CBSE Class 6 Hindi Chapter 3 Pehli Boond (पहली बूँद ) Question Answers (Important) from Malhar Book
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मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए-
1. कविता में ‘नव-जीवन की ले अँगड़ाई’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
- बादल
- अंकुर
- बूँद
- पावस
उत्तर- अंकुर (★)
2. ‘नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली- से ये जलघर’ में ‘काली पुतली’ है–
- बारिश की बूँदे
- नगाड़ा
- वृद्ध घरती
- बादल
उत्तर- बादल (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर क्यों चुने?
उत्तर- 1. “नव-जीवन की ले अँगड़ाई” का तात्पर्य नए जीवन की शुरुआत से है। अंकुर का फूटना नए जीवन के जन्म को बताता है, इसलिए यह सबसे उपयुक्त उत्तर है।
2. यहाँ “नीले नयन” आकाश को दर्शाते हैं, और “काली पुतली” से अभिप्राय उन बादलों से है जो आकाश में छाए रहते हैं। काले बादल जल से भरे होते हैं, इसलिए इसे “जलघर” कहा गया है। अतः यह उत्तर सही है।
मिलकर करें मिलान
कविता की कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन पंक्तियों में कुछ शब्द रेखांकित हैं। दाहिनी ओर रेखांकित शब्दों के भावार्थ दिए गए हैं। इनका मिलान कीजिए।
कविता की पंक्तियाँ | भावार्थ |
1. आसमान में उड़ता सागर,
लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर |
1. मेघ-गर्जना |
2. बजा नगाड़ें जगा रहे हैं,
बादल धरती की तरुणाई |
2. बादल |
3. नीले नयनों सा यह अम्बर,
काली पुतली-से ये जलधर। |
3. हरी दूब |
4. वसुंधरा की रोमावलि-सी,
हरी दूब पुलकी-मुसकाई। |
4. आकाश |
उत्तर-
कविता की पंक्तियाँ | भावार्थ |
1. आसमान में उड़ता सागर,
लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर |
2. बादल |
2. बजा नगाड़ें जगा रहे हैं,
बादल धरती की तरुणाई |
1. मेघ-गर्जना |
3. नीले नयनों सा यह अम्बर,
काली पुतली-से ये जलधर। |
4. आकाश |
4. वसुंधरा की रोमावलि-सी,
हरी दूब पुलकी-मुसकाई। |
3. हरी दूब |
पंक्तियों पर चर्चा
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए।
आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए–
- “आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर,
बजा नगाड़े जगा रहे हैं, बादल धरती की तरुणाई।”
- “नीले नयनों सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधरा
‘करुणा-विगलित अश्रु बहाकर, धरती की चिर-प्यास बुझा”
उत्तर- मैंने पंक्तियों को पढ़ा और अपने विचारों की समूह में चर्चा भी की। उन विचारों को मैं यहाँ बता रहा हूँ-
- “आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर,
बजा नगाड़े जगा रहे हैं, बादल धरती की तरुणाई।”
भावार्थ- इन पंक्तियों में वर्षा ऋतु के आगमन को एक बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। वर्षा ऋतु आने पर प्रकृति में हुए बदलाव से आकाश में उड़ते बादल और चमकती बिजलियाँ मानो सुनहरे पंखों से युक्त सागर के समान लग रही हैं। गरजते बादलों की आवाज़ किसी नगाड़े के समान है, जो धरती की यौवनता को जगाने की कोशिश कर रही हैं।
- “नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर,
करुणा-विगलित अश्रु बहाकर, धरती की चिर-प्यास बुझा।”
भावार्थ- नीला आसमान मानो नीले नयनों के जैसा है और उस पर छाए काले बादल उसकी काली पुतलियों जैसे लगते हैं। इन बादलों की करुणा से भरी आँसुओं की वर्षा धरती की बहुत पहले से लगी प्यास को बुझा देती है।
सोच-विचार के लिए
कविता को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
1. बारिश की पहली बूँद से धरती का हर्ष कैसे प्रकट होता है?
2. कविता में आकाश और बादलों को किनके समान बताया गया है?
उत्तर-
1. बारिश की पहली बूँद से धरती का हर्ष कैसे प्रकट होता है?
उत्तर- बारिश की पहली बूँद से धरती का हर्ष प्रकृति के नवजीवन के रूप में प्रकट होता है। पहली बूँद पड़ते ही अंकुर फूट पड़ते हैं, सूखी धरती अमृत समान जल पाकर तृप्त हो जाती है, और हरी दूब प्रसन्न होकर मुस्काने लगती है।
2. कविता में आकाश और बादलों को किनके समान बताया गया है?
उत्तर- कविता में आकाश को नीली आँखों और बादलों को उसकी काली पुतलियों के समान बताया गया है। बादल करुणा से भरकर वर्षा रूपी आँसू बहाते हैं, जिससे धरती की चिर-प्यास बुझ जाती है। उन्हें उड़ते सागर की उपमा भी दी गई है, जो सुनहरी बिजलियों के बीच नगाड़ों की गड़गड़ाहट के साथ धरती के यौवन को जगा रहे हैं।
कविता की रचना
‘आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर’ कविता की इस पंक्ति का सामान्य अर्थ देखें तो समुद्र का आकाश में उड़ना असंभव होता है। लेकिन जब हम इस पंक्ति का भावार्थ समझते हैं तो अर्थ इस प्रकार निकलता है– समुद्र का जल बिजलियों के सुनहरे पंख लगाकर आकाश में उड़ रहा है। ऐसे प्रयोग न केवल कविता की सुंदरता बढ़ाते हैं बल्कि उसे आनंददायक भी बनाते हैं। इस कविता में ऐसे दृश्यों को पहचानें और उन पर चर्चा करें।
उत्तर- कविता में कई पंक्तियाँ हैं जिनमें ऐसे कल्पना से युक्त प्रयोग किए गए हैं, जो इसे सुंदर और प्रभावशाली बनाते हैं। उदाहरण के लिए-
- “धरती के सूखे अधरों पर, गिरी बूँद अमृत-सी आकर” – यहाँ धरती के सूखेपन की तुलना प्यासे होंठों से की गई है, और वर्षा की बूँद को अमृत के समान बताया गया है, जिससे उसकी तृप्ति का भाव उभरता है।
- “बजा नगाड़े जगा रहे हैं, बादल धरती की तरुणाई” – गरजते बादलों की आवाज़ को नगाड़ों की ध्वनि से जोड़ा गया है, जो वर्षा के कारण धरती में नई ऊर्जा और यौवन की शुरुआत कर रहे हैं।
शब्द एक अर्थ अनेक
‘अंकुर फूट पड़ा धरती से, नव-जीवन की ले अँगड़ाई’ कविता की इस पंक्ति में ‘फूटने’ का अर्थ पौधे का अंकुरण है। ‘फूट’ का प्रयोग अलग-अलग अर्थों में किया जाता है, जैसे– फूट डालना, घड़ा फूटना आदि। अब फूट शब्द का प्रयोग ऐसे वाक्यों में कीजिए जहाँ इसके भिन्न-भिन्न अर्थ निकलते हों, जैसे- अंग्रेजों की नीति थी फूट डालो और राज करो।
उत्तर- ‘फूट’ शब्द का प्रयोग-
- खुशी के आँसू उसकी आँखों से फूट पड़े।
- खेत में बीज अंकुरित होकर फूट पड़े।
- आपसी फूट के कारण टीम हार गई।
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
‘नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर’ कविता की इस पंक्ति में ‘जलधर’ शब्द आया है। ‘जलधर’ दो शब्दों से बना है, जल और धर। इस प्रकार जलधर का शाब्दिक अर्थ हुआ जल को धारण करने वाला। बादल और समुद्र; दोनों ही जल धारण करते हैं। इसलिए, दोनों जलधर हैं। वाक्य के संदर्भ या प्रयोग से हम जान सकेंगे कि जलधर का अर्थ समुद्र है या बादल। शब्दकोश या इंटरनेट की सहायता से ‘धर’ से मिलकर बने कुछ शब्द और उनके अर्थ ढूँढकर लिखिए।
उत्तर-
- गिरिधर – पर्वत को धारण करने वाला
- गंगाधर – गंगा को धारण करने वाला
- शूलधर – त्रिशूल धारण करने वाला
- धराधर – पृथ्वी को धारण करने वाला
- शस्त्रधर – शस्त्र धारण करने वाला
- भूधर- भूमि को धारण करने वाला
- चक्रधर – चक्र धारण करने वाला
- धनुर्धर- धनुष धारण करने वाला
शब्द पहेली
दिए गए शब्द-जाल में प्रश्नों के उत्तर खोजें—
न | य | न | ल |
गा | दू | ब | अं |
ड़ा | अ | श्रु | ब |
ज | ल | ध | र |
क. एक प्रकार का वाद्य यंत्र …………………………………..
ख. आँख के लिए एक अन्य शब्द …………………………………..
ग. जल को धारण करने वाला …………………………………..
घ. एक प्रकार की घास …………………………………..
ङ. आँसू का समानार्थी …………………………………..
च. आसमान का समानार्थी शब्द …………………………………..
उत्तर-
क. एक प्रकार का वाद्य यंत्र – नगाड़ा
ख. आँख के लिए एक अन्य शब्द – नयन
ग. जल को धारण करने वाला – जलधर
घ. एक प्रकार की घास – दूब
ङ. आँसू का समानार्थी – अश्रु
च. आसमान का समानार्थी शब्द – अंबर
पाठ से आगे
आपकी बात
- बारिश को लेकर हर व्यक्ति का अनुभव भिन्न होता है। बारिश आने पर आपको कैसा लगता है? बताइए।
- आपको कौन-सी ऋतु सबसे अधिक प्रिय है और क्यों? बताइए!
उत्तर-
- बारिश का अनुभव हर किसी के लिए अलग होता है। मुझे बारिश की पहली फुहार बहुत अच्छी लगती है क्योंकि इससे मिट्टी से उठने वाली सौंधी खुशबू मन को ताजगी से भर देती है। हल्की फुहार में भीगना और बारिश की बूंदों की आवाज़ सुनना बेहद सुकून भरा लगता है। हालांकि, कभी-कभी ज्यादा बारिश होने पर कीचड़ और उमस भी परेशानी पैदा कर सकते हैं।
- मेरी सबसे प्रिय ऋतु शरद ऋतु है क्योंकि इस मौसम में न तो अधिक गर्मी होती है और न ही ठंड ज्यादा कड़ाके की होती है। आकाश साफ़ और नीला होता है, मौसम सुहावना रहता है, और त्योहारों का आनंद भी इसी समय अधिक मिलता है। हल्की ठंडक और ताज़गी भरी हवा मन को प्रसन्न कर देती है।
समाचार माध्यमों से
प्रत्येक मौसम समाचार के विभिन्न माध्यमों (इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट या सोशल मीडिया) के प्रमुख समाचारों में रहता है। संवाददाता कभी बाढ़ तो कभी सूखे या भीषण ठंड के समाचार देते दिखाई देते हैं। आप भी बन सकते हैं संवाददाता या लिख सकते हैं समाचार।
– अत्यधिक गर्मी, सर्दी या बारिश में आपने जो स्थिति देखी है उसका आँखों देखा हाल अपनी कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- आँखों देखा हाल – मूसलाधार बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
मैं आपका संवाददाता, आज उस भारी बारिश की स्थिति का आँखों देखा हाल प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसने शहर की रफ्तार को धीमा कर दिया है। कल दोपहर से ही घने बादल छाए हुए थे, और शाम होते-होते मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। तेज़ बारिश के कारण सड़कों पर पानी भर गया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ। कई इलाकों में जलभराव के कारण वाहन फँस गए और लोगों को पैदल चलने में भी कठिनाइयाँ हुईं।
स्कूल और कार्यालय से घर लौटने वाले लोगों को सबसे अधिक परेशानी हुई। जगह-जगह जलभराव के कारण कुछ बसें और ऑटो बंद हो गए, जिससे यात्रियों को मजबूरन भीगते हुए सफर तय करना पड़ा। निचले इलाकों में कई घरों में पानी घुस गया।
हालांकि, बच्चों के लिए यह बारिश किसी उत्सव से कम नहीं थी। गलियों में खेलते, कागज की नावें तैराते और बारिश में भीगते हुए वे इसका पूरा आनंद लेते दिखे। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में और अधिक बारिश की चेतावनी दी है, जिससे प्रशासन ने सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
सृजन
नाम देना भी सृजन है। ऊपर दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और इसे एक नाम दीजिए।
उत्तर- इस चित्र में रेगिस्तानी वातावरण में उगता हुआ एक पौधा दिख रहा है, जो सूखे और कठोर परिस्थितियों में भी जीवन का प्रतीक है। वैसे यह पौधा रेगिस्तान में उगने वाला लिली है।
Class 6 Hindi Pehli Boond– Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)
निम्नलिखित पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
1
वह पावस का प्रथम दिवस जब,
पहली बूँद धरा पर आई।
अंकुर फूट पड़ा धरती से,
नव-जीवन की ले अँगड़ाई।
1. ‘अंकुर फूट पड़ा’ का क्या अर्थ है?
(क) बीज नष्ट हो गया
(ख) बीज से नया पौधा निकल आया
(ग) धरती सूख गई
(घ) वर्षा रुक गई
उत्तर- (ख) बीज से नया पौधा निकल आया
2. कवि के अनुसार पहली बूँद गिरने से क्या हुआ?
(क) धरती में दरारें पड़ गईं
(ख) गर्मी बढ़ गई
(ग) धरती में पड़ा बीज अंकुरित हो गया
(घ) वर्षा समाप्त हो गई
उत्तर– (ग) धरती में पड़ा बीज अंकुरित हो गया
3. वर्षा की पहली बूँद गिरने पर प्रकृति में क्या बदलाव आया?
उत्तर– वर्षा की पहली बूँद गिरते ही धरती में छिपे बीज जाग उठे और अंकुरित हो गए। यह प्रकृति के नवजीवन का संकेत था, जिससे धरती में नई चेतना और ताजगी आ गई।
4. ‘नव-जीवन की ले अँगड़ाई’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर– इसका तात्पर्य है कि वर्षा की पहली बूँद गिरते ही प्रकृति में एक नई ऊर्जा और जीवन शक्ति का संचार हुआ। अंकुरों का फूटना मानो धरती के नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
5. इस पंक्ति में कवि ने वर्षा की पहली बूँद को किस रूप में बताया है?
उत्तर– कवि ने वर्षा की पहली बूँद को जीवनदायिनी के रूप में बताया है, जो धरती पर गिरते ही उसे नवजीवन प्रदान करती है। यह केवल पानी की बूँद नहीं, बल्कि प्रकृति के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है।
2
धरती के सूखे अधरों पर,
गिरी बूँद अमृत-सी आकर।
वसुंधरा की रोमावलि-सी,
हरी दूब पुलकी-मुसकाई।
पहली बूँद धरा पर आई॥
1. ‘धरती के सूखे अधरों’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) धरती के फटे होंठ
(ख) सूखी और प्यासी धरती
(ग) वर्षा से भरपूर धरती
(घ) उपजाऊ भूमि
उत्तर– (ख) सूखी और प्यासी धरती
2. ‘हरी दूब पुलकी-मुसकाई’ का क्या अर्थ है?
(क) हरी घास मुरझा गई
(ख) हरी घास ने अपनी मुस्कान खो दी
(ग) हरी घास सूख गई
(घ) हरी घास प्रसन्न होकर खिल उठी
उत्तर– (घ) हरी घास प्रसन्न होकर खिल उठी
3. कवि ने वर्षा की पहली बूँद को ‘अमृत-सी’ क्यों कहा है?
उत्तर- कवि ने वर्षा की पहली बूँद को ‘अमृत-सी’ इसलिए कहा है क्योंकि यह बूँद सूखी और प्यासी धरती को नया जीवन प्रदान करती है।
4. ‘वसुंधरा की रोमावलि’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर- ‘वसुंधरा की रोमावलि’ से कवि का तात्पर्य धरती पर उगी हरी दूब (हरी घास) से है, जो मानो धरती के रोम-रोम को बताती है। वर्षा की पहली बूँद गिरते ही यह दूब प्रसन्न होकर खिल उठती है।
5. इस कविता में कवि ने प्रकृति के किस सौंदर्य को दर्शाया है?
उत्तर- इस कविता में कवि ने वर्षा की पहली बूँद के प्रभाव से धरती में आए बदलाव को दर्शाया है।
3
आसमान में उड़ता सागर,
लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर।
बजा नगाड़े जगा रहे हैं,
बादल धरती की तरुणाई।
पहली बूँद धरा पर आई॥
1. ‘आसमान में उड़ता सागर’ का क्या अर्थ है?
(क) समुद्र में उड़ते पक्षी
(ख) आकाश में उड़ते बादल
(ग) वर्षा की बूँदें
(घ) नदी का बहाव
उत्तर- (ख) आकाश में उड़ते बादल
2. ‘बजा नगाड़े जगा रहे हैं’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) बादलों की गर्जना धरती को जगा रही है
(ख) लोग नगाड़े बजा रहे हैं
(ग) वर्षा रुकने वाली है
(घ) बिजली गिरने वाली है
उत्तर– (क) बादलों की गर्जना धरती को जगा रही है
3. ‘बिजलियों के स्वर्णिम पर’ का क्या अर्थ है?
उत्तर- ‘बिजलियों के स्वर्णिम पर’ का अर्थ है आकाश में चमकती हुई सुनहरी बिजली।
4. ‘बिजली’ के कोई दो पर्यायवाची बताइए।
उत्तर– ‘बिजली’ के पर्यायवाची हैं- चंचला और दामिनी।
5. प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बादलों की गर्जना की तुलना किससे की है?
उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बादलों की गर्जना को नगाड़े बजाने से तुलना की है, जो धरती की युवा अवस्था को जगा रही है और वर्षा के आगमन का संकेत दे रही है।
4
नीले नयनों-सा यह अंबर,
काली पुतली-से ये जलधर।
करुणा-विगलित अश्रु बहाकर,
धरती की चिर-प्यास बुझाई।
बूढ़ी धरती शस्य-श्यामला
बनने को फिर से ललचाई।
पहली बूँद धरा पर आई॥
1. ‘नीले नयनों-सा यह अंबर’ में ‘अंबर’ किसे दर्शाता है?
(क) समुद्र
(ख) बादल
(ग) आकाश
(घ) सूर्य
उत्तर- (ग) आकाश
2. ‘बूढ़ी धरती शस्य-श्यामला बनने को फिर से ललचाई’ का क्या अर्थ है?
(क) धरती फिर से बंजर होने वाली है
(ख) धरती फिर से हरी-भरी होने की इच्छा कर रही है
(ग) धरती सूखने लगी है
(घ) धरती पर पेड़-पौधे समाप्त हो रहे हैं
उत्तर- (ख) धरती फिर से हरी-भरी होने की इच्छा कर रही है
3. ‘करुणा-विगलित अश्रु बहाकर’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर– इसका तात्पर्य है कि बादल दया और करुणा से पिघलकर वर्षा रूपी आँसू बरसा रहे हैं, जिससे धरती की लंबे समय से चली आ रही प्यास बुझ रही है।
4. जलधर के दो पर्यायवाची शब्द बताइए।
उत्तर– जलधर के पर्यायवाची शब्द मेघ और पयोद हैं।
5. इस कविता में धरती को ‘बूढ़ी’ और ‘शस्य-श्यामला’ क्यों कहा गया है?
उत्तर– धरती को ‘बूढ़ी’ इसलिए कहा गया है क्योंकि वह गर्मी और सूखे के कारण निर्जीव हो गई थी, लेकिन वर्षा की पहली बूँद गिरते ही वह फिर से ‘शस्य-श्यामला’ यानी हरी-भरी होने के लिए इच्छा कर रही है।
Class 6 Hindi Malhar Lesson 3 Pehli Boond Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
1. “अंकुर फूट पड़ा धरती से” पंक्ति का सही अर्थ क्या है?
(क) धरती में दरारें पड़ गईं
(ख) बीज से नया पौधा निकल आया
(ग) नदी सूख गई
(घ) पेड़ गिर गए
उत्तर- (ख) बीज से नया पौधा निकल आया
2. कवि ने वर्षा की पहली बूँद की तुलना किससे की है?
(क) ओस की बूंद से
(ख) समुद्र की लहर से
(ग) अमृत से
(घ) आँसू से
उत्तर– (ग) अमृत से
3. “वसुंधरा की रोमावलि-सी” में ‘रोमावलि’ से क्या तात्पर्य है?
(क) हरी दूब (घास)
(ख) पहाड़
(ग) बादल
(घ) तालाब
उत्तर- (क) हरी दूब (घास)
4. “गिरी बूँद अमृत-सी आकर” पंक्ति में ‘अमृत’ शब्द किसे दर्शाता है?
(क) मृत्यु
(ख) व्यर्थ पानी
(ग) विष
(घ) जीवन देने वाली शक्ति
उत्तर: (घ) जीवन देने वाली शक्ति
5. ‘बूढ़ी धरती’ का क्या तात्पर्य है?
(क) पुरानी सभ्यता
(ख) सूखी और बंजर धरती
(ग) धरती का भार
(घ) पर्वतीय भूमि
उत्तर- (ख) सूखी और बंजर धरती
6. ‘शस्य-श्यामला’ का अर्थ क्या है?
(क) फसलों से हरी-भरी धरती
(ख) काली मिट्टी
(ग) रेतीली भूमि
(घ) उजाड़ वन
उत्तर– (क) फसलों से हरी-भरी धरती
7. वर्षा के आने पर ‘हरी दूब’ किस प्रकार प्रतिक्रिया देती है?
(क) मुरझा जाती है
(ख) पुलकित होकर मुस्काने लगती है
(ग) जलने लगती है
(घ) लाल रंग की हो जाती है
उत्तर- (ख) पुलकित होकर मुस्काने लगती है
8. कवि ने ‘आसमान में उड़ता सागर’ किसे कहा है?
(क) सूर्य
(ख) समुद्र की लहरों को
(ग) बादलों को
(घ) पक्षियों को
उत्तर– (ग) बादलों को
9. कवि ने ‘नगाड़े’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है?
(क) बिजली के लिए
(ख) वर्षा की बूँदों के लिए
(ग) बादलों की गर्जना के लिए
(घ) समुद्र की लहरों के लिए
उत्तर- (ग) बादलों की गर्जना के लिए
10. ‘धरती की तरुणाई’ का क्या अर्थ है?
(क) धरती की वृद्धावस्था
(ख) धरती की युवा अवस्था
(ग) धरती की शीतलता
(घ) धरती का सूखापन
उत्तर– (ख) धरती की युवा अवस्था
11. ‘नीले नयनों-सा यह अंबर’ किसका बिंब प्रस्तुत करता है?
(क) बादल का
(ख) आकाश का
(ग) नदी का
(घ) सूरज का
उत्तर– (ख) आकाश का
12. ‘काली पुतली-से ये जलधर’ किसे दर्शाता है?
(क) काले पक्षी
(ख) वर्षा की बूँदें
(ग) काले बादल
(घ) बिजली की चमक
उत्तर- (ग) काले बादल
13. कवि ने वर्षा की बूँदों को किस भावना से जोड़ा है?
(क) करुणा और दया
(ख) क्रोध
(ग) भय
(घ) घमंड
उत्तर- (क) करुणा और दया
14. ‘धरती की चिर-प्यास बुझाई’ का क्या अर्थ है?
(क) सूरज ने धरती को सुखा दिया
(ख) धरती फिर सूख गई
(ग) वर्षा बंद हो गई
(घ) धरती की बहुत दिनों की प्यास
उत्तर- (घ) धरती की बहुत दिनों की प्यास
15. ‘बूढ़ी धरती’ फिर से क्या बनने को ललचाई?
(क) रेगिस्तान
(ख) शस्य-श्यामला
(ग) कंकरीली भूमि
(घ) बर्फ से ढकी भूमि
उत्तर– (ख) शस्य-श्यामला
16. “धरती की नवजीवन की अँगड़ाई” का क्या अर्थ है?
(क) धरती का मुरझाना
(ख) धरती का पुनः जागरण
(ग) धरती का ठंडा होना
(घ) धरती का जलना
उत्तर– (ख) धरती का पुनः जागरण
17. कविता में किस ऋतु का वर्णन है?
(क) ग्रीष्म
(ख) शरद
(ग) वर्षा
(घ) बसंत
उत्तर– (ग) वर्षा
18. ‘पहली बूँद’ किसका प्रतीक है?
(क) नई शुरुआत का
(ख) समाप्ति का
(ग) ठंडक का
(घ) वायु का
उत्तर– (क) नई शुरुआत का
19. ‘अंबर’ शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है?
(क) आकाश
(ख) सूर्य
(ग) चंद्रमा
(घ) तारा
उत्तर- (क) आकाश
20. इस कविता के रचनाकार कौन हैं?
(क) गोपाल कृष्ण कौल
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) सुमित्रानंदन पंत
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर- (क) गोपाल कृष्ण कौल
Pehli Boond Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
1. वर्षा ऋतु की पहली बूँद से धरती पर क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर– वर्षा ऋतु की पहली बूँद गिरते ही धरती को नया जीवन मिला। तपती गर्मी के बाद यह बूँद जीवनदायिनी बनी और सूखी धरती में छिपे बीज अंकुरित हो उठे। पूरी प्रकृति प्रसन्न होकर एक नई ऊर्जा से भर गई।
2. ‘अंकुर फूट पड़ा’ पंक्ति का क्या आशय है?
उत्तर– इसका अर्थ है कि धरती में पड़े बीज वर्षा की पहली बूँद पड़ते ही जाग उठे और उनमें से नए पौधे निकलने लगे।
3. कवि ने पहली बूँद की तुलना ‘अमृत’ से क्यों की है?
उत्तर– कवि ने वर्षा की पहली बूँद को अमृत कहा है क्योंकि यह सूखी और प्यासी धरती के लिए जीवन देने वाली है। इससे मुरझाई हुए पेड़-पौधे पुनः हरी-भरी हो जाती हैं और प्रकृति खिल उठती है।
4. इस कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर– कवि इस कविता के माध्यम से वर्षा की महत्ता को बताना चाहता है। वह बताता है कि वर्षा सिर्फ जल नहीं लाती, बल्कि यह धरती को नया जीवन देती है, प्रकृति को हरियाली से भर देती है और सभी जीवों के लिए अमृत के समान होती है।
5. वर्षा की बूँदों को ‘अश्रु’ क्यों कहा गया है?
उत्तर– कवि ने वर्षा की बूँदों को करुणा से बहने वाले आँसुओं के सामान बताया है, क्योंकि ये बूँदें धरती की प्यास बुझाने के लिए दया और प्रेम से भरी हुई हैं।
6. ‘काली पुतली-से ये जलधर’ किसे इंगित करते हैं?
उत्तर– यह पंक्ति बादलों की तुलना आँखों की काली पुतलियों से करती है। जैसे आँखों में पानी होता है, वैसे ही बादल भी जल लेकर आते हैं और उसे वर्षा के रूप में धरती पर गिराते हैं।
7. कवि ने वर्षा ऋतु के आगमन को किस प्रकार चित्रित किया है?
उत्तर– कवि ने वर्षा ऋतु के आगमन को एक उत्सव की तरह बताया है, जहाँ बादल नगाड़े बजाते हैं, बिजलियाँ चमकती हैं और धरती खुशी से झूम उठती है।
8. ‘शस्य-श्यामला’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर– इसका अर्थ है हरियाली से भरी हुई भूमि। वर्षा के बाद जब फसलें लहलहाने लगती हैं और धरती उपजाऊ हो जाती है, तो उसे ‘शस्य-श्यामला’ कहा जाता है।
9. ‘बूढ़ी धरती’ का क्या अर्थ है?
उत्तर- ‘बूढ़ी धरती’ का अर्थ सूखी और बंजर धरती से है, जो लंबे समय से वर्षा की प्रतीक्षा कर रही थी। पहली बूँद पड़ते ही यह फिर से हरी-भरी बनने की इच्छा करने लगती है।
10. कवि ने बादलों की करुणा को क्यों दर्शाया है?
उत्तर- कवि ने बादलों को करुणा से भरा हुआ दिखाया है क्योंकि वे वर्षा के रूप में धरती पर जल गिराकर उसकी बहुत लम्बे समय की प्यास बुझाते हैं।