CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kritika Bhag 2 Book Chapter 3 Main Kyon Likhta Hun Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Main Kyon Likhta Hun Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kritika Bhag 2 Book Chapter 3, “Main Kyon Likhta Hun”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘मैं क्यों लिखता हूँ’‘ पाठ के आधार पर लिखिए कि कृतिकार के स्वभाव और आत्मानुशासन का लेखन में क्या महत्त्व है? (50-60 शब्दों में)
उत्तर- ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के अनुसार लेखक के स्वभाव और आत्मानुशासन का लेखन में अत्यधिक महत्त्व होता है। लेखक की भीतरी प्रेरणा या ‘लाचारी’ तभी रचना का रूप ले पाती है जब उसमें निरंतर अभ्यास और मानसिक अनुशासन हो। लेखक लिखने की काबिलियत रखता है, परंतु यदि उसमें अनुशासन और लिखने की आदत न हो, तो वह अपनी प्रतिभा को भी व्यक्त नहीं कर सकता। रचनाकार का स्वभाव और उसका प्रतिबद्ध लेखन उसे विशिष्ट बनाता है।
प्रश्न 2 – ‘अज्ञेय’ हिरोशिमा पर कविता लिखने के लिए क्यों विवश हुए? ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर लिखिए। (50-60 शब्दों में)
उतर- ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के अनुसार अज्ञेय ने हिरोशिमा जाकर रेडियम पीड़ितों की वास्तविक दशा को प्रत्यक्ष अनुभव किया। उन्होंने एक जले हुए पत्थर पर एक मानव-छाया देखी, जो विस्फोट का स्थायी निशान थी। यह दृश्य लेखक के हृदय को झकझोर गया और वह स्वयं को उस पीड़ित व्यक्ति के रूप में अनुभव करने लगे। यह अनुभूति इतनी गहरी थी कि वह भीतर से विवश होकर कविता लिखने लगे। उनके लिए यह एक आंतरिक पीड़ा का विस्फोट था, न कि केवल बौद्धिक प्रतिक्रिया।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए कि क्या एक रचनाकार और उसकी रचनाएँ बाहरी दबाव से भी प्रभावित हो सकती हैं? आपकी दृष्टि में वे कौन-से बाहरी दबाव हैं जो रचनाकार की रचना को प्रभावित करते हैं? (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – कुछ रचनाकारों की रचनाओं में स्वयं की अनुभूति से उत्पन्न विचार और कुछ अनुभवों से प्राप्त विचारों को लिखा जाता है। इसके साथ कुछ बाह्य दबाव भी उपस्थित हो जाते हैं जिससे लेखक लिखने के लिए प्रेरित हो उठता है। ये बाह्य-दबाव निम्नलिखित हैं-
- संपादकों के आग्रह
- प्रकाशक की माँगें
- सामाजिक परिस्थितियाँ
- आर्थिक सुविधा की आकांक्षा
- विशिष्ट के पक्ष में विचारों को प्रस्तुत करने का दबाव
बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित नहीं करते बल्कि बाहरी दबाव सभी प्रकार के कलाकारों को प्रेरित करते हैं। उदाहरण स्वरूप अधिकतर अभिनेता, गायक, नर्तक, कलाकार अपने दर्शकों, आयोजकों, श्रोताओं की माँग पर कला-प्रदर्शन करते हैं। बड़े-बड़े निर्माता-निर्देशक यदि उम्रदराज़ अभिनेताओं को अभिनय करने का अनुरोध न करें तो शायद उम्र हो जाने के साथ वे आराम करना चाहें। गायक, नर्तक आदि कलाकारों को भी यदि
बाह्य दबाव न हों तो शायद ही वे 50-60 की उम्र के बाद काम करना चाहें।
प्रश्न 2 – एक कृतिकार के लेखन और रचना के पीछे क्या-क्या कारण हो सकते हैं? ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – लेखक को लगता है कि वह, यह जानने के लिए लिखने के लिए प्रेरित होता है कि वह आखिर लिखता क्यों है। क्योंकि लेखक के मुताबिक़ जब तक वह कुछ लिखेगा नहीं वह नहीं जान पाएगा कि लिखने के लिए उसकी क्या प्रेरणा है। स्पष्ट रूप से समझना हो तो लेखक दो कारणों से लिखता है – भीतरी लाचारी से। कभी-कभी कवि के मन में ऐसे अनुभव जाग उठते है कि वह उसे अभिव्यक्त करने के लिए व्याकुल हो उठता है।
कभी-कभी वह संपादकों के आग्रह से, प्रकाशक की माँगों से तथा आर्थिक सुविधाओं के लिए भी लिखता है। परंतु दूसरा कारण उसके लिए जरूरी नहीं है। पहला कारण अर्थात् मन की व्याकुलता ही उसके लेखन का मूल कारण बनती है।
प्रश्न 3 – ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर अनुभव और अनुभूति का अंतर स्पष्ट करते हुए लिखिए कि लेखक ने अपनी जापान यात्रा के दौरान हिरोशिमा में सब कुछ देखकर भी तत्काल क्यों नहीं लिखा? अणु-विस्फोट की अनुभूति लेखक को कब हुई? (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – लेखक बताते है कि उन्होंने हिरोशिमा में सब देखकर भी तुरंत उसी समय कुछ नहीं लिखा, क्योंकि अभी उन्हें अपने सामने अनुभव की कमी थी। एक दिन वहीं सड़क पर घूमते हुए लेखक ने देखा कि एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे विस्फोट के समय कोई वहाँ खड़ा रहा होगा और विस्फोट से बिखरे हुए रेडियम-धर्मी पदार्थ की किरणें उसमें बंद हो होंगी। लेखक ने उस पत्थर पर पड़े किसी व्यक्ति के जलने के निशान से हिरोशिमा ने हुए रेडियम-धर्मी विस्फोट की पूरी दुखांत घटना का विवरण सनझ लिया। उस क्षण में अणु-विस्फोट लेखक के प्रत्यक्ष अनुभव में आ गया। एक अर्थ में लेखक स्वयं हिरोशिमा के विस्फोट को भोगने वाला बन गया। अर्थात सब कुछ अपनी आँखों से देखने पर लेखक को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह भी अणु-विस्फोट के शिकार हुए व्यक्तियों में से एक है। इसी अनुभव में से लेखक में वह लाचारी जागी। लेखक के भीतर की बेचैनी बुद्धि के क्षेत्र से बढ़कर अब संवेदना के क्षेत्र में आ गई थी। फिर धीरे-धीरे लेखक उससे अपने को अलग कर सका और अचानक एक दिन लेखक ने हिरोशिमा पर कविता लिखी। यह कविता लेखक ने जापान में नहीं लिखी बल्कि जब वे भारत लौट आए थे तब रेलगाड़ी में बैठे-बैठे उन्होंने वह कविता लिखी थी। लेखक कहते हैं कि उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि उनकी यह कविता अच्छी है या बुरी है। यह कविता लेखक के मन के बेहद निकट है, क्योंकि वह लेखक के अनुभव से उत्पन्न हुई है।
प्रश्न 4 – ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के संदर्भ में यदि आप चाहते हैं कि विज्ञान का केवल सदुपयोग ही हो, उसके लिए अपने सुझाव दीजिए। (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – एक संवेदनशील युवा नागरिक होने के कारण विज्ञान का दुरुपयोग रोकने के लिए हमारी भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसके लिए निम्नलिखित कार्य करते हुए हम अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं –
- प्रदूषण फैलाने तथा बढ़ाने वाले जितने भी कारण है जैसे – प्लास्टिक, कूड़ा-कचरा आदि के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए कार्यक्रम किए जा सकते हैं।
- लोगों से अनुरोध किया जा सकता है कि पर्यावरण के लिए प्लास्टिक जैसी हानिकारक वस्तुओं का उपयोग न करें ।
- विज्ञान के बनाए हथियारों का प्रयोग यथासंभव मानवता की भलाई के लिए ही करें, मनुष्यों के विनाश के लिए नहीं।
- विज्ञान की चिकित्सीय खोज का दुरुपयोग न करें।
- सामाजिक विषमता तथा लिंगानुपात में असमानता के बारे में आम जनता का जागरूक करने का प्रयास किया जा सकता है।
- टी.वी. पर प्रसारित अश्लील कार्यक्रमों का खुलकर विरोध करना चाहिए। धार्मिक व् आध्यात्मिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए।
- समाज के लिए उपयोगी कार्यक्रमों के प्रसारण करना चाहिए।
- विज्ञान के दुरुपयोग के परिणामों को बताकर लोगों को जागरूक बनाने में योगदान देना चाहिए।
प्रश्न 5 – ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर लिखिए कि लेखक को जापान जाने पर हिरोशिमा की घटना का प्रत्यक्ष अनुभव कैसे हुआ। इस अनुभव का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा? अपने शब्दों में लिखिए। (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – जब लेखक को जापान जाने का मौका मिला, तब वे हिरोशिमा के साथ-साथ उस अस्पताल में भी गए, जहाँ रेडियम-पदार्थ से घायल लोग वर्षों से कष्ट में जी रहे थे। इस प्रकार लेखक को अणु-बम के विस्फोट से हुए परिवर्तनों का प्रत्यक्ष अनुभव भी हुआ-परन्तु अनुभव से एहसास ज्यादा मायने रखता है, कम-से-कम लेखक के लिए तो इस घटना का एहसास अत्यधिक महत्वपूर्ण है। अनुभव किसी घटित हुई घटना का होता है, पर एहसास संवेदना और कल्पना के सहारे उस सत्य को आत्मसात् कर लेती है जो वास्तव में लेखक या रचनाकार के साथ घटित नहीं हुआ है। जो घटना कभी आँखों के सामने नहीं घटी, जो घटना किसी ऐसे व्यक्ति के अनुभव में नहीं आई, जो उस घटना में शामिल हो, वही घटना जब आत्मा के सामने, चमकते हुए प्रकाश के रूप में आ जाती है, तब वह घटना उस व्यक्ति के लिए अनुभूति-प्रत्यक्ष हो जाती है। अर्थात जब कोई ऐसी घटना जो आंखों के सामने न हुई हो, उस घटना का एहसास जब अनुभव रूप में हो जाता है तब अनुभव प्रत्यक्ष हो जाता है।
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