PSEB Class 10 Hindi Chapter 14 Rajendra Babu (राजेंद्र बाबू) Question Answers (Important) 

 

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PSEB Class 10 Chapter 14 Rajendra Babu Textbook Questions

अभ्यास
(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए :-
प्रश्न 1 – राजेंद्र बाबू को लेखिका ने प्रथम बार कहाँ देखा था?
उत्तर – राजेंद्र बाबू को लेखिका ने सबसे पहले पटना के स्टेशन पर एक बेंच पर बैठे देखा था।

प्रश्न 2 – राजेंद्र बाबू अपने स्वभाव और रहन-सहन में किसका प्रतिनिधित्व करते थे?
उत्तर – राजेंद्र बाबू अपने स्वभाव और रहन-सहन में एक सामान्य भारतीय या भारतीय किसान का प्रतिनिधित्व करते थे।

प्रश्न 3 – राजेंद्र बाबू के निजी सचिव और सहचर कौन थे?
उत्तर – राजेंद्र बाबू के निजी सचिव और सहचर भाई चक्रधर जी थे।

प्रश्न 4 – राजेंद्र बाबू ने किनकी शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए लेखिका से अनुरोध किया?
उत्तर – राजेंद्र बाबू ने अपनी 15-16 पोतियों की शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए लेखिका से अनुरोध किया था।

प्रश्न 5 – लेखिका प्रयाग से कौन-सा उपहार लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंची थी?
उत्तर – लेखिका प्रयाग से बारह सूपों का उपहार लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंची थी।

प्रश्न 6 – राष्ट्रपति को उपवास की समाप्ति पर क्या खाते देखकर लेखिका को हैरानी हुई?
उत्तर – राष्ट्रपति के उपवास की समाप्ति पर कुछ उबले हुए आलू खाकर परायण करते देखकर लेखिका को हैरानी हुई थी।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए :-
प्रश्न 1 – राजेंद्र बाबू को देखकर हर किसी को यह क्यों लगता था कि उन्हें पहले कहीं देखा है?
उत्तर – राजेंद्र बाबू की मुख की आकृति ही नहीं, बल्कि उनके शरीर की पूरी बनावट में एक सामान्य भारतीय जन की आकृति और बनावट की छाया थी, अतः उन्हें देखने पर हर किसी को अपना कोई-न-कोई जान-पहचान वाला व्यक्ति या कोई आकृति याद आ जाती थी और वह अनुभव करने लगता था कि इस प्रकार के व्यक्ति को पहले भी कहीं देखा है। अर्थात राजेंद्र बाबू का व्यक्तित्व इतना साधारण था कि हर किसी को उनमें अपना कोई न कोई दिखाई पड़ जाता था।

प्रश्न 2 – पं० जवाहर लाल नेहरू की अस्त-व्यस्तता तथा राजेंद्र बाबू की सारी व्यवस्था किसका पर्याय थी?
उत्तर – पं० जवाहर लाल नेहरू की अस्त-व्यस्तता एक व्यवस्था से निर्मित होती थी। राजेंद्र बाबू की व्यवस्था ही अस्त-व्यस्तता से परिपूर्ण होती थी। इसलिए उनकी व्यवस्थता पं० जवाहर लाल नेहरू की अस्त-व्यस्तता की पर्याय थी तथा पं० जवाहर लाल नेहरू की अस्त-व्यस्तता राजेंद्र बाबू की व्यवस्था की पर्याय थी।

प्रश्न 3 – राजेंद्र बाबू की वेश-भूषा के साथ उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण लेखिका को क्यों हो आया ?
उत्तर – राजेंद्र बाबू की वेशभूषा तथा अस्त-व्यस्तता से लेखिका को उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का स्मरण हो गया था। क्योंकि जब राजेंद्र बाबू के मोजों में से पाँचों उँगलियाँ बाहर निकलने लगतीं, या जब जूते के तले से पैर के तलवों के लिए छोटी खिड़कियाँ बनने लगते, जब धोती, कुरते कोट आदि का खद्दर अपने मूल ताने- बाने में बदलने लगता, तब चक्रधर राजेंद्र बाबू की उन पुरातन सज्जा को अपने लिए सहेज लेते। अर्थात राजेंद्र बाबू की सभी पुरानी वेशभूषा को चक्रधर अपने लिए रख लेते थे। उन्होंने वर्षों तक इसी प्रकार राजेंद्र बाबू के पुराने कपड़ों से अपने-आपको सजा कर रखा और इसमें वे संतुष्टि का अनुभव किया करते थे। अर्थात चक्रधर जी, राजेंद्र बाबू की पुरानी फटी पोशाक धारण करना अपना सौभाग्य मानते थे।

प्रश्न 4 – लेखिका ने राजेंद्र बाबू की पत्नी को सच्चे अर्थों में धरती की पुत्री क्यों कहा है?
उत्तर – लेखिका ने राजेंद्र बाबू की पत्नी को सच्चे अर्थों में धरती की पुत्री इसलिए कहा है क्योंकि वे धरती के समान सरल, क्षमामयी, सबके प्रति ममतालु तथा त्यागमयी थीं। बिहार के ज़मींदार परिवार की वधू होकर भी उन्हें अहंकार नहीं था। वे सबका बहुत ध्यान रखती थीं। वे अत्यंत विनम्र स्वभाव की थीं। सभी को एक समान आदर व् प्रेम देती थी। वे एक भारतीय नारी के संपुर्ण गुणों से परिपूर्ण थी।

प्रश्न 5 – राजेंद्र बाबू की पोतियों का छात्रावास में रहन-सहन कैसा था ?
उत्तर – राजेंद्र बाबू की पोतियां छात्रावास में सामान्य छात्राओं के समान बहुत सादगी और संयम से रहती थीं। वे सभी खादी के कपड़े पहनती थीं। उन्हें अपने वस्त्र स्वयं धोने होते थे। उन्हें अपने कमरे की सफ़ाई, झाड़-पोंछ स्वयं करनी होती थीं। वे अपने गुरुजनों की सेवा भी करती थीं। उन्हें साबुन, तेल आदि के लिए सीमित राशि ही दी जाती थी।

प्रश्न 6 – राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी राजेंद्र बाबू और उनकी पत्नी में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर – राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी राजेंद्र बाबू तथा उनकी पत्नी में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ था। अपनी पोतियों के संबंध में राजेंद्र बाबू ने लेखिका से कहा था कि उनकी पोतियाँ जैसी रहती आई हैं, अब भी वैसी ही रहेंगी। इसी प्रकार से उनकी पत्नी स्वयं भोजन बना कर पति, परिवार तथा परिजनों को खिलाने के बाद ही स्वयं अन्न ग्रहण करती थीं। उपवास की समाप्ति भी फल, मेवों, मिठाइयों आदि के स्थान पर वे उबले हुए आलू खाकर करते थे। वे सामान्य नागरिकों व् किसान की भाँती जीवन व्यतीत करते थे।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह-सात पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1 – राजेंद्र बाबू की शारीरिक बनावट, वेश-भूषा और स्वभाव का वर्णन करें।
उत्तर – राजेंद्र बाबू के काले घने बाल थे जो छोटे कटे हुए थे, उनका चौड़ा मुख व् चौड़ा माथा था, घनी भौहों के नीचे उनकी बड़ी आँखें थी, उनके मुख के अनुपात में उनकी नाक कुछ भारी थी, उनकी चौड़ी ठुड्डी कुछ गोलाई लिए हुए थी, उनके होंठ कुछ मोटे परन्तु सुडौल थे, उनका गेहुआ वर्ण श्याम रंग की झलक देता था, गाँव के लोगों की तरह बड़ी-बड़ी मूँछें थी, जो ऊपर के होंठ पर ही नहीं बल्कि नीचे के होंठ पर भी रोएँदार बालों का मानो पर्दा डाले हुए थीं। हाथ, पैर, शरीर सबकी लंबाई में कुछ ऐसी विशेषता थी, जो किसी की भी दृष्टि को आसानी से अपनी ओर आकर्षित कर लेती थी। वे खादी की मोटी धोती-कुर्ता, काला बंद गले का कोट, गांधी टोपी, साधारण मौजे और जूते पहनते थे। उनका स्वभाव अत्यन्त शांत था। वे सदा सादगी पसंद करते थे। अपने स्वभाव तथा रहन-सहन में वे एक सामान्य भारतीय अथवा किसान के समान थे। उनका खान-पान अत्यन्त साधारण था।

प्रश्न 2 – पाठ के आधार पर राजेंद्र बाबू की पत्नी की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर – राजेंद्र बाबू की पत्नी धरती के समान सहनशील, क्षमामयी, ममतालु तथा सरल थीं। बचपन में ही उनका विवाह हो गया था। बिहार के ज़मीदार परिवार की वधू तथा स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध सेनानी एवं भारत के प्रथम राष्ट्रपति की पत्नी होने का भी उन्हें अहंकार लेशमात्र नहीं था। राष्ट्रपति भवन में वह एक सच्ची भारतीय नारी के समान स्वयं भोजन पकाती थी तथा पति, परिवार, परिजनों आदि को खिला कर ही स्वयं अन्न ग्रहण करती थीं। लेखिका के छात्रावास में अपनी पोतियों से मिलने आने पर वे छात्रावास की अन्य छात्राओं, सेवकों आदि को भी मिष्टान्न बांट देती थीं। गंगा स्नान के समय वे खूब दान करती थीं। उनका स्वभाव बहुत सरल व् सामान्य जन के सामान था।

प्रश्न 3 – आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) सत्य में जैसे कुछ घटाना या जोड़ना संभव नहीं रहता, वैसे ही सच्चे व्यक्तित्व में भी कुछ जोड़नाघटाना सम्भव नहीं है।
उत्तर – सत्य में जैसे कुछ घटाना या जोड़ना संभव नहीं रहता, वैसे ही सच्चे व्यक्तित्व में भी कुछ जोड़नाघटाना सम्भव नहीं है। पंक्ति का भाव यह है कि सत्य अंत तक सत्य ही रहता है। उसमें से कुछ भी घटाया नहीं जा सकता या उसमें कुछ बढ़ाया नहीं जा सकता। उसी प्रकार एक सच्चे व्यक्तित्व में कुछ भी घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता, क्योंकि सच्चा व्यक्ति सदैव एक ही रूप में नज़र आता है। उसमें किसी भी परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं होता।

(ख) क्या वह सांचा टूट गया जिसमें ऐसे कठिन कोमल चरित्र ढलते थे?
उत्तर – क्या वह सांचा टूट गया जिसमें ऐसे कठिन कोमल चरित्र ढलते थे? पंक्ति का भाव यह है कि क्या ईश्वर से वह सांचा टूट गया है, जिसके माध्यम से वह राजेंद्र बाबू जैसे कठिन और कोमल चरित्र वाले व्यक्ति बनाता था। अब ईश्वर ने उन जैसे सरल तथा परिश्रमी व्यक्ति बनाना बंद कर दिया है। क्योंकि आज के समय में नैतिक चरित्रों वाले सज्जन व्यक्तियों का मिल पाना संभव ही नहीं है।

(ख) भाषा-बोध
I. निम्नलिखित में संधि कीजिए:
शीत + अवकाश _____________ विद्या + अर्थी __________________
मुख + आकृति _____________ छात्र + आवास _______________
प्रति + ईक्षा _____________ प्रति + अक्ष __________________
उत्तर –

शीत + अवकाश शीतावकाश
विद्या + अर्थी विद्यार्थी
मुख + आकृति मुखाकृति
छात्र + आवास छात्र + आवास
प्रति + ईक्षा प्रतीक्षा
प्रति + अक्ष प्रत्यक्ष

II. निम्नलिखित शब्दों का संधिविच्छेद कीजिए-
राजेन्द्र _____________ वातावरण __________________
फलाहार _____________ व्यतीत __________________
मिष्ठान्न _____________ प्रत्येक __________________
व्यवस्था _____________ एकासन __________________
उत्तर –

राजेंद्र राजा + इंद्र
वातावरण वात + आवरण
फलाहार फल + आहार
व्यतीत वि + अतीत
मिष्ठान्न मिष्ठा + अन्न
प्रति + एक प्रति + एक
व्यवस्था वि + अवस्था
एकासन  एक + आसन

III. निम्नलिखित विग्रह पदों को समस्त पद में बदलिए-
राष्ट्र का पति __________________ रसोई के लिए घर __________________
कर्म में निष्ठा __________________ विद्या की पीठ __________________
गंगा में स्नान __________________ राष्ट्रपति का भवन __________________
उत्तर –

राष्ट्र का पति राष्ट्रपति
रसोई के लिए घर रसोईघर
कर्म में निष्ठा कर्मनिष्ठा
विद्या का पीठ – विद्यापीठ
गंगा में स्नान  गंगास्नान
राष्ट्रपति का भवन राष्ट्रपति भवन

IV. निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए-
गाँव में रहने वाला __________________
नगर में रहने वाला __________________
कृषि कर्म करने वाला __________________
छात्रों के रहने का स्थान __________________
जिसका कोई शत्रु न हो __________________
जिसे पराजित न किया जा सके __________________
अतिथि का स्वागत करने वाला __________________
उत्तर –

वाक्यांश – एक शब्द
गाँव का रहने वाला ग्रामीण
नगर का रहने वाला नागरिक
कृषि कर्म करने वाला कृषक
छात्रों के रहने का स्थान छात्रावास
जिसका कोई शत्रु न हो  अजातशत्रु
जिसे पराजित न किया जा सके  अपराजेय
अतिथि का स्वागत करने वाला आतिथेय

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1 – राजेंद्र बाबू सादगी और सरलता की प्रतिमूर्ति थे। आप उनके कौन-कौन से गुणों को अपने जीवन में अपनाना चाहेंगे?
उत्तर – इसमें कोई दोराहे नहीं है कि राजेंद्र बाबू सादगी और सरलता की प्रतिमूर्ति थे। हम राजेंद्र बाबू के जीवन से सादगी, सरलता, विनम्रता, सहजता आदि गुणों को अपने जीवन में अपनाना चाहेंगे।

प्रश्न 2 – आप किसी महान् व्यक्तित्व से मिले हो अथवा आपने किसी महान् व्यक्तित्व के बारे में पढ़ा हो तो संक्षेप में लिखिए।
उत्तर – मैंने भगत सिंह के बारे पढ़ा है। भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को हुआ था और उनको वीरगति 23 मार्च 1931 को प्राप्त हुई थी। भगत सिंह भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में बर्नी सैंडर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने इन्हें 23 मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया।

प्रश्न 3 – भारत के सभी राष्ट्रपतियों के चित्र एकत्र करके एक चार्ट पर चिपकाकर पुस्तकालय अथवा अन्य किसी समुचित स्थान पर लगाइए।
उत्तर – भारत के राष्ट्रपतियों की सूची

1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद

Rajendra Babu QNA Img1

2. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

Rajendra Babu QNA Img2

3. डॉ. जाकिर हुसैन

Rajendra Babu QNA Img3

4. वी. वी. गिरि (वराहगिरि वेंकट गिरि)

Rajendra Babu QNA Img4

5. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद

Rajendra Babu QNA Img5

6. नीलम संजीव रेड्डी

Rajendra Babu QNA Img6

7. ज्ञानी जैल सिंह

Rajendra Babu QNA Img7

8. रामास्वामी वेंकटरमण

Rajendra Babu QNA Img8

9. डॉ. शंकरदयाल शर्मा

Rajendra Babu QNA Img9

10. के. आर. नारायणन

Rajendra Babu QNA Img10

11. डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

Rajendra Babu QNA Img11

12. प्रतिभा पाटिल

Rajendra Babu QNA Img12

13. प्रणब मुखर्जी

Rajendra Babu QNA Img13

14. रामनाथ कोविंद

Rajendra Babu QNA Img14

प्रश्न 4 – भारत के राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर – भारतीय राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख हैं और उन्हें भारत का प्रथम नागरिक भी कहा जाता है। वह संघ कार्यपालिका का हिस्सा है, जिसके प्रावधान राष्ट्रपति से संबंधित लेखों सहित अनुच्छेद 52-78 से संबंधित हैं। संविधान के अनुच्छेद 58 में प्रावधान किया गया है कि भारत के राष्ट्रपति पद के लिए पात्र होने के लिए किसी व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए, उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए और वह लोकसभा का सदस्य बनने के लिए योग्य होना चाहिए। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति लाभ का कोई पद रखता है, तो उसे राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
भारतीय राष्ट्रपति के लिए कोई सीधा चुनाव नहीं होता है। एक निर्वाचक मंडल उसे चुनता है।
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए जिम्मेदार निर्वाचक मंडल में निम्नलिखित निर्वाचित सदस्य शामिल
1. लोकसभा और राज्यसभा
2. राज्यों की विधान सभाएँ
3. दिल्ली और पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाएं
निम्नलिखित लोगों का समूह भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में शामिल नहीं है –
1. राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
2. राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य
3. द्विसदनीय विधानसभाओं में विधान परिषदों के सदस्य
4. दिल्ली और पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों के मनोनीत सदस्य

अनुछेद 60 के अनुसार निर्वाचित होने के बाद, राष्ट्रपति को अपने कार्यालय में प्रवेश करने से पहले शपथ लेनी होती है। यह शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रशासित की जाती है और यदि वह किसी कारण से इसे प्रशासित करने में सक्षम नहीं है, तो सुप्रीम कोर्ट का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश शपथ दिलाता है।
निर्वाचित होने के बाद व्यक्ति राष्ट्रपति के पद का कार्यभार संभालता है। अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल या कार्यकाल के संबंध में प्रावधान प्रदान करता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय में प्रवेश करने की तारीख से 5 साल की अवधि के लिए अपना पद धारण करता है। राष्ट्रपति पाँच वर्ष की समाप्ति के बाद भी अपने पद पर बने रह सकते हैं जब तक कि अगला निर्वाचित व्यक्ति पद का कार्यभार नहीं संभाल लेता।

 

PSEB Class 10 Hindi Lesson 14 राजेंद्र बाबू गद्यांश आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

 

निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर दीजिए-

1 –
राजेंद्र बाबू को मैंने पहले-पहले एक सर्वथा गद्यात्मक वातावरण में ही देखा था, परन्तु उस गद्य ने कितने भावात्मक क्षणों की अटूट माला गूँथी है, यहाँ बताना कठिन है।
मैं प्रयाग में बी. ए. की विद्यार्थी थी और शीतावकाश में अपने घर भागलपुर जा रही थी। पटना में भाई से मिलने की बात थी, अतः स्टेशन पर ही प्रतीक्षा के कुछ घंटे व्यतीत करने पड़े।
स्टेशन के एक ओर तीन पैर वाली बेंच पर देहातियों की वेशभूषा में परन्तु कुछ नागरिक जनों से घिरे सज्जन जो विराजमान थे, उनकी ओर मेरी विहंगम दृष्टि जाकर लौट आई। वास्तव में भाई से यह जानने के उपरांत कि उक्त सज्जन ही राजेंद्र बाबू हैं, मुझे अभिवादन का ध्यान आया।
पहली दृष्टि में ही जो आकृति स्मृति में अंकित हो गई थी, उसमें इतने वर्षों ने न कोई नई रेखा जोड़ी है और न कोई नया रंग भरा है।
सत्य में से जैसे कुछ घटाना या जोड़ना संभव नहीं रहता, वैसे ही सच्चे व्यक्तित्व में भी कुछ जोड़ना घटाना संभव नहीं है।

प्रश्न 1 – लेखिका ने राजेंद्र बाबू को सबसे पहले किस वातावरण में देखा था ?
(क) काव्यात्मक
(ख) गद्यात्मक
(ग) हास्यात्मक
(घ) व्यंग्यात्मक
उत्तर – (ख) गद्यात्मक

प्रश्न 2 – लेखिका को स्टेशन पर किसकी प्रतीक्षा में कुछ घंटे व्यतीत करने पड़े?
(क) भाई
(ख) राजेंद्र बाबू
(ग) ट्रेन
(घ) राजेंद्र बाबू की धर्मपत्नी
उत्तर – (क) भाई

प्रश्न 3 – स्टेशन के एक ओर तीन पैर वाली बेंच पर देहातियों की वेशभूषा में कौन सज्जन विराजमान थे?
(क) गाँधी जी
(ख) जवाहरलाल जी
(ग) चितरंजन दास
(घ) राजेंद्र बाबू
उत्तर – (घ) राजेंद्र बाबू

प्रश्न 4 – लेखिका को किसने बताया कि स्टेशन पर विराजमान सज्जन ही राजेंद्र बाबू हैं?
(क) जवाहरलाल जी ने
(ख) भाई ने
(ग) चितरंजन दास ने
(घ) स्टेशन अधिकारी ने
उत्तर – (ख) भाई ने

प्रश्न 5 – सत्य में से जैसे कुछ घटाना या जोड़ना संभव नहीं रहता, वैसे ही ——————– में भी कुछ जोड़ना घटाना संभव नहीं है।
(क) चरित्र
(ख) स्वभाव
(ग) सच्चे व्यक्तित्व
(घ) व्यवहार
उत्तर – (ग) सच्चे व्यक्तित्व

2 –
राजेंद्र बाबू की मुखाकृति ही नहीं, उनके शरीर के संपूर्ण गठन में एक सामान्य भारतीय जन की आकृति और गठन की छाया थी, अतः उन्हें देखने वाले को कोई-न-कोई आकृति या व्यक्ति स्मरण हो आता था और वह अनुभव करने लगता था कि इस प्रकार के व्यक्ति को पहले भी कहीं देखा है। आकृति तथा वेशभूषा के समान ही वे अपने स्वभाव और रहन-सहन में सामान्य भारतीय या भारतीय कृषक का ही प्रतिनिधित्व करते थे। प्रतिभा और बुद्धि की विशिष्टता के साथ-साथ उन्हें जो गंभीर संवेदना प्राप्त हुई थी, वही उनकी सामान्यता को गरिमा प्रदान करती थी ।
भाई जवाहरलाल जी की अस्त-व्यस्तता भी व्यवस्था से निर्मित होती थी, किंतु राजेंद्र बाबू की सारी व्यवस्था ही अस्त-व्यस्तता का पर्याय थी। दूसरे यदि जवाहरलाल जी की अस्त-व्यस्तता को देख लें तो उन्हें बुरा नहीं लगता था, परंतु अपनी अस्त-व्यस्तता के प्रकट होने पर राजेंद्र बाबू भूल करने वाले बालक के समान संकुचित हो जाते थे। एक दिन यदि दोनों पैरों में दो भिन्न रंग के मोज़े पहने किसी ने उन्हें देख लिया तो उनका संकुचित हो उठना अनिवार्य था। परन्तु दूसरे दिन जब वे स्वयं सावधानी से रंग का मिलान करके पहनते तो पहले से भी अधिक अनमिल रंगों के पहन लेते।
उनकी वेशभूषा की अस्त-व्यस्तता के साथ उनके निजी सचिव और सहचर भाई चक्रधर जी का स्मरण अनायास हो आता है।

प्रश्न 1 – राजेंद्र बाबू के शरीर के संपूर्ण गठन में किसकी आकृति और गठन की छाया थी?
(क) एक विशिष्ठ भारतीय जन
(ख) एक सामान्य भारतीय जन
(ग) एक प्रसिद्ध भारतीय जन
(घ) एक संवेदनशील जन
उत्तर – (ख) एक सामान्य भारतीय जन

प्रश्न 2 – राजेंद्र बाबू को देखने वाले को क्या लगता था ?
(क) उन्हें कोई-न-कोई आकृति स्मरण हो आती थी
(ख) कोई-न-कोई व्यक्ति स्मरण हो आता था
(ग) वह अनुभव करने लगता था कि इस प्रकार के व्यक्ति को पहले भी कहीं देखा है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – आकृति तथा वेशभूषा के समान ही वे अपने स्वभाव और रहन-सहन में सामान्य भारतीय या ————— का ही प्रतिनिधित्व करते थे।
(क) भारतीय कृषक
(ख) भारतीय नेता
(ग) भारतीय जन
(घ) भारतीय नागरिक
उत्तर – (क) भारतीय कृषक

प्रश्न 4 – अपनी अस्त-व्यस्तता के प्रकट होने पर राजेंद्र बाबू भूल करने वाले किसके समान संकुचित हो जाते थे?
(क) व्यक्ति
(ख) छात्र
(ग) बालक
(घ) नागरिक
उत्तर – (ग) बालक

प्रश्न 5 – राजेंद्र बाबू की वेशभूषा की अस्त-व्यस्तता के साथ उनके निजी सचिव और सहचर भाई ———— का स्मरण अनायास हो आता है।
(क) चक्रवर जी
(ख) चक्रधर जी
(ग) चक्रवती जी
(घ) गंगाधर जी
उत्तर -(ख) चक्रधर जी

3 –
बिहार के जमींदार परिवार की वधू और स्वातंत्र्य युद्ध के अपराजेय सेनानी की पत्नी होने का न उन्हें कभी अहंकार हुआ और न उनमें कोई मानसिक ग्रंथि ही बनी। छात्रावास की सभी बालिकाओं तथा नौकर-चाकरों का उन्हें समान रूप से ध्यान रहता था। एक दिन या कुछ घंटों ठहरने पर भी वे सबको बुला-बुलाकर उनका तथा उनके परिवार का कुशल-मंगल पूछना न भूलती थीं। घर से अपनी पौत्रियों के लिए लाए मिष्ठान्न में से प्रायः सभी बँट जाता था। देखने वाला यह जान ही नहीं सकता था कि वह सबकी इया, अश्या अर्थात दादी नहीं हैं।
गंगा-स्नान के लिए तो मुझे उनके साथ प्रायः जाना पड़ता था। उस दिन संगम पर जितना दूध मिलता, जितने फूल दिखाई देते सब उनकी ओर से ही गंगा-यमुना की भेंट हो जाते। कोलाहल करते हुए पंडों की पूरी पलटन उन्हें घेर लेती थी, पर वे बिना विचलित हुए शांत भाव से प्रत्येक को उसका प्राप्य देती चलती थीं।
बालिकाओं के संबंध में राजेंद्र बाबू का स्पष्ट निर्देश था कि वे सामान्य बालिकाओं के साथ बहुत सादगी और संयम से रहें। वे खादी के कपड़े पहनती थीं, जिन्हें वे स्वयं ही धो लेती थीं। उनके साबुन, तेल आदि का व्यय भी सीमित था। कमरे की सफाई, झाड़-पोंछ, गुरुजनों की सेवा आदि भी उनके अध्ययन के आवश्यक अंग थे।

प्रश्न 1 – राजेंद्र बाबू की पत्नी को किसका अहंकार नहीं हुआ ?
(क) बिहार के जमींदार परिवार की वधू होने का
(ख) स्वातंत्र्य युद्ध के अपराजेय सेनानी की पत्नी होने का
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों

प्रश्न 2 – राजेंद्र बाबू की पत्नी को किसका समान रूप से ध्यान रहता था?
(क) राजेंद्र बाबू के परिवार का
(ख) राजेंद्र बाबू की पोतियों का
(ग) राजेंद्र बाबू का
(घ) छात्रावास की सभी बालिकाओं तथा नौकर-चाकरों का
उत्तर – (घ) छात्रावास की सभी बालिकाओं तथा नौकर-चाकरों का

प्रश्न 3 – गंगा-स्नान के लिए तो किसे राजेंद्र बाबू की पत्नी के साथ प्रायः जाना पड़ता था?
(क) राजेंद्र बाबू को
(ख) राजेंद्र बाबू की पोतियों को
(ग) लेखिका को
(घ) छात्रावास की छात्रों को
उत्तर – (ग) लेखिका को

प्रश्न 4 – कोलाहल करते हुए ———— की पूरी पलटन उन्हें घेर लेती थी।
(क) पंडों
(ख) बालकों
(ग) ब्राह्मणों
(घ) भिखारियों
उत्तर – (क) पंडों

प्रश्न 5 – बालिकाओं के संबंध में राजेंद्र बाबू का स्पष्ट निर्देश क्या था?
(क) कि वे सामान्य बालिकाओं के साथ बहुत सादगी और संयम से रहें
(ख) कि वे खादी के कपड़े पहने, जिन्हें वे स्वयं ही धो ले
(ग) कि उनके साबुन, तेल आदि का व्यय भी सीमित हो और कमरे की सफाई, झाड़-पोंछ, गुरुजनों की सेवा आदि भी उनके अध्ययन के आवश्यक अंग हो
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

4 –
राजेंद्र बाबू तथा उनकी सहधर्मिणी सप्ताह में एक दिन अन्न नहीं ग्रहण करते थे। संयोग से मैं उनके उपवास के दिन ही पहुँची, अत: उनकी यह जिज्ञासा स्वाभाविक थी कि मैं कैसा भोजन पसंद करूँगी। उपवास में भी आतिथेय का साथ देना उचित समझकर मैंने निरन्न भोजन की ही इच्छा प्रकट की। फलाहार के साथ उत्तम खाद्य पदार्थों की कल्पना स्वाभाविक रहती है। सामान्यतः हमारा उपवास अन्य दिनों के भोजन की अपेक्षा अधिक व्ययसाध्य हो जाता है, क्योंकि उस दिन हम भाँति- भाँति के फल, मेवे, मिष्ठान्न आदि एकत्र कर लेते हैं।
मुझे आज भी वह संध्या नहीं भूलती, जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति को मैंने सामान्य आसन पर बैठ कर दिन भर के उपवास के उपरांत केवल कुछ उबले आलू खाकर पारायण करते देखा। मुझे भी वही खाते देखकर उनकी दृष्टि में संतोष और होठों पर बालकों जैसी सरल हँसी छलक उठी।
जीवन मूल्यों की परख करने वाली दृष्टि के कारण उन्हें देशरत्न की उपाधि मिली और मन की सरल स्वच्छता ने उन्हें अजातशत्रु बना दिया। अनेक बार प्रश्न उठता है, क्या वह साँचा टूट गया जिसमें ऐसे कठिन कोमल चरित्र ढलते थे।

प्रश्न 1 – राजेंद्र बाबू तथा उनकी सहधर्मिणी सप्ताह में एक दिन ————– नहीं ग्रहण करते थे?
(क) मिष्ठान्न
(ख) जल
(ग) अन्न
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) अन्न

प्रश्न 2 – लेखिका संयोग से किस दिन राष्ट्रपति भवन पहुँची?
(क) उनके उपवास के दिन
(ख) उनके जन्मदिन के दिन
(ग) उनके मौन के दिन
(घ) उनके घूमने के दिन
उत्तर – (क) उनके उपवास के दिन

प्रश्न 3 – हमारा उपवास अन्य दिनों के भोजन की अपेक्षा अधिक व्ययसाध्य हो जाता है, क्यों ?
(क) क्योंकि उस दिन हम भाँति- भाँति के फल एकत्र कर लेते हैं
(ख) क्योंकि उस दिन हम भाँति- भाँति के मेवे एकत्र कर लेते हैं
(ग) क्योंकि उस दिन हम भाँति- भाँति के मिष्ठान्न एकत्र कर लेते हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – लेखिका आज भी कौन सी संध्या नहीं भूलती?
(क) जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति को उन्होंने सामान्य आसन पर बैठ कर दिन भर के उपवास के उपरांत केवल कुछ उबले आलू खाकर पारायण करते देखा
(ख) जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति को मैंने सामान्य आसन पर बैठ कर दिन भर के उपवास के उपरांत केवल मिष्ठान्न खाकर पारायण करते देखा
(ग) जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति को मैंने सामान्य आसन पर बैठ कर दिन भर के उपवास के उपरांत केवल मेवे खाकर पारायण करते देखा
(घ) जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति को मैंने सामान्य आसन पर बैठ कर दिन भर के उपवास के उपरांत केवल फल खाकर पारायण करते देखा
उत्तर – (क) जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति को उन्होंने सामान्य आसन पर बैठ कर दिन भर के उपवास के उपरांत केवल कुछ उबले आलू खाकर पारायण करते देखा

प्रश्न 5 – जीवन मूल्यों की परख करने वाली दृष्टि के कारण राजेंद्र बाबू को किसकी उपाधि मिली ?
(क) भारत भूषण
(ख) भारतरत्न
(ग) देशरत्न
(घ) भारतविभूषण
उत्तर -(ग) देशरत्न

 

PSEB Class 10 Hindi Lesson 14 राजेंद्र बाबू बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1 – लेखिका ने राजेंद्र बाबू को सबसे पहले एक पूरी तरह से —————— में ही देखा था।
(क) सामान्य वातावरण
(ख) विशिष्ट वातावरण
(ग) विचित्र वातावरण
(घ) भीड़ वाले वातावरण
उत्तर – (क) सामान्य वातावरण

प्रश्न 2 – लेखिका प्रयाग में बी. ए. की विद्यार्थी थी और सर्दियों की छुट्टियों में अपने घर ———– जा रही थी।
(क) वागलपुर
(ख) विगलपुर
(ग) भागलपुर
(घ) भागलनगर
उत्तर – (ग) भागलपुर

प्रश्न 3 – जिस क्षण लेखिका राजेंद्र बाबू से मिली उस समय लेखिका प्रयाग में किसकी विद्यार्थी थी?
(क) एम. ए.
(ख) बी. ए.
(ग) सी. ए.
(घ) बी. कॉम
उत्तर – (ख) बी. ए.

प्रश्न 4 – स्टेशन पर राजेंद्र बाबू को किसने घेरा हुआ था ?
(क) कुछ नागरिक जनों ने
(ख) कुछ वरिष्ठ जनों ने
(ग) कुछ सम्मानित जनों ने
(घ) कुछ किसानों ने
उत्तर – (क) कुछ नागरिक जनों ने

प्रश्न 5 – सत्य में से जैसे कुछ घटाना या जोड़ना संभव नहीं होता, वैसे ही सच्चे व्यक्तित्व में भी कुछ जोड़ना घटाना संभव नहीं होता। इस पंक्ति का भाव क्या है ?
(क) सच्चा व्यक्तित्व कभी एक सामान नहीं रहता है उसमें बदलाव होना स्वभाविक है
(ख) सच्चा व्यक्तित्व मिलना उसी प्रकार असंभव है जिस प्रकार सच्ची घटना को साबित करना
(ग) सच्चा व्यक्तित्व हमेशा एक सामान रहता है उसमें कोई बदलाव नहीं होता
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग) सच्चा व्यक्तित्व हमेशा एक सामान रहता है उसमें कोई बदलाव नहीं होता

प्रश्न 6 – राजेंद्र बाबू को देखकर कैसा लगता था ?
(क) वे किसी जल्दबाजी के कारण चलते-चलते कपड़े पहनते आए हैं
(ख) उन्हें चलते-चलते कपड़े पहनना पसंद है
(ग) वे किसी जल्दबाजी के कारण सही से कपड़े नहीं पहन पाते
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) वे किसी जल्दबाजी के कारण चलते-चलते कपड़े पहनते आए हैं

प्रश्न 7 – राजेंद्र बाबू की मुख की आकृति ही नहीं, बल्कि उनके शरीर की पूरी बनावट में एक —————- की आकृति और बनावट की छाया थी।
(क) सामान्य भारतीय जन
(ख) सामान्य कृषक
(ग) सामान्य नेता
(घ) वरिष्ठ भारतीय जन
उत्तर – (क) सामान्य भारतीय जन

प्रश्न 8 – उनकी विलक्षण बौद्धिक शक्ति और बुद्धि व् समझ की विशेषताओं के साथ-साथ उन्हें जो गंभीर संवेदना प्राप्त हुई थी, वही उनके ————– को गौरव प्रदान करती थी।
(क) वशिष्ठ व्यक्तित्व
(ख) सम्मानित व्यक्तित्व
(ग) सामान्य व्यक्तित्व
(घ) विचित्र व्यक्तित्व
उत्तर – (ग) सामान्य व्यक्तित्व

प्रश्न 9 – राजेन्द्र बाबू के निकट संपर्क में आने का अवसर लेखिका को कब मिला?
(क) 1935 में
(ख) 1937 में
(ग) 1939 में
(घ) 1941 में।
उत्तर – (ख) 1937

प्रश्न 10 – राजेन्द्र बाबू को जीवन मूल्यों की परख रखने वाली दृष्टि के कारण कौन-सी उपाधि मिली थी?
(क) भारत भूषण
(ख) भारत विभूषण
(ग) देशरत्न
(घ) देशनवरत्न
उत्तर – (ग) देशरत्न

प्रश्न 11 – राजेन्द्र बाबू और उनकी सहधर्मिणी सप्ताह में एक दिन क्या नहीं ग्रहण करते थे?
(क) अन्न
(ख) जल
(ग) फल
(घ) प्रसाद
उत्तर – (क) अन्न

प्रश्न 12 – राजेंद्र बाबू की धर्मपत्नी सच्चे अर्थ में ………… की पुत्री थीं।
(क) भारतीय
(ख) किसान
(ग) धरती
(घ) स्वतंत्रता सेनानी
उत्तर – (ग) धरती

प्रश्न 13 – राजेंद्र बाबू —————- की प्रतिमूर्ति थे।
(क) सादगी और कठोरता
(ख) सरलता और विषमता
(ग) क्रूरता और सरलता
(घ) सादगी और सरलता
उत्तर – (घ) सादगी और सरलता

प्रश्न 14 – ‘पहली दृष्टि में ही जो आकृति स्मृति में अंकित हो गई थी, उसमें इतने वर्षों में न कोई नई रेखा जुड़ी है और न कोई नया रंग भरा है।’ वाक्य में राजेंद्र बाबू की किस विशेषता की ओर संकेत किया गया है?
(क) प्रभावपूर्ण व्यक्तित्व
(ख) आकर्षक व्यक्तित्व
(ग) सच्चे व्यक्तित्व
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 15 – सहधर्मिणी का क्या अर्थ है ?
(क) पत्नी
(ख) धर्म में साथ रहने वाली
(ग) धर्म का पालन करने वाली
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) पत्नी

प्रश्न 16 – राजेन्द्र बाबू के सचिव और सहचर कौन थे?
(क) चक्रधर
(ख) चक्रपाणि
(ग) चक्रभुज
(घ) चक्रम
उत्तर – (क) चक्रधर

प्रश्न 17 – अपराजेय का क्या अर्थ है ?
(क) कभी न जीतने वाला
(ख) कभी न थकने वाला
(ग) कभी न हारने वाला
(घ) कभी न मरने वाला
उत्तर – (ग) कभी न हारने वाला

प्रश्न 18 – लेखिका राष्ट्रपति भवन जाते समय अपने साथ क्या उपहार ले गई?
(क) कुशासन
(ख) शीतलपाटी
(ग) सूप
(घ) चटाई
उत्तर – (ग) सूप

प्रश्न 19 – फलाहार के साथ किन खाद्य पदार्थों की कल्पना लेखिका ने की थी?
(क) उत्तम
(ख) अद्धभुत
(ग) निम्न
(घ) सरल
उत्तर – (क) उत्तम

प्रश्न 20 – मन की सरल स्वच्छता ने राजेंद्र बाबू को ………….. बना दिया।
(क) विशिष्ठ नागरिक
(ख) अहंकारी
(ग) अजातशत्रु
(घ) राष्ट्रपति
उत्तर – (ग) अजातशत्रु

 

PSEB Class 10 Hindi राजेंद्र बाबू प्रश्न और उत्तर (Extra Question Answers)

प्रश्न 1 – लेखिका ने राजेंद्र बाबू को सबसे पहले कहाँ देखा था ? लेखिका के मन में उसका क्या असर हुआ ?
उत्तर – लेखिका ने राजेंद्र बाबू को सबसे पहले एक पूरी तरह से सादे व् सामान्य वातावरण में ही देखा था, परन्तु उस सामान्य वातावरण ने लेखिका के जीवन में कितने भावात्मक क्षणों की न टूटने वाली माला को गूंथा है, यहाँ बताना लेखिका के लिए कठिन है। अर्थात जिस क्षण लेखिका राजेंद्र बाबू से मिली वह क्षण लेखिका जीवन भर नहीं भूल सकती। स्टेशन के एक ओर तीन पैर वाली बेंच पर गाँव वालों के तरह पहनावा पहने कोई सज्जन बैठे थे। उन्हें कुछ नागरिक जनों ने घेरा हुआ था, उनकी ओर लेखिका की दृष्टि ऐसे जाकर लौट आई, जैसे किसी पक्षी की दृष्टि होती है। लेखिका की पहली दृष्टि में ही राजेंद्र बाबू की जो आकृति यादाश्त में चिन्हित हो गई थी। सत्य में से जैसे कुछ घटाना या जोड़ना संभव नहीं होता, वैसे ही सच्चे व्यक्तित्व में भी कुछ जोड़ना घटाना संभव नहीं होता। अर्थात सच्चा व्यक्तित्व हमेशा एक सामान रहता है उसमें कोई बदलाव नहीं होता।

प्रश्न 2 – लेखिका ने राजेंद्र बाबू का पाठ में कैसा चित्र अंकित किया है ?
उत्तर – लेखिका पाठ में राजेंद्र बाबू के बारे में बताती हैं कि राजेंद्र बाबू के काले घने बाल थे जो छोटे कटे हुए थे, उनका चौड़ा मुख व् चौड़ा माथा था, घनी भौहों के नीचे उनकी बड़ी आँखें थी, उनके मुख के अनुपात में उनकी नाक कुछ भारी थी, उनकी चौड़ी ठुड्डी कुछ गोलाई लिए हुए थी, उनके होंठ कुछ मोटे परन्तु सुडौल थे, उनका गेहुआ वर्ण श्याम रंग की झलक देता था, गाँव के लोगों की तरह बड़ी-बड़ी मूँछें थी, जो ऊपर के होंठ पर ही नहीं बल्कि नीचे के होंठ पर भी रोएँदार बालों का मानो पर्दा डाले हुए थीं। हाथ, पैर, शरीर सबकी लंबाई में कुछ ऐसी विशेषता थी, जो किसी की भी दृष्टि को आसानी से अपनी ओर आकर्षित कर लेती थी। गाँव के लोगों की तरह उनकी वेशभूषा तो दूसरों की दृष्टि को और भी उलझा लेती थी। अर्थात राजेंद्र बाबू की वेशभूषा उनके व्यक्तित्व से बिलकुल भी मेल नहीं खाती थी। वे खादी की मोटी धोती पहनते थे। उनका काले रंग का बंद गले का कोट मोटा और खुरदरा था, जिसके ऊपर के भाग का बटन टूट जाने के कारण ऊपरी भाग खुला था और घुटने के नीचे का बटनों से बंद था, सरदी के कारण उनके पैरों में मोज़े जूते तो थे, परन्तु कोट और धोती के समान ही मोज़े और जूते में भी अलग ही स्वतंत्रता थी। उनकी गांधी टोपी की स्थिति तो इन सबसे अनोखी थी। जिसे देखकर ऐसा लगता था मानो वे किसी जल्दबाजी के कारण चलते-चलते कपड़े पहनते आए हैं, जिस कारण जो कपड़ा जहाँ जैसी स्थिति में अटक गया, वह वहीं उसी स्थिति में अटका रह गया। उनकी मुख की आकृति को देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो उन्हें पहले भी कहीं देखा है। लेखिका के अनुसार अनेक व्यक्तियों ने उन्हें पहली बार देखकर कुछ ऐसा ही अनुभव किया होगा।

प्रश्न 3 – राजेंद्र बाबू को देखकर हर किसी को क्यों लगता था कि उन्हें कहीं पहले भी देखा है ?
उत्तर – राजेंद्र बाबू की मुख की आकृति ही नहीं, बल्कि उनके शरीर की पूरी बनावट में एक सामान्य भारतीय जन की आकृति और बनावट की छाया थी, अतः उन्हें देखने पर हर किसी को अपना कोई-न-कोई जान-पहचान वाला व्यक्ति या कोई आकृति याद आ जाती थी और वह अनुभव करने लगता था कि इस प्रकार के व्यक्ति को पहले भी कहीं देखा है। अर्थात राजेंद्र बाबू का व्यक्तित्व इतना साधारण था कि हर किसी को उनमें अपना कोई न कोई दिखाई पड़ जाता था। आकृति तथा वेशभूषा की तरह ही वे अपने स्वभाव और रहन-सहन में सामान्य भारतीय या भारतीय किसान का ही प्रतिनिधित्व करते थे। अर्थात उन्हें देखकर कोई कह ही नहीं सकता था कि वे राष्टपति हैं। उनकी विलक्षण बौद्धिक शक्ति और बुद्धि व् समझ की विशेषताओं के साथ-साथ उन्हें जो गंभीर संवेदना प्राप्त हुई थी, वही उनके सामान्य व्यक्तित्व को गौरव प्रदान करती थी।

प्रश्न 4 – लेखिका ने कैसे जवाहरलाल जी और राजेंद्र बाबू की अस्त-व्यस्तता का वर्णन किया है ?
उत्तर – लेखिका जवाहरलाल जी को भाई के रूप में सम्बोधित करती हैं कि जवाहरलाल जी की अस्त-व्यस्तता भी व्यवस्था से निर्मित होती थी, किंतु राजेंद्र बाबू की सारी व्यवस्था ही अस्त-व्यस्तता का दूसरा रूप थी। यदि कोई दूसरा व्यक्ति जवाहरलाल जी की अस्त-व्यस्तता को देख लें तो राजेंद्र बाबू को बुरा नहीं लगता था, परंतु यदि उनकी अस्त-व्यस्तता किसी दूसरे के सम्मुख प्रकट हो जाए तो राजेंद्र बाबू ऐसे संकुचित या तंग हो जाते थे जैसे कोई भूल करने वाला बालक अपनी भूल के उजागर होने पर हो जाता है।

प्रश्न 5 – राजेंद्र बाबू की वेशभूषा की अस्त-व्यस्तता के साथ उनके निजी सचिव और सहचर भाई चक्रधर जी का स्मरण हो आना कोई बड़ी बात नहीं है। क्यों ?
उत्तर – राजेंद्र बाबू की वेशभूषा की अस्त-व्यस्तता के साथ उनके निजी सचिव और सहचर भाई चक्रधर जी का स्मरण हो आना कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि जब राजेंद्र बाबू के मोजों में से पाँचों उँगलियाँ बाहर निकलने लगतीं, या जब जूते के तले से पैर के तलवों के लिए छोटी खिड़कियाँ बनने लगते, जब धोती, कुरते कोट आदि का खद्दर अपने मूल ताने- बाने में बदलने लगता, तब चक्रधर राजेंद्र बाबू की उन पुरातन सज्जा को अपने लिए सहेज लेते। अर्थात राजेंद्र बाबू की सभी पुरानी वेशभूषा को चक्रधर अपने लिए रख लेते थे। उन्होंने वर्षों तक इसी प्रकार राजेंद्र बाबू के पुराने कपड़ों से अपने-आपको सजा कर रखा और इसमें वे संतुष्टि का अनुभव किया करते थे। अर्थात चक्रधर जी, राजेंद्र बाबू की पुरानी फटी पोशाक धारण करना अपना सौभाग्य मानते थे। लेखिका बताती हैं कि उन्होंने ऐसे गुरु-शिष्य या स्वामी सेवक अपनी जिंदगी में फिर दुबारा अब तक नहीं देखे।

प्रश्न 6 – लेखिका को राजेंद्र बाबू के निकट संपर्क में आने का अवसर कब मिला ?
उत्तर – लेखिका को राजेंद्र बाबू के निकट संपर्क में आने का अवसर सन् 1937 में मिला। जब वे कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में महिला विद्यापीठ महाविद्यालय के भवन का संस्थापन करने प्रयाग आए थे। राजेंद्र बाबू से लेखिका को ज्ञात हुआ कि उनकी 15-16 पोतियाँ हैं, जिनकी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं हो पाई है। लेखिका यदि अपने छात्रावास में उन्हें रखकर विद्यापीठ की परीक्षाओं में बैठा सकें, तो उन्हें जल्दी ही कुछ विद्या प्राप्त हो सकेगी। राजेंद्र बाबू के कहने पर पहले बड़ी, फिर छोटी, फिर उनसे छोटी पोती क्रम से लेखिका के संरक्षण में आ गई और उन्हें देखने या उनसे मिलने प्रायः उनकी दादी और कभी-कभी दादा भी प्रयाग आते रहते थे।

प्रश्न 7 – राजेंद्र बाबू की धर्मपत्नी से मिल कर लेखिका को उनके बारे में क्या ज्ञात हुआ ?
उत्तर – लेखिका को राजेंद्र बाबू की धर्मपत्नी के निकट संपर्क में आने का अवसर भी मिला। लेखिका को वे सच्चे अर्थ में धरती की पुत्री लगीं – क्योंकि वे साध्वी, सरल, क्षमामयी, सबके प्रति ममतालु और असंख्य संबंधों की सूत्रधारिणी थी। ससुराल में जब उनका प्रवेश हुआ तो वे बालिका-वधू थी। अर्थात उनका विवाह छोटी उम्र में हो गया था। बिहार के जमींदार परिवार की वधू और स्वतंत्रता के युद्ध के सेनानी की पत्नी होने का उन्हें कभी अहंकार नहीं हुआ। छात्रावास की सभी बालिकाओं तथा नौकर-चाकरों का उन्हें एक समान रूप से ध्यान रहता था। वे चाहे एक दिन के लिए छात्रावास आती थी या कुछ घंटों के लिए ही ठहरती थी , वे सबको बुला-बुलाकर उनका तथा उनके परिवार का कुशल-मंगल पूछना न भूलती थीं। घर से अपनी पोतियों के लिए लाए मिठे पकवानों में से प्रायः सभी छात्रावास की छात्राओं और व्यक्तियों में बँट जाता था। गंगा-स्नान के लिए तो लेखिका को उनके साथ प्रायः जाना पड़ता था। गंगा-स्नान जाते हुए संगम पर जितना दूध मिलता, जितने फूल दिखाई देते सब उनकी ओर से ही गंगा-यमुना की भेंट हो जाते। शोर करते हुए किन्नरों का पूरा समूह उन्हें घेर लेता था, परन्तु वे बिना परेशान हुए शांत भाव से उन सभी को उसके प्राप्त करने योग्य वस्तुएं देती चलती थीं।

प्रश्न 8 – पोतियों के सम्बन्ध में राजेंद्र बाबू के क्या निर्देश थे ?
उत्तर – पोतियों के संबंध में राजेंद्र बाबू का स्पष्ट निर्देश था कि उनकी पोतियाँ सामान्य बालिकाओं के साथ बहुत सादगी और संयम से रहें। वे खादी के कपड़े पहनती थीं, जिन्हें वे स्वयं ही धो लेती थीं। उनके साबुन, तेल आदि का खर्च भी सीमित था। कमरे की सफाई, झाड़-पोंछ, गुरुजनों की सेवा आदि भी उनके अध्ययन के आवश्यक अंग थे। राजेंद्र बाबू के भारत के प्रथम राष्ट्रपति बन जाने के बाद, राजेंद्र बाबू का लेखिका को स्पष्ट सन्देश था कि दिल्ली उनका नहीं है, राष्ट्रपति-भवन उनका नहीं है। अहंकार से उनकी पोतियों का दिमाग खराब न हो जाए, लेखिका केवल इस विषय की चिंता करे। उनकी पोतियाँ जैसे अब तक रहती आई हैं, उसी प्रकार रहेंगी। क्योंकि कर्त्तव्य कोई आनंद की वस्तु नहीं है, बल्कि कर्त्तव्य पालन करने के लिए है। कहने का अभिप्राय यह है कि राजेंद्र बाबू नहीं चाहते थे कि उनकी पोतियाँ उनके पद का गलत इस्तेमाल करे, इसलिए वे अपनी पोतियों को छात्रावास में रहने देना चाहते थे व् कर्तव्य का पालन करना सिखाना चाहते थे।

प्रश्न 9 – लेखिका को राजेंद्र बाबू की धर्मपत्नी ने क्या लेकर दिल्ली आने की प्रार्थना की थी?
उत्तर – राजेंद्र बाबू के राष्ट्रपति बनाने पर भी उनकी धर्मपत्नी में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ। जब राष्ट्रपति-भवन में उनके कमरे के साथ में ही रसोईघर बन गया तब वे दिल्ली गयीं और वहाँ वे अंत तक स्वयं भोजन बनाकर सामान्य भारतीय गृहिणी की तरह पहले पति, परिवार तथा परिजनों को खाना खिलाती थी और उसके बाद स्वयं अन्न ग्रहण करती थीं। लेखिका को राजेंद्र बाबू की धर्मपत्नी ने दिल्ली आने का विशेष निमंत्रण तो दिया ही, साथ ही, प्रयाग से सिरकी के बने एक दर्जन सूप लाने का भी आदेश दिया था। उन्होंने लेखिका से बार-बार यह प्रार्थना की थी कि लेखिका उनके लिए इतना कष्ट अवश्य उठाएँ, क्योंकि फटकने-पछोरने के लिए सिरकी के सूप बहुत अच्छे होते हैं, परन्तु कोई उन्हें प्रयाग से दिल्ली लाने वाला ही नहीं मिलता।

प्रश्न 10 – लेखिका को क्यों लगता है कि अब राजेंद्र बाबू के व्यक्तित्व जैसे किसी और को ढूँढ पाना संभव ही नहीं है?
उत्तर – राजेंद्र बाबू तथा उनकी धर्मपत्नी सप्ताह में एक दिन अन्न ग्रहण नहीं करते थे। और संयोग से लेखिका उनके उपवास के दिन ही राष्ट्रपति-भवन पहुँची थी। उपवास में भी मेज़बान का साथ देना सही समझकर लेखिका ने अन्न-रहित भोजन की ही इच्छा प्रकट की। परन्तु लेखिका बताती है कि वे आज भी वह संध्या नहीं भूली हैं, जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति को उन्होंने सामान्य आसन पर बैठ कर दिन भर के उपवास के बाद भी केवल कुछ उबले आलू खाकर उपवास को समाप्त करते देखा। जीवन मूल्यों की परख करने वाली दृष्टि के कारण उन्हें देशरत्न की उपाधि मिली और मन की सरल स्वच्छता के कारण वे सदा शत्रुओं से दूर रहे। अनेक बार लेखिका के मन में प्रश्न उठता है, कि क्या वह साँचा टूट गया होगा जिसमें राजेंद्र बाबू जैसे कठिन कोमल चरित्र ढलते व् बनते थे। अर्थात अब राजेंद्र बाबू के व्यक्तित्व जैसे किसी और को ढूँढ पाना संभव ही नहीं है।