essay on rainy season in hindi

 

Hindi Essay and Paragraph Writing – Rainy Season (वर्षा ऋतु) for classes 1 to 12

 

वर्षा ऋतु पर निबंध – इस लेख में हम वर्षा ऋतु कब होती है, वर्षा ऋतु का महत्व, वर्षा ऋतु से क्या लाभ है के बारे में जानेंगे। भारत की ऋतुओं में से वर्ष की सबसे अधिक प्रतीक्षित ऋतुओं में से एक वर्षा ऋतु है। इसे ‘मानसून सीजन’ भी कहते है। वर्षा होने से ही किसानों के लिए खेती हेतु पानी मिलता है और फसलें विकसित होती हैं। वर्षा होने से चारों तरफ हरियाली छा जाती है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में वर्षा ऋतु पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में वर्षा ऋतु पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।

 

वर्षा ऋतु पर 10 लाइन 10 lines on Rainy Season in Hindi

 

  1. वर्षा ऋतु भारत की चार प्रमुख ऋतुओं में से एक है।
  2. वर्षा ऋतु का आगमन ग्रीष्म ऋतु के बाद होता है।
  3. आषाढ़, सावन, भादो और आश्विन (जून से लेकर सितंबर तक) चार महीने वर्षा ऋतु के होते हैं।
  4. वर्षा ऋतु के आगमन से लोगो को गर्मी से राहत मिलती है।
  5. वर्षा ऋतु से भूमि का जल स्तर वापस से सामान्य होता है।
  6. वर्षा ऋतु से कृषि में फसलों की सिंचाई में मदद मिलती है।
  7. वर्षा ऋतु के दौरान सभी जगह हरियाली ही हरियाली हो जाती है और भूमि से नए-नए पौधे उगते है।  
  8. वर्षा ऋतु में नदी-नाले, तालाब-कुएँ, पोखर आदि वर्षा के जल से भर जाते हैं। 
  9. वर्षा ऋतु का मौसम बहुत ही सुहावना और आनंद दायक होता है।  
  10. वसंत ऋतु यदि ऋतुओं का राजा है तो वर्षा ऋतुओं की रानी होती है।

 

 

Short Essay on Rainy Season in Hindi वर्षा ऋतु पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

 

वर्षा ऋतु पर निबंध – वर्षा ऋतु भारत की ऋतुओं में से वर्ष की सबसे अधिक प्रतीक्षित ऋतुओं में से एक है। पूरे भारत में वर्षा ऋतु की शुरुआत गर्मी के बाद जुलाई से होकर सितम्बर तक चलती है। ये ऋतु असहनीय गर्मी से परेशान हो रहे जीव-जन्तु, लोग आदि के लिए एक राहत की फुहार लेकर आती है और सभी के लिए पूरे वातावरण को खुशनुमा बना देती है।

 

वर्षा ऋतु पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

गर्मी ऋतु के बाद वर्षा ऋतु आती है। जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर चार महीने वर्षा ऋतु के हैं। इस ऋतु के  दौरान बादल गरजते हैं, बिजली कड़कती है, और फिर वर्षा होती है। पानी बरसने की रिमझिम आवाज बहुत अच्छी लगती है। वर्षा के कारण चारों तरफ हरियाली छा जाती है। पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं। बागों में मोर नाचते हैं और कोयल कूकती है। किसान खेती के काम में जुट जाते हैं। वर्षा के जल से नदी-नाले, तालाब-कुएँ, पोखर आदि सब भर जाते हैं। रात्रि में वर्षा के कारण घना अंधकार हो जाता है। जिसके कारण चांद और तारे दिखाई नहीं पड़ते है। 

 

 

वर्षा ऋतु पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

वर्षा ऋतु, जो ग्रीष्म ऋतु के बाद आती है, भारत की चार प्रमुख ऋतुओं में से एक है। यह ऋतु पर्यावरण में अनेक प्रकार के परिवर्तन लाती है। यह जून-जुलाई की भीषण गर्मी से राहत देती है, क्योंकि इस मौसम में भारी वर्षा होती है। जिसके कारण वातावरण का तापमान कुछ हद तक गिर जाता है, जिससे सभी को गर्मी से राहत मिलती है। वृक्षों में नए पत्ते और फूल आने लगते हैं। खेत खलियान हरे-भरे हो जाते हैं। वर्षा के कारण प्रकृति का रूप निखर जाता है। वायु में शीतलता छा जाती है, प्राणियों में एक नया उत्साह और नयी उमंग भर जाती है। जैसे-जैसे तापमान घटता है, मौसम और भी सुहावना हो जाता है। इस मौसम में अच्छी वर्षा होती है, तो फसलें अच्छी हो जाती है। पशुओं के लिए चारा मिल जाता है। तालाब, नदी, नालों में पानी भर जाता है जो सारे वर्ष मनुष्यों के काम आता है। ग्रीष्म का प्रचंड ताप दूर हो जाता है। ऋतु सुखद और स्वास्थ्यवर्धक हो जाती है। 

 

 

वर्षा ऋतु पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

वर्षा ऋतु साल का एक अनमोल समय है जो आनंद, राहत और ताजगी लाता है। इसके आगमन से मौसम में बदलाव का संकेत मिलता है, क्योंकि प्रकृति खुद को फिर से जीवंत कर लेती है। साथ ही यह पिछले गर्मी के महीनों में पड़ने वाली चिलचिलाती गर्मी से राहत देती है। जैसे ही पहली बारिश की बूंदे आसमान से गिरती है, हवा में तुरंत राहत और ताजगी का एहसास होता है। तापमान में गिरावट आ जाती है। आकाश धूल रहित हो जाता है। वृक्ष धुल जाते है, वायु में शीतलता छा जाती है, सभी प्राणियों में एक नया उत्साह और नयी उमंग भर जाती है। वनों, पहाड़ों, घाटियों और उद्यानों की शोभा तो सहस्त्र गुनी हो जाती है। खेतों में मकई, ज्वार, बाजरा, तिल और धान की फसलें लहलहा जाती हैं। सभी जगह हरियाली ही हरियाली हो जाती है। इसके अलावा, इस ऋतु में खुशी में मोर भी अपने खूबसूरत रंग-बिरंगे पंख फैला कर नाचने लगता है, मेंढक भी टरटराने लगता है। चारों तरफ हरे-भरे घास उग आते हैं, जिससे पशुओं के लिए चारा मिल जाता है। इस ऋतु के कारण पानी के हर एक स्रोत में पानी का स्तर बढ़ जाता है। नदी नाले, कुंए सब में पानी भर जाता है। लोग पके हुए आम को खाने का आनंद लेते हैं। कुल मिलाकर, बरसात का मौसम एक बहुप्रतीक्षित अवधि है जो अपने साथ जीवन और प्रेरणा का एक नया एहसास लेकर आती है।

 

 

वर्षा ऋतु पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

मनमोहिनी प्रकृति के अनेक रूप हैं। अपने इन रूपों से वह मानव मन को हर्षित करती है, उमंग से भर देती है और नवीन स्फूर्ति से प्रेरित करती है। प्रकृति के इन रूपों में वर्षा ऋतु का रूप विशेष आनंदप्रद और मनभावन है। वसन्त यदि ऋतुओं का राजा है तो वर्षा ऋतुओं की रानी है। वर्षा ऋतु को ‘चौमासा’ भी कहते हैं; क्योंकि इसका आरम्भ आषाढ़ मास में हो जाता है और यह आश्विन तक रहती है। जिस प्रकार कठिन तपस्या, कठोर संयम तथा त्याग से किसी व्यक्ति को महत्ता और गौरव आदि प्राप्त होते हैं, उसी प्रकार वसुंधरा ग्रीष्म सूर्य के असह्य ताप को सहन कर इस ऋतु को प्राप्त करती है। जब संसार के प्राणी ग्रीष्म ऋतु की विकरालता से व्यथित हो, आकाश की ओर टकटकी लगाकर बादलों के दर्शनों के लिए तड़पते हैं; तब प्राणियों की व्यथा से दुःखी बादल की गर्जना सुनाई पड़ती है। आँधी के साथ-साथ बड़ी-बड़ी बूंदे टप-टप करके गिरने लगती है और बड़े जोर से मेघ बरसने लगता है। आकाश धूल रहित हो जाता है। वायु में शीतलता छा जाती है, प्राणियों में एक नया उत्साह और नयी उमंग भर जाती है। कभी नन्ही-नन्ही बौछार पड़ती है तो कभी घनघोर वर्षा होती है। वर्षा के कारण प्रकृति का रूप निखर जाता है। जिधर देखो उधर ही हरी मखमल जैसे कोमल घास से आच्छादित पृथ्वी दृष्टिगोचर होती है। वर्षा ऋतु में पपीहे की ‘पी-पी’ और मोर का नाच वरबस हृदय को आकृष्ट कर लेते हैं। वनों, पहाड़ों और उद्यानों की शोभा तो सहस्त्रगुणी हो जाती है। खेतों में लगी फसलें लहलहा जाती हैं। वर्षा में रात्रि का अन्धकार घना हो जाता है। चंद्रमा और तारे दिखाई नहीं पड़ते। जब वर्षा की झड़ी लगती है और घनघोर घटाएँ उमड़-उमड़ कर आकाश में छा जाती हैं, यह ऋतु प्रत्येक के हृदय में मस्ती, उमंग और आनन्दमयी स्फूर्ति का संचार कर देती है। ऐसी सुन्दर सुखद वर्षा-ऋतु भी कुछ दोषों का कारण होती है। वर्षा के कारण अनेक विषैले कीड़े-मकोड़े उत्पन्न हो जाते हैं, जो मनुष्यों को बड़ी हानियाँ पहुंचाते हैं। इसी प्रकार बाढ़ आने से नदियों का रूप उग्र और भयंकर हो जाता है। इसके कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं। फिर भी यह ऋतु आनन्द और अन्त-धन से समृद्ध करने के कारण स्वागत योग्य है।