NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Bhag 1 हामिद खाँ Important Question Answers Lesson 5

Class 9 Hindi Hamid Khan Question Answers – Looking for Hamid Khan question answers for CBSE Class 9 Hindi Sanchayan Bhag 1 Book Lesson 5? Look no further! Our comprehensive compilation of important questions will help you brush up on your subject knowledge.

सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी संचयन भाग 1 पुस्तक पाठ 5 हामिद खाँ प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 9 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से बोर्ड परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे हामिद खाँ प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions.

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams.

 

 

 

Class 9 Hindi मेरा छोटासा निजी पुस्तकालय Question Answers Lesson 4 – सारआधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

1 –

तक्षशिला (पाकिस्तान) में आगजनी’समाचार पत्र की यह खबर पढ़ते ही मुझे हामिद खाँ याद आया। मैंने भगवान से विनती की, “हे भगवान! मेरे हामिद खाँ की दुकान को इस आगजनी से बचा लेना।अभी दो साल ही तो बीते हैं जब मैं तक्षशिला के पौराणिक खंडहर देखने गया था। एक ओर कड़कड़ाती धूप, दूसरी ओर भूख और प्यास के मारे बुरा हाल हो रहा था। रेलवे स्टेशन से करीब पौन मील की दूरी पर बसे एक गाँव की ओर निकल पड़ा। हस्तरेखाओं के समान फैली गलियों से भरा तंग बाजार। जहाँ कहीं नज़र पड़ी धुआँ, मच्छर और गंदगी से भरी जगहें ही दिखीं। कहींकहीं तो सड़े हुए चमड़े की बदबू ने स्वागत किया। लंबे कद के पठान अपनी सहज अलमस्त चाल में चलते नज़र रहे थे। चारों तरफ चक्कर लगा लिया, पर अभी तक कोई होटल नज़र नहीं आया। मन में विचार आया, इस गाँव में होटल की जरूरत ही क्या होगी?

 

प्रश्न 1 – तक्षशिला (पाकिस्तान) में आगजनी’-समाचार पत्र की यह खबर पढ़ते ही लेखक को कौन याद आया?

() तक्षशिला के पौराणिक खंडहर

() हामिद खाँ

() लंबे कद के पठान

() हस्तरेखाओं के समान फैली गलियाँ

उत्तर – () हामिद खाँ

 

प्रश्न 2 – लेखक ने भगवान से क्या विनती की?

() तक्षशिला के पौराणिक खंडहर को इस आगजनी से बचा लेना

() हामिद खाँ को इस आगजनी से बचा लेना

() हामिद खाँ की दुकान को इस आगजनी से बचा लेना

() उपरोक्त सभी

उत्तर () हामिद खाँ की दुकान को इस आगजनी से बचा लेना

 

प्रश्न 3 – दो साल पहले लेखक कहाँ गया था?

() तक्षशिला के पौराणिक खंडहर देखने

() हामिद खाँ की दुकान को को देखने

() हामिद खाँ से मिलने 

() पाकिस्तान घूमने

उत्तर () तक्षशिला के पौराणिक खंडहर देखने

 

प्रश्न 4 – लेखक को रेलवे स्टेशन से कितनी दूरी पर गाँव मिला?

() दो मील की दूरी पर

() तीन मील की दूरी पर

() पौन मील की दूरी पर

() सवा मील की दूरी पर

उत्तर – () पौन मील की दूरी पर

 

प्रश्न 5 – हस्तरेखाओं के समान फैली गलियों का दृश्य कैसा था?

() जहाँ कहीं नज़र पड़ती धुआँ, मच्छर और गंदगी से भरी जगहें ही दिखती

() कहींकहीं तो सड़े हुए चमड़े की बदबू स्वागत करती

() लंबे कद के पठान अपनी सहज अलमस्त चाल में चलते नज़र आते 

() उपरोक्त सभी

उत्तर () उपरोक्त सभी

 

2 –

अचानक एक दुकान नजर आई जहाँ चपातियाँ सेंकी जा रही थीं। चपातियों की सोंधी महक से मेरे पाँव अपने आप उस दुकान की ओर मुड़ गए। अपने अनुभवों से मैंने जान लिया था कि परदेश में मुसकराहट ही रक्षक और सहायक होती है। सो मुसकराते हुए मैं दुकान के अंदर घुस गया। एक अधेड़ उम्र का पठान अँगीठी के पास सिर झुकाए चपातियाँ बना रहा था। मैंने ज्योंही दुकान में प्रवेश किया, वह अपनी हथेली पर रखे आटे को बेलना छोड़कर मेरी ओर घूरघूरकर देखने लगा। मैं उसकी तरफ देखकर मुसकरा दिया। फिर भी उसके चेहरे के हावभाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। वह बेपरवाही के साथ तीखी नजर से मुझे निहारे जा रहा था।खाने को कुछ मिलेगा?” मैंने धीमी आवाज में पूछा।चपाती और सालन हैवहाँ बैठ जाइए।उसने एक बेंच की तरफ इशारा करते हुए कहा। मैं बेंच पर बैठकर रूमाल से हवा करने लगा! मैंने दुकान के भीतर झाँककर देखा। बेतरतीबी से लीपा हुआ आँगन, धूल से सनी दीवारें। एक कोने में खाट पड़ी हुई थी जिस पर एक दढ़ियल बुड्ढा गंदे तकिए पर कोहनी टेके हुए हुक्का पी रहा था। हुक्के की गुड़गुड़ाहट में उसने अपने आपको ही नहीं, बल्कि सारे जहान को भुला रखा था।

 

प्रश्न 1 – किसकी महक से लेखक के पाँव अपने आप दुकान की ओर मुड़ गए?

() साग की सोंधी महक से

() सालन की सोंधी महक से

() चपातियों की सोंधी महक से

() पराठों की सोंधी महक से

उत्तर – () चपातियों की सोंधी महक से

 

प्रश्न 2 – लेखक ने अनुभवों से क्या जान लिया था?

() परदेश में पैसा ही रक्षक और सहायक होती है

() परदेश में मुसकराहट ही रक्षक और सहायक होती है

() परदेश में रौब ही रक्षक और सहायक होती है

() उपरोक्त सभी

उत्तर – () परदेश में मुसकराहट ही रक्षक और सहायक होती है

 

प्रश्न 3 – कौन अँगीठी के पास सिर झुकाए चपातियाँ बना रहा था?

() एक अधेड़ उम्र का लड़का 

() एक अधेड़ उम्र का आदमी 

() एक अधेड़ उम्र का शख्स 

() एक अधेड़ उम्र का पठान

उत्तर () एक अधेड़ उम्र का पठान

 

प्रश्न 4लेखक ने जब दुकान के भीतर झाँककर देखा तो क्या पाया

() बेतरतीबी से लीपा हुआ आँगन, धूल से सनी दीवारें।

() एक कोने में खाट पड़ी हुई थी

() खाट पर एक दढ़ियल बुड्ढा गंदे तकिए पर कोहनी टेके हुए हुक्का पी रहा था

() उपरोक्त सभी

उत्तर – () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 5 – दूकान में खाने के लिए क्या था?

() चपाती और साग

() चपाती और सालन

() चपाती और सब्जी

() चपाती और दाल

उत्तर – () चपाती और सालन

 

3 –

भाई जान, आप कहाँ के रहने वाले हैं? चपाती को अंगारों पर रखते हुए उस अधेड़ उम्र के पठान ने पूछा।मालाबार केमैंने जवाब दिया। उसने यह नाम नहीं सुना था। आटे को हाथ में लेकर गोलाकार बनाते हुए पूछा– “यह हिंदुस्तान में ही है ?” “हाँ, भारत के दक्षिणी छोरमद्रास के आगे।” “क्या आप हिंदू हैं?” “हाँ, एक हिंदू घर में जन्म लिया है।उसने एक फीकी मुसकराहट के साथ फिर पूछा, “आप मुसलमानी होटल में खाना खाएँगे?” “क्यों नहीं? हमारे यहाँ तो अगर बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बेखटके मुसलमानी होटल में जाया करते हैं।वह मेरी बात पर विश्वास नहीं कर पाया। मैंने उसे गर्व के साथ बताया, “हमारे यहाँ हिंदूमुसलमान में कोई फर्क नहीं है! सब मिलजुलकर रहते हैं! भारत में मुसलमानों ने जिस पहली मस्जिद का निर्माण किया था, वह हमारे ही राज्य के एक स्थानकोडुंगल्लूर’ में है। हमारे यहाँ हिंदूमुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं।उसने मेरी बात को बहुत ही ध्यानपूर्वक सुनकर कहा, “काश! मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।” “क्या आपको मेरी बात पर विश्वास नहीं होता?” मैंने पूछा।मुझे आपकी बात पर तो पूरा यकीन हो गया है, पर मैं इस पर ईमान नहीं कर सकता कि आप हिंदू हैं। क्योंकि यहाँ कोई भी हिंदू आपकी कही हुई बातों को इतने फ़ख्र साथ किसी मुसलमान से नहीं कह सकता। उसकी नजर में हम आततायियों की औलादें हैं! हमें इस हालत में अपनी आन के लिए लड़ना पड़ता है। यही हमारी नियति है।उसकी आवाज में सच्चाई कूटकूटकर भरी थी।

 

प्रश्न 1 – लेखक ने हामिद खाँ को अपने रहने की कौन सी जगह बताई?

() मालदीव 

() मालाबार

() मालापार 

() मालशहर

उत्तर – () मालाबार

 

प्रश्न 2 – लेखक के खुद को हिन्दू कहने पर हामिद खाँ ने क्या प्रश्न किया?

() आप मुसलमानी दूकान से खरीदारी करेंगे?

() आप मुसलमानी देश में अकेले घूमेंगे?

() आप मुसलमानी होटल में खाना खाएँगे?

() आप मुसलमान पठान से बातचीत करेंगे?

उत्तर – () आप मुसलमानी होटल में खाना खाएँगे?

 

प्रश्न 3 – लेखक के यहाँ अगर बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बेखटके कहाँ जाया करते हैं?

() मुसलमानी होटल में

() पठानी होटल में

() पाकिस्तानी होटल में

() हैदराबादी होटल में

उत्तर – () मुसलमानी होटल में

 

प्रश्न 4 – लेखक ने हामिद खाँ को गर्व के साथ क्या बताया?

() हमारे यहाँ हिंदूमुसलमान में कोई फर्क नहीं है, सब मिलजुलकर रहते हैं

() भारत में मुसलमानों ने जिस पहली मस्जिद का निर्माण किया था, वह लेखक के ही राज्य के एक स्थानकोडुंगल्लूर’ में है

() हमारे यहाँ हिंदूमुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं

() उपरोक्त सभी

उत्तर – () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 5 – हामिद खाँ लेखक पर क्यों ईमान नहीं कर पा रहा था कि वह हिंदू हैं?

() क्योंकि पाकिस्तान में कोई भी हिंदू लेखक की कही हुई बातों को इतने फ़ख्र साथ किसी मुसलमान से नहीं कह सकता

() क्योंकि पाकिस्तान में हिंदुयों की नजर में मुसलमान आततायियों की औलादें हैं

() क्योंकि पाकिस्तान में मुसलामानों को अपनी आन के लिए लड़ना पड़ता है। यही उनकी नियति है

() उपरोक्त सभी

उत्तर – () उपरोक्त सभी

 

4 –

जो छोकरा पिछवाड़े की तरफ गया था, उसने एक थाली में चावल लाकर सामने रख दिया, हामिद खाँ ने तीनचार चपातियाँ उसमें रख दीं, फिर लोहे की तश्तरी में सालन परोसा। छोकरा साफ पानी से भरा एक कटोरा मेज पर रखकर चला गया। मैंने बड़े चाव से भरपेट खाना खाया।कितने पैसे हुए?” जेब में हाथ डालते हुए मैंने हामिद खाँ से पूछा! मुसकराते हुए हामिद खाँ ने हाथ पकड़ लिया और बोला, “भाई जान, माफ कीजिएगा। पैसा नहीं लूँगा, आप मेरे मेहमान हैं।” “मेहमाननवाजी की बात अलग है। एक दुकानदार के नाते आपको खाने के पैसे लेने पड़ेंगे। आपको मेरी मुहब्बत की कसम।एक रुपये के नोट को मैंने हामिद खाँ की ओर बढ़ाया। वह सकुचा रहा था। उसने वह रूपया लेकर फिर मेरे हाथ में रख दिया।भाई जान मैंने खाने के पैसे आपसे ले लिए हैं, मगर मैं चाहता हूँ कि यह आप ही के हाथों में रहे। आप जब पहुँचें तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इस पैसे से पुलाव खाएँ और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें।वहाँ से लौटकर मैं तक्षशिला के खंडहरों की तरफ चला आया। उसके बाद मैंने फिर कभी हामिद खाँ को नहीं देखा। पर हामिद खाँ की वह आवाज, उसके साथ बिताए क्षणों की यादें आज भी ताजा हैं। उसकी वह मुसकान आज भी मेरे दिल में बसी है। तक्षशिला के सांप्रदायिक दंगों की चिंगारियों की आग से हामिद और उसकी वह दुकान जिसने मुझ भूखे को दोपहर में छाया और खाना देकर मेरी क्षुध को तृप्त किया था, बची रहे। मैं यही प्रार्थना अब भी कर रहा हूँ।

 

प्रश्न 1 – लेखक को खाने में क्या परोसा गया?

() एक थाली में चावल, तीनचार चपातियाँ और लोहे की तश्तरी में सालन

() एक थाली में चपातियाँ और लोहे की तश्तरी में सालन

() एक थाली में चावल और लोहे की तश्तरी में सालन

() तीनचार चपातियाँ और लोहे की तश्तरी में सालन

उत्तर – () एक थाली में चावल, तीनचार चपातियाँ और लोहे की तश्तरी में सालन

 

प्रश्न 2 – हामिद खाँ ने लेखक से खाने के पैसे लेने से इंकार क्यों किया?

() क्योंकि वह लेखक को पाकिस्तान में कुछ देना चाहता है

() क्योंकि वह लेखक को भूखा समझता है और भूखे को ऐसे ही खिलाना चाहता है

() क्योंकि वह लेखक को अपना दोस्त समझता है

() क्योंकि वह लेखक को अपना मेहमान समझता है

उत्तर – () क्योंकि वह लेखक को अपना मेहमान समझता है

 

प्रश्न 3 – लेखक ने हामिद खाँ की ओर कितने रूपए का नोट बढ़ाया?

() दस रुपये के नोट को

() एक रुपये के नोट को

() पांच रुपये के नोट को

() दो रुपये के नोट को

उत्तर – () एक रुपये के नोट को

 

प्रश्न 4 – हामिद खाँ ने क्या कहकर लेखक के रूपए लौटा दिए?

() जब लेखक अपने घर पहुंचेगा तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इस पैसे से पुलाव खाए और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें

() जब लेखक अपने घर पहुंचेगा तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर किसी हिन्दू को खाना खिलाए और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें

() इस रूपए को हमेशा देखकर तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें

() एक याद के तौर पर तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें

उत्तर () जब लेखक अपने घर पहुंचेगा तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इस पैसे से पुलाव खाए और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें

 

प्रश्न 5 – लेखक आज भी हामिद खाँ की किन चीजों को याद करता है?

() हामिद खाँ की आवाज को

() हामिद खाँ के साथ बिताए क्षणों को

() हामिद खाँ की मुसकान को

() उपरोक्त सभी

उत्तर – () उपरोक्त सभी

Class 9 Hindi Sanchayan Lesson 5 हामिद खाँ बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

 

 

प्रश्न 1 – लेखक कहाँ घूमने गया था?

(क) पाकिस्तान 

(ख) तक्षशिला 

(ग) हामिद की दूकान पर 

(घ) लेखक के पड़ोस में 

उत्तर – (ख) तक्षशिला 

 

प्रश्न 2  – हामिद की दूकान का आँगन कैसा था?

(क) बहुत सुंदर 

(ख) खण्डरों की तरह 

(ग) बिना किसी तरीके से लिपा हुआ  

(घ) धूल से सना हुआ 

उत्तर – (ग) बिना किसी तरीके से लिपा हुआ  

 

प्रश्न 3 – दूकान के कोने में पड़ी खाट पर दाढ़ी वाला बुड्ढा गंदे तकिए पर कोहनी टेके हुए क्या कर रहा था?

(क) हुक्का पी रहा था

(ख) सो रहा था 

(ग) खाना खा रहा था 

(घ) लेखक को घूर-घूरकर देख रहा था 

उत्तर – (क) हुक्का पी रहा था

 

प्रश्न 4 – हामिद खाँ के अनुसार हिन्दुओं की नजर में मुसलमान कैसे हैं?

(क) अत्याचार करने वाले 

(ख) अत्याचार करने वालों की संताने 

(ग) दंगे करने वाले 

(घ) हिन्दुओं का मजाक बनाने वाले 

उत्तर – (ख) अत्याचार करने वालों की संताने

 

प्रश्न 5 – हामिद खाँ ने जब अब्दुल को बुलाया तब अब्दुल क्या कर रहा था?

(क) खाना खा रहा था 

(ख) सो रहा था 

(ग) मिर्च सूखा रहा था 

(घ) खाना बना रहा था 

उत्तर – (ग) मिर्च सूखा रहा था 

 

प्रश्न 6 – हामिद खाँ ने किस भाषा में अब्दुल को आदेश दिया?

(क) उर्दू 

(ख) फारसी 

(ग) अरबी 

(घ) पश्तो 

उत्तर – (घ) पश्तो 

 

प्रश्न 7 – हामिद खाँ किस तरह का व्यक्ति था?

(क) भावुक और मिलनसार 

(ख) स्नेही और चालाक 

(ग) विद्वान और समझदार 

(घ) क्रूर और कट्टरपंथी 

उत्तर – (क) भावुक और मिलनसार

 

प्रश्न 8 – लेखक से खाने के पैसे न लेने का हामिद खाँ ने क्या कारण बताया?

(क) लेखक उनका मेहमान है 

(ख) लेखक उनका सम्बन्धी है 

(ग) लेखक परोपकारी है 

(घ) लेखक ईमानदार है 

उत्तर – (क) लेखक उनका मेहमान है

 

प्रश्न 9 – लेखक ने भारत के विषय में कौन सी बात बताई, जिसे सुनकर हामिद खाँ हैरान हो गया?

(क) भारत में मुस्लिम दंगे करते हैं 

(ख) भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाइयों की तरह रहते हैं 

(ग) भारत में हिन्दू मुस्लमानों पर अत्याचार करते हैं 

(घ) भारत में मस्जिदें नहीं हैं 

उत्तर – (ख) भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाइयों की तरह रहते हैं 

 

प्रश्न 10 – यह पाठ हमें क्या शिक्षा देता है?

(क) धार्मिक कट्टरता को बनाए रखने की 

(ख) धार्मिक सद्भावना को अपनाने की 

(ग) मस्तिष्क के दरवाजे खोलने की 

(घ) सबकी मदद करने की 

उत्तर – (ख) धार्मिक सद्भावना को अपनाने की 

Class 9 Hindi हामिद खाँ Short Answer Type Questions 25 to 30 Words

 

प्रश्न 1 – लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?

उत्तर – हामिद पाकिस्तानी मुसलमान था। वह तक्षशिला के पास एक गाँव में होटल चलाता था। लेखक तक्षशिला के खंडहर देखने के लिए पाकिस्तान आया तो हामिद के होटल पर खाना खाने पहुँचा। पहले तो हामिद खाँ लेखक को बहुत घूर-घूर कर देख रहा था परन्तु जब उन्होंने आपस में बात की तो हामिद खाँ लेखक से बहुत प्रभावित हुआ। वहीं पर उनका आपस में परिचय भी हुआ।

 

प्रश्न 2 – मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के आपसी संबंध बहुत घनिष्ठ हैं। जब कभी भी किसी हिंदू को अच्छी चाय या पुलाव खाने का मन होता है तो वह बिना किसी हिचकिचाहट के मुसलमानों के होटलों में चला जाता हैं। वे आपस में मिल जुलकर रहते हैं। भारत में मुसलमानों द्वारा बनाई गई पहली मसजिद लेखक के ही राज्य में है। वहाँ सांप्रदायिक दंगे भी बहुत कम होते हैं।

 

प्रश्न 3 – तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है?

उत्तर – तक्षशिला में आगजनी की खबर सुनकर लेखक के मन में हामिद खाँ और उसकी दुकान के आगजनी से प्रभावित होने का विचार कौंधा। वह सोच रहा था कि कहीं हामिद की दुकान इस आगजनी का शिकार न हो गई हो। वह हामिद की सलामती की प्रार्थना करने लगा। इससे लेखक के कृतज्ञ होने, हिंदू-मुसलमानों को समान समझने की मानवीय भावना रखने वाले स्वभाव का पता चलता है।

 

Class 9 Hindi हामिद खाँ Long Answer Type Questions 60 to 70 Words

 

प्रश्न 1 – काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।’-हामिद ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर – लेखक और हामिद ने जब आपस में बातचीत की तो उस बातचीत केन दौरान हामिद को पता चला कि भारत में हिंदू-मुसलमान सौहार्द से मिल-जुलकर रहते हैं। लेकिन पाकिस्तान में हिंदू-मुसलमानों को आतताइयों की औलाद समझते हैं। वहाँ सांप्रदायिक सौहार्द की कमी के कारण आए दिन हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे होते रहे हैं। लेखक की बात हामिद को सपने जैसी लग रही थी क्योंकि वह सपने में भी नहीं सोच सकता था कि हिन्दू-मुस्लिम भी आपस में कहीं प्यार से रहते होंगे। इसीलिए लेखक की बात सुनकर हामिद ने कहा कि काश वह भी लेखक के मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।

 

प्रश्न 2 – हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?

उत्तर – हामिद को लेखक की भेदभाव रहित बातों पर विश्वास नहीं हुआ। लेखक ने हामिद को बताया कि उनके प्रदेश में हिंदू-मुसलमान बड़े प्रेम से रहते हैं। वहाँ के हिंदू बढ़िया चाय या पुलावों का स्वाद लेने के लिए मुसलमानी होटल में बिना किसी हिचकिचाहट के जाते हैं। पाकिस्तान में ऐसा होना संभव नहीं था। वहाँ के हिंदू मुसलमानों को अत्याचारी मानकर उनसे नफरत करते थे। और वहाँ हर दिन दंगे होते ही रहते थे। हामिद को लेखक के हिन्दू होने की बात पर भी विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकी उसने कभी किसी हिन्दू को किसी मुस्लिम से इतने प्यार से बात करते नहीं देखा था।

 

प्रश्न 3 – हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया?

उत्तर – हामिद खाँ ने अनेक कारणों के कारण खाने का पैसा लेने से इसलिए इंकार कर दिया, ये कारण निम्नलिखित हैं –

(1) वह भारत से पाकिस्तान गए लेखक को अपना मेहमान मान रहा था।

(2) हिंदू होकर भी लेखक मुसलमान के ढाबे पर खाना खाने गया था।

(3) लेखक मुसलमानों को आतताइयों की औलाद नहीं मानता था।

(4) लेखक की सौहार्द भरी बातों से हामिद खाँ बहुत प्रभावित था।

(5) लेखक की मेहमाननवाजी करके हामिद ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा का निर्वाह करना चाहता था।

Class 9 Hindi हामिद खाँ अतिरिक्त प्रश्न उत्तर (Extra Question Answers)

 

प्रश्न 1 – हामिद खाँ कौन था? लेखक उसके लिए ईश्वर से प्रार्थना क्यों कर रहा था?

उत्तर – हामिद खाँ एक मुसलमान पठान था। हामिद खाँ तक्षशिला में रहता था। हामिद मानव प्रेम में आस्था रखने वाला व्यक्ति था। लेखक के साथ उसका भावनात्मक जुड़ाव भी था। तक्षशिला में आगजनी की घटना हुई थी इसलिए अखबार में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक को हामिद खाँ और उसकी दूकान की चिंता होने लगी थी, जिस कारण  उसकी सलामती के लिए लेखक ईश्वर से प्रार्थना करने लगा था।

 

प्रश्न 2 – हामिद खाँ लेखक के मुल्क जाकर अपनी आँखों से क्या देखना चाहता था?

उत्तर – जब लेखक ने हामिद खाँ को यह बताया कि मालाबार (केरल) में हिन्दू-मुसलमान मिलकर रहते हैं, एक दूसरे के तीज त्योहार में शामिल होते हैं, उनमें दंगे न के बराबर होते हैं, भारत में मुसलमानों द्वारा पहली मस्जिद का निर्माण उसके राज्य में ही किया गया। हामिद खाँ को इन सब बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था। वह ऐसी अच्छी जगह को अपनी आँखों से देखना चाहता था।

 

प्रश्न 3 – तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार आया? 

उत्तर – तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक को हामिद खाँ की याद आ गई। उसकी दूकान में लेखक ने खाना खाया था। लेखक के मन में  हामिद खाँ की आवाज, उसके साथ बिताए क्षणों की यादें आज भी ताजा हैं। उसकी मुस्कान उसके दिल में बसी है। लेखक की यही कामना है कि तक्षशिला के साम्प्रदायिक दंगों की चिंगारियों की आग से हामिद और उसकी वह दुकान जिसने लेखक को दोपहर में छाया और खाना देकर लेखक की क्षुधा को तृप्त किया था, वह बचे रहें। 

 

प्रश्न 4 – मालाबार में हिन्दू-मुसलमानों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में ‘हामिद खाँ’ पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर – मालाबार में हिन्दू-मुसलमान प्रेम से रहते हैं। यदि किसी को बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बेखटके मुसलमानी होटल में जाया करते हैं। यहाँ सब मिल-जुलकर रहते हैं। मुसलमानों ने भारत में जिस पहली मस्जिद का निर्माण किया, वह मालाबार के ‘कोडुंगल्लूर में है। यहाँ दंगे भी नहीं के बराबर होते हैं। यहाँ आपसी समझ व सद्भावना है।

 

प्रश्न 5 – समाचार पत्र में कौन सी खबर पढ़ कर लेखक को हामिद खाँ की याद आई? 

उत्तर – जब लेखक ने तक्षशिला जो की पाकिस्तान में है वहाँ पर उपद्रवियों यानी शरारती लोगों द्वारा आग लगाने के बारे में समाचार पत्र में खबर पढ़ी तो खबर पढ़ते ही लेखक को हामिद खाँ की याद आ गई। क्योंकि लेखक इस बात से परेशान हो रहा था कि हामिद खाँ की दूकान भी तक्षशिला के पास ही थी और कहीं आग के कारण हामिद खाँ और उसकी दूकान को कोई नुकसान न हो गया हो, यही सोचते हुए लेखक हामिद खाँ को याद करने लगा। 

 

प्रश्न 6 – लेखक ने पाठ में गाँव का वर्णन किस प्रकार किया है?

उत्तर – लेखक गाँव का वर्णन करते हुए बताता है कि एक ओर कड़कड़ाती धूप थी और दूसरी ओर भूख और प्यास के मारे लेखक का बुरा हाल हो रहा था। परेशान हो कर लेखक रेलवे स्टेशन से करीब पौन मील की दूरी पर बसे एक गाँव की ओर निकल पड़ा। जैसे-जैसे लेखक गाँव में बढ़ता जा रहा था लेखक ने देखा की गाँव में हाथ की रेखाओं की तरह फैली गलियों से भरा तंग बाजार था। जहाँ कहीं भी लेखक की नज़र पड़ रही थी हर तरफ धुआँ, मच्छर और गंदगी से भरी जगहें ही दिख रही थी। कहीं-कहीं तो लेखक का स्वागत सड़े हुए चमड़े की बदबू ने किया। लेखक को वहाँ लंबे कद के पठान उनकी हमेशा की तरह मस्त चाल में चलते नज़र आ रहे थे। 

 

प्रश्न 7 – “गाँव में होटल की जरूरत ही क्या होगी?” लेखक ने ऐसा क्यों कहा स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – लेखक ने गाँव के बाजार के चारों तरफ चक्कर लगा लिया था, पर लेखक को कोई होटल नज़र नहीं आया था। होटल न दिखने पर लेखक के मन में विचार आया कि इस गाँव में होटल की जरूरत ही क्या होगी? लेखक यह इसलिए सोच रहा था क्योंकि रेलवे स्टेशन से इतनी दूर इस गाँव में होटल की क्या जरूरत होगी क्योंकि उस गाँव में देखने के लिए कोई सुंदर जगह तो थी नहीं जो लोग वहाँ आते और लोगों के न आने पर गाँव वाले भला होटल किसके लिए खोलेंगे?

 

प्रश्न 8 – लेखक ने जीवन के अपने अनुभवों से क्या जान लिया था?

उत्तर – लेखक ने जीवन के अपने अनुभवों से यह जान लिया था कि दूसरे देश में मुसकराहट ही आपकी रक्षा करती है और हर काम में आपकी सहायक सिद्ध होती है। यहाँ लेखक के कहने का तात्पर्य यह है कि जब आप दूसरे देश में होते हैं और आप सभी के साथ ख़ुशी से रहते हैं तो वे लोग भी आपके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं और दूर देश में भी आपका काम आसान हो जाता है। इसीलिए लेखक भी मुसकराते हुए दुकान के अंदर चला गया।

 

प्रश्न 9 – हामिद खाँ का व्यवहार शुरुआत में लेखक के साथ कैसा था?

उत्तर – लेखक ने जैसे ही दुकान में प्रवेश किया, हामिद खाँ अपनी हथेली पर रखे आटे को बेलना छोड़कर लेखक की ओर घूर-घूरकर देखने लगा। उसे घूरता हुआ देख कर भी लेखक उसकी तरफ देखकर मुसकरा दिया। लेखक के उसकी ओर मुस्कुराने के बाद भी उसके चेहरे के हाव-भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।

वह लेखक को बिना किसी की परवाह के साथ तीखी नजर से निहारे जा रहा था। लेखक ने बहुत ही धीमी आवाज में उस चपाती बनाने वाले पठान से यानी हामिद खाँ से पूछा कि खाने को कुछ मिलेगा? उसने लेखक से कहा कि चपाती और गोश्त या सब्जी का मसालेदार शोरबा है, ये कह के उस पठान ने लेखक को एक बेंच की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वहाँ बैठ जाइए। लेखक उस बेंच पर बैठकर रूमाल से हवा करने लगा।

 

प्रश्न 10 – लेखक ने अपने बारे में हामिद खाँ को क्या बताया?

उत्तर – जब लेखक दूकान में बैठा हुआ अपने खाने का इंतज़ार कर रहा था तब चपाती को अंगारों पर रखते हुए उस अधेड़ उम्र के पठान यानि हामिद खाँ ने लेखक से पूछा कि लेखक कहाँ का रहने वाला है? लेखक ने उसे जवाब दिया कि लेखक मालाबार का रहने वाला है। हामिद ने मालाबार नाम नहीं सुना था। आटे को हाथ में लेकर गोलाकार बनाते हुए हामिद ने फिर लेखक से मालाबार के बारे में पूछा कि क्या यह हिंदुस्तान में ही है ? लेखक ने हाँ में उत्तर देते हुए कहा कि यह भारत के दक्षिणी छोर-मद्रास के आगे है। पठान ने फिर लेखक से पूछा कि क्या लेखक हिंदू हैं? लेखक ने फिर हाँ में उत्तर दिया और कहा कि उसका जन्म एक हिंदू घर में हुआ है।

 

प्रश्न 11 – हामिद को लेखक की किस बात पर हैरानी हुई और वह क्या यकीन नहीं कर पा रहा था?

उत्तर – लेखक से यह सुनने के बाद कि वह हिन्दू है हामिद ने एक फीकी मुसकराहट के साथ लेखक से पूछा कि क्या लेखक एक हिन्दू होते हुए मुसलमानी होटल में खाना खाएगा? इस पर लेखक ने कहा कि क्यों नहीं? लेखक वहाँ खाना जरूर खाएगा और लेखक ने उस पठान से कहा कि जहाँ लेखक रहता है वहाँ तो अगर किसी को बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो वे लोग बिना किसी हिचकिचाहट के मुसलमानी होटल में जाया करते हैं। जब लेखक ने उस पठान को यह बताया था कि लेखक के शहर में जब किसी को अच्छी चाय या पुलाव खाने का मन होता है तो वे बिना किसी की परवाह किए मुस्लिम होटल में चले जाते हैं तो वह पठान लेखक की इस बात पर विश्वास नहीं कर पाया था। लेखक ने उसे बड़े गर्व के साथ बताया था कि लेखक के शहर में हिंदू-मुसलमान में कोई फर्क नहीं है। सब मिल-जुलकर रहते हैं। लेखक ने पठान को यह भी बताया था कि भारत में मुसलमानों ने जिस पहली मस्जिद का निर्माण किया था, वह लेखक के ही राज्य के एक स्थान ‘कोडुंगल्लूर’ में है। लेखक ने यह भी बताया कि लेखक के राज्य में हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं।

पठान ने लेखक की बात को बहुत ही ध्यान से सुना और कहा कि काश! वह भी लेखक के देश में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता। उसके ऐसा कहने पर लेखक ने उस पठान से पूछा कि क्या उस को लेखक की बात पर विश्वास नहीं है। लेखक के पूछने पर पठान ने कहा कि उसको लेखक की बात पर तो पूरा यकीन हो गया है, पर उसे लेखक के धर्म पर विश्वास नहीं हो रहा कि लेखक हिंदू है। क्योंकि वहाँ पाकिस्तान में कोई भी हिंदू लेखक की कही हुई बातों को इतने गर्व के साथ किसी मुसलमान से नहीं कह सकता था।

 

प्रश्न 12 – लेखक से प्रभावित हो कर हामिद खाँ लेखक से अपने दिल की कौन सी बात कहता है?

उत्तर – हामिद खाँ लेखक से कहता है कि भाई जान, अत्याचार करने वालों की इस दुनिया में शैतान भी लुक-छिपकर चलता है। किसी गुस्सा दिखा कर या जबरदस्ती या मजबूर करके कोई किसी का प्यार नहीं खरीद सकता। लेखक ईमान से मुहब्बत के नाते उसके होटल में खाना खाने आया है। लेखक की ऐसी ईमानदारी और मुहब्बत का असर उसके दिल में आखिर क्यों न पड़े? अगर हिंदू और मुसलमान ईमान से आपस में मुहब्बत करते तो कितना अच्छा होता।

 

प्रश्न 13 – हामिद खाँ ने लेखक से खाना खाने के पैसे क्यों नहीं लिए और लेखक ने क्या कहा जिससे हामिद खाँ पैसे ले लें?

उत्तर – लेखक ने हामिद खाँ की दूकान पर बड़े शौक से भरपेट खाना खाया। खाना खाने के बाद जेब में हाथ डालते हुए लेखक ने हामिद खाँ से पूछा कि भोजन के कितने पैसे हुए? हामिद खाँ ने मुसकराते हुए लेखक का हाथ पकड़ लिया और बोला कि लेखक उसे माफ कर दें क्योंकि वह भोजन के पैसा नहीं लेगा क्योंकि लेखक हामिद खाँ का मेहमान हैं।

हामिद खाँ की इस बात को सुन कर लेखक ने बड़े प्यार से हामिद खाँ से कहा कि मेहमाननवाजी की बात अलग है। एक दुकानदार के नाते हामिद खाँ को खाने के पैसे लेने पड़ेंगे। लेखक ने हामिद खाँ को लेखक की मुहब्बत की कसम भी दी। ताकि वह लेखक की बात को न टाल  सके।

 

प्रश्न 14 – भोजन के पैसे वापिस लौटाते हुए हामिद खाँ ने लेखक से क्या कहा?

उत्तर – भोजन के लिए लेखक ने एक रुपये के नोट को हामिद खाँ की ओर बढ़ाया। वह उन पैसों को लेने में हिचकिचा रहा था। उसने वह रूपया लेखक से लेकर फिर से लेखक के ही हाथ में रख दिया। रूपए को लेखक के हाथों में रखते हुए हामिद खाँ ने लेखक से कहा कि उस ने लेखक से खाने के पैसे ले लिए हैं, मगर वह चाहता है कि यह एक रूपया लेखक के ही हाथों में रहे और जब लेखक अपने देश वापिस पहुँचें तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इस पैसे से पुलाव खाएँ और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें। 

 

प्रश्न 15 – पाठ के अनुसार लेखक के मन में हामिद खाँ की यादे किस तरह बसी हुई हैं?

उत्तर – हामिद की दूकान से लौटकर लेखक तक्षशिला के खंडहरों की तरफ घूमने चला आया। उसके बाद लेखक ने फिर कभी हामिद खाँ को नहीं देखा। पर हामिद खाँ की वह आवाज, उसके साथ बिताए क्षणों की यादें आज भी लेखक के मन में बिलकुल ताजा हैं। उसकी वह मुसकान आज भी लेखक के दिल में बसी है।

आज वर्तमान में जब लेखक ने तक्षशिला के सांप्रदायिक दंगों की चिंगारियों की आग के बारे में सुना तो लेखक भगवान् से यही प्रार्थना कर रहा है कि हामिद और उसकी वह दुकान जिसने लेखक को उस कड़कड़ाती दोपहर में छाया और खाना देकर लेखक की भूख को संतोष प्रदान किया था, वह सही-सलामत बची रहे।

 

प्रश्न 16 – ‘दूसरे देश में मुसकराहट ही आपकी रक्षा करती है और हर काम में आपकी सहायक सिद्ध होती है’ पंक्ति से लेखक का क्या आशय है?

उत्तर – जब लेखक गाँव में होटल ढूंढ रहा था तब अचानक एक दुकान लेखक को नजर आई जहाँ चपातियाँ पकाई जा रही थीं। चपातियों की सोंधी महक से लेखक के पाँव अपने आप उस दुकान की ओर मुड़ गए। लेखक ने जीवन के अपने अनुभवों से यह जान लिया था कि दूसरे देश में मुसकराहट ही आपकी रक्षा करती है और हर काम में आपकी सहायक सिद्ध होती है। यहाँ लेखक के कहने का तात्पर्य यह है कि जब आप दूसरे देश में होते हैं और आप सभी के साथ ख़ुशी से रहते हैं तो वे लोग भी आपके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं और दूर देश में भी आपका काम आसान हो जाता है। 

 

प्रश्न 17 – लेखक ने हामिद खाँ की दूकान का वर्णन किस प्रकार किया है?

उत्तर – बैंच पर बैठकर लेखक ने हामिद खाँ की दुकान के भीतर झाँककर देखा। उस दूकान का आँगन बिना किसी तरीके से लीपा हुआ था, उस दूकान की दीवारें धूल से सनी हुई थी। उस दूकान के एक कोने में एक खाट पड़ी हुई थी जिस पर एक दाढ़ी वाला बुड्ढा गंदे तकिए पर कोहनी टेके हुए हुक्का पी रहा था। उसके हुक्के पिने के ढंग से लेखक को ऐसा लग रहा था कि उसने उस हुक्के की गुड़गुड़ाहट में अपने-आपको ही नहीं, बल्कि सारे संसार को भुला रखा था। कहने का तात्पर्य यह है कि वह अपनी ही मस्ती में हुक्का पी रहा था। उसे किसी से कोई मतलब नहीं था।


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