Shabd Vichar शब्द विचार की परिभाषा, भेद और उदाहरण
| Hindi Vyakaran Shabad Vichar for Class 9 and 10

 

शब्द विचार किसे कहते हैं?

Shabad Vichar in Hindi Grammar – जैसा की हम जानते हैं कि किसी भी भाषा को जानने / समझने से पहले हमें उस भाषा के व्याकरण को समझना होता है। इस लेख में हम हिंदी व्याकरण के तीन खंडों वर्ण विचार, शब्द विचार और वाक्य विचार में से दूसरे खंड शब्द विचार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने की पूरी कोशिश करेंगे। आशा करते हैं की इस लेख के जरिए शब्द विचार से सम्बंधित आपकी सभी समस्याएँ हल हो जाएगी –
 
Shabd Vichar Hindi Grammar Basics for Class 6,7,8
 

 

शब्द विचार

शब्द विचार की परिभाषा –

हिंदी व्याकरण के तीन खंड होते हैं, वर्ण, शब्द और वाक्य विचार। शब्द विचार हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड है, जिसके अंतर्गत ध्वनियों के मेल से बने सार्थक  वर्ण समूह जैसे – शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार किया जाता है।

 

शब्द की परिभाषा –

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“एक से अधिक धवनियों (वर्णों) के मेल से बने सार्थक ध्वनि-समूह (वर्ण-समुदाय) को शब्द कहते हैं।”

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि वर्णों या अक्षरों से बना ऐसा स्वतंत्र समूह जिसका कोई अर्थ हो, वह समूह शब्द कहलाता है। जैसे: लड़का, लड़की, फूल आदि।

शब्द विचार का वर्गीकरण –

अर्थ के आधार पर

बनावट या रचना के आधार पर

प्रयोग के आधार पर

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उत्पत्ति के आधार पर
 

 

 

अर्थ के आधार पर शब्द के भेद –

अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं :

सार्थक शब्द

निरर्थक शब्द

  1. सार्थक शब्द:

वे शब्द जिनसे कोई अर्थ निकलता हो, सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे: गुलाब, आदमी, विषय, घर, पुस्तक आदि।

 

  1. निरर्थक शब्द :

वे शब्द जिनका कोई अर्थ ना निकल रहा हो या जो शब्द अर्थहीन हो, निरर्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे: देना-वेना, मुक्का-वुक्का, रोटी-वोटी, खाना-वाना आदि।

रचना (बनावट) के आधार पर शब्द के भेद

रचना के आधार पर शब्द के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं:

रूढ़ शब्द

यौगिक शब्द

योगरूढ़ शब्द

  1. रूढ़ शब्द :

ऐसे शब्द जो किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं लेकिन अगर उनके टुकड़े कर दिए जाएँ तो निरर्थक हो जाते हैं। ऐसे शब्दों को रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे: जल, कल, फल आदि। जल, कल, फल एक निश्चित अर्थ प्रकट करते हैं। लेकिन अगर ज और ल को, क और ल को, फ और ल को अलग- अलग कर दिया जाये तो इनका कोई अर्थ नहीं रह जायेगा।

  1. यौगिक शब्द

दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बनने वाले शब्दों को यौगिक शब्द कहते हैं। किन्तु वे दोनों ही शब्द ऐसे होने चाहिए जो सार्थक हों यानी दोनों शब्दों का अपना-अपना अर्थ भी होना चाहिए। यौगिक शब्दों की यह एक महत्पूर्ण विशेषता है कि इसके खंड (टूकडे) करने पर भी उन खंडो के अर्थ निकलते हैं।

उदाहरण के लिए –

शीशमहल = शीश + महल

स्वदेश = स्व + देश

देवालय = देव + आलय

कुपुत्र = कु + पुत्र आदि।

इन सभी शब्दों में दो-दो शब्दों के योग हैं। शीशमहल में शीश और महल का, स्वदेश में स्व और देश का, देवालय में  देव और आलय का और कुपुत्र में कु और पुत्र   का। इन उदाहरणों में आप देख सकते हैं कि शब्दों को अलग-अलग करने पर भी प्रत्येक खंड अपना अलग अर्थ रखता है। जैसे – शीशमहल में शीश का अर्थ हुआ सर और महल का अर्थ हुआ आलिशान मकान, स्वदेश में स्व का अर्थ है अपना और देश कहा जाता है किसी राष्ट्र को, देवालय में  देव का अर्थ है भगवान् और आलय कहा जाता है रहने के स्थान को और कुपुत्र में कु का एक अर्थ है बुरा और पुत्र कहा जाता है संतान को।

  1. योगरूढ़ शब्द

ऐसे शब्द जो किन्हीं दो शब्द के योग से बने हों एवं बनने पर किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं, वे शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं। 

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो एक या एक से अधिक शब्दों के मेल से बनते हैं किन्तु वे अपने सामान्य अर्थ का बोध नहीं कराते बल्कि अपने अर्थ के विपरीत किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं। इस प्रकार के शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं। ऐसे शब्दों को बहुव्रीहि समास भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए –

नीलकंठ = नीले कंठ वाला अर्थात शिव भगवान

पंकज = कीचड़ में उत्पन्न होने वाला अर्थात कमल

दशानन = दस मुख वाला अर्थात रावण आदि।

इन उदाहरणों में आप देख सकते हैं कि नीलकंठ शब्द का अपना अर्थ है नीले कंठ वाला यानि नीले गले वाला किन्तु ये शब्द अपने अर्थ को न बताते हुए एक विशेष अर्थ को बताता है अर्थात नीलकंठ भगवान शिव के लिए प्रयोग किया जाता है। इसी तरह पंकज शब्द का अपना सामान्य अर्थ होता है कीचड़ में उत्पन्न होने वाला और इसका प्रयोग होता है कमल के लिए। इसी प्रकार दशानन का सामान्य अर्थ होता है दस मुख वाला परन्तु इसका विशेष अर्थ लिया जाता है रावण के लिए।

प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद

प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं :

विकारी शब्द

अविकारी शब्द

  1. विकारी शब्द :

शब्दों को जब वाक्यों में प्रयोग किया जाता है तो उन वाक्यों में जब लिंग, कारक और वचन आदि के अनुसार परिवर्तन हो जाता है, तो ऐसे शब्दों को विकारी शब्द कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि ऐसे शब्द जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक के अनुसार परिवर्तन होते हैं, वे शब्द विकारी शब्द कहलाते हैं।

उदाहरण के लिए –

लिंग = लड़का पढता है। —> लड़की पढ़ती है।

वचन = लड़का पढता है।—–> लड़के पढ़ते हैं।

कारक = लड़का पढता है। —> लड़के को पढ़ने दो।

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं लड़का शब्द है यह लिंग, वचन एवं कारक के अनुसार परिवर्तित हो रहा है। अतः यह विकारी शब्दों के अंतर्गत आएगा।

विकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं।

संज्ञा (noun)

सर्वनाम (pronoun)

विशेषण (adjective)

क्रिया (verb)

  1. अविकारी शब्द :

विकारी शब्दों के विपरीत ऐसे शब्द जिन पर लिंग, वचन एवं कारक आदि के बदलने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता अर्थात जो शब्द अपरिवर्तित रहते हैं, जिन पर किसी भी परिस्थिति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसे शब्द अविकारी शब्द कहलाते हैं। क्रिया विशेषण, सबंधबोधक, समुच्यबोधक तथा विस्मायदिबोधक अव्वय शब्द अविकारी शब्दों के अंतर्गत आते हैं।

उदाहरण के लिए तथा, किन्तु, परन्तु, अधिक, धीरे, तेज़, आदि।

जैसा कि हम जानते हैं तथा, किन्तु, परन्तु, अधिक, धीरे, तेज़, जैसे शब्द लिंग, वचन, कारक आदि के बदलने पर भी अपरिवर्तित रहेंगे। अतः ये उदाहरण अविकारी शब्दों के अंतर्गत आयेंगे।उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद

उत्पत्ति के आधार पर शब्द के चार भेद होते हैं:

तत्सम शब्द

तद्भव शब्द

देशज शब्द

विदेशी शब्द

  1. तत्सम शब्द

तत्सम शब्द का शाब्दिक अर्थ है – तत् (उसके) + सम (समान) अर्थात उसके समान। इसका अर्थ हुआ ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति (जन्म) तो संस्कृत भाषा में हुई और बाद वे शब्द हिन्दी भाषा में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में आने लगे, ऐसे शब्द तत्सम शब्द कहलाते हैं।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द जिनका प्रयोग हिंदी भाषा में ज्यों का त्यों किया जाता है उन शब्दों को तत्सम शब्द कहा जाता है।

उदाहरण के लिए पुष्प, पुस्तक, पृथ्वी, मृत्यु, कवि, माता, विद्या, नदी, फल, आदि।

  1. तद्भव शब्द

ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई थी लेकिन वो रूप बदलकर हिन्दी में आ गए हों, ऐसे शब्द तद्भव शब्द कहलायेंगे।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि संस्कृत भाषा के कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग हिंदी भाषा में भी होता है किन्तु फर्क इतना है कि उन शब्दों का अर्थ तो समान ही रहता है परन्तु हिंदी भाषा में उन शब्दों के परिवर्तित रूपों का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण के लिए –

दुग्ध —-> दूध

अग्नि —-> आग

कार्य —> काम

कर्पूर —> कपूर

हस्त —-> हाथ

इन उदाहरणों में दुग्ध, अग्नि, कार्य, कर्पूर, हस्त संस्कृत भाषा के शब्द है और इन्ही शब्दों के बदले हुए रूप दूध, आग, काम, कपूर, हाथ हिंदी भाषा में प्रयोग किए जाते हैं। अतः दूध, आग, काम, कपूर, हाथ आदि जैसे शब्द तद्भव शब्द के उदाहरण हैं।

  1. देशज शब्द

ऐसे शब्द जो भारत की विभिन्न स्थानीय बोलियों में से हिंदी में आ गए हैं, वे शब्द देशज शब्द कहलाते हैं।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जो शब्द देश के अलग-अलग हिस्सों से हिंदी में आए हैं, उन शब्दों को देशज शब्द कहा जाता है। ये शब्द स्थानीय बोलियों से उत्पन्न होते हैं और उसके बाद परिस्थिति व आवश्यकतानुसार हिन्दी में जुड़ जाते हैं। तथा हिंदी का ही भाग बन जाते हैं।

उदाहरण के लिए पेट, डिबिया, लोटा, पगड़ी, इडली, डोसा, समोसा, गुलाबजामुन, लड्डु, खटखटाना, झाड़ू, खिड़की आदि।

ऊपर दिए गए सभी उदाहरण भारत की ही विभिन्न क्षेत्रों की स्थानीय बोलियों में से क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार हिंदी में आए है तथा हिंदी के बनकर ही प्रचलित हो गए हैं। अतः इन शब्दों की तरह ही बहुत से शब्द देशज शब्द कहलायेंगे जो शब्द देश के अलग-अलग हिस्सों से हिंदी में आए हैं।

  1. विदेशी शब्द

ऐसे शब्द जो भारत से बाहर के देशों की भाषाओं से हैं लेकिन ज्यों के त्यों (बिना किसी बदलाव के) हिन्दी में प्रयुक्त हो गए, वे शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं।

दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि ऐसे शब्द जो है तो भारत के बाहर के देशों की भाषाओँ के परन्तु उन शब्दों को हिंदी में भी प्रयोग किया जाता है तो उन शब्दों को विदेशी शब्द कहा जाता है। मुख्यतः ये विदेशी शब्द हिंदी भाषा में हमारे विदेशी जातियों से बढ़ते मिलन के कारण आए है। ये विदेशी शब्द उर्दू, अरबी, फारसी, अंग्रेजी, पुर्तगाली, तुर्की, फ्रांसीसी, ग्रीक आदि भाषाओं से हिंदी में आए हैं।

विदेशी शब्दों के कुछ उदाहरण निम्न हैं –

अंग्रेजी – कॉलेज, पैंसिल, रेडियो, टेलीविजन, डॉक्टर, लैटरबक्स, पैन, टिकट, मशीन, सिगरेट, साइकिल आदि।

फारसी – अनार, चश्मा, जमींदार, दुकान, दरबार, नमक, नमूना, बीमार, बर्फ, रूमाल, आदमी, चुगलखोर आदि।

अरबी – औलाद, अमीर, कत्ल, कलम, कानून, खत, फकीर, रिश्वत, औरत, कैदी, मालिक, गरीब आदि।

तुर्की – कैंची, चाकू, तोप, बारूद, लाश, दारोगा, बहादुर आदि।

पुर्तगाली – अचार, कारतूस, गमला, चाबी, तिजोरी, तौलिया, फीता, साबुन, तंबाकू, कॉफी, कमीज आदि।

फ्रांसीसी – पुलिस, कार्टून, इंजीनियर, कर्फ्यू, बिगुल आदि।

चीनी – तूफान, लीची, चाय, पटाखा आदि। 

यूनानी – टेलीफोन, टेलीग्राफ, ऐटम, डेल्टा आदि।

जापानी – रिक्शा आदि।

 

शब्द विचार प्रश्न अभ्यास

 
प्रश्न 1 – शब्द को परिभाषित कीजिए।

उत्तर : निश्चित अर्थ को प्रकट करने वाले वर्ण समूह को शब्द कहते हैं। “शब्द” भाषा की स्वतंत्र इकाई होते हैं; जैसे : घोड़ा, पुस्तक, कमल आदि।

 

प्रश्न 2 – अर्थ के आधार पर शब्द के कितने भेद हैं? विस्तार पूर्वक बताइए।

उत्तर : अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद हैं – सार्थक शब्द, निरर्थक शब्द

सार्थक शब्द : जिन शब्दों का कोई अर्थ निकलता है तो उसे सार्थक शब्द कहते हैं; जैसे – घर, कमल, नेहा, आयुष।

निरर्थक शब्द : जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं निकलता है उसे निरर्थक शब्द कहते हैं;

जैसे : हमल, लमक, इत्यादि।

 

प्रश्न 3 : उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद लिखिए।

उत्तर : उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को चार भागों में बाँट सकते हैं :

(i) तत्सम शब्द : संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में लाए जाते हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे – संस्कृत में, कर्पूरः, पर्यङ्कः, फलम्, ज्येष्ठः, हिन्दी में, कर्पूर, पर्यंक, फल, ज्येष्ठ

(ii) तद्भव शब्द : ये शब्द संस्कृत शब्दों के रूप में कुछ बदलाव के साथ हिंदी भाषा में प्रयोग होते हैं। जैसे – दही (दधि), साँप (सर्प) गाँव (ग्राम) सच (सत्य) काम (कार्य) पहला (प्रथम) आदि।

(iii) देशज शब्द : जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण हिंदी में ही आवश्यकतानुसार पैदा हो गए हैं, वे देशज कहलाते हैं। जैसे – पैसा, झटपट, जूता, डिबिया, पेट, लोहा, थैला, पगड़ी, झाड़, गड़बड़ आदि।

(iv) विदेशी शब्द : दूसरे देशों की भाषाओं से हिंदी में आए शब्द ‘विदेशी’ शब्द कहलाते हैं। जैसे-रेडियो, लालटेन, स्टेशन, स्कूल, पादरी, जमीन, बंदूक, सब्जी, इनाम, खेत, कलम, आदमी, वकील, सौगात, रूमाल, तौलिया, कमरा आदि।

 

प्रश्न 4 – रूढ़ शब्द को परिभाषित कीजिए।

उत्तर : वे शब्द जो परंपरा से किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या प्राणी आदि के लिए प्रयोग होते चले आ रहे हैं, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। इन शब्दों के खंड करने पर इनका कोई अर्थ नहीं निकलता यानी खंड करने पर ये शब्द अर्थहीन हो जाते हैं। जैसे चावल शब्द का यदि हम खंड करेंगे तो चा+वल या चाव+ल तो ये निरर्थक खंड होंगे। अतः चावल शब्द रूढ़ शब्द है। अन्य उदाहरण -आदमी, मिठाई, दीवार, दिन, घर, मुँह, घोड़ा आदि।

 

प्रश्न 5 – योगरूढ़ शब्द किसे कहते हैं ?

उत्तर : जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने हों और उनके विशेष अर्थ निकलें वे योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं; जैसे –

नीलकंठ = नीला + कंठ = नीलकंठ (नीले कंठवाला अर्थात शिव) अतः ये योगरूढ़ शब्द हैं।

 

बहुविकल्पात्मक प्रश्न

 

प्रश्न 1 – शब्द किसे कहते हैं ?

(क) वर्णों के समूह को

(ख) वर्णों के सार्थक मेल को

(ग)  वाक्य में प्रयोग किए गए शब्दों को

(घ)  वर्णों के जोड़ को

उत्तर :  (ख) वर्णों के सार्थक मेल को

 

प्रश्न 2 – विकार के आधार पर शब्दों के भेद कितने कहे गए हैं?

(क) दो

(ख) तीन

(ग)  चार

(घ)  पाँच

उत्तर :  (क) दो

 

प्रश्न 3 – कौन सा शब्द तद्भव नहीं है ?

(क) दही 

(ख) साँप

(ग)  गाँव

(घ)  रेडियो

उत्तर :  (घ) रेडियो

 

प्रश्न 4 – उत्पत्ति के आधार पर शब्द होते हैं ?

(क) पाँच

(ख) दो

(ग)  तीन

(घ)  चार

उत्तर :  (घ) चार

 

प्रश्न 5 – तद्भव शब्द कौन से होते हैं ?

(क) जो शब्द संस्कृत भाषा से कुछ बदलकर हिंदी में प्रयोग होते हैं

(ख) जो शब्द हिंदी भाषा से कुछ बदलकर संस्कृत में प्रयोग होते हैं

(ग)  जो विदेशी भाषाओं से हिंदी में प्रयोग किए जाते हैं 

(घ)  जो दो भाषाओं से मिलकर बनते हैं

उत्तर :  (क) जो शब्द संस्कृत भाषा से कुछ बदलकर हिंदी में प्रयोग होते हैं

 

प्रश्न 6 – जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण हिंदी में ही आवश्यकतानुसार प्रयोग किए जाते हैं, वे —– कहलाते  हैं।

(क) तत्सम

(ख) देशज

(ग)  तद्भव

(घ)  आगत

उत्तर :  (ख) देशज

 

प्रश्न 7 – दूसरे देशों की भाषाओं से हिंदी में आए शब्द ——— शब्द कहलाते हैं।

(क) तत्सम

(ख) देशज

(ग)  तद्भव

(घ)  आगत / विदेशी

उत्तर :  (घ) आगत / विदेशी

 

प्रश्न 8 – अर्थ के आधार पर शब्द कितने प्रकार के होते हैं?

(क) तीन

(ख) दो

(ग)  चार

(घ)  पाँच

उत्तर :  (ख) दो

 

प्रश्न 9 – यौगिक शब्दों की पहचान कैसे होती है ?

(क) दो शब्द एक दूसरे पर निर्भर होते हैं।

(ख) यौगिक और रूढ़ दोनों होते हैं

(ग)  दो शब्दों के जोड़ से बने ऐसे शब्द, जो सार्थक होते हैं

(घ)  दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बनते हैं

उत्तर : (ग) दो शब्दों के जोड़ से बने ऐसे शब्द, जो सार्थक होते हैं

 

प्रश्न 10 – योगरूढ़ शब्दों की विशेषता –

(क) दो शब्द जो एक दूसरे पर निर्भर हो

(ख) दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने शब्द जिनका विशेष अर्थ निकलें

(ग)   दो शब्दों के जोड़ से बने ऐसे शब्द, जो सार्थक होते हैं

(घ)  दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बनते हैं

उत्तर : (ख) दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने शब्द जिनका विशेष अर्थ निकलें

 

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