CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 3 Atmakathya Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Atmakathya Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 3, “Atmakathya”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – “तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे – यह गागर रीती।”
कहकर कवि ने अपने जीवन के किस पहलू पर प्रकाश डाला है? (25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे – यह गागर रीती।’ कहकर कवि बताना चाहते हैं कि उनका जीवन रूपी वृक्ष जो कभी सुख व आनंद रुपी पत्तियों से हरा भरा था। अब वो सभी पत्तियों मुरझा कर एक – एक करके गिर रही हैं। क्योंकि आज कवि के जीवन की परिस्थितियां बदल चुकी है। उनके जीवन में सुख की जगह दुख और निराशा ने ले ली है। कवि चेतावनी भी देते हैं कि वे कुछ ऐसा भी लिख सकते हैं जिसे पढ़कर कही कोई ऐसा न समझे कि उनके जीवन में जो सुख , खुशियों और आनंद रूपी रस थे , वो उन सभी ने ही खाली किये हैं और कवि का जीवन दुखों से भर दिया है। असल में यह भी कवि का एक तर्क ही है जिसको दे कर वे अपनी आत्मकथा को लिखने से बचना चाहते हैं।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘आत्मकथ्य’ कविता से ली गई ‘अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन इतिहास’ पंक्ति का क्या आशय है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘आत्मकथ्य’ कविता से ली गई ‘अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन इतिहास’ पंक्ति का आशय यह है कि गंभीर, अनंत आकाश की नीलिमा में अनेक इतिहास लिखे गए अर्थात् हिंदी साहित्य रूपी इस विशाल विस्तार वाले आकाश में न जाने कितने महान् पुरुषों अर्थात लेखकों के जीवन का इतिहास उनकी आत्मकथा के रूप में मौजूद हैं। उन्हें पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि वह स्वयं अपना मजाक उड़वाते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि लोग इन महान लेखकों की आत्मकथा को पढ़कर उनकी कमियों का मजाक बनाते हैं।
प्रश्न 2 – ‘आत्मकथ्य’ कविता में कवि स्वयं को थका हुआ पथिक क्यों कहता है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘आत्मकथ्य’ कविता में कवि स्वयं को थका हुआ पथिक इसलिए कहता है क्योंकि कवि अपनी प्रिय की स्मृति के सहारे जीवन जी रहा है। कवि की पत्नी की मृत्यु युवावस्था में ही हो गई थी। अपनी पत्नी के साथ बिताये मधुर पलों की स्मृतियाँ ही अब कवि के जीवन जीने का एकमात्र सहारा व मार्गदर्शक हैं। जैसे थका हुआ यात्री शेष रास्ता देखते हुए अपनी मंजिल पा जाता है वैसे ही कवि अपनी पत्नी की यादों के सहारे अपना शेष जीवन बिता लेगा। मनुष्य अपनी सुखद स्मृतियों की याद में अपना सारा जीवन व्यतीत कर सकता है। इन सभी से कवि अब थका हुआ अनुभव कर रहा है।
कहने का तात्पर्य यह है कि कवि के अपनी पत्नी के साथ बिताये क्षण ही अब उनके जीने का एकमात्र सहारा हैं। इसीलिए कवि उन्हें किसी के साथ बांटना नहीं चाहते हैं। उन्हें सिर्फ अपने दिल में संजो कर रखना चाहते है।
प्रश्न 3 – ‘आत्मकथ्य’ कविता में आई पंक्ति ‘मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ, देखो कितनी आज घनी।’ का आशय स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में )
उत्तर – ‘आत्मकथ्य’ कविता में आई पंक्ति ‘मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ, देखो कितनी आज घनी।’ का आशय यह है कि कवि का जीवन रूपी वृक्ष जो कभी सुख व आनंद रुपी पत्तियों से हरा भरा था। अब वो सभी पत्तियों मुरझा कर एक – एक करके गिर रही हैं। क्योंकि आज कवि के जीवन की परिस्थितियां बदल चुकी है। उनके जीवन में सुख की जगह दुख और निराशा ने ले ली है। और कवि इस वक्त अपने जीवन रूपी वृक्ष में पतझड़ का सामना कर रहे हैं।
प्रश्न 4 – मित्रों द्वारा प्रेरित किए जाने पर भी जयशंकर प्रसाद अपनी आत्मकथा क्यों नहीं लिखना चाहते थे? (लगभग 25-30 शब्दों में )
उत्तर – मित्रों द्वारा प्रेरित किए जाने पर भी जयशंकर प्रसाद अपनी आत्मकथ्य लिखने से इसलिए बचना चाहते है क्योंकि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि लोग महान लेखकों की आत्मकथा को पढ़कर उनकी कमियों का मजाक बनाते हैं। कवि अपना मज़ाक नहीं बनवाना चाहते। कवि अपने प्रपंची मित्रों की असलियत दुनिया के सामने ला कर, उनको शर्मिंदा नही करना चाहते हैं। और कवि अपनी पत्नी के साथ बिताए हुए मधुर पलों को अपनी “उज्ज्वल गाथा” के रूप में देखते हैं और उन्हें किसी के साथ बांटना नहीं चाहते हैं। कवि को यह भी लगता है कि उन्होंने अभी तक ऐसी कोई उपलब्धि हासिल भी नहीं की है जिसे पढ़कर किसी को खुशी मिलेगी और उनका जीवन केवल कष्टों से भरा हुआ है अतः वे अपने कष्टों को लोगों को बताना नहीं चाहते।
प्रश्न 5 – ‘आत्मकथ्य’ कविता का रचनाकार अपने जीवन के उज्ज्वल क्षणों-गाथाओं को सबके सामने प्रकट नहीं करना चाहता है। क्यों? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।(लगभग 25-30 शब्दों में )
उत्तर – कवि ने अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्वक जीवन जीने की जो कल्पना की थी, वह उनकी मृत्यु के साथ ही खत्म हो गयी। और उनका सारा जीवन दुखों से भर गया। कवि की पत्नी की मृत्यु युवावस्था में ही हो गई थी। अपनी पत्नी के साथ बिताये मधुर पलों की स्मृतियाँ ही अब कवि के जीवन जीने का एकमात्र सहारा व मार्गदर्शक हैं। इसीलिए वो अपनी पत्नी के साथ बिताए हुए उन मधुर पलों को अपनी “उज्ज्वल गाथा” के रूप में देखते हैं और उन्हें किसी के साथ बांटना नहीं चाहते हैं। उन्हें सिर्फ अपने दिल में संजो कर रखना चाहते है।
प्रश्न 6 – ‘तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे – यह गागर रीती।’ कहकर कवि अपने जीवन के किस पहलू पर प्रकाश डालना चाहता है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे – यह गागर रीती।’ कहकर कवि बताना चाहते हैं कि उनका जीवन रूपी वृक्ष जो कभी सुख व आनंद रुपी पत्तियों से हरा भरा था। अब वो सभी पत्तियों मुरझा कर एक – एक करके गिर रही हैं। क्योंकि आज कवि के जीवन की परिस्थितियां बदल चुकी है। उनके जीवन में सुख की जगह दुख और निराशा ने ले ली है। कवि चेतावनी भी देते हैं कि वे कुछ ऐसा भी लिख सकते हैं जिसे पढ़कर कहीं कोई ऐसा न समझे कि उनके जीवन में जो सुख , खुशियों और आनंद रूपी रस थे , वो उन सभी ने ही खाली किये हैं और कवि का जीवन दुखों से भर दिया है। असल में यह भी कवि का एक तर्क ही है जिसको दे कर वे अपनी आत्मकथा को लिखने से बचना चाहते हैं।
प्रश्न 7 – जयशंकर प्रसाद ने अपनी आत्मकथा न लिखने के क्या कारण गिनवाए हैं? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – जयशंकर प्रसाद ने अपनी आत्मकथा न लिखने के निम्नलिखित कारण गिनवाए हैं –
- उन्हें ऐसा नहीं लगता कि लोग महान लेखकों की आत्मकथा को पढ़कर उनकी कमियों का मजाक बनाते हैं। कवि अपना मज़ाक नहीं बनवाना चाहते।
- कवि अपने प्रपंची मित्रों की असलियत दुनिया के सामने ला कर, उनको शर्मिंदा नहीं करना चाहते हैं।
- कवि अपनी पत्नी के साथ बिताए हुए मधुर पलों को अपनी “उज्ज्वल गाथा” के रूप में देखते हैं और उन्हें किसी के साथ बांटना नहीं चाहते हैं।
- कवि को यह भी लगता है कि उन्होंने अभी तक ऐसी कोई उपलब्धि हासिल भी नहीं की है जिसे पढ़कर किसी को खुशी मिलेगी या उसे पढ़ने में रूचि होगी।
- कवि मानते हैं कि उनका जीवन केवल कष्टों से भरा हुआ है अतः वे अपने कष्टों को लोगों को बताना नहीं चाहते।
प्रश्न 8 – यदि जयशंकर प्रसाद अपने जीवन का सार सच्चाई, ईमानदारी से लिखते तो क्या परिणाम हो सकता था? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – यदि जयशंकर प्रसाद अपने जीवन का सार सच्चाई, ईमानदारी से लिखते हैं तो जो कुछ लोगों ने उन्हें धोखे दिए या उनके साथ जो छल – प्रपंच किया हैं। उन सभी के बारे में भी लिखना पड़ेगा और उनके बारे में लिखकर वे उनका मजाक नहीं बनाना चाहते। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि अपने प्रपंची मित्रों की असलियत दुनिया के सामने ला कर , उनको शर्मिंदा नही करना चाहते हैं। इसीलिए कवि अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहते हैं।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘आत्मकथ्य’ से उद्धृत निम्नलिखित काव्य-पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए –
“उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।” (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – “उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।” पंक्ति का भाव कवि का अपनी प्रिय की स्मृति के सहारे जीवन जीने से है। कवि की पत्नी की मृत्यु युवावस्था में ही हो गई थी। अपनी पत्नी के साथ बिताये मधुर पलों की स्मृतियाँ ही अब कवि के जीवन जीने का एकमात्र सहारा व मार्गदर्शक हैं। इसीलिए कवि उन्हें किसी के साथ बांटना नहीं चाहते हैं। उन्हें सिर्फ अपने दिल में संजो कर रखना चाहते है। जैसे थका हुआ यात्री शेष रास्ता देखते हुए अपनी मंजिल पा जाता है वैसे ही कवि अपनी पत्नी की यादों के सहारे अपना शेष जीवन बिता लेगा। मनुष्य अपनी सुखद स्मृतियों की याद में अपना सारा जीवन व्यतीत कर सकता है।
प्रश्न 2 – ‘आत्मकथ्य’ कविता की पंक्ति – “यह विडंबना ! अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।” – का भाव अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – “यह विडंबना ! अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।” – का भाव यह है कि कवि अपने प्रपंची मित्रों की असलियत दुनिया के सामने ला कर , उनको शर्मिंदा नही करना चाहते हैं। इसीलिए कवि अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहते हैं। कवि को यह बड़े दुर्भाग्य की बात लगती है कि उनके जो मित्र उन्हें आत्मकथा लिखने को कह रहे हैं, उन लोगों ने कवि को धोखे दिए हैं या उनके साथ छल – प्रपंच किए हैं। कवि के सरल स्वभाव के कारण जीवन में उनसे जो गलतियां हुई हैं , उन सभी के बारे में लिखकर कवि अपना और अपने मित्रों का मजाक नहीं बनाना चाहते हैं।
प्रश्न 3 – ‘आत्मकथ्य’ में कवि आत्मकथा न लिखने के लिए जिन तर्कों का सहारा ले रहा है उनमें से किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कवि तर्क देते हैं कि यह तो बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कवि को उनकी आत्मकथा लिखने को कहा जा रहा है क्योंकि सरल मन वाले की हँसी कैसे उड़ाई जाए। कवि तो अभी तक स्वयं दूसरों के स्वभाव को समझ नहीं पाया है। उनके सरल स्वभाव के कारण जीवन में उनसे जो गलतियां हुई। कुछ लोगों ने जो उन्हें धोखे दिए या उनके साथ जो छल–प्रपंच किया हैं। उन सभी के बारे में लिखकर वे अपना और उनका मजाक नहीं बनाना चाहते। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि अपने प्रपंची मित्रों की असलियत दुनिया के सामने ला कर, उनको शर्मिंदा नही करना चाहते हैं। इसीलिए कवि अपनी आत्मकथा नहीं लिखना चाहते हैं।
प्रश्न 4 – इस वर्ष पाठ्यक्रम में पढ़ी कौन-सी कविता है जिसमें आत्मकथा लेखन के विषय में कवि ने अपनी राय व्यक्त की है? आत्मकथा के विषय में कवि के विचारों में से किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – इस वर्ष पाठ्यक्रम में पढ़ी ‘आत्मकथ्य’ कविता में आत्मकथा लेखन के विषय में कवि ने अपनी राय व्यक्त की है। अपनी आत्मकथा लिखने में कवि को कोई रूचि नहीं है क्योंकि न तो वे अपने धोखेबाज़ मित्रों के बारे में बता कर उन्हें शर्मिंदा करना चाहते हैं और न ही अपने द्वारा की गई गलतियों को बता कर अपना मज़ाक उड़वाना चाहते हैं और न ही अपने और अपनी पत्नी की निजी बातों का जिक्र करना चाहते हैं। इन्ही कारणों से वे कई तर्क दे कर अपनी आत्मकथा लिखने से बचना चाहते हैं।
प्रश्न 5 – ‘कंथा के सीवन को उधेड़ने’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताइए कि कवि के लिए आत्मकथा लिखना सीवन उधेड़ने जैसा क्यों है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘कंथा के सीवन को उधेड़ने’ का अर्थ हैं कि अपने अंतरमन रूपी गुदड़ी की सिलाई को उधेड़ कर उसके भीतर छुपी बातों को उजागर करना। कवि के लिए आत्मकथा लिखना सीवन उधेड़ने जैसा इसीलिए है क्योंकि कवि के अनुसार उनका जीवन बहुत छोटा सा है। उसकी बड़ी-बड़ी कहानियां वे कैसे लिखें। क्योंकि कवि के अनुसार उनके छोटे से जीवन में उन्होंने अभी तक सुनाने लायक कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं की हैं। जो वे पाठकों को सुना सकें।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – स्मृति को पाथेय बनाने से जयशंकर प्रसाद का क्या आशय है?
उत्तर – ‘पाथेय’ अर्थात् सहारा। स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का आशय अपनी प्रिय की स्मृति के सहारे जीवन जीने से है। कवि की पत्नी की मृत्यु युवावस्था में ही हो गई थी। अपनी पत्नी के साथ बिताये मधुर पलों की स्मृतियाँ ही अब कवि के जीवन जीने का एकमात्र सहारा व मार्गदर्शक हैं। इसीलिए कवि उन्हें किसी के साथ बांटना नहीं चाहते हैं। उन्हें सिर्फ अपने दिल में संजो कर रखना चाहते है। जैसे थका हुआ यात्री शेष रास्ता देखते हुए अपनी मंजिल पा जाता है वैसे ही कवि अपनी पत्नी की यादों के सहारे अपना शेष जीवन बिता लेगा। मनुष्य अपनी सुखद स्मृतियों की याद में अपना सारा जीवन व्यतीत कर सकता है।
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