CBSE Class 6 Hindi Chapter 10 Pariksha (परीक्षा) Question Answers (Important) from Malhar Book
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पाठ से
मेरी समझ से
आइए, अब हम कहानी ‘परीक्षा’ के बारे में कुछ चर्चा कर लेते हैं।
(क) आपकी समझ से नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए –
(1) महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके किस गुण के कारण सौंपा?
- सादगी
- बल
- उदारता
- नीतिकुशलता
उत्तर- नीतिकुशलता (*)
(2) दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निश्चय का क्या कारण था?
- परमात्मा की याद
- बदनामी का भय
- राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना
- चालीस वर्ष की नौकरी पूरा हो जाना
उत्तर- राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना (*)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर- मैंने पहला उत्तर नीतिकुशलता चुना क्योंकि कहानी में राजा साहब ने दीवान सुजानसिंह के अनुभव और नीतिकौशल का बहुत सम्मान किया। वे उन्हें एक बुद्धिमान और न्यायप्रिय प्रशासक मानते थे, इसलिए उत्तराधिकारी चुनने का ज़िम्मा उन्हीं को सौंपा।
दूसरा उत्तर राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना चुना क्योंकि दीवान साहब बूढ़े हो चुके थे और उन्हें डर था कि अब वे सही तरीके से शासन नहीं चला पाएँगे। इससे उनकी वर्षों की नेकनामी पर दाग लग सकता था, इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया।
शीर्षक
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम प्रेमचंद ने ‘परीक्षा’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए।
उत्तर- प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘परीक्षा’ इसलिए रखा है क्योंकि यह केवल एक पद के लिए ली जाने वाली परीक्षा नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों, नैतिकता और चरित्र की परीक्षा भी है। कहानी में अनेक उम्मीदवार इस परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन यह परीक्षा केवल ज्ञान या डिग्री की नहीं, बल्कि आत्मबल, साहस, दयालुता और कर्मठता की है।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए?
उत्तर- यदि इस कहानी का कोई अन्य नाम देना हो, तो ‘नैतिक बल की जीत’ या ‘सच्ची योग्यता’ नाम उचित हो सकता है।
पंक्तियों पर चर्चा
कहानी में से चुनकर यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए।
आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करें। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं।”
उत्तर- यह पंक्ति बताती है कि दीवान पद के लिए केवल ज्ञान या चतुराई पर्याप्त नहीं, बल्कि दया, आत्मबल और साहस भी आवश्यक हैं। एक सच्चे नेता को न केवल जनता की परेशानियाँ समझनी चाहिए, बल्कि कठिनाइयों का निडरता से सामना भी करना चाहिए। प्रेमचंद यहाँ बताते हैं कि ऐसे गुणों वाले व्यक्ति समाज में बहुत कम होते हैं और जो होते हैं, वे पहले से ही उच्च पदों पर विराजमान होते हैं। यह पंक्ति यह भी बताती है कि नैतिकता और सेवा की भावना ही सच्ची परीक्षा है, न कि मात्र दिखावे या डिग्रियाँ।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए, निम्नलिखित के बारे में पता लगाइए और लिखिए—
(क) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयत्न किए?
उत्तर- नौकरी पाने के लिए उम्मीदवारों ने अपने व्यवहार और आदतों में कुछ समय के लिए बदलाव किए। वे दिखावटी विनम्रता और सदाचार दिखाने लगे। कुछ लोग जो देर तक सोते थे, वे सुबह जल्दी उठकर बगीचे में टहलने लगे। जो लोग नौकरों से कठोरता से पेश आते थे, वे अब उन्हें सम्मान से बुलाने लगे। पढ़ाई से दूर रहने वाले लोग बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने का नाटक करने लगे। सभी ने स्वयं को योग्य और आदर्श साबित करने की कोशिश की, लेकिन यह केवल बाहरी दिखावा था।
(ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गई।” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गई?
उत्तर- खिलाड़ी को किसान की हालत देखकर तुरंत समझ आ गया कि वह बहुत देर से नाले में फँसा हुआ है और अकेले अपनी गाड़ी नहीं निकाल पा रहा है। उसने महसूस किया कि किसान को मदद की ज़रूरत है, लेकिन वहाँ कोई सहायता करने वाला नहीं था। उसने यह भी भाँप लिया कि केवल शारीरिक बल से नहीं, बल्कि आत्मबल और सहानुभूति से ही इस समस्या को हल किया जा सकता है।
(ग) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या।” किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईर्ष्या थी? क्यों?
उत्तर- रियासत के कर्मचारियों और रईसों की आँखों में जानकीनाथ के प्रति सत्कार था क्योंकि वे सरदार सुजानसिंह के निर्णय से सहमत थे और उनके गुणों का सम्मान करते थे। दूसरी ओर, दीवान पद के अन्य उम्मीदवारों की आँखों में ईर्ष्या थी क्योंकि वे खुद को इस पद के योग्य मानते थे और जानकीनाथ के चयन से निराश थे। उन्हें महसूस हुआ कि उनका बाहरी दिखावा किसी काम नहीं आया और असली परीक्षा में वे असफल हो गए।
खोजबीन
कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि—
(क) शायद युवक बुढ़े किसान की असलियत पहचान गया था।
उत्तर- उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गई।
(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे।
उत्तर- कुछ लोग जो दिन चढ़े तक सोया करते थे, अब सुबह-सुबह उठकर बगीचे में टहलने लगे। जो नौकरों को गालियाँ दिया करते थे, वे अब उनसे प्रेम से बातें करने लगे। जो किताबों को छूते भी न थे, वे बड़े-बड़े ग्रंथों का अध्ययन करने लगे।
कहानी की रचना
“लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी।”
इन वाक्यों को पढ़कर आँखों के सामने थकान से चूर खिलाड़ियों का चित्र दिखाई देने लगता है। यह चित्रात्मक भाषा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी।
कहानी को एक बार ध्यान से पढ़िए। आपको इस कहानी में और कौन-कौन सी विशेष बातें दिखाई दे रही हैं? अपने समूह में मिलकर उनकी सूची बनाइए।

उत्तर-
इस पाठ में कई ऐसे वाक्य हैं, जिनका स्पष्ट चित्र सामने आता है। यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
- “धावे के लोग जब गेंद को लेकर तेज़ी से उड़ते तो ऐसा जान पड़ता था कि कोई लहर बढ़ती चली आती है।”
- “डंडा एक किनारे रख दिया। कोट उतार डाला और किसान के पास जाकर बोला, ‘मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूँ?’”
- “उसने फिर ज़ोर किया, उधर किसान ने बैलों को ललकारा। बैलों को सहारा मिला, हिम्मत बँध गई, उन्होंने कंधे झुकाकर एक बार ज़ोर किया तो गाड़ी नाले के ऊपर थी।”
- “किसान युवक के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।”
समस्या और समाधान
इस कहानी में कुछ समस्याएँ हैं और उसके समाधान भी हैं। कहानी को एक बार फिर से पढ़कर बताइए कि—
(क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर- समस्या- महाराज के दीवान सरदार सुजानसिंह बूढ़े हो चुके थे और उन्होंने नौकरी छोड़ने की इच्छा जताई। महाराज के सामने समस्या यह थी कि उनके स्थान पर योग्य और नीतिकुशल व्यक्ति को दीवान नियुक्त किया जाए।
समाधान- महाराज ने यह शर्त रखी कि नया दीवान खुद सुजानसिंह को ही खोजना होगा, जिससे योग्य उम्मीदवार की नियुक्ति सुनिश्चित हो सके।
(ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर- समस्या- दीवान सरदार सुजानसिंह को एक योग्य उत्तराधिकारी की खोज करनी थी, जो न केवल शिक्षित हो बल्कि उदार, सहृदय और आत्मबल वाला भी हो।
समाधान- उन्होंने एक अनूठी परीक्षा आयोजित की, जिसमें उम्मीदवारों के आचरण, चरित्र और कर्तव्यनिष्ठा की परख की गई। इस परीक्षा में सिर्फ डिग्री नहीं बल्कि मानवीय गुणों को बढ़ावा दिया गया।
(ग) नौकरी के लिए आए लोगों के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर- समस्या- उम्मीदवारों को नहीं पता था कि इस परीक्षा में किस प्रकार का आचरण उन्हें सफल बनाएगा। कुछ लोगों ने दिखावे से अच्छा व्यवहार करने का प्रयास किया।
समाधान- कई उम्मीदवार दिखावे के लिए अच्छे आचरण का प्रदर्शन करते रहे, लेकिन सच्चे गुणों की परख के लिए अनजाने में ही असली परीक्षा हुई, जिसमें जानकीनाथ-सा ने दया, साहस और कर्तव्यनिष्ठा दिखाकर सफलता प्राप्त की।
मन के भाव
“स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था।”
इस वाक्य में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची हुई है। ये सभी नाम हैं, लेकिन दिखाई देने वाली वस्तुओं, व्यक्तियों या जगहों के नाम नहीं हैं। ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप कहानी में से ऐसे ही अन्य नामों को खोजकर नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।

उत्तर- पाठ में प्रयुक्त मन के विभिन्न भाव जो वाक्यों में दिए गए हैं-
- प्रत्येक के चेहरे पर आशा और निराशा के रंग आते थे।
- दीवान पद के लिए ऐसा व्यक्ति चाहिए, जिसमें साहस, आत्मबल और दया हो।
- मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या।
- वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम देता था।
- खिलाड़ियों ने भी उसको देखा मगर बंद आँखों से, जिनमें सहानभुतिू न थी।
- आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करें ।

विपरीतार्थक शब्द
“विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा।”
‘कम’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है ‘अधिक’। इसी प्रकार के कुछ विपरीतारर्थक शब्द नीचे दिए गए हैं लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए—
| स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. आना | 1. निर्दयी |
| 2. गुण | 2. निराशा |
| 3. आदर | 3. जीत |
| 4. स्वस्थ | 4. अवगुण |
| 5. कम | 5. अस्वस्थ |
| 6. दयालु | 6. अधिक |
| 7. योग्य | 7. जाना |
| 8. हार | 8. अयोग्य |
| 9. आशा | 9. अनादर |
उत्तर-
| स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. आना | 7. जाना |
| 2. गुण | 4. अवगुण |
| 3. आदर | 9. अनादर |
| 4. स्वस्थ | 5. अस्वस्थ |
| 5. कम | 6. अधिक |
| 6. दयालु | 1. निर्दयी |
| 7. योग्य | 8. अयोग्य |
| 8. हार | 3. जीत |
| 9. आशा | 2. निराशा |
कहावत
“गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
यह वाक्य एक कहावत है। इसका अर्थ है कि कोशिश करने पर ही सफलता मिलती है। ऐसी ही एक और कहावत है, “जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ” अर्थात परिश्रम का फल अवश्य मिलता है।
कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं जिन्हें लोग अपनी बात को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। आपके घर और पास-पड़ोस में भी लोग अनेक कहावतों का उपयोग करते होंगे।
नीचे कुछ कहावतें और उनके भावार्थ दिए गए हैं। आप इन कहावतों को कहानी से जोड़कर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए–
- अधजल गगरी छलकत जाए–जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता है, वह उसका दिखावा करता है।
- अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत— समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता है।
- एक अनार सौ बीमार— कोई ऐसी एक चीज़ जिसको चाहने वाले अनेक हों।
- जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं— जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
- जहाँ चाह, वहाँ राह— जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।
(संकेत– विज्ञापन में तो एक नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन उम्मीदवार आ गए हज़ारों। इसे कहते हैं– एक अनार सौ बीमार)
उत्तर-
1. कहावत- अधजल गगरी छलकत जाए
अर्थ- जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता है, वह उसका दिखावा करता है।
वाक्य प्रयोग– जो उम्मीदवार अपने ज्ञान का दिखावा कर रहे थे, लेकिन असल में उनके पास पर्याप्त योग्यता नहीं थी। ऐसा लग रहा था कि अधजल गगरी छलकत जाए
2. कहावत- अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत
अर्थ- समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता है।
वाक्य प्रयोग– वे लोग जो तैयारी किए बिना नौकरी के लिए आ गए थे और बाद में पछता रहे थे। इसे कहते हैं अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत
3. कहावत- एक अनार सौ बीमार
अर्थ- कोई ऐसी एक चीज़ जिसको चाहने वाले अनेक हों।
वाक्य प्रयोग- जब नौकरी के लिए एक पद था, लेकिन उसके लिए हजारों उम्मीदवार उपस्थित हो गए। ऐसा लग रहा था मनो एक अनार सौ बीमार।
4. कहावत- जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं
अर्थ- जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
वाक्य प्रयोग– कुछ उम्मीदवार बहुत बढ़-चढ़कर बोल रहे थे, लेकिन असल परीक्षा में वे सफल नहीं हो सके। इसे कहते हैं जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं।
5. कहावत- जहाँ चाह, वहाँ राह
अर्थ- जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।
वाक्य प्रयोग- जिसने अपनी योग्यता साबित की और परिश्रम किया, उसे अंततः सफलता मिली। इसे कहते हैं जहाँ चाह, वहाँ राह।
पाठ से आगे
अनुमान कल्पना से
(क) “दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला”
देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर- यह विज्ञापन महाराज या दीवान ने निकलवाया होगा। ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि राज्य के लिए योग्य कर्मचारी की आवश्यकता थी, और यह जिम्मेदारी राज्य के शासक या उनके प्रधान अधिकारियों की होती है। दीवान, जो प्रशासनिक मामलों को देखते थे, उन्होंने ही इस विज्ञापन को प्रकाशित कराया होगा ताकि सबसे योग्य व्यक्ति को चुना जा सके।
(ख) “इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया।”
विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा?
उत्तर- इस विज्ञापन में कुछ असामान्य और अनोखी शर्तें रही होंगी, जो लोगों को आकर्षित करने वाली थीं। शायद इसमें कुछ विशेष सुविधाएँ या आकर्षक वेतन का उल्लेख किया गया हो, या फिर चयन की प्रक्रिया कुछ अलग रही हो। इसके अलावा, यदि यह विज्ञापन महाराज के नाम से जारी किया गया होगा, तो पूरे देश में उसकी चर्चा होने लगी होगी। यही कारण रहा होगा कि इस विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका मचा सका।
विज्ञापन
“दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की ज़रूरत है।”
(क) कहानी में इस विज्ञापन की सामग्री को पढ़िए। इसके बाद अपने समूह में मिलकर इस विज्ञापन को अपनी कल्पना का उपयोग करते हुए बनाइए)
(संकेत– विज्ञापन बनाने के लिए आप एक चौकोर कागज़ पर हाशिया बनाइए। इसके बाद इस हाशिए के भीतर के खाली स्थान पर सुंदर लिखाई, चित्रों, रंगों आदि की सहायता से सभी आवश्यक जानकारी लिख दीजिए। आप बिना रंगों या चित्रों के भी विज्ञापन बना सकते हैं।)
उत्तर-
विज्ञापन
राज्य की ओर से महत्वपूर्ण सूचना!
देवगढ़ राज्य के लिए सुयोग्य दीवान की आवश्यकता
🔹 पद का नाम- दीवान (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी)
🔹 स्थान- देवगढ़ राज्य
🔹 योग्यता
- प्रशासनिक कार्यों में अनुभव
- ग्रेजुएट होना आवश्यक नहीं
- न्यायप्रियता एवं कुशल नेतृत्व क्षमता
- हष्ट-पुष्ट हो
- राज्य के विकास और जनता की भलाई के प्रति निष्ठा
- मंदाग्नि का मरीज न हो
- नीतिनिपुण और सुशासन की समझ
- शस्त्र संचालन व घुड़सवारी में दक्षता
🔹 उत्तरदायित्व:
- राज्य के प्रशासन और न्याय व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करना
- महाराज के निर्देशों के अनुसार राज्य के हित में निर्णय लेना
- प्रजा की भलाई हेतु नीतियों को चलाना
🔹 वेतन एवं सुविधाएँ:
- आकर्षक वेतन
- महल में निवास की सुविधा
- परिवार के लिए विशेष प्रावधान
- राज्य के विशेषाधिकारों का लाभ
आवेदन की अंतिम तिथि: ……..
साक्षात्कार स्थान- राजमहल, देवगढ़
नोट: केवल वही व्यक्ति आवेदन करें जो सत्यनिष्ठ और कर्मठ हों।
आवेदन भेजने के लिए संपर्क करें:
……..
(ख) आपने भी अपने आस-पास दीवारों पर, समाचार-पत्रों में या पत्रिकाओं में, मोबाइल फोन या दूरदर्शन पर अनेक विज्ञापन देखे होंगे। अपने किसी मनपसंद विज्ञापन को याद कीजिए। आपको वह अच्छा क्यों लगता है? सोचकर अपने समूह में बताइए। अपने समूह के बिंदुओं को लिख लीजिए।
उत्तर-
मुझे अमूल दूध का विज्ञापन बहुत पसंद है। यह आकर्षक चित्रों, मज़ेदार शब्दों और सामाजिक संदेशों के कारण प्रभावी लगता है। इसके प्रमुख बिंदु-
- सरल और रोचक भाषा।
- रंगीन और आकर्षक चित्र।
- परिवार और सेहत पर ध्यान देता है।
- यादगार टैगलाइन – “अमूल: द टेस्ट ऑफ इंडिया”।
(ग) विज्ञापनों से लाभ होते हैं, हानि होती हैं, या दोनों? अपने समूह में चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु लिखकर कक्षा में साझा कीजिए।
उत्तर- विज्ञापन हमें नए उत्पादों और सेवाओं की जानकारी देते हैं, व्यापार को बढ़ावा देते हैं, और मनोरंजक व शिक्षा देने वाले हो सकते हैं। यह प्रतिस्पर्धा बढ़ाकर उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता और कीमत प्रदान करते हैं। हालांकि, कुछ विज्ञापन भ्रमित करते हैं और अनावश्यक खरीदारी की ओर बढ़ावा देते हैं। खासकर बच्चों पर इनका गहरा प्रभाव पड़ता है और कभी-कभी अस्वस्थ आदतों को बढ़ावा देते हैं। विज्ञापनों के लाभ और हानियों को समझकर हमें समझदारी से उनका उपयोग करना चाहिए।
आगे की कहानी
‘परीक्षा’ कहानी जहाँ समाप्त होती है, उसके आगे क्या हुआ होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनाइए।
उत्तर- दीवान की परीक्षा समाप्त होने के बाद राजा ने खुश होकर उसे नियुक्त कर लिया होगा। नया दीवान न्यायप्रिय और बुद्धिमान था। उसने राज्य में सुधार किए होंगे, किसानों पर लगान कम किया होगा और गरीबों की सहायता की होगी। उसकी नीतियों से प्रजा खुश रहने लगी होगी। राजा को गर्व हुआ होगा कि उसने सही व्यक्ति चुना। धीरे-धीरे देवगढ़ एक समृद्ध और खुशहाल राज्य बन रहा होगा, जहाँ सबको न्याय और सम्मान मिल रहा होगा।
आपकी बात
(क) यदि कहानी में दीवान साहब के स्थान पर आप होते तो योग्य व्यक्ति को कैसे चुनते?
उत्तर- यदि मैं दीवान साहब के स्थान पर होता, तो योग्य व्यक्ति को चुनने के लिए उसकी बुद्धिमानी, ईमानदारी और समस्या समाधान की क्षमता को परखता। मैं उसे कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की परीक्षा देता और उसके पिछले कार्यों का मूल्यांकन करता।
(ख) यदि आपको कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? उसमें किन-किन गुणों को देखेंगे? गुणों की परख के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर- कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए मैं ईमानदारी, नेतृत्व क्षमता, अनुशासन, और सहयोग की भावना देखूँगा। उम्मीदवारों से समूह चर्चा करवाऊँगा, कठिन परिस्थितियों में उनके निर्णयों को परखूँगा, और कक्षा के अन्य छात्रों से उनकी राय लूँगा ताकि सबसे योग्य व्यक्ति का चुनाव हो सके।
नया-पुराना
“कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ।”
हमारे आस-पास अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं जिन्हें लोग नया फैशन या पुराना चलन कहकर दो भागों में बाँट देते हैं। जो वस्तु आपके माता-पिता या दादा-दादी के लिए नई हो, हो सकता है वह आपके लिए पुरानी हो, या जो उनके लिए पुरानी हो, वह आपके लिए नई हो। अपने परिवार या परिजनों से चर्चा करके नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए–
| मेरे लिए नई वस्तुएँ | मेरे लिए पुरानी वस्तुएँ | परिवार के बड़ों के लिए नई वस्तुएँ | परिवार के बड़ों के लिए पुरानी वस्तुएँ |
उत्तर-
| मेरे लिए नई वस्तुएँ | मेरे लिए पुरानी वस्तुएँ | परिवार के बड़ों के लिए नई वस्तुएँ | परिवार के बड़ों के लिए पुरानी वस्तुएँ |
| स्मार्टफोन | टेलीफोन | आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस | ब्लैक एंड व्हाइट टीवी |
| इलेक्ट्रिक कार | साइकिल | डिजिटल पेमेंट सिस्टम | चेक और ड्राफ्ट |
| ऑनलाइन शिक्षा | प्रिंटेड किताबें | वीडियो कॉलिंग | पोस्टकार्ड और चिट्ठियाँ |
| ई–बुक रीडर | अखबार | स्मार्ट होम डिवाइसेस | लैम्प और लालटेन |
| सोशल मीडिया | पत्रिकाएँ | ऑनलाइन शॉपिंग | हाट–बाजार |
अच्छाई और दिखावा
“हर एक मनुष्य अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था।”
अपने समूह में निम्नलिखित पर चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु अपनी लेखन-पुस्तिका में लिख लीजिए–
(क) हर व्यक्ति अपनी बुद्धि के अनुसार स्वयं को अच्छा दिखाने की कोशिश करता है। स्वयं को अच्छा दिखाने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं? (संकेत– मेहनत करना, कसरत करना, साफ़-सुथरे रहना आदि)
उत्तर-
- अच्छे कपड़े पहनते हैं और आकर्षक दिखने की कोशिश करते हैं।
- विनम्रता से बोलते हैं और दूसरों के सामने अच्छा व्यवहार दिखाते हैं।
- सोशल मीडिया पर अपनी उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं।
- जरूरतमंदों की मदद करते हैं, लेकिन कई बार केवल दिखावे के लिए भी।
- पढ़ाई या करियर में मेहनत करते हैं ताकि लोग उन्हें सराहें।
- खुद को फिट और स्वस्थ दिखाने के लिए कसरत और डाइटिंग करते हैं।
(ख) क्या ‘स्वयं को अच्छा दिखाने’ में और ‘स्वयं के अच्छा होने’ में कोई अंतर है? कैसे?
उत्तर- ‘स्वयं को अच्छा दिखाने’ और ‘स्वयं के अच्छा होने’ में अंतर-
- अच्छा दिखाना बाहरी चीजों पर निर्भर करता है, जैसे कपड़े, भाषा, और व्यवहार।
- वास्तव में अच्छा होना आंतरिक गुणों, जैसे ईमानदारी, दया, और सहानुभूति पर निर्भर करता है।
- कुछ लोग दूसरों को प्रभावित करने के लिए अच्छा दिखने का प्रयास करते हैं, लेकिन असल में उनका व्यवहार वैसा नहीं होता।
- अच्छा होना किसी की नजरों में छवि बनाने से अधिक, अपने वास्तविक चरित्र और मूल्यों को बनाए रखना होता है।
परिधान तरह-तरह के
“कोट उतार डाला”
‘कोट’ एक परिधान का नाम है। कुछ अन्य परिधानों के नाम और चित्र नीचे दिए गए हैं। परिधानों के नामों को इनके सही चित्र के साथ मिलाइए। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? लिखिए–


उत्तर-


आपकी परीक्षाएँ
हम सभी अपने जीवन में अनेक प्रकार की परीक्षाएँ लेते और देते हैं। आप अपने अनुभवों के आधार पर कुछ परीक्षाओं के उदाहरण बताइए। यह भी बताइए कि किसने, कब, कैसे और क्यों वह परीक्षा ली।
(संकेत– जैसे, किसी को विश्वास दिलाने के लिए उसके सामने साइकिल चलाकर दिखाना, स्कूल या घर पर कोई परीक्षा देना, किसी को किसी काम की चुनौती देना आदि।)
उत्तर- एक बार स्कूल में भाषण प्रतियोगिता हुई, जिसमें मुझे भाग लेना था। यह आत्मविश्वास और बोलने की परीक्षा थी। मैंने खूब तैयारी की, लेकिन मंच पर जाते ही घबराहट हुई। फिर गहरी साँस लेकर बोलना शुरू किया और पूरा भाषण दिया। अंत में मुझे सराहना मिली और आत्मविश्वास बढ़ा। यह मेरे लिए एक बड़ी सीख थी।
आज की पहेली
आज आपकी एक रोचक परीक्षा है। यहाँ दिए गए चित्र एक जैसे हैं या भिन्न? इन चित्रों में कुछ अंतर हैं। देखते हैं आप कितने अंतर कितनी जल्दी खोज पाते हैं।

उत्तर-

Class 6 Hindi Pariksha – Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)
निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
1
जब रियासत देवगढ़ के दीवान सरदार सुजानसिंह बूढ़े हुए तो परमात्मा की याद आई। जाकर महाराज से विनय की कि दीनबंधु! दास ने श्रीमान की सेवा चालीस साल तक की, अब मेरी अवस्था भी ढल गई, राज-काज सँभालने की शक्ति नहीं रही। कहीं भूल-चूक हो जाय तो बुढ़ापे में दाग लगे। सारी ज़िंदगी की नेकनामी मिट्टी में मिल जाए।
राजा साहब अपने अनुभवशील नीतिकुशल दीवान का बड़ा आदर करते थे। बहुत समझाया, लेकिन जब दीवान साहब ने न माना, तो हारकर उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली; पर शर्त यह लगा दी कि रियासत के लिए नया दीवान आप ही को खोजना पड़ेगा।
1. सरदार सुजानसिंह ने महाराज से क्या विनती की कि?
(क) वे उन्हें और अधिक समय तक सेवा में बनाए रखें।
(ख) उनकी जगह नया दीवान नियुक्त करें।
(ग) वे उन्हें रियासत का महाराज बना दें।
(घ) वे उन्हें केवल सलाहकार के रूप में रख लें।
उत्तर– (ख) उनकी जगह नया दीवान नियुक्त करें।
2. राजा साहब ने दीवान सुजानसिंह की सेवा कितने वर्षों तक सराहनीय मानी?
(क) पचास साल
(ख) बीस साल
(ग) चालीस साल
(घ) तीस साल
उत्तर- (ग) चालीस साल
3. राजा ने दीवान सुजानसिंह के कार्य न करने की शर्त क्या रखी?
(क) वे किसी योग्य व्यक्ति को इस पद के लिए ढूँढें।
(ख) वे अपनी पूरी संपत्ति राज्य को दान करें।
(ग) वे अपने परिवार के किसी सदस्य को दीवान बनाएं।
(घ) वे राज्य के सभी कर्मचारियों को परीक्षा दें।
उत्तर– (क) वे किसी योग्य व्यक्ति को इस पद के लिए ढूँढें।
4. सरदार सुजानसिंह ने अवकाश लेने का निर्णय क्यों किया?
उत्तर– उन्होंने महसूस किया कि उनकी उम्र अधिक हो गई है और अब वे राज-काज सँभालने में सक्षम नहीं हैं। वे नहीं चाहते थे कि बुढ़ापे में किसी भूल-चूक के कारण उनकी पूरी जिंदगी की नेकनामी मिट्टी में मिल जाए।
5. राजा साहब सरदार सुजानसिंह को क्यों नहीं रोक पाए?
उत्तर– राजा साहब अपने अनुभवी और नीतिकुशल दीवान का बहुत सम्मान करते थे। उन्होंने बहुत समझाया, लेकिन जब दीवान साहब अपनी बात पर अड़े रहे, तो राजा को उनकी प्रार्थना स्वीकार करनी पड़ी।
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दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की ज़रूरत है। जो सज्जन अपने को इस पद के योग्य समझें, वे वर्तमान सरकार सुजानसिंह की सेवा में उपस्थित हों। यह ज़रूरी नहीं है कि वे ग्रेजुएट हों, मगर हष्ट-पुष्ट होना आवश्यक है, मंदाग्नि के मरीज को यहाँ तक कष्ट उठाने की कोई ज़रूरत नहीं। एक महीने तक उम्मीदवारों के रहन-सहन, आचार-विचार की देखभाल की जाएगी। विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जायेगा। जो महाशय इस परीक्षा में पूरे उतरेंगे, वे इस उच्च पद पर सुशोभित होंगे।
1. विज्ञापन में दीवान पद के लिए क्या आवश्यक योग्यता बताई गई?
(क) उम्मीदवार का ग्रेजुएट होना अनिवार्य है।
(ख) उम्मीदवार का हष्ट-पुष्ट होना आवश्यक है।
(ग) उम्मीदवार को केवल उच्च शिक्षित होना चाहिए।
(घ) उम्मीदवार को मंदाग्नि रोग से ग्रसित होना चाहिए।
उत्तर– (ख) उम्मीदवार का हष्ट-पुष्ट होना आवश्यक है।
2. उम्मीदवारों की परीक्षा में किस बात पर अधिक ध्यान दिया जाएगा?
(क) उनकी विद्या पर
(ख) उनकी दौलत पर
(ग) उनके कर्तव्य पर
(घ) उनके वंश पर
उत्तर- (ग) उनके कर्तव्य पर
3. उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया कितने दिनों तक चलेगी?
(क) पंद्रह दिन
(ख) एक सप्ताह
(ग) दो महीने
(घ) एक महीना
उत्तर- (घ) एक महीना
4. दीवान पद के लिए उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में क्या आवश्यक शर्तें रखी गईं?
उत्तर– उम्मीदवारों को हष्ट-पुष्ट होना आवश्यक था, मंदाग्नि के मरीजों को आवेदन करने की जरूरत नहीं थी। इसके अलावा, एक महीने तक उनके रहन-सहन, आचार-विचार की देखभाल की जाती और कर्तव्यनिष्ठा को अधिक महत्व दिया जाता।
5. विज्ञापन में किस बात को ज़रूरी नहीं बताया गया?
उत्तर– विज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया कि उम्मीदवारों का ग्रेजुएट होना अनिवार्य नहीं है।
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इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया। ऐसा ऊँचा पद और किसी प्रकार की कैद नहीं? केवल नसीब का खेल है। सैकड़ों आदमी अपना-अपना भाग्य परखने के लिए चल खड़े हुए। देवगढ़ में नए-नए और रंग-बिरंगे मनुष्य दिखाई देने लगे। प्रत्येक रेलगाड़ी से उम्मीदवारों का एक मेला-सा उतरता। कोई पंजाब से चला आता था, कोई मद्रास से, कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ। रंगीन एमामे, चोगे और नाना प्रकार के अंगरखे और कंटोप देवगढ़ में अपनी सज-धज दिखाने लगे। लेकिन सबसे विशेष संख्या ग्रेजुएटों की थी, क्योंकि सनद की कैद न होने पर भी सनद से परदा तो ढका रहता है।
1. इस विज्ञापन के कारण क्या प्रभाव पड़ा?
(क) कोई उम्मीदवार नहीं आया।
(ख) केवल स्थानीय लोग ही आवेदन करने आए।
(ग) पूरे देश से सैकड़ों लोग आवेदन करने आए।
(घ) केवल शिक्षित लोग आवेदन करने आए।
उत्तर- (ग) पूरे देश से सैकड़ों लोग आवेदन करने आए।
2. देवगढ़ में उम्मीदवारों की क्या विशेषता थी?
(क) सभी एक ही प्रकार के कपड़े पहने थे।
(ख) उम्मीदवार विभिन्न स्थानों से आए थे और उनकी वेशभूषा अलग थी।
(ग) केवल पुराने रीति-रिवाजों का पालन करने वाले ही आए थे।
(घ) केवल नए फैशन के प्रेमी ही आए थे।
उत्तर- (ख) उम्मीदवार विभिन्न स्थानों से आए थे और उनकी वेशभूषा अलग थी।
3. सबसे अधिक संख्या किन लोगों की थी?
(क) किसानों की
(ख) व्यापारियों की
(ग) सैनिकों की
(घ) ग्रेजुएट लोगों की
उत्तर- (घ) ग्रेजुएट लोगों की
4. विज्ञापन के कारण देशभर में क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर: विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका मचा दिया, और सैकड़ों लोग अपनी किस्मत आज़माने देवगढ़ पहुंचने लगे।
5. देवगढ़ में उम्मीदवारों की वेशभूषा कैसी थी?
उत्तर- देवगढ़ में उम्मीदवारों की वेशभूषा विविध थी—कुछ नए फैशन के प्रेमी थे, तो कुछ पुरानी सादगी वाले थे। वे विभिन्न प्रकार के चोगे, अंगरखे, कंटोप और रंगीन एमामे पहनकर आए थे।
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सरदार सुजानसिंह ने इन महानुभावों के आदर-सत्कार का बड़ा अच्छा प्रबंध कर दिया था। हर एक मनुष्य अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था। मिस्टर ‘अ’ नौ बजे दिन तक सोया करते थे, आजकल वे बगीचे में टहलते हुए ऊषा का दर्शन करते थे। मिस्टर ‘द’, ‘स’ और ‘ज’ से उनके घरों पर नौकरों की नाक में दम था, लेकिन ये सज्जन आजकल ‘आप’ और ‘जनाब’ के बगैर नौकरों से बातचीत नहीं करते थे। मिस्टर ‘ल’ को किताब से घृणा थी, परंतु आजकल वे बड़े-बड़े ग्रंथ देखने-पढ़ने में डूबे रहते थे। जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम देता था। लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो कौन पूछता है?
लेकिन मनुष्यों का वह बूढ़ा जौहरी आड़ में बैठा हुआ देख रहा था कि इन बगुलों में हंस कहाँ छिपा हुआ है।
1. उम्मीदवारों का व्यवहार कैसा था?
(क) वे अपने स्वाभाविक रूप में रह रहे थे।
(ख) वे अपनी आदतों को बदलकर खुद को अच्छा दिखाने की कोशिश कर रहे थे।
(ग) वे किसी से बातचीत नहीं कर रहे थे।
(घ) वे अपने पुराने स्वभाव पर अडिग थे।
उत्तर- (ख) वे अपनी आदतों को बदलकर खुद को अच्छा दिखाने की कोशिश कर रहे थे।
2. मिस्टर ‘अ’ ने अपनी दिनचर्या में क्या बदलाव किया?
(क) वे रातभर जागते थे।
(ख) वे नौकरों के साथ कठोरता से पेश आते थे।
(ग) वे पूरे दिन किताबें पढ़ते थे।
(घ) वे नौ बजे तक सोते थे, लेकिन अब सुबह बगीचे में टहलने लगे थे।
उत्तर- (घ) वे नौ बजे तक सोते थे, लेकिन अब सुबह बगीचे में टहलने लगे थे।
3. सरदार सुजानसिंह उम्मीदवारों के बारे में क्या कर रहे थे?
(क) वे उम्मीदवारों की गतिविधियों का गुप्त रूप से निरीक्षण कर रहे थे।
(ख) वे उम्मीदवारों को निर्देश दे रहे थे।
(ग) वे उम्मीदवारों को व्यक्तिगत रूप से साक्षात्कार दे रहे थे।
(घ) वे उम्मीदवारों से बात नहीं कर रहे थे।
उत्तर- (क) वे उम्मीदवारों की गतिविधियों का गुप्त रूप से निरीक्षण कर रहे थे।
4. उम्मीदवारों ने अपनी छवि को सुधारने के लिए क्या किया?
उत्तर– उम्मीदवारों ने अपने स्वाभाविक व्यवहार को बदलकर खुद को अच्छा दिखाने की कोशिश की। कुछ ने जल्दी उठकर टहलना शुरू किया, कुछ ने नौकरों से मीठे शब्दों में बात करना शुरू किया, और कुछ ने किताबें पढ़ने का दिखावा किया।
5. मिस्टर ‘द’, ‘स’ और ‘ज’ के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर- ये लोग अपने घरों में नौकरों पर कठोरता से शासन करते थे, लेकिन यहाँ वे ‘आप’ और ‘जनाब’ कहकर उनसे विनम्रता से बात करने लगे।
Class 6 Hindi Malhar Lesson 10 Pariksha Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
1. हॉकी खेलने का प्रस्ताव किसने दिया?
(क) रियासत देवगढ़ के राजा ने
(ख) हॉकी के मँजे हुए खिलाड़ियों ने
(ग) सरदार सुजानसिंह ने
(घ) देवगढ़ के आम नागरिकों ने
उत्तर- (ख) हॉकी के मँजे हुए खिलाड़ियों ने
2. रियासत देवगढ़ में आमतौर पर कौन-से खेल खेले जाते थे?
(क) हॉकी और फुटबॉल
(ख) कबड्डी और खो-खो
(ग) शतरंज और ताश
(घ) गिल्ली-डंडा और कुश्ती
उत्तर– (ग) शतरंज और ताश
3. देवगढ़ में दौड़-कूद वाले खेलों को कैसे देखा जाता था?
(क) बड़े लोगों के खेल समझा जाता था
(ख) सेना के लिए आवश्यक माना जाता था
(ग) पढ़े-लिखे लोगों के लिए अनिवार्य माना जाता था
(घ) बच्चों के खेल समझा जाता था
उत्तर- (घ) बच्चों के खेल समझा जाता था
4. दूसरी ओर के खिलाड़ी बढ़ती हुई लहर को कैसे रोकते थे?
(क) पानी की धार की तरह
(ख) किले की दीवार की तरह
(ग) लोहे की दीवार की तरह
(घ) जंगल की झाड़ियों की तरह
उत्तर- (ग) लोहे की दीवार की तरह
5. संध्या तक खेल का क्या परिणाम हुआ?
(क) हार-जीत का निर्णय नहीं हो सका
(ख) खेल को बीच में रोक दिया गया
(ग) एक टीम ने जीत हासिल कर ली
(घ) खेल दोबारा शुरू किया गया
उत्तर- (क) हार-जीत का निर्णय नहीं हो सका
6. नाले पर पथिकों को कैसे आना पड़ता था?
(क) पुल से होकर
(ख) नाव से पार करके
(ग) नाले में से चलकर
(घ) रस्सी के सहारे लटककर
उत्तर- (ग) नाले में से चलकर
7. किसान को गाड़ी पार कराने में क्या समस्या आ रही थी?
(क) नाले में कीचड़ था और चढ़ाई ऊँची थी
(ख) गाड़ी बहुत हल्की थी
(ग) बैल बहुत तेज़ दौड़ रहे थे
(घ) पहिए टूट गए थे
उत्तर– (क) नाले में कीचड़ था और चढ़ाई ऊँची थी
8. गाड़ी पार न होने की वजह से किसान क्या कर रहा था?
(क) गाँव वालों को बुलाने गया था
(ख) खेत जोत रहा था
(ग) बैलों को ललकार रहा था और पहियों को धक्का दे रहा था
(घ) गाड़ी छोड़कर भाग गया
उत्तर- (ग) बैलों को ललकार रहा था और पहियों को धक्का दे रहा था
9. किसान को सबसे ज्यादा किस चीज़ की जरूरत थी?
(क) आराम की
(ख) भोजन की
(ग) नए बैलों की
(घ) मदद की
उत्तर- (घ) मदद की
10. खिलाड़ियों की क्या प्रतिक्रिया थी?
(क) वे किसान की मदद के लिए दौड़े
(ख) उन्होंने किसान को अनदेखा कर दिया
(ग) उन्होंने किसान का मज़ाक उड़ाया
(घ) उन्होंने गाड़ी को धक्का देकर निकाल दिया
उत्तर– (ख) उन्होंने किसान को अनदेखा कर दिया
11. खिलाड़ियों की आँखों में कौन-से भाव थे?
(क) स्वार्थ और अभिमान
(ख) सहानुभूति और दया
(ग) भय और संकोच
(घ) क्रोध और असंतोष
उत्तर- (क) स्वार्थ और अभिमान
12. युवक को क्या हो गया था जिससे वह लँगड़ा रहा था?
(क) उसे बुखार था
(ख) खेलते समय पैर में चोट लग गई थी
(ग) वह पहले से अपंग था
(घ) उसने बहुत दौड़ लगाई थी
उत्तर- (ख) खेलते समय पैर में चोट लग गई थी
13. युवक ने किसान की मदद के लिए सबसे पहले क्या किया?
(क) कोट उतार दिया और डंडा किनारे रख दिया
(ख) लोगों को बुलाने चला गया
(ग) बैलों को खुद ललकारने लगा
(घ) किसान को गाड़ी छोड़ने को कहा
उत्तर- (क) कोट उतार दिया और डंडा किनारे रख दिया
14. युवक ने किसान से क्या पूछा?
(क) “तुम्हारी बैलगाड़ी क्यों रुकी है?”
(ख) “तुम यहाँ कितनी देर से फँसे हो?”
(ग) “तुम्हें मदद चाहिए?”
(घ) “मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूँ?”
उत्तर– (घ) “मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूँ?”
15. गाड़ी निकालने के दौरान युवक को क्या कठिनाई हुई?
(क) पहिया टूट गया
(ख) वह घुटनों तक कीचड़ में धँस गया
(ग) किसान ने उसकी मदद नहीं की
(घ) बैल भाग गए
उत्तर- (ख) वह घुटनों तक कीचड़ में धँस गया
16. किसान ने युवक से क्या कहा?
(क) “आपने आज मुझे उबार लिया, नहीं तो सारी रात यहाँ बैठना पड़ता।”
(ख) “आपको दीवानी नहीं मिलेगी।”
(ग) “मुझे कोई मदद नहीं चाहिए थी।”
(घ) “मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकता।”
उत्तर- (क) “आपने आज मुझे उबार लिया, नहीं तो सारी रात यहाँ बैठना पड़ता।”
17. युवक के मन में क्या संदेह हुआ?
(क) किसान उससे इनाम माँगेगा
(ख) किसान बैलगाड़ी छोड़कर भाग जाएगा
(ग) किसान कोई साधारण व्यक्ति नहीं है
(घ) किसान उसका अपमान करेगा
उत्तर- (ग) किसान कोई साधारण व्यक्ति नहीं है
18. किसान ने युवक को क्या संकेत दिया?
(क) “तुम्हें कोई इनाम नहीं मिलेगा।”
(ख) “दीवान बनना बहुत कठिन है।”
(ग) “तुम इस परीक्षा में असफल हो गए।”
(घ) “गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
उत्तर- (घ) “गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
19. चुनाव के दिन उम्मीदवारों की क्या स्थिति थी?
(क) वे निश्चिंत होकर अपने घरों में थे।
(ख) वे अपनी किस्मत का फैसला सुनने के लिए उत्सुक थे।
(ग) वे दरबार में जाने से इनकार कर रहे थे।
(घ) वे राजा साहब से मिलने नहीं आए।
उत्तर- (ख) वे अपनी किस्मत का फैसला सुनने के लिए उत्सुक थे।
20. संध्या समय राजा साहब के दरबार में कौन-कौन उपस्थित थे?
(क) राज्य के कर्मचारी, दरबारी, रईस, धनाढ्य और उम्मीदवार
(ख) केवल राजा और दीवान
(ग) केवल उम्मीदवार
(घ) कोई नहीं आया
उत्तर- (क) राज्य के कर्मचारी, दरबारी, रईस, धनाढ्य और उम्मीदवार
Pariksha Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1- सरदार सुजानसिंह ने दीवान के पद से इस्तीफा क्यों देना चाहा?
उत्तर– सरदार सुजानसिंह ने दीवान पद से इस्तीफा इसलिए देना चाहा क्योंकि उनकी उम्र अधिक हो चुकी थी और उन्हें लगा कि अब राज-काज संभालने की शक्ति नहीं रही। वे किसी भूल-चूक से अपने जीवन की नेकनामी पर दाग नहीं लगने देना चाहते थे।
प्रश्न 2- इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर- यह कहानी सिखाती है कि असली योग्यता केवल डिग्रियों या दिखावे से नहीं, बल्कि इंसान के चरित्र, साहस और सेवा-भाव से मापी जाती है। सच्चा नेतृत्व वही होता है जो निःस्वार्थ होकर दूसरों की मदद करे।
प्रश्न 3- जानकीनाथ ने अपनी योग्यता कैसे साबित की?
उत्तर- उन्होंने दिखावे की बजाय वास्तविक कर्तव्यनिष्ठा और मानवता का परिचय दिया। घायल होने के बावजूद उन्होंने किसान की मदद की, जो उनकी उदारता और आत्मबल को बताता है।
प्रश्न 4- दीवान पद के लिए उम्मीदवारों के चयन की क्या शर्तें रखी गईं?
उत्तर– उम्मीदवार के ग्रेजुएट होने की अनिवार्यता नहीं थी, लेकिन हृष्ट-पुष्ट होना ज़रूरी था। एक महीने तक उनके आचार-विचार और कर्तव्यनिष्ठा की परीक्षा ली जानी थी, जिसमें विद्या से अधिक कर्तव्य को महत्व दिया गया।
प्रश्न 5- सरदार सुजानसिंह उम्मीदवारों के व्यवहार को कैसे परख रहे थे?
उत्तर- वे चुपचाप सभी उम्मीदवारों के आचरण को देख रहे थे और यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि कौन वास्तव में योग्य है और कौन सिर्फ़ दिखावा कर रहा है।
प्रश्न 6- किसान की गाड़ी नाले में क्यों फँस गई?
उत्तर- नाले में कीचड़ था और चढ़ाई ऊँची थी। बैल कमज़ोर थे और गाड़ी भारी थी, इसलिए वह ऊपर नहीं चढ़ पा रही थी।
प्रश्न 7- किस युवक ने किसान की मदद की और उसने क्या किया?
उत्तर- एक युवक, जो खेल के दौरान घायल हो गया था, किसान की मदद के लिए आगे आया। उसने अपना डंडा और कोट एक तरफ रखा और पूरी ताकत से गाड़ी के पहियों को धक्का देकर उसे बाहर निकाला।
प्रश्न 8- युवक को संदेह क्यों हुआ कि किसान कोई और है?
उत्तर– युवक को किसान की आवाज़ और चेहरा जाना-पहचाना लगा। उसे लगा कि शायद यह सरदार सुजानसिंह ही हैं, जो उम्मीदवारों की परीक्षा ले रहे हैं।
प्रश्न 9- सरदार सुजानसिंह ने अपने भाषण में क्या कहा?
उत्तर- उन्होंने कहा कि दीवान पद के लिए ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत थी, जिसमें दया और आत्मबल हो। फिर उन्होंने घोषणा की कि यह पद जानकीनाथ-सा को दिया जाएगा।
प्रश्न 10- सरदार सुजानसिंह के अनुसार, एक योग्य दीवान की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर- एक योग्य दीवान में दया, आत्मबल, दृढ़ संकल्प, उदारता और न्यायप्रियता होनी चाहिए। उसे गरीबों का सम्मान करना चाहिए और कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।