CBSE Class 10 Hindi (Course B) Sanchayan Bhag 2 Book Chapter 1 Harihar Kaka Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Harihar Kaka Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course B) Sanchayan Bhag 2 Book Chapter 1, “Harihar Kaka”
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘हरिहर काका’ कहानी में ठाकुरबारी के महंत ने हरिहर काका को अपने जाल में फँसाने के लिए क्या प्रयास किया? आजकल बुजुर्गों के साथ साइबर अपराध होते हैं, आप उनसे बचने के लिए उन्हें क्या सुझाव देंगे? (40-50 शब्दों में)
उत्तर – ठाकुरबारी के महंत ने हरिहर काका को अपने जाल में फँसाने के लिए उन्हें बहुत बहलाया-फुसलाया। महंत हरिहर काका से कहता है कि उनके हिस्से में जितने खेत हैं वे उनको भगवान के नाम लिख दें। ऐसा करने से उन्हें सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। हरिहर द्वारा ऐसा न करने पर महंत ने अपने आदमियों से हरिहर को अगवा करवाकर जायदाद पर उनके अँगूठे के निशान ले लिए। आजकल बुजुर्गों को साइबर अपराध से बचने के लिए बैंकिंग जानकारी साझा न करने, अंजान लिंक न खोलने और संदेहास्पद कॉल से सतर्क रहने की सलाह दी जानी चाहिए।
प्रश्न 2 – ‘हरिहर काका‘ पाठ में हरिहर काका की तुलना मझधार में फँसी नाव पर सवार लोगों से किस आधार पर की गई है ? स्पष्ट कीजिए । (40-50 शब्दों में)
उत्तर – ‘हरिहर काका’ पाठ में हरिहर काका की तुलना मँझधार में फँसी नाव पर सवार लोगों से इसलिए की गई है क्योंकि वे दोनों तरफ से असहाय हो गए थे। न तो परिवार उनके साथ था और न ही समाज। अपने अधिकारों और अस्तित्व के लिए वे अकेले संघर्ष कर रहे हैं। लोग सिर्फ उनकी जायदाद हड़पना चाहते थे।
प्रश्न 3 – हरिहर काका को वृद्धावस्था में किन परेशानियों का सामना करना पड़ा? बुजुर्गों के खुशहाल जीवन के लिए आप क्या सुझाव देंगे ? (40-50 शब्दों में)
उत्तर – हरिहर काका को वृद्धावस्था में उपेक्षा, लालच, असुरक्षा और अपनों के छल-कपट का सामना करना पड़ा। परिवार और समाज के लोग सिर्फ हरिहर काका से उनकी जायदाद को हड़पना चाहते थे।
बुजुर्गों के खुशहाल जीवन के लिए उन्हें सम्मान देना, समय देना, भावनात्मक सहारा और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – आपके पड़ोसी काका की स्थिति हरिहर काका से मिलती-जुलती है। आप उन्हें कैसे समझाएँगे और मदद करेंगे?
उत्तर – हरिहर काका की अपनी देह से कोई संतान नहीं थी, परन्तु उसके पास पंद्रह बीघे ज़मीन थी और वही ज़मीन उसकी जान की आफत बन गई थी। उन्हें अपनों के द्वारा ही धोखे और अपमान का सामना करना पड़ा था। उन्हें बुढ़ापे में न जाने कितने कष्टों को झेलना पड़ा था। अंत में उन्हें उनकी ही ज़मीन के कारण सुरक्षा भी मिली थी। यदि हमारे पड़ोसी काका की स्थिति हरिहर काका से मिलती-जुलती हुई तो हम उन्हें समाज में हो रहे नकारात्मक बदलाव से अवगत करेंगे। आज के मनुष्य की स्वार्थी मनोवृति के बारे में समझाएंगे। हम उन्हें समझाने का प्रयास करेंगे कि माना समाज में सुखी जीवन जीने के लिए रिश्तों-नातों का बहुत अधिक महत्त्व है। परन्तु आज के समाज में सभी मनुष्य, मानवीय और पारिवारिक मूल्यों और कर्तव्यों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। ज्यादातर लोग केवल स्वार्थ के लिए ही रिश्ते निभाते हैं। जहाँ लोगों को लगता है कि उनका फ़ायदा नहीं हो रहा है वहाँ लोग जाना ही बंद कर देते हैं। मनुष्य अपने अमीर रिश्तेदारों से रोज मिलना चाहता है परन्तु अपने गरीब रिश्तेदारों से कोसों दूर भागता है। यदि फिर भी उनके साथ कुछ अन्याय होता है तो हम कानूनी रूप से उनकी पूरी मदद करेंगे।
प्रश्न 2 – हरिहर काका की ज़मीन हड़पने के लिए महंत द्वारा धर्म, माया-मोह का सहारा लिया गया, अपहरण करवाया गया। उनका ऐसा करना आपकी दृष्टि में कितना उचित है? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर – हरिहर काका की ज़मीन हड़पने के लिए महंत द्वारा धर्म, माया-मोह का सहारा लिया गया, अपहरण करवाया गया। उनका ऐसा करना हमारी दृष्टि में बिलकुल अनुचित है। महंत को हर कोई धार्मिक व् संत व्यक्ति मानता है और महंत जैसे व्यक्ति ही अधर्म का सहारा लेने लगेंगे तो आम व्यक्ति का धर्म व् भगवान् से ही विश्वास उठ जाएगा। एक महंत मोह-माया से कोसों दूर होता है और यदि वही महंत मोह-माया का जाल बुने तो समाज में अराजकता फैलना संभव है। एक महंत को लोग अपना मार्गदर्शक मानते हैं और अगर वही अपहरण जैसे अपराधों को बढ़ावा दें तो समाज में दुर्गुणों का सैलाब आएगा।
प्रश्न 3 – ‘हरिहर काका’ कहानी समाज के किन पहलुओं की ओर ध्यान आकर्षित करती है? आप अपने आस-पास रह रहे अकेले व्यक्ति की मदद कैसे करेंगे?
उत्तर – ‘हरिहर काका’ कहानी समाज में हो रहे नकारात्मक बदलाव व् आज के मनुष्य की स्वार्थी मनोवृति की ओर ध्यान आकर्षित करती है। हम अपने आस-पास रह रहे अकेले व्यक्ति की मदद उन्हें इस समस्या के प्रति जागरूक करके करेंगे। हम उन्हें समझाएंगे कि माना समाज में सुखी जीवन जीने के लिए रिश्तों-नातों का बहुत अधिक महत्त्व है। परन्तु आज के समाज में सभी मानवीय और पारिवारिक मूल्यों और कर्तव्यों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। जहाँ लोगों को लगता है कि उनका फ़ायदा नहीं हो रहा है वहाँ लोग जाना ही बंद कर देते हैं। यदि उनके साथ भी ऐसा व्यवहार हो रहा है तो वे सावधान रहें और अपने जीते जी अपनी पूँजी किसी के भी नाम न करें। क्योंकि आज का व्यक्ति स्वार्थी मनोवृति का हो गया है।
प्रश्न 4 – ‘भरे-पूरे परिवार में रहता हुआ भी व्यक्ति अकेला हो सकता है।’ ‘हरिहर काका’ और ‘टोपी शुक्ला’ कहानी के आधार पर इस कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर – ‘भरे-पूरे परिवार में रहता हुआ भी व्यक्ति अकेला हो सकता है।’ ‘हरिहर काका’ और ‘टोपी शुक्ला’ कहानी इस कथन के लिए सही उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। ‘टोपी शुक्ला’ कहानी में टोपी का इफ़्फ़न की दादी से बहुत गहरा सम्बन्ध बन गया था। दोनों अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे क्योंकि दोनों को ही उनके घर में कोई समझने वाला नहीं था। ‘हरिहर काका’ कहानी में भी हरिहर काका का पूरा परिवार केवल उनकी ज़मीन के कारण ही उनके साथ था। पूरे परिवार ने उनकी ज़मीन हासिल करने के लिए न जाने कितने जुल्म उनपर किए। भरे-पुरे परिवार में भी उनका कोई अपना नहीं था।
प्रश्न 5 – “लेखक का हरिहर काका से घनिष्ठ जुड़ाव है।” ― पाठ में आए इस कथन को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक का हरिहर काका से कितना घनिष्ठ जुड़ाव था इसका स्पष्टीकरण इस घटना से होता है, जब लेखक हरिहर काका के घर उनसे उनके हालचाल के बारे में पूछते हैं तो वे लेखक को एक बार सिर उठाकर देखकर और फिर सिर झुका देते हैं और उसके बाद लेखक की ओर नहीं देखते। इससे लेखक को उनकी एक नजर से ही सब कुछ समझ आ गया था। जिन कष्टों में वे थे और उनके मन की जो स्थिति थी, उनको अपने मुँह से कहने की भी कोई जरुरत नहीं थी क्योंकि उनकी आँखे ही सब कुछ कह रही थी। लेखक का हरिहर काका के प्रति जो प्यार था वह लेखक का उनके व्यावहार के और उनके विचारों के कारण था। लेखक का हरिहर काका के प्रति जो प्यार था उसके दो कारण थे। उनमें से पहला कारण था कि हरिहर काका लेखक के पड़ोसी थे और दूसरा कारण लेखक को उनकी माँ ने बताया था कि हरिहर काका लेखक को बचपन से ही बहुत ज्यादा प्यार करते थे। वे लेखक को अपने कंधे पर बैठा कर घुमाया करते थे। एक पिता का अपने बच्चों के लिए जितना प्यार होता है, लेखक के अनुसार हरिहर काका का उसके लिए प्यार उससे भी अधिक था। लेखक जब व्यस्क हुआ या थोड़ा समझदार हुआ तो उसकी पहली दोस्ती भी हरिहर काका के साथ ही हुई थी। लेखक की माँ ने लेखक को बताया था कि उससे पहले हरिहर काका की गाँव में किसी से इतनी गहरी दोस्ती नहीं हुई थी। लेखक कहता है कि हरिहर काका उससे कभी भी कुछ नहीं छुपाते थे, वे उससे सबकुछ खुल कर कह देते थे।
प्रश्न 6 – हरिहर काका के परिवार ने ठाकुरबारी से लौटने के बाद उन्हें ‘बहुमूल्य वस्तु’ जैसे सहेज कर रखा। यदि उनका परिवार पहले से ही उन्हें उचित प्यार-आदर देता तो स्थिति कैसी होती? कहानी के आधार पर लिखिए।
उत्तर – हरिहर काका के परिवार ने ठाकुरबारी से लौटने के बाद उन्हें ‘बहुमूल्य वस्तु’ जैसे सहेज कर रखा। यदि उनका परिवार पहले से ही उन्हें उचित प्यार-आदर देता तो स्थिति कुछ अलग ही होती। हरिहर काका के परिवार वालों ने उनसे नाता केवल स्वार्थ के लिए रखा था। यदि वे बिना किसी स्वार्थ के हरिहर काका का ध्यान उन्हें अपना मान कर करते तो किसी की भी हिम्मत उनके प्रति दुर्व्यवहार करने की नहीं होती। उनके परिवार को इतनी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। और हरिहर काका तो उन्हें अपना मानते ही थे वे अपनी ज़मीन अपने परिवार को ही देते न की किसी बाहर वाले को। हरिहर काका केवल प्यार व् सम्मान चाहते थे उन्हें ज़मीन का कोई लालच नहीं था।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘हरिहर काका’ कहानी की पृष्ठभूमि ग्रामीण जीवन पर आधारित है, जिसमें पारिवारिक संबंधों के निःस्वार्थ प्रेम के स्थान पर बढ़ती स्वार्थ-लिप्सा को दर्शाया गया है। क्या यह कहानी शहरी जीवन के यथार्थ को भी उजागर करती है? तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘हरिहर काका’ कहानी की पृष्ठभूमि ग्रामीण जीवन पर आधारित है, जिसमें पारिवारिक संबंधों के निःस्वार्थ प्रेम के स्थान पर बढ़ती स्वार्थ-लिप्सा को दर्शाया गया है। यह कहानी शहरी जीवन के यथार्थ को भी उजागर करती है क्योंकि केवल ग्रामीण जीवन में ही लोगों को स्वार्थ ने नहीं घेरा है। शहर में भी यही स्थिति है। बच्चे अपने ही माता-पिता को वृद्धाश्रम में भेज देते हैं। व्यापार में मित्र ही मित्र को धोखा देता है। मनुष्य अपने आप को दूसरों से उच्च बताने के लिए झूठा दिखावा करते हैं। यहाँ तक की स्वार्थ-लिप्सा में पुत्र अपने पूरे परिवार की हत्या की साजिश भी रचता है। स्वार्थ-लिप्सा का ग्रामीण व् शहरी दोनों जीवन पर प्रभाव पड़ा है। मनुष्य अपनी मनुष्यता को खोता चला आ रहा है।
प्रश्न 2 – “आस्था के प्रतीक धर्मस्थान, मानव को जीवन में सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।” “हरिहर काका’ कहानी के संदर्भ में इस कथन के पक्ष या विपक्ष में तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर – “आस्था के प्रतीक धर्मस्थान, मानव को जीवन में सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।” “हरिहर काका’ कहानी के संदर्भ में इस कथन के पक्ष और विपक्ष दोनों स्पष्ट होते हैं। पक्ष में देखे तो धर्मस्थान ऐसी जगह है जहाँ पर लोग भगवान् के दर्शन करने जाते हैं। वहाँ लोगों को मन की शान्ति मिलती है जो उनके जीवन से तनाव को मुक्त करती है। वहाँ उपस्थित महात्मा लोगों को सन्मार्ग पर चलने की सीख व् दुष्कर्म करने पर मिलने वाले कष्टों से अवगत करवाते हैं। किन्तु यदि “हरिहर काका’ कहानी के संदर्भ में धर्मस्थानों के विपक्ष में देखे तो वहाँ धर्म के नाम पर पाखण्ड भी किया जाता है। लोगों को धर्म के नाम पर डरा-धमका कर लूटा जाता है। महात्माओं द्वारा लोगों को भ्रमित किया जाता है व् पाप का भागीदार बनाया जाता है।
प्रश्न 3 – हरिहर काका और टोपी शुक्ला दोनों ही भरे-पूरे परिवार से संबंधित होते हुए भी अकेले थे। दोनों के अकेलेपन के कारणों की समीक्षा कीजिए। क्यों ?
उत्तर – ‘भरे-पूरे परिवार में रहता हुआ भी व्यक्ति अकेला हो सकता है।’ ‘हरिहर काका’ और ‘टोपी शुक्ला’ कहानी इस कथन के लिए सही उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। ‘टोपी शुक्ला’ कहानी में टोपी का इफ़्फ़न की दादी से बहुत गहरा सम्बन्ध बन गया था। दोनों अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे क्योंकि दोनों को ही उनके घर में कोई समझने वाला नहीं था। ‘हरिहर काका’ कहानी में भी हरिहर काका का पूरा परिवार केवल उनकी ज़मीन के कारण ही उनके साथ था। पूरे परिवार ने उनकी ज़मीन हासिल करने के लिए न जाने कितने जुल्म उनपर किए। भरे-पुरे परिवार में भी उनका कोई अपना नहीं था।
इफ़्फ़न की दादी इसलिए परिवार में अकेलापन महसूस करती थी क्योंकि वह उस परिवार के तौर-तरीकों से बिलकुल अलग परिवार से आई थी और टोपी अपने परिवार में हर किसी के द्वारा प्रताड़ित किया जाता था जिस कारण वह अपने ही घर में अकेला हो गया था।
प्रश्न 4 – ‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर लिखिए कि कहानी के अंत में हरिहर काका की सुरक्षा में राइफलधारी पुलिस के चार जवान क्यों नियुक्त किए गए। हरिहर काका की वास्तविक सुरक्षा किसके द्वारा और कैसे की जा रही थी ?
उत्तर – कहानी के अंत में हरिहर काका की सुरक्षा में राइफलधारी पुलिस के चार जवान नियुक्त किए गए क्योंकि ज़मीन के लालच में हरिहर काका के भाइयों ने जब जोर-जबरदस्ती करके, मर-पीट करके, उनसे ज़मीन अपने नाम करवानी चाही तब ठाकुरबाड़ी के महंत ने पुलिस रिपोर्ट करवा दी थी ताकि ज़मीन के चक्कर में हरिहर काका के भाई कहीं उन्हें चोरी-छुपे मार कर ज़मीन अपने नाम न लिखवा दें। इस घटना के बाद हरिहर काका अपने परिवार से एकदम अलग रहने लगे थे। उन्हें उनकी सुरक्षा के लिए चार राइफलधारी पुलिस के जवान मिले थे। आश्चर्य की बात तो यह है कि इसके लिए उनके भाइयों और महंत की ओर से काफ़ी प्रयास किए गए थे। असल में भाइयों को चिंता थी कि हरिहर काका अकेले रहने लगेंगे, तो देव-स्थान के महंत-पुजारी फिर से हरिहर काका को बहला-फुसला कर ले जायँगे और ज़मीन देव-स्थान के नाम करवा लेंगे। और यही चिंता महंत जी को भी थी कि हरिहर काका को अकेला और असुरक्षित पा, उनके भाई फिर से उन्हें पकड़ कर मारेंगे और ज़मीन को अपने नाम करवा लेंगे। इसीलिए जब हरिहर काका ने अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस की माँग की तब सामने ना आकर हरिहर काका के भाई और महंत दोनों ने पीछे ही रह कर बहुत खुशामद और पैसा खर्च कर के हरिहर काका की सुरक्षा के लिए सहायता की थी। यह उनकी सहायता का ही परिणाम था कि एक व्यक्ति की सुरक्षा के लिए गाँव में पुलिस के चार जवान तैनात कर दिए गए थे।
प्रश्न 5 – “हरिहर काका कहानी पारिवारिक जीवन में घर कर चुकी स्वार्थपरता और हिंसा-प्रवृत्ति को बेनकाब करती है।” तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर – “हरिहर काका कहानी पारिवारिक जीवन में घर कर चुकी स्वार्थपरता और हिंसा-प्रवृत्ति को बेनकाब करती है।” यह कथन शतप्रतिशत सही है। वर्तमान में व्यक्ति इतना स्वार्थी हो गया है कि वह धन-संपत्ति के लालच में अपने सगे-सम्बन्धियों को ही नहीं बल्कि अपने माता-पिता को भी कष्ट पहुँचाने से नहीं कतराता। वर्तमान में हिंसा-प्रवृत्ति के कई उदाहरण सामने आते-रहते हैं जिसमें न जाने कितने बच्चे अपने माता-पिता, भाई-बहन व् सगे-सम्बन्धियों को मौत के घाट तक उतार देते हैं। हरिहर काका कहानी तो पारिवारिक जीवन में घर कर चुकी स्वार्थपरता और हिंसा-प्रवृत्ति का नमूना मात्र है वास्तविकता तो इससे कहीं अधिक घिनौनी है।
Questions which came in 2022 Board Exam
प्रश्न 1 – हरिहर काका भाइयों पर गुस्सा करके घर से बाहर जा रहे थे, तब उनकी भेंट महंत से हुई और वे उन्हें ठाकुरबारी ले गए। हरिहर काका को ठाकुरबारी ले जाकर महंत ने उनके साथ किस प्रकार का व्यवहार किया? ‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर लिखिए।
उत्तर – हरिहर काका भाइयों पर गुस्सा करके घर से बाहर जा रहे थे, तब उनकी भेंट महंत से हुई और वे उन्हें ठाकुरबारी ले गए। महंत की नज़र भी हरिहर काका की ज़मीन पर थी। जिस कारण महंत ने पहले तो हरिहर काका की बहुत ख़ातिरदारी की। उन्हें तरह-तरह के खाने खिलाए। मिठाइयाँ खिलाई और उनकी सेवा में कई नौकर-चाकर भी लगवाए। उनकी ज़मीन ठाकुरबारी के नाम लिखवाने के लिए उन्हें कई तरह से मनाने की कोशिश भी की। महंत जी हरिहर काका को समझाने लगे की उनके भाई का परिवार केवल उनकी जमीन के कारण उनसे जुड़ा हुआ है, किसी दिन अगर हरिहर काका यह कह दें कि वे अपने खेत किसी और के नाम लिख रहे हैं, तो वे लोग तो उनसे बात करना भी बंद कर देंगें। खून के रिश्ते ख़त्म हो जायेंगे। महंत हरिहर काका से कहता है कि उनके हिस्से में जितने खेत हैं वे उनको भगवान के नाम लिख दें। ऐसा करने से उन्हें सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होगी।
प्रश्न 2 – ‘हरिहर काका’ कहानी में आपने पढ़ा कि हरिहर काका का, महंत और उसके साथियों ने अपहरण कर लिया। कल्पना कीजिए कि आप एक पत्रकार हैं। आपको हरिहर काका के, महंत की गिरफ़्त में होने का पता लगता है। आप किन बातों का खुलासा करेंगे और दूसरे लोगों पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर – हरिहर काका का, महंत और उसके साथियों ने अपहरण कर लिया था। अगर मैं एक पत्रकार होती और मुझे हरिहर काका के, महंत की गिरफ़्त में होने का पता लगता तो मैं ठाकुरबारी जा कर इस बात के सबूत इकट्ठे करती। वहाँ मौजूद हर छोटे-बड़े व्यक्ति से बात करके बात को अधिक गंभीरता से समझती। सभी पक्षों का ब्यान ले कर अखबार की मदद से लोगों तक इस अपराध को पूरी सच्चाई से रखती। इस तरह की कोशिश से लोगों पर अवश्य प्रभाव पड़ेगा। इस घटना से सभी के समक्ष आ जाने पर लोग आँख मूँद कर किसी पर भी विश्वास नहीं करेंगे। भगवान् के नाम पर डरना बंद करेंगे व् अपने आसपास होने वाले अपराधों को रोकने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।
प्रश्न 3 – हरिहर काका के प्रति उनके परिवार के व्यवहार पर अपने विचार लिखिए और यह भी बताइए कि बुजुर्गों के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए?
उत्तर – हरिहर काका के प्रति उनके परिवार के व्यवहार अत्यधिक निंदनीय था। न तो उनके परिवार का कई सदस्य उनसे अच्छे से बात करता था और न ही कोई उनकी इज़्ज़त करता था। यहाँ तक कि उनके बीमार पड़ने पर कोई उनको पानी तक नहीं पूछता था। घर में कोई उनके खाने का भी ध्यान नहीं रखता था। सभी के अच्छे से खा लेने के बाद बचा हुआ रुखा-सूखा उन्हें दिया जाता था। इस तरह का व्यवहार बिलकुल अनुचित है। घर में बुजुर्गों का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपने परिवार की सुख-समृद्धि में लगा दी और जब बुढ़ापे में उनके शरीर में कुछ करने की क्षमता नहीं है तब हमारा दायित्व है कि हम उनके सुख-दुःख का ध्यान रखें। जिस तरह हम अपने बच्चों का ध्यान रखते हैं उसी तरह हमें अपने बुजुर्गों का भी ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न 4 – ‘समाज में रिश्तों से अधिक महत्त्व धन का है।’ ‘हरिहर काका’ कहानी के संदर्भ में इस कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
उत्तर – ‘समाज में रिश्तों से अधिक महत्त्व धन का है।’ ‘हरिहर काका’ कहानी के संदर्भ में इस कथन की सत्यता सिद्ध होती है। हरिहर काका का परिवार भी हरिहर काका के साथ केवल उनकी ज़मीन के कारण ही था। नहीं तो वे कब का हरिहर काका को घर से निकाल दिए होते। महंत भी उनकी ज़मीन के कारण ही उनका ध्यान रखने का ढोंग करता था। ज़मीन को अपने-अपने नाम लिखवाने के लिए हरिहर काका के भाइयों और महंत ने हरिहर काका पर न जाने कितने जुल्म किए। उन्हें हरिहर काका की जिंदगी से कोई मतलब नहीं था। वे तो केवल हरिहर काका का ध्यान ज़मीन के लालच में ही रख रहे रहे थे।
प्रश्न 5 – ‘हरिहर काका’ कहानी वृद्धों के प्रति संवेदनहीन होते समाज की कथा है।” इस कथन को कहानी के आधार पर उदाहरण सहित सिद्ध कीजिए।
उत्तर – ‘हरिहर काका’ कहानी वृद्धों के प्रति संवेदनहीन होते समाज की कथा है।” यह कहानी काफी हद तक आज के समय में बुजुर्गों की सच्ची स्थिति का आइना है। आज के व्यक्ति न जाने क्यों अपने बुजुर्गों को बोझ समझते हैं। जब तक कोई बुजुर्ग अपनी सम्पति को अपने नाम पर रखता है तब तक घर के सभी सदस्य उस बुजुर्ग का कहना भी मानते हैं और साथ ही साथ उसका आदर भी करते हैं। परन्तु जैसे ही वह बुजुर्ग अपनी सम्पति किसी के नाम कर जाता है उसकी इज्जत व् सम्मान भी कम होने लगता है। आज कल के बच्चे अपने वृद्ध माता-पिता को अपने साथ न रख कर वृद्धाश्रम में छोड़ जाते है। वे उन्हें बोझ समझने लगे हैं। यह स्थिति बिलकुल भी सही नहीं है। इस तरह वे खुशहाली की और नहीं बल्कि पतन की और जा रहे हैं।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – हरिहर काका के विरोध में महंत और पुजारी ही नहीं उनके भाई भी थे। उसका कारण क्या था? हरिहर काका उनकी राय क्यों नहीं मानना चाहते थे? विस्तार से समझाइए।
उत्तर – हरिहर काका के विरोध में ठाकुरबाड़ी का महंत और पुजारी ही नहीं बल्कि उनके भाई भी थे। इन लोगों के विरोध का सबसे बड़ा कारण उनकी ज़मीन थी। उनके सब भाई चाहते थे हरिहर काका समस्त ज़मीन उनके नाम लिख दें और महंत चाहते थे कि हरिहर काका समस्त ज़मीन मठ के नाम कर दें। हरिहर काका की जमीन का लालच सभी को था। ये लोग सभी प्रकार की मर्यादाओं को तार-तार कर धन और जमीन के लालच में हरिहर काका के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे थे। हरिहर काका को अनुमान हो चुका था कि वे यदि इन लोगों की बात मानकर अपनी ज़मीन इन लोगों के नाम कर देते हैं तो इन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेकेंगे। उनके लिए भरपेट भोजन मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए वे उनकी राय नहीं मान रहे थे। उन्हें गाँव के ऐसे लोगों की दुर्दशा का ज्ञान था जिन्होंने अपनी जमीन सगे सम्बन्धियों को लिख दी थी। जीवन ही उनके जीवन का सहारा थी।
प्रश्न 2 – कल्पना कीजिए कि एक पत्रकार के रूप में आप हरिहर काका के बारे में अपने समाचार पत्र को क्या-क्या बताना चाहेंगे और समाज को उसके उत्तरदायित्व का बोध कैसे कराएंगे?
उत्तर – एक पत्रकार के रूप में हरिहर काका के बारे में अपने समाचार पत्र को सूचित किया जाएगा कि ज़मीन के लालच में उनके सगे संबंधी उन्हें परेशान कर रहे हैं। अपने समाचार पत्र में समाज की प्रतिष्ठित संस्था के महंत के चरित्र के बारे में विस्तार विवरण देना चाहूँगा। धन केंद्रित मानसिकता से समाज को बचाने के लिए लोगों को अपनत्व व सौहार्द्र से भरे सामाजिक जीवन जीने के लाभ से परिचित करवाना होगा। इसके लिए नुक्कड़ नाटक के आयोजन तथा टी.वी. आदि पर घर-घर की कलह आदि को दिखाने के स्थान पर प्रेम, सौहाई व भाईचारे की भावना से ओतप्रोत धारावाहिकों का प्रसारण किया जाना चाहिए, जिससे लोग जागरूक हों और अपनत्व के महत्व को समझते हुए अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन कर सके।
प्रश्न 3 – हरिहर काका के जीवन के अनुभवों से हमें क्या सीख मिलती है? पाठ के आधार पर लिखिए|
उत्तर – हरिहर काका के जीवन के अनुभवों से हमें बहुत सी सीख मिलती हैं। जैसे – अपने संबंधों में किसी भी प्रकार का लालच या स्वार्थ न आने दें। जीते-जी अपनी जायदाद किसी के नाम नहीं करनी चाहिए। धार्मिक अंधविश्वास या बहकावे में नहीं आना चाहिए। राजनीतिक बहकावे में नहीं आना चाहिए। परिवार में एक-दूसरे के प्रति भरोसा, विश्वास कायम रखना चाहिए। परिवार में बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए या बाहरी लोगों की राय नहीं लेनी चाहिए।
प्रश्न 4 – हरिहर काका के जीवन में आई कठिनाइयों का मूल कारण क्या था? ऐसी सामाजिक समस्या के समाधान के क्या उपाय हो सकते हैं? लिखिए।
उत्तर – हरिहर काका के जीवन में आई कठिनाइयों का कारण समाज व परिवार के लोगों में लालच की प्रवृत्ति का आना था। सब हरिहर काका की ज़मीन को हड़पना चाहते थे। ऐसी सामाजिक समस्या के समाधान के कुछ उपाय हो सकते हैं। जैसे – जीते-जी अपनी जायदाद किसी के नाम नहीं करनी चाहिए। धार्मिक अंधविश्वास या बहकावे में नहीं आना चाहिए। राजनीतिक बहकावे में नहीं आना चाहिए। परिवार में एक-दूसरे के प्रति भरोसा, विश्वास कायम रखना चाहिए। परिवार में बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए या बाहरी लोगों की राय नहीं लेनी चाहिए।
प्रश्न 5 – वर्तमान समाज में पारिवारिक संबंधों का क्या महत्त्व है? ‘हरिहर काका’ कहानी में यह सच्चाई कैसे उजागर होती है?
उत्तर – समाज में सुखी जीवन जीने के लिए रिश्तों-नातों का बहुत अधिक महत्त्व है। परन्तु आज के समाज में सभी मानवीय और पारिवारिक मूल्यों और कर्तव्यों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। आज का व्यक्ति स्वार्थी मनोवृति का हो गया है। वह केवल अपने मतलब के लिए ही लोगों से मिलता है। वह अपने अमीर रिश्तेदारों से रोज मिलना चाहता है परन्तु अपने गरीब रिश्तेदारों से कोसों दूर भागता है। ज्यादातर लोग केवल स्वार्थ के लिए ही रिश्ते निभाते हैं। रोज अखबारों और ख़बरों में सुनने को मिलता है कि जायदाद के लिए लोग अपनों की हत्या करने से भी नहीं झिझकते।
प्रश्न 6 – उन घटनाओं का उल्लेख कीजिए जिनके आधार पर हरिहर काका को अपने भाई और महंत एक ही श्रेणी के लगते थे।
उत्तर – कुछ दिनों तक तो हरिहर काका के परिवार वाले हरिहर काका की सभी चीज़ों का अच्छे से ध्यान रखते थे, परन्तु फिर कुछ दिनों बाद हरिहर काका को कोई पूछने वाला नहीं था। हरिहर काका के सामने जो कुछ बच जाता था वही परोसा जाता था। कभी-कभी तो हरिहर काका को बिना तेल-घी के ही रूखा-सूखा खाना खा कर प्रसन्न रहना पड़ता था। अगर कभी हरिहर काका के शरीर की स्थिति या मन की स्थिति ठीक नहीं होती तो हरिहर काका पर मुसीबतों का पहाड़ ही गिर जाता। क्योंकि इतने बड़े परिवार के रहते हुए भी हरिहर काका को कोई पानी भी नहीं पूछता था। बरामदे के कमरे में पड़े हुए हरिहर काका को अगर किसी चीज़ की जरुरत होती तो उन्हें खुद ही उठना पड़ता।
महंत हरिहर काका को समझाता था कि उनके हिस्से में जितने खेत हैं वे उनको भगवान के नाम लिख दे। ऐसा करने से उन्हें सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। तीनों लोकों में उनकी प्रसिद्धि का ही गुणगान होगा। जब तक इस दुनिया में चाँद-सूरज रहेंगे, तब तक लोग उन्हें याद किया करेंगे। साधु-संत भी उनके पाँव धोएंगें। महंत हरिहर काका से कहता था कि उनके हिस्से में जो पंद्रह बीघे खेत हैं। उसी के कारण उनके भाइयों का परिवार उनसे जुड़ा हुआ है। किसी दिन अगर हरिहर काका यह कह दें कि वे अपने खेत किसी और के नाम लिख रहे हैं तो वे लोग तो उनसे बात करना भी बंद कर देंगें। खून के रिश्ते ख़त्म हो जायेंगे।
असल में हरिहर काका को समझ आ गया था कि दोनों ही उनसे उनकी जमीन के लिए अच्छा व्यवहार करते हैं, नहीं तो कोई उन्हें पूछता तक नहीं। इसीलिए हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के लगने लगे थे।
प्रश्न 7 – ‘अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की अच्छी समझ रखते हैं।’ सोदाहरण सिद्ध कीजिए।
उत्तर – जब हरिहर काका के भाइयों ने हरिहर काका को उनके हिस्से की जमीन को उनके नाम लिखवाने के लिए कहा, तो हरिहर काका बहुत सोचने के बाद अंत में इस परिणाम पर पहुंचे कि अपने जीते-जी अपनी जायदाद का स्वामी किसी और को बनाना ठीक नहीं होगा। फिर चाहे वह अपना भाई हो या मंदिर का महंत। हरिहर काका को अपने गाँव और इलाके के वे कुछ लोग याद आए, जिन्होंने अपनी जिंदगी में ही अपनी जायदाद को अपने रिश्तेदारों या किसी और के नाम लिखवा दिया था। उनका जीवन बाद में किसी कुत्ते की तरह हो गया था, उन्हें कोई पूछने वाला भी नहीं था। हरिहर काका बिलकुल भी पढ़े-लिखे नहीं थे, परन्तु उन्हें अपने जीवन में एकदम हुए बदलाव को समझने में कोई गलती नहीं हुई और उन्होंने फैसला कर लिया कि वे जीते-जी किसी को भी अपनी जमीन नहीं लिखेंगे। इससे पता चलता है कि अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते थे।
प्रश्न 8 – ‘हरिहर काका’ पाठ के आधार पर लिखिए कि हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले व्यक्ति कौन थे। उन्होंने उनके साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर – हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले महंत के आदमी थे। उन्होंने ठाकुरबारी के एक कमरे में हरिहर काका को हाथ और पाँव बाँध कर रखा था और साथ ही साथ उनके मुँह में कपड़ा ठूँसा गया था ताकि वे आवाज़ न कर सकें। वे लोग काका को उस कमरे में इस तरह बाँध कर कही गुप्त दरवाज़े से भाग गए थे और उन्होंने कुछ खाली और कुछ लिखे हुए कागजों पर हरिहर काका के अँगूठे के निशान जबरदस्ती ले लिए थे। परन्तु हरिहर काका दरवाज़े तक लुढ़कते हुए आ गए थे और दरवाज़े पर अपने पैरों से धक्का लगा रहे थे ताकि बाहर खड़े उनके भाई और पुलिस उन्हें बचा सकें।
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