CBSE Class 8 Hindi Chapter 8 Naye Mehman (नए मेहमान) Question Answers (Important) from Malhar Book

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सीबीएसई कक्षा 8 हिंदी मल्हार के पाठ 8 नए मेहमान प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 8 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे नए मेहमान प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

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Naye Mehman Chapter 8 NCERT Solutions

 

पाठ से

आइए, अब हम इस एकांकी को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।

मेरी समझ से

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

1. आगंतुकों ने विश्वनाथ के बच्चों को ‘सीधे लड़के’ किस संदर्भ में कहा?

  • अतिथियों की सेवा करने के कारण
  • किसी तरह का प्रश्न न करने के कारण
  • आज्ञाकारिता के भाव के कारण
  • गरमी को चुपचाप सहने के कारण
    उत्तर- आज्ञाकारिता के भाव के कारण ★

2. “एक ये पड़ोसी हैं, निर्दयी…” विश्वनाथ ने अपने पड़ोसी को निर्दयी क्यों कहा?

  • उन्हें कष्ट में देखकर प्रसन्न होते हैं
  • पड़ोसी किसी प्रकार का सहयोग नहीं करते हैं।
  • लड़ने-झगड़ने के अवसर ढूंढते हैं
  • अतिथियों का अपमान करते हैं।
    उत्तर- उन्हें कष्ट में देखकर प्रसन्न होते हैं ★
    पड़ोसी किसी प्रकार का सहयोग नहीं करते हैं। ★

3. “ईश्वर करें इन दिनों कोई मेहमान न आए।” रेवती इस तरह की कामना क्यों कर रही है?

  • मेहमान के ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण
  • रेवती का स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक न होने के कारण
  • अतिथियों के आने से घर का कार्य बढ़ जाने के कारण
  • उसे अतिथियों का आना-जाना पसंद न होने के कारण
    उत्तर- मेहमान के ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण ★
    रेवती का स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक न होने के कारण ★

4. “हे भगवान! कोई मुसीबत न आ जाए।” रेवती कौन-सी मुसीबत नहीं आने के लिए कहती है?

  • पानी की कमी होने की
  • पड़ोसियों के चिल्लाने की
  • मेहमानों के आने की
  • गरमी के कारण बीमारी की
    उत्तर- मेहमानों के आने की ★

5. इस एकांकी के आधार पर बताएँ कि मुख्य रूप से कौन-सी बात किसी रचना को नाटक का रूप
देती है?

  • संवाद
  • कथा
  • वर्णन
  • मंचन
    उत्तर- संवाद ★

(ख) हो सकता है कि आप सभी ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अब अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर– मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि ये प्रसंग और पात्रों के व्यवहार से सबसे अधिक मेल खाते हैं।

  • बच्चों को ‘सीधे लड़के’ इसलिए कहा गया क्योंकि वे आज्ञाकारी थे और बड़ों के कहे अनुसार चुपचाप सेवा कर रहे थे।
  • पड़ोसी को ‘निर्दयी’ इसलिए कहा गया क्योंकि वे मदद नहीं करते और कष्ट देखकर प्रसन्न होते थे।
  • रेवती ने मेहमान न आने की कामना इसलिए की क्योंकि उसके पास न उचित व्यवस्था थी और न ही उसका स्वास्थ्य अच्छा था।
  • ‘मुसीबत’ से उसका आशय मेहमानों के आने से था, जिससे परेशानी बढ़ सकती थी।
  • किसी रचना को नाटक का रूप मुख्य रूप से संवाद ही देते हैं, क्योंकि संवाद के माध्यम से पात्र अपने विचार और भाव व्यक्त करते हैं और घटनाएँ आगे बढ़ती हैं।

इसीलिए ये उत्तर अधिक उचित प्रतीत होते हैं।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए।

  • “पानी पीते-पीते पेट फूला जा रहा है, और प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती।”
  • “सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।”
  • “यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं।”
  • “आह, अब जान में जान आई। सचमुच गरमी में पानी ही तो जान हैं।”

उत्तर-
“पानी पीते-पीते पेट फूला जा रहा है, और प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती।”
यह पंक्ति भयंकर गर्मी और प्यास की स्थिति को बताती है। गर्मी इतनी है कि बहुत पानी पीने पर भी प्यास नहीं बुझती। यह शरीर की परेशानी और गर्मी की तीव्रता का चित्रण है।

“सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।”
यहाँ भीषण गर्मी को आग बरसने जैसा बताया गया है। यह उपमा गर्मी की तीव्रता और लोगों की पीड़ा को दर्शाती है। शहर का वातावरण असहनीय हो चुका है।

“यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं।”
इसमें लेखक ने आम लोगों की परेशानी को ‘भाड़ में भुनते चने’ से तुलना कर हास्य पैदा किया है। लोग लगातार कठिनाई और गर्मी सहते रहते हैं, जैसे उनका भाग्य ही यही हो।

“आह, अब जान में जान आई। सचमुच गरमी में पानी ही तो जान हैं।”
यह पंक्ति पानी के महत्व को दर्शाती है। भीषण गर्मी में जब पानी मिलता है, तो राहत और जीवन का एहसास होता है। जब वे मेहमान पानी पी लेते हैं तो उन्हें काफी राहत मिलती है।

मिलकर करें मिलान
स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं और स्तंभ 2 में उनसे मिलते-जुलते भाव दिए गए हैं। स्तंभ 1 की पंक्तियों को स्तंभ 2 की उनके सही भाव वाली पंक्तियों से रेखा खींचकर मिलाइए-

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. लाखों के आदमी खाक में मिल गए। 1. भोजन की व्यवस्था कब तक हो जाएगी
2. धोती ऐसी चर्रा रही है, जैसे पुरानी हो। 2. पहले अपना ध्यान फिर दूसरा काम
3. माल-मसाला तो अंटी में है न? 3. बहुत ही समृद्ध व्यक्ति थे पर अब उनके पास कुछ भी नहीं है
4. खाने में क्या देर-दार है। 4. कपड़ा पसीने से भीगकर पुराने जैसा हो गया है।
5. पहले आत्मा फिर परमात्मा 5. धनराशि सुरक्षित तो है न!

उत्तर-

स्तंभ 1 स्तंभ 2
1. लाखों के आदमी खाक में मिल गए। 3. बहुत ही समृद्ध व्यक्ति थे पर अब उनके पास कुछ भी नहीं है
2. धोती ऐसी चर्रा रही है, जैसे पुरानी हो। 4. कपड़ा पसीने से भीगकर पुराने जैसा हो गया है।
3. माल-मसाला तो अंटी में है न? 5. धनराशि सुरक्षित तो है न!
4. खाने में क्या देर-दार है। 1. भोजन की व्यवस्था कब तक हो जाएगी 
5. पहले आत्मा फिर परमात्मा 2. पहले अपना ध्यान फिर दूसरा काम 

 

सोच-विचार के लिए

एकांकी को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-

(क) “शहर में तो ऐसे ही मकान होते हैं।” नन्हेमल का ‘ऐसे ही मकान’ से क्या आशय है?
उत्तर– नन्हेमल का आशय है कि शहर में मकान छोटे, तंग और असुविधाजनक होते हैं। उनमें खुली जगह, आँगन या हवा-पानी की व्यवस्था नहीं रहती। गाँव के बड़े और हवादार मकानों की तुलना में शहर के मकान बहुत संकरे और भीड़भरे होते हैं।

(ख) पड़ोसी को विश्वनाथ से किस तरह की शिकायत है? आपके विचार से पड़ोसी का व्यवहार उचित है या अनुचित ? तर्क सहित उत्तर दीजिए ।
उत्तर- पड़ोसी को यह शिकायत है कि विश्वनाथ के घर में आये मेहमानों ने उनकी छत पर हाथ धो लिए हैं जिससे पानी फैल गया है। इस वजह से पड़ोसी की स्त्री विश्वनाथ से लड़ने के लिए आ जाती है।
मेरा विचार है कि पड़ोसी का व्यवहार अनुचित है, क्योंकि मेहमान को नहीं पता था कि वहाँ हाथ नहीं धोना है। विश्वनाथ ने क्षमा भी माँगी लेकिन पड़ोसिन बुरा-भला कहती रही।

(ग) एकांकी में विश्वनाथ नन्हेमल और बाबूलाल को नहीं जानता है, फिर भी उन्हें अपने घर में आने देता है। क्यों?
उत्तर- भारतीय संस्कृति में ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा रही है। विश्वनाथ संकोच और सभ्यता के कारण अजनबियों को भी अपने घर में ठहरने देता है। वह उन्हें मना नहीं कर पाता क्योंकि सामाजिक रीति और शिष्टाचार का पालन करना उसका स्वभाव है।

(घ) एकांकी के उन संवादों को ढूँढ़कर लिखिए जिनसे पता चलता है कि बाबूलाल और नन्हेमल विश्वनाथ के परिचित नहीं हैं?
उत्तर-
संवाद-
विश्वनाथ – क्षमा कीजिएगा आप कहाँ से पधारे हैं?
नन्हेमल – अरे, आप नहीं जानते! वह लाला संपतराम हैं न गोटेवाले, वह मेरे चचेरे भाई हैं।
विश्वनाथ – कौन संपतराम ?
विश्वनाथ – क्षमा कीजिए, मैंने आपको…..
दोनों – अरे पंडित जी, आप कैसी बातें करते हैं? हम तो आपके पास के हैं।
विश्वनाथ – आप कहाँ से आए हैं?
रेवती – ये लोग कौन हैं? जान-पहचान के तो मालूम नहीं पड़ते।
विश्वनाथ – न जाने कौन हैं।
विश्वनाथ – देखिए, मैं आपसे एक-दो बात पूछना चाहता हूँ।
नन्हेमल – हाँ, हाँ पूछिए, मालूम होता है, आपने हमें पहचाना नहीं है।
विश्वनाथ – तो आप कोई चिट्ठी-विट्ठी लाए हैं?
दोनों – (सकपकाकर) चिट्ठी, चिट्ठी तो नहीं लाए हैं।

(ङ) एकांकी के उन वाक्यों को ढूँढकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि शहर में भीषण गरमी पड़ रही है।
उत्तर
वाक्य
विश्वनाथ – ओफ, बड़ी गरमी है! (पंखा जोर-जोर से करने लगता है) इन बंद मकानों में रहना कितना भयंकर है! मकान है कि भट्टी!
रेवती – (आँचल से मुँह का पसीना पोंछती हुई) पत्ता तक नहीं हिल रहा है। जैसे साँस बंद हो जाएगी। सिर फटा जा रहा है। (सिर दबाती है)
विश्वनाथ – पानी पीते-पीते पेट फूला जा रहा है और प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती। अभी चार गिलास पीकर आया हूँ, फिर भी होंठ सूख रहे हैं। एक गिलास पानी और पिला दो। ठण्डा तो क्या होगा!
रेवती – गरम है। आँगन में घड़े में भी तो पानी ठंडा नहीं होता-हवा लगे तब तो ठंडा कब तक इस जेलखाने में सड़ना होगा।
विश्वनाथ – इन सुकुमार बालकों का क्या अपराध है? इन्होंने क्या बिगाड़ा है? तमाम शरीर मारे गरमी के उबल उठा है।
(रेवती पानी का गिलास लेकर आती है।)
रेवती – बड़े का तो अभी तक बुरा हाल है। अब भी कभी-कभी देह गरम हो जाती है।
रेवती – ऐसी गरमी में क्या काम करोगे? तुम्हें भी न जाने क्या धुन सवार हो जाती है। जाओ, सो जाओ। मैं आँगन में खाट पर इसे लेकर जैसे-तैसे रात काट लूँगी, जाओ।
बच्चे को पंखा करती है। बच्चा गरमी के मारे उठ बैठता है, पानी माँगता है। वह बच्चे को पानी पिलाती है, पंखा करती है।
नन्हेमल – (पगड़ी के पल्ले से मुँह का पसीना पोंछकर उसी से हवा करता हुआ।) बड़ी गरमी है। क्या कहें, पंडित जी, पैदल चले आ रहे हैं, कपड़े तो ऐसे हो गए कि निचोड़ लो।
बाबूलाल – ठंडा-ठंडा पानी पिलाओ दोस्त, प्राण सूखे जा रहे हैं।
विश्वनाथ – देखो प्रमोद, कहीं से बरफ मिले तो ले आओ, आप लोग …..

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए—
(क) एकांकी में विश्वनाथ अपनी पत्नी को अतिथियों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के लिए कहता है। साथ ही रेवती की अस्वस्थता का विचार करके भोजन बाजार से मँगवाने का सुझाव भी देता है। लेकिन उसने स्वयं अतिथियों के लिए भोजन बनाने के विषय में क्यों नहीं सोचा?
उत्तर– विश्वनाथ ने स्वयं भोजन बनाने का विचार इसलिए नहीं किया क्योंकि उस समय समाज में रसोई और घरेलू कामकाज को मुख्यतः स्त्रियों का कार्य माना जाता था। पुरुष बाहर का काम करते थे और घर की ज़िम्मेदारी स्त्रियों पर होती थी। इसी सामाजिक सोच के कारण उसने पत्नी से ही भोजन बनाने या मँगवाने की बात कही।

(ख) एकांकी में विश्वनाथ का बेटा प्रमोद अतिथियों के पेयजल की व्यवस्था करता है और छोटी बहन का भी ध्यान रखता है। प्रमोद को इस तरह के उत्तरदायित्व क्यों दिए गए होंगे?
उत्तर– प्रमोद को उत्तरदायित्व इसलिए दिए गए होंगे क्योंकि वह घर का बड़ा बेटा है। परिवार में बड़े बच्चों से अपेक्षा की जाती है कि वे घर के छोटे-मोटे काम संभालें। अतिथियों को पानी पिलाना और बहन की देखभाल करना उसी ज़िम्मेदारी का हिस्सा है। इससे बच्चों में अनुशासन और सेवा-भावना भी विकसित होती है।

(ग) “कैसी बातें करते हो, भैया! मैं अभी खाना बनाती हूँ” भीषण गरमी और सिर में दर्द के बावजूद भी रेवती भोजन की व्यवस्था करने के लिए क्यों तैयार हो गई होगी?
उत्तर– रेवती सिरदर्द और भीषण गर्मी के बावजूद भोजन की व्यवस्था करने को तैयार हो गई क्योंकि एक तो वह उसका भाई था और दूसरा भारतीय संस्कृति में अतिथि देवो भवः की परंपरा रही है। उसका भाई काफी देर से घर ढूंढ रहा था तब जाकर उसे अपनी बहन का घर मिला। इस वज़ह से वह थक भी गया था और भूखा भी था। रेवती अपने भाई को भूखा नहीं सुला सकती थी इसलिए भोजन की तैयारी में जुट गयी।

(घ) एकांकी से गरमी की भीषणता दर्शाने वाली कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं। अपनी कल्पना और अनुमान से बताइए कि सर्दी और वर्षा की भीषणता के लिए आप इनके स्थान पर क्या- क्या वाक्य प्रयोग करते हैं? अपने वाक्यों को दिए गए उचित स्थान पर लिखिए-
उत्तर-

गरमी की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ सर्दी की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ वर्षा की भीषणता दर्शाने वाली पंक्तियाँ
1. यह गरमी में भुन रहा है। यह सर्दी में जम गया। यह वर्षा में भीग रहा है।
2. पर बरफ भी कोई कहाँ तक पिए। पर गरम पानी भी कोई कहाँ तक पिए।  पर रेनकोट भी कोई कितना पहने। 
3. सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो। सारे शहर में जैसे बर्फ गिर रही हो। सारे शहर में जैसे मूसलाधार बारिश हो रही हो। 
4. प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती। ठंड है कि जाने का नाम नहीं लेती।  वर्षा है कि रुकने का नाम नहीं लेती। 
5. चारों तरफ दीवारें तप रही हैं। चारों तरफ बर्फ जम रही है। चारों तरफ पानी टपक रहा है।
6. ठंडा-ठंडा पानी पिलाओ दोस्त, प्राण सूखे जा रहे हैं। गरम-गरम कहवा पिलाओ दोस्त, प्राण जमते जा रहे हैं। छाता लाओ दोस्त, हम भीगते जा रहे हैं।
7. सचमुच गरमी में पानी ही तो जान है। सचमुच सर्दी में आग ही तो जान है। सचमुच वर्षा में छत ही तो जान है।
8. यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं। यह तो हमारा ही भाग्य है कि बर्फ में ठिठुरते रहते हैं। यह तो हमारा ही भाग्य है कि वर्षा में भीगते रहते हैं।
9. फिर भी पसीने से नहा गया हूँ। फिर भी ठंड से काँप रहा हूँ। फिर भी बारिश से तरबतर हो गया हूँ।

 

एकांकी की रचना

इस एकांकी के आरंभ में पात्र परिचय, स्थान, समय और विश्वनाथ और रेवती के घर के विषय में बताया गया है, जैसे कि-

  • “गरमी की ऋतु, रात के आठ बजे का समय। कमरे के पूर्व की ओर दो दरवाजे…”
  • विश्वनाथ उफ्फ, बड़ी गरमी है (पंखा जोर-जोर से करने लगता है) इन बंद मकानों में रहना कितना भयंकर है। मकान है कि भट्टी!
    (पश्चिम की ओर से एक स्त्री प्रवेश करती है)
  • रेवती— (आँचल से मुँह का पसीना पोंछती हुई) पत्ता तक नहीं हिल रहा है। जैसे साँस बंद हो जाएगी। सिर फटा जा रहा है।

एकांकी की इन पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए। इन्हें पढ़कर स्पष्ट पता चल रहा है कि पहली पंक्ति समय और स्थान आदि के विषय में बता रही है। इसे रंगमंच-निर्देश कहते हैं। वहीं दूसरी पंक्तियों से स्पष्ट है कि ये दो लोगों द्वारा कही गई बातें हैं। इन्हें संवाद कहा जाता है। ये नए मेहमान’ एकांकी का एक अंश है।

एकांकी एक प्रकार का नाटक होता है जिसमें केवल एक ही अंक या भाग होता है। इसमें किसी कहानी या घटना को संक्षेप में दर्शाया जाता है। आप इस एकांकी में ऐसी अनेक विशेषताएँ खोज सकते हैं। (जैसे—इस एकांकी में कुछ संकेत कोष्ठक में दिए गए हैं, पात्र-परिचय, अभिनय संकेत, वेशभूषा संबंधी निर्देश आदि)

(क) अपने समूह में मिलकर इस एकांकी की विशेषताओं की सूची बनाइए ।
उत्तर-
(दोनों गट-गट पानी पीते हैं।) – पानी पीने का तरीका बताया गया है।
रेवती – हे भगवान! कोई मुसीबत न आ जाए। – इस वाक्य में विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग हुआ।
विश्वनाथ – क्षमा कीजिएगा आप कहाँ से पधारे हैं?
नन्हेमल – अरे, आप नहीं जानते! – संवाद
बाबूलाल – अरे वही गोटेवाले। लाओ न, चाचा (संदूक खोलकर बंडी रखते हुए) माल-मसाला तो अंटी में है न? – सामान को संदूक में रखते हुए दिखाया गया है।
(बाबूलाल का प्रवेश, रेवती का दूसरी ओर से जाना) – एक पात्र के आने की स्थिति और दूसरे पात्र की जाने की स्थिति बताई गयी है।

(ख) आगे कुछ वाक्य दिए गए हैं। एकांकी के बारे में जो वाक्य आपको सही लग रहे हैं, उनके सामने ‘हाँ’ लिखिए। जो वाक्य सही नहीं लग रहे हैं, उनके सामने ‘नहीं’ लिखिए।

वाक्य हाँ / नहीं
1. ‘नए मेहमान’ एकांकी में पूरी कहानी एक ही स्थान, घर में घटित होती दिखाई गई है।
2. एकांकी में पात्रों की संख्या बहुत अधिक है।
3. एकांकी में एक कहानी छिपी है।
4. एकांकी और कहानी में कोई अंतर नहीं है।
5. एकांकी में कहानी की घटनाएँ अलग-अलग दिनों या महीनों में हो रही हैं।
6. एकांकी में कहानी मुख्य रूप से संवादों से आगे बढ़ती है।
7. एकांकी में पात्रों को अभिनय के लिए निर्देश दिए गए हैं।

उत्तर-

वाक्य हाँ / नहीं
1. ‘नए मेहमान’ एकांकी में पूरी कहानी एक ही स्थान, घर में घटित होती दिखाई गई है। हाँ
2. एकांकी में पात्रों की संख्या बहुत अधिक है। नहीं
3. एकांकी में एक कहानी छिपी है। हाँ
4. एकांकी और कहानी में कोई अंतर नहीं है। नहीं
5. एकांकी में कहानी की घटनाएँ अलग-अलग दिनों या महीनों में हो रही हैं। नहीं
6. एकांकी में कहानी मुख्य रूप से संवादों से आगे बढ़ती है। हाँ
7. एकांकी में पात्रों को अभिनय के लिए निर्देश दिए गए हैं। हाँ

भाषा की बात

“सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो।”
“चारों तरफ दीवारें तप रही हैं।”

“यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं।”

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द गरमी की प्रचंडता को दर्शा रहे हैं कि तापमान अत्यधिक है।

एकांकी में इस प्रकार के और भी प्रयोग हुए हैं जहाँ शब्दों के माध्यम से विशेष प्रभाव उत्पन्न किया गया है, उन प्रयोगों को छाँटकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर-
विश्वनाथ – इन सुकुमार बालकों का क्या अपराध है? इन्होंने क्या बिगाड़ा है? तमाम शरीर मारे गरमी के उबल उठा है। – बच्चों पर दया का भाव
रेवती – हे भगवान! कोई मुसीबत न आ जाए।- घवराने का भाव है कि कहीं कोई आ ना जाए ऐसी गर्मी में।
बाबूलाल – ठंडा-ठंडा पानी पिलाओ दोस्त, प्राण सूखे जा रहे हैं।- इस वाक्य से पता चलता है कि बाबूलाल बहुत प्यासा है।
रेवती – (तुनककर) खाना तो खिलाना ही होगा – इस वाक्य से पता चलता है कि रेवती खीझ रही है।
पड़ोसी – कहाँ तक कोई क्षमा करे। क्षमा, क्षमा! बस एक ही बात याद कर ली है- क्षमा! – यह वाक्य बताता है कि पडोसी को बहुत गुस्सा आ रहा है।

मुहावरे

“आज दो साल से दिन-रात एक करके ढूँढ़ रहा हूँ।”
“लाखों के आदमी खाक में मिल गए।”

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित वाक्यांश ‘रात-दिन एक करना’ तथा ‘खाक में मिलना‘ मुहावरों का प्रायोगिक रूप है। ये वाक्य में एक विशेष प्रभाव उत्पन्न कर रहे एकांकी में आए अन्य मुहावरों की पहचान करके लिखिए और उनके अर्थ समझते हुए उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर-

मुहावरा  अर्थ  वाक्य प्रयोग
जान में जान आना          राहत मिलना  नन्हेमल – (पानी पीकर) आह! अब जान में जान आई। सचमुच गरमी में पानी ही तो जान है।
पहले आत्मा फिर परमात्मा पहले स्वास्थ्य फिर भगवान, पहले तन का ख्याल फिर बाकी सब रेवती – बड़ी मुश्किल है, मैं खाना नहीं बनाऊँगी, पहले आत्मा फिर परमात्मा, जब शरीर ही ठीक नहीं रहता तो फिर और क्या करूँ?
हबड़-तबड़ जल्दबाज़ी करना  इस हबड़-तबड़ में दोनों बच्चे ऊपर से उतरकर आते हैं और दरवाजे के पास खड़े होकर आगंतुकों को देखते हैं।
भाड़ में भुनना अत्यधिक कष्ट या कठिनाई सहना यह तो हमारा ही भाग्य है कि चने की तरह भाड़ में भुनते रहते हैं।

 

बात पर बल देना

  • “वह तो कहो, मैं भी ढूँढ़कर ही रहा।”

उपर्युक्त वाक्य से रेखांकित शब्द ‘ही’ हटाकर पढ़िए-

“वह तो कहो, मैं भी ढूँढ़कर रहा”

(क) दो-दो के जोड़े में चर्चा कीजिए कि वाक्य में ‘ही’ के प्रयोग से किस बात को बल मिल रहा था और ‘ही’ हटा देने से क्या कमी आई ?
उत्तर-

“वह तो कहो, मैं भी ढूँढ़कर ही रहा।”
यहाँ “ही” ज़ोर (बल) देने के लिए प्रयोग हुआ है।
इससे स्पष्ट होता है कि वह लगातार ढूँढ़ता रहा और अंत में ढूँढ़ ही लिया।

“वह तो कहो, मैं भी ढूँढ़कर रहा।”
वाक्य सामान्य सा लगता है।
बात में वह ज़ोर और प्रभाव नहीं दिखता।

अन्य विशेष-
निपात– किसी बात पर अतिरिक्त बल देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसे निपात कहते है। जैसे- ही, भी, तो , तक , केवल , मात्र आदि।

(ख) नीचे लिखे वाक्यों में ऐसे स्थान पर ‘ही’ का प्रयोग कीजिए कि वे सामने लिखा अर्थ देने लगे-

1. विश्वनाथ के अतिथि यहाँ रुकेंगे और किसी के अतिथि नहीं।
2. विश्वनाथ के अतिथि यहाँ रुकेंगे यहाँ के अतिरिक्त और कहीं नहीं।
3. विश्वनाथ के अतिथि यहाँ रुकेंगे यहाँ रुकना निश्चित है।

उत्तर-

1. विश्वनाथ के अतिथि ही यहाँ रुकेंगे और किसी के अतिथि नहीं।
2. विश्वनाथ के अतिथि यहाँ ही रुकेंगे यहाँ के अतिरिक्त और कहीं नहीं।
3. विश्वनाथ के अतिथि यहाँ रुकेंगे ही यहाँ रुकना निश्चित है।
  • “तुम नहाने तो जाओ।”

उपर्युक्त वाक्य में ‘तो’ का स्थान बदलकर अर्थ में आए परिवर्तन पर ध्यान दें-
“तुम तो नहाने जाओ।”
“तुम नहाने जाओ तो।”
‘ही’ और ‘तो’ के ऐसे और प्रयोग करके वाक्य बनाइए ।
उत्तर-
‘ही’ के प्रयोग वाले वाक्य-
मैं मेहनत करूँगा ही। – दृढ़ निश्चय
जीत हमारी होगी ही। – निश्चितता
यह काम आज पूरा होगा ही। – विश्वास और ज़ोर

‘तो’ के प्रयोग वाले वाक्य-
कम से कम तुम मदद तो करो। – आग्रह और ज़ोर
तुम तो बहुत अच्छे दोस्त निकले। – विशेष बल
वह आ जाए तो काम पूरा हो जाएगा। – शर्त

पाठ से आगे

आपकी बात
(क) “रेवती – ये लोग कौन हैं? जान-पहचान के तो मालूम नहीं पड़ते।
विश्वनाथ — क्या पूछ लूँ? दो-तीन बार पूछा, ठीक-ठीक उत्तर ही नहीं देते।”

उपर्युक्त संवाद से पता चलता है कि विश्वनाथ दुविधा की स्थिति में है। क्या आपके सामने कभी कोई ऐसी दुविधापूर्ण स्थिति आई है जब आपको यह समझने में समय लगा हो कि क्या सही है और क्या गलत? अपने अनुभव साझा कीजिए।

उत्तर- हाँ, मेरे साथ भी ऐसी स्थिति आई थी। एक बार स्कूल में एक दोस्त ने मुझसे मदद माँगी कि मैं उसकी कॉपी अपनी बताकर जमा कर दूँ, क्योंकि उसकी कॉपी पूरी नहीं थी। उस समय मुझे दुविधा हुई कि दोस्ती निभाऊँ या सच बोलूँ। अगर मदद करता तो नियम तोड़ना होता और अगर सच बोलता तो दोस्त नाराज़ हो सकता था। मैंने सोचने के बाद शिक्षक से सच बताया और बाद में दोस्त को समझाया कि सही रास्ता ही सबके लिए अच्छा होता है। इस अनुभव से मैंने सीखा कि दुविधा में भी सही निर्णय लेना जरूरी है।

(ख) एकांकी से ऐसा लगता है कि नन्हेमल और बाबूलाल सगे संबंधी ही नहीं, अच्छे मित्र भी हैं। आपके अच्छे मित्र कौन-कौन हैं? वे आपको क्यों प्रिय हैं?
उत्तर
– मेरे जीवन में भी कुछ ऐसे मित्र हैं जो मेरे बहुत प्रिय हैं। मेरे अच्छे मित्र रोहन, मयंक और श्रुति हैं जो हमेशा मेरे साथ सुख-दुःख में खड़े रहते हैं। उनकी सच्चाई, भरोसा और हंसी-मजाक का स्वभाव मुझे बहुत अच्छा लगता है। वे मेरी बातें ध्यान से सुनते हैं और सही सलाह भी देते हैं। हम एक-दूसरे के साथ पढ़ाई, खेल और दैनिक जीवन की बातें साझा करते हैं। उनकी यही सादगी और अपनापन उन्हें मेरे लिए खास और प्रिय बना देता है।

(ग) आप अपने किसी संबंधी या मित्र के घर जाने से पहले क्या क्या तैयारी करते हैं?
उत्तर- जब मैं अपने किसी संबंधी या मित्र के घर जाने की तैयारी करता हूँ, तो सबसे पहले उन्हें सूचित करता हूँ और समय का ध्यान रखता हूँ ताकि उचित समय पर पहुँच सकूँ। फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनता हूँ। यदि कोई विशेष अवसर हो तो छोटे-से उपहार और चॉकलेट भी साथ ले जाता हूँ। रास्ता और साधन का भी ध्यान रखता हूँ कि देर न हो। सबसे ज़रूरी यह कि मिलने जाते समय मन में प्रसन्नता और आदर की भावना रखता हूँ ताकि सामने वाले को भी खुशी महसूस हो।

(घ) विश्वनाथ के पड़ोसी उनका किसी प्रकार से भी सहयोग नहीं करते हैं। आप अपने पड़ोसियों का किस प्रकार से सहयोग करते हैं?
उत्तर- मैं अपने पड़ोसियों का सहयोग कई तरीकों से करता हूँ। यदि उन्हें किसी कार्य में मदद की आवश्यकता होती है, जैसे सामान उठाना, बाज़ार से सामान लाना या किसी जरूरी चीज़ की जानकारी देना, तो तुरंत सहायता करता हूँ। त्योहारों और विशेष अवसरों पर उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ और खुशी साझा करता हूँ। यदि पड़ोसी घर पर न हों, तो उनका पत्र या कोई सामान सुरक्षित रखता हूँ। बीमार होने पर उनकी खैरियत पूछता हूँ और आवश्यक मदद पहुँचाने की कोशिश करता हूँ।

(ङ) नन्हेमल और बाबूलाल का व्यवहार सामान्य अतिथियों जैसा नहीं है। आपके अनुसार सामान्य अतिथियों का व्यवहार कैसा होना चाहिए?
उत्तर– सामान्य अतिथियों का व्यवहार सरल होना चाहिए। वे मेजबान के घर आते समय उनकी परिस्थितियों और सुविधाओं का ध्यान रखें। जरूरत से ज़्यादा अपेक्षा न रखें और घर के कामों में भी मदद करें। विनम्रता से बातचीत करें, आदरपूर्वक अपने विचार रखें और परिवार के माहौल में घुल-मिल जाएँ। भोजन या व्यवस्था में कमी हो तो शिकायत न करें, बल्कि संतोष प्रकट करें। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वे अपनी उपस्थिति से घर के वातावरण को प्रसन्न और सहज बनाएँ, न कि बोझ बने। यही सामान्य अतिथि का उचित आचरण है।

सावधानी और सुरक्षा

(क) विश्वनाथ ने नन्हेमल और बाबूलाल से उनका परिचय नहीं पूछा और उन्हें घर के भीतर ले आए। यदि आप उनके स्थान पर होते तो क्या करते?
उत्तर– अगर मैं विश्वनाथ की जगह होता तो सबसे पहले नन्हेमल और बाबूलाल से उनका परिचय पूछता। उनसे यह भी पूछता कि वे कहाँ से आए हैं और किससे मिलने आए हैं। बिना जाने-पहचाने उन्हें घर के अंदर नहीं ले जाता। पहले विश्वास बनाना जरूरी है, तभी मेहमान को भीतर आने देना चाहिए।

(ख) आपके माता-पिता या अभिभावक की अनुपस्थिति में यदि कोई अपरिचित व्यक्ति आए तो आप क्या-क्या सावधानियाँ बरतेंगे?
उत्तर- अगर मेरे माता-पिता या अभिभावक घर पर न हों और कोई अनजान व्यक्ति आ जाए तो मैं दरवाजा नहीं खोलूँगा। उनसे खिड़की या दरवाजे के भीतर से ही बात करूँगा। अगर वह जरूरी बात कहें तो माता-पिता के आने तक इंतजार करने को कहूँगा। कभी भी अकेले में किसी अपरिचित को घर के भीतर नहीं आने दूँगा।

सृजन
(क) आपने यह एकांकी पढ़ी। इस एकांकी में एक कहानी कही गई है। उस कहानी को अपने शब्दों में लिखिए। (जैसे- एक दिन मेरे घर में मेहमान आ गए…)
उत्तर

कहानी- नए मेहमान

गर्मियों की तपती रात थी। किराए के छोटे से मकान में विश्वनाथ अपने परिवार के साथ रह रहा था। मकान छोटा था, चारों ओर दीवारें तप रही थीं और हवा का नामोनिशान नहीं था। विश्वनाथ, उसकी पत्नी रेवती और बच्चे प्रमोद व सीमा दिनभर की थकान के बाद थोड़ा आराम करना चाहते थे।
तभी अचानक दरवाज़े पर दस्तक हुई। विश्वनाथ ने दरवाज़ा खोला तो सामने दो अपरिचित लोग खड़े थे। उन्होंने अपने नाम नन्हेमल और बाबूलाल बताए। अजीब बात यह थी कि नन्हेमल और बाबूलाल घरवालों से बिल्कुल भी परिचित नहीं थे, लेकिन वे बड़े अधिकार से भीतर आ गए, जैसे यह उनका ही घर हो।
विश्वनाथ और रेवती समझ ही नहीं पाए कि वे कौन हैं और क्यों आए हैं। रेवती बोलती है कि ये लोग कौन हैं, जान-पहचान के तो नहीं लगते।
तब विश्वनाथ कहता है कि पूछ भी लिया, पर ठीक से उत्तर ही नहीं देते।
भारतीय परंपरा ‘अतिथि देवो भव’ का ख्याल आते ही परिवार ने उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई। वे अनचाहे मेहमानों को भीतर बुला लेते हैं और संकोचवश उनकी खातिरदारी शुरू हो जाती है। लेकिन यहीं से मुसीबतें बढ़ने लगती हैं। नन्हेमल और बाबूलाल आराम से बैठकर पानी, बर्फ और खाने की फरमाइश करने लगते हैं। प्रमोद भागदौड़ करके ठंडा पानी लाता है और अपनी छोटी बहन का भी ध्यान रखता है। रेवती सिरदर्द से बहुत परेशान है। ऊपर से मेहमान बगल वाले घर की छत पर हाथ धोकर वहाँ पानी फैला देते हैं, जिससे पड़ोसी नाराज़ हो जाते हैं।
घर का छोटा-सा आँगन अब सबके लिए तंग पड़ जाता है। कोई नींद नहीं ले पाता, कोई गरमी से बेहाल है, और कोई मेहमानों के बेमतलब सवालों से परेशान। बार-बार पूछने पर भी वे साफ-साफ अपना परिचय नहीं बताते, जिससे विश्वनाथ दुविधा में रहता है।
आख़िरकार धीरे-धीरे यह सच सामने आता है कि नन्हेमल और बाबूलाल वास्तव में जिस घर में ठहरने आए थे, वह मकान उसी गली में आगे है जहाँ कविराज रामलाल वैद्य रहते हैं। गलती से वे विश्वनाथ के घर आ गए थे।
उनके चले जाने के बाद विश्वनाथ और रेवती ने राहत की साँस ली। लेकिन तभी अचानक एक और आगंतुक आ जाता है जो रेवती का भाई है। रेवती गर्मी और सिर दर्द से परेशान होने पर भी भाई के लिए भोजन तैयार करने के लिए जुट जाती है।
यह अनुभव बताता है कि बिना बुलाए आए मेहमान परिवार पर बोझ बन जाते हैं। भारतीय संस्कृति में अतिथि-सत्कार की परंपरा इतनी गहरी है कि कभी-कभी लोग अपनी परेशानियों को भूलकर भी मेहमान की सेवा में लग जाते हैं। लेखक उदयशंकर भट्ट ने इसी स्थिति को हास्य और व्यंग्य के माध्यम से दिखाया है।

गरमी का प्रकोप
“तमाम शरीर मारे गरमी के उबल उठा है।

एकांकी में भीषण गरमी का वर्णन किया गया है। आप गरमी के प्रकोप से बचने के लिए क्या-क्या सावधानी बरतेंगे? पाँच-पाँच के समूह में चर्चा करें। मुख्य बिंदुओं को चार्ट पेपर पर लिखकर बुलेटिन बोर्ड पर लगाएँ और इन्हें व्यवहार में लाएँ।
उत्तर– गरमी के प्रकोप से बचने के लिए सावधानियाँ (मुख्य बिंदु जो चार्ट पर लिखे जा सकते हैं) –

  • पानी का अधिक सेवन करें- दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
  • हल्के और सूती कपड़े पहनें- ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनें ताकि शरीर को ठंडक मिले।
  • धूप से बचें- दोपहर 12 से 3 बजे तक बाहर जाने से बचें, यदि जाना पड़े तो छाता या टोपी का उपयोग करें।
  • पौष्टिक व हल्का भोजन करें- खीरा, ककड़ी, तरबूज, नींबू पानी आदि ठंडक देने वाले खाद्य पदार्थ खाएँ।
  • घर को ठंडा रखें- खिड़कियों पर पर्दे लगाएँ, पंखे और कूलर का उपयोग करें, पौधे लगाकर वातावरण ठंडा बनाएँ।

तार से संदेश
“क्या मेरा तार नहीं मिला?”

रेवती के भाई ने अपने आने की सूचना तार द्वारा भेजी थी। ‘तार’ संदेश भेजने का एक माध्यम था। जिसके द्वारा शीघ्रता से किसी के पास संदेश भेजा जा सकता था, किंतु अब इसका प्रचलन नहीं है।

टेलीग्राफ

किसी भौतिक वस्तु के विनिमय के बिना ही संदेश को दूर तक संप्रेषित करना टेलीग्राफी कहलाता है। विद्युत धारा की सहायता से, पूर्व निर्धारित संकेतों द्वारा, संवाद एवं समाचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजनेवाला तथा प्राप्त करने वाला यंत्र तारयंत्र (टेलीग्राफ) कहलाता है। वर्तमान में यह प्रौद्योगिकी अप्रचलित हो गई है।

(क) तार भेजने के आधार पर अनुमान लगाएँ कि यह एकांकी लगभग कितने वर्ष पहले लिखी गई होगी?
उत्तर- तार भेजने का प्रयोग भारत में लगभग 2013 तक बंद हो गया। इसलिए अनुमान लगाया जा सकता है कि यह एकांकी लगभग 40-50 वर्ष पहले लिखी गई होगी, जब तार संदेश का प्रमुख साधन था।

(ख) आजकल संदेश भेजने के कौन-कौन से साधन सुलभ हैं?
उत्तर- आजकल संदेश भेजने के कई आधुनिक साधन उपलब्ध हैं, जैसे-

  • मोबाइल फ़ोन (कॉल और एसएमएस)
  • व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया ऐप
  • ईमेल
  • वीडियो कॉलिंग (जूम, गूगल मीट आदि)

(ग) आप किसी को संदेश भेजने के लिए किस माध्यम का सर्वाधिक उपयोग करते हैं?
उत्तर- मैं संदेश भेजने के लिए मोबाइल फ़ोन (व्हाट्सऐप, मैसेजिंग ऐप) का सबसे अधिक उपयोग करता हूँ क्योंकि यह तेज, आसान और तुरंत पहुँचने वाला माध्यम है।

(घ) अपने किसी प्रिय व्यक्ति को एक पत्र लिखकर भारतीय डाक द्वारा भेजिए।
उत्तर– निम्नलिखित पत्र प्रारूप को आप अपने मित्र को डाक द्वारा भेज सकते हैं-

प्रिय मित्र,
सादर नमस्कार।
आशा करता हूँ कि आप स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। यहाँ सब कुशल है। अभी-अभी विद्यालय में ‘नए मेहमान’ नामक एकांकी पढ़ी, जिसमें तार भेजने का उल्लेख था। मुझे वह बहुत रोचक लगी और आपके साथ साझा करने का मन हुआ।
आजकल भले ही मोबाइल और इंटरनेट के कारण पत्र लिखने की आदत कम हो गई है, लेकिन मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूँ ताकि हमारी पुरानी परंपरा जीवित रहे।
जल्द ही आपसे मिलने की आशा है।

आपका मित्र,
युवराज

नापतौल और मुद्राएँ
“जबकि नत्थामल के यहाँ साढ़े नौ आने गज बिक रही थी।”

उपर्युक्त पंक्ति के रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। रेखांकित शब्द ‘साढ़े नौ’, ‘आने’, ‘गज’ में ‘साढ़े नौ भारतीय भाषा में अंतरराष्ट्रीय अंक (9.5) को दर्शा रहा है तो वहीं आने’ शब्द भारतीय मुद्रा और ‘गज’ शब्द लंबाई नापने का मापक है।

(क) पता लगाइए कि एक रुपये में कितने आने होते हैं?
उत्तर– एक रुपये में 16 आने होते हैं।

(ख) चार आने में कितने पैसे होते हैं?
उत्तर– 4 आने में 16 पैसे होते हैं।

(ग) आपके आस-पास गज शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया जाता है? पता लगाइए और लिखिए।
उत्तर- मेरे आस-पास गज शब्द का प्रयोग निम्नलिखित संदर्भ में किया जाता है-

  • कपड़ा नापने (जैसे- 2 गज कपड़ा)
  • ज़मीन नापने (जैसे-100 गज प्लॉट)
  • दूरी बताने (जैसे- कुछ गज दूर)

(घ) बताइए कि एक गज में कितनी फीट होती हैं?
उत्तर- एक गज में लगभग 3 फीट होते हैं।

 

Class 8 Hindi Naye Mehman Extract Based Questions (गद्यांश पर आधारित प्रश्न)

 

निम्नलिखित गद्याँशों को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिये-

1
(गरमी की ऋतु, रात के आठ बजे का समय। कमरे के पूर्व की ओर दो दरवाजे । दक्षिण का द्वार बाहर आने-जाने के लिए। पश्चिम का द्वार भीतर खुलता है। उत्तर की ओर एक मेज है, जिस पर कुछ किताबें और अखबार रखे हैं। पास ही दो कुर्सियाँ, पश्चिम द्वार के पास एक पलंग बिछा है। मेज पर रखा हुआ पुराना पंखा चल रहा है, जिससे बहुत कम हवा आ रही है। कमरा बेहद गरम है। मकान एक साधारण गृहस्थ का है। पलंग के ऊपर चार-पाँच साल का एक बच्चा सो रहा है। पंखे की हवा केवल उस बच्चे को लग रही है। फिर भी वह पसीने से तर है। इसलिए वह कभी-कभी बेचैन हो उठता है, फिर सो जाता है।
कुरता-धोती पहने एक व्यक्ति प्रवेश करता है। पसीने से उसके कपड़े तर हैं। कुरता उतार कर वह खूंटी पर टाँग देता है और हाथ के पंखे से बच्चे को हवा करता है। उसका नाम विश्वनाथ है। उम्र 45 वर्ष, गठा हुआ शरीर, गेहुँआ रंग, मुख पर गंभीरता का चिह्न)

विश्वनाथ – ओफ, बड़ी गरमी है! (पंखा जोर-जोर से करने लगता है) इन बंद मकानों में रहना कितना भयंकर है! मकान है कि भट्टी!
(पश्चिम की ओर से एक स्त्री प्रवेश करती है)
रेवती – (आँचल से मुँह का पसीना पोंछती हुई) पत्ता तक नहीं हिल रहा है। जैसे साँस बंद हो जाएगी। सिर फटा जा रहा है। (सिर दबाती है)
विश्वनाथ – पानी पीते-पीते पेट फूला जा रहा है और प्यास है कि बुझने का नाम नहीं लेती। अभी चार गिलास पीकर आया हूँ, फिर भी होंठ सूख रहे हैं। एक गिलास पानी और पिला दो। ठण्डा तो क्या होगा!
रेवती – गरम है। आँगन में घड़े में भी तो पानी ठंडा नहीं होता-हवा लगे तब तो ठंडा कब तक इस जेलखाने में सड़ना होगा।
विश्वनाथ – मकान मिलता ही नहीं। आज दो साल से दिन-रात एक करके ढूँढ़ रहा हूँ। हाँ, पानी तो ले आओ, ज़रा गला ही तर कर लूँ।
रेवती – बरफ ले आते। पर बरफ भी कोई कहाँ तक पिए।
विश्वनाथ – बरफ! बरफ का पानी पीने से क्या फायदा? प्यास जैसी-की-तैसी, बल्कि दुगुनी लगती है। ओफ! लो, पंखा कर लो। बच्चे क्या ऊपर हैं?
रेवती – रहने दो, तुम्हीं करो। छत इतनी छोटी है कि पूरी खाटें भी तो नहीं आतीं। एक खाट पर दो-दो, तीन-तीन बच्चे सोते हैं, तब भी पूरा नहीं पड़ता।
विश्वनाथ – एक यह पड़ोसी हैं, निर्दयी, जो खाली छत पड़ी रहने पर भी बच्चों के लिए एक खाट नहीं बिछाने देंगे।
रेवती – वे तो हमको मुसीबत में देखकर प्रसन्न होते हैं। उस दिन मैंने कहा तो लाला की औरत बोली ‘क्या छत तुम्हारे लिए है? नकद पचास देते हैं, तब चार खाटों की जगह मिली है। न, बाबा, यह नहीं हो सकेगा। मैं खाट नहीं बिछाने दूंगी। सब हवा रुक जाएगी। उन्हें और किसी को सोता देखकर नींद नहीं आती।’
विश्वनाथ – पर बच्चों के सोने में क्या हर्ज है? ज़रा आराम से सो सकेंगे। कहो तो मैं कहूँ?
रेवती – क्या फायदा? अगर लाला मान भी लेगा तो वह नहीं मानेगी। वैसे भी मैं उसकी छत पर बच्चों का अकेला सोना पसन्द नहीं करूँगी।

1. विश्वनाथ ने कुरता उतारकर कहाँ टाँगा?
(क) मेज पर
(ख) खूँटी पर
(ग) कुर्सी पर
(घ) पलंग पर
उत्तर– (ख) खूँटी पर

2. पंखे की हवा सबसे अधिक किसे लग रही थी?
(क) विश्वनाथ को
(ख) रेवती को
(ग) बच्चे को
(घ) पड़ोसी को
उत्तर- (ग) बच्चे को

3. पड़ोसी की पत्नी ने बच्चों को छत पर सुलाने से क्यों मना कर दिया?
(क) क्योंकि जगह कम थी
(ख) क्योंकि उन्हें नींद नहीं आती थी
(ग) क्योंकि खाटें टूटी हुई थीं
(घ) क्योंकि बच्चों से झगड़ा था
उत्तर- (ख) क्योंकि उन्हें नींद नहीं आती थी

4. विश्वनाथ को बहुत पानी पीने के बाद भी प्यास क्यों लगी रहती थी?
उत्तर- भीषण गर्मी और बंद मकान के कारण शरीर पसीने से तर था। चार गिलास पानी पीने के बाद भी प्यास नहीं बुझी और होंठ सूखे रहे। इसलिए उसे और पानी की आवश्यकता महसूस हुई।

5. विश्वनाथ और रेवती को सबसे बड़ी परेशानी किस बात की थी?
उत्तर– उन्हें सबसे बड़ी परेशानी भीषण गर्मी और छोटे, बंद मकान की थी, जिसमें न तो हवा आती थी और न ही बच्चों को आराम से सुलाया जा सकता था।

 

2
विश्वनाथ – फिर जाने दो। मैं नीचे आँगन में सो जाया करूँगा। कमरे में भला क्या सोया जाएगा? मैं कभी-कभी सोचता हूँ यदि कोई अतिथि आ जाए तो क्या होगा?
रेवती – ईश्वर करे इन दिनों कोई मेहमान न आए। मैं तो वैसे ही गरमी के मारे मर रही हूँ। पिछले पंद्रह दिन से दर्द के मारे सिर फट रहा है। मैं ही जानती हूँ जैसे रोटी बनाती हूँ।
विश्वनाथ – सारे शहर में जैसे आग बरस रही हो। यहाँ की गरमी से तो ईश्वर बचाए। इसीलिए यहाँ गर्मियों में सभी संपन्न लोग पहाड़ों पर चले जाते हैं।
रेवती – चले जाते होंगे। गरीबों की तो मौत है।
(रेवती जाती है। बच्चा गरमी से घबरा उठता है। विश्वनाथ जोर-जोर से पंखा करता है।)
विश्वनाथ – इन सुकुमार बालकों का क्या अपराध है? इन्होंने क्या बिगाड़ा है? तमाम शरीर मारे गरमी के उबल उठा है।
(रेवती पानी का गिलास लेकर आती है।)
रेवती – बड़े का तो अभी तक बुरा हाल है। अब भी कभी-कभी देह गरम हो जाती है।
विश्वनाथ – (पानी पीकर) उसने क्या कम बीमारी भोगी है— पूरे तीन महीने तो पड़ा रहा। वह तो कहो मैंने उसे शिमला भेज दिया। नहीं तो न जाने….
रेवती – भगवान ने रक्षा की। देखा नहीं, सामने वालों की लड़की को फिर से टाइफाइड हो गया और वह चल बसी । तुम कुछ दिनों की छुट्टी क्यों नहीं ले लेते। मुझे डर है, कहीं कोई बीमार न पड़ जाए।

1. विश्वनाथ ने कहाँ सोने की बात कही?
(क) कमरे में
(ख) आँगन में
(ग) छत पर
(घ) बरामदे में
उत्तर– (ख) आँगन में

2. गर्मियों में संपन्न लोग कहाँ चले जाते हैं?
(क) गाँव
(ख) विदेश
(ग) पहाड़ों पर
(घ) नदी के किनारे
उत्तर- (ग) पहाड़ों पर

प्रश्न 3. सामने वालों की लड़की किस बीमारी से चल बसी?
(क) टाइफाइड
(ख) मलेरिया
(ग) खसरा
(घ) पोलियो
उत्तर- (क) टाइफाइड

4. रेवती क्यों चाहती थी कि कोई मेहमान न आए?
उत्तर- रेवती पहले ही गर्मी और सिरदर्द से परेशान थी, साथ ही घर की स्थिति भी खराब थी। इसलिए उसने कहा कि ईश्वर करे इन दिनों कोई मेहमान न आए।

5. विश्वनाथ को बच्चों की हालत देखकर कैसा लगा?
उत्तर- विश्वनाथ को बच्चों पर दया आई और उसने कहा कि इन सुकुमार बालकों का क्या अपराध है, जो गरमी से उनका पूरा शरीर तप रहा है।

 

3
विश्वनाथ – छुट्टी कोई दे तब न। छुट्टी ले भी लूँ तो खर्च चाहिए। खैर, तुम आज जाकर ऊपर सो जाओ। मैं आँगन में खाट डालकर पड़ा रहूँगा। बच्चे को ले जाओ। यह गरमी में भुन रहा है।
रेवती – यह नहीं हो सकता। मैं नीचे सो जाऊँगी। तुम ऊपर छत पर जाकर सो जाओ। और ऊपर भी क्या हवा है! चारों तरफ दीवारें तप रही हैं। तुम्हीं जाओ ऊपर।
विश्वनाथ – यही तो तुम्हारी बुरी आदत है। किसी का कहना न मानोगी, बस अपनी ही हाँके जाओगी। पंद्रह दिन से सिर में दर्द हो रहा है। मैं कहता हूँ खुली हवा में सो जाओगी तो तबीयत ठीक हो जाएगी।
रेवती – तुम तो व्यर्थ की जिद करते हो। भला यहाँ आँगन में तुम्हें नींद आएगी? बंद मकान, हवा का नाम नहीं। रात भर नींद न आएगी। सबेरे काम पर जाना है। जाओ, मेरा क्या है, पड़ी रहूँगी।
विश्वनाथ – नहीं, यह नहीं हो सकता। आज तो तुम्हें ऊपर सोना पड़ेगा। वैसे भी मुझे कुछ काम करना है।
रेवती – ऐसी गरमी में क्या काम करोगे? तुम्हें भी न जाने क्या धुन सवार हो जाती है। जाओ, सो जाओ। मैं आँगन में खाट पर इसे लेकर जैसे-तैसे रात काट लूँगी, जाओ ।
विश्वनाथ – अच्छा तुम जानो। मैं तो तुम्हारी भलाई के लिए कह रहा था। मैं ही ऊपर जाता हूँ।

1. विश्वनाथ ने रेवती को कहाँ जाकर सोने की सलाह दी?
(क) आँगन में
(ख) कमरे में
(ग) छत पर
(घ) बरामदे में
उत्तर– (ग) छत पर

2. रेवती ने छत पर सोने से इनकार क्यों किया?
(क) वहाँ मच्छर थे
(ख) वहाँ हवा नहीं थी और चारों तरफ दीवारें तप रही थीं
(ग) वहाँ जगह नहीं थी
(घ) बच्चों को डर लगता था
उत्तर– (ख) वहाँ हवा नहीं थी और चारों तरफ दीवारें तप रही थीं

3. अंत में ऊपर सोने कौन चला गया?
(क) बच्चा
(ख) रेवती
(ग) विश्वनाथ
(घ) पड़ोसी
उत्तर– (ग) विश्वनाथ

4. विश्वनाथ ने रेवती को छत पर सोने की सलाह क्यों दी?
उत्तर– विश्वनाथ का मानना था कि खुले स्थान में सोने से रेवती की तबीयत ठीक होगी, क्योंकि पंद्रह दिन से उसका सिर दर्द कर रहा था।

5. रेवती ने आँगन में ही क्यों सोने का निश्चय किया?
उत्तर– रेवती ने कहा कि आँगन में चाहे हवा न हो और नींद न आए, पर वह बच्चे को लेकर वहीं रात काट लेगी।

4
(बाहर से कोई दरवाजा खटखटाता है।)
रेवती – कौन होगा?
विश्वनाथ – न जाने देखता हूँ।
रेवती – हे भगवान! कोई मुसीबत न आ जाए।
(बच्चे को पंखा करती है। बच्चा गरमी के मारे उठ बैठता है, पानी माँगता है। वह बच्चे को पानी पिलाती है, पंखा करती है। इसी समय दो व्यक्तियों के साथ विश्वनाथ प्रवेश करता है। रेवती बच्चे को लेकर आँगन में चली जाती है। आगंतुक एक साधारण बिस्तर तथा एक संदूक लेकर कमरे में प्रवेश करते हैं। विश्वनाथ भी पीछे-पीछे आता है। कमीजों के ऊपर काली बंडी, सिर पर सफेद पगड़ियाँ। बड़े की अवस्था पैंतीस और छोटे की चौबीस है बड़े की मूँछे मुँह को घेरे हुए, माथे पर सलवट। छोटे की अधकटी मूँछें, लंबा मुख । दोनों मैली धोतियाँ पहने हैं। बड़े का नाम नन्हेमल और छोटे का बाबूलाल है। इस हबड़-तबड़ में दोनों बच्चे ऊपर से उतरकर आते हैं और दरवाजे के पास खड़े होकर आगंतुकों को देखते हैं।)
विश्वनाथ – (बड़े लड़के से) प्रमोद, ज़रा कुर्सी इधर खिसका दो, (दूसरे अतिथि से) आप इधर खाट पर आ जाइए! ज़रा पंखा तेज कर देना, किरण ।
(किरण पंखा तेज करती है, किंतु पंखा वैसे ही चलता है।)
नन्हेमल – (पगड़ी के पल्ले से मुँह का पसीना पोंछकर उसी से हवा करता हुआ।) बड़ी गरमी है। क्या कहें, पंडित जी, पैदल चले आ रहे हैं, कपड़े तो ऐसे हो गए कि निचोड़ लो।
विश्वनाथ – जी, आप लोग…..
बाबूलाल – चाचा, मेरे कपड़े निचोड़कर देख लो, एक लोटे से कम पसीना नहीं निकलेगा। धोती ऐसी चर्रा रही है, जैसे पुरानी हो । पिछले दिनों नकद नौ रुपये खर्च करके खरीदी थी।
नन्हेमल – मोतीराम की दुकान से ली होगी। बड़ा ठग है। मैंने भी कुरतों के लिए छह गज मलमल मोल ली थी, सवा रुपया गज दी जबकि नत्थामल के यहाँ साढ़े नौ आने गज बिक रही थी। पंडित जी, गला सूखा जा रहा है। स्टेशन पर पानी भी नहीं मिला, मन करता है लेमन की पाँच-छह बोतलें पी जाऊँ।
बाबूलाल – मुझे कोई पिलाकर देखे, दस से कम नहीं पीऊँगा, (बच्चों की ओर देखकर) क्या नाम है तुम्हारा भाई ?

1. आगंतुक कौन थे?
(क) मोतीलाल और नत्थामल
(ख) नन्हेमल और बाबूलाल
(ग) प्रमोद और किरण
(घ) विश्वनाथ और रेवती
उत्तर- (ख) नन्हेमल और बाबूलाल

2. बाबूलाल ने अपनी धोती के बारे में क्या कहा?
(क) बहुत सस्ती मिली
(ख) बहुत अच्छी क्वालिटी है
(ग) पसीने से चर्रा रही है
(घ) उपहार में मिली थी
उत्तर- (ग) पसीने से चर्रा रही है

3. नन्हेमल को किसकी दुकान पर ठगा हुआ महसूस हुआ?
(क) मोतीराम
(ख) नत्थामल
(ग) प्रमोद
(घ) पंडित जी
उत्तर- (क) मोतीराम

4. नन्हेमल और बाबूलाल ने प्यास के लिए क्या इच्छा जताई?
उत्तर- उन्होंने कहा कि बहुत प्यास लगी है और मन करता है पाँच–छह लेमन की बोतलें पी जाएँ। बाबूलाल ने तो कहा कि वह दस बोतलें भी पी सकता है।

5. आगंतुकों के आने पर बच्चे क्या करने लगे?
उत्तर -दोनों बच्चे ऊपर से उतरकर आए और दरवाजे के पास खड़े होकर आगंतुकों को देखने लगे।

 

Class 8 Hindi Malhar Lesson 8 Naye Mehman Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

1. नाटक ‘नए मेहमान’ के लेखक कौन हैं?
(क) हरिशंकर परसाई
(ख) उदयशंकर भट्ट
(ग) प्रेमचंद
(घ) भवानी प्रसाद मिश्र
उत्तर- (ख) उदयशंकर भट्ट

2. यह नाटक किस ऋतु की स्थिति को दर्शाता है?
(क) सर्दी
(ख) बरसात
(ग) गरमी
(घ) पतझड़
उत्तर– (ग) गरमी

3. बच्चों के नाम क्या हैं?
(क) प्रमोद और किरण
(ख) नन्हेमल और बाबूलाल
(ग) किरन और उषा
(घ) मोहन और सोहन
उत्तर– (क) प्रमोद और किरण

4. विश्वनाथ की पत्नी का नाम क्या है?
(क) किरन
(ख) रेवती
(ग) सुशीला
(घ) उषा
उत्तर- (ख) रेवती

5. रेवती बार-बार किस समस्या से परेशान रहती है?
(क) सिर दर्द
(ख) आँख की बीमारी
(ग) खाँसी
(घ) पेट दर्द
उत्तर- (क) सिर दर्द

6. पड़ोसी बच्चों को छत पर खाट बिछाने क्यों नहीं देते?
(क) छत छोटी है
(ख) हवा रुक जाती है
(ग) किराया नहीं दिया
(घ) आवाज़ करते हैं
उत्तर- (ख) हवा रुक जाती है

7. विश्वनाथ किसे ‘निर्दयी’ कहता है?
(क) बच्चे
(ख) पड़ोसी
(ग) पत्नी
(घ) मेहमान
उत्तर– (ख) पड़ोसी

8. अचानक घर में कौन दरवाजा खटखटाता है?
(क) पड़ोसी
(ख) अज्ञात मेहमान
(ग) प्रमोद
(घ) हलवाई
उत्तर- (ख) अज्ञात मेहमान

9. नन्हेमल और बाबूलाल क्या लेकर कमरे में प्रवेश करते हैं?
(क) संदूक और बिस्तर
(ख) किताबें और कपड़े
(ग) खाना और फल
(घ) बरतन और पंखा
उत्तर- (क) संदूक और बिस्तर

10. नन्हेमल किसकी दुकान को ठग बताता है?
(क) मोतीराम
(ख) नत्थामल
(ग) जगदीशप्रसाद
(घ) भानामल
उत्तर- (क) मोतीराम

11. विश्वनाथ और उसका परिवार किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है?
(क) अमीर वर्ग
(ख) आधुनिक शहरी मध्यवर्गीय परिवार
(ग) गरीब किसान
(घ) व्यापारी वर्ग
उत्तर- (ख) आधुनिक शहरी मध्यवर्गीय परिवार

12. पड़ोसी किस बात पर गुस्सा होता है?
(क) बच्चों के शोर पर
(ख) पंखा चलाने पर
(ग) खाट बिछाने पर
(घ) छत पर पानी फैलाने पर
उत्तर– (घ) छत पर पानी फैलाने पर

13. नन्हेमल और बाबूलाल किस बहाने से घर में घुस जाते हैं?
(क) जान-पहचान का नाम लेकर
(ख) पानी पीने के लिए
(ग) छत माँगने के लिए
(घ) व्यापार का काम बताकर
उत्तर– (क) जान-पहचान का नाम लेकर

14. रेवती के भाई ने झाँसी से क्या भेजा था?
(क) चिट्ठी
(ख) उपहार
(ग) तार
(घ) किताब
उत्तर– (ग) तार

15. विश्वनाथ किस जगह से खाना मँगाने की बात करता है?
(क) हलवाई की दुकान से
(ख) होटल से
(ग) धर्मशाला से
(घ) मंडी से
उत्तर- (क) हलवाई की दुकान से

16. मेहमान किस शहर से आने का दावा करते हैं?
(क) लखनऊ
(ख) कानपुर
(ग) दिल्ली
(घ) बिजनौर
उत्तर– (घ) बिजनौर

17. विश्वनाथ से मेहमान अपने संबंध किससे जोड़ते हैं?
(क) संपतराम
(ख) जगदीशप्रसाद
(ग) भानामल
(घ) सभी
उत्तर- (घ) सभी

18. बाबूलाल को किस पेय की बहुत इच्छा होती है?
(क) नींबू पानी (लेमन)
(ख) दूध
(ग) कोल्ड ड्रिंक
(घ) शरबत
उत्तर- (क) नींबू पानी (लेमन)

19. विश्वनाथ बार-बार क्या करने की कोशिश करता है?
(क) रेवती को मनाने की
(ख) पड़ोसियों से लड़ने की
(ग) बच्चों को जगाने की
(घ) मेहमानों की असली पहचान जानने की
उत्तर- (घ) मेहमानों की असली पहचान जानने की

20. नाटक में अचानक आए मेहमानों की स्थिति कैसी बनती है?
(क) मान-न-मान मैं तेरा मेहमान
(ख) स्वागत योग्य
(ग) आत्मीय संबंधी
(घ) पड़ोसी
उत्तर– (क) मान-न-मान मैं तेरा मेहमान

 

Naye Mehman Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)

1. लेखक ने किराये के मकान की क्या कठिनाइयाँ बताई हैं?
उत्तर- लेखक ने बताया है कि किराये के छोटे मकान में बहुत असुविधाएँ थीं। गर्मी अधिक थी, जगह कम थी और परिवार के लोग परेशान रहते थे। अगर कोई मेहमान आ जाए तो जगह कम थी।

2. रात में अचानक आए मेहमानों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर– रात में अचानक दो अनजान मेहमान आए, जिन्हें घर का कोई नहीं जानता था। वे सीधे बैठ गए और ‘मान न मान, मैं तेरा मेहमान’ जैसी स्थिति बना दी। घरवाले संकोचवश उनकी खातिरदारी करने लगे। इस अचानक आगमन से परिवार असहज और असुविधा में पड़ गया।

3. मेहमानों के आने पर घर के लोग कैसा महसूस कर रहे थे?
उत्तर– घर के लोग पहले से गर्मी और मकान की तंगी से परेशान थे। अचानक आए मेहमानों को देखकर वे और परेशानी में आ गए। संकोचवश वे सेवा में लग गए, पर मन ही मन सोच रहे थे कि अनजाने मेहमान किस तरह बिना बुलाए चले आए और अब उन्हें कहाँ सुलाया जाए।

4. लेखक ने इस स्थिति को ‘मान न मान मैं तेरा मेहमान’ क्यों कहा?
उत्तर– क्योंकि मेहमान बिना बुलाए और बिना जानकारी के सीधे आकर बैठ गए। घर का कोई भी व्यक्ति उन्हें पहचानता नहीं था, फिर भी उन्होंने ऐसे व्यवहार किया जैसे उनका अधिकार हो। इसलिए लेखक ने इस स्थिति को ‘मान न मान, मैं तेरा मेहमान’ की कहावत से जोड़ा।

5. परिवार के लोग मेहमानों के प्रति कैसा व्यवहार कर रहे थे?
उत्तर– परिवार के लोग संकोचवश मेहमानों की सेवा कर रहे थे। वे पानी, बिस्तर और खाने का इंतजाम करने लगे। भीतर से वे परेशान थे, पर शिष्टाचार निभाने के लिए मेहमानों को असुविधा नहीं होने दी। इस तरह उनकी दुविधा साफ झलकती है।

6. परिवार ने मेहमानों को अपमानित क्यों नहीं किया?
उत्तर– भारतीय परंपरा में मेहमान को ‘अतिथि देवो भव’ माना जाता है। इसलिए घर के लोग, चाहे भीतर से परेशान हों, पर उनका आदर करना अपना कर्तव्य समझते हैं। यही वजह थी कि उन्होंने मेहमानों को अपमानित नहीं किया, बल्कि सेवा की।

7. परिवार की असली कठिनाई क्या थी, गर्मी या मेहमान?
उत्तर- परिवार की असली कठिनाई दोनों थीं। किराये के छोटे मकान की गर्मी और असुविधा पहले से ही बड़ी परेशानी थी। लेकिन अचानक आए अनजान मेहमानों ने स्थिति और भी असहनीय बना दी। दोनों कारणों से परिवार को रात आराम से गुज़ारना मुश्किल हो गया।

8. मेहमानों के आने से बच्चों पर क्या असर पड़ा होगा?
उत्तर- बच्चों को पहले से ही छोटे मकान में सोने और आराम करने में परेशानी थी। जब मेहमान आ गए, तो उनकी जगह और सीमित हो गई।

9. लेखक ने इस घटना को हास्य और व्यंग्य से क्यों लिखा होगा?
उत्तर– लेखक ने हास्य और व्यंग्य इसलिए अपनाया ताकि गंभीर समस्या को हल्का-फुल्का और मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया जा सके। अनचाहे मेहमानों की स्थिति पाठकों को हँसी भी दिलाती है और साथ ही यह सोचने पर मजबूर करती है कि ऐसे समय परिवार की हालत कितनी कठिन हो जाती है।

10. एकांकी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- एकांकी से तात्पर्य एक ऐसे लघु नाटक से है जो केवल एक ही अंक या दृश्य में समाप्त हो जाता है, और इसमें कहानी का एक ही पक्ष प्रस्तुत किया जाता है।इसमें कम पात्र होते हैं।