CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 5 Yah Danturit Muskan Aur Fasal Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Yah Danturit Muskan Aur Fasal Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 5, “Yah Danturit Muskan Aur Fasal”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘यह दंतुरित मुस्कान‘ कविता में शिशु से मिलकर कवि को कैसी अनुभूति होती है? (25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘यह दंतुरित मुस्कान’ कविता में कवि को शिशु की दाँतों वाली मधुर मुस्कान बहुत सुंदर लगती है। उस मुस्कान को देखकर उनका कठोर हृदय सरल हो उठता है, वह उस मधुर मुस्कान पर मुग्ध हो जाते हैं और उन्हें आनंद की अनुभूति होती है।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘फसल’ कविता में कवि ने फसल के बारे में क्या कहा है? फसल उपजाने में अपेक्षित तत्त्वों का उल्लेख कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि के अनुसार नदियों के पानी का जादू फसल के रूप दिखाई देता हैं क्योंकि बिना पानी के फसल का उगना नामुकिन हैं। करोड़ों किसानों की दिन – रात की मेहनत का नतीजा फसल के रूप में मिलता हैं। किसान की मेहनत के साथ – साथ पानी , मिट्टी का गुणवत्तापूरक , अलग – अलग तरह की मिट्टी में अलग- अलग तरह के पोषक तत्व , पौधों को बढ़ने के लिए सूरज की किरणें व कार्बन डाइऑक्साइड गैस आदि की आवश्यकता होती है। करोड़ों किसानों की दिन- रात की मेहनत , नदियों के पानी का जादू , भूरी , काली व खुशबूदार मिट्टी यानि अलग – अलग प्रकार की मिट्टी के पोषक तत्व और सूरज की किरणें भी अपना रूप बदल कर इन फसलों के अंदर समाहित रहती हैं। ये सभी फसल उगाने के लिए बहुत आवश्यक हैं।
प्रश्न 2 – ‘फसल’ का सृजन कब संभव है? पठित कविता के आधार लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – एक नहीं दो नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों हाथों के अथक परिश्रम का परिणाम से एक अच्छी फसल तैयार होती है। अर्थात हजारों खेतों पर दुनिया भर के लाखों-करोड़ों किसान दिन रात मेहनत करते हैं। अपनी फसल की देखभाल करते हैं। उसको समय-समय पर खाद, पानी और जरूरी पोषक तत्व देते हैं। तब जाकर कहीं फसल खेतों पर लहलहा उठती है। अच्छी फसल उगाने के लिए खेतों की मिट्टी अच्छी होनी चाहिए। इसीलिए एक या दो नहीं बल्कि हजारों खेतों की उपजाऊ मिट्टी के पोषक तत्व भी इन फसलों के अंदर छुपे हुए हैं।
प्रश्न 3 – “बच्चे के निकट आने और उसका स्नेह पाने के लिए सान्निध्य आवश्यक है।” का भाव “यह दंतुरित मुसकान” कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – “यह दंतुरित मुस्कान” कविता के अनुसार, बच्चे के निकट आने और उसका स्नेह पाने के लिए सान्निध्य आवश्यक है। एक बच्चे की मुस्कान को देखकर , हम अपने सब दुःख भूल जाते हैं और हमारा अंतर्मन प्रसन्न हो जाता है। कवि काफी लम्बे समय के बाद अपने घर लौटता है और उनकी मुलाकात उनके 6 से 8 महीने के बच्चे से पहली बार होती है। बच्चा बहुत छोटा होने के कारण अपने पिता से लम्बे समय तक दूर रहने के कारण पहचान नहीं पता है। वह अपलक देखता हुआ पिता को पहचानने की कोशिश करता है। जबकि माँ के सानिध्य में रहकर वह माँ के करीब रहता है। इसी कारण कविता में कहा गया है कि बच्चे के निकट आने और उसका स्नेह पाने के लिए सान्निध्य आवश्यक है।
प्रश्न 4 – फसल को ढेर सारी नदियों के पानी का जादू क्यों कहा गया है? कविता के आधार पर लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – एक या दो नहीं बल्कि अनेक नदियों का पानी अपना जादुई असर दिखाता है, तब जाकर फसल पैदा होती हैं। एक नहीं दो नहीं बल्कि लाखों-करोड़ों हाथों के अथक परिश्रम का परिणाम से एक अच्छी फसल तैयार होती है। अर्थात हजारों खेतों पर दुनिया भर के लाखों-करोड़ों किसान दिन रात मेहनत करते हैं। अपनी फसल की देखभाल करते हैं। उसको समय-समय पर खाद, पानी और जरूरी पोषक तत्व देते हैं। तब जाकर कहीं फसल खेतों पर लहलहा उठती है। अच्छी फसल उगाने के लिए खेतों की मिट्टी अच्छी होनी चाहिए। इसीलिए एक या दो नहीं बल्कि हजारों खेतों की उपजाऊ मिट्टी के पोषक तत्व भी इन फसलों के अंदर छुपे हुए हैं। क्योंकि मिट्टी की विशेषताएं भी फसलों की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
प्रश्न 5 – ‘फसल’ कविता सामूहिक कार्य का अच्छा उदाहरण है – इस कथन पर टिप्पणी लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – फसल कविता में फसल के बढ़ने को सामूहिक कार्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कविता में फसल को न केवल एक व्यक्ति के प्रयास बल्कि कई तत्वों के सहयोग से उगते हुए दिखाकर सामूहिक कार्य का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। जैसे –
- फसल को जीवन देने में एक नहीं बल्कि कई नदियों के जल का योगदान होता है।
- एक नहीं बल्कि हज़ारों किसानों की मेहनत और उसकी देखभाल से फसल की गुणवत्ता बढ़ती है।
- अच्छी मिट्टी में मौजूद न जाने कितने खनिज भी फसल के अच्छे विकास में सहायक होते है।
- प्राकृतिक तत्व जैसे सूरज की किरणें और हवा की थिरकन भी फसल के विकास में भूमिका निभाते हैं।
इस प्रकार, फसल कविता में दिखाया गया है कि फसल का उत्पादन कई अलग-अलग तत्वों के सहयोग से संभव होता है, जो सामूहिक प्रयास का एक अच्छा उदाहरण है।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – आपने अपने पाठ्यक्रम में किस कविता में अन्न उपजाने की पूरी प्रक्रिया पढ़ी है? उस प्रक्रिया का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – किसान की मेहनत के साथ – साथ पानी , मिट्टी का गुणवत्तापूरक , अलग – अलग तरह की मिट्टी में अलग- अलग तरह के पोषक तत्व , पौधों को बढ़ने के लिए सूरज की किरणें व कार्बन डाइऑक्साइड गैस आदि की आवश्यकता होती है। करोड़ों किसानों की दिन- रात की मेहनत , नदियों के पानी का जादू , भूरी , काली व खुशबूदार मिट्टी यानि अलग – अलग प्रकार की मिट्टी के पोषक तत्व और सूरज की किरणें भी अपना रूप बदल कर इन फसलों के अंदर समाहित रहती हैं। ये सभी फसल उगाने के लिए बहुत आवश्यक हैं।
प्रश्न 2 – ‘यह दंतुरित मुस्कान’ में शिशु कवि को ‘अनिमेष’ देख रहा है। ‘अनिमेष’ का अर्थ लिखते हुए बताइए कि बच्चे ऐसा क्यों करते हैं? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘यह दंतुरित मुस्कान’ में शिशु कवि को ‘अनिमेष’ देख रहा है। ‘अनिमेष’ का अर्थ होता है बिना पलक झपकाए देखना। बच्चा पहली बार अपने पिता (कवि) को देख रहा है। इस कारण कवि उस छोटे से बच्चे से कहते हैं कि ऐसा लगता है कि तुम (छोटा बच्चा) मुझे (कवि / पिता) पहचान नहीं पाये हो क्योंकि बच्चा कवि को अपलक अर्थात बिना पलक झपकाए देख रहा है। बच्चे जब किसी नई चीज़ या व्यक्ति को देखते हैं तो वे हैरानी व् उत्सुकता के कारण अपलक या बिना पालक झपकाए देखते रहते हैं।
प्रश्न 3 – ‘फसल’ किन-किन रूपों का जादू है? इसे बनाए रखने के लिए हमें क्या प्रयास करने चाहिए? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – फसल ढेर सारी नदियों के पानी का जादू, लाखों लोगों के हाथों के स्पर्श की गरिमा तथा भिन्न प्रकार की मिट्टी के गुण, सूर्य की किरणों और वायु की मंद गति का परिणाम है। यानी फसल मनुष्य और प्रकृति दोनों के मिलकर कार्य करने से उपजता है। इसे बनाए रखने के लिए हमें फसल के लिए आवश्यक तत्वों का संरक्षण करना चाहिए। उन्हें बर्बाद नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 4 – “धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात …..
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात”
‘तुम्हारी ये दंतुरित मुस्कान’ से ली गई उपर्युक्त पंक्तियों में प्रयुक्त बिंब को स्पष्ट कीजिए।(लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि जब बच्चे के धूल से सने हुए नन्हें तन को देखता है तो ऐसा लगता है कि मानों कमल के फूल तालाब को छोड़कर कवि की झोंपड़ी में खिल उठते हो। कहने का आशय यह है कि बच्चे के धूल से सने नन्हे से तन को निहारने पर कवि का मन कमल के फूल के समान खिल उठा है अर्थात् प्रसन्न हो जाता है।
ऐसा लगता है कि किसी प्राणवान का स्पर्श पाकर ये कठोर चट्टानें पिघलकर जल बन गई होगी। कहने का आशय यह है कि बच्चे की मधुर मुस्कान देख कर पत्थर जैसे कठोर हृदय वाले मनुष्य का मन भी पिघलाकर अति कोमल हो जाता है।
प्रश्न 5 – बच्चे की दंतुरित मुस्कान का किस-किस पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है? यह ‘दंतुरित मुस्कान’ कविता के आधार पर लिखिए।(लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि के अनुसार बच्चे की मुस्कुराहट इतनी प्रभावशाली होती हैं कि वो किसी भावहीन व्यक्ति में भी भावनाओं को जगा सकती है और जीवन की कठिन परिस्थितियों से निराश-हताश हो चुके व्यक्तियों और यहाँ तक कि बेजान व्यक्ति को भी जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। बच्चे की मधुर मुस्कान देख कर पत्थर जैसे कठोर हृदय वाले मनुष्य का मन भी पिघल कर अति कोमल हो जाता है।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता में ‘बाँस और बबूल’ किसके प्रतीक हैं ?
उत्तर – यह दंतुरित मुसकान कविता में ‘बाँस और बबूल’ कठोर और निष्ठुर हृदय वाले लोगों का प्रतीक है। परन्तु छोटे से बच्चे के निश्छल चेहरे में वह जादू है कि उसको छू लेने से बाँस या बबूल से भी शेफालिका के फूल गिरने लगते हैं। अर्थात बच्चे की मधुर मुस्कराहट को देखकर उनका मन अथवा स्वभाव भी पिघल कर शेफालिका के फूलों की भाँति सरस और सुंदर हो जाता है।
प्रश्न 2 – शिशु के धूलि-धूसरित शरीर को देखकर कवि नागार्जुन ने क्या कल्पना की?
उत्तर – कवि जब बच्चे के धूल से सने हुए नन्हें तन को देखता है तो ऐसा लगता है कि मानों कमल के फूल तालाब को छोड़कर कवि की झोंपड़ी में खिल उठते हो। कहने का आशय यह है कि बच्चे के धूल से सने नन्हे से तन को निहारने पर कवि का मन कमल के फूल के समान खिल उठा है अर्थात् प्रसन्न हो गया है।
ऐसा लगता है कि किसी प्राणवान का स्पर्श पाकर ये कठोर चट्टानें पिघलकर जल बन गई होगी। कहने का आशय यह है कि बच्चे की मधुर मुस्कान देख कर पत्थर जैसे कठोर हृदय वाले मनुष्य का मन भी पिघलाकर अति कोमल हो जाता है।
प्रश्न 3 – ‘शेफालिका के फूल झरने’ का भाव ‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – कवि को ऐसा लगता है कि उनके उस छोटे से बच्चे के निश्छल चेहरे में वह जादू है कि उसको छू लेने से बाँस या बबूल से भी शेफालिका के फूल गिरने लगते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन की विपरीत परिस्थितियों के कारण कवि का मन बाँस और बबूल की भाँति शुष्क और कठोर हो गया था। बच्चे की मधुर मुस्कुराहट को देखकर उसका मन अथवा स्वभाव भी पिघल कर शेफालिका के फूलों की भाँति सरस और सुंदर हो गया है।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – कवि ने शिशु की मुस्कान को ‘दंतुरित मुस्कान’ क्यों कहा है ? कवि के मन पर उस मुस्कान का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर – कवि ने शिशु की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान इसलिए कहा है क्योंकि छोटे शिशु की मुस्कान नए दांतों से सुशोभित होती है। शिशु की दंतुरित मुस्कान कवि के लिए मृतक में भी जान डाल देने वाली है कवि के मन पर शिशु की मुस्कान का यह प्रभाव पड़ता है कि उसे लगता है कि कमल का फूल तालाब को छोड़कर स्वयं उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया है। उसके मन में तरह-तरह की कल्पनाएँ आती है। कवि अत्यंत प्रफुल्लित और आश्चर्यचकित है। उसका वात्सल्य जाग उठता है।
प्रश्न 2 – ‘यह दंतुरित मुस्कान’ के आधार पर मुस्कान की दो विशेषताएँ समझाइए ।
उत्तर – नन्हे बच्चे की मन को मोह लेने वाली मुस्कान को कोई पत्थर हृदय वाला व्यक्ति भी देख ले तो , वह भी उसे प्यार किए बिना नहीं रह पाएगा और बच्चे की यह मन को मोह लेने वाली मुस्कान जीवन की कठिनाइयों व परेशानियों से निराश – हताश हो चुके व्यक्तियों को भी एक नई प्रेरणा दे सकती हैं।
प्रश्न 3 – भाव स्पष्ट कीजिए : “छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल ?”
उत्तर – “छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल ?” पंक्ति का भाव यह है कि जीवन की विपरीत परिस्थितियों के कारण कवि का मन बाँस और बबूल की भाँति शुष्क और कठोर हो गया था। बच्चे की मधुर मुस्कराहट को देखकर उसका मन अथवा स्वभाव भी पिघल कर शेफालिका के फूलों की भाँति सरस और सुंदर हो गया है।
प्रश्न 4 – ‘छू गया तुमसे कि झरने लगे शेफालिका के फूल’ उक्त पंक्ति का आशय नागार्जुन की कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘छू गया तुमसे कि झरने लगे शेफालिका के फूल’ उक्त पंक्ति का आशय यह है कि कवि के उस छोटे से बच्चे के निश्छल चेहरे में वह जादू है कि उसको छू लेने से बाँस या बबूल से भी शेफालिका के फूल गिरने लगते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन की विपरीत परिस्थितियों के कारण कवि का मन बाँस और बबूल की भाँति शुष्क और कठोर हो गया था। बच्चे की मधुर मुस्कराहट को देखकर उसका मन अथवा स्वभाव भी पिघल कर शेफालिका के फूलों की भाँति सरस और सुंदर हो गया है।
प्रश्न 5 – ‘फ़सल’ कविता में ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – “हाथों के स्पर्श की गरिमा” और “महिमा” कहकर कवि किसान की अथक मेहनत को सम्मानित करते हैं। क्योंकि किसान की लगन व कठिन परिश्रम के बिना खेतों में फसल नहीं उग सकती हैं। फसल के फलने – फूलने में एक या दो नहीं बल्कि लाखों – करोड़ों किसानों के हाथों के स्पर्श की गरिमा विद्यमान होती है। कवि कहते हैं कि मिट्टी और पानी के पोषक तत्व तथा सूरज की ऊर्जा भी तभी सार्थक होती है, जब किसानों के हाथों का स्पर्श इसे गरिमा प्रदान करता हैं।
प्रश्न 6 – फसल क्या है? – इसको लेकर फसल के बारे में कवि ने क्या-क्या संभावनाएँ व्यक्त की हैं?
उत्तर – कवि के अनुसार नदियों के पानी का जादू फसल के रूप में दिखाई देता हैं क्योंकि बिना पानी के फसल का उगना नामुकिन हैं। करोड़ों किसानों की दिन – रात की मेहनत का नतीजा फसल के रूप में मिलता हैं। असल में संक्षेप में कहा जाए तो फसल करोड़ों किसानों की लगन व मेहनत का नतीजा , नदियों के पानी का जादू, मिट्टी में पाए जाने वाले जरूरी अवयव, सूर्य की किरणें व हवा में पायी जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस के मिलन का नतीजा है। फसल करोड़ों किसानों की लगन व मेहनत का नतीजा, नदियों के पानी का जादू , मिट्टी में पाए जाने वाले जरूरी अवयव, सूर्य की किरणें व हवा में पायी जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस के मिलन का नतीजा है।
प्रश्न 7 – नागार्जुन ने फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ क्यों कहा है ?
उत्तर – “हाथों के स्पर्श की गरिमा” और “महिमा” कहकर कवि किसान की अथक मेहनत को सम्मानित करते हैं। क्योंकि किसान की लगन व कठिन परिश्रम के बिना खेतों में फसल नहीं उग सकती हैं। फसल के फलने – फूलने में एक या दो नहीं बल्कि लाखों – करोड़ों किसानों के हाथों के स्पर्श की गरिमा विद्यमान होती है। कवि कहते हैं कि मिट्टी और पानी के पोषक तत्व तथा सूरज की ऊर्जा भी तभी सार्थक होती है , जब किसानों के हाथों का स्पर्श इसे गरिमा प्रदान करता हैं।
प्रश्न 8 – नागार्जुन की कविता के आधार पर लिखिए कि फसल क्या है?
उत्तर – कवि के अनुसार नदियों के पानी का जादू फसल के रूप दिखाई देता हैं क्योंकि बिना पानी के फसल का उगना नामुकिन हैं। करोड़ों किसानों की दिन – रात की मेहनत का नतीजा फसल के रूप में मिलता हैं। भूरी, काली व खुशबूदार हल्की पीली मिट्टी यानि अलग – अलग प्रकार की मिट्टी के पोषक तत्व और सूरज की किरणें भी अपना रूप बदल कर इन फसलों के अंदर समाहित रहती हैं। क्योंकि सूरज की रोशनी और हवा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित कर ही पौधे अपनी पत्तियों के दवारा भोजन बनाते हैं। असल में संक्षेप में कहा जाए तो फसल करोड़ों किसानों की लगन व मेहनत का नतीजा, नदियों के पानी का जादू, मिट्टी में पाए जाने वाले जरूरी अवयव, सूर्य की किरणें व हवा में पायी जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस के मिलन का नतीजा है।
प्रश्न 9 – कवि नागार्जुन ने छोटे बच्चे की मुस्कान देखकर क्या कल्पना की है?
उत्तर – कवि नागार्जुन ने छोटे बच्चे की मुस्कान को देखकर कल्पना की है कि उसकी मुस्कान मृतक प्राणी में भी जीवन का संचालन कर देती है। उसे देखकर पत्थर जैसे कठोर हृदय वाले मनुष्य का मन भी पिघलाकर अति कोमल हो जाता है।
प्रश्न 10 – भाव स्पष्ट कीजिए :
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
उत्तर – कवि जब बच्चे के धूल से सने हुए नन्हें तन को देखता है तो ऐसा लगता है कि मानों कमल के फूल तालाब को छोड़कर कवि की झोंपड़ी में खिल उठते हो। कहने का आशय यह है कि बच्चे के धूल से सने नन्हे से तन को निहारने पर कवि का मन कमल के फूल के समान खिल उठा है अर्थात् प्रसन्न हो गया है।
ऐसा लगता है कि किसी प्राणवान का स्पर्श पाकर ये कठोर चट्टानें पिघलकर जल बन गई होगी। कहने का आशय यह है कि बच्चे की मधुर मुस्कान देख कर पत्थर जैसे कठोर हृदय वाले मनुष्य का मन भी पिघलाकर अति कोमल हो जाता है।
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