रहीम के दोहे पाठ सार

 

CBSE Class 6 Hindi Chapter 5 “Rahim Ke Dohe”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Malhar Book

 

रहीम के दोहे सार – Here is the CBSE Class 6 Hindi Malhar Chapter 5 Rahim Ke Dohe Summary with detailed explanation of the lesson ‘Rahim Ke Dohe’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary

 इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 6 हिंदी मल्हार के पाठ 5 रहीम के दोहे पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप  इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 6 रहीम के दोहे पाठ के बारे में जानते हैं।

 

 

Rahim Ke Dohe  (रहीम के दोहे)

 

रहीम (अब्दुर्रहिम खानखाना) हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक थे। वे अपने दोहों के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों, नैतिकता, परोपकार, प्रेम, विनम्रता, और व्यवहारिक ज्ञान को सरल एवं प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते हैं। उनके दोहे संक्षिप्त होते हुए भी गहरे अर्थ रखते हैं और जीवन में सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

इन दोहों में रहीम ने व्यावहारिक ज्ञान और नैतिक शिक्षाएँ दी हैं, जो आज भी लागू होती हैं। 

 

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रहीम के दोहे  पाठ का सार Rahim Ke Dohe Summary

रहीम के दोहे जीवन के गहरे अनुभवों और नैतिक मूल्यों को सरल शब्दों में बताते हैं। वे बताते हैं कि हर व्यक्ति और वस्तु का अपना महत्व होता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। किसी भी वस्तु या व्यक्ति को व्यर्थ नहीं समझना चाहिए, क्योंकि हर एक की अपनी उपयोगिता होती है। वे परोपकार की भावना को भी महत्व देते हैं और समझाते हैं कि जिस तरह वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते और तालाब अपना पानी खुद नहीं पीते, वैसे ही बुद्धिमान व्यक्ति अपनी संपत्ति का उपयोग केवल अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए करते हैं।

रहीम प्रेम के रिश्तों को एक नाज़ुक धागे की तरह मानते हैं और बताते हैं कि इन्हें तोड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि एक बार टूटने के बाद वे पहले जैसे नहीं रह पाते। वे विनम्रता को मनुष्य का सबसे महत्वपूर्ण गुण मानते हैं और बताते हैं कि जैसे मोती की चमक ही उसका मूल्य बढ़ाती है, वैसे ही मनुष्य की विनम्रता ही उसे श्रेष्ठ बनाती है। बिना विनम्रता के व्यक्ति का कोई वास्तविक मूल्य नहीं होता।

रहीम विपत्ति को भी जीवन का एक आवश्यक अनुभव मानते हैं और कहते हैं कि थोड़े समय की कठिनाइयाँ अच्छी होती हैं, क्योंकि वे सच्चे मित्र और शत्रु की पहचान कराती हैं। वे हमें सोच-समझकर बोलने की सलाह देते हैं, क्योंकि जुबान से निकले शब्द कभी-कभी बहुत बड़ी मुसीबत का कारण बन सकते हैं। अंत में, वे बताते हैं कि संपत्ति के समय तो बहुत लोग साथ आते हैं, लेकिन सच्चा मित्र वही होता है जो कठिन समय में भी साथ निभाता है।

इन दोहों के माध्यम से रहीम हमें सही आचरण, परोपकार, प्रेम, विनम्रता, धैर्य और सच्ची मित्रता का महत्व सिखाते हैं, जो आज भी हमारे जीवन में उतने ही जरूरी हैं।

 

रहीम के दोहे का भावार्थ Rahim Ke Dohe Explanation

 

1
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।

शब्दार्थ-
रहिमन – रहीम (कवि का नाम)
देखि – देखकर
बड़ेन – बड़े लोगों को
लघु – छोटा, तुच्छ
न दीजिये डारि – मत छोड़िए, त्याग मत कीजिए
काम आवे – उपयोग में आता है
कहा करे तलवारि – तलवार क्या कर सकती है (तलवार से सिलाई नहीं हो सकती)

भावार्थ- किसी भी छोटी चीज़ को बेकार मत समझिए, क्योंकि हर चीज़ का अपना महत्व होता है। जैसे कि जब सिलाई करनी हो तो सुई की ही जरूरत होती है, तलवार से वह काम नहीं हो सकता।
अर्थात् बड़ों का साथ मिलने पर छोटों को नहीं भूलना चाहिए। सभी का अपना एक अलग महत्त्व है।  

 

2
तरुवर फल नहिं खात हैं सरवर पियहिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।

शब्दार्थ-
तरुवर – वृक्ष (पेड़)
फल नहिं खात हैं – अपने फल खुद नहीं खाते
सरवर – तालाब
पियहिं न पान – अपना पानी खुद नहीं पीते
कहि रहीम – रहीम कहते हैं
पर काज हित – दूसरों के हित के लिए
संपति सँचहि सुजान – बुद्धिमान लोग धन-संपत्ति को इकट्ठा परोपकार के लिए करते हैं

भावार्थ- रहीम के अनुसार पेड़ अपने फल खुद नहीं खाते, तालाब अपना पानी खुद नहीं पीते। इसी तरह, समझदार लोग अपनी संपत्ति दूसरों की भलाई के लिए रखते हैं, न कि सिर्फ अपने लिए।
कहने का तात्पर्य यह है कि प्रकृति एक जैसी भावना से बिना किसी लालच के सभी को लाभ पहुँचाती है, उसी तरह मनुष्य का स्वभाव भी परोपकारी होना चाहिए अर्थात् दूसरों के हित के लिए होना चाहिए। 

 

3
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।

शब्दार्थ-
छिटकाय – झटके से खींचकर
टूटे से फिर ना मिले – टूटने के बाद पहले जैसा नहीं जुड़ता
मिले गाँठ परि जाय – यदि जोड़ भी लिया जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है

भावार्थ- प्रेम एक नाज़ुक धागे की तरह होता है, इसे तोड़ना नहीं चाहिए। यदि यह धागा टूट जाता है, तो उसे फिर से जोड़ना मुश्किल होता है और जोड़ने पर भी उसमें गाँठ पड़ जाती है, यानी रिश्ता पहले जैसा नहीं रहता।
कहने का तात्पर्य यह है कि लोगों के साथ प्रेम के रिश्ते रखने चाहिए यदि रिश्ता ख़राब होता है तो जितना भी सुधार लो कहीं न कहीं कुछ मनमुटाव रह ही जाता है। 

 

4
रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।। 

शब्दार्थ-
पानी राखिये – पानी (सम्मान, विनम्रता, जल) बनाए रखो
बिनु पानी सब सून – पानी के बिना सब कुछ व्यर्थ हो जाता है
पानी गए न ऊबरै – पानी (सम्मान, विनम्रता, जल) एक बार चला जाए तो वापस नहीं आता
चून – आटा

भावार्थ- जीवन में पानी का महत्व सबसे ज्यादा है। पानी के बिना सब कुछ व्यर्थ हो जाता है। चाहे वह मोती हो, इंसान हो, या आटा (चून), पानी के बिना इनका कोई अस्तित्व नहीं रहता।
अन्य शब्दों में रहीम ने ‘पानी’ शब्द को तीन अलग-अलग अर्थों में प्रयोग किया है। पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में ‘विनम्रता’ से है—मनुष्य को सदैव विनम्र रहना चाहिए, क्योंकि विनम्रता ही उसके व्यक्तित्व को श्रेष्ठ बनाती है। दूसरा अर्थ मोती की आभा या चमक से जुड़ा है—जिस प्रकार बिना चमक के मोती का कोई मूल्य नहीं होता, वैसे ही सम्मान और प्रतिष्ठा के बिना व्यक्ति का महत्व कम हो जाता है। तीसरा अर्थ जल से संबंधित है, जिसे आटे (चून) के संदर्भ में प्रयोग किया गया है—जिस तरह जल के बिना आटा गूँधा नहीं जा सकता और जीवन संभव नहीं है, उसी प्रकार विनम्रता के बिना मनुष्य का कोई वास्तविक मूल्य नहीं होता। इसलिए, मनुष्य को अपने व्यवहार में हमेशा विनम्रता बनाए रखनी चाहिए।

 

5
रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय।। 

शब्दार्थ-
बिपदाहू – विपत्ति (मुसीबत)
भली – अच्छी
थोरे दिन होय – थोड़े समय की
हित अनहित – अच्छे और बुरे, लाभ और हानि
जगत में – संसार में
जानी परत – जानने पर (समझने पर)
सब कोय – सभी लोग

भावार्थ- अगर विपत्ति (मुसीबत) थोड़े समय की हो, तो वह अच्छी होती है, क्योंकि इससे यह पता चलता है कि हमारे सच्चे दोस्त और शत्रु कौन हैं। मुसीबत में ही लोगों की असली पहचान होती है।
अर्थात् मुसीबत के समय में ही सबके बारे में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा अच्छा चाहता है और कौन दिखावा करता है।

 

6
रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल।
आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल।। 

शब्दार्थ-
जिह्वा – जीभ
बावरी – बावली, मूर्ख, पागल
कहि गइ – कह गई
सरग पताल – स्वर्ग और नर्क (स्वर्ग और नर्क दोनों ही हो सकते हैं)
आपु – खुद
कहि भीतर रही – भीतर ही कहे रहती है (चुपचाप कहती रहती है)
खात – खाती
कपाल – सिर

भावार्थ- हमारी जुबान बहुत विचित्र होती है। यह कुछ भी कह सकती है, जिससे स्वर्ग जैसी खुशी या पाताल जैसी मुसीबत आ सकती है। लेकिन जुबान तो सुरक्षित रहती है, पर इसका बुरा असर हमारे सिर पर (यानी खुद पर) पड़ता है।
कहने का तात्पर्य यह है कि हमें सोच समझकर बोलना चाहिए, अगर हम सोचते नहीं हैं तो जीभ से कुछ भी शब्द निकल जाते हैं और बाद में पछताना पड़ता है। जीभ तो मुँह के अंदर सुरक्षित रहती है पर बुरा बोलने पर जूते हमारे सर पर ही पड़ते हैं। 

 

7
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।

शब्दार्थ-
कहि रहीम – रहीम कहते हैं
संपति – धन
सगे – रिश्तेदार
बनत – बनते हैं, बनाना
बहु रीत – कई तरीके
बिपति – विपत्ति, मुसीबत
कसौटी – कसौटी, परखने का तरीका
जे कसे – जो कसते हैं, जो परखते हैं
ते ही – वही
साँचे – असली, सच्चे
मीत – मित्र, दोस्त

भावार्थ- धन-संपत्ति के समय बहुत से रिश्तेदार और दोस्त साथ आ जाते हैं और कई तरीके से रिश्ता निभाते हैं। लेकिन सच्चे मित्र वही होते हैं जो कठिन समय में हमारे साथ खड़े रहते हैं, क्योंकि विपत्ति ही असली मित्र की पहचान करवाती है।
अर्थात् जब हमारे पास बहुत धन होता है तब बहुत से लोग रिश्ता जोड़ना शुरू कर देते हैं। सोना शुद्ध है या ख़राब, इसकी परख कसौटी पर घिसने से ही होती है। इसी प्रकार मुसीबत के समय में जो हर तरह से साथ देता है, वही सच्चा मित्र होता है।

 

Conclusion

इस पोस्ट में हमने ‘रहीम के दोहे’ नामक कविता का सारांश, दोहों का भावार्थ और शब्दार्थ को विस्तार से समझा। ये दोहे मल्हार पुस्तक में शामिल है और कक्षा 6 हिंदी के पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण भाग है।
रहीम (अब्दुर्रहिम खानखाना) द्वारा रचित दोहों में जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों, नैतिकता, परोपकार, प्रेम, विनम्रता, और व्यवहारिक ज्ञान को सरल एवं प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
इस पोस्ट को पढ़कर विद्यार्थी न केवल दोहों के अर्थ को बेहतर समझ सकेंगे, बल्कि इससे उन्हें परीक्षा में सटीक उत्तर लिखने और महत्वपूर्ण बिंदुओं को याद रखने में भी सहायता मिलेगी।