की है?
(क) मोर
(ख) गरुड़
(ग) हंस
(घ) चातक
उत्तर- (ग) हंस

17. तुलसीदास ने मन की तुलना किससे की है?
(क) दीपक
(ख) आईना
(ग) मंदिर
(घ) जल
उत्तर– (ख) आईना

18. राम-नाम दीपक किस स्थान पर रखा जाना चाहिए?
(क) मस्तिष्क पर
(ख) हृदय में
(ग) जीभ की देहरी पर
(घ) हाथों पर
उत्तर- (ग) जीभ की देहरी पर

19. “रघुबर बिमल जसु” गाने से मनुष्य को कौन से चार फल मिलते हैं?
(क) धर्म, नीति, यश, तप
(ख) शांति, बल, विजय, तप
(ग) धन, यश, बल, सुख
(घ) धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष
उत्तर- (घ) धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष

20. तुलसीदास जी किसके चरण-रज से अपने मन रूपी दर्पण को निर्मल करते हैं?
(क) श्रीराम के
(ख) श्री गुरु के
(ग) माता-पिता के
(घ) संतों के
उत्तर- (ख) श्री गुरु के

PSEB Class 10 Hindi दोहावली प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)

1. “बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- यहाँ तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रीराम का यश इतना निर्मल और पवित्र है कि उसका स्मरण करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, ये चारों पुरुषार्थ सहज ही प्राप्त हो जाते हैं।

2. तुलसीदास जी राम-नाम जपने का स्थान जीभ को क्यों बताते हैं?
उत्तर- जीभ को वाणी का साधन माना जाता है। जब जीभ राम-नाम का जप करती है, तो वह भीतर के मन को पवित्र करती है और बाहर का जीवन भी सुगंधित हो जाता है। जैसे दीपक देहरी पर रखकर भीतर-बाहर दोनों जगह प्रकाश फैलाता है, वैसे ही जीभ पर राम-नाम साधक के संपूर्ण जीवन में प्रकाश फैलाता है।

3. “संत हंस गुन गहहिं पय” पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर– इस पंक्ति में तुलसीदास जी संतों की तुलना हंस से करते हैं। जैसे हंस दूध और पानी को अलग कर केवल दूध ग्रहण करता है, वैसे ही संत संसार में रहकर अच्छाइयों को अपनाते हैं और दोषों को त्याग देते हैं।

4. संसार को गुण-दोषयुक्त बताकर तुलसीदास जी क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर– तुलसीदास जी कहते हैं कि यह संसार सृष्टिकर्ता ने गुण और दोष, दोनों से मिलाकर बनाया है। यहाँ अच्छाइयाँ भी हैं और बुराइयाँ भी। विवेकशील संतजन हंस की तरह अच्छे गुणों को ग्रहण करते हैं और दोषों से दूर रहते हैं। यह शिक्षा हमें अच्छे चरित्र और सही दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करती है।

5. “प्रभु तरुतर कपि द्वार पर” दोहे से श्रीराम का कौन-सा गुण प्रकट होता है?
उत्तर- इस दोहे से श्रीराम का विनम्र और उदार स्वभाव प्रकट होता है। वे स्वयं वृक्ष के नीचे बैठे, जबकि उनके सेवक वानर पेड़ की डालियों पर विराजमान रहे। फिर भी श्रीराम ने उन्हें अपना ही समान मानकर सम्मान दिया। इससे पता चलता है कि वे शील और विनम्रता के भंडार हैं।

6. “तुलसी ममता राम लो” दोहे का सार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- इस दोहे में तुलसीदास जी कहते हैं कि जो भक्त अपने हृदय में श्रीराम के प्रति गहरी ममता रखते हैं और संसार के प्रति समान दृष्टि रखते हैं, वे जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। ऐसे भक्त राग-द्वेष और दुखों से परे होकर भक्ति के आनंद में लीन रहते हैं।

7. समभाव रखने वाले भक्त की विशेषता क्या है?
उत्तर- समभाव रखने वाला भक्त सबके प्रति समान दृष्टि रखता है। वह किसी से न अधिक प्रेम करता है, न घृणा। वह दूसरों की बुराई नहीं करता और न ही दूसरों के दुख से स्वयं दुखी होता है। ऐसे भक्त निष्काम होते हैं और संसार के मोह-माया से ऊपर उठ जाते हैं।

8. संत-संगति का महत्व तुलसीदास जी कैसे बताते हैं?
उत्तर- तुलसीदास जी कहते हैं कि संतों की संगति से बढ़कर कोई लाभ नहीं है। यह संगति मनुष्य को अज्ञान से मुक्त करती है और भक्ति का मार्ग दिखाती है। संत-संगति से जीवन में शांति, सद्गुण और ईश्वर-भक्ति का भाव उत्पन्न होता है। वेद और पुराण भी यही कहते हैं कि यह लाभ केवल भगवान की कृपा से ही मिलता है।

9. तुलसीदास जी ने “साहब ते सेवक बड़ो” क्यों कहा है?
उत्तर- तुलसीदास जी ने यह कथन भक्त की महिमा के लिए कहा है। वे बताते हैं कि जहाँ भगवान राम को समुद्र पार करने के लिए पुल बनवाना पड़ा, वहीं उनके भक्त हनुमान ने बिना सहारे विशाल समुद्र पार कर लिया। इससे स्पष्ट होता है कि सच्चा भक्त अपने विश्वास और पराक्रम से भगवान से भी बढ़कर दिखाई देता है।

10. “बिनु बिस्वास भगति नहिं” दोहे में तुलसीदास जी का क्या संदेश है?
उत्तर- इस दोहे में तुलसीदास जी विश्वास के महत्व को बताते हैं। उनका कहना है कि बिना विश्वास के सच्ची भक्ति संभव नहीं है और बिना भक्ति के भगवान की कृपा नहीं मिलती। प्रभु की कृपा के बिना जीवन में क्षणभर भी शांति नहीं मिल सकती। अतः भक्त को सदैव विश्वास और भक्ति से भगवान का स्मरण करना चाहिए।