Vyanjan in Hindi | Vyanjan Types, Important Question on Vyanjan – व्यंजन की परिभाषा, व्यंजन के भेद और महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
Vyanjan in Hindi – इस लेख में हम हिंदी व्याकरण के विषय व्यंजन की परिभाषा, भेद और सम्पूर्ण वर्गीकरण से संबंधित जानकारी प्राप्त करेंगे। व्यंजन हिन्दी व्याकरण के सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। बिना स्वर-व्यंजन के ज्ञान के व्याकरण का ज्ञान बिलकुल अधूरा है।
इस लेख से पूर्व हम वर्ण और वर्णमाला के बारे में बात कर चुके हैं और साथ ही साथ वर्णमाला के प्रथम भेद स्वर की भी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर चुके हैं। इस लेख में हम वर्णमाला के द्वितीय भेद व्यंजन के बारे में बात करेंगे।
हिंदी वर्णमाला में अगर वर्णों की कुल संख्या के बारे में बात करें तो अलग-अलग जगह अलग-अलग दी गई है। छोटी कक्षाओं की पुस्तकों में वर्णों की संख्या 49 बताई गई हैं, परंतु उच्च स्तर की व्याकरण के पुस्तकों में आपको वर्णों की कुल संख्या 52 मिलेगी। इन 52 वर्णों को उनके उच्चारण स्थान अथवा प्रक्रिया के आधार पर स्वर और व्यंजन भागों में बांटा गया है। अधिक स्पष्टीकरण के लिए आप तालिका देख सकते हैं –
हिंदी वर्ण प्रकार | वर्णाक्षर की संख्या | वर्णाक्षर |
स्वर | 11 | अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ |
मुख्य व्यंजन | 33 | क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह |
संयुक्त व्यंजन | 4 | क्ष, त्र, ज्ञ, श्र |
द्विगुण व्यंजन | 2 | ड़, ढ़ |
अनुस्वार और अनुनासिक | 1 | अं (ं) या अँ (ँ) |
विसर्ग | 1 | अः या (:) |
कुल संख्या | 52 |
इनके बावजूद भी कुछ जगह पर फारसी भाषा से हिंदी में आए 2 आगत व्यंजन – ज़, फ़ को भी व्यंजन की संख्या दी गई है।
और अच्छे से समझने के लिए अब विस्तार पूर्वक व्यञ्जन के बारे में बात करते हैं कि व्यंजन किसे कहते हैं, व्यंजन के कितने भेद हैं तथा व्यंजन की संख्या कितनी है और व्याकरणानुसार किस तरह से व्यंजनों का विभाजन किया गया है।
व्यंजन की परिभाषा
‘व्यज्यते वर्णान्तर-संयोगेन् द्योत्यते ध्वनिविशेशो येन तद् व्यञ्जनम्’ अर्थात ऐसे वर्ण जो स्वयं उच्चारित न हो कर स्वर वर्णों की सहायता से उच्चारित होते हैं, व्यंजन कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि व्यंजन वर्णों को बोलते समय स्वर वर्णों की सहायता लेनी पड़ती है। अर्थात प्रत्येक व्यंजन वर्ण के उच्चारण में एक स्वर वर्ण होता है। यह भी कहा जा सकता है कि स्वरों के बिना व्यंजन का उच्चारण नहीं किया जा सकता।
सरल शब्दों में कहें, तो हिंदी वर्णमाला के ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से नहीं हो पता, यानी की जिन वर्णों का उच्चारण करने के लिए स्वरों की आवश्यकता पड़ती है वह व्यंजन कहलाते हैं।
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Vyanjan Kitne Hote Hain?
व्यंजन के भेद अथवा व्यंजनों का वर्गीकरण –
हिंदी व्याकरण में व्यंजनों को अलग-अलग आधार पर वर्गीकृत किया जाता है –
जैसे –
उच्चारण के स्थान के आधार पर
उच्चारण के स्थान का अर्थ है, वर्णों के उच्चारण के दौरान मुख के अलग-अलग हिस्सों या अंगों का प्रयोग होना। जैसे – कंठ, तालु, दांत, नासिक आदि। हिंदी व्याकरण में व्यंजनों को उच्चारण के स्थान के आधार पर सात भागों में बांटा गया है।
अच्छे से समझने के लिए तालिका को देखें –
व्यंजनों के भेद | उच्चारण स्थान | व्यंजन | |
1 | कण्ठ्य व्यंजन | कंठ | क, ख, ग, घ और ङ |
2 | तालव्य व्यंजन | तालु | च, छ, ज, झ, ञ, श और य |
3 | मूर्धन्य व्यंजन | मूर्धा | ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़, र और ष |
4 | दन्त्य व्यंजन | दन्त | त, थ, द, ध, न, ल और स |
5 | ओष्ठ्य व्यंजन | ओष्ठ | प, फ, ब, भ और म |
6 | दंतोष्ठ्य व्यंजन | दन्त और ओष्ठ | व |
7 | अलिजिह्वा व्यंजन | स्वर यंत्र | ह |
अध्ययन के आधार पर
अध्ययन के आधार पर कहने का तात्पर्य यह है कि विद्यार्थियों को अध्ययन में आसानी और सरलता के आधार पर हिंदी व्याकरण के व्यंजनों को तीन भागों में बांटा गया है।
जैसे –
- स्पर्श व्यंजन
- उष्म व्यंजन
- अन्तःस्थ व्यंजन
स्पर्श व्यंजन –
व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के विभिन्न भागों या अंगों जैसे कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या होठ को स्पर्श करती है, वे स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं। स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या क से म तक अर्थात 25 है। उन्हें पाँच वर्गों में विभाजित किया गया है, और प्रत्येक वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं।
कवर्ग ( क, ख, ग, घ, ङ)
चवर्ग (च, छ, ज, झ, ञ)
टवर्ग ( ट, ठ, ड, ढ, ण)
तवर्ग ( त, थ, द, ध, न)
पवर्ग ( प, फ ब, भ, म)
उष्म व्यंजन –
उष्म का अर्थ होता है – गर्म। वे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय मुख से ऊष्म अर्थात गर्म वायु बाहर की ओर निकलती है, उन सभी वर्णों को उष्म व्यंजन कहा जाता हैं। हिंदी वर्णमाला में ऊष्म व्यंजनों की संख्या 4 है। वे हैं – स, श, ष और ह। इन व्यंजनों को संघर्षी व्यंजन भी कहा जाता है।
अन्तःस्थ व्यंजन
अंतर शब्द के अर्थ होता है अंदर का, भीतर रहने वाला अथवा मध्य में रहने वाला इत्यादि होते हैं। अन्तःस्थ व्यंजन, स्वर और व्यंजन के बीच उच्चारित किए जाते हैं। अन्तःस्थ व्यंजनों के उच्चारण के समय जीभ, मुंह के किसी भी हिस्से को अधिक नहीं छूती है। अंतस्थ व्यंजन चार प्रकार के होते हैं – य, र, ल और व हैं। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय प्राणवायु अन्य व्यंजन के उच्चारण की तुलना में मुख से काफी कम निकलती है। इन चारों व्यंजनों को स्पर्शहीन वर्ण के नाम से भी जाना जाता है।
श्वास के आधार पर –
हिंदी व्याकरण के अनुसार श्वास के आधार पर व्यंजनों को दो भागों में विभाजित किया गया है –
- अल्पप्राण
- महाप्राण
अल्पप्राण –
अल्पप्राण व्यञ्जन वह व्यञ्जन होते हैं जिन वर्णों के उच्चारण में श्वास (अर्थात प्राण वायु) की मात्रा कम प्रयोग होती है। अल्प्राण व्यंजन के अंतर्गत हिंदी वर्णमाला के 20 वर्णों को शामिल किया गया है। इन वर्णों में हर वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर, अन्तःस्थ व्यंजन तथा द्विगुण या उच्छिप्त वर्ण शामिल किए जाते हैं। जैसे – क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, य, र, ल, व, ड़।
अल्पप्राण व्यंजनों को याद रखने का आसान तरीक़ा – हर वर्ग का 1, 3, 5 अक्षर – अन्तस्थ – द्विगुण या उच्छिप्त
महाप्राण –
ऐसे व्यञ्जन जिनको बोलने में अधिक प्रत्यन करना पड़ता है और बोलते समय मुख से अधिक वायु निकलती है, उन्हें महाप्राण व्यञ्जन कहते हैं। महाप्राण व्यंजनों में हिंदी वर्णमाला के कुल 14 वर्ण रखे जाते है। जिनमें वर्णमाला के प्रत्येक वर्ण वर्ग के दूसरे और चौथे व्यंजन, चारों उष्म व्यञ्जन तथा एक उच्छिप्त व्यञ्जन को शामिल किया गया है। जैसे – ख, घ, छ, झ, ठ, थ, ध, फ, भ, श, ष, स, ह तथा ढ़।
महाप्राण व्यंजनों को याद रखने का आसान तरीका – वर्ग का 2, 4 अक्षर – उष्म व्यञ्जन – एक उच्छिप्त व्यञ्जन
स्वर तंत्रिकाओं के आधार पर –
हिंदी वर्णमाला में संपूर्ण स्वर और व्यंजन वर्णों को कंपन के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया हैं।
- घोष व्यंजन
- अघोष व्यंजन
घोष व्यंजन –
ऐसे वर्ण जिनको उच्चारित करने के दौरान स्वर तंत्रिका में कंपन उत्पन्न होती है, वे घोष व्यंजन या सघोष व्यंजन कहा जाता है। घोष व्यंजनों का उच्चारण करते समय प्रायः गले की स्वर तंत्रिकाओं में कंपन होता है।
घोष अथवा सघोष व्यंजन में सभी स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ तथा वर्णमाला के प्रत्येक वर्ग के 3, 4, और 5 व्यंजन – ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म तथा अन्तस्थ व्यंजन य, र, ल, व तथा उष्म व्यंजन ह शामिल हैं।
याद रखने का तरीका – सभी स्वर, प्रत्येक वर्ग का तृतीय, चतुर्थ और पंचम वर्ण तथा अंतःस्थ और उष्म व्यंजन का ह।
अघोष व्यंजन
जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन नहीं होता, वे अघोष कहलाते हैं। अघोष व्यंजन के अंतर्गत प्रत्येक वर्ण वर्ग का पहला और दूसरा व्यंजन – क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ तथा उष्म व्यंजन के श, ष, स आते है।
याद रखने का तरीका – प्रत्येक वर्ग का प्रथम और द्वितीय वर्ण तथा उष्म व्यंजन के श, ष और स।
इसके अलावे व्यंजन के भेद में संयुक्त व्यंजन को भी शामिल किया गया है।
संयुक्त व्यंजन –
जो व्यंजन दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल से बनते हैं उन्हें संयुक्त व्यंजन कहा जाता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि संयुक्त व्यंजन में जो पहला व्यंजन होता है वो हमेशा स्वर रहित होता है और इसके विपरीत दूसरा व्यंजन हमेशा स्वर सहित होता है।
संयुक्त व्यंजन के प्रकार
क्+ष्+अ = क्ष
त्+र्+अ = त्र
ज्+ञ+अ = ज्ञ
श्+र्+अ = श्र
कुछ महत्पूर्ण प्रश्न –
प्रश्न 1 – व्यंजन किसे कहते हैं?
उत्तर – ‘व्यज्यते वर्णान्तर-संयोगेन् द्योत्यते ध्वनिविशेशो येन तद् व्यञ्जनम्’ अर्थात ऐसे वर्ण जो स्वयं उच्चारित न हो कर स्वर वर्णों की सहायता से उच्चारित होते हैं, व्यंजन कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि व्यंजन वर्णों को बोलते समय स्वर वर्णों की सहायता लेनी पड़ती है। अर्थात प्रत्येक व्यंजन वर्ण के उच्चारण में एक स्वर वर्ण होता है। यह भी कहा जा सकता है कि स्वरों के बिना व्यंजन का उच्चारण नहीं किया जा सकता।
सरल शब्दों में कहें, तो हिंदी वर्णमाला के ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से नहीं हो पता, यानी की जिन वर्णों का उच्चारण करने के लिए स्वरों की आवश्यकता पड़ती है वह व्यंजन कहलाते हैं।
प्रश्न 2 – व्यंजन के भेद अथवा व्यंजनों का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जाता है?
उत्तर – हिंदी व्याकरण में व्यंजनों को अलग-अलग आधार पर वर्गीकृत किया जाता है –
जैसे –
उच्चारण के स्थान के आधार पर
अध्ययन के आधार पर
श्वास के आधार पर
स्वर तंत्रिकाओं के आधार पर
प्रश्न 3 – उच्चारण के स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – उच्चारण के स्थान का अर्थ है, वर्णों के उच्चारण के दौरान मुख के अलग-अलग हिस्सों या अंगों का प्रयोग होना। जैसे – कंठ, तालु, दांत, नासिक आदि। हिंदी व्याकरण में व्यंजनों को उच्चारण के स्थान के आधार पर सात भागों में बांटा गया है।
अच्छे से समझने के लिए तालिका को देखें –
व्यंजनों के भेद उच्चारण स्थान व्यंजन
1 कण्ठ्य व्यंजन कंठ क, ख, ग, घ और ङ
2 तालव्य व्यंजन तालु च, छ, ज, झ, ञ, श और य
3 मूर्धन्य व्यंजन मूर्धा ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़, र और ष
4 दन्त्य व्यंजन दन्त त, थ, द, ध, न, ल और स
5 ओष्ठ्य व्यंजन ओष्ठ प, फ, ब, भ और म
6 दंतोष्ठ्य व्यंजन दन्त और ओष्ठ व
7 अलिजिह्वा व्यंजन स्वर यंत्र ह
प्रश्न 4 – स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं?
उत्तर – व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के विभिन्न भागों या अंगों जैसे कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या होठ को स्पर्श करती है, वे स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं। स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या क से म तक अर्थात 25 है। उन्हें पाँच वर्गों में विभाजित किया गया है, और प्रत्येक वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं।
कवर्ग (क, ख, ग, घ, ङ)
चवर्ग (च, छ, ज, झ, ञ)
टवर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण)
तवर्ग (त, थ, द, ध, न)
पवर्ग (प, फ ब, भ, म)
प्रश्न 5 – उष्म व्यंजन किसे कहते हैं?
उत्तर – उष्म का अर्थ होता है – गर्म। वे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय मुख से ऊष्म अर्थात गर्म वायु बाहर की ओर निकलती है, उन सभी वर्णों को उष्म व्यंजन कहा जाता हैं। हिंदी वर्णमाला में ऊष्म व्यंजनों की संख्या 4 है। वे हैं – स, श, ष और ह। इन व्यंजनों को संघर्षी व्यंजन भी कहा जाता है।
प्रश्न 6 – अन्तःस्थ व्यंजन का वर्णन कीजिए।
उत्तर – अंतर शब्द के अर्थ होता है अंदर का, भीतर रहने वाला अथवा मध्य में रहने वाला इत्यादि होते हैं। अन्तःस्थ व्यंजन, स्वर और व्यंजन के बीच उच्चारित किए जाते हैं। अन्तःस्थ व्यंजनों के उच्चारण के समय जीभ, मुंह के किसी भी हिस्से को अधिक नहीं छूती है। अंतस्थ व्यंजन चार प्रकार के होते हैं – य, र, ल और व हैं। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय प्राणवायु अन्य व्यंजन के उच्चारण की तुलना में मुख से काफी कम निकलती है। इन चारों व्यंजनों को स्पर्शहीन वर्ण के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 7 – अल्पप्राण और महाप्राण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – अल्पप्राण-अल्पप्राण व्यञ्जन वह व्यञ्जन होते हैं जिन वर्णों के उच्चारण में श्वास (अर्थात प्राण वायु) की मात्रा कम प्रयोग होती है। अल्प्राण व्यंजन के अंतर्गत हिंदी वर्णमाला के 20 वर्णों को शामिल किया गया है। इन वर्णों में हर वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर, अन्तःस्थ व्यंजन तथा द्विगुण या उच्छिप्त वर्ण शामिल किए जाते हैं। जैसे – क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, य, र, ल, व, ड़।
महाप्राण-ऐसे व्यञ्जन जिनको बोलने में अधिक प्रत्यन करना पड़ता है और बोलते समय मुख से अधिक वायु निकलती है, उन्हें महाप्राण व्यञ्जन कहते हैं। महाप्राण व्यंजनों में हिंदी वर्णमाला के कुल 14 वर्ण रखे जाते है। जिनमें वर्णमाला के प्रत्येक वर्ण वर्ग के दूसरे और चौथे व्यंजन, चारों उष्म व्यञ्जन तथा एक उच्छिप्त व्यञ्जन को शामिल किया गया है। जैसे – ख, घ, छ, झ, ठ, थ, ध, फ, भ, श, ष, स, ह तथा ढ़।
प्रश्न 8 – घोष व्यंजन और अघोष व्यंजन क्या है?
उत्तर – घोष व्यंजन – ऐसे वर्ण जिनको उच्चारित करने के दौरान स्वर तंत्रिका में कंपन उत्पन्न होती है, वे घोष व्यंजन या सघोष व्यंजन कहा जाता है। घोष व्यंजनों का उच्चारण करते समय प्रायः गले की स्वर तंत्रिकाओं में कंपन होता है। घोष अथवा सघोष व्यंजन में सभी स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ तथा वर्णमाला के प्रत्येक वर्ग के 3, 4, और 5 व्यंजन – ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म तथा अन्तस्थ व्यंजन य, र, ल, व तथा उष्म व्यंजन ह शामिल हैं।
अघोष व्यंजन –
जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन नहीं होता, वे अघोष कहलाते हैं। अघोष व्यंजन के अंतर्गत प्रत्येक वर्ण वर्ग का पहला और दूसरा व्यंजन – क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ तथा उष्म व्यंजन के श, ष, स आते है।
प्रश्न 9 – संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं?
उत्तर – जो व्यंजन दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल से बनते हैं उन्हें संयुक्त व्यंजन कहा जाता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि संयुक्त व्यंजन में जो पहला व्यंजन होता है वो हमेशा स्वर रहित होता है और इसके विपरीत दूसरा व्यंजन हमेशा स्वर सहित होता है।
संयुक्त व्यंजन के प्रकार
क्+ष्+अ = क्ष
त्+र्+अ = त्र
ज्+ञ+अ = ज्ञ
श्+र्+अ = श्र
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FAQ’s –
प्रश्न 1 – हिंदी वर्णमाला में मुख्य व्यंजन कितने हैं?
उत्तर – हिंदी वर्णमाला में मुख्य व्यंजन कुल 33 होते हैं।
प्रश्न 2 – व्यंजन की परिभाषा क्या हैं?
उत्तर – ‘व्यज्यते वर्णान्तर-संयोगेन् द्योत्यते ध्वनिविशेशो येन तद् व्यञ्जनम्’ अर्थात ऐसे वर्ण जो स्वयं उच्चारित न हो कर स्वर वर्णों की सहायता से उच्चारित होते हैं, व्यंजन कहलाते हैं।
प्रश्न 3 – उच्चारण के स्थान के आधार पर व्यंजनों के कितने भेद हैं?
उत्तर – उच्चारण के स्थान के आधार पर व्यंजनों के कुल सात भेद हैं – कण्ठ्य व्यंजन, तालव्य व्यंजन, मूर्धन्य व्यंजन, दन्त्य व्यंजन, ओष्ठ्य व्यंजन, दंतोष्ठ्य व्यंजन और अलिजिह्वा व्यंजन।
प्रश्न 4 – स्पर्श व्यंजनों की संख्या कितनी है?
उत्तर – स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या क से म तक अर्थात 25 है।
प्रश्न 5 – उष्म व्यंजनों में कौन-कौन से वर्ण आते हैं?
उत्तर – हिंदी वर्णमाला में ऊष्म व्यंजनों की संख्या 4 है। वे हैं – स, श, ष और ह।
प्रश्न 6 – अंतस्थ व्यंजन कितने प्रकार के हैं?
उत्तर – अंतस्थ व्यंजन चार प्रकार के होते हैं – य, र, ल और व हैं। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय प्राणवायु अन्य व्यंजन के उच्चारण की तुलना में मुख से काफी कम निकलती है।
प्रश्न 7 – श्वास के आधार पर व्यंजन के कितने भेद हैं?
उत्तर – हिंदी व्याकरण के अनुसार श्वास के आधार पर व्यंजनों को दो भागों में विभाजित किया गया है –
अल्पप्राण
महाप्राण
प्रश्न 8 – अल्प्राण व्यंजन के अंतर्गत हिंदी वर्णमाला के कितने और कौन से वर्णों को शामिल किया गया है?
उत्तर – अल्प्राण व्यंजन के अंतर्गत हिंदी वर्णमाला के 20 वर्णों को शामिल किया गया है। इन वर्णों में हर वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर, अन्तःस्थ व्यंजन तथा द्विगुण या उच्छिप्त वर्ण शामिल किए जाते हैं। जैसे – क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, य, र, ल, व, ड़।
प्रश्न 9 – महाप्राण व्यंजन को याद रखने का तरीका क्या है?
उत्तर – महाप्राण व्यंजनों को याद रखने का आसान तरीका – वर्ग का 2, 4 अक्षर – उष्म व्यञ्जन – एक उच्छिप्त व्यञ्जन।
प्रश्न 10 – स्वर तंत्रिकाओं के आधार पर व्यंजन के कितने भेद हैं?
उत्तर – हिंदी वर्णमाला में संपूर्ण स्वर और व्यंजन वर्णों को कंपन के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया हैं।
घोष व्यंजन
अघोष व्यंजन
प्रश्न 11 – घोष अथवा सघोष व्यंजन में कौन से वर्ण शामिल हैं?
उत्तर – घोष अथवा सघोष व्यंजन में सभी स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ तथा वर्णमाला के प्रत्येक वर्ग के 3, 4, और 5 व्यंजन – ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म तथा अन्तस्थ व्यंजन य, र, ल, व तथा उष्म व्यंजन ह शामिल हैं।
प्रश्न 12 – अघोष व्यंजन के अंतर्गत कौन से व्यंजन आते हैं?
उत्तर – अघोष व्यंजन के अंतर्गत प्रत्येक वर्ण वर्ग का पहला और दूसरा व्यंजन – क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ तथा उष्म व्यंजन के श, ष, स आते है।
प्रश्न 13 – संयुक्त व्यंजन के प्रकार बताइए।
उत्तर – संयुक्त व्यंजन के प्रकार – क्ष, त्र, ज्ञ और श्र।
प्रश्न 14 – संयुक्त व्यंजन क्ष किन वर्णों के मेल से बना है?
उत्तर – क्+ष्+अ = क्ष
प्रश्न 15 – संयुक्त व्यंजन श्र किन वर्णों के मेल से बना है?
उत्तर – श्+र्+अ = श्र