PSEB Class 10 Hindi Chapter 18 Sukhi Dali (सूखी डाली) Question Answers (Important) 

 

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PSEB Class 10 Chapter 18 Sukhi Dali Textbook Questions

 

अभ्यास

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए :-

1. दादा मूलराज के बड़े पुत्र की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर- दादा मूलराज के बड़े पुत्र की मृत्यु 1914 के महायुद्ध में सरकार की ओर से लड़ते-लड़ते हुई।

2. ‘सूखी डाली’ एकांकी में घर में काम करने वाली नौकरानी का क्या नाम था?
उत्तर– ‘सूखी डाली’ एकांकी में घर में काम करने वाली नौकरानी का नाम रजवा था।

3. बेला का मायका किस शहर में था?
उत्तर– बेला का मायका लाहौर में था।

4. दादा जी की पोती इन्दु ने कहाँ तक शिक्षा प्राप्त की थी?
उत्तर- दादा जी की पोती इन्दु ने प्राइमरी स्कूल तक शिक्षा प्राप्त की थी।

5. ‘सूखी डाली’ एकांकी में दादा जी ने अपने कुटुंब की तुलना किससे की है?
उत्तर– ‘सूखी डाली’ एकांकी में दादा जी ने अपने कुटुंब की तुलना वटवृक्ष से की है।

6. बेला ने अपने कमरे में फर्नीचर बाहर क्यों निकाल दिया?
उत्तर– बेला ने अपने कमरे से फर्नीचर बाहर इसलिए निकाल दिया क्योंकि वह पुराना और सड़ा-गला था।

7. दादा जी पुराने नौकरों के हक में क्यों थे?
उत्तर– दादा जी पुराने नौकरों के हक में इसलिए थे क्योंकि वे दयानतदार और विश्वसनीय थे।

8. बेला ने मिश्रानी को काम से क्यों हटा दिया?
उत्तर– बेला ने मिश्रानी को काम से इसलिए हटा दिया क्योंकि उसे काम करने का सलीका नहीं था और वह ठीक से काम नहीं कर पाती थी।

9. एकांकी के अंत में बेला रुंधे कंठ से क्या कहती है?
उत्तर– एकांकी के अंत में बेला रुंधे कंठ से कहती है कि दादा जी, आप पेड़ से किसी डाली का टूट कर अलग होना पसंद नहीं करते, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूख कर मुरझा जाए।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए :-

1. एकांकी के पहले दृश्य में इन्दु बिफरी हुई क्यों दिखाई देती है?
उत्तर– इन्दु बिफरी हुई इसलिए दिखाई देती है क्योंकि उसे छोटी भाभी बेला का व्यवहार और तौर-तरीके पसंद नहीं आते। वह समझती है कि भाभी घर के कामों में रुचि नहीं लेतीं और अपने मायके के तौर तरीकों को बताती रहती हैं। छोटी बहु परिवार के सभी सदस्यों को मूर्ख, गंवार और असभ्य समझती है। इन्दु को और भी गुस्सा आ जाता है जब नौकरानी मिश्रानी बाहर रोती है क्योंकि बेला उसे काम से निकल देती है।

2. दादा जी कर्मचंद की किस बात से चिंतित हो उठते हैं?
उत्तर- दादा जी और कर्मचंद बात कर रहे थे तभी दादा जी कहते हैं कि मैं कहा करता हूँ न बेटा, कि एक बार पेड़ से जो डाली टूट गयी, उसे लाख पानी दो, उसमें वह सरसता न आयेगी और हमारा यह परिवार बरगद के इस महान पेड़ ही की भाँति है। तब कर्मचन्द कहता है लेकिन शायद अब इस पेड़ से एक डाली टूट कर अलग हो जाये। तब दादा जी चौंक जाते हैं और पूछते हैं कि कौन अलग हो रहा। इस पर कर्मचंद कहता है कि शायद छोटा अलग हो जाये। यह बात सुनकर दादा जी चिंतित हो उठते हैं

3. कर्मचन्द ने दादा जी को छोटी बहू बेला के विषय में क्या बताया?
उत्तर- कर्मचन्द ने दादा जी को छोटी बहू बेला के विषय में बताया कि छोटी बहू के मन में दर्प की मात्रा ज़रूरत से कुछ ज़्यादा है। मैंने वह मलमल के थान और रज़ाई के अबरे ला कर दिये थे न? और सबने तो रख लिये, पर सुना है कि छोटी बहू को पसंद नहीं आये। अपने मानके के घराने को शायद वह इस घराने से बड़ा समझती है और इस घर को घृणा की दृष्टि से देखती है।

4. परेश ने दादा जी के पास जाकर अपनी पत्नी बेला के संबंध में क्या बताया?
उत्तर- परेश ने दादा जी के पास जाकर अपनी पत्नी बेला के संबंध में क्या बताया कि उसका इस घर में मन नहीं लगता। उसे कोई भी पसंद नहीं करता। सब उसकी निंदा करते हैं। सब उसकी शिकायत करती थीं – ताने देती थीं कि तू उसके हाथ बिक गया है, तू उसे कुछ नहीं समझाना और इधर वह उन सब से दुखी है, कहती है कि सब मेरा अपमान करती हैं, सब मेरी हँसी उड़ाती हैं। मेरा समय नष्ट करती हैं। मैं ऐसा महसूस करती हूँ, जैसे मैं परायों में आ गयी हूँ। अपना एक भी मुझे दिखायी नहीं देता।

5. जब परेश ने दादा जी से कहा कि बेला अपनी गृहस्थी अलग बसाना चाहती है तो दादा जी ने परेश को क्या समझाया?
उत्तर– जब परेश ने दादा जी से कहा कि बेला अपनी गृहस्थी अलग बसाना चाहती है तो दादा जी ने परेश को समझाया कि अगर वह अलग रहना चाहती है तो बाग़ वाला मकान दिया जा सकता है लेकिन मेरे जीते जी यह असंभव है। मैं जब अपने परिवार का ध्यान करता हूँ तो मेरे सामने वट का महान पेड़ घूम जाता है और फिर मेरी आँखों के सामने इस महान वृक्ष की डालियाँ टूटने लगती हैं और मैं सिहर उठता हूँ। न बेटा, मैं अपने जीते जी यह सब न होने दूँगा। बल्कि मैं परिवार के सभी सदस्यों से बात करूँगा कि वे सभी बेला से अच्छा व्यवहार करें।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह वा सात पंक्तियों में दीजिए:-

1. इन्दु को बेला की कौन सी बात सबसे अधिक परेशान करती है? क्यों?
उत्तर– इन्दु को सबसे अधिक परेशानी बेला के आधुनिक विचारों और घर के प्रति उसकी उदासीनता से होती है। उसे लगता है कि भाभी खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझती हैं, घर के कामों में हाथ नहीं बँटातीं और हमेशा अपने मायके की तारीफ करती रहती हैं। हम तो उसके लिए मूर्ख, गंवार और असभ्य हैं। बेला रजवा नौकरानी को काम से हटा देती है और कहती है कि ऐसे नौकर मैंने यहीं आकर देखे हैं। सुबह-शाम झाड़ू मार देने मात्र से कमरा साफ़ नहीं हो जाता। उसकी बनावट-सजावट भी कोई चीज़ है। न जाने तुम लोग किस तरह इन फूहड़ नौकरों से गुज़ारा कर लेती हो। मेरे मायके में तो ऐसी गँवार नौकरानी दो दिन भी नहीं टिकेगी। इसी कारण इन्दु बार-बार खीझी हुई और परेशान दिखाई देती है।

2. दादा जी छोटी बहू के अलावा घर के सभी सदस्यों को बुला कर क्या समझाते हैं?
उत्तर– जब दादा जी को पता चलता है कि छोटी बहु बेला परिवार के सदस्यों के व्यवहार की वज़ह से परेशान और दुखी है तब वह सभी को बुलाकर समझाते हैं कि बेटा यह कुटुंब एक महान वृक्ष है। हम सब इसकी डालियाँ हैं। डालियों से ही पेड़ पेड़ है और डालियाँ छोटी हो चाहे बड़ी, सब उसकी छाया को बढ़ाती हैं। मैं नहीं चाहता, कोई डाली इससे टूट कर पृथक हो जाय। तुम सदैव मेरा कहा मानते रहे हो। बस यही बात मैं कहना चाहता हूँ। यदि मैंने सुन लिया कि किसी ने छोटी बहू का निरादर किया है, उसकी हँसी उड़ायी है या उसका समय नष्ट किया है तो इस घर से मेरा नाता सदा के लिए टूट जायेगा। दादा जी इंदु को भी समझाते हैं कि तेरी छोटी भाभी बड़ी बुद्धिमती, सुशिक्षित और सुसंस्कृत है; तुझे उसकी हँसी उड़ाने, उससे लड़ने-झगड़ने के बदले उसका आदर करना चाहिए, उससे ज्ञानार्जन करना चाहिए।

3. एकांकी के अंतिम भाग में घर के सदस्यों के बदले हुए व्यवहार से बेला परेशान क्यों हो जाती है?
उत्तर– जब घर के सभी सदस्य अचानक उसके प्रति अत्यधिक आदर और विनम्रता दिखाने लगते हैं, तो बेला असहज हो जाती है। उसे लगता है कि वे उसे समझ नहीं पाए हैं और केवल औपचारिक व्यवहार कर रहे हैं। इस बनावटी सौहार्द से उसे अपने अलगाव का और गहरा अहसास होता है, जिससे वह भावनात्मक रूप से टूट जाती है। इंदु उसे भाभी जी कहकर पुकारती है जिससे उसे अजीब लगता है। छोटी भाभी भी बेला से विनम्रता से कहती हैं कि जैसा तुम चाहो, नया फर्नीचर लगाकर रजवा नौकरानी को झाड़ना-बुहारना सीखा देना। बेला आश्चर्यचकित हो जाती है कि कल तक तो रजवा के लिए मुझे डाँट दिया था और अब इतनी विनम्रता कैसे दिखा रहीं हैं।

4. मँझली बहू के चरित्र की कौन सी विशेषता इस एकांकी में सबसे अधिक दृष्टिगोचर होती है?
उत्तर- ‘सूखी डाली’ एकांकी में मँझली बहू के स्वाभाव को हँसता हुआ दिखाया गया है। परेश और बेला के बीच हुई बातचीत को सुनकर वह बहुत ठहाके मरकर हँसती है। वह छोटी-छोटी घटनाओं पर भी खिहि-खिहि करती रहती है। वह जब परिवार के अन्य सदस्यों से बात करती है तो घर में हँसी का माहौल बना देती है। वह हँसी-हँसी में कहती है कि परेश अपनी पत्नी के सामने कैसे भीगी बिल्ली बन जाता है, न जाने तहसीलदार कैसे बन गया। वह दूसरों का मजाक बनाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती। वह मलावी और बंशीलाल की बात भी बहुत ठहाके लगाकर बताती है जिससे सभी एक साथ मिलकर बहुत हँसते हैं।

5. ‘सूखी डाली’ एकांकी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर- ‘सूखी डाली’ एकांकी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परिवार तभी मजबूत और सुखी रहता है जब उसमें एकता, प्रेम और आपसी सम्मान बना रहे। मतभेद स्वाभाविक हैं, पर उन्हें संवाद और समझदारी से सुलझाना चाहिए। यदि परिवार का कोई सदस्य उपेक्षित या अलग-थलग महसूस करता है, तो पूरा परिवार कमजोर हो जाता है, जैसे पेड़ से अलग हुई सूखी डाली। एकांकी के पात्र दादा मूलराज जी के माध्यम से लेखक ने बताया है कि घृणा को घृणा से नहीं, बल्कि स्नेह से मिटाया जा सकता है। वह कहते हैं कि यदि व्यक्ति के मन में अहंकार या असंतोष है, तो उसे और अधिक प्रेम से जीतना चाहिए, ताकि उसका मन परिवार में लग सके। दादा यह भी समझाते हैं कि महानता किसी से मनवायी नहीं जाती, बल्कि अपने व्यवहार से अनुभव कराई जाती है। उनके इन शब्दों में एक गहरी जीवन-दृष्टि छिपी है।

6. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए :-
यह कुटुंब एक महान वृक्ष है। हम सब इसकी डालियाँ हैं। डालियों से ही पेड़ पेड़ है और डालियाँ छोटी हों चाहे बड़ी, सब उसकी छाया को बढ़ाती हैं। मैं नहीं चाहता, कोई डाली इससे टूटकर पृथक हो जाए।
दादा जी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करते, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूख कर मुरझा जाए …..।
उत्तर-
यह कुटुंब ………….. पृथक हो जाए।
इस वाक्य में दादा जी परिवार की तुलना एक वृक्ष से करते हैं। वह कहते हैं कि परिवार का हर सदस्य उसकी एक डाली है। सभी डालियाँ मिलकर पेड़ को हरा-भरा बनाती हैं। यदि कोई डाली अलग हो जाए, तो पेड़ अधूरा हो जाता है। इसका अर्थ है कि परिवार की एकता ही उसकी शक्ति है।
दादा जी, आप………………. मुरझा जाए …..।
यह बात बेला ने भावावेश में कही है। उसका तात्पर्य है कि यदि परिवार में किसी सदस्य की उपेक्षा या पीड़ा होती है, तो केवल एकता बनाए रखना पर्याप्त नहीं है। वह कहती है कि जिस तरह पेड़ से जुड़ी डाली अगर सूख जाए तो वह भी जीवनहीन हो जाती है, उसी तरह परिवार के भीतर प्रेम और समानता न रहे तो उसका अस्तित्व भी निरर्थक हो जाता है।

(ख) भाषा बोध
I. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए :-
प्रतिष्ठा = _______________ ________________
आकाश = _______________ ________________
वृक्ष = _______________ ________________
प्रसन्न = _______________ ________________
परामर्श = _______________ ________________
अवसर = _______________ ________________
आदेश = _______________ ________________
आलोचना = _______________ ________________
उत्तर-

शब्द पर्यायवाची
प्रतिष्ठा इज्ज़त, मान 
आकाश नभ, गगन
वृक्ष पेड़, तरु
प्रसन्न  खुश, हर्षित
परामर्श सलाह, मशविरा
अवसर मौक़ा, समय
आदेश आज्ञा, हुक्म
आलोचना टिप्पणी, गुण-दोष

II. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:-
आकाश _______________ आज़ादी _______________
पसन्द _______________ शांति _______________
आदर _______________ प्रसन्न _______________
झूठ _______________ निश्चय _______________
मूर्ख _______________ इच्छा _______________
घृणा _______________ विश्वसनीय _______________
उत्तर-

शब्द विलोम शब्द शब्द विलोम शब्द
आकाश पाताल आज़ादी गुलामी
पसन्द नापसन्द शांति अशांति
आदर अनादर प्रसन्न अप्रसन्न
झूठ सच  निश्चय अनिश्चय
मूर्ख बुद्धिमान इच्छा अनिच्छा
घृणा प्रेम विश्वसनीय अविश्वसनीय

III. निम्नलिखित समरूपी भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ बताते हुए वाक्य बनाइए:-
सूखी _______________ ________________________________________
सुखी _______________ ________________________________________
सास _______________ ________________________________________
साँस _______________ ________________________________________
कुल _______________ ________________________________________
कूल _______________ ________________________________________
और _______________ ________________________________________
और _______________ ________________________________________
उत्तर

शब्द अर्थ वाक्य
सूखी  जिसमें नमी न हो, बेजान या निर्जल इस पेड़ की एक डाल सूखी हो गई है।
सुखी प्रसन्न, आनंदित मेहनत करने वाला व्यक्ति हमेशा सुखी रहता है।
सास  पति की माँ राधा अपनी सास का बहुत सम्मान करती है।
साँस श्वास ठंड के कारण उसकी साँस फूलने लगी।
कुल परिवार या वंश वह एक प्रतिष्ठित कुल से संबंध रखता है।
कूल किनारा या तट मछुआरा नदी के कूल पर नाव बाँध रहा था।
और अतिरिक्त, अधिक मुझे एक कप और चाय चाहिए।
ओर दिशा, तरफ़ सूरज पूरब की ओर से निकलता है।

IV. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए:-
मुहावरा अर्थ वाक्य
काम आना = मारा जाना ______________
नाक-भौं बढ़ाना = घृणा या असंतोष प्रकट करना ______________
पारा चढ़ना = क्रोधित होना ______________
भीगी-बिल्ली बनना = सहम जाना ______________
मरहम लगाना = सांत्वना देना ______________
ठहाका मारना = जोर से हँसना ______________
खलल पड़ना = किसी काम में बाधा आना ______________
कमर कसना = किसी काम के लिए निश्चयपूर्वक तैयार होना ______________
उत्तर-

मुहावरा अर्थ वाक्य
काम आना मारा जाना  दादा का बड़ा लड़का 1914 के महायुद्ध में सरकार की ओर से लड़ते-लड़ते काम आया था।
नाक-भौं चढ़ाना घृणा या असंतोष प्रकट करना बेला से कुछ काम करने को कहो तो बस नाक-भौंह चढ़ा लेती है।  
पारा चढ़ना   क्रोधित होना छोटी बहू का पारा कुछ-चढ़ा हुआ था।
भीगी-बिल्ली बनना सहम जाना बेला के सामने परेश भीगी-बिल्ली बन जाता है। 
मरहम लगाना सांत्वना देना यह घाव नासूर बन गया है, लाख मरहम लगाओ, तब भी ठीक नहीं होगा।
ठहाका मारना जोर से हँसना मँझली भाभी जब भी हँसती हैं तो ठहाका मारके हँसती हैं। 
खलल पड़ना किसी काम में बाधा आना उसके शोर से मेरी पढ़ाई में खलल पड़ता है। 
कमर कसना किसी काम के लिए निश्चयपूर्वक तैयार होना परीक्षा की तैयारी के लिए उसने पूरी तरह कमर कस ली

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
1. कल्पना कीजिए कि आप बेला हैं और दादा जी आपसे आपको परेशानी का कारण जानना चाहते हैं। आप क्या उत्तर देंगी?
उत्तर– दादा जी, मुझे इस घर में सबका प्यार और आदर तो मिलता है, पर मैं अपनेपन की कमी महसूस करती हूँ। सब मेरे सामने चुप हो जाते हैं, जैसे मुझसे डरते हों। मैं किसी से खुलकर बात करना चाहती हूँ, उनके साथ काम बाँटना चाहती हूँ, लेकिन सब मुझे अलग समझते हैं। मैं बस यह चाहती हूँ कि इस घर में मुझे परिवार का एक हिस्सा माना जाए, न कि कोई अजनबी समझा जाए।

2. आज भारत में संयुक्त परिवार विघटित हो रहे हैं। बताइए कि इसके क्या कारण हैं?
उत्तर- आज भारत में संयुक्त परिवारों के विघटन के कई कारण हैं। आधुनिक जीवनशैली और नौकरी के कारण लोग शहरों में अलग रहने लगे हैं। आत्मनिर्भरता और निजता की भावना बढ़ गई है। परिवार के सदस्यों में विचारों का टकराव भी एक बड़ा कारण है। पहले जैसे सामूहिक प्रेम, धैर्य और समर्पण अब कम हो गए हैं। यही कारण है कि संयुक्त परिवार टूटकर छोटे-छोटे एकल परिवारों में बदलते जा रहे हैं।

3. नौकरी की तलाश में आज घर के सदस्यों को देश के दूर-दराज के इलाकों में ही नहीं, विदेशों में भी जाना पड़ता है; ऐसे में दादा जी की वटवृक्ष वाली कल्पना कहाँ तक प्रासंगिक है?
उत्तर– दादा जी की वटवृक्ष वाली कल्पना आज भी भावनात्मक रूप से बहुत प्रासंगिक है। उनका कहना था कि परिवार एक पेड़ की तरह है, जिसकी डालियाँ आपस में जुड़ी हों तो ही वह हरा-भरा रहता है। आज भले ही परिवार के सदस्य नौकरी या पढ़ाई के लिए दूर-दराज़ या विदेश चले जाते हैं, लेकिन यदि मन से अपनापन, प्रेम और एकता बनी रहे, तो वह वटवृक्ष की भावना जीवित रहती है। दूरी केवल भौगोलिक होती है, मन का संबंध टूटे तो ही परिवार सूखता है।

4. ‘घर में नई बहू के आने पर घर के माहौल में घुल-मिल जाना जहाँ उसकी जिम्मेदारी है, वहाँ परिवार के शेष सदस्यों की भी जिम्मेदारी है कि वे भी उसकी आशाओं-अपेक्षाओं के अनुसार खुद को बदलें’ ….. क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों?
उत्तर– हाँ, मैं इस कथन से पूर्णतः सहमत हूँ। जब कोई नई बहू घर में आती है, तो वह एक नए वातावरण, नई परंपराओं और नए रिश्तों में ढलने की कोशिश करती है। यह केवल उसी की जिम्मेदारी नहीं कि वह सबके अनुसार खुद को बदले। परिवार के अन्य सदस्यों को भी उसे अपनाने और उसके विचारों, आदतों और भावनाओं को समझने का प्रयास करना चाहिए। आपसी समझ, सम्मान और प्रेम से ही घर का माहौल सुखद और सामंजस्यपूर्ण बन सकता है।

5. यदि आपके घर में कोई सदस्य या कोई आपका मित्र/रिश्तेदार धूम्रपान जैसी लत का शिकार है तो आप उसकी यह लत छुड़वाने में कैसे मदद करेंगे।
उत्तर- यदि मेरे घर में कोई सदस्य या मित्र धूम्रपान की लत का शिकार है, तो सबसे पहले मैं उसे प्यार और धैर्य के साथ समझाने की कोशिश करूँगा कि यह आदत उसके स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक है। मैं उसे धूम्रपान से होने वाले नुकसान, जैसे फेफड़ों का कैंसर, सांस की बीमारियाँ आदि के बारे में बताऊँगा। साथ ही, उसे किसी डॉक्टर या नशामुक्ति केंद्र की सहायता लेने के लिए प्रेरित करूँगा। जब भी उसे सिगरेट पीने की इच्छा हो, मैं उसका ध्यान दूसरी सकारात्मक गतिविधियों जैसे व्यायाम, पढ़ाई या संगीत की ओर मोड़ने में मदद करूँगा। सबसे ज़रूरी बात यह होगी कि मैं उसके साथ लगातार सहयोग और प्रेरणा बनाए रखूँ ताकि वह अपनी लत पर पूरी तरह काबू पा सके।

6. जब दादा जी ने घर से सदस्यों को बुलाया तो घर के बालक तथा युवक तख्त और चारपाइयों पर बैठते हैं जबकि स्त्रियाँ बरामदे के फर्श पर मोढ़े और चटाइयों पर बैठती हैं – क्या आपको इस तरह की व्यवस्था उचित लगी और क्या आज भी आप स्त्रियों के साथ आप इस तरह का भेदभाव देखते हैं? इसकी कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर– मुझे यह व्यवस्था उचित नहीं लगी क्योंकि इसमें स्त्रियों और पुरुषों के बीच असमानता दिखाई देती है। पुरुषों को तख्त और चारपाइयों पर बैठाया गया जबकि स्त्रियों को ज़मीन पर। यह भेदभाव समाज की पुरानी परंपराओं और पितृसत्तात्मक सोच का प्रतीक है। हर व्यक्ति, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, समान सम्मान और सुविधा का अधिकार रखता है। आज के समय में भी कई जगहों पर ऐसा भेदभाव देखा जाता है। जैसे- निर्णय लेने में स्त्रियों की राय न लेना या उन्हें द्वितीय स्थान देना। कक्षा में इस विषय पर चर्चा करते हुए हमने यह समझा कि समानता केवल कहने की बात नहीं, बल्कि व्यवहार में लानी चाहिए ताकि समाज वास्तव में न्यायपूर्ण और आधुनिक बन सके।

7. दादा जी में अनेक चारित्रिक गुण हैं किन्तु हुक्का गुड़गुड़ाते रहना तथा छोटी बहू से अपनी पोती के लिए दहेज की अपेक्षा करना उनके चरित्र को कमियाँ हैं – इस संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर- दादा जी एक संस्कारी, जिम्मेदार और परिवार को जोड़े रखने वाले व्यक्ति हैं, जिनमें कई अच्छे चारित्रिक गुण हैं, जैसे- सबके प्रति स्नेह, अनुभव की गहराई और परंपराओं के प्रति सम्मान। लेकिन उनके कुछ व्यवहार, जैसे हुक्का पीना और दहेज की अपेक्षा करना, उनके चरित्र की कमजोरियाँ हैं। हुक्का पीना एक बुरी आदत है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, और दहेज लेना समाज की कुरीति है जो स्त्रियों के सम्मान को ठेस पहुँचाती है। इन दोनों बातों से यह स्पष्ट होता है कि दादा जी पूरी तरह आधुनिक सोच नहीं रखते। हमें उनके अच्छे गुणों का आदर करते हुए यह भी समझना चाहिए कि परंपराओं की आड़ में बुराइयों को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता
1. ‘सुखी डाली’ एकांकी को अपने स्कूल के मंच पर खेलिए।
2. अपने पुस्तकालय से उपेन्द्रनाथ अश्क के अन्य एकांकियों को लेकर पढ़िए।
3. वट वृक्ष के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र कीजिए।
4. वट वृक्ष की भिन्न-भिन्न विशेषताओं को बताने वाले चित्र एकत्र कीजिए और उन्हें एक चार्ट पर चिपका कर अपनी कक्षा में लगाएँ।
5. लाहौर शहर के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र कीजिए।
6. बच्चे, बूढ़े और जवान
बात सुनो खोलकर कान
धूम्रपान है मौत का सामान
है तुम्हें क्या इसका ज्ञान – इस विषय पर स्कूल की प्रार्थना सभा में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
7. दहेज एक सामाजिक कलंक है। यह प्रथा अनैतिक, अवांछनीय एवं अविवेकपूर्ण है – इस विषय पर स्कूल में निबंध/कविता अथवा चित्रकला आदि गतिविधियों का आयोजन करके उसमें सक्रिय रूप से भाग लें।

(ङ) ज्ञान-विस्तार
1. 1914 महायुद्ध – 1914 ई. से लेकर 1919 ई. के मध्य चले इस भीषण महायुद्ध को प्रथम विश्वयुद्ध कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका (मुख्यतः यूरोप में) महाद्वीपों और जल-थल व आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, युद्धक्षेत्र का फैलाव और इससे हुई क्षति के दिल हिला देने वाले आँकड़ों के कारण ही इसे विश्वयुद्ध या महायुद्ध कहते हैं।
2. ग्रेजुएट – स्नातक डिग्री प्राप्त व्यक्ति ग्रेजुएट कहलाता है। स्नातक डिग्री विश्वविद्यालय की पहली डिग्री होती है, जैसे – ‘बैचलर ऑफ आर्ट्स या बैचलर ऑफ साइंस’ आदि। प्राचीन काल में ब्रह्मचर्य आश्रम में रहते हुए गुरुकुल में सफलतापूर्वक शिक्षा पूरी करने वाले विद्यार्थी को एक समारोह में पवित्र जल से स्नान करवा कर सम्मानित किया जाता था। इस प्रकार के स्नान को प्राप्त किया हुआ विद्वान विद्यार्थी ‘स्नातक’ कहलाता था।
3. वटवृक्ष – यह भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। इसे बरगद का पेड़ भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘फाइकस वेनगैलेंसिस’ और अंग्रेज़ी नाम ‘बनियन ट्री’ है। हिन्दू लोग इस वृक्ष को पूजनीय मानते हैं। भारत में वटवृक्ष को एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
4. लाहौर – यह पाकिस्तान के महत्त्वपूर्ण शहरों में से एक है। इसे ‘पाकिस्तान का दिल’ भी कहा जाता है क्योंकि पाकिस्तानी इतिहास, संस्कृति एवं शिक्षा के क्षेत्र में इस शहर का विशिष्ट योगदान है। यह पाकिस्तान के ‘पंजाब प्रांत’ की राजधानी भी है।
हुक्का गुड़गुड़ाना : स्वास्थ्यहासक व अशोभनीय कार्य
हुक्का तंबाकू के सेवन का एक तरीका है। आज धूम्रपान तंबाकू सेवन का माध्यम है। इसके अतिरिक्त जरदे आदि के रूप में भी तंबाकू का सेवन किया जाता है। याद रहे तंबाकू का सेवन करना सौ प्रतिशत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है क्योंकि तंबाकू में एक भी स्वास्थ्यवर्धक गुण नहीं है। परिवारजनों के मध्य या सार्वजनिक स्थलों पर तंबाकू के सेवन से अन्य लोगों को भी भारी नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ यह बेहद अशोभनीय भी लगता है। इसके अतिरिक्त भारत तथा अन्य कई देशों ने सार्वजनिक स्थलों पर भूम्रपान के खिलाफ कानून की प्रावधान किया है। इसके सेवन से कैंसर, दिल के रोग, फेफड़ों के भयानक रोग आदि हो जाते हैं। यदि एक बार यह लत लग गयी तो फिर इससे छुटकारा पाना कठिन हो जाता है। अतः इसके उपर्युक्त नुकसानों को देखते हुए इससे परहेज ही बेहतर है।

 

PSEB Class 10 Hindi Lesson 18 सूखी डाली गद्यांश आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
1
पर्दा इमारत के बरामदे में खुलता है। वास्तव में यह बरामदा घर की स्त्रियों का रांदेवू (Rendezvous) सम्मिलन-स्थल है। दिन भर इसमें कोलाहल मचा रहता है। कभी घर की स्त्रियाँ यहाँ धूप लेती हैं; कभी चरखे करती हैं; कभी गप्पें उड़ाती हैं; कभी लड़ती-झगड़ती हैं और कुछ न हो तो स्नानागार में पड़े कपड़े ही धोया करती हैं। यह स्नानागार बाहर के अहाते में है – दायीं दीवार के कोनों में जो दरवाता है, उसके साथ ही बाहर को। रसोई आदि से निबट कर दोपहर के बाद, घर की दो-चार स्त्रियाँ प्रायः रोज़ वहाँ कपड़े धोया करती हैं और निरंतर ‘धप-धप’ की ध्वनि इस बरामदे में गूँजा करती हैं।
सामने दीवार के बायें कोने में एक छोटी-सी गैलरी है, जिसमें (दोनों ओर आमने-सामने) पहले मंझली बहू और बड़ी बहू के कमरे हैं (जिनकी खिड़कियाँ बरामदे में खुलती हैं) फिर मैंझली भाभी और बड़ी भाभी के छोटी भाभी का कमरा (जो इन्दु की माँ और छोटी बहू बेला की सास है) दायीं ओर है। छोटी बहू का कमरा ऊपर की छत पर है और बाय दीवार में सीढ़ियाँ बनी हैं, जो ऊपर को जाती हैं।
सामने की दीवार के साथ गैलरी के इधर को दो तख्त बिछे हैं। दो-एक चारपाइयों दीवार के साथ खड़ी हैं। एक पुराने फैशन की बड़ी आराम-कुर्सी भी सामने की दीवार के साथ लगी हुई है।
दोपहर होने में अभी काफी देर है अतः बरामदे में अपेक्षाकृत निस्तब्धता है केवल गैलरी से स्त्रियों के जल्दी-जल्दी बातें करने की आवाज आ रही है पर्दा उठाने के कुछ क्षण पश्चात इन्दु तेज-तेज गैलरी से निकलती है और बिफरी हुई – सी दायीं तरफ के तख्त पर बैठ जाती है। उसके पीछे-पीछे बड़ी बहू शांत स्वभाव से चलती हुई आती है। इन्दु की भृकुटी चढ़ी है और बड़ी बहू शांत और गंभीर है।)

1. बरामदे को किस रूप में दर्शाया गया है?
(क) अध्ययन का स्थान
(ख) स्त्रियों का सम्मिलन-स्थल
(ग) बच्चों के खेलने का स्थान
(घ) पुरुषों का विश्राम-स्थल
उत्तर– (ख) स्त्रियों का सम्मिलन-स्थल

2. बरामदे में स्त्रियाँ किस प्रकार के कार्य करती हैं?
(क) खेलकूद
(ख) नृत्य और गायन
(ग) धूप सेंकना, चरखा चलाना और बातें करना
(घ) पूजा-पाठ और भोजन बनाना
उत्तर- (ग) धूप सेंकना, चरखा चलाना और बातें करना

3. इन्दु किस स्थिति में बरामदे में आती है?
(क) हँसते हुए
(ख) शांत मन से
(ग) रोती हुई
(घ) बिफरी हुई और क्रोधित अवस्था में
उत्तर– (घ) बिफरी हुई और क्रोधित अवस्था में

4. बरामदे को स्त्रियों के लिए क्यों महत्वपूर्ण बताया गया है?
उत्तर- बरामदा स्त्रियों का सम्मिलन-स्थल है जहाँ वे दिन भर समय बिताती हैं। वे यहाँ धूप सेंकती हैं, चरखा चलाती हैं, बातें करती हैं, झगड़ती हैं और कपड़े धोती हैं। यह स्थान उनके आपसी मेलजोल और भावनाओं की अभिव्यक्ति का केंद्र है।

5. इन्दु और बड़ी बहू के प्रवेश से दृश्य में क्या परिवर्तन आता है?
उत्तर– जब इन्दु गैलरी से तेज़ी से निकलती है तो दृश्य में हलचल आ जाती है। वह क्रोधित और बिफरी हुई दिखाई देती है, जबकि उसके पीछे चल रही बड़ी बहू शांत और गंभीर है। इससे दोनों के स्वभाव का अंतर स्पष्ट होता है और संवाद की स्थिति बनती है।

2
बड़ी बहू – (इन्दु के कन्धों पर अपने दोनों हाथ रखते हुए) आखिर कुछ कहो भी क्या कह दिया छोटी बहू ने?
इन्दु – (चुप)
बड़ी बहू – क्या कह दिया उसने जो इतनी बिफरी हुई हो?
इन्दु – (क्रोध से और क्या ईंट मारती।
बड़ी बहू – कुछ कहो भी …..
इन्दु – मेरे मायके में यह होता है, मेरे मायके में यह नहीं होता (हाथ मटका कर) अपने और अपने मायके के सामने तो वह किसी को कुछ गिनती ही नहीं। हम तो उसके लिए मूर्ख, गंवार और असभ्य हैं।
बड़ी बहू – (आश्चर्य से) क्या ……
इन्दु – बैठक के बाहर मिश्रानी खड़ी रो रही थी। मैंने पूछा तो पता चला कि बहू रानी ने उसे काम से हटा दिया है।
बड़ी बहू – (उसी आश्चर्य से) काम से हटा दिया है। भला क्या दोष था उसका?
इन्दु दोष – यह था कि उसे काम करना नहीं आता।
बड़ी बहू – (स्तंभित) काम करना नहीं आता?
इन्दु – उस बेचारी ने कहा भी कि मैं दस-पाँच दिन में सब कुछ सीख जाऊँगी भला कै दिन हुए हैं। मुझे आपका काम करते? फिर बहू रानी न मानी झाड़न उन्होंने उसके हाथ से छीन लिया और कहा कि हट तू, मैं सब कुछ स्वयं कर लूंगी। अभी तक इतना ही सलीका नहीं कि बैठक कैसे साफ़ की जाती है, पाँच-दस दिन में तू क्या सीख जाएगी!

1.इन्दु किस बात से क्रोधित थी?
(क) छोटी बहू ने उसकी बात नहीं मानी
(ख) छोटी बहू ने उसके मायके की बुराई की
(ग) छोटी बहू ने मिश्रानी को काम से हटा दिया
(घ) बड़ी बहू ने उसकी बात का समर्थन नहीं किया
उत्तर– (ग) छोटी बहू ने मिश्रानी को काम से हटा दिया

2. मिश्रानी को छोटी बहू ने क्यों काम से हटा दिया?
(क) उसने कुछ पैसे उधार माँगे थे
(ख) उसे काम करना नहीं आता था
(ग) वह देर से आती थी
(घ) उसने छोटी बहू का अपमान किया था
उत्तर- (ख) उसे काम करना नहीं आता था

3. बड़ी बहू का इन्दु के प्रति व्यवहार कैसा था?
(क) शांत और समझाने वाला
(ख) कठोर और उपेक्षापूर्ण
(ग) गुस्से से भरा हुआ
(घ) उदासीन और तटस्थ
उत्तर– (क) शांत और समझाने वाला

4. निम्नलिखित में से ‘असभ्य’ का पर्यायवाची शब्द है-
(क) सुसंस्कृत
(ख) विनम्र
(ग) शालीन
(घ) अशिष्ट
उत्तर– (घ) अशिष्ट

5. मिश्रानी की गलती क्या थी और उसने क्या निवेदन किया?
उत्तर- मिश्रानी की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसे काम का पर्याप्त अनुभव नहीं था। उसने निवेदन किया कि वह पाँच-दस दिनों में सारा काम सीख जाएगी, लेकिन छोटी बहू ने उसकी बात नहीं मानी और उसे तुरंत हटा दिया।

3
बड़ी बहू – सलीका नहीं…?
इन्दु – मैंने जाकर समझाया कि भाभी दस साल से यही मिश्रानी घर का काम कर रही है। घर भर को सफ़ाई करती है, बर्तन मलती है, कपड़े धोती है। जाने तुम्हारा कौन-सा ऐसा काम है जो इससे नहीं होता और फिर मैंने समझाया कि भाभी नौकर से काम लेने की भी तमीज होनी चाहिए।
बड़ी बहू – हाँ और क्या …..
इन्दु – झट से बोली, ‘वह तीन तो बस आप लोगों को है,’ मैंने कहा, ‘तुम तो लड़ती हो। मैं तो सिर्फ यह कहना चाहती थी कि नौकर से काम लेने का भी ढंग होता है।’ इस पर तुनक कर बोलीं, और वह ढंग मुझे नहीं आता, मैंने नौकर जो यहीं आकर देखे हैं।’ फिर कहने लगी, ‘काम लेने का ढंग उसे आता है, जिसे काम की परख हो। सुबह-शाम झाडू देने मात्र से कमरा साफ़ नहीं ही जाता। उसकी बनावट-सजावट भी कोई चीज़ है। न जाने तुम लोग किस तरह हन फूहड़ नौकरों से गुज़ारा कर लेती हो। मेरे मायके में तो ऐसी गँवार मिश्रानी दो दिन छोड़, दो घड़ी भी न टिकती।’
बड़ी बहू – कहीं उसने ये सब बातें?
इन्दु – और कैसे कही जाती हैं जब से आयी है यही तो सुन रहे हैं – नौकर अच्छे हैं तो उसके मायके में खाना-पीना अच्छा है तो उसके मायके में कपड़े पहनने का ढंग आता है तो उसके मायके वालों को, हम तो न जाने कैसे जी रहे हैं।
(नाक-भौं चढ़ा कर) यहाँ के लोगों को खाना पीना पहनना-ओढ़ना कुछ नहीं आता हमारे नौकर गंवार, हमारे पड़ोसी गंवार, हम स्वयं गंवार …..
बड़ी बहू – (चकित विस्मित सिर्फ सुनती है।)
इन्दु – मैंने भी कह दिया, ‘क्या बात है भाभी तुम्हारे मायके की? एक नमूना तुम्हीं जो हो। एक मिश्रानी और ले आती तो हम गँवार भी उससे कुछ सीख लेते।’

1. छोटी बहू ने मिश्रानी के बारे में क्या कहा?
(क) वह बहुत अच्छा काम करती है
(ख) उसे काम करने का सलीका नहीं आता
(ग) वह घर के काम में निपुण है
(घ) वह परिवार की सदस्य जैसी है
उत्तर– (ख) उसे काम करने का सलीका नहीं आता

2. इन्दु ने छोटी बहू को क्या समझाने की कोशिश की?
(क) नौकर से काम लेने का भी एक ढंग होता है
(ख) मिश्रानी को तुरंत निकाल देना चाहिए
(ग) घर के काम खुद करना चाहिए
(घ) मायके की बातें घर में नहीं करनी चाहिए
उत्तर- (क) नौकर से काम लेने का भी एक ढंग होता है

3. छोटी बहू अपने मायके की तुलना अपने ससुराल से क्यों करती रहती थी?
उत्तर– छोटी बहू अपने मायके की तुलना इसलिए करती थी क्योंकि उसे लगता था कि वहाँ हर काम सलीके और आधुनिक ढंग से होता है। वह अपने ससुराल के लोगों को पिछड़ा और गंवार समझती थी और अक्सर कहती थी कि उसके मायके में हर चीज़ बेहतर होती है।

4. इन्दु ने छोटी बहू की बातों पर क्या प्रतिक्रिया दी?
उत्तर- इन्दु को छोटी बहू की यह बातें बहुत बुरी लगीं। उसने व्यंग्यपूर्वक कहा कि अगर उसके मायके की चीज़ें इतनी अच्छी हैं, तो वह अपने मायके से एक मिश्रानी और ले आए ताकि घर के लोग भी कुछ सीख लें।

5. इस संवाद से छोटी बहू के स्वभाव के कौन-से गुण प्रकट होते हैं?
उत्तर– इस संवाद से छोटी बहू का अभिमानी और अहंकारी स्वभाव झलकता है। वह अपने मायके की श्रेष्ठता का बार-बार बखान करती है और दूसरों को तुच्छ समझती है। उसके व्यवहार में परिवार के प्रति आदर और विनम्रता का अभाव दिखाई देता है।

4
(मँझली बहू बाहर से हँसती हुई प्रवेश करती है।)
मँझली बहू – खहि…..खहि…..खहि…..हा-हा-हा……
इन्दु – क्या बात है भाभी, जो हँसी के मारे लोट-पोट हुई जा रही हो।
मँझली बहू – खिहि….. खिहि….. (हाथ-पर-हाथ मारती है) ………हा-हा-हा-हा-हा…..
(गैलरी से मँझली भाभी और बड़ी भाभी प्रवेश करती हैं।)
दोनों – क्या बात है जो आज इतनी ‘हा-हा, ही-ही’ हो रही है?
इन्दु – यह भाभी हैं कि बस हँसे जा रही हैं, कुछ बताती ही नहीं।
मँझली बहू – मैं कहती हूँ……
(फिर हँस पड़ती है।)
बड़ी बहू – आखिर कुछ कहो भी।
मँझली बहू – आज भाई परेश की वह गत बनी कि बेचारा अपना-सा मुँह ले कर रह गया…. खिहि… खिहि…हा-हा-हा-हा-हा-हा-हा……
छोटी भाभी – ओ हो, तुम्हारी हँसी भी बहू…..
मँझली बहू – मैं क्या करूँ, मैं हँसी के मारे मर जाऊँगी, छोटी माँ! अभी-अभी छोटी बहू ने परेश की वह गत बनायी। बेचारा अपना-सा मुँह ले कर दादा जी के पास भाग गया।
बड़ी बहू इन्दु – (बात क्या हुई?)
मँझली बहू – मैं तो उधर ऊपर सामान रखने गयी थी। बहुत-सी बातें तो मैंने सुनी नहीं, बहुत सी समझ भी नहीं पायी। अंग्रेजी में गिटपिट कर रहे थे छोटी बहू का पारा कुछ-चढ़ा हुआ था। इतना मालूम हुआ कि परेश स्नान कर कमरे में गया तो बहू रानी ने सारा फर्नीचर निकाल कर बाहर रख दिया था। परेश ने कारण पूछा। छोटी बहू ने कहा, ‘मैं इन टूटी-फूटी कुर्सियों और गले सड़े फर्नीचर को अपने कमरे में न रहने दूंगी। परेश कहने लगा, हमारे बुजुर्ग ….बात काट कर छोटी बहू ने कहा हमारे बुजुर्ग तो नंगे-बुच्चे जंगलों में घूमा करते थे तो क्या हम भी उनका अनुकरण करें (हँसती है) और जो सामान पड़ा था वह भी उठा कर बाहर फेंक दिया।

1.मँझली बहू इतनी ज़ोर-ज़ोर से क्यों हँस रही थी?
(क) क्योंकि घर में कोई मज़ेदार बात हुई थी
(ख) क्योंकि छोटी बहू ने परेश को उलझा दिया था
(ग) क्योंकि इन्दु ने कोई मज़ाक किया था
(घ) क्योंकि दादा जी ने उसे डाँटा था
उत्तर– (ख) क्योंकि छोटी बहू ने परेश को उलझा दिया था

2. छोटी बहू ने परेश के कमरे से क्या बाहर निकाल दिया था?
(क) कपड़े
(ख) किताबें
(ग) फर्नीचर
(घ) बर्तन
उत्तर– (ग) फर्नीचर

3. छोटी बहू ने पुराने फर्नीचर के बारे में क्या कहा?
(क) यह टूटा-फूटा और गला-सड़ा है
(ख) यह बहुत आरामदायक है
(ग) यह बहुत सुंदर है
(घ) यह उनके मायके से लाया गया है
उत्तर– (क) यह टूटा-फूटा और गला-सड़ा है

4. मँझली बहू क्यों कहती है कि “मैं हँसी के मारे मर जाऊँगी”?
उत्तर– मँझली बहू यह बात इसलिए कहती है क्योंकि उसे छोटी बहू और परेश के बीच हुई बहस बहुत मज़ेदार लगी। छोटी बहू ने परेश के कमरे का सारा फर्नीचर बाहर फेंक दिया और उसके जवाब में तीखी बातें कहीं, जिससे मँझली बहू को हँसी रोकना मुश्किल हो गया।

5. छोटी बहू ने फर्नीचर बाहर क्यों निकलवाया?
उत्तर– छोटी बहू ने फर्नीचर बाहर इसलिए निकाल दिया क्योंकि उसे पुराने, टूटे-फूटे और गले-सड़े सामान से नफ़रत थी। वह अपने कमरे में केवल नया और सलीकेदार सामान रखना चाहती थी, जिससे उसकी आधुनिक सोच और मायके की आदतें झलकती हैं।

 

PSEB Class 10 Hindi Lesson 18 सूखी डाली बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1.दादा मूलराज किसके प्रतीक रूप में चित्रित किए गए हैं?
(क) ताड़ वृक्ष
(ख) वट वृक्ष
(ग) आम का वृक्ष
(घ) पीपल वृक्ष
उत्तर– (ख) वट वृक्ष

2. दादा मूलराज की आयु कितनी बताई गई है?
(क) 52 वर्ष
(ख) 62 वर्ष
(ग) 72 वर्ष
(घ) 82 वर्ष
उत्तर- (ग) 72 वर्ष

3. सरकार ने दादा को क्या पुरस्कार में दिया था?
(क) एक फार्म हाउस
(ख) एक कारखाना
(ग) एक हवेली
(घ) एक मुरब्बा जमीन
उत्तर– (घ) एक मुरब्बा जमीन

4. घर की स्त्रियाँ किस स्थान पर दिन भर एकत्र रहती थीं?
(क) आँगन
(ख) बरामदा
(ग) छत
(घ) रसोई
उत्तर– (ख) बरामदा

5. घर में छोटी बहू के आने से क्या हुआ?
(क) विवाद और तनाव उत्पन्न हुआ
(ख) शांति बढ़ी
(ग) सब खुश हुए
(घ) दादा बीमार हो गए
उत्तर– (क) विवाद और तनाव उत्पन्न हुआ

6. घर में सबसे अधिक पढ़ी-लिखी स्त्री कौन थी?
(क) बड़ी बहू
(ख) मँझली बहू
(ग) इन्दु
(घ) छोटी बहू
उत्तर– (घ) छोटी बहू

7. इन्दु को गुस्सा क्यों आया?
(क) क्योंकि छोटी बहू ने मिश्रानी को काम से हटा दिया
(ख) क्योंकि दादा ने उसे डाँटा
(ग) क्योंकि बड़ी बहू ने उसे समझाया
(घ) क्योंकि कोई शादी में नहीं आया
उत्तर– (क) क्योंकि छोटी बहू ने मिश्रानी को काम से हटा दिया

8. छोटी बहू को किस बात पर घमंड था?
(क) अपनी सुंदरता पर
(ख) अपने बेटे पर
(ग) अपनी धन-संपत्ति पर
(घ) अपने मायके की सभ्यता और शिक्षित होने पर
उत्तर– (घ) अपने मायके की सभ्यता और शिक्षित होने पर

9. छोटी भाभी कौन थीं?
(क) इन्दु की माँ
(ख) बड़ी बहू की माँ
(ग) मँझली बहू की बहन
(घ) बेला की बहन
उत्तर- (क) इन्दु की माँ

10. परेश ने दादा के कमरे का फर्नीचर क्यों रखना चाहा?
(क) वह नया था
(ख) उसमें बुजुर्गों की स्मृति थी
(ग) वह महंगा था
(घ) वह अंग्रेजी शैली का था
उत्तर- (ख) उसमें बुजुर्गों की स्मृति थी

11. नाटक का प्रमुख संदेश क्या है?
(क) आधुनिकता का विरोध
(ख) पारिवारिक एकता और परंपरा का महत्व
(ग) शिक्षा की निरर्थकता
(घ) स्त्रियों की श्रेष्ठता
उत्तर- (ख) पारिवारिक एकता और परंपरा का महत्व

12. इस दृश्य में कौन-सा मुख्य संघर्ष उभर कर आता है?
(क) नई और पुरानी पीढ़ी का टकराव
(ख) भाई-भाई का झगड़ा
(ग) संपत्ति का विवाद
(घ) धार्मिक संघर्ष
उत्तर- (क) नई और पुरानी पीढ़ी का टकराव

13. दादा का चरित्र किस प्रकार का है?
(क) क्रोधी और कठोर
(ख) शांत, अनुभवी और सहनशील
(ग) हठी और अहंकारी
(घ) उदासीन और आलसी
उत्तर- (ख) शांत, अनुभवी और सहनशील

14. परेश के अनुसार, छोटी बहू को क्या पसंद नहीं था?
(क) दूसरों का हस्तक्षेप
(ख) बच्चों की शरारत
(ग) गाना
(घ) कपड़े धोना
उत्तर- (क) दूसरों का हस्तक्षेप

15. दादा ने कहा “मन लगता नहीं, लगाया जाता है” — इसका क्या भाव है?
(क) मन को स्वयं बनाना पड़ता है
(ख) दूसरों पर निर्भर रहना चाहिए
(ग) भाग्य सब कुछ तय करता है
(घ) मन कभी नहीं लगता
उत्तर– (क) मन को स्वयं बनाना पड़ता है

16. परेश ने दादा से क्या माँगा?
(क) नई ज़मीन
(ख) धन
(ग) नई नौकरी
(घ) अलग मकान
उत्तर– (घ) अलग मकान

17. परेश की पत्नी बेला किस बात से दुखी थी?
(क) सब उसका मज़ाक उड़ाते थे
(ख) उसे खाना पसंद नहीं था
(ग) उसे मायका याद आता था
(घ) परेश उससे नाराज़ था
उत्तर– (क) सब उसका मज़ाक उड़ाते थे

18. परेश के अनुसार, छोटी बहू क्या चाहती थी?
(क) नौकरी करना
(ख) गाँव छोड़ना
(ग) अपनी स्वतंत्र गृहस्थी
(घ) दादा से झगड़ना
उत्तर– (ग) अपनी स्वतंत्र गृहस्थी

19. ‘सूखी डाली’ पाठ किसके द्वारा लिखित है?
(क) आचार्य रामचंद शुक्ल
(ख) उदयशंकर भट्ट
(ग) बाबू श्यामसुंदर दास
(घ) उपेन्द्रनाथ अश्क
उत्तर– (घ) उपेन्द्रनाथ अश्क

20. दादा ने कहा- “घृणा को किससे नहीं मिटाया जा सकता?”
(क) प्रेम से
(ख) शिक्षा से
(ग) घृणा से
(घ) अनुशासन से
उत्तर- (ग) घृणा से

 

PSEB Class 10 Hindi सूखी डाली प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)

1.दादा मूलराज का चरित्र नाटक में किस रूप में प्रस्तुत किया गया है?
उत्तर– दादा मूलराज परिवार के मुखिया हैं, जो परंपराओं, संस्कारों और अनुशासन में विश्वास रखते हैं। वह एक अनुभवी, गंभीर और स्नेही व्यक्ति हैं। वह पूरे परिवार को एक सूत्र में बाँधकर रखना चाहते हैं। दादा का चरित्र भारतीय संयुक्त परिवार की नींव और उसकी परंपरागत सोच का प्रतीक है।

2. छोटी बहू का स्वभाव कैसा था?
उत्तर– छोटी बहू पढ़ी-लिखी और आधुनिक विचारों वाली थी। उसे अपने मायके की सभ्यता और संस्कृति पर घमंड था। वह पुराने रीति-रिवाजों को महत्व नहीं देती थी। परिवार के परंपरागत वातावरण में वह अपने को असहज महसूस करती थी और अपने तरीके से घर चलाना चाहती थी, जिससे टकराव उत्पन्न हुआ।

3. इन्दु का स्वभाव कैसा था?
उत्तर- इन्दु दादा की पोती और घर की समझदार लड़की थी। वह परंपरागत सोच की थी और बुज़ुर्गों का आदर करती थी। उसे छोटी बहू का व्यवहार और उसकी आधुनिकता पसंद नहीं थी। वह परिवार की परंपराओं को बचाए रखना चाहती थी और नई बहू के दर्प को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

4. नाटक का प्रमुख संदेश क्या है?
उत्तर- नाटक का प्रमुख संदेश यह है कि पारिवारिक जीवन में प्रेम, सहनशीलता और परस्पर समझ सबसे ज़रूरी है। आधुनिकता का अर्थ परंपराओं को तोड़ना नहीं, बल्कि उन्हें नए रूप में अपनाना है। यदि परिवार के सदस्य एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें, तो कोई भी विवाद नहीं रह सकता।

5. दादा ने कर्मचन्द को क्या सीख दी?
उत्तर- दादा ने कर्मचन्द को समझाया कि परिवार में शांति बनाए रखने के लिए सबको सहनशील बनना चाहिए। घृणा से घृणा नहीं मिटती, उसे केवल प्रेम से समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बड़प्पन मन में होना चाहिए, वेशभूषा या पद में नहीं। यह उनका जीवन अनुभव था।

6. नाटक में नई और पुरानी पीढ़ी के बीच क्या संघर्ष दिखाया गया है?
उत्तर– नाटक में नई पीढ़ी की आधुनिक सोच और पुरानी पीढ़ी की परंपरागत मान्यताओं के बीच टकराव दिखाया गया है। बुज़ुर्ग स्थिरता और अनुशासन चाहते हैं, जबकि नई पीढ़ी स्वतंत्रता और आत्मसम्मान को महत्व देती है। यह संघर्ष भारतीय समाज के बदलते मूल्यों को प्रकट करता है।

7. छोटी बहू के अनुसार परिवार में क्या गलत था?
उत्तर- छोटी बहू को लगता था कि परिवार में सब पुराने रीति-रिवाजों और सीमाओं में बँधे हुए हैं। उसे अपनी स्वतंत्रता और आधुनिक जीवनशैली अपनाने की आज़ादी नहीं मिलती। वह चाहती थी कि उसे भी निर्णय लेने का अधिकार मिले और सब उसकी भावनाओं का सम्मान करें।

8. दादा “मन लगता नहीं, लगाया जाता है” कहकर क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर– दादा का यह वाक्य बहुत गहरा है। वह कहना चाहते हैं कि मन कहीं अपने आप नहीं लगता, बल्कि उसे प्रेम, धैर्य और प्रयास से लगाना पड़ता है। जो व्यक्ति अपने मन को संयमित रखता है, वही जीवन में संतुलन बना सकता है।

9. दादा “टूटी डालियों” से क्या अर्थ निकालते हैं?
उत्तर– दादा “टूटी डालियों” का उदाहरण देकर समझाते हैं कि जो परिवार या संबंध एक बार टूट जाते हैं, उन्हें जोड़ना कठिन होता है। जैसे पेड़ से टूटी डाली दोबारा हरी नहीं होती, वैसे ही संबंधों में दरार आने के बाद स्नेह और विश्वास कायम रखना मुश्किल हो जाता है।

10 .दूसरा दृश्य कहाँ घटित होता है और वहाँ कौन-कौन उपस्थित होते हैं?
उत्तर– दूसरा दृश्य घर के बरामदे में घटित होता है। वहाँ दादा मूलराज तकिये के सहारे बैठे हैं और हुक्का गुड़गुड़ा रहे हैं। उनके साथ कर्मचन्द बैठा है, जबकि बच्चे पास ही खेल रहे हैं।