CBSE Class 10 Hindi (Course B) Sanchayan Bhag 2 Book Chapter 3 Topi Shukla Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Topi Shukla Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course B) Sanchayan Bhag 2 Book Chapter3, “Topi Shukla”
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘रिश्तों की बुनियाद प्रेम है।’ ‘टोपी शुक्ला’ पाठ से उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। (40-50 शब्दों में)
उत्तर – ‘रिश्तों की बुनियाद ‘प्रेम’ है।’ यह कथन ‘टोपी शुक्ला’ पाठ से स्पष्ट होता है। टोपी शुक्ला पाठ से ज्ञात होता है कि टोपी के घर में उसकी दादी, माता-पिता के अलावा एक बड़ा और एक छोटा भाई भी है। उसके घर में काम करने वाली सीता और केतकी नामक दो नौकरानियाँ हैं। परन्तु टोपी अपने घर में प्रेम के लिए तरसता है। टोपी को जो प्रेम उसके परिवार से नहीं मिला वही प्रेम उसे अपने मित्र इफ़्फ़न और उसकी दादी और अपने घर की नौकरानी सीता से मिलता है। प्रेम न तो जाति देखता है और न ही मज़हब। टोपी को जहाँ अपने ही परिवार से प्रेम नहीं मिला वहाँ उसे वही प्रेम बाहर दूसरे लोगों से मिला। इस प्रकार नि:संदेह कहा जा सकता है कि प्रेम मानवीय रिश्तों की बुनियाद है। प्रेम किसी से भी, कहीं भी, कभी भी हो सकता है। इसकी कोई सीमा नहीं होती।
प्रश्न 2 – ‘टोपी शुक्ला‘ पाठ में टोपी के लगातार दो बार फ़ेल हो जाने के जो कारण दिए गए हैं, क्या आप उनसे सहमत हैं ? सहमति या असहमति दोनों स्थितियों में अपने विचार व्यक्त कीजिए । (40-50 शब्दों में)
उत्तर – टोपी शुक्ला के लगातार दो बार फेल होने के कारणों से मैं सहमत हूँ। पारिवारिक उपेक्षा, भावनात्मक असुरक्षा और आत्मसम्मान की कमी ने उसके पढ़ाई में रुचि को प्रभावित किया। अगर परिवार के लोग उसे गंभीरता से लेते, सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देते तो वह बेहतर कर सकता था।
प्रश्न 3 – आपका घनिष्ठ मित्र दूसरे मजहब का है, आपके घर में उसका स्वागत किस प्रकार होता है? विस्तार से लिखिए। (40-50 शब्दों में)
उत्तर – मेरा घनिष्ठ मित्र दूसरे मजहब का है, फिर भी हमारे घर में उसका स्वागत बहुत आदर और स्नेह के साथ होता है। परिवार के सभी सदस्य उसे अपने परिवार का ही एक हिस्सा मानते हैं। हम एक-दूसरे के धर्म और परंपराओं का सम्मान करते हैं। त्योहारों पर हम एक-दूसरे के घर जाकर साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, जिससे हमारे रिश्ते और भी मजबूत होते हैं।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘मैत्री धर्म, जाति, रंग-भेद, प्रतिष्ठा आदि से ऊपर शुद्ध प्रेम और भावनाओं का प्रतिबिंब है।’ ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मैत्री धर्म, जाति, रंग-भेद, प्रतिष्ठा आदि से ऊपर शुद्ध प्रेम और भावनाओं का प्रतिबिंब है।’ ‘टोपी शुक्ला’ पाठ में लेखक ने इस तथ्य को स्पष्ट किया है। लेखक ने दो परिवारों का वर्णन किया है जिसमें से एक हिन्दू और दूसरा मुस्लिम परिवार है। दोनों परिवार समाज के बनाए नियमों के अनुसार एक दूसरे से नफ़रत करते हैं परन्तु दोनों परिवार के दो बच्चों में गहरी दोस्ती हो जाती है। ये दोस्ती दिखाती है कि बच्चों की भावनाएँ किसी भेद को नहीं मानती। एक को सभी प्यार से टोपी कह कर पुकारते हैं और दूसरे को इफ़्फ़न। इफ़्फ़न की दादी की बोली टोपी के दिल में उतर गई थी, उसे भी इफ़्फ़न की दादी की बोली बहुत अच्छी लगती थी। टोपी की माँ और इफ़्फ़न की दादी की बोली एक जैसी थी। टोपी जब भी इफ़्फ़न के घर जाता था तो उसकी दादी के ही पास बैठने की कोशिश करता था।“अम्माँ”। “अब्बू”। “बाजी”। उसे ये शब्द बहुत पसंद आए। एक दिन टोपी के मुँह से खाना खाते समय अम्मी! शब्द सुनते ही मेज़ पर बैठे सभी लोग चौंक गए, टोपी की माँ ने टोपी को फिर बहुत मारा। एक ही बात बार-बार पूछ रही थी कि क्या अब वो इफ़्फ़न के घर जाएगा? इसके उत्तर में हर बार टोपी “हाँ” ही कहता था।
प्रश्न 2 – ‘उम्र का फासला आत्मीय संबंधों में बाधा नहीं बनता।’ ‘हरिहर काका’ और ‘टोपी शुक्ला ‘ कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर – ‘उम्र का फासला आत्मीय संबंधों में बाधा नहीं बनता।’ ‘टोपी शुक्ला’ कहानी में भी इफ़्फ़न की दादी की बोली टोपी के दिल में उतर गई थी, उसे भी इफ़्फ़न की दादी की बोली बहुत अच्छी लगती थी। टोपी जब भी इफ़्फ़न के घर जाता था तो उसकी दादी के ही पास बैठने की कोशिश करता था। टोपी को इफ़्फ़न की दादी का हर एक शब्द शक़्कर की तरह मिट्ठा, पक्के आम के रस को सुखाकर बनाई गई मोटी परत की तरह मज़ेदार, तिल के बने व्यंजनों की तरह अच्छा लगता था। इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी के लिए इफ़्फ़न का पूरा घर खाली हो चुका था। उसका इफ़्फ़न की दादी से बहुत गहरा सम्बन्ध बन गया था। दोनों अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे क्योंकि दोनों को ही उनके घर में कोई समझने वाला नहीं था। दोनों ने एक दूसरे का अकेलापन दूर कर दिया था।
‘हरिहर काका’ कहानी में भी लेखक का हरिहर काका के प्रति जो प्यार था वह लेखक का उनके व्यवहार के और उनके विचारों के कारण था और उसके दो कारण थे। पहला कारण था कि हरिहर काका लेखक के पड़ोसी थे और दूसरा कारण लेखक को उनकी माँ ने बताया था कि हरिहर काका लेखक को बचपन से ही बहुत ज्यादा प्यार करते थे। जब लेखक व्यस्क हुआ तो उसकी पहली दोस्ती भी हरिहर काका के साथ ही हुई थी।
प्रश्न 3 – ‘टोपी शुक्ला का दोस्त इफ्फन था लेकिन उसकी घनिष्ठ दोस्ती इफ्फन की दादी से भी थी।’ इस कथन को ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – दोनों परिवार समाज के बनाए नियमों के अनुसार एक दूसरे से नफ़रत करते हैं परन्तु दोनों परिवार के दो बच्चों में गहरी दोस्ती हो जाती है। ये दोस्ती दिखाती है कि बच्चों की भावनाएँ किसी भेद को नहीं मानती। दोनों में इतनी घनिष्ठ मित्रता थी कि टोपी मार खाने के बाद भी इफ़्फ़न के घर जाने से नहीं कतराता था। इफ़्फ़न के घर आने से टोपी की मित्रता इफ़्फ़न की दादी से भी हो गई थी। इनका सम्बन्ध आत्मीय था। टोपी को इफ़्फ़न की दादी के साथ बैठना पसंद था, उसे उनकी बातें बहुत अच्छी लगती थी। उसका इफ़्फ़न की दादी से बहुत गहरा सम्बन्ध बन गया था। दोनों अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे क्योंकि दोनों को ही उनके घर में कोई समझने वाला नहीं था। दोनों ने एक दूसरे का अकेलापन दूर कर दिया था। इफ़्फ़न की दादी के देहांत से टोपी को बहुत बुरा लगा था। यहाँ तक कि वह चाहता था कि इफ़्फ़न की दादी के बदले उसकी दादी का देहांत होना चाहिए था।
प्रश्न 4 – ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर लिखिए कि टोपी शुक्ला के बार-बार फेल होने के पीछे क्या कारण रहे होंगे। शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए अपने सुझाव भी दीजिए।
उत्तर – दसवीं कक्षा में पहुँचने के लिए टोपी को बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ी थी। दो साल तो टोपी फेल ही हुआ था। वह पढ़ाई में बहुत तेज़ था परन्तु उसे कोई पढ़ने ही नहीं देता था। जब भी टोपी पढ़ाई करने बैठता था तो कभी उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू को कोई काम याद आ जाता था या उसकी माँ को कोई ऐसी चीज़ मँगवानी पड़ जाती जो नौकरों से नहीं मँगवाई जा सकती थी, अगर ये सारी चीज़े न होती तो कभी उसका छोटा भाई भैरव उसकी कापियों के पन्नों को फाड़ कर उनके हवाई जहाज़ बना कर उड़ाने लग जाता। यह तो थी पहले साल की बात। दूसरे साल उसे टाइफ़ाइड हो गया था। जिसके कारण वह पढ़ाई नहीं कर पाया और दूसरी साल भी फेल हो गया। लगातार दो वर्ष फेल होने पर मिलने वाले ताने टोपी को बहुत बुरे लगते थे और उसने उसी समय कसम खाई कि तीसरी साल उसे टाइफ़ाइड हो या टाइफ़ाइड का बाप, वह पास होकर ही दिखाएगा। परन्तु साल के बीच में ही चुनाव आ गए। टोपी के पिता चुनाव लड़ने के लिए खड़े हो गए। अब जिस घर में कोई चुनाव के लिए खड़ा हो, उस घर में कोई पढ़-लिख कैसे सकता है? जैसा वातावरण टोपी के घर में बना हुआ था, ऐसे वातावरण में कोई कैसे पढ़ सकता था? इसलिए टोपी का पास हो जाना ही बहुत था।
हमारे अनुसार शिक्षा व्यवस्था में कुछ परिवर्तन किए जा सकते हैं जिससे बच्चों को मानसिक तनाव से न गुजरना पड़े –
- कक्षा में कमजोर विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त कक्षा की व्यवस्था की जा सकती है।
- तनाव से गुजरने वाले बच्चों के लिए मनोचिकित्सक को विद्यालय भ्रमण करवाया जा सकता है।
- अध्यापकों को भी मनोचिकित्सा की तकनीकों को सिखाया जाना चाहिए।
- परीक्षा के दौरान कोई ऐसी गतिविधि नहीं करवानी चाहिए जिससे विद्यार्थियों का मन पढ़ाई से भटके।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – इफ़्फ़न का अपनी दादी से विशेष लगाव होने के क्या कारण थे ? ‘टोपी शुक्ला’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इफ़्फ़न के घर आने से टोपी की मित्रता इफ़्फ़न की दादी से भी हो गई थी। इनका सम्बन्ध आत्मीय था। टोपी को इफ़्फ़न की दादी के साथ बैठना पसंद था, उसे उनकी बातें बहुत अच्छी लगती थी। उसका इफ़्फ़न की दादी से बहुत गहरा सम्बन्ध बन गया था। दोनों अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे क्योंकि दोनों को ही उनके घर में कोई समझने वाला नहीं था। दोनों ने एक दूसरे का अकेलापन दूर कर दिया था। इफ़्फ़न की दादी के देहांत से टोपी को बहुत दुःख हुआ था। यहाँ तक कि वह चाहता था कि इफ़्फ़न की दादी के बदले उसकी दादी का देहांत होना चाहिए था।
प्रश्न 2 – ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के नायक टोपी शुक्ला की परेशानियों को देखते हुए आप शिक्षा-व् -व्यवस्था में किस तरह के सुधार लाना चाहेंगे ?
उत्तर – ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के नायक टोपी शुक्ला की परेशानियों को देखते हुए हम शिक्षा-व्-व्यवस्था में निम्नलिखित सुधार लाना चाहेंगे –
अध्यापकों को बच्चों के साथ थोड़ा मैत्रिपूर्ण स्वभाव रखना चाहिए। जिससे वे अपनी परेशानी बे-झिझक अध्यापकों को बता सकें।
कक्षा में कमजोर विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त कक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
तनाव से गुजरने वाले बच्चों के लिए मनोचिकित्सक को विद्यालय भ्रमण करवाया जाना चाहिए।
अध्यापकों को भी मनोचिकित्सा की तकनीकों को सिखाया जाना चाहिए।
परीक्षा के दौरान कोई ऐसी गतिविधि नहीं करवानी चाहिए जिससे विषयार्थियों का मन पढ़ाई से भटके।
प्रश्न 3 – इफ्फ़न के पिता के तबादले के बाद टोपी शुक्ला का कोई और मित्र क्यों नहीं बन सका ? इसका उसके बालमन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – इफ्फ़न के पिता के तबादले के बाद टोपी शुक्ला का कोई और मित्र नहीं बन सका। टोपी दादी के मरने के बाद तो अकेला महसूस कर ही रहा था और अब इफ़्फ़न के चले जाने पर वह और भी अकेला हो गया था क्योंकि दूसरे कलेक्टर ठाकुर हरिनाम सिंह के तीन लड़कों में से कोई उसका दोस्त नहीं बन सका था। पढ़ाई में भी लगातार फेल होने के कारण उसके साथ पढ़ने वाले आगे बढ़ गए और वह अपने से छोटे लड़कों के साथ दोस्ती नहीं कर पाया। इन सब का उसके बालमन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। वह अकेलेपन के कारण तनाव में रहने लगा और पढ़ाई में भी लगातार पिछड़ता गया।
प्रश्न 4 – ‘टोपी शुक्ला’ कहानी के आधार पर लिखिए कि कहानी का प्रमुख पात्र टोपी अपने बड़े भाई मुन्नी बाबू से क्यों चिढ़ता था। टोपी के साथ मुन्नी बाबू द्वारा किए गए व्यवहार को आप कितना उचित मानते हैं ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर – ‘टोपी शुक्ला’ कहानी का प्रमुख पात्र टोपी अपने बड़े भाई मुन्नी बाबू से इसलिए चिढ़ता था क्योंकि परिवार के लोग टोपी पर विश्वास नहीं करते थे। एक दिन जब टोपी को इफ़्फ़न के घर जाने के लिए, मार पड़ रही थी तब मुन्नी बाबू एक और बात जोड़ कर बोले कि एक दिन टोपी को उन्होंने रहीम कबाबची की दुकान पर कबाब खाते देखा था। यह बात झूठी थी पर इस बात पर टोपी को और ज्यादा मार पड़ी थी। ठण्ड के दिनो में जब सभी के लिए नए कपड़े बनते थे टोपी को मुन्नी बाबू का पुराना कोट मिला था। वह भी एक कारण था जिसकी वजह से टोपी अपने बड़े भाई मुन्नी बाबू को पसंद नहीं करता था। टोपी के साथ जो व्यवहार मुन्नी बाबू द्वारा किया जाता था वह अनुचित था क्योंकि उनके इस तरह व्यवहार से टोपी का मानसिक तनाव बढ़ता था। जिस कारण वह पढ़ाई में पूरा ध्यान नहीं लगा पता था।
प्रश्न 5 – टोपी शुक्ला अपनी दादी को नापसंद क्यों करता था ? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – टोपी को अपनी दादी बिलकुल भी पसंद नहीं थी। उसे तो अपनी दादी से नफ़रत थी। वह पता नहीं कैसी भाषा बोलती थी। टोपी को अपनी दादी की भाषा और इफ़्फ़न के अब्बू की भाषा एक जैसी लगती थी। टोपी की दादी उसे इफ़्फ़न से मिलने नहीं देती थी और इफ़्फ़न की तरह माँ को अम्मी बोलने पर दादी ने टोपी को खूब मार पड़वाई थी। उसकी दीदी उसे नहीं समझती थी जिस कारण टोपी अपनी दादी को बिलकुल पसंद नहीं करता था।
Questions which came in 2022 Board Exam
प्रश्न 1 – आपका घनिष्ठ मित्र दूसरे मज़हब का है, आपके घर पर उसका आदर-सत्कार किस प्रकार होता है? ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के संदर्भ में विस्तार से उत्तर दीजिए।
उत्तर – टोपी शुक्ला पाठ में टोपी व् इफ़्फ़न की दोस्ती को बहुत अच्छे से दिखाया गया है। जिस तरह उन दोनों के धर्म अलग-अलग थे किन्तु कभी भी इफ़्फ़न के घर पर टोपी को किसी भी बात के लिए ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं की गई। उसके धर्म का पूरा सम्मना व् इज़्ज़त की गई। इफ़्फ़न को भी पता था कि टोपी कहीं बाहर या किसी के घर पर कुछ नहीं खाता इसलिए जब भी वे कुछ भी खाते बाहर फल की दूकान से केले ले कर खाते थे।
मेरा घनिष्ठ मित्र भी दूसरे मज़हब का है और जब भी वह मेरे घर आता है तो उसके धर्म के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं होता। मेरी माता जी उसी की पसंद का खाना बनाने की कोशिश करती हैं और जब भी कोई त्यौहार होता है तो हमारे घर से उनके घर मिठाई जरूर जाती है।
प्रश्न 2 – आपके विचार से मित्रता की कौन-कौन सी कसौटियाँ हो सकती हैं? ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के संदर्भ में तीन बिंदु लिखिए।
उत्तर – हमारे विचार से मित्रता को किसी कसौटी पर परखा नहीं जा सकता। सच्ची मित्रता वही है जो हर कसौटी पर खरी उतरे। टोपी और इफ़्फ़न की मित्रता हमें बहुत कुछ सीखाती है। ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के संदर्भ में तीन बिंदु निम्नलिखित है –
मित्रता में कभी भी धर्म व् मज़हब मायने नहीं रखता। मित्रता इन सभी से ऊपर उठकर है।
मित्रता में कभी भी भाषा व् रीती-रिवाजों की रोक नहीं होती। किसी भी भाषा, स्थान व् मज़हब के दो व्यक्ति मित्र हो सकते हैं।
मित्रता में कभी भी उम्र बाधा नहीं बन सकती। किसी भी उम्र के व्यक्ति मित्र बन सकते हैं। मित्रता असल में एक भावना है जो किसी के भी साथ मेल खा सकती है।
प्रश्न 3 – ‘रिश्तों की बुनियाद ‘प्रेम’ है।’ इस कथन को ‘टोपी शुक्ला’ पाठ से उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘रिश्तों की बुनियाद ‘प्रेम’ है।’ यह कथन ‘टोपी शुक्ला’ पाठ से स्पष्ट होता है। टोपी शुक्ला पाठ से ज्ञात होता है कि टोपी के घर में उसकी दादी, माता-पिता के अलावा एक बड़ा और एक छोटा भाई भी है। उसके घर में काम करने वाली सीता और केतकी नामक दो नौकरानियाँ हैं। परन्तु टोपी अपने घर में प्रेम के लिए तरसता है। टोपी को जो प्रेम उसके परिवार से नहीं मिला वही प्रेम उसे अपने मित्र इफ़्फ़न और उसकी दादी और अपने घर की नौकरानी सीता से मिलता है। प्रेम न तो जाति देखता है और न ही मज़हब। टोपी को जहाँ अपने ही परिवार से प्रेम नहीं मिला वहाँ उसे वही प्रेम बाहर दूसरे लोगों से मिला। इस प्रकार नि:संदेह कहा जा सकता है कि प्रेम मानवीय रिश्तों की बुनियाद है। प्रेम किसी से भी, कहीं भी, कभी भी हो सकता है। इसकी कोई सीमा नहीं होती।
प्रश्न 4 – आप एक समृद्ध परिवार से हैं लेकिन आपका मित्र बहुत ग़रीब है। उससे दोस्ती निभाते समय आप कौन-सी सावधानियाँ बरतेंगे और क्यों? ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर – यदि मैं एक समृद्ध परिवार से हूँ और मेरा मित्र बहुत ग़रीब परिवार से सम्बन्ध रखता है तो मैं ऐसी कोई भी बात नहीं करुँगी जिससे मेरे मित्र को ऐसा लगे कि मैं उसे नीचे दिखा रही हूँ। उसके सामने कभी भी महँगी चीजों का प्रदर्शन नहीं करुँगी और न ही कभी महंगे होटल में खाना खाने जाऊँगी। कभी भी उसके घर जाने का मौका मिले तो उसके माता-पिता को भी उतना ही सम्मान दूँगी जितना मैं अपने माता-पिता को देती हूँ। वह कभी मेरे घर आए तो कभी भी किसी चीज़ का दिखावा करने से बचूँगी। क्योंकि यदि मैं उसके सामने किसी चीज़ को दिखाते हुए उसका मूल्य बताऊगी तो हो सकता है उसे बुरा लगे। यदि मैं उसके घर नहीं जाउंगी तो भी हो सकता है उसे लगे कि मुझे उसके घर में बुरा महसूस होता है। उसके साथ केवल महँगे होटलों या दुकानों में जाऊँ तो उसे ऐसा लग सकता है कि मुझे उसके साथ कभी दूसरी जगह जाने से शर्म आती है। ऐसी चीज़ें उसके मनोबल को तोड़ सकती है
प्रश्न 5 – ‘टोपी शुक्ला’ कहानी के पात्र इफ्फ़न की दादी की तरह आपकी दादी या नानी भी आपको प्यार करती होंगी, उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर – हर बच्चे को उसकी दादी व् नानी प्यार करती ही हैं। मेरी दादी भी मुझसे बहुत प्यार करती थी और हमेशा माँ की मार से वही मुझे बचाती थी। कभी-कभी छुप-छुपा कर मुझे पैसे भी दिया करती थी। उनके निधन के बाद मुझे भी टोपी की ही तरह अपना घर खाली सा लगता है। मेरी नानी भी मुझसे बहुत प्यार करती हैं। बचपन में जब भी मैं खाना खाने से मना करती थी तो वो हमेशा मेरी पसंद पूछ-पूछकर खाना बनाती थी और अपने हाथों से खिलाती थी। आज वे काफ़ी वृद्ध हो गई हैं और आज भी जब मैं उनसे मिलती हूँ तो वो मेरी पसंद का ही खाना बनवाती हैं। जब भी उनसे बिछड़ने का वक्त आता है तो आज भी वे पहले की ही तरह भावुक हो जाती हैं।
प्रश्न 6 – “इफ्फन के पिता के तबादले के बाद टोपी शुक्ला का अकेलापन और महंत और भाइयों के दुर्व्यवहार के कारण ‘हरिहर काका’ का मौन धारण वर्तमान समाज की ऐसी सच्चाई है, जिससे आज बहुत से लोग पीड़ित हैं।” इस स्थिति से निकलने में आप ऐसे लोगों को क्या सुझाव देंगे?
उत्तर – टोपी शुक्ला जैसे व्यक्तियों को हम केवल यह कह सकते हैं कि उन्हें जीवन में होने वाले बदलावों को स्वीकार करना सीखना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति हमेशा के लिए आपने साथ नहीं रह सकता। जीवन का नाम ही बदलाव है। हमें हर परिस्थितियों में अपने आप को मजबूत बनाना सीखना होगा। तभी हम अपनी भावनाओं को अपने नियंत्रण में रख सकते हैं।
हरिहर काका जैसे व्यक्तियों को चाहिए कि वे कभी भी अपनी सम्पत्ति को किसी के नाम न लिखे। वे अपने जीवन की सुरक्षा के लिए स्वयं सतर्क रहें। अपने सम्मान का स्वयं ध्यान रखें और स्वाभिमान से अपना जीवन जिए। यदि किसी भी तरह की कोई मुसीबत आती है तो वे चुप बिलकुल न बैठें। उन्हें स्वयं अपनी सुरक्षा व् स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – टोपी और इफ्फन अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे पर दोनों एक अटूट रिश्ते से बंधे थे। इस कथन के आलोक में ‘टोपी शुक्ला’ कहानी पर विचार कीजिए।
उत्तर – टोपी हिन्दू धर्म से था और इफ़्फ़न की दादी मुस्लिम थी। परन्तु टोपी और दादी का रिश्ता इतना अधिक अटूट था कि टोपी को इफ़्फ़न के घर जाने के लिए मार भी पड़ी थी परन्तु टोपी दादी से मिलने, उनकी कहानियाँ सुनाने और उनकी मीठी पूरबी बोली सुनने रोज इफ़्फ़न के घर जाता था। दादी रोज उसे कुछ-न-कुछ खाने को देती पर टोपी कभी नहीं खाता था। उसे तो दादी का हर एक शब्द गुड़ की डली की तरह लगता था। टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। दोनों एक दूसरे को खूब समझते थे।
प्रश्न 2 – मानवीय मूल्यों के आधार पर इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की दोस्ती की समीक्षा कीजिए।
उत्तर – इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला दो भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले हैं। इफ़्फ़न मुसलमान है तो टोपी शुक्ला पक्का हिंदू है। धार्मिक भिन्नता होते भी दोनों में पक्की मित्रता है। टोपी इफ्फन को बहुत चाहता है। उसके पिता का तबादला होने पर वह दुःखी होता है। वह इफ़्फ़न की दादी से बहुत प्यार करता है तथा दादी भी उसे बहुत प्यार करती है। दोनों के सम्बन्ध मानवीय धरातल पर हैं। इनके बीच में धर्म की दीवार नहीं है। यही हमारी सामाजिक संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। मानवीय प्रेम सर्वोपरि है। धर्म को इसमें बाधक नहीं बनना चाहिए।
प्रश्न 3 – ‘टोपी शुक्ला’ कहानी हमें क्या संदेश देती है? भारतीय समाज के लिए यह कैसे लाभकारी हो सकता है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर – टोपी शुक्ला कहानी हमें हमारी परम्परा सभ्यता के अनुसार भारत की विविधता में एकता व् जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक साथ रहने का संदेश देती है। इंसान में इंसानियत होनी चाहिए। धर्म जाति से ऊपर उठना चाहिए क्योंकि ये सब इंसानों द्वारा बनाया गया है। हमें परस्पर सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखना चाहिए। व्यक्ति का व्यवहार सम्मानजनक होना चाहिए। बच्चों के प्यार में कोई धर्म आड़े नहीं आता दोनों एक दूसरे से अत्यधिक प्यार करते हैं। दोनों एक दूसरे पर जान देते हैं। लेकिन हमारी पुरानी रंजिश ने इन दोनों को मिलने नहीं दिया जो हमारे समाज के लिए लाभकारी नहीं है और न ही हो सकते हैं। मिल-जुड़कर रहना हमारी परम्परा रही है। संगठित व शक्तिशाली राष्ट्र निर्माण में सहायक है। सांप्रदायिक विवाद को रोकने तथा सहिष्णुता बढ़ाने में भी सहायक है।
प्रश्न 4 – इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता पर टिप्पणी करते हुए लिखिए कि ऐसी मैत्री भारतीय समाज के लिए कैसे प्रेरक हो सकती है।
उत्तर – टोपी और इफ़्फ़न की कहानी भारतीय समाज के लिए प्रेरक हो सकती है। एक है टोपी, जो हिंदू परिवार से संबंध रखने वाला है, दूसरा है-इफ़्फ़न, जो मुस्लिम परिवार से संबंध रखता है। दोनों में गहरी मित्रता है। दोनों एक-दूसरे के सुख-दुःख बाँटते हैं। टोपी इफ़्फ़न के घर भी जाता है। टोपी को इफ़्फ़न की दादी से बेहद लगाव है, जबकि उसे अपनी दादी बिल्कुल अच्छी नहीं लगती। जिस स्नेह और अपनेपन को वह अपने घर में ढूँढता था, वह उसे इफ़्फ़न के घर, उसकी दादी से मिलता था। जब इफ़्फ़न की दादी का देहांत हुआ तो वह बहुत उदास हो गया। टोपी और इफ़्फ़न की मित्रता ऐसी थी कि दोनों को एक-दूसरे के बगैर चैन नहीं मिलता था। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया था कि मित्रता की भावना को मजहब और जाति की दीवारों में कैद नहीं किया जा सकता। आज समाज में टोपी और इफ़्फ़न जैसी मित्रता की बहुत अधिक आवश्यकता है। बच्चों में उत्पन्न प्रेम और अपनेपन का आधार मजहब या सम्पन्न परिवार के लोग नहीं होते। यह भी सच है कि मनुष्य पहले मनुष्य है, वह हिंदू या मुसलमान बाद में है। टोपी और इफ़्फ़न की मित्रता से हमें प्रेरणा मिलती है कि ऐसी सच्ची मित्रता सांप्रदायिक भावना, तनाव और झगड़ों को समाप्त करने में उपयोगी सिद्ध हो सकती है। ऐसी मित्रता समाज में मौजूद मजहब की दीवारों को भी तोड़ सकती हैं।
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