NCERT Class 9 Hindi Chapter 5 Hamid Khan Important Question Answers (Extra Questions) From Sanchayan Book 

 

 

 

 

Hamid Khan Important Question Answers 

 

प्रश्न 1 – लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?

उत्तर – हामिद पाकिस्तानी मुसलमान था। वह तक्षशिला के पास एक गाँव में होटल चलाता था। लेखक तक्षशिला के खंडहर देखने के लिए पाकिस्तान आया तो हामिद के होटल पर खाना खाने पहुँचा। पहले तो हामिद खाँ लेखक को बहुत घूर-घूर कर देख रहा था परन्तु जब उन्होंने आपस में बात की तो हामिद खाँ लेखक से बहुत प्रभावित हुआ। वहीं पर उनका आपस में परिचय भी हुआ।

 

प्रश्न 2 – काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।’-हामिद ने ऐसा क्यों कहा?

 
 

उत्तर – लेखक और हामिद ने जब आपस में बातचीत की तो उस बातचीत के दौरान हामिद को पता चला कि भारत में हिंदू-मुसलमान सौहार्द से मिल-जुलकर रहते हैं। लेकिन पाकिस्तान में हिंदू-मुसलमानों को आतताइयों की औलाद समझते हैं। वहाँ सांप्रदायिक सौहार्द की कमी के कारण आए दिन हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे होते रहे हैं।

लेखक की बात हामिद को सपने जैसी लग रही थी क्योंकि वह सपने में भी नहीं सोच सकता था कि हिन्दू-मुस्लिम भी आपस में कहीं प्यार से रहते होंगे। इसीलिए लेखक की बात सुनकर हामिद ने कहा कि काश वह भी लेखक के मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।

 

प्रश्न 3 – हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?

उत्तर – हामिद को लेखक की भेदभाव रहित बातों पर विश्वास नहीं हुआ। लेखक ने हामिद को बताया कि उनके प्रदेश में हिंदू-मुसलमान बड़े प्रेम से रहते हैं। वहाँ के हिंदू बढ़िया चाय या पुलावों का स्वाद लेने के लिए मुसलमानी होटल में बिना किसी हिचकिचाहट के जाते हैं। पाकिस्तान में ऐसा होना संभव नहीं था।

वहाँ के हिंदू मुसलमानों को अत्याचारी मानकर उनसे नफरत करते थे। और वहाँ हर दिन दंगे होते ही रहते थे। हामिद को लेखक के हिन्दू होने की बात पर भी विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकी उसने कभी किसी हिन्दू को किसी मुस्लिम से इतने प्यार से बात करते नहीं देखा था।

 

प्रश्न 4 – हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इंकार क्यों किया?

उत्तर – हामिद खाँ ने अनेक कारणों के कारण खाने का पैसा लेने से इसलिए इंकार कर दिया, ये कारण निम्नलिखित हैं –

(1) वह भारत से पाकिस्तान गए लेखक को अपना मेहमान मान रहा था।

(2) हिंदू होकर भी लेखक मुसलमान के ढाबे पर खाना खाने गया था।

(3) लेखक मुसलमानों को आतताइयों की औलाद नहीं मानता था।

(4) लेखक की सौहार्द भरी बातों से हामिद खाँ बहुत प्रभावित था।

(5) लेखक की मेहमाननवाजी करके हामिद ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा का निर्वाह करना चाहता था।

 

प्रश्न 5 – मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के आपसी संबंध बहुत घनिष्ठ हैं। जब कभी भी किसी हिंदू को अच्छी चाय या पुलाव खाने का मन होता है तो वह बिना किसी हिचकिचाहट के मुसलमानों के होटलों में चला जाता हैं। वे आपस में मिल जुलकर रहते हैं। भारत में मुसलमानों द्वारा बनाई गई पहली मसजिद लेखक के ही राज्य में है। वहाँ सांप्रदायिक दंगे भी बहुत कम होते हैं।

 

प्रश्न 6 – तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है?

उत्तर – तक्षशिला में आगजनी की खबर सुनकर लेखक के मन में हामिद खाँ और उसकी दुकान के आगजनी से प्रभावित होने का विचार कौंधा। वह सोच रहा था कि कहीं हामिद की दुकान इस आगजनी का शिकार न हो गई हो। वह हामिद की सलामती की प्रार्थना करने लगा। इससे लेखक के कृतज्ञ होने, हिंदू-मुसलमानों को समान समझने की मानवीय भावना रखने वाले स्वभाव का पता चलता है।

 

 
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Hamid Khan Important MCQs (बहुविकल्पात्मक प्रश्न)

 

प्रश्न 1 – लेखक कहाँ घूमने गया था?

(क) पाकिस्तान 

(ख) तक्षशिला 

(ग) हामिद की दूकान पर 

(घ) लेखक के पड़ोस में 

उत्तर – (ख) तक्षशिला 

 

प्रश्न 2  – हामिद की दूकान का आँगन कैसा था?

(क) बहुत सुंदर 

(ख) खण्डरों की तरह 

(ग) बिना किसी तरीके से लिपा हुआ  

(घ) धूल से सना हुआ 

उत्तर – (ग) बिना किसी तरीके से लिपा हुआ  

 

प्रश्न 3 – दूकान के कोने में पड़ी खाट पर दाढ़ी वाला बुड्ढा गंदे तकिए पर कोहनी टेके हुए क्या कर रहा था?

(क) हुक्का पी रहा था

(ख) सो रहा था 

(ग) खाना खा रहा था 

(घ) लेखक को घूर-घूरकर देख रहा था 

उत्तर – (क) हुक्का पी रहा था

 

प्रश्न 4 – हामिद खाँ के अनुसार हिन्दुओं की नजर में मुसलमान कैसे हैं?

(क) अत्याचार करने वाले 

(ख) अत्याचार करने वालों की संताने 

(ग) दंगे करने वाले 

(घ) हिन्दुओं का मजाक बनाने वाले 

उत्तर – (ख) अत्याचार करने वालों की संताने

 

प्रश्न 5 – हामिद खाँ ने जब अब्दुल को बुलाया तब अब्दुल क्या कर रहा था?

(क) खाना खा रहा था 

(ख) सो रहा था 

(ग) मिर्च सूखा रहा था 

(घ) खाना बना रहा था 

उत्तर – (ग) मिर्च सूखा रहा था 

 

प्रश्न 6 – हामिद खाँ ने किस भाषा में अब्दुल को आदेश दिया?

(क) उर्दू 

(ख) फारसी 

(ग) अरबी 

(घ) पश्तो 

उत्तर – (घ) पश्तो 

 

प्रश्न 7 – हामिद खाँ किस तरह का व्यक्ति था?

(क) भावुक और मिलनसार 

(ख) स्नेही और चालाक 

(ग) विद्वान और समझदार 

(घ) क्रूर और कट्टरपंथी 

उत्तर – (क) भावुक और मिलनसार

 

प्रश्न 8 – लेखक से खाने के पैसे न लेने का हामिद खाँ ने क्या कारण बताया?

(क) लेखक उनका मेहमान है 

(ख) लेखक उनका सम्बन्धी है 

(ग) लेखक परोपकारी है 

(घ) लेखक ईमानदार है 

उत्तर – (क) लेखक उनका मेहमान है

 

प्रश्न 9 – लेखक ने भारत के विषय में कौन सी बात बताई, जिसे सुनकर हामिद खाँ हैरान हो गया?

(क) भारत में मुस्लिम दंगे करते हैं 

(ख) भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाइयों की तरह रहते हैं 

(ग) भारत में हिन्दू मुस्लमानों पर अत्याचार करते हैं 

(घ) भारत में मस्जिदें नहीं हैं 

उत्तर – (ख) भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाइयों की तरह रहते हैं 

 

प्रश्न 10 – यह पाठ हमें क्या शिक्षा देता है?

(क) धार्मिक कट्टरता को बनाए रखने की 

(ख) धार्मिक सद्भावना को अपनाने की 

(ग) मस्तिष्क के दरवाजे खोलने की 

(घ) सबकी मदद करने की 

उत्तर – (ख) धार्मिक सद्भावना को अपनाने की 
 

 

 

Hamid Khan Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न)

 

प्रश्न 1 – हामिद खाँ कौन था? लेखक उसके लिए ईश्वर से प्रार्थना क्यों कर रहा था?

उत्तर – हामिद खाँ एक मुसलमान पठान था। हामिद खाँ तक्षशिला में रहता था। हामिद मानव प्रेम में आस्था रखने वाला व्यक्ति था। लेखक के साथ उसका भावनात्मक जुड़ाव भी था। तक्षशिला में आगजनी की घटना हुई थी इसलिए अखबार में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक को हामिद खाँ और उसकी दूकान की चिंता होने लगी थी, जिस कारण  उसकी सलामती के लिए लेखक ईश्वर से प्रार्थना करने लगा था।

 

प्रश्न 2 – हामिद खाँ लेखक के मुल्क जाकर अपनी आँखों से क्या देखना चाहता था?

उत्तर – जब लेखक ने हामिद खाँ को यह बताया कि मालाबार (केरल) में हिन्दू-मुसलमान मिलकर रहते हैं, एक दूसरे के तीज त्योहार में शामिल होते हैं, उनमें दंगे न के बराबर होते हैं, भारत में मुसलमानों द्वारा पहली मस्जिद का निर्माण उसके राज्य में ही किया गया। हामिद खाँ को इन सब बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था। वह ऐसी अच्छी जगह को अपनी आँखों से देखना चाहता था।

 

प्रश्न 3 – तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार आया? 

उत्तर – तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक को हामिद खाँ की याद आ गई। उसकी दूकान में लेखक ने खाना खाया था। लेखक के मन में  हामिद खाँ की आवाज, उसके साथ बिताए क्षणों की यादें आज भी ताजा हैं। उसकी मुस्कान उसके दिल में बसी है। लेखक की यही कामना है कि तक्षशिला के साम्प्रदायिक दंगों की चिंगारियों की आग से हामिद और उसकी वह दुकान जिसने लेखक को दोपहर में छाया और खाना देकर लेखक की क्षुधा को तृप्त किया था, वह बचे रहें। 

 

प्रश्न 4 – मालाबार में हिन्दू-मुसलमानों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में ‘हामिद खाँ’ पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर – मालाबार में हिन्दू-मुसलमान प्रेम से रहते हैं। यदि किसी को बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बेखटके मुसलमानी होटल में जाया करते हैं। यहाँ सब मिल-जुलकर रहते हैं। मुसलमानों ने भारत में जिस पहली मस्जिद का निर्माण किया, वह मालाबार के ‘कोडुंगल्लूर में है। यहाँ दंगे भी नहीं के बराबर होते हैं। यहाँ आपसी समझ व सद्भावना है।

 

प्रश्न 5 – समाचार पत्र में कौन सी खबर पढ़ कर लेखक को हामिद खाँ की याद आई? 

उत्तर – जब लेखक ने तक्षशिला जो की पाकिस्तान में है वहाँ पर उपद्रवियों यानी शरारती लोगों द्वारा आग लगाने के बारे में समाचार पत्र में खबर पढ़ी तो खबर पढ़ते ही लेखक को हामिद खाँ की याद आ गई। क्योंकि लेखक इस बात से परेशान हो रहा था कि हामिद खाँ की दूकान भी तक्षशिला के पास ही थी और कहीं आग के कारण हामिद खाँ और उसकी दूकान को कोई नुकसान न हो गया हो, यही सोचते हुए लेखक हामिद खाँ को याद करने लगा। 

 

प्रश्न 6 – लेखक ने पाठ में गाँव का वर्णन किस प्रकार किया है?

उत्तर – लेखक गाँव का वर्णन करते हुए बताता है कि एक ओर कड़कड़ाती धूप थी और दूसरी ओर भूख और प्यास के मारे लेखक का बुरा हाल हो रहा था। परेशान हो कर लेखक रेलवे स्टेशन से करीब पौन मील की दूरी पर बसे एक गाँव की ओर निकल पड़ा। जैसे-जैसे लेखक गाँव में बढ़ता जा रहा था लेखक ने देखा की गाँव में हाथ की रेखाओं की तरह फैली गलियों से भरा तंग बाजार था। जहाँ कहीं भी लेखक की नज़र पड़ रही थी हर तरफ धुआँ, मच्छर और गंदगी से भरी जगहें ही दिख रही थी। कहीं-कहीं तो लेखक का स्वागत सड़े हुए चमड़े की बदबू ने किया। लेखक को वहाँ लंबे कद के पठान उनकी हमेशा की तरह मस्त चाल में चलते नज़र आ रहे थे। 

 

प्रश्न 7 – “गाँव में होटल की जरूरत ही क्या होगी?” लेखक ने ऐसा क्यों कहा स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – लेखक ने गाँव के बाजार के चारों तरफ चक्कर लगा लिया था, पर लेखक को कोई होटल नज़र नहीं आया था। होटल न दिखने पर लेखक के मन में विचार आया कि इस गाँव में होटल की जरूरत ही क्या होगी? लेखक यह इसलिए सोच रहा था क्योंकि रेलवे स्टेशन से इतनी दूर इस गाँव में होटल की क्या जरूरत होगी क्योंकि उस गाँव में देखने के लिए कोई सुंदर जगह तो थी नहीं जो लोग वहाँ आते और लोगों के न आने पर गाँव वाले भला होटल किसके लिए खोलेंगे?

 

प्रश्न 8 – लेखक ने जीवन के अपने अनुभवों से क्या जान लिया था?

उत्तर – लेखक ने जीवन के अपने अनुभवों से यह जान लिया था कि दूसरे देश में मुसकराहट ही आपकी रक्षा करती है और हर काम में आपकी सहायक सिद्ध होती है। यहाँ लेखक के कहने का तात्पर्य यह है कि जब आप दूसरे देश में होते हैं और आप सभी के साथ ख़ुशी से रहते हैं तो वे लोग भी आपके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं और दूर देश में भी आपका काम आसान हो जाता है। इसीलिए लेखक भी मुसकराते हुए दुकान के अंदर चला गया।

 

प्रश्न 9 – हामिद खाँ का व्यवहार शुरुआत में लेखक के साथ कैसा था?

उत्तर – लेखक ने जैसे ही दुकान में प्रवेश किया, हामिद खाँ अपनी हथेली पर रखे आटे को बेलना छोड़कर लेखक की ओर घूर-घूरकर देखने लगा। उसे घूरता हुआ देख कर भी लेखक उसकी तरफ देखकर मुसकरा दिया। लेखक के उसकी ओर मुस्कुराने के बाद भी उसके चेहरे के हाव-भाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।

वह लेखक को बिना किसी की परवाह के साथ तीखी नजर से निहारे जा रहा था। लेखक ने बहुत ही धीमी आवाज में उस चपाती बनाने वाले पठान से यानी हामिद खाँ से पूछा कि खाने को कुछ मिलेगा? उसने लेखक से कहा कि चपाती और गोश्त या सब्जी का मसालेदार शोरबा है, ये कह के उस पठान ने लेखक को एक बेंच की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वहाँ बैठ जाइए। लेखक उस बेंच पर बैठकर रूमाल से हवा करने लगा।

 

प्रश्न 10 – लेखक ने अपने बारे में हामिद खाँ को क्या बताया?

उत्तर – जब लेखक दूकान में बैठा हुआ अपने खाने का इंतज़ार कर रहा था तब चपाती को अंगारों पर रखते हुए उस अधेड़ उम्र के पठान यानि हामिद खाँ ने लेखक से पूछा कि लेखक कहाँ का रहने वाला है? लेखक ने उसे जवाब दिया कि लेखक मालाबार का रहने वाला है। हामिद ने मालाबार नाम नहीं सुना था। आटे को हाथ में लेकर गोलाकार बनाते हुए हामिद ने फिर लेखक से मालाबार के बारे में पूछा कि क्या यह हिंदुस्तान में ही है ? लेखक ने हाँ में उत्तर देते हुए कहा कि यह भारत के दक्षिणी छोर-मद्रास के आगे है। पठान ने फिर लेखक से पूछा कि क्या लेखक हिंदू हैं? लेखक ने फिर हाँ में उत्तर दिया और कहा कि उसका जन्म एक हिंदू घर में हुआ है।

 

प्रश्न 11 – हामिद को लेखक की किस बात पर हैरानी हुई और वह क्या यकीन नहीं कर पा रहा था?

उत्तर – लेखक से यह सुनने के बाद कि वह हिन्दू है हामिद ने एक फीकी मुसकराहट के साथ लेखक से पूछा कि क्या लेखक एक हिन्दू होते हुए मुसलमानी होटल में खाना खाएगा? इस पर लेखक ने कहा कि क्यों नहीं? लेखक वहाँ खाना जरूर खाएगा और लेखक ने उस पठान से कहा कि जहाँ लेखक रहता है वहाँ तो अगर किसी को बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो वे लोग बिना किसी हिचकिचाहट के मुसलमानी होटल में जाया करते हैं। जब लेखक ने उस पठान को यह बताया था कि लेखक के शहर में जब किसी को अच्छी चाय या पुलाव खाने का मन होता है तो वे बिना किसी की परवाह किए मुस्लिम होटल में चले जाते हैं तो वह पठान लेखक की इस बात पर विश्वास नहीं कर पाया था। लेखक ने उसे बड़े गर्व के साथ बताया था कि लेखक के शहर में हिंदू-मुसलमान में कोई फर्क नहीं है। सब मिल-जुलकर रहते हैं। लेखक ने पठान को यह भी बताया था कि भारत में मुसलमानों ने जिस पहली मस्जिद का निर्माण किया था, वह लेखक के ही राज्य के एक स्थान ‘कोडुंगल्लूर’ में है। लेखक ने यह भी बताया कि लेखक के राज्य में हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं।

पठान ने लेखक की बात को बहुत ही ध्यान से सुना और कहा कि काश! वह भी लेखक के देश में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता। उसके ऐसा कहने पर लेखक ने उस पठान से पूछा कि क्या उस को लेखक की बात पर विश्वास नहीं है। लेखक के पूछने पर पठान ने कहा कि उसको लेखक की बात पर तो पूरा यकीन हो गया है, पर उसे लेखक के धर्म पर विश्वास नहीं हो रहा कि लेखक हिंदू है। क्योंकि वहाँ पाकिस्तान में कोई भी हिंदू लेखक की कही हुई बातों को इतने गर्व के साथ किसी मुसलमान से नहीं कह सकता था।

 

प्रश्न 12 – लेखक से प्रभावित हो कर हामिद खाँ लेखक से अपने दिल की कौन सी बात कहता है?

उत्तर – हामिद खाँ लेखक से कहता है कि भाई जान, अत्याचार करने वालों की इस दुनिया में शैतान भी लुक-छिपकर चलता है। किसी गुस्सा दिखा कर या जबरदस्ती या मजबूर करके कोई किसी का प्यार नहीं खरीद सकता। लेखक ईमान से मुहब्बत के नाते उसके होटल में खाना खाने आया है। लेखक की ऐसी ईमानदारी और मुहब्बत का असर उसके दिल में आखिर क्यों न पड़े? अगर हिंदू और मुसलमान ईमान से आपस में मुहब्बत करते तो कितना अच्छा होता।

 

प्रश्न 13 – हामिद खाँ ने लेखक से खाना खाने के पैसे क्यों नहीं लिए और लेखक ने क्या कहा जिससे हामिद खाँ पैसे ले लें?

उत्तर – लेखक ने हामिद खाँ की दूकान पर बड़े शौक से भरपेट खाना खाया। खाना खाने के बाद जेब में हाथ डालते हुए लेखक ने हामिद खाँ से पूछा कि भोजन के कितने पैसे हुए? हामिद खाँ ने मुसकराते हुए लेखक का हाथ पकड़ लिया और बोला कि लेखक उसे माफ कर दें क्योंकि वह भोजन के पैसा नहीं लेगा क्योंकि लेखक हामिद खाँ का मेहमान हैं।

हामिद खाँ की इस बात को सुन कर लेखक ने बड़े प्यार से हामिद खाँ से कहा कि मेहमाननवाजी की बात अलग है। एक दुकानदार के नाते हामिद खाँ को खाने के पैसे लेने पड़ेंगे। लेखक ने हामिद खाँ को लेखक की मुहब्बत की कसम भी दी। ताकि वह लेखक की बात को न टाल  सके।

 

प्रश्न 14 – भोजन के पैसे वापिस लौटाते हुए हामिद खाँ ने लेखक से क्या कहा?

उत्तर – भोजन के लिए लेखक ने एक रुपये के नोट को हामिद खाँ की ओर बढ़ाया। वह उन पैसों को लेने में हिचकिचा रहा था। उसने वह रूपया लेखक से लेकर फिर से लेखक के ही हाथ में रख दिया। रूपए को लेखक के हाथों में रखते हुए हामिद खाँ ने लेखक से कहा कि उस ने लेखक से खाने के पैसे ले लिए हैं, मगर वह चाहता है कि यह एक रूपया लेखक के ही हाथों में रहे और जब लेखक अपने देश वापिस पहुँचें तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इस पैसे से पुलाव खाएँ और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें। 

 

प्रश्न 15 – पाठ के अनुसार लेखक के मन में हामिद खाँ की यादे किस तरह बसी हुई हैं?

उत्तर – हामिद की दूकान से लौटकर लेखक तक्षशिला के खंडहरों की तरफ घूमने चला आया। उसके बाद लेखक ने फिर कभी हामिद खाँ को नहीं देखा। पर हामिद खाँ की वह आवाज, उसके साथ बिताए क्षणों की यादें आज भी लेखक के मन में बिलकुल ताजा हैं। उसकी वह मुसकान आज भी लेखक के दिल में बसी है।

आज वर्तमान में जब लेखक ने तक्षशिला के सांप्रदायिक दंगों की चिंगारियों की आग के बारे में सुना तो लेखक भगवान् से यही प्रार्थना कर रहा है कि हामिद और उसकी वह दुकान जिसने लेखक को उस कड़कड़ाती दोपहर में छाया और खाना देकर लेखक की भूख को संतोष प्रदान किया था, वह सही-सलामत बची रहे।

 

 

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