CBSE Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 2 Meera ke Pad Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Meera ke Pad Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 2, “Meera ke Pad”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – श्रीकृष्ण की चाकरी करने से मीराबाई को कौन–कौन से लाभ होंगे ? (25-30 शब्दों में)
उत्तर – मीरा श्री कृष्ण से अनुरोध करती हैं कि वे मीरा को अपना नौकर बना कर रख लें अर्थात मीरा किसी भी तरह श्री कृष्ण के नजदीक रहना चाहती है फिर चाहे नौकर बन कर ही क्यों न रहना पड़े। मीरा नौकर बनकर बागीचा लगाना चाहती है ताकि सुबह उठ कर रोज श्रीकृष्ण के दर्शन पा सके। मीरा वृन्दावन की संकरी गलियों में अपने स्वामी की लीलाओं का बखान करना चाहती है। मीरा का मानना है कि नौकर बनकर उन्हें तीन फायदे होंगे पहला – उन्हें हमेशा कृष्ण के दर्शन प्राप्त होंगे , दूसरा- उन्हें अपने प्रिय की याद नहीं सताएगी और तीसरा- उनकी भाव भक्ति का साम्राज्य बढ़ता ही जायेगा।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – मीरा अपने आराध्य कृष्ण से क्या विनती करती हैं और उन्हें उनके कर्तव्य का स्मरण करवाने के लिए क्या करती हैं?
उत्तर – कवयित्री मीरा भगवान श्री कृष्ण से उनके सभी दुखों का नाश करने की विनती करती है और इसके लिए मीरा भगवान् श्री कृष्ण को उनके भक्त – प्रेम का स्मरण करवाती है और उदाहरण देती हैं कि जिस तरह उन्होंने द्रौपदी की इज्जत को बचाया, जिस तरह उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण कर लिया और जिस तरह उन्होंने हाथियों के राजा ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था, उसी तरह वे अपनी इस दासी मीरा के भी सारे दुःख हर लें अर्थात सभी दुखों का नाश कर दें।
प्रश्न 2 – मीरा के ‘पद’ के आधार पर लिखिए कि द्रौपदी, प्रह्लाद आदि का उल्लेख कर मीरा भगवान को उनका कौन-सा रूप स्मरण करवा रही है और क्यों?
उत्तर – द्रौपदी, प्रह्लाद आदि का उल्लेख कर मीरा भगवान को उनका भक्त – प्रेम रूप स्मरण करवा रही है क्योंकि उस रूप में भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों के सभी प्रकार के दुखों को हरने वाले हैं अर्थात दुखों का नाश करने वाले हैं। मीरा भगवान को उनके भक्त – प्रेम रूप का स्मरण इसलिए करवा रही है क्योंकि मीरा जानती हैं कि अपने भक्तों को मुसीबत में देखकर भगवान् उन्हें बचाने व् दर्शन देने अवश्य आते हैं। मीरा भी भगवान् के दर्शन करना चाहती हैं इसीलिए वे भगवान् श्री कृष्ण को बार-बार उनके भक्त-प्रेम रूप का स्मरण करवा रही हैं।
प्रश्न 3 – श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए मीरा कौन-कौन से कार्य करने को तत्पर है? इनसे श्रीकृष्ण के प्रति मीरा के किस भाव का पता चलता है?
उत्तर – कवयित्री मीरा श्री कृष्ण के दर्शन पाने के लिए कोई भी कार्य करने के लिए तत्पर हैं। वह श्री कृष्ण की नौकर बन कर रहने के लिए भी तैयार हैं ताकि वह किसी भी तरह श्री कृष्ण के नजदीक रह सके। वह नौकर बनकर बगीचा लगाना चाहती है ताकि सुबह उठ कर रोज श्री कृष्ण के दर्शन पा सके। मीरा वृन्दावन की संकरी गलियों में अपने स्वामी की लीलाओं का बखान करना चाहती हैं। मीरा बगीचों के बीच ही ऊँचे ऊँचे महल बनाना और कुसुम्बी साड़ी पहन कर अपने प्रिय के दर्शन करने को तत्पर हैं। मीरा अपने प्रभु गिरधर स्वामी के दर्शन के लिए इतनी बेचैन है कि वह सुबह का इन्तजार नहीं कर पा रही हैं। इन सभी कार्यों से श्री कृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति भावना उजागर होती है।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘हरि आप हरो जन री भीर’ पद के आधार पर सिद्ध कीजिए कि मीरा यदि एक ओर श्रीकृष्ण की क्षमताओं का गुणगान करती हैं तो दूसरी ओर उन्हें उनके कर्तव्य की याद दिलाने में भी विलंब नहीं करती।
उत्तर – लोक कथाओं के अनुसार अपने जीवन में आए कठिन दुखों से मुक्ति पाने के लिए मीरा घर – परिवार छोड़ कर वृन्दावन में जा बसी थी और कृष्ण प्रेम में लीन हो गई थी। प्रस्तुत पाठ में संकलित दोनों पद मीरा के इन्हीं आराध्य अर्थात श्रीकृष्ण को समर्पित हैं। मीरा अपने प्रभु की झूठी प्रशंसा भी करती है ,प्यार भी करती हैं और अवसर आने पर डांटने से भी नहीं डरती। श्रीकृष्ण की शक्तिओं व सामर्थ्य का गुणगान भी करती हैं और उनको उनके कर्तव्य भी याद दिलाती हैं। मीरा श्री कृष्ण से कहती हैं कि जिस प्रकार आपने द्रोपदी, प्रह्लाद और ऐरावत के दुखों को दूर किया था उसी तरह मेरे भी सारे दुखों का नाश कर दो। मीरा श्री कृष्ण के दर्शन का एक भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती, वह श्री कृष्ण की दासी बनने को तैयार है, बाग़-बगीचे लगाने को भी तैयार है, गली गली में श्री कृष्ण की लीलाओं का बखान भी करना चाहती है, ऊँचे ऊँचे महल भी बनाना चाहती है, ताकि दर्शन का एक भी मौका न चुके।
प्रश्न 2 – ‘मीराबाई’ रचित ‘द्वितीय पद’ के अनुसार अपने आराध्य को पाने के लिए मीरा क्या-क्या करना चाहती हैं और क्यों?
उत्तर – कवयित्री मीरा श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति भावना को उजागर करते हुए कहती हैं कि हे! श्री कृष्ण मुझे अपना नौकर बना कर रखो अर्थात मीरा किसी भी तरह श्री कृष्ण के नज़दीक रहना चाहती है फिर चाहे नौकर बन कर ही क्यों न रहना पड़े। नौकर बनकर बगीचा लगाना चाहती है ताकि सुबह उठ कर रोज श्री कृष्ण के दर्शन पा सके। मीरा वृन्दावन की संकरी गलियों में अपने स्वामी की लीलाओं का बखान करना चाहती है। मीरा बगीचों के बिच ही ऊँचे ऊँचे महल बनाना और कुसुम्बी साड़ी पहन कर आधी रात को ही जमुना नदी के किनारे श्रीकृष्ण से दर्शन देने की गुजारिश करती है।
प्रश्न 3 – अपने किन हितों को पूरा करने के लिए मीरा कृष्ण की चाकरी करना चाहती थीं ? ‘पद’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर – मीरा श्री कृष्ण से अनुरोध करती हैं कि वे मीरा को अपना नौकर बना कर रख लें अर्थात मीरा किसी भी तरह श्री कृष्ण के नजदीक रहना चाहती है फिर चाहे नौकर बन कर ही क्यों न रहना पड़े। मीरा नौकर बनकर बागीचा लगाना चाहती है ताकि सुबह उठ कर रोज श्रीकृष्ण के दर्शन पा सके। मीरा वृन्दावन की संकरी गलियों में अपने स्वामी की लीलाओं का बखान करना चाहती है। मीरा का मानना है कि नौकर बनकर उन्हें तीन फायदे होंगे पहला – उन्हें हमेशा कृष्ण के दर्शन प्राप्त होंगे , दूसरा- उन्हें अपने प्रिय की याद नहीं सताएगी और तीसरा- उनकी भाव भक्ति का साम्राज्य बढ़ता ही जायेगा।
प्रश्न 4 – प्रथम पद में मीरा अपने आराध्य से कैसे और क्या प्रार्थना करती हैं ?
उत्तर – कवयित्री मीरा भगवान श्री कृष्ण से कहती हैं कि वे अपने भक्तों के सभी प्रकार के दुखों को हरने वाले हैं अर्थात दुखों का नाश करने वाले हैं। मीरा उदाहरण देते हुए कहती हैं कि जिस तरह आपने द्रोपदी की इज्जत को बचाया और साड़ी के कपड़े को बढ़ाते चले गए, जिस तरह उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण कर लिया और जिस तरह उन्होंने हाथियों के राजा भगवान इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था, उसी तरह वे अपनी इस भक्त के भी सारे दुःख हर लें अर्थात सभी दुखों का नाश कर दें।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।’ इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – ‘द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।’ इस पंक्ति का भाव यह है कि श्री कृष्ण अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करने वाले हैं। इस पंक्ति में मीरा श्री कृष्ण से प्रार्थना कर रहीं हैं कि जिस प्रकार उन्होंने अपमानित द्रौपदी की लाज बचाई थी जब दुःशासन उसे निर्वस्त्र करने का प्रयास कर रहा था तो श्री कृष्ण ने ही उसे वस्त्र प्रदान किये थे, उसी प्रकार मीरा चाहती हैं कि श्री कृष्ण उनकी परेशानी को भी दूर करें। क्योंकि वे ही सभी की पीड़ा को दूर करने वाले हैं।
प्रश्न 2 – ‘भगवान भक्तों के संकट दूर करते हैं’ – यह सिद्ध करने के लिए मीरा ने क्या-क्या उदाहरण दिए हैं?(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – मीरा भगवान श्री कृष्ण को उनके भक्तों के सभी प्रकार के दुखों को हरने वाला कहती हैं अर्थात वे कहती हैं कि श्री कृष्ण सभी के दुखों का नाश करने वाले हैं। मीरा उदाहरण देते हुए कहती हैं कि द्रोपदी की इज्जत को बचाने के लिए वे साड़ी के कपड़े को बढ़ाते चले गए थे, आपने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण कर लिया था और हाथियों के राजा ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था। इन सभी उदाहरणों से मीरा सिद्ध करना चाहती हैं कि ‘भगवान भक्तों के संकट दूर करते हैं’।
प्रश्न 3 – मीरा हरि से अपनी पीड़ा दूर करने के लिए उन्हें क्या-क्या याद दिलाती हैं?(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – मीरा हरि से अपनी पीड़ा दूर करने के लिए उन्हें याद दिलाती हैं कि जिस तरह उन्होंने द्रौपदी की इज्जत को बचाया, जिस तरह उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण किया और जिस तरह उन्होंने हाथियों के राजा ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था, उसी तरह वे अपनी दासी अर्थात भक्त के भी सारे दुःख हर लो अर्थात सभी दुखों का नाश कर दें।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – मीराबाई ने श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना किस प्रकार की है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु श्रीकृष्ण से कहती हैं कि वे अपने भक्तों के सभी प्रकार के दुखों को हरने वाले हैं अर्थात दुखों का नाश करने वाले हैं। मीरा उदाहरण देते हुए कहती हैं कि जिस तरह उन्होंने द्रोपदी की इज्जत को बचाया और साड़ी के कपड़े को बढ़ाते चले गए, जिस तरह उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण कर लिया और जिस तरह उन्होंने हाथियों के राजा भगवान इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था, उसी तरह अपनी इस दासी अर्थात भक्त के भी सारे दुःख हर लो अर्थात सभी दुखों का नाश कर दो। साथ ही साथ मीरा ने प्रभु से लोगों की पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की है। उनके प्रभु श्रीकृष्ण ने द्रौपदी, प्रहलाद और गजराज की जिस तरह सहायता की थी और उन्हें विपदा से मुक्ति दिलाई उसी तरह मीरा अपनी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना अपने प्रभु से करती है।
प्रश्न 2 – मीरा के पदों के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि वह भक्त की विपत्ति दूर करने के लिए किन प्रसंगों की याद कृष्ण को दिखाती है और उन्हें पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तत्पर है?
उत्तर – कवयित्री मीरा अपने प्रभु श्रीकृष्ण से कहती हैं कि वे अपने भक्तों के सभी प्रकार के दुखों को हरने वाले हैं अर्थात दुखों का नाश करने वाले हैं। मीरा उदाहरण देते हुए कहती हैं कि जिस तरह उन्होंने द्रोपदी की इज्जत को बचाया और साड़ी के कपड़े को बढ़ाते चले गए, जिस तरह उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण कर लिया और जिस तरह उन्होंने हाथियों के राजा भगवान इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था, उसी तरह अपनी इस दासी अर्थात भक्त के भी सारे दुःख हर लो अर्थात सभी दुखों का नाश कर दो। साथ ही साथ मीरा ने प्रभु से लोगों की पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की है। मीरा श्री कृष्ण को पाने के लिए अनेक कार्य करने के लिए तैयार हैं – वे कृष्ण की सेविका बन कर रहने को तैयार हैं, वे उनके विचरण अर्थात घूमने के लिए बाग़ बगीचे लगाने के लिए तैयार हैं, ऊँचे ऊँचे महलों में खिड़कियां बनाना चाहती हैं ताकि श्री कृष्ण के दर्शन कर सके और यहाँ तक की आधी रात को जमुना नदी के किनारे कुसुम्बी रंग की साड़ी पहन कर दर्शन करने के लिए तैयार हैं।
प्रश्न 3 – श्रीकृष्ण को पाने के लिए मीराबाई क्या- क्या सेवाएँ स्वयं करने को प्रस्तुत है? ऐसी भक्ति को आप क्या नाम देंगे?
उत्तर – मीरा श्री कृष्ण को पाने के लिए अनेक कार्य करने के लिए तैयार हैं – वे कृष्ण की सेविका बन कर रहने को तैयार हैं,वे उनके विचरण अर्थात घूमने के लिए बाग़ बगीचे लगाने के लिए तैयार हैं, ऊँचे ऊँचे महलों में खिड़कियां बनाना चाहती हैं ताकि श्री कृष्ण के दर्शन कर सके और यहाँ तक की आधी रात को जमुना नदी के किनारे कुसुम्बी रंग की साड़ी पहन कर दर्शन करने के लिए तैयार हैं। मीरा कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनकी भक्ति में दास्य भाव अधिक दिखाई देता है।
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