CBSE Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 7 Atamtran Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Atamtran Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 7, “Atamtran”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘आत्मत्राण’ कविता की प्रार्थना अन्य प्रार्थनाओं से अलग कैसे है? स्पष्ट कीजिए। (25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता की प्रार्थना अन्य प्रार्थनाओं से अलग है क्योंकि इसमें कवि प्रभु से विपत्तियों से बचाने की याचना नहीं करता, बल्कि विपत्तियों का निर्भयतापूर्वक सामना करने और आत्मबल बनाए रखने की शक्ति माँगता है। वह चाहता है कि सुख-दुःख दोनों में प्रभु पर उसका विश्वास अडिग बना रहे।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘आत्मत्राण’ कविता की कौन-सी दो बातें आपको बहुत प्रेरित करती हैं और क्यों? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता की दो बातें हमें बहुत प्रेरित करती है। एक तो यह कि इस कविता में कवि ने ईश्वर से अपने दुःख दर्द कम न करने को कहा है, बल्कि वे उन दुःख दर्दों को झेलने की शक्ति मांग रहे हैं। कवि मानते हैं कि प्रभु में सब कुछ संभव करने की ताकत है फिर भी वह बिलकुल नहीं चाहते कि वही सब कुछ करें। इन पंक्तियों से प्रेरणा मिलती है कि किसी पर भी आश्रित रहने से अच्छा है कि आप स्वयं कोशिश करके मुसीबतों का सामना करें।
दूसरी बात जिसने हमें प्रेरित किया है वह है कि हम सुख या दुःख किसी भी स्थिति में भगवान् को याद करना न भूलें। कभी भी उस परमेश्वर की शक्ति पर हमें संदेह न हो। हम एक ही भाव से उसे याद करें।
प्रश्न 2 – ‘आत्मत्राण’ कविता के माध्यम से कवि ने अपने अंतर्मन की भावना को किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?
उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता में कविगुरु ईश्वर से अपने दुःख दर्द कम न करने को कह रहे है, बल्कि कवि सिर्फ ये चाहते हैं कि ईश्वर उन्हें दुःख तकलीफों को झेलने की शक्ति दें। कवि चाहते हैं कि ईश्वर उनमें इतना आत्मविश्वास भर दें कि कवि हर कष्ट पर जीत हासिल कर सकें। कवि की ईश्वर से केवल इतनी प्रार्थना है की उनके अंदर निर्भयता भरपूर डाल दें ताकि कवि सारी परेशानियों का डटकर सामना कर सकें। सुख के दिनों में भी कवि ईश्वर को एक क्षण के लिए भी ना भूलें अर्थात हर क्षण ईश्वर को याद करता रहे। दुःख से भरी रात में भी अगर कोई कवि की मदद न करें तो भी उनके मन में ईश्वर के प्रति कोई संदेह न हो। कवि बस ईश्वर से इतनी शक्ति माँगता है।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘आत्मत्राण’ कविता का कवि ईश्वर से सांसारिक सुखों की प्रार्थना न करते हुए, क्या निवेदन कर रहा है? इससे उसके चरित्र की किस विशेषता का पता चलता है ?
उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता का कवि ईश्वर से अपने दुःख दर्द कम न करने को कह रहे है। वे उनसे दुःख दर्दों को झेलने की शक्ति मांग रहे हैं। कविगुरु ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी भी परिस्थिति में उनके मन में ईश्वर के प्रति संदेह न हो। कवि ईश्वर से ऐसी कोई प्रार्थना नहीं कर रहे हैं कि उन्हें दुःख और कष्टों से बचा कर रखें बल्कि कवि तो सिर्फ ये चाहता है कि ईश्वर उन्हें दुःख तकलीफों को झेलने की शक्ति दे। कष्टों के समय में कवि कभी ना डरे और उनका सामना करे। ईश्वर कवि में इतना आत्मविश्वास भर दें कि कवि हर कष्ट पर जीत हासिल कर सके। कवि के कष्टों के भार को भले ही कम ना करें और न ही कवि को तसल्ली दें। ईश्वर से कवि की केवल इतनी प्रार्थना है की कवि के अंदर निर्भयता भरपूर डाल दें ताकि कवि सारी परेशानियों का डट कर सामना कर सकें। दुःख से भरी रात में भी अगर कोई कवि की मदद न करे तो भी उनके मन में ईश्वर के प्रति कोई संदेह न हो इतनी शक्ति कवि माँग रहे हैं। इन सभी बातों से कवि के साहसी, आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी व् ईश्वर में अडिग विश्वास रखने वाले व्यक्तित्व का पता चलता है।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि विपदा में ईश्वर से क्या चाहता है और क्यों?(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे प्रभु ! दुःख और कष्टों से मुझे बचा कर रखो, मैं तुमसे ऐसी कोई भी प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ। बल्कि मैं तो सिर्फ तुमसे ये चाहता हूँ कि तुम मुझे उन दुःख तकलीफों को झेलने की शक्ति दो। कष्टों के समय में मैं कभी ना डरूँ और उनका सामना करूँ। क्योंकि कवि एक साहसी, आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी व् ईश्वर में अडिग विश्वास रखने वाला व्यक्ति है।
प्रश्न 2 – ‘आत्मत्राण’ कविता में किसी सहायक पर निर्भर न रहने की बात कवि क्यों कहता है? स्पष्ट कीजिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता में किसी सहायक पर निर्भर न रहने की बात कवि इसलिए कहता है क्योंकि कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि कष्टों में कहीं कोई सहायता करने वाला भी उन्हें ना मिले तो कोई बात नहीं परन्तु वैसी स्थिति में उनका पराक्रम कम नहीं होना चाहिए। कवि को अगर इस संसार में हानि भी उठानी पड़े और लाभ से हमेशा वंचित ही रहना पड़े तो भी कोई बात नहीं पर उनके मन की शक्ति का कभी नाश नहीं होना चाहिए अर्थात चाहते हैं कि उनके मन में हर परिस्थिति में आत्मविश्वास भरा रहना चाहिए।
प्रश्न 3 – रवींद्रनाथ ठाकुर सुख के दिनों में क्या कामना करते हैं और क्यों?(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – सुख के दिनों में रवींद्रनाथ ठाकुर कामना करते हैं कि सुख के दिनों में भी वे ईश्वर को एक क्षण के लिए भी ना भूलें अर्थात हर क्षण ईश्वर को याद करते रहें। क्योंकि कवि सुख और दुःख दोनों में ही ईश्वर के प्रति समान रूप से आस्था और विश्वास बनाए रखना चाहता है। वह सुख के दिनों में भी हर पल ईश्वर का स्मरण करना चाहता है और चाहता है कि दुःख के पल में भी कभी उसे अपने ईश्वर पर संदेह ना हो।
प्रश्न 4 – आत्मत्राण कविता की प्रार्थना अन्य निवेदनों से भिन्न क्यों है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।(लगभग 80-100 शब्दों में)
उत्तर – आत्मत्राण कविता की प्रार्थना अन्य निवेदनों से भिन्न इसलिए है क्योंकि कवि ईश्वर से अपने दुःख दर्द कम न करने को कह रहे है। वे उनसे दुःख दर्दों को झेलने की शक्ति मांग रहे हैं। कविगुरु ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी भी परिस्थिति में उनके मन में ईश्वर के प्रति संदेह न हो। कवि ईश्वर से ऐसी कोई प्रार्थना नहीं कर रहे हैं कि उन्हें दुःख और कष्टों से बचा कर रखें बल्कि कवि तो सिर्फ ये चाहता है कि ईश्वर उन्हें दुःख तकलीफों को झेलने की शक्ति दे। कष्टों के समय में कवि कभी ना डरे और उनका सामना करें। ईश्वर कवि में इतना आत्मविश्वास भर दें कि कवि हर कष्ट पर जीत हासिल कर सके। कवि के कष्टों के भार को भले ही कम ना करें और न ही कवि को तसल्ली दें। ईश्वर से कवि की केवल इतनी प्रार्थना है की कवि के अंदर निर्भयता भरपूर डाल दें ताकि कवि सारी परेशानियों का डटकर सामना कर सकें। दुःख से भरी रात में भी अगर कोई कवि की मदद न करे तो भी उनके मन में ईश्वर के प्रति कोई संदेह न हो इतनी शक्ति कवि माँग रहे हैं।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – कवि किन दिनों में प्रभु की याद बनाए रखना चाहता है? ‘आत्मत्राण’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर – मनुष्य सुख के दिनों में ईश्वर को भूल जाता है। कवि मनुष्य के इसी स्वभाव का वर्णन करते हुए कहा है कि दुख के दिनों में तो सभी ईश्वर को याद करते हैं। किंतु सुख आने पर कोई नहीं। कवि प्रार्थना करता है कि कैसी भी विपदा आ जाए या कैसी भी संकटपूर्ण स्थिति हो, उसका शक्ति व पुरुषार्थ न डगमगाए। उसका आत्मविश्वास और बल पौरुष सदा बना रहे। ताकि वह कठिन परिस्थितियों का सामना डटकर कर सके।
प्रश्न 2 – ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?
उत्तर – सहायक न मिलने पर कवि प्रार्थना करता है कि यदि विपत्ति के समय उसे कोई सहायक न मिले तो भी उसका पौरुष बल न डगमगाए। उसका अपना बल और पौरुष ही उसका सहायक बन जाए। उसमें संघर्ष करने की शक्ति होनी चाहिए।
प्रश्न 3 – ‘आत्मत्राण’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि मनुष्य को भगवान के प्रति विश्वास बनाए रखने को कहते हैं। चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियां क्यों न हों, कितना भी कठिन समय क्यों ना हो, जीवन में लाख विपदाएं आए परंतु हमें भगवान के प्रति अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए और सदैव भगवान के प्रति अपनी आस्था मजबूत रखनी चाहिए। कभी-कभी हमारे साथ कुछ बुरा हो जाता है और हमारा ईश्वर से विश्वास उठ जाता है। लेकिन यह भगवान की गलती नहीं है। यह हमारे दुख की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। जो हो रहा है उसके लिए हमें भगवान को दोष नहीं देना चाहिए। भगवान हमें छोटी-छोटी चुनौतियाँ और दुःख देकर हमारे धैर्य और विश्वास की परीक्षा लेता है। यदि हम ईश्वर में विश्वास रखते हैं, तो ईश्वर इन चुनौतियों और दुखों में हमारी सहायता करेंगे। ईश्वर हमें इन कठिनाइयों से पार पाने की शक्ति देता है। हमारा विश्वास हमारे मन की आस्था ही हमारा भगवान है। यदि हमारा विश्वास मजबूत रहेगा तो हम असंभव कार्य को भी संभव बना सकते हैं। कवि का आशय यह है कि भगवान पर सदैव विश्वास बनाए रखना ही मनुष्य का धर्म है।
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