सत्रिया और बिहू नृत्य पाठ सार

 

CBSE Class 6 Hindi Chapter 8 “Satriya aur Bihu Nritya”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Malhar Book

 

सत्रिया और बिहू नृत्य सार – Here is the CBSE Class 6 Hindi Malhar Chapter 8 Satriya aur Bihu Nritya Summary with detailed explanation of the lesson ‘Satriya aur Bihu Nritya’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary

इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 6 हिंदी मल्हार के पाठ 8 सत्रिया और बिहू नृत्य पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप  इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 6 सत्रिया और बिहू नृत्य पाठ के बारे में जानते हैं।

 

Satriya aur Bihu Nritya

 

यह अध्याय एक ब्रिटिश लड़की, एंजेला, और उसके परिवार की असम यात्रा की कहानी है। जो जया मेहता द्वारा लिखित है और इसका अनुवाद शिवेंद्र कुमार सिंह ने किया है। एंजेला की माँ, एलेसेंड्रा, एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता हैं, जिन्हें असम की नृत्य परंपरा पर एक फिल्म बनाने के लिए अनुदान मिला है। इस कार्य के लिए वे अपने पति और बेटी के साथ भारत आती हैं। असम पहुँचकर, एंजेला बिहू उत्सव का अनुभव करती है और इसकी सजीवता, संगीत, और नृत्य से मंत्रमुग्ध हो जाती है। इसके बाद, वे एक वैष्णव मठ जाते हैं, जहाँ वह सत्रिया नृत्य की अनूठी परंपरा को देखती है और रीना सेन की बेटी अनु के साथ दोस्ती करती है। सत्रिया नृत्य में महिलाओं की भागीदारी और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को जानने के बाद, एंजेला स्वयं भी इस नृत्य को सीखने और अपने देश में प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित होती है। इस यात्रा के माध्यम से वह भारतीय संस्कृति और उसकी विविध कलात्मक परंपराओं से गहराई से जुड़ जाती है।

 

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सत्रिया और बिहू नृत्य- पाठ सार Satriya aur Bihu Nritya Summary

 

भारत की सांस्कृतिक परंपरा और नृत्य की विविधता को दर्शाने वाला यह पाठ एक ब्रिटिश लड़की, एंजेला, की असम यात्रा की कहानी प्रस्तुत करता है। एंजेला लंदन के केंजिंग्टन इलाके में रहने वाली एक लड़की है, जिसे यात्रा और नई जगहों को जानने में रुचि है। उसकी माँ, एलेसेंड्रा, एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता हैं, जिन्हें असम की नृत्य परंपरा पर एक फिल्म बनाने के लिए ब्रिटिश अकादमी से अनुदान मिला है। इस प्रोजेक्ट के कारण, वे अपने परिवार के साथ असम जाने का निर्णय लेती हैं, जिससे एंजेला को भारतीय संस्कृति को नजदीक से देखने का अवसर मिलता है।

असम पहुँचने के बाद, वे बिहू उत्सव में शामिल होते हैं, जो एक कृषि पर्व है और फसल चक्र के साथ जुड़ा हुआ है। एंजेला यहाँ बिहू नृत्य और पारंपरिक संगीत को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाती है। उसे यह देखकर आश्चर्य होता है कि किस तरह असम के लोग अपने त्योहारों को नृत्य और संगीत के माध्यम से हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों, वाद्ययंत्रों और समूह नृत्य को देखकर वह भी इस नृत्य का हिस्सा बनने की इच्छा प्रकट करती है।

इसके बाद, वे असम के एक प्रसिद्ध ‘सत्र’ (वैष्णव मठ) की यात्रा करते हैं, जहाँ उन्हें सत्रिया नृत्य देखने का अवसर मिलता है। यह नृत्य परंपरागत रूप से पुरुषों द्वारा किया जाता था, लेकिन अब इसमें महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ रही है। यहाँ एंजेला की मुलाकात रीना सेन की बेटी अनु से होती है, जिससे उसकी गहरी मित्रता हो जाती है। अनु उसे असमिया संस्कृति और पारंपरिक खेलों से परिचित कराती है। दोनों साथ मिलकर सत्रिया नृत्य की मुद्राओं और शैली को समझने की कोशिश करती हैं। एंजेला नृत्य की इस भव्यता और शक्ति से बहुत प्रभावित होती है, खासकर जब वह महिलाओं द्वारा प्रस्तुत सत्रिया नृत्य देखती है।

इस यात्रा के दौरान एंजेला को भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता का अनुभव होता है। वह समझती है कि नृत्य और संगीत सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि भावनाओं को व्यक्त करने और समाज की परंपराओं को सुरक्षित रखने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। जब वह लंदन लौटती है, तो अपनी कक्षा में बिहू और सत्रिया नृत्य का प्रदर्शन करती है, जिसे उसके सहपाठी और शिक्षक बहुत सराहते हैं। इस अनुभव से उसे यह भी अहसास होता है कि कला और संस्कृति की भाषा सब जगह फ़ैली हुई है, जो किसी भी व्यक्ति को किसी भी संस्कृति से जोड़ सकती है। इस यात्रा ने एंजेला के जीवन को एक नया दृष्टिकोण दिया, और उसने भारतीय नृत्य परंपराओं को अपने दिल में बसा लिया।

 

सत्रिया और बिहू नृत्य पाठ व्याख्या  Satriya aur Bihu Nritya Explanation

पाठ
एंजेला लंदन के जाने-माने इलाके केंजिंग्टन में रहती थी। उसका स्कूल घर से दूर नहीं था। उसका कोई सगा भाई-बहन भी नहीं था। उसे जेम्स और कीरा नाम के दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद था। वे सब आपस में मिलकर कई काल्पनिक खेल खेला करते थे। उन्हें ऐसी कहानियों का पात्र बनने में मज़ा आता था, जिनमें दूर-दराज़ की दुनिया का जिक्र हो। एंजेला को हर उस कहानी से प्यार था, जिसमें उसे ताजमहल, एफिल टॉवर या कोलोजियम की यात्रा पर जाना हो। उसे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि जल्दी ही यात्राओं की उसकी ये कहानियाँ सच साबित होने वाली हैं। 

शब्दार्थ-
जाने-माने – प्रसिद्ध
इलाका – क्षेत्र, स्थान
सगा – निकट संबंधी
काल्पनिक – कल्पना से जुड़ा, जो असली न हो
पात्र – कहानी या नाटक में भूमिका निभाने वाला व्यक्ति
दूर-दराज़ – बहुत दूर स्थित
यात्रा – सफर
अंदाजा – अनुमान
साबित होना – सच या सही सिद्ध होना

व्याख्या- एंजेला लंदन के प्रसिद्ध इलाके केंजिंग्टन में रहती थी। उसका स्कूल उसके घर के पास ही था, जिससे उसे वहाँ जाने में ज्यादा समय नहीं लगता था। उसके कोई सगे भाई-बहन नहीं थे, इसलिए वह अपने दोस्तों जेम्स और कीरा के साथ समय बिताना पसंद करती थी। वे तीनों मिलकर कई तरह के काल्पनिक खेल खेलते थे और नई-नई कहानियों का हिस्सा बनने में उन्हें मज़ा आता था। खासकर वे ऐसी कहानियों में खो जाते थे, जिनमें किसी दूर देश की रोमांचक यात्रा का जिक्र होता था। एंजेला को उन कहानियों से बहुत प्यार था, जिनमें उसे ताजमहल, एफिल टॉवर या कोलोजियम जैसी मशहूर जगहों की सैर करनी होती। वह सपनों में ही दुनिया की सैर कर लिया करती थी, लेकिन उसे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उसकी यह कल्पनाएँ जल्द ही हकीकत बनने वाली हैं। जल्दी ही, उसे एक ऐसा मौका मिलने वाला था, जिससे उसकी ज़िंदगी में एक नया अनुभव जुड़ने वाला था।

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पाठ
एंजेला की माँ एलेसेंड्रा एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म निर्माता थीं। उन्हें लंदन की ब्रिटिश अकादमी से असम की नृत्य परंपरा पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए वित्तीय मदद दी गई थी। पेचीदा बात यह थी कि उनके पास इस काम को पूरा करने के लिए सिर्फ़ एक महीने का वक्‍त था। उन्होंने एंजेला के स्कूल से उसकी बसंत की छुट्टियों को एक हफ़्ते और बढ़ाने की अनमुति ले ली, जिससे एंजेला और उसके पिता ब्रायन भी उनके साथ जा सकें । एंजेला बहुत जल्दबाजी में बनाई गई इस यात्रा की योजना से हैरान थी, पर उसकी माँ समय से यह काम पूरा कर सकें, इसलिए वे सभी जल्दी ही तैयार हो गए।

शब्दार्थ-
डॉक्यूमेंट्री – किसी विषय पर आधारित तथ्यात्मक फ़िल्म
फ़िल्म निर्माता – फ़िल्म बनाने वाला व्यक्ति
ब्रिटिश अकादमी – ब्रिटेन की एक प्रतिष्ठित संस्था जो कला, फ़िल्म और संस्कृति से संबंधित कार्य करती है
नृत्य परंपरा – किसी स्थान विशेष की पारंपरिक नृत्य शैली
वित्तीय मदद – आर्थिक सहायता
पेचीदा – जटिल, कठिन
अनुमति – इजाज़त
जल्दबाजी – बिना अधिक देर किए
योजना – कार्य करने की पहले की तैयारी 

व्याख्या- एंजेला की माँ एलेसेंड्रा एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म निर्माता थीं। उन्हें लंदन की ब्रिटिश अकादमी से असम की पारंपरिक नृत्य कला पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए आर्थिक सहायता मिली थी। मुश्किल यह थी कि उन्हें यह काम सिर्फ़ एक महीने में पूरा करना था। समय की कमी को देखते हुए, उन्होंने एंजेला के स्कूल से उसकी बसंत की छुट्टियों को एक हफ़्ता बढ़ाने की अनुमति ले ली, ताकि एंजेला और उसके पिता ब्रायन भी इस यात्रा में उनके साथ जा सकें। एंजेला इस अचानक बनी यात्रा की योजना से हैरान थी, लेकिन उसकी माँ के लिए यह ज़रूरी था कि वे समय पर अपना प्रोजेक्ट पूरा करें। इसलिए, परिवार ने जल्दी ही यात्रा की तैयारियाँ शुरू कर दीं और जल्द ही एक रोमांचक सफर के लिए निकल पड़े।

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पाठ
जब तक एंजेला कुछ समझ पाती, तब तक वह लंदन से नई दिल्ली होते हुए गुवाहाटी की उड़ान पर थी। यात्रा के दौरान माँ ने एंजेला को असम की खूबसूरती के बारे में कुछ बातें बताई। असम, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में है, जिसे अपने वन्य-जीवन, रेशम और चाय के बागानों के लिए जाना जाता है। इसके साथ असम में नृत्य की भी एक समृद्ध परंपरा है। एलेसेंड्रा की डॉक्यूमेंट्री के केंद्र में असम के जनजीवन में नृत्य के महत्व को तलाशना था। वे जब यहाँ आ रहे थे तब अप्रैल का महीना चल रहा था। असम में यह नए साल का वक्त होता है। बसंत के आने की खुशी में वे सभी एक त्योहार मनाते हैं, जिसे ‘बिहू’ कहा जाता है। एंजेला उसी रात इसे देखने जाने वाली थी।

शब्दार्थ-
उड़ान – हवाई यात्रा, विमान से यात्रा
वन्य-जीवन – जंगल में रहने वाले जीव-जंतु और प्रकृति
रेशम – एक मुलायम और चमकदार कपड़ा जो रेशम के कीड़ों से प्राप्त होता है
चाय के बागान – चाय की खेती के लिए लगाए गए बड़े-बड़े खेत
समृद्ध परंपरा – किसी स्थान की पुरानी और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत
जनजीवन – आम लोगों का जीवन, समाज का रहन-सहन
महत्व – किसी चीज़ की खासियत या उपयोगिता
बसंत – वसंत ऋतु, जब प्रकृति में नई बहार आती है
बिहू – असम का प्रमुख त्योहार, जो नए साल और खेती से जुड़ा होता है

व्याख्या- एंजेला को समझ ही नहीं आया कि इतनी जल्दी सब कुछ कैसे हो गया। जब तक वह स्थिति को पूरी तरह से समझ पाती, तब तक वह लंदन से नई दिल्ली होते हुए गुवाहाटी की उड़ान में थी। यात्रा के दौरान उसकी माँ ने उसे असम की खूबसूरती और खासियतों के बारे में बताया। असम भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और यह अपनी हरियाली, समृद्ध वन्य-जीवन, बेहतरीन रेशम, और चाय के बागानों के लिए मशहूर है। इसके अलावा, यहाँ की नृत्य परंपरा भी बहुत खास है।
एलेसेंड्रा की डॉक्यूमेंट्री का मुख्य विषय असम के लोगों के जीवन में नृत्य की अहमियत को समझना था। अच्छी बात यह थी कि वे उस समय असम पहुँचे जब अप्रैल का महीना चल रहा था, जो वहाँ नए साल का समय माना जाता है। इस मौसम में लोग बसंत के आने का जश्न मनाते हैं और एक खास त्योहार ‘बिहू’ मनाते हैं। यह उत्सव नृत्य, संगीत और खुशी से भरा होता है। एंजेला को उसी रात बिहू देखने जाने का मौका मिलने वाला था, जिससे वह बहुत खुश थी।

 

पाठ
गुवाहाटी के एक होटल में सामान्य होने के बाद वे उसी शाम पास के एक गाँव मलंग में गए। गाँव पहुँचने पर माँ ने एंजेला को बताया कि बिहू एक कृषि आधारित त्योहार है। भारत में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा किसानों का है। असम में बिहू साल में तीन बार मनाया जाता है। सबसे पहले जब किसान बीज बोते हैं, फिर जब वे धान रोपते हैं और फिर तब, जब खेतों में अनाज तैयार हो जाता है। 

शब्दार्थ-
कृषि आधारित – खेती से संबंधित
त्योहार – विशेष अवसर पर मनाया जाने वाला उत्सव
जनसंख्या – किसी स्थान पर रहने वाले लोगों की कुल संख्या
किसान – खेती करने वाला व्यक्ति
बिहू – असम का प्रसिद्ध त्योहार, जो कृषि से जुड़ा हुआ है
बीज बोना – खेत में फसल उगाने के लिए बीज डालना
धान रोपना – धान की फसल के पौधों को खेत में लगाना

व्याख्या- वे तीनों गुवाहाटी के एक होटल में थोड़ा आराम करने और सफर की थकान मिटाने के बाद उसी शाम पास के एक गाँव, मलंग, की ओर रवाना हुए। जैसे ही वे गाँव पहुँचे, एंजेला को वहाँ का वातावरण एकदम अलग और नया लगा। चारों तरफ हरियाली थी, और हवा में एक खास तरह की ताजगी थी।
गाँव पहुँचने के बाद, एंजेला की माँ ने उसे बिहू त्योहार के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने समझाया कि बिहू असम का एक प्रमुख कृषि आधारित त्योहार है, जो किसानों के जीवन से जुड़ा हुआ है। भारत की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर करती है, और असम में यह त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है। पहली बार तब, जब किसान खेतों में बीज बोते हैं, दूसरी बार जब वे धान की रोपाई करते हैं, और तीसरी बार तब, जब उनकी फसल पककर तैयार हो जाती है। यह त्योहार सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत, खुशी और नई उम्मीदों का प्रतीक है।

 

पाठ
एंजेला कार से उतरी, वहाँ आस-पास उत्सव जैसा माहौल देखकर वह हतप्रभ थी। वहाँ एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे मंच बनाया गया था। वह जगह लोगों से भरी हुई थी। एंजेला ने एक पेड़ के नीचे एक साथ इतने लोगों को पहले कभी नहीं देखा था। वहाँ खुले आसमान के नीचे लोगों के बीच बैठकर उसे ऐसा लग रहा था, जैसे वह आश्‍चर्यजनक रूप से किसी टाइम-मशीन में आकर बैठ गई हो! या क्या वह उस वक्त किसी सपनों की दुनिया में थी? वह मंत्रमुग्ध होकर वहाँ लड़के-लड़कियों को बसंत ऋतु के आगमन पर नृत्य करते देख रही थी। एंजेला ने इस बात पर ध्यान दिया कि लड़कों ने वाद्ययंत्र ले रखे हैं और लड़कियों ने लाल और बादामी रंग की गहरी डिजाइन वाली खूबसूरत पोशाक पहन रखी है। वे सभी काफ़ी रंगीन और मस्त लग रहे थे। उनका हिलता-डुलता शरीर, हाथ-पैर की हलचल से समझ आ रहा था कि वे मौज-मस्ती के नृत्य में खोए हुए हैं। उसकी इच्छा हुई कि वह भी अपने घर पर बसंत के आगमन पर ऐसे ही नृत्य करेगी। 

शब्दार्थ-
उत्सव – त्योहार, आनंद और खुशी का अवसर
हतप्रभ – हैरान होना
मंच – किसी कार्यक्रम या नृत्य प्रदर्शन के लिए बना ऊँचा स्थान
मंत्रमुग्ध – किसी चीज़ को देख या सुनकर मोहित हो जाना
वाद्ययंत्र – संगीत बजाने के उपकरण, जैसे ढोल, बांसुरी आदि
डिजाइन – कपड़ों पर बने सुंदर और विशेष आकार या पैटर्न
मौज-मस्ती – आनंद और खुशी से भरा समय
हलचल – गति, गतिविधि 

व्याख्या- प्रस्तुत अंश में एंजेला वहाँ के वातावरण को देखकर चकित हो उठती है। एंजेला कार से उतरी और चारों ओर के नज़ारे देखकर दंग रह गई। पूरे गाँव में उत्सव जैसा माहौल था। हर तरफ रौशनी थी, लोग पारंपरिक कपड़ों में सजे हुए थे, और ढोल-नगाड़ों की गूँज से हवा गूंज रही थी। गाँव के बीचों-बीच एक विशाल बरगद के पेड़ के नीचे मंच सजाया गया था, जहाँ भीड़ उमड़ी हुई थी। इतने सारे लोगों को एक साथ, खुले आसमान के नीचे बैठा देखकर एंजेला को ऐसा लगा जैसे वह किसी पुराने समय में पहुँच गई हो—जैसे कोई जादुई टाइम मशीन उसे पुराने समय में ले आई हो!
वह मंत्रमुग्ध होकर उस दृश्य को निहारने लगी। सामने रंग-बिरंगे कपड़े पहने लड़के-लड़कियाँ पारंपरिक बिहू नृत्य कर रहे थे। लड़कों के हाथों में असम के पारंपरिक वाद्ययंत्र थे, और लड़कियाँ लाल और बादामी रंग की खूबसूरत, गहरी डिज़ाइन वाली पोशाक में चमक रही थीं। उनकी हलचल,  हाथों की मुद्राएँ और ऊर्जावान शरीरभाषा से साफ़ झलक रहा था कि वे इस खुशी के पल में पूरी तरह खो चुके थे। हर कोई बसंत ऋतु के स्वागत में झूम रहा था।
एंजेला को यह नज़ारा इतना अच्छा लगा कि उसने सोचा—क्या वह भी अपने घर पर बसंत के आगमन पर ऐसा ही नृत्य कर सकती है? यह विचार ही उसे रोमांचित कर रहा था!

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पाठ
बिहू नृत्य और इसके उत्सव से अचभ‍िंत एंजेला और उसके परिवार ने इसके साथ-साथ लजीज पकवानों का पूरा आनंद लिया। जब वे वापस लौटे, तब माँ ने एंजेला से पूछा कि ‘उसे बिहू कैसा लगा?’ एंजेला के मन में कई तरह के  विचार चल रहे थे। उसे अच्छा लगा कि इस उत्सव और नृत्य दोनों को ‘बिहू’ कहा जाता है। उसने माँ से पूछा कि क्या संगीत और नृत्य सिर्फ़ त्योहारों पर ही होते हैं। माँ ने बताया, “पूरी दुनिया की संस्कृतियों में लोग नृत्य और संगीत से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। खासतौर से भारत में बहुतायत ऐसा होता है। असम का बिहू नृत्य ग्रामीण जनजीवन के साथ-साथ फसल लगाने से लेकर बसंत के आगमन तक से जुड़ा हुआ है।”

शब्दार्थ-
अचंभित – हैरान, आश्चर्यचकित
लजीज – स्वादिष्ट, बहुत अच्छा लगने वाला
पकवान – विशेष रूप से बनाए गए व्यंजन
उत्सव – त्योहार, खुशी का अवसर
भावनाएँ – मन की अनुभूतियाँ, एहसास
संस्कृति – किसी देश या समाज की परंपराएँ, रीति-रिवाज और जीवन जीने का तरीका
बहुतायत – अधिक मात्रा में
ग्रामीण जनजीवन – गाँव में रहने वाले लोगों का जीवन
फसल – खेतों में उगाई गई कृषि उपज
आगमन – किसी चीज़ का आना, आगमन होना

व्याख्या- बिहू नृत्य और उसके साथ मनाए जा रहे इस भव्य उत्सव से एंजेला पूरी तरह डूब गई थी। सबकुछ उसे किसी जादुई दुनिया जैसा लग रहा था। इस अनुभव को और भी खास बना रहे थे असम के लजीज पकवान, जिनका उन्होंने पूरे आनंद के साथ स्वाद लिया।
जब वे होटल वापस लौटे, तो माँ ने मुस्कुराते हुए एंजेला से पूछा कि उसे बिहू कैसा लगा। एंजेला के मन में कई तरह के विचार उमड़ रहे थे। उसने इस बात पर गौर किया कि इस उत्सव और नृत्य, दोनों को ही ‘बिहू’ कहा जाता है, जो उसे बहुत दिलचस्प लगा। थोड़ी देर सोचने के बाद, उसने माँ से पूछा कि क्या संगीत और नृत्य सिर्फ़ त्योहारों पर ही होते हैं।
माँ ने समझाते हुए कहा कि पूरी दुनिया में लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए संगीत और नृत्य का सहारा लेते हैं, खासतौर पर भारत में, जहाँ यह परंपरा बहुत समृद्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि असम का बिहू नृत्य न सिर्फ़ ग्रामीण जनजीवन का हिस्सा है, बल्कि यह फसल लगाने, अनाज काटने और बसंत के आगमन जैसे खास मौकों से भी जुड़ा हुआ है। माँ की बातें सुनकर एंजेला को एहसास हुआ कि संगीत और नृत्य सिर्फ़ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि जीवन और प्रकृति के साथ गहराई से जुड़े होते हैं।

 

पाठ
एंजेला की माँ अगले कुछ दिन डॉक्यूमेंट्री के तथ्य जुटाने और साक्षात्कार लेने में व्यस्त रहीं, एंजेला ने काफ़ी सारी बातों पर दूर से ही गौर किया। उसने महसूस किया कि लंदन के जीवन से यहाँ सब कुछ कितना अलग था! उसे अपनी माँ पर गर्व हुआ। वे एक वैज्ञानिक-कहानीकार की तरह हैं, जो अपनी फिल्मों के द्वारा बहुत-सी चीजें एक साथ दिखाते हैं। 

शब्दार्थ-
तथ्य – सच्ची जानकारी
साक्षात्कार – बातचीत के माध्यम से जानकारी लेना
गौर करना – ध्यानपूर्वक देखना और समझना
महसूस करना – अनुभव करना, एहसास होना
गर्व – अभिमान, सम्मान का भाव
वैज्ञानिक-कहानीकार – ऐसा व्यक्ति जो विज्ञान और कहानियों को जोड़कर प्रस्तुत करता है
फ़िल्म – चलचित्र, देखकर और सुनकर कहानी या तथ्य दिखाने का साधन

व्याख्या- अगले कुछ दिनों तक एंजेला की माँ डॉक्यूमेंट्री के लिए जानकारी इकट्ठा करने और लोगों से बातचीत करने में पूरी तरह व्यस्त रहीं। इस दौरान, एंजेला ने सब कुछ दूर से ही देखा और समझने की कोशिश की। उसने महसूस किया कि लंदन के जीवन की तुलना में यहाँ का माहौल, लोग, और उनकी दिनचर्या कितनी अलग थी। यहाँ की संस्कृति, रीति-रिवाज, और लोगों का प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध उसे बिल्कुल नया अनुभव दे रहा था।
धीरे-धीरे, एंजेला को अपनी माँ के काम का महत्व समझ में आने लगा। उसे एहसास हुआ कि वे सिर्फ़ एक फिल्म निर्माता नहीं थीं, बल्कि एक तरह की वैज्ञानिक-कहानीकार थीं, जो अपनी डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से अलग-अलग संस्कृतियों, परंपराओं, और जीवन के पहलुओं को एक साथ जोड़ती थीं। माँ की मेहनत और उनकी कहानी कहने की अनूठी शैली को देखकर एंजेला को उन पर गर्व महसूस हुआ।

 

पाठ
अगले दिन वे उत्तरी असम की तरफ़ रवाना हुए, जहाँ सभी ‘सत्रों’, अर्थात मठों की पीठ है। वे सभी एक सत्र के पास रहने के लिए जाने वाले थे और सत्रिया नृत्य का फ़िल्मांकन करने वाले थे। जब वे ‘दक्षिणापथ सत्र’ पहुँचे, तब वहाँ उनकी मुलाकात रीना सेन से हुई, जो असम की एक जानी-मानी लेखिका हैं। उस हफ़्ते उन लोगों को रीना सेन के घर पर ही रुकना था। रीना आंटी की एक बिटिया थी— अनु। अनु और एंजेला ने तुरंत एक-दूसरे की तरफ़ देखा। उन दोनों की ही उम्र दस साल थी, दोनों ने अंग्रेजी में बातचीत शुरू की। अनु ने एंजेला को कुछ असमिया शब्द भी सिखाए। एंजेला को अनु के खिलौने बहुत अच्छे लगे, जो थोड़े अलग तरह के थे। गुड़िया, लकड़ी के खिलौने और नारियल की जटा से बने घर। कितने अनोखे खिलौने! उसने लंदन में ऐसे खिलौने कभी नहीं देखे थे। अनु का पसंदीदा खिलौना लकड़ी का बना तीर-कमान था, जिसे लेकर उसे राम बनना बहुत अच्छा लग रहा था। एंजेला उसकी विरोधी बनी थी, शक्‍तिशाली रावण। वे एक साथ खेल रहे थे, उस कूद-फाँद और लड़ाई का कोई अंत नहीं था। Satriya aur Bihu Nritya Summary image 4

शब्दार्थ-
उत्तरी असम – असम राज्य का उत्तरी भाग
सत्र – असम के वैष्णव मठ, धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र
पीठ – किसी परंपरा या धर्म से जुड़ा प्रतिष्ठित स्थान
फ़िल्मांकन – किसी दृश्य या घटना को कैमरे में रिकॉर्ड करना
दक्षिणापथ सत्र – असम में स्थित एक प्रसिद्ध वैष्णव मठ
बिटिया – बेटी
असमिया – असम राज्य की भाषा और संस्कृति से संबंधित
नारियल की जटा – नारियल के बाहरी रेशे
अनोखे – विचित्र, अद्भुत
तीर-कमान – धनुष और बाण
विरोधी – दुश्मन
शक्तिशाली – ताकतवर
कूद-फाँद – उछल-कूद

व्याख्या- एंजेला और उसका परिवार उत्तरी असम की ओर रवाना हुए, जहाँ असम के प्रसिद्ध ‘सत्र’ यानी मठ स्थित थे। उनकी योजना वहाँ रुककर सत्रिया नृत्य का फिल्मांकन करने की थी। जब वे ‘दक्षिणापथ सत्र’ पहुँचे, तो उनकी मुलाकात असम की मशहूर लेखिका रीना सेन से हुई। अगले कुछ दिनों तक वे उन्हीं के घर पर रहने वाले थे। रीना आंटी की एक बेटी थी— अनु, जिसकी उम्र भी एंजेला के बराबर थी।
जैसे ही अनु और एंजेला एक दूसरे से मिली तो तुरंत ही दोस्ती हो गयी। उन्होंने तुरंत अंग्रेज़ी में बातचीत शुरू कर दी, और अनु ने एंजेला को कुछ असमिया शब्द भी सिखाए। एंजेला को अनु के अनोखे खिलौने बेहद दिलचस्प लगे। वहाँ लकड़ी के बने खिलौने, गुड़िया और नारियल की जटा से बने छोटे-छोटे घर थे— ये सब एंजेला के लिए नए थे। उसने लंदन में कभी इस तरह के खिलौने नहीं देखे थे।
अनु का सबसे पसंदीदा खिलौना था— लकड़ी का बना तीर-कमान। वह इसे लेकर राम बनने का नाटक करती थी, और एंजेला को उसका विरोधी शक्तिशाली रावण बनना पड़ा। दोनों ने मिलकर खेलना शुरू किया, और जल्द ही वे उछल-कूद और हँसी-मज़ाक में पूरी तरह डूब गए। उनके खेल में कोई अंत नहीं था— वे बस मस्ती और उत्साह में खो गए थे, जैसे वे हमेशा से दोस्त रहे हों।

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पाठ
एंजेला और अनु ने देखा कि एलेसेंड्रा ने वैष्णव मठ के सभागार में नृत्य कर रहे युवा साधुओं का फ़िल्मांकन किया। एंजेला आश्चर्य से सोच रही थी कि क्या सत्रिया नृत्य सिर्फ़ लड़कों और पुरुषों के लिए है? एंजेला और अनु सोच रहे थे कि काश वे भी इन युवा साधुओं की तरह गा सकते, नृत्य कर सकते और छद्म युद्ध लड़ सकते!
माँ ने एंजेला को बताया कि बीसवीं शताब्दी के मध्य में कुछ साधु मठों से बाहर आकर पुरुषों और महिलाओं को सत्रिया नृत्य सिखाने लगे। शुरू में ऐसे साधुओं को मठों से निकाल दिया गया, लेकिन आधुनिक दौर में महिला सत्रिया कलाकारों के लिए मंच पर नृत्य करना आम बात हो गई है। उस रात माँ महिला सत्रिया नृत्यांगनाओं का फ़िल्मांकन करने वाली थीं। 

शब्दार्थ-
वैष्णव मठ – धार्मिक स्थल
सभागार – बड़ा हॉल या कमरा, जहाँ लोग एकत्र होते हैं
युवा साधु – युवा संन्यासी या धार्मिक व्यक्ति
फ़िल्मांकन – कैमरे द्वारा दृश्य रिकॉर्ड करना
आश्चर्य – हैरानी
सत्रिया नृत्य – असम का पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य
छद्म युद्ध – दिखावटी युद्ध, खेल-युद्ध
बीसवीं शताब्दी – 1901 से 2000 के बीच का समय
मध्य – बीच का समय
सत्रिया कलाकार – सत्रिया नृत्य करने वाला व्यक्ति
नृत्यांगना – महिला नर्तकी
आधुनिक दौर – वर्तमान समय
मंच – स्टेज, प्रस्तुति देने की जगह

व्याख्या- एंजेला और अनु ने ध्यान से देखा कि कैसे एलेसेंड्रा ने वैष्णव मठ के सभागार में युवा साधुओं के सत्रिया नृत्य का फिल्मांकन किया। एंजेला को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि क्या यह नृत्य केवल लड़कों और पुरुषों के लिए ही है? अनु भी इसी बात को लेकर सोच रही थी। दोनों की इच्छा हुई कि वे भी इन युवा साधुओं की तरह गा सकें, नृत्य कर सकें और छद्म युद्ध का हिस्सा बन सकें।
एंजेला की जिज्ञासा को देखते हुए उसकी माँ ने उसे बताया कि बीसवीं शताब्दी के मध्य में कुछ साधु मठों से बाहर आकर आम लोगों को सत्रिया नृत्य सिखाने लगे। हालांकि, शुरुआत में ऐसे साधुओं को मठों से निकाल दिया जाता था, लेकिन समय के साथ यह सोच बदल गई। आधुनिक समय में महिला सत्रिया कलाकारों का मंच पर नृत्य करना एक सामान्य बात हो गई है।
उस रात एंजेला की माँ महिला सत्रिया नृत्यांगनाओं का फिल्मांकन करने वाली थीं। यह सुनकर एंजेला और अनु बहुत उत्साहित हो गईं। वे यह देखने के लिए बेसब्री से इंतजार करने लगीं कि कैसे महिलाएँ भी इस परंपरागत नृत्य का हिस्सा बन चुकी हैं और किस तरह वे भी अपनी कला के जरिये इस नृत्य को आगे बढ़ा रही हैं।

 

पाठ
एंजेला बहुत उत्साहित थी, उसने रीना आंटी से आग्रह किया कि वे अनु को भी सत्रिया नृत्य में ‘महिला-नृत्य’ को देखने के लिए साथ आने दें। आंटी ने स्वीकृति दे दी, उस रात अनु और एंजेला सत्रिया नृत्य देखने गए, जिसमें भगवान विष्णु के दो द्वारपालों जय-विजय की कहानी थी। परदा उठा और एंजेला ने देखा कि सफ़ेद पगड़ीनुमा टोपी में दो महिलाएँ नृत्य और नाटक की शैली में कमाल का अभिनय कर रही हैं। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ी उन दोनों ने देखा कि किस तरह जय और विजय ने कई बड़े ऋषियों को भगवान विष्णु से मिलने नहीं दिया, क्योंकि उस वक्त भगवान विष्णु सो रहे थे। वे ॠषि नाराज़ हो गए। उन्होंने जय-विजय को असुर बनने का श्राप दे दिया। भगवान विष्णु की नींद जब टूटी, तब उन्हें अपने द्वारपालों को बचाने के लिए आना पड़ा। उन्होंने वचन दिया किया कि वे जय और विजय को मारकर उन्हें श्राप से बचा लेंगे। बाद में जय और विजय दोबारा भगवान विष्णु के द्वारपाल बने। 

शब्दार्थ-
उत्साहित – बहुत ख़ुश और जोश से भरा हुआ
आग्रह – अनुरोध, ज़ोर देकर कहना
स्वीकृति – अनुमति, सहमति
द्वारपाल – किसी के द्वार की रक्षा करने वाला
परदा उठा – नाटक या प्रस्तुति की शुरुआत हुई
पगड़ीनुमा टोपी – पगड़ी जैसी दिखने वाली टोपी
अभिनय – किसी किरदार को नाटक या नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करना
ऋषि – संत, तपस्वी
नाराज़ – ग़ुस्सा होना
श्राप – शाप, बद्दुआ
वचन – प्रतिज्ञा, वादा
असुर – दानव, राक्षस
भगवान विष्णु – हिंदू धर्म में पालनहार देवता
कमाल का – अद्भुत, शानदार

व्याख्या- एंजेला बेहद उत्साहित थी और चाहती थी कि अनु भी इस विशेष सत्रिया नृत्य को देखे। उसने रीना आंटी से अनुरोध किया, और आंटी ने खुशी-खुशी अनुमति दे दी। उस रात, अनु और एंजेला ने मिलकर सत्रिया नृत्य देखा, जिसमें भगवान विष्णु के द्वारपालों, जय और विजय की कहानी प्रस्तुत की जा रही थी।
जैसे ही मंच का परदा उठा, एंजेला और अनु ने देखा कि सफेद पगड़ीनुमा टोपी पहने दो महिलाएँ नृत्य-नाटक की शैली में अद्भुत अभिनय कर रही थीं। वे भाव-भंगिमाओं और नृत्य के माध्यम से पूरी कहानी को सजीव बना रही थीं। जैसे-जैसे कथा आगे बढ़ी, दोनों लड़कियाँ यह देखने में मग्न हो गईं कि किस तरह जय और विजय ने कुछ महान ऋषियों को भगवान विष्णु से मिलने से रोक दिया, क्योंकि उस समय भगवान विष्णु विश्राम कर रहे थे। यह देखकर ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने जय और विजय को असुर बनने का श्राप दे दिया।
जब भगवान विष्णु की नींद टूटी, तो उन्हें इस घटना का पता चला। अपने द्वारपालों को बचाने के लिए, उन्होंने वचन दिया कि वे जय और विजय को उनके असुर रूप में मारकर उन्हें श्राप से मुक्त करेंगे। समय बीतने के बाद, जय और विजय फिर से भगवान विष्णु के द्वारपाल बन गए।
एंजेला और अनु इस प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध हो गईं। उन्हें यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि नृत्य और अभिनय के माध्यम से इतनी प्रभावी ढंग से कहानी सुनाई जा सकती है। एंजेला को यह एहसास हुआ कि सत्रिया नृत्य न केवल एक कला है, बल्कि इसमें असम की संस्कृति और परंपरा का गहरा प्रभाव भी जुड़ा हुआ है।

 

पाठ
एंजेला को यह कहानी नाटकीय और दिलचस्प लगी। सत्रिया महिला नृत्यांगनाओं ने जिस प्रकार की शक्ति, बल और आकर्षण प्रदर्शित किया, वह अद्भुत था! एंजेला को लगा कि उन महिला कलाकारों की प्रस्तुति सत्रिया नृत्य करने वाले पुरुष कलाकारों से भी बेहतर थी।
इसके बाद के दिनों में अनु और एंजेला के ख्यालों में बस सत्रिया नृत्य ही घूम रहा था। उन दोनों ने स्वर्ग के द्वारपाल जय-विजय की तरह हथियार और तलवार चलाते हुए नृत्य किया। एलेसेंड्रा बच्चों की इस उत्सुकता को समझ गई और वे उन्हें सत्रिया कलाकारों के होने वाले साक्षात्कार में साथ लेकर गई। 

शब्दार्थ-
नाटकीय – नाटक जैसा, जिसमें भावनाएँ और घटनाएँ बहुत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत की गई हों।
दिलचस्प – रोचक, जिसे देखकर या सुनकर आनंद आए।
शक्ति – ताकत
आकर्षण – किसी चीज़ की ओर ध्यान खींचने की विशेषता, सुंदरता या प्रभाव।
प्रस्तुति – किसी चीज़ को प्रस्तुत करने या दिखाने का तरीका।
ख्यालों में घूमना – किसी चीज़ के बारे में बार-बार सोचना, उसके प्रभाव में रहना।
स्वर्ग – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं या पुण्यात्माओं का रहने का स्थान।
हथियार – युद्ध या रक्षा में उपयोग किये जाने साधन, जैसे तलवार, ढाल आदि।
उत्सुकता – जानने की तीव्र इच्छा, जिज्ञासा।

व्याख्या- एंजेला को यह कहानी बेहद नाटकीय और रोचक लगी। सत्रिया महिला नृत्यांगनाओं ने जिस तरह अपनी शक्ति, ऊर्जा और भावनाओं को व्यक्त किया, वह वाकई अद्भुत था।  उनके प्रदर्शन में ऐसा आकर्षण था कि एंजेला को लगा कि वे पुरुष सत्रिया कलाकारों से भी बेहतर नृत्य कर रही हैं।
इसके बाद के दिनों में, अनु और एंजेला पूरी तरह से सत्रिया नृत्य के जादू में खो गईं। वे दोनों जय-विजय की तरह तलवार और हथियार चलाने की नकल करते हुए नृत्य करने लगीं। उनकी कल्पनाएँ उन्हें स्वर्ग के द्वारपालों की भूमिका में ले जा रही थीं, जहाँ वे बहादुरी से लड़ रहे थे और नृत्य के माध्यम से अपनी कहानियाँ सुना रहे थे।
एंजेला की माँ, एलेसेंड्रा, बच्चों के इस नए जुनून को देखकर मुस्कुराईं। उन्होंने समझ लिया कि एंजेला और अनु सत्रिया नृत्य के प्रति कितनी उत्साहित हैं। इसलिए, उन्होंने दोनों को सत्रिया कलाकारों के साक्षात्कार के लिए साथ ले जाने का फैसला किया। यह एक बेहतरीन अवसर था, जहाँ बच्चे असम की इस समृद्ध कला और इसके पीछे के इतिहास को और गहराई से समझ सकते थे।

Satriya aur Bihu Nritya Summary image 7

पाठ
एंजेला और अनु बहुत खुश थीं! उन नृत्यांगनाओ के नाम प्रिया और रीता थे। वे लड़कियों को सत्रिया और बिहू की कुछ खूबसूरत मुद्राएँ और बारीकियाँ सिखा रही थीं। एंजेला अत्यधिक प्रसन्न थी। वापस लौटने के बाद भी वह चलने, खाना खाने और यहाँ तक कि खेलने के दौरान भी नृत्य करती रही। वापस लंदन जाने के बाद वह उन सभी रिकॉर्डिंग्स को देखती रही, जो उसकी माँ ने रिकॉर्ड की थी। पूरे उत्साह के साथ वह असम की समृद्ध नृत्य परंपरा को याद करती रही। रंग-बिरंगा सत्रिया और आनंदित करने वाला बिहू।

शब्दार्थ-
मुद्रा – नृत्य या योग में शरीर की विशेष भंगिमा या स्थिति।
बारीकी – किसी कला या विषय के सूक्ष्म और महत्वपूर्ण पहलू।
अत्यधिक – बहुत ज्यादा
प्रसन्न – खुश
रिकॉर्डिंग – किसी दृश्य, ध्वनि या घटना को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सुरक्षित रखना।
समृद्ध – संपन्न
रंग-बिरंगा – बहुत से रंगों वाला
आनंदित – खुशी से भरपूर

व्याख्या- एंजेला और अनु बेहद उत्साहित थीं, नृत्य सिखाने वाली दो नृत्यांगनाओं, प्रिया और रीता, ने उन्हें सत्रिया और बिहू नृत्य की कुछ सुंदर मुद्राएँ और उनकी बारीकियाँ सिखाईं। एंजेला के लिए यह एक अविस्मरणीय अनुभव था। उसे ऐसा लगा जैसे वह असम की संस्कृति का एक हिस्सा बन गई हो।
जब वे वापस लौटे, तो एंजेला नृत्य के जादू में पूरी तरह डूबी रही। वह चलते समय, खाना खाते हुए और यहाँ तक कि खेलते समय भी नृत्य करने की कोशिश करती। यह उसका नया जुनून बन चुका था।
लंदन लौटने के बाद भी, एंजेला असम को नहीं भूल पाई। वह बार-बार वे रिकॉर्डिंग्स देखती, जो उसकी माँ ने वहाँ बनाईं थीं। हर बार जब वह उन्हें देखती, तो उसे असम की नृत्य परंपरा की याद आ जाती—रंग-बिरंगा सत्रिया और उल्लास से भरा बिहू। यह यात्रा न सिर्फ उसके लिए एक रोमांचक अनुभव थी, बल्कि उसने उसे नृत्य और विभिन्न संस्कृतियों के प्रति एक नई समझ और प्रेम भी दिया।

 

पाठ
माँ उसकी गहरी रुचि को समझ गई और उन्होंने पापा के साथ मिलकर एंजेला के लिए असमी नृत्य पर एक शानदार योजना तैयार की। एंजेला ने लंदन में अपनी कक्षा में, स्वयं किए गए नृत्य की वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ उसका प्रदर्शन किया। उसके सहपाठियों और शिक्षकों को यह बहुत पसंद आया। एंजेला इस बात से बहुत रोमांचित थी कि वह असम के खूबसूरत नृत्यों की झलक उन सभी को दिखा पाई। उसे बहुत अच्छा लग रहा था। माँ को भी हर बार ऐसे ही अच्छा लगता होगा, जब वे कोई फ़िल्म बनाती होंगी। अब एंजेला के पास अपने लिए, असम के नृत्यों—बिहू और सत्रिया के साथ अपना खुद का मनोरंजन था।

शब्दार्थ-
गहरी – गहन, बहुत अधिक।
रुचि – किसी चीज़ के प्रति लगाव या दिलचस्पी।
शानदार – बहुत अच्छा, भव्य, प्रभावशाली।
सहपाठी – वही कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थी।
शिक्षक – पढ़ाने वाला, अध्यापक।
रोमांचित – उत्साहित, आनंद से भर जाना।
झलक – किसी चीज़ का थोड़ा-सा दृश्य।
मनोरंजन – समय बिताने या आनंद प्राप्त करने का तरीका।

व्याख्या- माँ ने एंजेला की गहरी रुचि को पहचान लिया और पापा के साथ मिलकर उसके लिए एक शानदार योजना बनाई। उन्होंने उसे असम के नृत्य के प्रति उसके प्रेम को आगे बढ़ाने का मौका देने का फैसला किया। एंजेला ने लंदन लौटने के बाद अपनी कक्षा में असमी नृत्य पर एक प्रस्तुति दी। उसने बिहू और सत्रिया नृत्य की कुछ झलकियाँ अपने सहपाठियों और शिक्षकों को दिखाई, जिसे सभी ने बड़े उत्साह से सराहा।
जब उसने स्वयं किए गए नृत्य की वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ अपनी प्रस्तुति दी, तो सबको बहुत आनंद आया। एंजेला बहुत खुश थी कि वह असम के सुंदर नृत्यों की झलक लंदन तक पहुँचा सकी। उसे अब समझ में आया कि उसकी माँ को भी हर बार ऐसा ही अच्छा लगता होगा, जब वे कोई फ़िल्म बनाती होंगी।
अब एंजेला के पास एक नया जुनून था—असम के नृत्यों बिहू और सत्रिया के साथ अपने मनोरंजन और खुशी का एक नया माध्यम। यह यात्रा उसके लिए केवल एक छुट्टी नहीं थी, बल्कि एक ऐसी यादगार सीख थी, जिसने उसे नई संस्कृतियों और कलाओं से जोड़ दिया।

 

Conclusion

इस पोस्ट में हमने ‘सत्रिया और बिहू नृत्य’ नामक पाठ का सारांश, पाठ व्याख्या और शब्दार्थ को विस्तार से समझा। यह पाठ मल्हार पुस्तक में शामिल है और कक्षा 6 हिंदी के पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण भाग है।
जया मेहता द्वारा लिखित इस पाठ में असम की संस्कृति और नृत्य परम्पराओं का वर्णन किया गया है।
इस पोस्ट को पढ़कर विद्यार्थी न केवल पाठ को बेहतर समझ सकेंगे, बल्कि इससे उन्हें परीक्षा में सटीक उत्तर लिखने और महत्वपूर्ण बिंदुओं को याद रखने में भी सहायता मिलेगी।