श्री गुरु नानक देव जी का चरित्र चित्रण | Character Sketch of Shri Guru Nanak Dev Ji from PSEB Class 10 Hindi Book Chapter 17 Shri Guru Nanak Dev Ji
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श्री गुरु नानक देव जी का चरित्र चित्रण (Character Sketch of Shri Guru Nanak Dev Ji)
गुरु नानक देव जी का जन्म जिला शेखपुरा के तलवंडी (जो अब पाकिस्तान में है) गाँव में कार्तिक पूर्णिमा को सन् 1469 ई. में हुआ था। वर्तमान समय में तलवंडी गाँव अब ननकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। गुरु नानक देव जी जन्म से क्षत्रिय थे, स्वभाव से घूमने वाले थे, कर्म से अत्यधिक विनम्र थे, उन्हें हर तरह का ज्ञान था, उच्च भावनाओं से परिपूर्ण थे, आध्यात्मिक पथ के अटल रूप से चलने वाले गुरु नानक देव जी एक महान व्यक्तित्व लेकर इस संसार में आए थे।
- अवतारी महापुरुष – जब गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था उस समय भारत या भारत के लोग कई तरह की बुरी आदतों के गिरफ़्त में थे। समाज की राजनैतिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति बहुत चिंताजनक थी। राजा शोषण करने वाले किसी व्यक्ति का रूप धारण कर चुके थे। समाज अनेक जातियों, संप्रदायों और धर्मों में विभाजित हो चुका था। धार्मिक तौर पर पाखंडों, अंधविश्वासों तथा कर्मकांडों को अत्यधिक महत्त्व दिया जा रहा था। ऊँच-नीच और अस्पृश्यता का जहर भारतीय लोगों के हर हिस्से में फैल चुका था तथा राजाओं की लूटमार से जनता बहुत दुखी हो रही थी। ऐसे समय में लोगों की पुकार सुनकर परमात्मा ने दुनिया का सुधार करने के लिए गुरु नानक देव जी को इस संसार में भेजा।
- मार्गदर्शक – गुरु नानक देव जी एक महान दिव्यशक्ति थे जो पंजाब के भक्ति आंदोलन के संचालक थे तथा विनाश की ओर जाते हुए उस समय के समाज को सही रास्ता दिखाने वाले थे।
- आध्यात्मिक व्यक्तित्व – गुरु नानक देव जी बचपन से ही आध्यात्मिक विचारों के थे। सात वर्ष की आयु में उन्हें गाँव की ही पाठशाला में पढ़ने के लिए भेजा गया परंतु उन्होंने वहाँ अपने आध्यात्मिक विचारों से अपने अध्यापक को अत्यधिक प्रभावित किया। आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार गुरु नानक देव जी को एक मौलवी सैयद हुसैन और एक पंडित बृजनाथ ने भी शिक्षा दी थी। गुरु नानक देव जी ने छोटी आयु में ही पंजाबी, फारसी, हिंदी, संस्कृत का ज्ञान प्राप्त कर लिया थे। परंतु ये शिक्षा उनके लिए बहुत कम थी। इसलिए और अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए उन्होंने अनुभवी साधुओं के साथ अपना मेल-मिलाप बढ़ाया, ताकि अपने मन की ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा को शांत कर सके।
- सांसारिक बंधनों से मुक्त – गुरु नानक देव जी के पिता ने गुरु नानक देव जी को दुनिया के आधार पर जीवन-व्यापन हेतु किया जाने वाला व्यवसाय के कार्यों में जैसे कृषि कार्य, व्यापार आदि में लगाने का बहुत प्रयास किया गुरु नानक देव जी इन कार्यों में न लगकर, साधुओं की सेवा में लीन रहे। लगभग अठारह वर्ष की आयु तक वे अनेक मतों के साधुओं की संगति में रहे। इन साधुओं की संगति से उन्हें भारतीय धर्म, सम्प्रदाय और भारतीय धर्म ग्रंथों व शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त हुआ। इसी समय के दौरान गुरु नानक देव जी ने भूखे साधुओं को 20 रुपए से खाना खिलाकर सच्ची सेवा व सच्चा सौदा किया। गुरु नानक देव जी के पिता ने गुरु नानक देव जी को सांसारिक बंधनों में बाँधने का भरसक प्रयास किया, ताकि वे दुनिया से विरक्त हो कर साधू न बन जाएं।
- संसार का कल्याण करने के लिए तत्पर – सुलतानपुर में रहकर गुरु नानक देव जी को सत्ता या शासन के अत्याचारों तथा उस समय के समाज के धार्मिक आडंबरों, कर्मकांडों, अन्ध-विश्वासों आदि की गहरी जानकारी प्राप्त हुई। इसके अलावा गुरु नानक देव जी ने अलग-अलग आध्यात्मिक अवस्थाओं से गिरे हुए बनावटी जीवन को भी बहुत नजदीक से देखा। इन सब चीजों को देखकर गुरु नानक देव जी बहुत बैचेन हुए। 1499 ई में एक सुबह वे देई नदी में स्नान करने गए। वर्तमान में इस घटना को इतिहास में ‘वेंई प्रवेश’ के नाम से जाना जाता है। वहाँ गुरु नानक देव जी तीन दिन अलोप रहे। इस समय के दौरान गुरु नानक देव जी को निरंकार परमात्मा से संसार का कल्याण करने के लिए चारों दिशाओं की यात्रा करने का संदेश प्राप्त हुआ। तीन दिन बाद प्रकट होकर उन्होंने ‘न कोई हिन्दू न मुसलमान’ वाक्य कहा। इसके साथ ही वे संसार के कल्याण के लिए संसार की यात्राओं पर चल पड़े।
- सर्व धर्म कल्याणकर्ता – यात्राओं के दौरान ही गुरु नानक देव जी ने कई स्थानों पर उचित उपदेश द्वारा भटके हुए लोगों को सही मार्ग दिखलाया था। उन दौरान कश्मीर विद्वानों का गढ़ मान जाता था। गुरु नानक देव जी ने वहाँ के पंडितों से विचार-विमर्श किया। हिमालय पर योगियों के केंद्र थे। गुरु नानक देव जी ने उनको सही धर्म सिखाया तथा योगी सिद्धों को जन सेवा का उपदेश भी दिया। हिन्दुस्तान में घूमते समय गुरु नानक देव जी का अनेक पीरों-फकीरों, सूफी-संतों के साथ भी तर्क-वितर्क हुआ। मौलवी व मुसलमानों को भी गुरु नानक देव जी ने सही रास्ता दिखाया। गुरु नानक देव जी ने इस्लामी देशों में यात्राओं के द्वारा मानव धर्म की शिक्षा दी।
- धर्म प्रचारक – लगभग बाईस वर्ष गुरु नानक देव जी घूम फिर कर धर्म का प्रचार करते रहे। गुरु नानक देव जी सम्पूर्ण विश्व में घूम-घूम कर मानव धर्म का उपदेश देते रहे और अपने जीवन के अंतिम क्षणों में करतारपुर में खेती-बड़ी करते हुए गृहस्थ जीवन व्यतीत किया परन्तु धार्मिक उपदेश वे अंत तक देते रहे।
- सहज व सरल भाषा – गुरु नानक देव जी ने बहुत सहज व सरल भाषा में लोगों को प्रभावित किया। अपनी सहजता से ही उन्होंने उन्हें नीचा दिखाने वालों के तर्कों का जवाब दिया। नीचा दिखाने वालों के तर्कों का जवाब सरलता या सहजता से देना बहुत कठिन कार्य था। सहज धर्म की व्याख्या उन्होंने सहजता से ही की। कहीं भी अपनी विद्वता या ज्ञानता का प्रदर्शन नहीं किया। इस तरह की ही मीठी भाषा से उन्होंने सबको प्रभावित किया।
- एक महान कवि तथा संगीत के आचार्य – गुरु नानक देव जी की वाणी सिक्खों के धार्मिक ग्रन्थ श्री गुरु ग्रन्थ साहिब’ में संकलित है।’ श्री गुरु ग्रन्थ साहिब’ में 974 पद और श्लोक गुरु नानक देव जी द्वारा रचित हैं। इनमें बहुत से अलग-अलग विषयों की चर्चा की गई है। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में मुख्य 31 राग हैं और उनमें उन्नीस का प्रयोग गुरु नानक देव जी ने अपनी वाणी में किया है। गुरु नानक देव जी ने प्रातः कालीन प्रार्थना के लिए ‘जपुजी’ की रचना की, जो वर्तमान में आज सिक्ख सिद्धांतों का सार कही जा सकती है। इसके अतिरिक्त गुरु नानक देव जी की अन्य रचनाओं में, आसा की वार, सिद्ध गोसटि, पट्टी, दक्खनी ऊँकार, पहरे-तिथि, बारह माह, सुचच्ची-कुचब्बी, आरती आदि प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। इनके अलावा भी गुरु नानक देव जी की अन्य वाणी श्लोक, पद, अष्टपदियों, सोहले, छन्द आदि के रूप में हैं।
- गुरु नानक देव जी की वाणी की अलग व् अद्भुत विशेषताएँ हैं – ‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब’ में प्रत्येक कवि का अपनी बात कहने का अलग ढंग या तरीका है, परन्तु गुरु नानक देव जी की वाणी अन्य कवियों के तरीकों से बिल्कुल अलग व् अद्भुत विशेषताएँ लिए हुए है। गुरु नानक देव जी के प्रत्येक वाक्य के पीछे उनका संपूर्ण व्यक्तित्व झलकता है, जो उनकी पद्धति- विशेष को बिल्कुल अनोखा बना देता है। अपने समय के कर्मकांडों,अत्यधिक संख्या में देवताओं की पूजा करने वालों को देखते हुए गुरु नानक देव जी ने एक परमेश्वर की पूजा करने का उपदेश दिया।
- सिक्ख धर्म के संस्थापक – संसार को एक नया दृष्टिकोण देने के कारण गुरु नानक देव जी विश्व प्रसिद्ध संसार के सुधारक कहलाए, जो संसार के लोगों की नीची सोच और आपसी ईर्ष्या, द्वेष और नफरत से बिलकुल अलग और अनछुआ था। अर्थात गुरु नानक देव जी से पहले शायद ही किसी ने संसार को ऐसा नया दृष्टिकोण देने की कोशिश भी की होगी। गुरु नानक देव जी का प्रेम, समानता, सरलता आदि का उपदेश ही उस एक बड़े धर्म का बीज बना जो आगे चलकर सिक्ख धर्म के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
श्री गुरु नानक देव जी के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to the Character of Shri Guru Nanak Dev Ji
Q1. कैसे पता चलता है की गुरु नानक सांसारिक बंधनों से मुक्त थे ?
Q2. गुरु नानक देव को एक अवतारी महापुरुष के रूप में क्यों जाना जाता है ?