CBSE Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 12 Ab Kaha Dusre Ke Dukh Se Dukhi Hone Wale Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Ab Kaha Dusre Ke Dukh Se Dukhi Hone Wale Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 12, “Ab Kaha Dusre Ke Dukh Se Dukhi Hone Wale”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – निम्नलिखित पठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उचित विकल्प चुनकर लिखिए:
ग्वालियर से बंबई की दूरी ने संसार को काफ़ी कुछ बदल दिया है। वर्सोवा में जहाँ आज मेरा घर है, पहले यहाँ दूर तक जंगल था। पेड़ थे, परिंदे थे और दूसरे जानवर थे। अब यहाँ समंदर के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है। इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है। इनमें से दो कबूतरों ने मेरे फ्लैट के एक मचान में घोंसला बना लिया है। बच्चे अभी छोटे हैं। उनके खिलाने-पिलाने की ज़िम्मेदारी अभी बड़े कबूतरों की है। वे दिन में कई-कई बार आते- जाते हैं। और क्यों न आएँ जाएँ आखिर उनका भी घर है। लेकिन उनके आने-जाने से हमें परेशानी भी होती है। वे कभी किसी चीज़ को गिराकर तोड़ देते हैं। कभी मेरी लाइब्रेरी में घुसकर कबीर या मिर्जा गालिब को सताने लगते हैं। इस रोज़ रोज़ की परेशानी से तंग आकर मेरी पत्नी ने उस जगह जहाँ उनका आशियाना था, एक जाली लगा दी है, उनके बच्चों को दूसरी जगह कर दिया है। उनके आने की खिड़की को भी बंद किया जाने लगा है। खिड़की के बाहर अब दोनों कबूतर रात भर खामोश और उदास बैठे रहते हैं।
(I) लेखक पहले कहाँ रहता था और अब कहाँ रहने लगा है?
(A) बंबई (मुंबई) – ग्वालियर
(B) वर्सोवा- ग्वालियर
(C) बंबई – वर्सोवा
(D) ग्वालियर – बंबई
उत्तर – (D) ग्वालियर – बंबई
(II) लेखक जब वर्सोवा रहने आया तो वहाँ स्थिति कैसी थी?
(A) प्राकृतिक वातावरण समृद्ध था।
(B) आधुनिक सुविधाओं से भरपूर वातावरण था।
(C) हवा-पानी की पर्याप्त सुविधा थी।
(D) अड़ोस-पड़ोस बहुत अच्छा था।
उत्तर – (A) प्राकृतिक वातावरण समृद्ध था।
(III) कबूतरों की उदासी का कारण था
(A) वे अपने बच्चों को खाना नहीं दे पाते थे
(B) घर में अंदर जाने के रास्ते बंद हो गए थे।
(C) बच्चे जाली के पीछे रह गए थे।
(D) बच्चे जाली से बाहर आना चाह रहे थे।
उत्तर – (B) घर में अंदर जाने के रास्ते बंद हो गए थे।
(IV) निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए। दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन: लेखक की पत्नी ने कबूतरों के घोंसले का स्थान बदल दिया।
कारण: वे घर के अंदर घुसकर टेबल-पुस्तकें आदि गंदी कर देते थे।
(A) कथन सही है, किंतु कारण गलत है।
(B) कथन तथा कारण दोनों गलत हैं।
(C) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
(D) कथन सही है और कारण उसकी सही व्याख्या है।
उत्तर – (D) कथन सही है और कारण उसकी सही व्याख्या है।
(V) गद्यांश के आधार पर बढ़ते शहरीकरण का क्या दुष्परिणाम निकला?
(A) पर्यावरण दूषित हो गया।
(B) जीवन फ्लैटों में सिमट गया।
(C) जीव-जंतु घर से बेघर हो गए।
(D) समुद्र किनारे घनी आबादी बस गई।
उत्तर – (C) जीव-जंतु घर से बेघर हो गए।
प्रश्न 2 – निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उचित विकल्प चुनकर लिखिए:
दुनिया कैसे वजूद में आई? पहले क्या थी? किस बिन्दु से इसकी यात्रा शुरू हुई? इन प्रश्नों के उत्तर विज्ञान अपनी तरह से देता है, धार्मिक ग्रन्थ अपनी-अपनी तरह से। संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारे खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार की समान था अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चूका है। पहले बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है। बढ़ती हुई आबादियों ने समंदर के पीछे सरकाना शुरू कर दिया है, पेड़ों को रास्तों से हटाना शुरू कर दिया है , फैलते हुए प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया है।
(i) धरती के बारे में क्या कहा गया है?
(A) धरती मानव की है
(B) धरती का अस्तित्व पहले से है
(C) धरती सबकी साझी है
(D) धरती सहनशीला है।
उत्तर – (C) धरती सबकी साझी है
(ii) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए:
कथन : पहले धरती पर प्रत्येक जीव-जन्तु अपना अधिकार समझते और मिलजुलकर रहते।
कारण: ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना में विश्वास रखते थे।
विकल्प :
(A) कथन और कारण दोनों गलत हैं।
(B) कथन सही है लेकिन कारण गलत है।
(C) कथन गलत है किंतु कारण सही है।
(D) कथन और कारण दोनों सही हैं और कारण कथन की सही व्याख्या है।
उत्तर – (D) कथन और कारण दोनों सही हैं और कारण कथन की सही व्याख्या है।
(iii) संयुक्त परिवारों की वर्तमान में क्या स्थिति है?
(A) एकल परिवारों में सिमटना
(B) स्वार्थ का हावी होना
(C) परस्पर मिलनसारिता
(D) सभी एक-दूसरे के सहायक
उत्तर – (A) एकल परिवारों में सिमटना
(iv) बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव हुआ
(A) समुद्र को धकेलना शुरू हुआ
(B) सब अपने लिए स्थान खोजने लगे
(C) संसाधनों की खोज शुरू हुई
(D) लूट-पाट बढ़ने लगी।
उत्तर – (B) सब अपने लिए स्थान खोजने लगे
(v) कॉलम-1 और कॉलम-2 को सुमेलित करके सही उत्तर चुनिए ।
| कॉलम-1 | कॉलम -2 |
| 1. प्रदूषण ने | I. पेड़ साफ़ कर दिए |
| 2. बढ़ती आबादी ने | II. परिभाषा बदल गई |
| 3. परिवार की | III. पक्षियों को बेघर किया |
विकल्प :
(A) 1-II, 2-I, 3-III
(B) 1-I, 2-III, 3-II
(C) 1-II, 2-III, 3-I
(D) 1-III, 2-I, 3-II
उत्तर – (D) 1-III, 2-I, 3-II
प्रश्न 2 – निदा फाज़ली की माँ के जीव-जंतुओं और प्रकृति के प्रेम और अपनी माँ की सोच में आप क्या समानता पाते हैं? स्पष्ट कीजिए । (25-30 शब्दों में)
उत्तर – निदा फाज़ली की माँ का जीव-जंतुओं और प्रकृति के प्रति प्रेम उनकी सहानुभूति और करुणा को बताता है। मेरी माँ को भी पशु-पक्षियों से बहुत लगाव है और प्रकृति की संरक्षक भी हैं, वह जीव-जन्तुओं के लिए भोजन की व्यवस्था करती हैं। यह समानता दोनों की संवेदनशीलता और जीवन के प्रति सहानुभूति को दर्शाती है।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘अब कहाँ दूसरे के दुःख में दुःखी होने वाले’ पाठ के माध्यम से लेखक ने क्या प्रतिपादित किया है?
उत्तर – ‘अब कहाँ दूसरे के दुःख में दुःखी होने वाले’ पाठ के माध्यम से लेखक ने मनुष्य के स्वार्थीपन को दर्शाने का प्रयास किया है। प्रकृति ने यह धरती उन सभी जीवधारियों के लिए दान में दी थी जिन्हें खुद प्रकृति ने ही जन्म दिया था। लेकिन समय के साथ-साथ हुआ यह कि आदमी नाम के प्रकृति के सबसे अनोखे चमत्कार ने धीरे-धीरे पूरी धरती को अपनी जायदाद बना दिया और अन्य दूसरे सभी जीवधारियों को इधर-उधर भटकने के लिए छोड़ दिया। किस तरह आदमी नाम का जीव सब कुछ समेटना चाहता है और उसकी यह भूख कभी भी शांत होने वाली नहीं है। वह इतना स्वार्थी हो गया है कि दूसरे प्राणियों को तो पहले ही बेदखल कर चुका था परन्तु अब वह अपनी ही जाति अर्थात मनुष्यों को ही बेदखल करने में जरा भी नहीं हिचकिचाता। परिस्थिति यह हो गई है कि न तो उसे किसी के सुख-दुःख की चिंता है और न ही किसी को सहारा या किसी की सहायता करने का इरादा। लेखक हमें बताना चाहता है कि हमें नदी और सूरज की तरह दूसरों के हित के कार्य करने चाहिए और तोते की तरह सभी को सामान समझना चाहिए तभी संसार के सभी जीवधारी प्रसन्न और सुखी रह सकते हैं।
प्रश्न 2 – ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के लेखक की माँ की तरह आपकी माँ भी आपको कुछ हिदायतें देती होंगी, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए और बताइए कि आप पर क्या प्रभाव पड़ा।
उत्तर – बचपन में लेखक की माँ हमेशा कहती थी कि शाम के समय पेड़ों से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए क्योंकि उस समय यदि पत्ते तोड़ोगे तो पेड़ रोते हैं। पूजा के समय फूलों को नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि उस समय फूलों को तोड़ने पर फूल श्राप देते हैं। नदी पर जाओ तो उसे नमस्कार करना चाहिए वह खुश हो जाती है। कभी भी कबूतरों और मुर्गों को परेशान नहीं करना चाहिए।
इसी तरह की कुछ हिदायतें हमारी माँ भी हमें देतीं हैं जैसे – किसी अच्छे काम को करने से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए, कार्य सफल होते हैं। किसी परीक्षा में जाओ तो दही शक़्कर खा कर जाओ, परीक्षा अच्छी होती है। घर से जाते हुए बड़ों का आशीर्वाद लेते जाओ, शुभ लाभ मिलते हैं। गौ माँ की सेवा करो, दुखों का नाश होता है। सोते समय ईश्वर को धन्यवाद जरूर दो, कृपा बनी रहती है।
इन सभी बातों का हम पर यह प्रभाव पड़ा कि इन बातों ने हमारे मन में संस्कार बना दिया और हम हमेशा इन चीजों की वजह से तनाव मुक्त व् सकारात्मक महसूस करते हैं।
प्रश्न 3 – “अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले” पाठ में आए कथन “नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है” के परिप्रेक्ष्य में कोई दो उदाहरण देकर प्रकृति के असंतुलन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रकृति एक सीमा तक ही सहन कर सकती है। कहा जाता है कि जो जितना बड़ा होता है उसको गुस्सा उतना ही कम आता है परन्तु जब आता है तो उनके गुस्से को कोई शांत नहीं कर सकता। प्रकृति को भी जब गुस्सा आता है तो क्या होता है इसका एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में आई सुनामी के रूप में देख ही चुके हैं। ये नमूना इतना डरावना था कि मुंबई के निवासी डर कर अपने-अपने देवी-देवताओं से उस मुसीबत से बचाने के लिए प्रार्थना करने लगे थे।
प्रकृति में आए असंतुलन का बहुत अधिक भयानक परिणाम हुआ है। गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, बरसात का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है, भूकम्प, सैलाब, तूफ़ान और रोज कोई न कोई नई बीमारियाँ जन्म ले लेती है और मानव का जीवन बहुत अधिक कठिन हो गया है।
प्रश्न 4 – प्रकृति में आए असंतुलन के लिए आप किसे जिम्मेदार ठहराते हैं और क्यों? ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ – पाठ के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर – प्रकृति ने यह धरती उन सभी जीवधारियों के लिए दान में दी थी जिन्हें खुद प्रकृति ने ही जन्म दिया था। लेकिन समय के साथ-साथ हुआ यह कि आदमी नाम के प्रकृति के सबसे अनोखे चमत्कार ने धीरे-धीरे पूरी धरती को अपनी जायदाद बना दिया और अन्य दूसरे सभी जीवधारियों को इधर-उधर भटकने के लिए छोड़ दिया। इसका अन्जाम यह हुआ कि दूसरे जीवधारियों की या तो नस्ल ही ख़त्म हो गई या उन्हें अपने ठिकानों से कहीं दूसरी जगह जाना पड़ा जहाँ आदमी ना पहुँचा हो। कुछ जीवधारी तो आज भी अपने लिए ठिकानों की तलाश कर रहे हैं। अगर इतना ही हुआ होता तो भी संतोष किया जा सकता था लेकिन आदमी नाम का यह जीव सब कुछ समेटना चाहता था और उसकी यह भूख इतना सब कुछ करने के बाद भी शांत नहीं हुई। अब वह इतना स्वार्थी हो गया है कि दूसरे प्राणियों को तो पहले ही बेदखल कर चुका था परन्तु अब वह अपनी ही जाति अर्थात मनुष्यों को ही बेदखल करने में जरा भी नहीं हिचकिचाता। परिस्थिति यह हो गई है कि न तो उसे किसी के सुख-दुःख की चिंता है और न ही किसी को सहारा या किसी की सहायता करने का इरादा। यदि आपको भरोसा नहीं है तो इस पाठ को पढ़ लीजिए और पाठ को पढ़ते हुए अपने आस पास के लोगों को याद भी कीजिए और ऐसा जरूर होगा कि आपको कई ऐसे व्यक्ति याद आयेंगे जिन्होंने किसी न किसी के साथ ऐसा बर्ताव किया होगा।
प्रश्न 5 – ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में महाकवि शेख अयाज़ की आत्मकथा से किस घटना को उद्धृत किया गया है? उस घटना से आपको क्या सीख मिलती है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में महाकवि शेख अयाज़ की आत्मकथा से एक घटना को उद्धृत किया गया है। एक दिन शेख अयाज़ के पिता कुँए से नहाकर लौटे। उशेख अयाज़ की माँ ने भोजन परोसा। अभी उनके पिता ने रोटी का पहला टुकड़ा तोड़ा ही था कि उनकी नज़र उनके बाजू पर धीरे-धीरे चलते हुए एक काले च्योंटे पर पड़ी। जैसे ही उन्होंने कीड़े को देखा वे भोजन छोड़ कर खड़े हो गए। उनको खड़ा देख कर शेख अयाज़ की माँ ने पूछा कि क्या बात है? क्या भोजन अच्छा नहीं लगा? इस पर शेख अयाज़ के पिता ने जवाब दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है। उन्होंने एक घर वाले को बेघर कर दिया है वे उसी को उसके घर यानी कुँए के पास छोड़ने जा रहे हैं।
इस घटना से हमें दूसरों के प्रति दयालु स्वभाव की सीख मिलती है। किसी का अनजाने में भी बुरा न करने की सीख और यदि गलती से भी कोई हमारे द्वारा दुखी हो जाता है तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उसके दुखों को दूर करने के उपाए भी करें। अपने मन को सदा साफ रखें व् दूसरों के प्रति अपने मन में प्रेम भाव रखें।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए कि लेखक की माँ द्वारा उन्हें समय-समय पर क्या निर्देश दिए जाते थे ? उन निर्देशों के माध्यम से पाठकों को क्या सीख दी गई है ?
उत्तर – ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ में लेखक की माँ द्वारा उन्हें समय-समय पर निर्देश दिए जाते थे कि शाम के समय पेड़ों से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए क्योंकि उस समय यदि पत्ते तोड़ोगे तो पेड़ रोते हैं। पूजा के समय फूलों को नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि उस समय फूलों को तोड़ने पर फूल श्राप देते हैं। नदी पर जाओ तो उसे नमस्कार करनी चाहिए वह खुश हो जाती है। कभी भी कबूतरों और मुर्गों को परेशान नहीं करना चाहिए। इन निर्देशों के माध्यम से लेखक पाठकों को सीख देना चाहते हैं कि प्रकृति की हर वस्तु में जीवन है। हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि प्रकृति से ही हमें जीवन प्राप्त होता है।
प्रश्न 2 – वर्तमान में लगभग सारा विश्व जलवायु परिवर्तन और विविध प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में है। प्रकृति में आए इन अवांछनीय परिवर्तनों के क्या कारण हैं ? ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – जब पृथ्वी अस्तित्व में आई थी, उस समय पूरा संसार एक परिवार की तरह रहा करता था लेकिन अब इसके टुकड़े हो गए हैं और सभी एक-दूसरे से दूर हो गए हैं। वातावरण में इतना अधिक बदलाव हो गया है कि गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, बरसात का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है, भूकम्प, सैलाब, तूफ़ान और रोज कोई न कोई नई बीमारियाँ न जाने और क्या-क्या ,ये सब मानव द्वारा किये गए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का नतीजा है। आदमी नाम का जीव सब कुछ समेटना चाहता है और उसकी यह भूख कभी भी शांत होने वाली नहीं है। वह इतना स्वार्थी हो गया है कि दूसरे प्राणियों को तो पहले ही बेदखल कर चुका था परन्तु अब वह अपनी ही जाति अर्थात मनुष्यों को ही बेदखल करने में जरा भी नहीं हिचकिचाता। परिस्थिति यह हो गई है कि न तो उसे किसी के सुख-दुःख की चिंता है और न ही किसी को सहारा या किसी की सहायता करने का इरादा।
प्रश्न 3 – ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ में शेख अयाज़ के पिता के किस गुण का उल्लेख है ? क्या वह गुण वर्तमान में प्रासंगिक है ? कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर – ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ में शेख अयाज़ के पिता के दूसरों के प्रति दयालु स्वभाव का उल्लेख है। यह गुण वर्तमान में अवश्य प्रासंगिक है क्योंकि इस तरह के गुण वर्तमान में होना बहुत दुर्लभ है। शेख अयाज़ के पिता के व्यवहार से हमें सीख लेनी चाहिए कि किसी का अनजाने में भी बुरा न करना और यदि गलती से भी कोई हमारे द्वारा दुखी हो जाता है तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उसके दुखों को दूर करने के उपाय भी करें। अपने मन को सदा साफ रखें व् दूसरों के प्रति अपने मन में प्रेम भाव रखें।
प्रश्न 4 – ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में लेखक की माँ उन्हें प्रकृति का ख्याल रखने के बारे में क्या-क्या बताती थीं ? इनके माध्यम से वह लेखक में किन जीवन-मूल्यों का विकास करना चाहती थी ?
उत्तर – लेखक की माँ हमेशा कहती थी कि जब भी सूरज ढले अर्थात शाम के समय पेड़ों से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए क्योंकि उस समय यदि पत्ते तोड़ोगे तो पेड़ रोते हैं। दिया-बत्ती के समय अर्थात पूजा के समय फूलों को नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि उस समय फूलों को तोड़ने पर फूल श्राप देते हैं। नदी पर जाओ तो उसे नमस्कार करनी चाहिए वह खुश हो जाती है। कभी भी कबूतरों को परेशान नहीं करना चाहिए क्योंकि कबूतर हज़रत मुहम्मद को बहुत प्यारे हैं। मुर्गों को भी कभी परेशान नहीं करना चाहिए क्योंकि वह मुल्ला जी से पहले ही पूरे मोहल्ले को बांग दे कर जगाता है। सबकी पूजा एक सी है अर्थात चाहे हिंदू हो या मुस्लिम या फिर सिख हो या ईसाई। सभी एक ही ईश्वर का गुणगान करते हैं। केवल तरीका अलग होता है।
इन सबके माध्यम से लेखक की माँ लेखक में दयालु स्वभाव, सकारात्मकता, जीवों से प्रेम करना व् सभी का सम्मान करना जैसे जीवन-मूल्यों का विकास करना चाहती हैं।
प्रश्न 5 – लगातार बढ़ती आबादी ने पर्यावरण को किस रूप में प्रभावित किया है ? ‘अब कहाँ दूसरे के दुख में दुखी होने वाले’ पाठ के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर – जब पृथ्वी अस्तित्व में आई थी, उस समय पूरा संसार एक परिवार की तरह रहा करता था लेकिन अब इसके टुकड़े हो गए हैं और सभी एक-दूसरे से दूर हो गए हैं। पहले सभी बड़े-बड़े बरामदों और आंगनों में मिल-जुलकर रहा करते थे परन्तु आज के समय में सभी का जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिकुड़ने लगा है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे समुद्र अपनी जगह से पीछे हटने लगा है, लोगों ने पेड़ों को काट कर रास्ते बनाना शुरू कर दिया है। प्रदुषण इतना अधिक फैल रहा है कि उससे परेशान हो कर पंछी बस्तियों को छोड़ कर भाग रहे हैं। बारूद से होने वाली मुसीबतों ने सभी को परेशान कर रखा है। वातावरण में इतना अधिक बदलाव हो गया है कि गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, बरसात का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है, भूकम्प, सैलाब, तूफ़ान और रोज कोई न कोई नई बीमारियाँ न जाने और क्या-क्या ,ये सब मानव द्वारा प्रकृति के साथ किये गए छेड़-छाड़ का नतीजा है। प्रकृति एक सीमा तक ही सहन कर सकती है। प्रकृति को जब गुस्सा आता है तो क्या होता है इसका एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में आई सुनामी के रूप में देख ही चुके हैं।
प्रश्न 6 – ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए कि लेखक की माँ पर्यावरण संरक्षण के प्रति क्यों सजग थीं। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक की माँ पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग थीं क्योंकि वे मानती थी कि जितना अधिकार हम मनुष्यों का इस धरती पर है उतना ही अन्य जिव-जंतुओं व् प्राकृतिक चीज़ों का भी है। वे लेखक को बचपन में हमेशा कहती थी कि शाम के समय पेड़ों से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए क्योंकि उस समय यदि पत्ते तोड़ोगे तो पेड़ रोते हैं। पूजा के समय फूलों को नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि उस समय फूलों को तोड़ने पर फूल श्राप देते हैं। नदी पर जाओ तो उसे नमस्कार करनी चाहिए वह खुश हो जाती है। कभी भी कबूतरों को परेशान नहीं करना चाहिए क्योंकि कबूतर हज़रत मुहम्मद को बहुत प्यारे हैं। मुर्गों को भी कभी परेशान नहीं करना चाहिए क्योंकि वह मुल्ला जी से पहले ही पूरे मोहल्ले को बांग दे कर जगाता है। सबकी पूजा एक सी अर्थात चाहे हिंदु हो या मुस्लिम या फिर सीख हो या ईसाई । सभी एक ही ईश्वर का गुणगान करते हैं। केवल तरीका अलग होता है।
प्रश्न 7 – निदा फ़ाज़ली अपनी माँ और पत्नी द्वारा जीव-जंतुओं के साथ किए जाने वाले व्यवहार के अंतर से क्या कहना चाहते हैं ? ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर – निदा फ़ाज़ली अपनी माँ और पत्नी द्वारा जीव-जंतुओं के साथ किए जाने वाले व्यवहार के अंतर से स्पष्ट करना चाहते हैं कि जिस तरह हमें दुःख व् सुख का अनुभव होता है उसी तरह अन्य जीवों को भी हर भावना का अनुभव होता है। हमें समझना चाहिए कि हमने उनके घरों के स्थान को छीना है न कि वे हमारे घरों पर रहने आए हैं। हमने उनके जीवन को भंग किया है अतः हमारा दायित्व बनता है कि हम उन्हें और अधिक परेशान न करें। थोड़ा सा स्थान व् भोजन उनके साथ भी साँझा करें क्योंकि जितना अधिकार हम प्राकृति पर समझते हैं उतना ही अधिकार उन सभी का भी है।
प्रश्न 8 – बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किए गए मानवीय क्रियाकलापों ने प्रकृति को नकारात्मक रूप में प्रभावित कर उसे असंतुलित किया है। प्रकृति के इस असंतुलन का मानवीय जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है? ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर – बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किए गए मानवीय क्रियाकलापों ने प्रकृति को नकारात्मक रूप में प्रभावित कर उसे असंतुलित किया है। प्रकृति ने यह धरती उन सभी जीवधारियों के लिए दान में दी थी जिन्हें खुद प्रकृति ने ही जन्म दिया था। लेकिन समय के साथ-साथ हुआ यह कि आदमी नाम के प्रकृति के सबसे अनोखे चमत्कार ने धीरे-धीरे पूरी धरती को अपनी जायदाद बना दिया और अन्य दूसरे सभी जीवधारियों को इधर -उधर भटकने के लिए छोड़ दिया। प्रकृति एक सीमा तक ही सहन कर सकती है। कहा जाता है कि जो जितना बड़ा होता है उसको गुस्सा उतना ही कम आता है परन्तु जब आता है तो उनके गुस्से को कोई शांत नहीं कर सकता। प्रकृति को भी जब गुस्सा आता है तो क्या होता है इसका एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में आई सुनामी के रूप में देख ही चुके हैं। ये नमूना इतना डरावना था कि मुंबई के निवासी डर कर अपने-अपने देवी-देवताओं से उस मुसीबत से बचाने के लिए प्रार्थना करने लगे थे। प्रकृति में आए असंतुलन का बहुत अधिक भयानक परिणाम हुआ है। गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, बरसात का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है, भूकम्प, सैलाब, तूफ़ान और रोज कोई न कोई नई बीमारियाँ जन्म ले लेती है और मानव का जीवन बहुत अधिक कठिन हो गया है।
प्रश्न 9 – ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में ऐसे अनेक लोगों का उल्लेख है, जो जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशील थे। आपको उनमें से सबसे अच्छा कौन लगा ? कारण सहित लिखिए।
उत्तर – ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में ऐसे अनेक लोगों का उल्लेख है, जो जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशील थे। हमें उनमें से सबसे अच्छा सिंधी भाषा के महाकवि शेख अयाज़ के पिता लगे। उनके एक वाक्य ने हमें बहुत प्रभावित किया। एक दिन जब वे कुँए से नहाकर लौटे। और खाना खाने के लिए जैसे जी उन्होंने रोटी का पहला टुकड़ा तोड़ा कि उनकी नज़र उनके बाजू पर धीरे-धीरे चलते हुए एक काले च्योंटे पर पड़ी। जैसे ही उन्होंने कीड़े को देखा वे भोजन छोड़ कर खड़े हो गए। जब उनसे पूछा गया कि क्या भोजन अच्छा नहीं लगा? तो शेख अयाज़ के पिता ने जवाब दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है। उन्होंने एक घर वाले को बेघर कर दिया है वे उसी को उसके घर यानी कुँए के पास छोड़ने जा रहे हैं। इस वाक्य से उनके दयालु स्वभाव व् निर्मल हृदय का पता चलता है।
प्रश्न 10 – ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए कि पहले और अब के संसार में जीवन शैली में क्या अंतर आ गया है ?
उत्तर – जब पृथ्वी अस्तित्व में आई थी, उस समय पूरा संसार एक परिवार की तरह रहा करता था लेकिन अब इसके टुकड़े हो गए हैं और सभी एक-दूसरे से दूर हो गए हैं। पहले सभी बड़े-बड़े बरामदों और आंगनों में मिल-जुलकर रहा करते थे परन्तु आज के समय में सभी का जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिकुड़ने लगा है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे समुद्र अपनी जगह से पीछे हटने लगा है, लोगों ने पेड़ों को काट कर रास्ते बनाना शुरू कर दिया है। प्रदुषण इतना अधिक फैल रहा है कि उससे परेशान हो कर पंछी बस्तियों को छोड़ कर भाग रहे हैं। बारूद से होने वाली मुसीबतों ने सभी को परेशान कर रखा है। वर्सोवा में जहाँ लेखक का घर है, वहाँ लेखक के अनुसार किसी समय में दूर तक जंगल ही जंगल था। पेड़-पौधे थे, पशु-पक्षी थे और भी न जाने कितने जानवर थे। अब तो यहाँ समुद्र के किनारे केवल लम्बे-चौड़े गाँव बस गए हैं। इन गाँव ने न जाने कितने पशु-पक्षियों से उनका घर छीन लिया है। इन पशु-पक्षियों में से कुछ तो शहर को छोड़ कर चले गए हैं और जो नहीं जा सके उन्होंने यहीं कहीं पर अस्थाई घर बना लिए हैं। अस्थाई इसलिए क्योंकि कब कौन उनका घर तोड़ कर चला जाए कोई नहीं जानता।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है? ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है वैसे-वैसे समुद्र अपनी जगह से पीछे हटने लगा है, लोगों ने पेड़ों को काट कर रास्ते बनाना शुरू कर दिया है। प्रदूषण इतना अधिक फैल रहा है कि उससे परेशान हो कर पंछी बस्तियों को छोड़ कर भाग रहे हैं। बारूद से होने वाली मुसीबतों ने सभी को परेशान कर रखा है। वातावरण में इतना अधिक बदलाव हो गया है कि गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, बरसात का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है, भूकंप, सैलाब, तूफ़ान और रोज कोई न कोई नई बीमारियाँ न जाने और क्या-क्या, ये सब मानव द्वारा किये गए प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ का नतीजा है। इन सभी के कारण मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मानव के जीवन पर इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है।
प्रश्न 2 – “अब कहाँ दूसरे के दुख …..” पाठ के आधार पर लिखिए कि बढ़ती हुई जनसंख्या का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। प्रकृति की सहनशक्ति जब सीमा पार कर जाती है, तो क्या परिणाम होते हैं?
उत्तर – बढ़ती हुई जनसंख्या का पर्यावरण पर भयानक परिणाम हुआ, गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, बरसात का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है, भूकम्प, सैलाब, तूफ़ान और रोज कोई न कोई नई बीमारियाँ जन्म ले लेती है और मानव का जीवन बहुत अधिक कठिन हो गया है। प्रकृति एक सीमा तक ही सहन कर सकती है। कहा जाता है कि जो जितना बड़ा होता है उसको गुस्सा उतना ही कम आता है परन्तु जब आता है तो उनके गुस्से को कोई शांत नहीं कर सकता। प्रकृति को भी जब गुस्सा आता है तो क्या होता है इसका एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में आई सुनामी के रूप में देख ही चुके हैं। ये नमूना इतना डरावना था कि मुंबई के निवासी डर कर अपने-अपने देवी-देवताओं से उस मुसीबत से बचाने के लिए प्रार्थना करने लगे थे।
प्रश्न 3 – बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर – कई सालों से बड़े-बड़े मकानों को बनाने वाले बिल्डर मकान बनाने के लिए समुद्र को पीछे धकेल कर उसकी जमीन पर कब्ज़ा कर रहे थे। समुद्र के पास खड़े रहने की जगह भी कम पड़ने लगी और समुद्र को गुस्सा आ गया। कहा जाता है कि जो जितना बड़ा होता है उसको गुस्सा उतना ही कम आता है परन्तु जब आता है तो उनके गुस्से को कोई शांत नहीं कर सकता। समुद्र के साथ भी वही हुआ जब समुद्र को गुस्सा आया तो एक रात वह अपनी लहरों के ऊपर दौड़ता हुआ आया और तीन जहाज़ों को ऐसे उठा कर तीन दिशाओं में फेंक दिया जैसे कोई किसी बच्चे की गेंद को उठा कर फेंकता है।
प्रश्न 4 – प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ? ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर – प्रकृति में आए असंतुलन का बहुत अधिक भयानक परिणाम हुआ, गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, बरसात का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है, भूकम्प, सैलाब, तूफ़ान और रोज़ कोई न कोई नई बीमारियाँ जन्म ले लेती है और मानव का जीवन बहुत अधिक कठिन हो गया है।
प्रश्न 5 – पाठ के आधार पर ‘दूसरे के दुख में दुखी होने वाले’ लोगों के स्वभाव से जुड़ी घटनाओं का उल्लेख कीजिए और लिखिए कि ऐसे लोग अब क्यों नहीं मिलते।
उत्तर – ‘अब कहाँ दूसरे के दुख में दुखी होने वाले’ पाठ में लेखक सुलेमान, पैगंबर लशकर, शेख अयाज़ और अपनी माताजी के माध्यम से यह समझाना चाहता है कि अब संसार में इस तरह के लोग नहीं है, जो किसी दूसरे के दुःख में उसी प्रकार दुःखी होते हैं जैसे उनका अपना ही दुःख हो। इंसान आज इतना स्वार्थी हो गया है कि इस स्वार्थ के वशीभूत होकर वह दूसरों के हितों का भी हनन करने से नहीं चूकता। ईश्वर ने उसे यह सुंदर दुनिया दी ताकि वह इसमें सभी प्राणियों के साथ मिलकर रहे, लेकिन वह यह भूल गया है कि इस दुनिया में उसके अतिरिक्त और कोई भी रहता है। वे अपने लिए इसका व अन्य जीव-जंतुओं का नाश करने से भी नहीं चुका। उसे यही भ्रम है कि वह इस पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली है।
प्रश्न 6 – निदा फ़ाज़ली के लेख के आधार पर लिखिए कि पर्यावरण के प्रति क्या-क्या अवहेलनाएँ की जा रही हैं और उनके क्या परिणाम हो रहे हैं।
उत्तर – प्रकृति ने यह धरती उन सभी जीवधारियों के लिए दान में दी थी जिन्हें खुद प्रकृति ने ही जन्म दिया था। लेकिन समय के साथ-साथ हुआ यह कि आदमी नाम के प्रकृति के सबसे अनोखे चमत्कार ने धीरे-धीरे पूरी धरती को अपनी जायदाद बना दिया और अन्य दूसरे सभी जीवधारियों को इधर-उधर भटकने के लिए छोड़ दिया। इसका अन्जाम यह हुआ कि दूसरे जीवधारियों की या तो नस्ल ही ख़त्म हो गई या उन्हें अपने ठिकानों से कहीं दूसरी जगह जाना पड़ा जहाँ आदमी ना पहुँचा हो। कुछ जीवधारी तो आज भी अपने लिए ठिकानों की तलाश कर रहे हैं। अगर इतना ही हुआ होता तो भी संतोष किया जा सकता था लेकिन आदमी नाम का यह जीव सब कुछ समेटना चाहता था और उसकी यह भूख इतना सब कुछ करने के बाद भी शांत नहीं हुई। अब वह इतना स्वार्थी हो गया है कि दूसरे प्राणियों को तो पहले ही बेदखल कर चुका था परन्तु अब वह अपनी ही जाति अर्थात मनुष्यों को ही बेदखल करने में जरा भी नहीं हिचकिचाता। प्रकृति में आए असंतुलन का बहुत अधिक भयानक परिणाम हुआ, गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है, बरसात का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है, भूकम्प, सैलाब, तूफ़ान और रोज कोई न कोई नई बीमारियाँ जन्म ले लेती है और मानव का जीवन बहुत अधिक कठिन हो गया है।
प्रश्न 7 – ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ के अनुसार शेख अयाज़ के प्रसंग को अपने शब्दों में लिखिए। शेख अयाज़ के पिता के कथन में छिपी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – एक दिन शेख अयाज़ के पिता कुँए से नहाकर लौटे। उनकी माँ ने भोजन परोसा। अभी उनके पिता ने रोटी का पहला टुकड़ा तोड़ा ही था कि उनकी नज़र उनके बाजू पर धीरे-धीरे चलते हुए एक काले च्योंटे पर पड़ी। जैसे ही उन्होंने कीड़े को देखा वे भोजन छोड़ कर खड़े हो गए। उनको खड़ा देखकर शेख अयाज़ा की माँ ने पूछा कि क्या बात है? क्या भोजन अच्छा नहीं लगा? इस पर शेख अयाज़ के पिता ने जवाब दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है। उन्होंने एक घर वाले को बेघर कर दिया है वे उसी को उसके घर यानी कुँए के पास छोड़ने जा रहे हैं। शेख अयाज़ के पिता के इस कथन में उनकी जीवों के प्रति दया-भावना स्पष्ट झलकती है।
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