CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 4 Utsah Aur At Nahi Rahi Hai Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Utsah Aur At Nahi Rahi Hai Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 4, “Utsah Aur At Nahi Rahi Hai”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – “आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन” ‘उत्साह‘ कविता से उद्धृत इस पंक्ति में बादलों को ‘अनंत के घन‘ क्यों कहा गया है? (25-30 शब्दों में)
उत्तर- इस पंक्ति में बादलों को ‘अनंत के घन’ इसलिए कहा गया है क्योंकि वे आकाश जैसे असीम और अनंत स्रोत से आते हैं। वे अज्ञात दिशा से प्रकट होते हैं, विशाल आकार के होते हैं और अपार जल लेकर धरती को जीवनदायिनी शीतलता प्रदान करते हैं।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘उत्साह’ कविता के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – बादल भयंकर गर्जना के साथ जब बरसते हैं, तो धरती के सभी प्राणियों में एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है। लोगों का मन एक बार फिर से नए जोश व उत्साह से भर जाता हैं। कवि भी बादलों के माध्यम से लोगों में उत्साह का संचार करना चाहते हैं और समाज में एक नई क्रांति लाने के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहते हैं। एक ओर बादलों के गर्जन में उत्साह समाया है , तो दूसरी ओर कवि लोगों में उत्साह का संचार करके क्रांति के लिए तैयार करना चाहते हैं। इसलिए इस कविता का शीर्षक “उत्साह” सार्थक सिद्ध होता है।
प्रश्न 2 – फागुन मास में प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन, ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – फागुन मास के समय प्रकृति हर चीज़ का पुनःनिर्माण करती है। पेड़ – पौधें नए पत्तों , फल और फूलों से लद जाते हैं , इस कारण पूरा वातावरण फूलों की सुगंध से सुगंधित एवं उनके रंग से रंगीन हो जाता है। मौसम सुहावना होता है। आकाश साफ – स्वच्छ होता है। इस मौसम में पक्षी भी आसमान में स्वच्छंद विचरण करते हैं और प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते हैं। बाग – बगीचों और पक्षियों में उल्लास भर जाता हैं। लोगों में खुशी का माहौल होता है।
प्रश्न 3 – ‘उत्साह’ कविता में कवि ने धाराधर किसे और क्यों कहा है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहा है; क्योंकि कवि बादलों को क्रांति का सूत्रधार और गर्जना को विद्रोह का प्रतीक मानता है। कवि बादलों से पौरुष दिखाने की कामना करता है। कवि ने बादल के गरजने के माध्यम से दुखों को दूर करने के लिए क्रांतिकारी शक्ति की आशा की है।
प्रश्न 4 – ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर ‘कहीं पड़ी है उर में, मंद-गंध-पुष्प-माल’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘अट नहीं रही है’ कविता में ‘कहीं पड़ी है उर में, मंद-गंध-पुष्प-माल’ पंक्ति का आशय यह है कि फागुन मास में जब चारों तरफ पेड़ों पर हरे पत्ते एवं रंग – बिरंगे फूल दिखाई देते हैं तो ऐसा लगता हैं, मानो पेड़ों ने कोई सुंदर, रंगबिरंगी माला पहन रखी हो। इस सुगन्धित पुष्प माला की ख़ुशबू कवि को बहुत ही मनमोहक लगती है।
प्रश्न 5 – ‘उत्साह’ कविता में कवि बादलों की तुलना काले-घुंघराले बालों से क्यों करता है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘उत्साह’ कविता में कवि बादलों की तुलना काले-घुंघराले बालों से करता है क्योंकि बादल आकाश में सुंदर – सुंदर , काले घुंघराले अर्थात गोल – गोल छल्ले के आकार के समान छाए हुए हैं। बादल और काले-घुंघराले बाल दोनों ही जीवन और ऊर्जा के प्रतीक हैं। जो लोगों को संघर्ष करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते है।
प्रश्न 6 – ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर फागुन की शोभा का वर्णन कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – फागुन मास के समय प्रकृति हर चीज़ का पुनःनिर्माण करती है। पेड़ – पौधें नए पत्तों , फल और फूलों से लद जाते हैं , इस कारण पूरा वातावरण फूलों की सुगंध से सुगंधित एवं उनके रंग से रंगीन हो जाता है। मौसम सुहावना होता है। आकाश साफ – स्वच्छ होता है। इस मौसम में पक्षी भी आसमान में स्वच्छंद विचरण करते हैं और प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते हैं। बाग – बगीचों और पक्षियों में उल्लास भर जाता हैं। लोगों में खुशी का माहौल होता है। इन सभी मायनों में फागुन का सौंदर्य अन्य मास की ऋतुओं से भिन्न होता है।
प्रश्न 7 – क्या आप इस बात से सहमत हैं कि निराला ने ‘उत्साह’ कविता के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन का संदेश दिया है? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।(लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘ उत्साह ’ कविता एक आह्वान गीत है। इसमें कवि ने बादलों का आह्वान किया है। अर्थात बादलों को पुकारा है। कवि ने बादलों को पुनर्जागरण व क्रांति का प्रतीक बनाया है। किसी भी परिवर्तन के लिए पुनर्जागरण की आवश्यकता होती है। बादल क्रांति द्वारा परिवर्तन लाकर पुनर्जागरण का प्रतीक बनते हैं , इसीलिए कवि बादलों के द्वारा समाज में नए – नए विचारों का सृजन करना चाहते हैं। लोगों के भीतर एक नया जोश , नया उत्साह भरने का प्रयास करना चाहते हैं। लोगों की सोई चेतना को जागृत करना चाहते हैं और सन्देश देना चाहते हैं कि किसी कार्य को पूरा करने के लिए शरीर में उत्साह होना आवश्यक है और किसी भी विपरीत परिस्थिति में साहस से काम लेना ही समझदारी है।
प्रश्न 8 – ‘अट नहीं रही हैं’ कविता के आधार पर लिखिए कि फागुन मास के प्राकृतिक सौंदर्य का मानव मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – फागुन मास में प्रकृति के कण – कण में अर्थात जगह – जगह इतनी सुंदरता बिखरी पड़ी है कि अब वह इस पृथ्वी में समा नहीं पा रही है। चारों तरफ पेड़ों पर हरे पत्ते एवं रंग – बिरंगे फूल दिखाई दे रहे हैं और ऐसा लग रहा हैं, मानो पेड़ों ने कोई सुंदर, रंगबिरंगी माला पहन रखी हो। इस सुगन्धित पुष्प माला की ख़ुशबू कवि को बहुत ही मनमोहक लग रही है। कवि के अनुसार, फागुन के महीने में यहाँ प्रकृति में होने वाले बदलावों से सभी प्राणी बेहद ख़ुश हो जाते हैं। कविता में कवि स्वयं भी बहुत ही खुश लग रहे हैं।
प्रश्न 9 – ‘उत्साह’ शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – बादल भयंकर गर्जना के साथ जब बरसते हैं , तो धरती के सभी प्राणियों में एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है। लोगों का मन एक बार फिर से नए जोश व उत्साह से भर जाता हैं। कवि भी बादलों के माध्यम से लोगों में उत्साह का संचार करना चाहते हैं और समाज में एक नई क्रांति लाने के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहते हैं। एक ओर बादलों के गर्जन में उत्साह समाया है , तो दूसरी ओर कवि लोगों में उत्साह का संचार करके क्रांति के लिए तैयार करना चाहते हैं। इसलिए इस कविता का शीर्षक “ उत्साह ” सार्थक सिद्ध होता है।
प्रश्न 10 – फागुन की किन विशेषताओं का वर्णन कवि ने ‘अट नहीं रहीं हैं’ – कविता में किया है। अपने शब्दों में लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि ने ‘अट नहीं रहीं हैं’ – कविता में फागुन की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन किया है –
- फागुन के समय प्रकृति अपने चरम सौंदर्य पर होती है और मस्ती से इठलाती है।
- फागुन के समय पेड़ हरियाली से भर जाते हैं और उन पर रंग-बिरंगे सुगन्धित फूल उग जाते हैं।
- फागुन माह में ऐसा लगता हैं मानो प्रकृति एक बार फिर दुल्हन की तरह सज धज कर तैयार हो गयी हैं क्योंकि वसंत ऋतु के आगमन से सभी पेड़-पौधे नई-नई कोपलों व रंग-बिरंगे फूलों से लद जाते हैं।
- फागुन माह में हर तरफ सुंदरता बिखरी पड़ी होती है और वह इतनी अधिक होती है कि उस पर से नजर हटाने को मन ही नहीं करता।
प्रश्न 11 – कवि बादलों से गरजने का अनुरोध क्यों करता है? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि बादलों से जोर – जोर से गरजने का निवेदन कर रहे हैं और बादलों से कहते हैं कि हे बादल ! तुम जोरदार गर्जना अर्थात जोरदार आवाज करो और आकाश को चारों तरफ से , पूरी तरह से घेर लो यानि इस पूरे आकाश में भयानक रूप से छा जाओ और फिर जोरदार तरीके से बरसो क्योंकि यह समय शान्त होकर बरसने का नहीं है।
प्रश्न 12 – कवि बादलों को ‘नवजीवन वाले’ कहकर क्यों संबोधित करता है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि बादलों को एक कवि के रूप में देखते हैं जो अपनी कविता से धरती को नवजीवन देते हैं क्योंकि बादलों के बरसने के साथ ही धरती पर नया जीवन शुरू होता हैं। पानी मिलने से बीज अंकुरित होते हैं और नये – नये पौधे उगने शुरू हो जाते हैं। धरती हरी – भरी होनी शुरू हो जाती हैं। लोगों की सोई चेतना भी जागृत होती है।
प्रश्न 13 – निराला ने फागुन मास के सौंदर्य का वर्णन किया है। आप फागुन में अपने आस-पास के सौंदर्य का वर्णन कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – प्रस्तुत कविता ‘अट नहीं रही है’ में कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी ने फागुन के सब ओर फैले सौन्दर्य और मन को मोहने वीले रूप के प्रभाव को दर्शाया है। फागुन के सौंदर्य का वर्णन अत्यधिक अद्भुत तरीके से किया है। वसंत को घर – घर में फैला हुआ दिखाया है। कवि ने पेड़ों पर आए नए पत्ते एवं फूलों का अद्भुत सुंदरता से वर्णन किया है , फूलों से फैलने वाली मनमोहक सुगंध का, वृक्षों पर आए नए फलों का , आसमान में उड़ते हुए पक्षियों का , खेत – खलियान में आई हुई फसल का, चारों तरफ से फैली हुई हरियाली से लोगों में आए हुए उल्लास के माध्यम से प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किया है।
हमारे आस-पास भी फागुन मास के समय पेड़ – पौधें नए पत्तों , फल और फूलों से लद जाते हैं। मौसम सुहावना होता है। आकाश साफ – स्वच्छ होता है। इस मौसम में पक्षी भी आसमान में स्वच्छंद विचरण करते हैं और प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते हैं। बाग – बगीचों और पक्षियों में उल्लास भर जाता हैं। लोगों में खुशी का माहौल होता है।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – बादलों से संबंधित किन बिंबों का प्रयोग ‘उत्साह’ कविता में है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘उत्साह’ कविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है –
- बादल पीड़ित-प्यासे जन की आकाँक्षा को पूरा करने वाला है।
- मानव जीवन की कठिनाइयों को दूर करने का संकेत देता है।
- मानव को जीवन में उत्साह और संघर्ष के लिए प्रेरित करता है।
- जीवन में नवीनता व् परिवर्तन लाने की ओर संकेत करता है।
प्रश्न 2 – इस वर्ष पाठ्यक्रम में पढ़ी किस कविता में कवि ने बादलों से अनुरोध किया है? उसके अनुरोध की मुख्य बातों को अपने शब्दों में लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि बादलों से जोर – जोर से गरजने का निवेदन कर रहे हैं और बादलों से कहते हैं कि हे बादल ! तुम जोरदार गर्जना अर्थात जोरदार आवाज करो और आकाश को चारों तरफ से , पूरी तरह से घेर लो यानि इस पूरे आकाश में भयानक रूप से छा जाओ और फिर जोरदार तरीके से बरसो क्योंकि यह समय शान्त होकर बरसने का नहीं हैं।
प्रश्न 3 – ‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने फागुन मास के सौंदर्य को किस प्रकार चित्रित किया है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है , क्योंकि फागुन के महीने में प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है। फागुन बहुत मतवाला , मस्त और शोभाशाली है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है। पेड़ों की डालियाँ पत्तों से भरी हुई हैं , पेड़ों पर फूल आ जाने से पेड़ कहीं हरे और कहीं लाल दिखाई दे रहे हैं , उनको देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपने हृदय पर फूलों की माला पहन रखी हो। फूलों की खुशबू भी पूरे वातावरण में फैल गई है। इसलिए कवि की आँखें फागुन की सुन्दरता से मंत्रमुग्ध होकर उससे हटाने से भी नहीं हटती।
प्रश्न 4 – ‘अट नहीं रही है’ – कविता में किसका वर्णन हुआ है और कवि ने उस सौंदर्य के बारे में क्या कहा है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कविता ‘अट नहीं रही है’ में कवि ने फागुन के सब ओर फैले सौन्दर्य और मन को मोहने वीले रूप के प्रभाव को दर्शाया है। फागुन के सौंदर्य का वर्णन अत्यधिक अद्धभुत तरीके से किया है। वसंत को घर – घर में फैला हुआ दिखाया है। यहाँ ‘घर – घर भर देते हो’ में फूलों की शोभा की ओर संकेत किया गया है और मन में उठी खुशी को भी दर्शाया गया है। ‘उड़ने को पर – पर करना’ भी ऐसा सांकेतिक प्रयोग है। यह पक्षियों की उड़ान पर भी लागू होता है और मन की उमंग पर भी। सौंदर्य से आँख न हटा पाना भी उसके विस्तार की झलक देता है। कवि ने पेड़ों पर आए नए पत्ते एवं फूलों का अद्धभुत सुंदरता से वर्णन किया है , फूलों से फैलने वाली मनमोहक सुगंध का , वृक्षों पर आए नए फलों का , आसमान में उड़ते हुए पक्षियों का , खेत – खलियान में आई हुई फसल का , चारों तरफ से फैली हुई हरियाली से लोगों में आए हुए उल्लास के माध्यम से प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किया है।
प्रश्न 5 – ‘उत्साह’ कविता क्रांति और बदलाव की कविता किस प्रकार है? किन्हीं दो बिंदुओं से स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘उत्साह’ कविता क्रांति और बदलाव की कविता है, क्योंकि कविता में बादल एक तरफ पीड़ित – प्यासे लोगों की इच्छाओं को पूरा करने वाला है , तो दूसरी तरफ वही बादल नयी कल्पना और नए अंकुर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला भी है। कवि जीवन को विस्तृत और संपूर्ण दृष्टि से देखता है। कविता में सुंदर कल्पना और क्रांति – चेतना दोनों हैं। सामाजिक क्रांति या बदलाव में साहित्य की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है , निराला इसे ‘नवजीवन’ और ‘नूतन कविता’ के संदर्भों में देखते हैं।
प्रश्न 6 – पाठ्यक्रम में पढ़ी कौन-सी कविता पूरी तरह प्रकृति के सौंदर्य पर केन्द्रित है? उसमें वर्णित प्राकृतिक सुंदरता के किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – प्रस्तुत कविता ‘अट नहीं रही है’ में कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी ने फागुन के सब ओर फैले सौन्दर्य और मन को मोहने वीले रूप के प्रभाव को दर्शाया है। फागुन के सौंदर्य का वर्णन अत्यधिक अद्धभुत तरीके से किया है। वसंत को घर – घर में फैला हुआ दिखाया है। यहाँ ‘घर – घर भर देते हो’ में फूलों की शोभा की और संकेत किया गया है और मन में उठी खुशी को भी दर्शाया गया है। ‘उड़ने को पर – पर करना’ भी ऐसा सांकेतिक प्रयोग है। यह पक्षियों की उड़ान पर भी लागू होता है और मन की उमंग पर भी। सौंदर्य से आँख न हटा पाना भी उसके विस्तार की झलक देता है। कवि ने पेड़ों पर आए नए पत्ते एवं फूलों का अद्भुत सुंदरता से वर्णन किया है , फूलों से फैलने वाली मनमोहक सुगंध का , वृक्षों पर आए नए फलों का , आसमान में उड़ते हुए पक्षियों का , खेत – खलियान में आई हुई फसल का , चारों तरफ से फैली हुई हरियाली से लोगों में आए हुए उल्लास के माध्यम से प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किया है।
Questions which came in 2022 Board Exam
प्रश्न 1 – यदि ‘उत्साह’ कविता को कोई अन्य शीर्षक देना हो तो आप क्या शीर्षक देना चाहेंगे और क्यों ? (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – यदि “उत्साह” कविता को कोई अन्य शीर्षक देना हो, तो हम “नवजीवन की गर्जना” शीर्षक दे सकते हैं। क्योंकि कविता में बादलों की गर्जना को नई ऊर्जा, प्रेरणा और जीवन का प्रतीक माना गया है। बादलों की गर्जना से विकल और उन्मन जनों को शांति और ताजगी मिलती है। इसी कारण से “नवजीवन की गर्जना” शीर्षक कविता के मूल भाव और संदेश को पूरी तरह से व्यक्त करता है।
प्रश्न 2 – ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर लिखिए कि ‘फागुन’ का व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है । (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – फागुन के समय प्रकृति अपने चरम सौंदर्य पर होती है और मस्ती से इठलाती है। फागुन के समय पेड़ हरियाली से भर जाते हैं और उन पर रंग-बिरंगे सुगन्धित फूल उग जाते हैं। इसी कारण जब हवा चलती है, तो फूलों की नशीली ख़ुशबू उसमें घुल जाती है। इस हवा में सारे लोगों पर भी मस्ती छा जाती है, वो काबू में नहीं कर पाते और मस्ती में झूमने लगते हैं।
प्रश्न 3 – ‘उत्साह’ कविता के काव्य-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए । (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – कवि ने बादलों के रूप सौंदर्य का वर्णन अत्यधिक सुंदरता से किया है। कवि कहते हैं कि बादल सुंदर – सुंदर, काले घुंघराले अर्थात गोल – गोल छल्ले के आकार के समान हैं। बादल किसी छोटे बच्चे की कल्पना की तरह होते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि जैसे छोटे बच्चों की कल्पनाएँ (इच्छाएँ) पल – पल बदलती रहती हैं तथा हर पल उनके मन में नई – नई बातें या कल्पनाएँ जन्म लेती हैं। ठीक उसी प्रकार बादल भी आकाश में हर पल अपना रूप यानि आकार बदलते रहते हैं।
प्रश्न 4 – ‘निराला’ ने ‘उत्साह’ कविता के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन के क्या संदेश दिए हैं ? तर्कसंगत उत्तर दीजिए । (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – “उत्साह” कविता के माध्यम से निराला ने सामाजिक परिवर्तन का महत्वपूर्ण संदेश दिया है। जैसे बादल वर्षा करके धरती को नया जीवन देते हैं, वैसे ही समाज में भी क्रान्ति के द्वारा परिवर्तन और नवचेतना की आवश्यकता है। कविता में बादल की गर्जना और वर्षा को समाज में बदलाव लाने वाले तत्व के रूप में प्रस्तुत किया गया है। समाज को भी नयी सोच, ऊर्जा और उत्साह की आवश्यकता है, ताकि वह भी उन्नति की ओर बढ़ सके। इस प्रकार, निराला ने सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता और उसकी प्रक्रिया को प्रेरणादायक ढंग से प्रस्तुत किया है।
प्रश्न 5 – प्रकृति के सौंदर्य का जो चित्र ‘अट नहीं रही है’ कविता उपस्थित करती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए। (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – कविता ‘अट नहीं रही है’ में कवि ने फागुन के सब ओर फैले सौन्दर्य और मन को मोहने वाले रूप के प्रभाव को दर्शाया है। फागुन के सौंदर्य का वर्णन अत्यधिक अद्धभुत तरीके से किया है। वसंत को घर – घर में फैला हुआ दिखाया है। यहाँ ‘घर – घर भर देते हो’ में फूलों की शोभा की ओर संकेत किया गया है और मन में उठी खुशी को भी दर्शाया गया है। ‘उड़ने को पर – पर करना’ भी ऐसा सांकेतिक प्रयोग है। यह पक्षियों की उड़ान पर भी लागू होता है और मन की उमंग पर भी। सौंदर्य से आँख न हटा पाना भी उसके विस्तार की झलक देता है। कवि ने पेड़ों पर आए नए पत्ते एवं फूलों का अद्धभुत सुंदरता से वर्णन किया है, फूलों से फैलने वाली मनमोहक सुगंध का, वृक्षों पर आए नए फलों का, आसमान में उड़ते हुए पक्षियों का, खेत – खलियान में आई हुई फसल का, चारों तरफ से फैली हुई हरियाली से लोगों में आए हुए उल्लास के माध्यम से प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किया है।
प्रश्न 6 – ‘अट नहीं रही है’ कविता में प्रकृति में परिवर्तन के जो दृश्य कवि को मंत्रमुग्ध कर रहे है उनका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए । (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – ‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन महीने के सौंदर्य का वर्णन है। इस महीने में प्राकृतिक सौंदर्य कहीं भी नहीं समा रहा है और धरती पर बाहर बिखर गया है। इस महीने सुगंधित हवाएँ वातावरण को महका रही हैं। इस समय प्रकृति अपने चरम सौंदर्य पर होती है और मस्ती से इठलाती है। पेड़ों पर आए लाल – हरे पत्ते और फूलों से यह सौंदर्य और भी बढ़ गया है। इससे मन में उमंगें उड़ान भरने लगी हैं। फागुन का सौंदर्य अन्य ऋतुओं और महीनों से बढ़कर होता है। इस समय चारों ओर हरियाली छा जाती है। खेतों में कुछ फसलें पकने को तैयार होती हैं। सरसों के पीले फूलों की चादर बिछ जाती है। लताएँ और डालियाँ रंग – बिरंगे फूलों से सज जाती हैं। प्राणियों का मन उल्लास से भर जाता है। ऐसा लगता है कि इस महीने में प्राकृतिक सौंदर्य छलक उठा है।
प्रश्न 7 – फागुन की सुंदरता में ऐसा अलग और अनोखा क्या है कि कवि की आँख उससे हट नहीं रही है ? ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर बताइए । (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है , क्योंकि फागुन के महीने में प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है। फागुन बहुत मतवाला , मस्त और शोभाशाली है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है। पेड़ों की डालियाँ पत्तों से भरी हुई हैं , पेड़ों पर फूल आ जाने से पेड़ कहीं हरे और कहीं लाल दिखाई दे रहे हैं , उनको देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपने हृदय पर फूलों की माला पहन राखी हों। फूलों की खुशबू भी पूरे वातावरण में फैल गई है। इसलिए कवि की आँखें फागुन की सुन्दरता से मंत्रमुग्ध होकर उससे हटाने से भी नहीं हटती।
प्रश्न 8 – इस सत्र में पढ़ी गई किस कविता में कवि ने बादलों के विविध रूपों का चित्रण किया है ? उनका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए । (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – इस सत्र में पढ़ी गई कविता ‘उत्साह’ में कवि ने बादलों के विविध रूपों का सुंदर चित्रण किया है। कहीं कवि ने बादलों को घोर गगन में लहराते और गरजते हुए दिखाया है। तो कहीं बादलों की ललित और काले घुँघराले बालों के रूप में वर्णित किया हैं। कवि ने बादलों को “नवजीवन वाले” भी कहा है, क्योंकि वे तपती धरती को ठंडक और शीतलता प्रदान करने धरती को नया जीवन प्रदान करते हैं। कवि ने बादलों को जीवन के नूतन स्रोत के रूप में भी चित्रित किया है।
प्रश्न 9 – ‘उत्साह’ कविता में बादल किनके प्रतीक हैं ? कविता के आधार पर दो बिंदुओं को लिखिए । (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – “उत्साह” कविता में बादलों को दो प्रतीकों का प्रतिनिधित्व करते दर्शाया गया है। पहला है नई ऊर्जा और प्रेरणा के रूप में। बादलों की गर्जना और बिजली को कवि नई कविताओं और जीवन में नए उत्साह का प्रतीक मानता है। दूसरा है शांति और ताजगी के रूप में। गर्मी और सूखे से व्याकुल धरती को बादल अपनी बारिश से शीतलता और ताजगी प्रदान करते हैं। इससे धरती और लोग पुनः जीवन्त हो जाते हैं और प्रकृति में नई स्फूर्ति और शांति का संचार होता है।
प्रश्न 10 – ‘अट नहीं रही है’ कविता के शीर्षक की सार्थकता तर्क सहित सिद्ध कीजिए । (25 – 30 शब्दों में)
उत्तर – बादल भयंकर गर्जना के साथ जब बरसते हैं , तो धरती के सभी प्राणियों में एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है। लोगों का मन एक बार फिर से नए जोश व उत्साह से भर जाता है। कवि भी बादलों के माध्यम से लोगों में उत्साह का संचार करना चाहते हैं और समाज में एक नई क्रांति लाने के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहते हैं। एक ओर बादलों के गर्जन में उत्साह समाया है , तो दूसरी ओर कवि लोगों में उत्साह का संचार करके क्रांति के लिए तैयार करना चाहते हैं। इसलिए इस कविता का शीर्षक “ उत्साह ” रखा गया है।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘अट नहीं रही है’ कविता में ‘उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो’ के आलोक में बताइए कि फागुन लोगों के मन को किस तरह प्रभावित करता है?
उत्तर – फागुन के समय प्रकृति अपने चरम सौंदर्य पर होती है और मस्ती से इठलाती है। फागुन के समय पेड़ हरियाली से भर जाते हैं और उन पर रंग-बिरंगे सुगन्धित फूल उग जाते हैं। इसी कारण जब हवा चलती है, तो फूलों की नशीली ख़ुशबू उसमें घुल जाती है। इस हवा में सारे लोगों पर भी मस्ती छा जाती है, वो काबू में नहीं कर पाते और मस्ती में झूमने लगते हैं।
प्रश्न 2 – ‘उत्साह’ कविता में कवि ने बादल के किन रूपों की चर्चा की है ? स्पष्ट करके लिखिए ।
उत्तर – कविता ‘उत्साह’ में कवि ने बादलों के विविध रूपों का सुंदर चित्रण किया है। कहीं कवि ने बादलों को घोर गगन में लहराते और गरजते हुए दिखाया है। तो कहीं बादलों की ललित और काले घुँघराले बालों के रूप में वर्णित किया हैं। कवि ने बादलों को “नवजीवन वाले” भी कहा है, क्योंकि वे तपती धरती को ठंडक और शीतलता प्रदान करने धरती को नया जीवन प्रदान करते हैं। कवि ने बादलों को जीवन के नूतन स्रोत के रूप में भी चित्रित किया है।
प्रश्न 3 – प्रकृति की शोभा-श्री फागुन में कैसे अपना रंग-रूप बदलती है ? ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर लिखिए ।
उत्तर – कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है, क्योंकि फागुन के महीने में प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है। फागुन बहुत मतवाला, मस्त और शोभाशाली है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है। पेड़ों की डालियाँ पत्तों से भरी हुई हैं , पेड़ों पर फूल आ जाने से पेड़ कहीं हरे और कहीं लाल दिखाई दे रहे हैं , उनको देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपने हृदय पर फूलों की माला पहन रखी हो। फूलों की खुशबू भी पूरे वातावरण में फैल गई है। इसलिए कवि की आँखें फागुन की सुन्दरता से मंत्रमुग्ध होकर उससे हटाने से भी नहीं हटती।
प्रश्न 4 – ‘उत्साह’ कविता का शीर्षक सार्थक है – सहमति में तर्क लिखिए ।
उत्तर – बादल भयंकर गर्जना के साथ जब बरसते हैं, तो धरती के सभी प्राणियों में एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है। लोगों का मन एक बार फिर से नए जोश व उत्साह से भर जाता है। कवि भी बादलों के माध्यम से लोगों में उत्साह का संचार करना चाहते हैं और समाज में एक नई क्रांति लाने के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहते हैं। एक ओर बादलों के गर्जन में उत्साह समाया है, तो दूसरी ओर कवि लोगों में उत्साह का संचार करके क्रांति के लिए तैयार करना चाहते हैं। इसलिए इस कविता का शीर्षक “ उत्साह ” रखा गया है।
प्रश्न 5 – ‘उत्साह’ कविता में कवि का कोमल हृदय और क्रांतिकारी रूप दोनों दिखते हैं, यह कैसे कहा जा सकता है ?
उत्तर – ‘उत्साह’ कविता में कवि का कोमल हृदय और क्रांतिकारी रूप दोनों दिखते हैं, क्योंकि कविता में बादल एक तरफ पीड़ित – प्यासे लोगों की इच्छायों को पूरा करने वाला है , तो दूसरी तरफ वही बादल नयी कल्पना और नए अंकुर के लिए विध्वंस , विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला भी है। कवि जीवन को विस्तृत और संपूर्ण दृष्टि से देखता है। कविता में सुंदर कल्पना और क्रांति – चेतना दोनों हैं। सामाजिक क्रांति या बदलाव में साहित्य की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है , निराला इसे ‘ नवजीवन ’ और ‘ नूतन कविता ’ के संदर्भों में देखते हैं।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए।
उत्तर – वसंत ऋतु में चारों ओर मनमोहक वातावरण होता हैं। सभी पेड़ – पौधों की शाखाओं में नये – नये – कोमल पत्ते निकल आते हैं, जिसके कारण चारों तरफ के पेड़ हरे एवं लाल दिखाई देते हैं क्योंकि पेड़ों पर हरे पत्तों के बीच लाल फूल उग आते हैं। उस समय ऐसा लगते हैं मानो जैसे प्रकृति ने अपने हृदय पर रंग – बिरंगी धीमी खुशबू देने वाली कोई सुंदर सी माला पहन रखी हो। वसंत ऋतु में प्रकृति के कण – कण में अर्थात जगह – जगह इतनी सुंदरता बिखरी पड़ी है कि अब वह इस पृथ्वी में समा नहीं पा रही है। फागुन के महीने में यहाँ प्रकृति में होने वाले बदलावों से सभी प्राणी बेहद ख़ुश हो जाते हैं।
प्रश्न 2 – फागुन में ऐसी क्या बात थी कि कवि की आँख हट नहीं रही, है?
उत्तर – कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है , क्योंकि फागुन के महीने में प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है। फागुन बहुत मतवाला, मस्त और शोभाशाली है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है। पेड़ों की डालियाँ पत्तों से भरी हुई हैं, पेड़ों पर फूल आ जाने से पेड़ कहीं हरे और कहीं लाल दिखाई दे रहे हैं, उनको देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपने हृदय पर फूलों की माला पहन राखी हो। फूलों की खुशबू भी पूरे वातावरण में फैल गई है। इसलिए कवि की आँखें फागुन की सुन्दरता से मंत्रमुग्ध होकर उससे हटाने से भी नहीं हटती।
प्रश्न 3 – ‘उत्साह’ कविता में कवि बादल को गरजने के लिए क्यों कहता है ? बादल से कवि की अन्य अपेक्षाएँ क्या हैं ?
उत्तर – ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी ने बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए नहीं कहा बल्कि ‘गरजने’ के लिए कहा है, क्योंकि कवि बादलों को क्रांति का सूत्रधार मानता है। ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी एक क्रांतिकारी कवि माने जाते हैं। वो अपने विचारों व अपनी कविता के माध्यम से समाज में बदलाव लाना चाहते थे। लोगों की चेतना को जागृत करना चाहते थे। “गरजना” शब्द क्रांति, बदलाव और विद्रोह का प्रतीक है। कवि ने बादल के गरजने के माध्यम से कविता में नूतन विद्रोह का आह्वान किया है।
प्रश्न 4 – ‘उत्साह’ कविता में कवि बादल से क्या अनुरोध करता है ?
उत्तर – कवि बादलों से जोर – जोर से गरजने का निवेदन कर रहे हैं और बादलों से कहते हैं कि हे बादल ! तुम जोरदार गर्जना अर्थात जोरदार आवाज करो और आकाश को चारों तरफ से , पूरी तरह से घेर लो यानि इस पूरे आकाश में भयानक रूप से छा जाओ और फिर जोरदार तरीके से बरसो क्योंकि यह समय शान्त होकर बरसने का नहीं है।
प्रश्न 5 – ‘उत्साह’ कविता का मूल संदेश लिखिए ।
उत्तर – उत्साह कविता में कवि बादलों को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि तुम जोरदार गर्जना करो और अपनी गर्जना से सोये हुए लोगों को जागृत करो, उनके अंदर एक नया उत्साह, एक नया जोश भर दो। कवि बादलों को एक कवि के रूप में देखते हैं जो अपनी कविता से धरती को नवजीवन देते हैं क्योंकि बादलों के बरसने के साथ ही धरती पर नया जीवन शुरू होता है। पानी मिलने से बीज अंकुरित होते हैं और नये – नये पौधे उगने शुरू हो जाते हैं। धरती हरी – भरी होनी शुरू हो जाती हैं। लोगों की सोई चेतना भी जागृत होती है। अत्यधिक गर्मी से परेशान लोग जब धरती पर वर्षा हो जाने के बाद भीषण गर्मी से राहत पाते हैं , तो उनका मन फिर से नये उत्साह व उमंग से भर जाता है। इसी कारण कवि बादलों से निवेदन करते हैं कि वो जोरदार बरसात कर धरती को ठंडक दें और लोगों में नया उत्साह भर दे।
प्रश्न 6 – ‘उत्साह’ कविता में ‘नवजीवन वाले’ किसको कहा गया है और क्यों ?
उत्तर – उत्साह कविता में ‘नवजीवन वाले’ शब्द बादलों और कवि के लिए प्रयोग हुआ है। बादल प्यासी धरती पर बरस कर उसे शीतलता देते हैं इसलिए उन्हें ‘नवजीवन वाले’ कहा गया है। और कवि अपनी कविता से क्रान्ति की भावना जाग्रत करके समाज में नई क्रान्ति व् परिवर्तन लाता है। इसलिए ‘उत्साह’ कविता में बादल और कवि दोनों को ‘नवजीवन वाले’ कहा गया है।
प्रश्न 7 – फागुन की सुंदरता से कवि की आँख हट क्यों नहीं रही है ?
उत्तर – कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है, क्योंकि फागुन के महीने में प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है। फागुन बहुत मतवाला, मस्त और शोभाशाली है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है। पेड़ों की डालियाँ पत्तों से भरी हुई हैं, पेड़ों पर फूल आ जाने से पेड़ कहीं हरे और कहीं लाल दिखाई दे रहे हैं, उनको देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपने हृदय पर फूलों की माला पहन राखी हो। फूलों की खुशबू भी पूरे वातावरण में फैल गई है। इसलिए कवि की आँखें फागुन की सुन्दरता से मंत्रमुग्ध होकर उससे हटाने से भी नहीं हटती।
प्रश्न 8 – ‘निराला’ बादल से रिमझिम बरसने के लिए नहीं गरजकर बरसने के लिए कहते हैं, ऐसा क्यों ?
उत्तर – ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी ने बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए नहीं कहा बल्कि ‘गरजने’ के लिए कहा है, क्योंकि कवि बादलों को क्रांति का सूत्रधार मानता है। ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी एक क्रांतिकारी कवि माने जाते हैं। वो अपने विचारों व अपनी कविता के माध्यम से समाज में बदलाव लाना चाहते थे। लोगों की चेतना को जागृत करना चाहते थे। “गरजना” शब्द क्रांति, बदलाव और विद्रोह का प्रतीक है। कवि ने बादल के गरजने के माध्यम से कविता में नूतन विद्रोह का आह्वान किया है।
प्रश्न 9 – ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर फागुन मास के सौंदर्य का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है , क्योंकि फागुन के महीने में प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है। फागुन बहुत मतवाला , मस्त और शोभाशाली है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है। पेड़ों की डालियाँ पत्तों से भरी हुई हैं , पेड़ों पर फूल आ जाने से पेड़ कहीं हरे और कहीं लाल दिखाई दे रहे हैं , उनको देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति ने अपने हृदय पर फूलों की माला पहन राखी हो। फूलों की खुशबू भी पूरे वातावरण में फैल गई है। इसलिए कवि की आँखें फागुन की सुन्दरता से मंत्रमुग्ध होकर उससे हटाने से भी नहीं हटती।
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