Character Sketch of Jamun ka Ped

 

लेखक (श्री कृश्नचंदर) का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of the Writer (Shri Krishnachander) from CBSE Class 11 Hindi Aroh Book Chapter 7 जामुन का पेड़

 

लेखक (श्री कृश्नचंदर) का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of  the Writer)

“जामुन का पेड़” एक प्रसिद्ध हास्य व्यंग कथा है जिसके लेखक श्री कृश्नचंदर जी हैं। इस कहानी के जरिए कहानीकार ने यह बताने की कोशिश की है  कि हमारे देश के सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों की अकर्मण्यता , संवेदनहीनता और गैरजिम्मेदाराना रवैया किस तरह आम आदमी पर भारी पड़ता हैं।

लेखक सरकारी विभाग के काम करने के तरीके को बड़े ही सरल तरीके से समझाने में सफल रहे हैश्री कृश्नचंदर जी कहते हैं कि रात में आये तेज आंधी तूफान के कारण एक जामुन का पेड़ टूटकर सचिवालय के लाँन में गिर गया। सुबह जब माली ने आकर देखा तो उस जामुन के पेड़ के नीचे एक आदमी दबा पड़ा था जिसकी खबर माली ने जाकर चपरासी को दे दी। चपरासी ने क्लर्क तक और क्लर्क ने सुपरिटेंडेंट तक यह खबर पहुंचा दी। सुपरिटेंडेंट दौड़कर बाहर आया तब तक जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के चारों तरफ अच्छी खासी भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी।

स्वार्थी दुनिया को अनोखे रूप से दर्शाने में माहिर इस पाठ के जरिए लोगो के स्वार्थीपन को लेखक ने बड़े ही सरल तरीके से दर्शाया है। जब आँधीतूफान से जामुन का पेड़ गिरा, तो सभी लोग उस जामुन के पेड़ के गिरने पर दुख व्यक्त कर रहे थे क्योंकि किसी को उस पेड़ की जामुन बहुत रसीली लगती थी तो कोई फलों के मौसम में उस पेड़ से झोली भर कर जामुन अपने बच्चों के लिए ले जाता था। मगर उस दबे हुए व्यक्ति की चिंता किसी को नहीं थी।

सरकारी विभाग के कर्मचारियों के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को स्पष्ट रूप से सभी के सम्मुख रखना माली ने तुरंत पेड़ हटाकर उस दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने का सुझाव वहाँ खड़े लोगों को दिया जिसे लोगों ने तुरंत मान लिया। लेकिन जैसे ही वो सब मिलकर उस पेड़ को हटाने के लिए आगे बढ़े तो सुपरिंटेंडेंट साहब ने उन्हें यह कहते हुए रोक लिया कि पेड़ हटाने या हटाने के बारे में वो पहले अंडर सेक्रेटरी से पूछना चाहते हैं। फिर सुपरिंटेंडेंट साहब से मामला अंडर सेक्रेटरी , डिप्टी सेक्रेटरी , ज्वाइंट सेक्रेटरी , चीफ सेक्रेटरी होते हुए मिनिस्टर तक पहुंच गया और फाइल भी एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस तक चलती रही जिसमें आधा दिन बीत गया।

सरकारी विभागों की अमानवीयता संवेदनहीनता को लेखक ने  मार्मिक ढंग से दर्शाया है जब कल्चरल डिपार्टमेंट के साहित्य अकादमी का सचिव को बातोंबातों में पता चला कि वह व्यक्तिओस के फूलगद्द्य संग्रह का लेखक है तो उसने उसे अपनी सरकारी साहित्य अकैडमी की केंद्रीय शाखा का सदस्य बना दिया लेकिन उस व्यक्ति को पेड़ के नीचे से निकालने का कोई प्रयास नहीं किया। पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति अथाह दर्द में था और व्यक्ति की सेहत लगातार गिरती जा रही थी। जब वन विभाग के आदमी पेड़ काटने के लिए आए तो पता चला कि जामुन का यह पेड़ दस साल पहले पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने यहाँ लगाया था। इसे काटने से दोनों राज्यों के संबंध बिगड़ सकते हैं। विदेश विभाग ने यह मामला प्रधानमंत्री के सामने रखा। मामला सुनने के बाद प्रधानमंत्री ने इस मामले की अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी स्वयं ली और पेड़ काटने की अनुमति दे दी।  लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वह आदमी मर चुका था। सरकारी विभागों की अमानवीयता संवेदनहीनता ने उसके जीवन की फाइल ही बंद कर दी थी।

 

लेखक (श्री कृश्नचंदर) के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of the Writer)

प्रश्न 1 – “जामुन का पेड़कथा में लेखक ने किस मुद्दे पर बात की है?
प्रश्न 2 – हमारे देश के सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों की अकर्मण्यता को लेखक ने किस प्रकार उजागर किया है?
प्रश्न 3 – सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों के गैरजिम्मेदाराना रवैया किस तरह एक आम आदमी पर भारी पड़ता हैं? पाठ के आधार पर बताइय।
प्रश्न 4 – पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि सरकारी विभागों की अमानवीयता संवेदनहीनता को लेखक ने  किस प्रकार मार्मिक ढंग से दर्शाया है?

 

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