CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kritika Bhag 2 Book Chapter 2 Saana Saana Hath Jodi Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions

 

Saana Saana Hath Jodi Previous Year Questions with Answers –  Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kritika Bhag 2 Book Chapter 2, “Saana Saana Hath Jodi”.

 

 

Questions from the Chapter in 2025 Board Exams

 

प्रश्न 1 – “जितेन नार्गे जैसे गाइड के साथ किसी भी पर्यटन स्थल का भ्रमण अधिक आनंददायक और यादगार हो सकता है।इस कथन के समर्थन मेंसाना साना हाथ जोड़ि_______’ पाठ के आधार पर तर्कसंगत उत्तर दीजिए। (50-60 शब्दों में)
उत्तर- जितेन नार्गे जैसे जानकार और संवेदनशील गाइड के साथ भ्रमण करना अधिक आनंददायक होता है क्योंकि वह न केवल स्थलों की जानकारी देता है, बल्कि उनसे जुड़ी सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं को भी सरल भाषा में समझाता है। ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में नार्गे ने पताकाओं, प्रेयर व्हील, गुरु नानक के पदचिह्न और स्थानीय आस्थाओं की जानकारी देकर लेखिका की यात्रा को ज्ञानवर्धक और भावनात्मक रूप से समृद्ध बना दिया।

प्रश्न 2 – ‘साना साना हाथ जोड़ि …….’ पाठ में देश की सीमाओं पर तैनात उन फौजियों का उल्लेख है जो अत्यंत विषम प्राकृतिक परिस्थितियों में भी अपने कर्त्तव्य का निर्वाह करते हैं। एक जागरूक नागरिक के रूप में आप अपने गाँव/शहर के लिए क्या कर सकते हैं? पाठ के आधार पर बताइए। (50-60 शब्दों में)
उत्तर- देश की सीमाओं पर तैनात फौजियों की तरह हम भी अपने शहर के लिए योगदान दे सकते हैं। जैसे—सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ रखना, पर्यावरण की रक्षा करना, दूसरों की मदद करना और समाज में सद्भाव बनाए रखना। पाठ में जैसे लोग झरनों, पहाड़ों, और घाटियों की पूजा करते हैं, वैसे ही हमें भी अपने क्षेत्र की सुंदरता व पवित्रता बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

 

Questions which came in 2024 Board Exam

 

प्रश्न 1 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में लेखिका को कब और क्यों लगा कि तमाम भौगोलिक विविधता और वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद भारत की आत्मा एक ही है? (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका ने उसके बारे में पूछा तो पता चला कि यह धर्म-चक्र है। इसे प्रेयर व्हील भी कहा जाता है। इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लेखिका को यह सुन कर एक बात समझ में आई कि चाहे मैदान हो या पहाड़, सभी वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी। लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणाएँ और कल्पनाएँ एक जैसी ही हैं। 

प्रश्न 2 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में आई पंक्ति – ‘इन पत्थरों को तोड़ती पहाड़िनों के हाथों में पड़े ठाठे, एक ही कहानी कह रहे थे’ – के माध्यम से लेखिका क्या कहना चाहती है? उन श्रम-सुंदरियों के जीवन के बारे में अपने विचार भी लिखिए। (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – किसी भी देश की आमजनता देश की आर्थिक प्रगति में बहुत अधिक अप्रत्यक्ष योगदान देती है। अप्रत्यक्ष इसलिए क्योंकि आम जनता जितना अधिक परिश्रम करती है उन्हें उसका आधा पारिश्रमिक भी नहीं दिया जाता। परन्तु फिर भी वे कठिन से कठिन काम को अपना कर्तव्य समझ कर पूरा व् निष्ठा से करते हैं। आम जनता के इस वर्ग में मज़दूर, ड्राइवर, बोझ उठाने वाले, फेरीवाले, कृषि कार्यों से जुड़े लोग इत्यादि आते हैं। उदाहरण के तौर पर अपनी यूमथांग की यात्रा में लेखिका ने देखा कि पहाड़ी मजदूर औरतें पत्थर तोड़कर पर्यटकों के आवागमन के लिए रास्ते बना रही हैं। इससे यहाँ पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी जिसका सीधा-सा असर देश की प्रगति पर पड़ेगा। इस रास्ते को बनाने के कार्य में कई मजदूर अपनी जान भी गवा देते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक कार्यों में शामिल आम जनता राष्ट्र की प्रगति में अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं।

प्रश्न 3 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर लिखिए कि श्वेत और रंगीन पताकाओं के बारे में जितेन नार्गे ने क्या जानकारी दी। (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – लेखिका व् उनकी टीम पहाड़ी रास्तों पर जब आगे बढ़ने लगे तो उन्हें एक जगह दिखाई दी जहाँ एक पंक्ति में सफेद-सफेद बौद्ध पताकाएँ लगी हुई थी। ये पताकायें किसी ध्वज की तरह लहरा रही थी। शांति और अहिंसा की प्रतीक इन पताकाओं पर मंत्र लिखे हुए थे। कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है। जब भी किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है, उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर एक सौ आठ सफेद पताकाएँ फहरा दी जाती हैं। और इन्हें कभी उतारा नहीं जाता है, ये धीरे-धीरे अपने आप ही नष्ट हो जाती हैं। कभी कबार किसी नए कार्य की शुरुआत में भी ये पताकाएँ लगा दी जाती हैं केवल अंतर् इतना होता है कि वे रंगीन होती हैं।

प्रश्न 4 – ‘तिस्ता नदी और ‘सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल’ के प्राकृतिक सौंदर्य को लेखिका ने किस प्रकार चित्रित किया है? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ – पाठ के संदर्भ में लिखिए। (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – तिस्ता नदी के किनारे पर बसे लकड़ी के एक छोटे-से घर में लेखिका और उनके साथी ठहरे हुए थे। लेखिका मुँह-हाथ धोकर तुरंत ही तिस्ता नदी के किनारे बिखरे पत्थरों पर बैठ गई थी। उसके सामने बहुत ऊपर से बहता झरना नीचे कल-कल बहती तिस्ता नदी में मिल रहा था। धीमी, हलकी हवा बह रही थी। पेड़-पौधे झूम रहे थे। चाँद को गहरे बादलों की परत ने ढक रखा था। बाहर से पक्षी और लोग अपने घरों को लौट रहे थे। वातावरण में अद्भुत शांति फैली हुई थी। मंदिर की घंटियों की ध्वनि ऐसी लग रही थी जैसे घुँघरुओं की रुनझुनाहट हो रही हो। ऐसा मनमोहक दृश्य देखकर लेखिका की आँखें स्वतः ही भर आईं थी। लेखिका को ऐसा लग रहा था जैसे उनके अंदर ज्ञान का नन्हा-सा बोधिसत्व उगने लगा हो। वहाँ लेखिका को सुख शांति और सुकून मिल रहा था। 

प्रश्न 5 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में आए – ‘मैडम यह धर्म चक्र है। प्रेयर व्हील। इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं।’ जितेन के इस कथन पर लेखिका के दिल और दिमाग का कौन-सा चक्र घूम गया? लेखिका के विचारों पर टिप्पणी कीजिए। (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – लेखिका ने देखा कि एक कुटिया के भीतर एक घूमता चक्र था। उसके बारे में जब लेखिका ने नार्गे से पूछा तो वह कहने लगा कि मैडम यह धर्म चक्र है। इसे प्रेयर व्हील भी कहा जाता है। इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लेखिका को यह सुन कर एक बात समझ में आई कि चाहे मैदान हो या पहाड़, सभी वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी। लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणाएँ और कल्पनाएँ एक जैसी ही हैं।

Questions that appeared in 2023 Board Exams

 

प्रश्न 1 – “‘साना-साना हाथ जोड़ि’ में मनोरम प्राकृतिक दृश्यों के चित्रण के साथ-साथ लेखिका की आंतरिक यात्रा का अंकन भी है” – पाठ के आधार पर इन दोनों पक्षों पर प्रकाश डालिए। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – “‘साना-साना हाथ जोड़ि’ में मनोरम प्राकृतिक दृश्यों के चित्रण के साथ-साथ लेखिका की आंतरिक यात्रा का अंकन भी है” क्योंकि बाह्य जगत की यात्रा के साथ-साथ लेखिका उन विशालकाय पर्वतों के बीच और घाटियों के ऊपर बने तंग कच्चे-पक्के रास्तों से गुज़रते हुए महसूस कर करि थी जैसे वे किसी घनी हरियाली वाली गुफा के बीच हिलते-ढुलते निकल रहे हों। इस बिखरी हुई बेहद सुंदरता का मन पर यह प्रभाव पड़ा कि सभी घूमने आए हुए यात्री झूम-झूमकर गाना गाने लगे- “सुहाना सफर और ये मौसम हँसी…।” परन्तु लेखिका खामोश थी। वह किसी ऋषि की तरह शांत बैठी हुई थी। इसका कारण यह था कि लेखिका अपने चारों और की प्राकृतिक सुंदरता को अपने अंदर समाना चाहती थी।

प्रश्न 2 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के संदर्भ में लिखिए कि प्राकृतिक जल संचय की व्यवस्था को कैसे सुधारा जा सकता है? इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर टिप्पणी कीजिए। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – प्रकृति ने जल-संचय की बड़ी अद्भुत व्यवस्था की है। प्रकृति, सर्दियों के समय में पहाड़ों पर बर्फ बरसा देती है और जब गर्मी शुरू हो जाती है तो उस बर्फ को पिघला कर नदियों को जल से भर देती है। जिससे गर्मी से व्याकुल लोगों को गर्मियों में जल की कमी नहीं होती। यदि प्रकृति ने बर्फ के माध्यम से जल संचय की व्यवस्था ना की होती तो हमारे जीवन के लिए आवश्यक जल की आपूर्ति सम्भव नहीं थी। प्रकृति सर्दियों में पर्वत शिखरों पर बर्फ के रूप में गिरकर जल का भंडारण करती है। जो गर्मियों में जलधारा बनकर प्यास बुझाते हैं। नदियों के रूप में बहती यह जलधारा अपने किनारे बसे नगर-गाँवों में जल-संसाधन के रूप में तथा नहरों के द्वारा एक विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई करती हैं और अंततः सागर में जाकर मिल जाती हैं। सागर से जलवाष्प बादल के रूप में उड़ते हैं, जो मैदानी क्षेत्रों में वर्षा तथा पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ के रूप में बरसते हैं। इस प्रकार ‘जल-चक्र’ द्वारा प्रकृति ने जल-संचयन तथा वितरण की व्यवस्था की है।

प्रश्न 3 – “साना-साना हाथ जोड़ि” पाठ की लेखिका को लोंग स्टॉक में धर्म चक्र को देख कर संपूर्ण भारत की सोच एक जैसी क्यों प्रतीत हुई? आपके विचार से अन्य कौन-सी बातों में भारत की आत्मा एक-सी प्रतीत होती है? (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका ने उसके बारे में पूछा तो पता चला कि यह धर्म-चक्र है। इसे प्रेयर व्हील भी कहा जाता है। इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लेखिका को यह सुन कर एक बात समझ में आई कि चाहे मैदान हो या पहाड़, सभी वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी। लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणाएँ और कल्पनाएँ एक जैसी ही हैं।

 

Questions which came in 2022 Board Exam

 

प्रश्न 1 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि..’ पाठ में पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ती मानवीय गतिविधियों के किन दुष्प्रभावों का उल्लेख किया गया है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – आज की पीढ़ी प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रही है व् पहाड़ों पर प्रकृति की शोभा को नष्ट किया जा रहा कर रही है। वृक्षों को काटकर जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। सुख-सुविधा के नाम पर पॉलिथीन का अधिक प्रयोग और वाहनों के द्वारा प्रतिदिन छोड़ा धुंआ पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रहा है। हमारे कारखानों से निकलने वाले जल में खतरनाक केमिकल व रसायन होते हैं जिसे नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। साथ में घरों से निकला दूषित जल भी नदियों में ही जाता है। जिसके कारण हमारी नदियाँ लगातार दूषित हो रही हैं। अब नदियों का जल पीने लायक नहीं रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई से मृदा का कटाव होने लगा है जो बाढ़ को आमंत्रित कर रहा है। दूसरे अधिक पेड़ों की कटाई ने वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता बढ़ा दी है जिससे वायु प्रदूषित होती जा रही है। इन सभी के कारण मौसम में परिवर्तन आ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं।

प्रश्न 2 – “हम सभी नदियों और पर्वतों के ऋणी हैं” – कैसे ? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – पाठ “साना-साना हाथ जोड़ि” के आधार पर हम कह सकते हैं कि “हम सभी नदियों और पर्वतों के ऋणी हैं” क्योंकि ये प्राकृतिक तत्व हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। नदियाँ हमें पानी, खेती, और जीवन की अन्य आवश्यकताएँ प्रदान करती हैं, जबकि पर्वत हमें प्राकृतिक संसाधन और सुरक्षा प्रदान करते हैं। हमारी संस्कृति और सभ्यता भी इन नदियों और पर्वतों के योगदान से समृद्ध हुई है। इसलिए, हमें इनकी रक्षा करनी चाहिए और इनके महत्त्व को समझना चाहिए।

प्रश्न 3 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर बताइए कि पहाड़ के सौंदर्य पर मंत्रमुग्ध लेखिका पहाड़ों पर किस दृश्य को देख क्षुब्ध और परेशान हो उठती हैं ? क्या आपने भ्रमण या पर्यटन के दौरान ऐसे दृश्य देखे हैं ? ऐसे दृश्यों और अपने मन पर पड़े उनके प्रभाव को अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर – “साना-साना हाथ जोड़ि” पाठ के आधार पर, लेखिका पहाड़ों के सौंदर्य से मंत्रमुग्ध होती हैं। वे पहाड़ की खूबसूरती का आनंद ले रही थीं, लेकिन जब उन्होंने सुना कि पहाड़ी रास्तों को बनाने में कई लोगों की मौत भी हो जाती है तो लेखिका को पहले के कुछ दृश्य याद आने लगे। इसी प्रकार एक बार पलामू और गुमला के जंगलों में लेखिका ने पीठ पर बच्चे को कपड़े से बाँधकर पत्तों की तलाश में वन-वन डोलती आदिवासी युवतियों को देखा था। उन आदिवासी युवतियों के फूले हुए पाँव और इन पत्थर तोड़ती पहाड़िनों के हाथों में पड़े गाठे या निशान , एक ही कहानी कह रहे थे कि आम ज़िंदगियों की कहानी हर जगह एक-सी है।
भ्रमण के दौरान हमने भी ऐसे दृश्य देखे हैं, जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ मानव द्वारा की गई अव्यवस्था और क्षति को देखा है। इन दृश्यों के कारण हम बहुत उदास और चिंतित हो गए थे। ऐसे दृश्य व् अनुभव किसी के भी मन में गहरा प्रभाव डाल सकते है। इन सभी से सीख ली जा सकती है कि प्रकृति की सुंदरता की रक्षा करना कितना आवश्यक है।

प्रश्न 4 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि..’ पाठ में सैनिकों की किन कठिनाइयों का उल्लेख है ? क्या वर्तमान में उनकी स्थिति में सुधार आया है ? पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए ।
उत्तर – देश की सीमाओं पर बैठे फौजी उन सभी कठिनाइयों में जूझते हैं जो सामान्य जीवन जीने वाले व्यक्ति उम्मीद भी नहीं कर सकते। कड़कड़ाती ठंड जहाँ तापमान माइनस में चला जाता है, जहाँ पेट्रोल को छोड़ सब कुछ जम जाता है, वहाँ भी फौजी तैनात रहते हैं और हम आराम से अपने घरों पर बैठे रहते हैं। इसी तरह वे शरीर को तपा देने वाली गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान जैसी जगहों पर भी अनेक विषमताओं से जूझते हुए कठिनाइयों का सामना करते हैं। कभी सघन जंगलों में, बरसात में भीगते हुए, खतरनाक जानवरों का सामना कर हमें सुरक्षित जीवन जीने का अवसर देते हैं।
हमें चाहिए कि हम उनके व उनके परिवार वालों के प्रति सदैव सम्माननीय व्यवहार करें। जिस तरह वह अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हैं, हमें उनके परिवार वालों का ध्यान रख उसी तरह अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। सदैव उनको अपने से पहले प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि एक फौजी भी हमारी सुरक्षा को सबसे पहले प्राथमिकता देता है फिर चाहे उसे अपनी जान का दाव ही क्यों न खेलना पड़े। 

 

Questions from the Chapter in 2020 Board Exams

 

प्रश्न 1 – पहाड़ी लोगों का जीवन मैदानी जीवन से अधिक संघर्षपूर्ण होता है । ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – पहाड़ी लोगों का जीवन मैदानी जीवन से अधिक संघर्षपूर्ण होता है । ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर यह स्पष्ट किया गया है। प्राकृतिक सौंदर्य में डूबी लेखिका ने देखा कि प्रकृति के अद्वितीय सौंदर्य से बिलकुल अलग कुछ पहाड़ी औरतें पत्थरों पर बैठीं पत्थर तोड़ रही थीं। गुँथे आटे के समान कोमल शरीर और हाथों में कुदाल और हथौड़े। कई औरतों की पीठ पर बँधी डोको (बड़ी टोकरी) में उनके बच्चे भी बँधे हुए थे। कुछ औरतें कुदाल को अपनी पूरी ताकत के साथ ज़मीन पर मार रही थीं। इतने सुंदर स्वर्ग के समान सौंदर्य, नदी, फूलों, वादियों और झरनों के बीच भूख, मौत, दैन्य और जिन्दा रहने की यह जंग देखकर लेखिका आश्चर्यचकित थी। इस उदाहरण से स्पष्ट है कि पहाड़ी लोगों का जीवन मैदानी जीवन से अधिक संघर्षपूर्ण होता है ।

प्रश्न 2 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर लायुँग की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन कीजिए और यह भी बताइए कि यह सुंदरता कैसे बची हुई है ।
उत्तर – यूमथांग पहुँचने के लिए लेखिका को रात भर लायुंग में डेरा डालना था। आसमान को छूने वाले पहाड़ों के नीचे समतल जगह में साँस लेती एक छोटी-सी शांत बस्ती थी – लायुंग। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सारी दौड़-धूप से दूर जिंदगी जहाँ निश्चिन्त होकर सो रही थी। लेखिका और उनके साथी लायुंग में ही ठहरे थे। तिस्ता नदी के किनारे पर बसे लकड़ी के एक छोटे-से घर में लेखिका और उनके साथी ठहरे हुए थे। लेखिका मुँह-हाथ धोकर तुरंत ही तिस्ता नदी के किनारे बिखरे पत्थरों पर बैठ गई थी। उसके सामने बहुत ऊपर से बहता झरना नीचे कल-कल बहती तिस्ता नदी में मिल रहा था। धीमी, हलकी हवा बह रही थी। पेड़-पौधे झूम रहे थे। चाँद को गहरे बादलों की परत ने ढक रखा था। बाहर से पक्षी और लोग अपने घरों को लौट रहे थे। वातावरण में अद्भुत शांति फैली हुई थी। मंदिर की घंटियों की ध्वनि ऐसी लग रही थी जैसे घुँघरुओं की रुनझुनाहट हो रही हो। ऐसा मनमोहक दृश्य देखकर लेखिका की आँखें स्वतः ही भर आईं थी। लेखिका को ऐसा लग रहा था जैसे उनके अंदर ज्ञान का नन्हा-सा बोधिसत्व उगने लगा हो। वहाँ लेखिका को सुख शांति और सुकून मिल रहा था।

प्रश्न 3 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ में प्रदूषण के कारण पहाड़ों पर आए किन परिवर्तनों की बात की गई है ? पहाड़ पर यात्रा के दौरान हम प्रदूषण न फैलाने में कैसे योगदान दे सकते हैं ?
उत्तर – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ में प्रदूषण के कारण पहाड़ों पर आए अनेक परिवर्तनों की बात की गई है। जैसे – लेखिका को उम्मीद थी कि उसे लायुंग में बर्फ देखने को मिल जाएगी, लेकिन एक सिक्कमी युवक ने बताया कि प्रदूषण के कारण स्नोफॉल कम हो गया है; अतः उन्हें 500 मीटर ऊपर कटाओ में ही बर्फ देखने को मिल सकेगी। प्रदूषण के कारण पर्यावरण में अनेक परिवर्तन आ रहे हैं। स्नोफॉल की कमी के कारण नदियों में जल-प्रवाह की मात्रा भी दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। परिणामस्वरूप पीने योग्य जल में भी कमी दर्ज की गई है। प्रदूषण के कारण ही वायु, भूमि भी प्रदूषित हो रही है।
पहाड़ पर यात्रा के दौरान हम प्रदूषण न फैलाने में अपना योगदान दे सकते हैं जैसे – हम अपने साथ अगर कुछ खाने का सामान लाए हैं तो हमें उससे फैलने वाला कचरा अपने साथ वापिस लाना चाहिए। या वही जलाना या दफनाना चाहिए। 

प्रश्न 4 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ की लेखिका को पहाड़ के सौंदर्य के किन दृश्यों ने चौंका दिया ? उन दृश्यों से उन्हें और क्या-क्या याद आने लगा ?
उत्तर – सफ़र में लेखिका की आँखों और आत्मा को सुख देने वाले अनेक नज़ारे दिखे। कहीं चटक हरे रंग का मोटा कालीन ओढ़े, तो कहीं हलका पीलापन लिए, तो कहीं पलस्तर उखड़ी दीवार की तरह पथरीला और देखते ही देखते चारों ओर दिखने वाले मनमोहक दृश्य ऐसे छू-मंतर हो गए जैसे किसी ने जादू की छड़ी घुमा दी हो। सब पर बादलों की एक मोटी चादर छा गई। सब जगह केवल बादल ही बादल। उन पर्वत, झरने, फूलों, घाटियों और वादियों के दुर्लभ नजारे देख कर लग रहा था जैसे वे अपने आप को समर्पित किए हुए हो। वहीं पर कहीं स्लोगन लिखा था ‘थिंक ग्रीन।’ लेखिका को सोच कर आश्चर्य हो रहा था कि पलभर में ब्रह्मांड में कितना कुछ घटित हो रहा था। हर पल बहने वाले झरने, नीचे वेग से बहती तिस्ता नदी। सामने उठती धुंध। ऊपर मँडराते आवारा बादल। धीरे-धीरे हवा में हिलोरे लेते प्रियुता और रूडोडेंड्रो के फूल। सब अपनी-अपनी लय तान और प्रवाह में बहते हुए। लेखिका को पहली बार अहसास हुआ कि जीवन का आनंद इसी हमेशा चलते रहने वाले सौंदर्य में है।

प्रश्न 5 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ में बाह्य जगत की यात्रा के साथ-साथ आंतरिक यात्रा का चित्र भी प्रस्तुत किया गया है, कैसे ? विवरण सहित लिखिए ।
उत्तर – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ में बाह्य जगत की यात्रा के साथ-साथ आंतरिक यात्रा का चित्र भी प्रस्तुत किया गया है। क्योंकि बाह्य जगत की यात्रा के साथ-साथ लेखिका उन विशालकाय पर्वतों के बीच और घाटियों के ऊपर बने तंग कच्चे-पक्के रास्तों से गुज़रते हुए महसूस कर करि थी जैसे वे किसी घनी हरियाली वाली गुफा के बीच हिलते-ढुलते निकल रहे हों। इस बिखरी हुई बेहद सुंदरता का मन पर यह प्रभाव पड़ा कि सभी घूमने आए हुए यात्री झूम-झूमकर गाना गाने लगे- “सुहाना सफर और ये मौसम हँसी…।” परन्तु लेखिका खामोश थी। वह किसी ऋषि की तरह शांत बैठी हुई थी। इसका कारण यह था कि लेखिका अपने चारों और की प्राकृतिक सुंदरता को अपने अंदर समाना चाहती थी।

प्रश्न 6 – भारत का स्विट्जरलैंड किसे कहते हैं और क्यों ? ‘साना-साना हाथ जोड़ि….’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – लायुंग में लेखिका बर्फ देखने आई थी लेकिन प्रदूषण के कारण वहाँ बर्फबारी बहुत कम होती है। लेखिका को बर्फ देखने के लिए कटाओ जाने का सुझाव दिया गया। कटाओ को भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। कटाओ में प्राकृतिक सौंदर्य अभी भी पूरी तरह से बरकरार था क्योंकि यह पर्यटक स्थल के रूप में अभी उतना विकसित नहीं हुआ था। कटाओ में लेखिका को बर्फ से ढके पहाड़ चांदी की तरह लग रहे थे। जिन्हें देखकर लेखिका बहुत ही आनंदित महसूस कर रही थी। जहाँ एक ओर कटाओ में लोग बर्फ के साथ फोटो खिंचवा रहे थे। वहीं दूसरी ओर लेखिका तो इस नजारे को अपनी आंखों में भर लेना चाहती थी।

प्रश्न 7 – ‘सेवन सिस्टर्स वाटर फॉल’ को देख लेखिका ने अपनी भावनाओं को कैसे अभिव्यक्त किया है ? ‘साना-साना हाथ जोड़ि…’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – ‘सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल’ को देख लेखिका ने अपनी भावनाओं को अद्भुत तरीके से अभिव्यक्त किया है । उस पानी को अपनी अंजनी में भर कर लेखिका को ऐसा लग रहा था जैसे उसने संकल्प कर अपने अंदर की सारी बुराइयों व दुष्ट वासनायों को इस झरने के निर्मल धारा में बहा दिया हो। यह सब लेखिका के मन व आत्मा को शांति देने वाला था। लेखिका को पर्वत , झरने , घाटियों , वादियों के ऐसे दुर्लभ नजारे पहली बार देखने को मिल रहे थे और उन्हें सभी कुछ बेहद खूबसूरत लग रहा था।

प्रश्न 8 – “‘कटाओ’ की सुंदरता इसलिए भी बची हुई थी कि वह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल नहीं था और वहाँ पर दुकानों का न होना वरदान समान था”- इस पर अपने विचार लिखिए ।
उत्तर – ‘कटाओ’ को अपनी स्वच्छता और सुंदरता के कारण हिंदुस्तान का स्विट्जरलैंड कहा जाता है या यह कहना गलत नहीं होगा कि कटाओ, स्विट्जरलैंड से भी अधिक सुंदर है। यह सुंदरता आज इसलिए विद्यमान है कि यहाँ कोई दुकान आदि नहीं है। यदि यहाँ भी दुकानें खुल जाएँ, व्यवसायीकरण हो जाए तो इस स्थान की सुंदरता जाती रहेगी, इसलिए कटाओं में दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। ‘कटाओ’ में दुकान न होने से व्यवसायीकरण नहीं हुआ है जिससे आने-जाने वाले लोगों की संख्या सीमित रहती है, जिससे यहाँ की सुंदरता बची है। जैसे दुकानें आदि खुल जाने से अन्य पवित्र स्थानों की सुंदरता जाती रही है वैसे ही दुकानों के खुल जाने से कटाओ की सुंदरता भी मटमैली हो जाएगी।

 

2019 Exam Question and Answers from the chapter

 

प्रश्न 1 – सिक्किम के युवती के कथन में ‘मै इंडियन हूं’ से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म – क्षेत्र और संप्रदाय से अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्र है। आप किस प्रकार राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते है? समझाइए।
उत्तर – सिक्किम के युवती के कथन में ‘मै इंडियन हूं’ से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म – क्षेत्र और संप्रदाय से अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्र है। हम अपने राष्ट्र की सम्पदा को अपनी सम्पदा मान कर उसकी रक्षा करके अपना कर्तव्य निभा सकते हैं। अपने राष्ट्र में आए बाहर से अतिथियों का सत्कार करके भी हम अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम को दिखा सकते हैं। अपने राष्ट्र को प्रदूषण जैसी समस्या से छुटकारा दिलाने में योगदान दे सकते हैं। राष्ट्र की सुंदरता को निखारने व् शिक्षा को बल दे कर अपने राष्ट्र की निरक्षरता को समाप्त करने में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं।

प्रश्न 2 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ के आधार पर लिखिए कि देश की सीमा पर सैनिक किस प्रकार की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति भारतीय युवकों का क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
उत्तर – देश की सीमाओं पर बैठे फौजी उन सभी कठिनाइयों से जूझते हैं जो सामान्य जीवन जीने वाले व्यक्ति उम्मीद भी नहीं कर सकते। कड़कड़ाती ठंड जहाँ तापमान माइनस में चला जाता है, जहाँ पेट्रोल को छोड़ सब कुछ जम जाता है, वहाँ भी फौजी तैनात रहते हैं और हम आराम से अपने घरों पर बैठे रहते हैं। इसी तरह वे शरीर को तपा देने वाली गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान जैसी जगहों पर भी अनेक विषमताओं से जूझते हुए कठिनाइयों का सामना करते हैं। कभी सघन जंगलों में, बरसात में भीगते हुए, खतरनाक जानवरों का सामना कर हमें सुरक्षित जीवन जीने का अवसर देते हैं।
हमें चाहिए कि हम उनके व उनके परिवार वालों के प्रति सदैव सम्माननीय व्यवहार करें। जिस तरह वह अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हैं, हमें उनके परिवार वालों का ध्यान रख उसी तरह अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। सदैव उनको अपने से पहले प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि एक फौजी भी हमारी सुरक्षा को सबसे पहले प्राथमिकता देता है फिर चाहे उसे अपनी जान का दाव ही क्यों न खेलना पड़े।

 प्रश्न 3 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ के आधार पर गंगतोक के मार्ग के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए जिसे देखकर लेखिका को अनुभव हुआ – “जीवन का आनंद है यही चलायमान सौंदर्य!”
उत्तर – लेखिका गैंगटॉक की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर बहुत हैरान थी उन्हें ऐसा लगा रहा था जैसे आसमान उलटा हो गया हो और सारे तारे बिखरकर नीचे टिमटिमा रहे हों। दूर पहाड़ के आस-पास के समतल मैदानी भू-भाग पर सितारों के गुच्छे रोशनियों की एक झालर के लग रहे थे। लेखिका को यह सब समझ में नहीं आ रहा था। लेखिका जो दृश्य देख रही थी वह रात में जगमगाता गैंगटॉक शहर था। लेखिका ने पाया कि इतिहास और वर्तमान के संधि-स्थल पर खड़ा परिश्रमी बादशाहों का वह एक ऐसा शहर था जिसका सब कुछ सुंदर था। चाहे वह वहां की सुबह हो , शाम हो या रात हो। और वह रहस्य से भरी हुई सितारों भरी रात लेखिका के मन को इस तरह मुग्ध कर रही थी, कि उन जादू भरे क्षणों में लेखिका को अपना सब कुछ ठहरा हुआ प्रतीत हो रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे लेखिका की बुद्धि, स्मृति और आस-पास का सब कुछ व्यर्थ है।

प्रश्न 4 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर लिखिए कि हमारे सैनिक सीमाओं पर कैसे कष्ट उठाते हैं और उनके प्रति हमारा क्या कर्तव्य है।
उत्तर – देश की सीमाओं पर बैठे फौजी उन सभी कठिनाइयों से जूझते हैं जो सामान्य जीवन जीने वाले व्यक्ति उम्मीद भी नहीं कर सकते। कड़कड़ाती ठंड जहाँ तापमान माइनस में चला जाता है, जहाँ पेट्रोल को छोड़ सब कुछ जम जाता है, वहाँ भी फौजी तैनात रहते हैं और हम आराम से अपने घरों पर बैठे रहते हैं। इसी तरह वे शरीर को तपा देने वाली गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान जैसी जगहों पर भी अनेक विषमताओं से जूझते हुए कठिनाइयों का सामना करते हैं। कभी सघन जंगलों में, बरसात में भीगते हुए, खतरनाक जानवरों का सामना कर हमें सुरक्षित जीवन जीने का अवसर देते हैं।
हमें चाहिए कि हम उनके व उनके परिवार वालों के प्रति सदैव सम्माननीय व्यवहार करें। जिस तरह वह अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हैं, हमें उनके परिवार वालों का ध्यान रख उसी तरह अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। सदैव उनको अपने से पहले प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि एक फौजी भी हमारी सुरक्षा को सबसे पहले प्राथमिकता देता है फिर चाहे उसे अपनी जान का दाव ही क्यों न खेलना पड़े।

प्रश्न 5 – ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में जितेन नार्गे की भूमिका पर विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में किन गुणों की अपेक्षा की जाती है ।
उत्तर – जितेन नार्गे लेखिका का ड्राइवर कम गाइड था। वह नेपाल से कुछ दिन पहले आया था जिसे नेपाल और सिक्किम की अच्छी जानकारी थी। वह सिक्किम व् उसके क्षेत्र-से अच्छी तरह परिचित था। वह ड्राइवर के साथ-साथ गाइड का कार्य कर रहा था। उसमें प्रायः गाइड के वे सभी गुण विद्यमान थे जो एक अच्छे गाइड में होने चाहिए। जैसे-

  • एक कुशल गाइड में उस स्थान की भौगोलिक, प्राकृतिक और सामाजिक जानकारी होनी चाहिए, जो नार्गे में उचित रूप से विद्यमान थी।
  • एक कुशल गाइड को इस बात की अच्छे से जानकारी होनी चाहिए कि कहाँ रुकना है? यह निर्णय करने में वह स्वयं ही समर्थ होना चाहिए। उसे कुछ सलाह देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
  • गाइड में सैलानियों को प्रभावित करने की रोचक शैली होनी चाहिए ।
  • एक सुयोग्य गाइड क्षेत्र के जन-जीवन की गतिविधियों की भी जानकारी रखता है और संवेदनशील भी होता है।
  • कुशल गाइड की वाणी प्रभावशाली होनी चाहिए। ताकि वह अपनी वाक्पटुता से पर्यटन स्थलों के प्रति जिज्ञासा बनाए रख सके।
  • कुशल गाइड को इतना सक्षम होना चाहिए कि वह भ्र्मणकर्ताओं के सभी प्रश्नों के उत्तर दे सकें।

प्रश्न 6 – प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है और मानव को जल संचय के लिए कौन-कौन से कदम उठाने चाहिए?
उत्तर – प्रकृति ने जल-संचय की बड़ी अद्भुत व्यवस्था की है। प्रकृति, सर्दियों के समय में पहाड़ों पर बर्फ बरसा देती है और जब गर्मी शुरू हो जाती है तो उस बर्फ को पिघला कर नदियों को जल से भर देती है। जिससे गर्मी से व्याकुल लोगों को गर्मियों में जल की कमी नहीं होती। यदि प्रकृति ने बर्फ के माध्यम से जल संचय की व्यवस्था ना की होती तो हमारे जीवन के लिए आवश्यक जल की आपूर्ति सम्भव नहीं थी। प्रकृति सर्दियों में पर्वत शिखरों पर बर्फ के रूप में गिरकर जल का भंडारण करती है। जो गर्मियों में जलधारा बनकर प्यास बुझाते हैं। नदियों के रूप में बहती यह जलधारा अपने किनारे बसे नगर-गाँवों में जल-संसाधन के रूप में तथा नहरों के द्वारा एक विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई करती हैं और अंततः सागर में जाकर मिल जाती हैं। सागर से जलवाष्प बादल के रूप में उड़ते हैं, जो मैदानी क्षेत्रों में वर्षा तथा पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ के रूप में बरसते हैं। इस प्रकार ‘जल-चक्र’ द्वारा प्रकृति ने जल-संचयन तथा वितरण की व्यवस्था की है।

प्रश्न 7 – जितेन नोर्गे ने सिक्किम की प्रकृति और भौगोलिक स्थिति के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं? ‘साना साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं –

  • सिक्किम में गंतोक से लेकर यूमथांग तक घाटियों के सारे रास्ते हिमालय की अत्यधिक गहरी घाटियों और अत्यधिक घनी फूलों से लदी वादियाँ मिलेंगी।
  • शांत और अहिंसा के मंत्र लिखी पताकाएँ पहाड़ी रास्तों पर फहराई बुद्धिस्ट की मृत्यु व नए कार्य की शुरुआत पर फहराई जाती हैं।
  • जब यहाँ किसी बुद्ध के अनुयायी की मौत होती है तो श्वेत पताकाएँ लगाई जाती हैं। इनकी संख्या 108 होती हैं।
  • रंगीन पताकाएँ किस नए कार्य के शुरू होने पर लगाई जाती हैं।
  • यहाँ के प्रसिद्ध स्थल कवी-लोंग-स्टॉक- में ‘गाइड’ फिल्म की शूटिंग हुई थी।
  • यहाँ धर्मचक्र अर्थात् प्रेयर व्हील भी हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं।
  • यह पहाड़ी इलाका है। यहाँ के लोग मेहनतकश लोग हैं व जीवन काफी मुश्किलों भरा है। यही कारण है कि यहाँ कोई भी चिकना-चर्बीला आदमी नहीं मिलता है।
  • यहाँ की युवतियाँ बोकु नाम का सिक्किम परिधान डालती हैं। जिसमें उनके सौंदर्य की छटा निराली होती है।
  • यहाँ के घर, घाटियों में ताश के घरों की तरह पेड़ के बीच छोटे-छोटे होते हैं। 
  • बच्चों को लगभग 3 किलोमीटर चढाई करके पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है क्योंकि दूर-दूर तक कोई स्कूल नहीं है।
  • नार्गे ने उत्साहित होकर ‘कटाओ’ के बारे में बताया कि ‘कटाओ हिंदुस्तान का स्विट्जरलैंड है।”

 

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