CBSE Class 10 Hindi (Course a) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 7 Netaji ka Chashma Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Netaji ka Chashma Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 7, “Netaji ka Chashma”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए:
हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मज़ाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा । मुड़कर देखा तो अवाक् रह गए। एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टैंगे बहुत से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं। फेरी लगाता है! हालदार साहब चक्कर में पड़ गए। पूछना चाहते थे, इसे कैप्टन क्यों कहते हैं? क्या यही इसका वास्तविक नाम है? लेकिन पानवाले ने साफ़ बता दिया था कि अब वह इस बारे में और बात करने को तैयार नहीं। ड्राइवर भी बेचैन हो रहा था। काम भी था। हालदार साहब जीप में बैठकर चले गए ।
(क) हालदार साहब किस बात पर आश्चर्यचकित रह गए?
(A) पानवाले द्वारा कैप्टन का मजाक उड़ाने पर
(B) कैप्टन की शारीरिक अवस्था को देखकर
(C) कैप्टन को चश्मा बेचते हुए देखकर
(D) ड्राइवर को बेचैन होते देखकर
उत्तर– (B) कैप्टन की शारीरिक अवस्था को देखकर
(ख) दिव्यांग होते हुए भी कैप्टन द्वारा फेरी लगाकर अपना गुजर-बसर करना दर्शाता है कि वह _______ था। (रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए)
(A) आत्मविश्वासी
(C) सक्षम
(B) स्वाभिमानी
(D) स्वावलंबी
उत्तर- (D) स्वावलंबी
(ग) पानवाला किसका मज़ाक उड़ा रहा था?
(A) हालदार साहब का
(B) नेताजी का
(C) चश्मेवाले का
(D) दुकानवाले का
उत्तर- (C) चश्मेवाले का
(घ) हालदार साहब जीप में बैठकर क्यों चले गए? – इस प्रश्न के उत्तर के लिए निम्नलिखित कथन पढ़िए और उचित विकल्प चुनकर लिखिए:
(i) पानवाला कैप्टन के विषय में और अधिक बात करने को तैयार नहीं था।
(ii) कैप्टन की शारीरिक अवस्था देखकर निराश हो गए थे ।
(iii) उन्हें आवश्यक कार्यालयी काम निपटाना था ।
(iv) ड्राइवर बेचैन हो रहा था।
विकल्प:
(A) (i) और (iii) दोनों
(B) (ii) और (iv) दोनों
(C) (i) और (iv) दोनों
(D) केवल (i)
उत्तर– (A) (i) और (iii) दोनों
(ङ) कथन और कारण को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए:
कथन: हालदार साहब के मन में कैप्टन के प्रति सम्मान का भाव था ।
कारण: सुभाष बाबू के प्रति कैप्टन के विशेष लगाव को देखकर वह उससे प्रभावित थे
(A) कथन और कारण दोनों गलत हैं।
(B) कारण गलत है किंतु कथन सही है।
(C) कथन तथा कारण दोनों सही हैं तथा कारण उसकी सही व्याख्या करता है।
(D) कथन सही है किंतु कारण उसकी सही व्याख्या नहीं है ।
उत्तर- (D) कथन सही है किंतु कारण उसकी सही व्याख्या नहीं है ।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के संदर्भ में लिखिए कि पान वाले ने कैप्टन को ‘पागल’ क्यों कहा? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कैप्टन फेरी लगाकर चश्मे बेचने वाला एक मरियल और लँगड़ा-सा व्यक्ति था, जो हाथ में संदूकची और एक बाँस में चश्मे के फ्रेम टाँगे घूमा करता था। कैप्टन देशभक्त तथा शहीदों के प्रति आदरभाव रखने वाला व्यक्ति था। वह नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति देखकर दुखी होता था। वह मूर्ति पर चश्मा लगा देता था पर किसी ग्राहक द्वारा वैसा ही चश्मा माँगे जाने पर उतारकर उसे दे देता था और मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा दिया करता था। उसकी इसी हरकत को देखकर पानवाला उसे पागल कहता था।
प्रश्न 2 – वैसे तो पान वाला कैप्टन का मज़ाक बनाता था परंतु हालदार साहब को उसकी मृत्यु की बात बताते हुए वह उदास क्यों हो गया? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – पानवाला हमेशा ही कैप्टन चश्मेवाले का मज़ाक उड़ाया करता था, जिससे ऐसा लगता था, कि जैसे उसके अंदर न तो देशभक्ति का भाव नहीं है और न ही किसी व्यक्ति के प्रति हमदर्दी। पर जब कैप्टन मर जाता है तब उसके देशप्रेम की झलक मिलती है। वह कैप्टन जैसे देशभक्त व्यक्ति की मृत्यु से दुखी होकर हालदार को जब उसकी मृत्यु की सूचना देता है तो उसकी आँखें भर आती हैं।
प्रश्न 3 – पार्कों में, सड़कों के किनारे, चौराहों पर उपेक्षित पड़ी मूर्तियाँ अक्सर देखी जा सकती हैं। ऐसी मूर्तियों के रख-रखाव का उत्तरदायित्व किसका है? ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के संदर्भ में उदाहरण सहित लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – पार्कों में, सड़कों के किनारे, चौराहों पर उपेक्षित पड़ी मूर्तियाँ अक्सर देखी जा सकती हैं। ऐसी मूर्तियों के रखरखाव का उत्तरदायित्व हम सभी नागरिकों का है। प्रसिद्ध व्यक्तियों की मूर्ति प्रायः कस्बों, चौराहों, महानगरों या शहरों में लगाई जाती हैं। ऐसी मूर्तियाँ लगाने का उद्देश्य सजावटी न होकर उद्देश्यपूर्ण होता है। पार्कों में, सड़कों के किनारे, चौराहों पर लगी समाजसेवी या अन्य उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति की प्रतिमा के प्रति हमारा तथा अन्य लोगों का उत्तरदायित्व बनता है कि हम उसकी साफ़-सफ़ाई करवाएँ और मूर्ति के प्रति सम्मान का भाव बनाए रखें। जैसे नेताजी का चश्मा’ पाठ में कैप्टन नेताजी की मूर्ति का आदर करता है।
प्रश्न 4 – हम कैसे कह सकते हैं कि पानवाला कैप्टन का मित्र था? ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – हम यह कह सकते हैं कि पानवाला कैप्टन का मित्र था क्योंकि उसने ही हालदार साहब को कैप्टन की देशभक्ति और नेता जी की मूर्ति के प्रति उसके व्यवहार के बारे में बताया। पानवाले ने भले ही मज़ाकिया अंदाज में बताया था कि कैप्टन चश्मेवाला नेताजी की मूर्ति पर चश्मा बदलता था परन्तु जब कैप्टन की मृत्यु हो गई, तो पानवाले ने उदासी के साथ यह खबर हालदार साहब को दी थी। इस प्रकार हम पानवाले की बातें और व्यवहार से कह सकते है कि वह कैप्टन के प्रति स्नेह और सम्मान रखता था और उसका मित्र था।
प्रश्न 5 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में कैप्टन नेताजी की मूर्ति पर अनजाने में चश्मा लगाकर और उसके जाने के बाद बच्चे उस पर चश्मा लगाकर अपनी देशभक्ति को प्रगट करते हैं। आप अपनी देशभक्ति को किन-किन कार्यों/व्यवहार के माध्यम से प्रकट करते हैं? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में कैप्टन नेताजी की मूर्ति पर अनजाने में चश्मा लगाकर और उसके जाने के बाद बच्चे उस पर चश्मा लगाकर अपनी देशभक्ति को प्रगट करते हैं। जिस प्रकार सीमा पर तैनात फ़ौजी देशप्रेम का परिचय देते हैं। हम लोग भी विभिन्न कार्यों के माध्यम से देश प्रेम को प्रकट कर सकते हैं। हम सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने से बच सकते हैं, प्रदूषण को रोकने में योगदान कर सकते हैं, वृक्ष लगाकर लोगों को जागरूक कर सकते हैं, अपने आस-पास की सफ़ाई रखकर – कूड़ा इधरउधर न फेंककर , पानी के स्रोतों व् भूमि को दूषित होने से बचा सकते हैं, जल की समस्या को दूर करने के उपाय कर सकते हैं, शहीदों एवं देशभक्तों के प्रति सम्मान रखकर आने वाली पीढ़ी को उनके बारे में बता सकते हैं इत्यादि।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर लिखिए कि नेताजी की मूर्ति पर लगे असली चश्में को देख हालदार साहब के मन में क्या विचार आया?(लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – नेताजी की मूर्ति पर लगे असली चश्में को देख हालदार साहब के मन में विचार आया कि जिसने भी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति बनवाई है उसको देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होगी या फिर अच्छी मूर्ति बनाने के लिए जो खर्चा लगता है और जो उन्हें मूर्ति बनाने के लिए खर्च दिया गया होगा उस से कहीं बहुत ज्यादा खर्च होने के कारण सही मूर्तिकार को उपलब्ध नहीं करवा पाए होंगे। या हो सकता है कि काफी समय भाग- दौड़ और लिखा – पत्री में बरबाद कर दिया होगा और बोर्ड के शासन करने का समय समाप्त होने की घड़ियाँ नजदीक आ गई हों और मूर्ति का निर्माण उससे पहले करवाना हो जिस कारण किसी स्थानीय कलाकार को ही मौक़ा देने का निश्चय कर लिया गया होगा, और अंत में उस कस्बे के एक मात्र हाई स्कूल के एक मात्र ड्राइंग मास्टर को ही यह काम सौंप दिया गया होगा।
प्रश्न 2 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में चश्मे के बहाने से देशभक्ति की भावना पर किस प्रकार बल दिया गया है? स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में चश्मे के बहाने से देशभक्ति की भावना पर बल दिया गया है क्योंकि चश्मे के बहाने ही पाठ में शहीदों का सम्मान करने की प्रेरणा मिलती है। साथ ही सीख भी मिलती है कि केवल बड़े-बड़े कारनामे करने से आप देशभक्त नहीं कहलाए जाते । अगर आप अपने देश और उससे जुड़े सभी भावों का सम्मान करते हैं तब भी आप देशभक्त कहलाए जा सकते हैं।
प्रश्न 3 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर लिखिए कि –
हालदार साहब का कस्बे के नागरिकों का कौन-सा प्रयास सराहनीय लगा और क्यों? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – मूर्ति पर असली चश्में को पहनाने पर हवालदार साहब नागरिकों की देश-भक्ति की सराहना कर रहे हैं, क्योंकि वह मूर्ति कोई आम मूर्ति नहीं थी बल्कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की थी। उस पर एक बहुत ही बड़ी कमी थी। उस मूर्ति पर मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया था। जो कहीं न कहीं नेता जी का अपमान स्वरूप देखा जा सकता है, क्योंकि नेता जी ने आज़ादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व त्याग दिया था। उनकी छवि को उनके ही सादृश्य प्रस्तुत करना, हर देशवासी का कर्तव्य है और कस्बे के नागरिकों ने भी अपने इसी कर्तव्य का निर्वाह करने की कोशिश की थी। अतः हवलदार साहब इस घटना को देश भक्ति से जोड़ कर देख रहे हैं।
प्रश्न 4 – हालदार साहब को नेताजी की मूर्ति में कौन-सी कमी नज़र आई और उन्होंने उसके कारण के विषय में क्या-क्या अनुमान लगाया? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – जो कहानी लेखक हमें सुना रहे हैं वह कहानी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति के बारे में है , बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में है। लेखक के मुताबिक़ जो सुभाष चंद्र जी की मूर्ति में कमी रह गई है उसके बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे-जिसने भी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति बनवाई है उसको देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होगी या फिर अच्छी मूर्ति बनाने के लिए जो खर्चा लगता है और जो उन्हें मूर्ति बनाने के लिए खर्च दिया गया होगा उस से कहीं बहुत ज्यादा खर्च होने के कारण सही मूर्तिकार को उपलब्ध नहीं करवा पाए होंगे। या हो सकता है कि काफी समय भाग-दौड़ और लिखा-पत्री में बरबाद कर दिया होगा और बोर्ड के शासन करने का समय समाप्त होने की घड़ियाँ नजदीक आ गई हों और मूर्ति का निर्माण उससे पहले करवाना हो जिस कारण किसी स्थानीय कलाकार को ही मौक़ा देने का निश्चय कर लिया गया होगा, और अंत में उस कस्बे के एक मात्र हाई स्कूल के एक मात्र ड्राइंग मास्टर को ही यह काम सौंप दिया गया होगा।
प्रश्न 5 – कैप्टन नेताजी की मूर्ति पर लगा चश्मा अकसर क्यों बदल देता था? उसकी इस हरकत से आपके मन में उसके प्रति कौन-से भाव आते हैं? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – कैप्टन नेताजी की मूर्ति पर लगा चश्मा अकसर बदल देता था क्योंकि उसके पास जब कोई ग्राहक मूर्ति पर लगे फ्रेम जैसा फ्रेम माँगने आता था तो वह उसे मूर्तिवाला फ्रेम देकर उसकी जगह दूसरा फ्रेम लगा देता है। इसके पीछे कैप्टन चश्मेवाले की मजबूरी यह थी कि उसके पास सीमित मात्रा में फ्रेम थे और नेताजी की मूर्ति को वह बिना चश्मे के नहीं रहने देना चाहता था। यह उसकी शहीदों के प्रति सम्मान का भाव दर्शाता है।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘पानवाला एक हँसमुख स्वभाव वाला व्यक्ति है, परंतु उसके हृदय में संवेदना भी है ।’ इस कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तर – ‘पानवाला एक हँसमुख स्वभाव वाला व्यक्ति है, परंतु उसके हृदय में संवेदना भी है।’ पान वाला जब भी हालदार साहब से कोई बात करता तो वह हमेशा हँसता रहता था। परन्तु जब कैप्टन चश्मे वाले की मृत्यु का समाचार उसने हालदार साहब को दिया तो उसकी आँखे नम हो गई जो दर्शाता है कि उसके हृदय में संवेदना भी है।
प्रश्न 2 – “सरकंडे का चश्मा, चश्मा भर नहीं था बल्कि हालदार साहब के लिए उसके कई अर्थ थे,” उन अर्थों को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – सरकंडे से बने चश्मे को नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आंखों पर देख कर हवलदार साहब का भावुक होना यह दर्शाता है कि देश – भक्ति उम्र की मोहताज नहीं होती। हवलदार साहब को लगा था कि कैप्टन के जाने के बाद शायद ही कोई नेता जी के चश्मे का मूल्य जान पाए लेकिन जब बच्चों ने नेता जी के चश्मे का मूल्य जाना तो हवालदार साहब भावुक हो गए क्योंकि अभी इस पीढ़ी में भी देश भक्ति जिन्दा है और हमें भी अपनी आने वाली पीढ़ी को आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व त्यागने वाले वीरों की गाथाएँ सुनानी चाहिए और उनका सम्मान करना भी सिखाना चाहिए।
प्रश्न 3 – हालदार साहब और कैप्टेन के चरित्र की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – हालदार साहब एक जिज्ञासु और देशभक्त व्यक्ति हैं। हालदार साहब संवेदनशील भी हैं। जब पान वाले ने चश्मे वाले कैप्टन के प्रति उपेक्षा पूर्ण व्यवहार प्रकट किया तब उन्हें यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
कैप्टन शारीरिक रूप से कमज़ोर था और वह फौज में भी नहीं जा सकता था, परंतु उनके मन में देशभक्ति की भावना थी। कैप्टन एक अच्छा नेतृत्व कर सकता था। क्योंकि उसकी देखा-देखी में छोटे बच्चे नहीं उसका अनुसरण करते हुए देशभक्ति की राह पर चल पड़े थे।
प्रश्न 4 – “इतनी-सी बात पर उनकी आँखें भर आईं” – ऐसा विशेष क्या था जिससे हालदार साहब की आँखें नम हो उठी ?
उत्तर – हालदार साहब सोच रहे थे कि कैप्टन के न रहने से नेताजी की मूर्ति चश्माविहीन होगी परंतु जब यह देखा कि मूर्ति की आँखों पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ है तो उनकी निराशा आशा में बदल गई। उन्होंने समझ लिया कि युवा पीढ़ी में देशप्रेम और देशभक्ति की भावना है जो देश के लिए शुभ संकेत है। यह बात सोचकर वे भावुक हो गए।
प्रश्न 5 – हालदार साहब द्वारा ड्राइवर को चौराहे पर न रुकने का निर्देश कब और किस विचार के कारण दिया गया था ?
उत्तर – हालदार साहब द्वारा ड्राइवर को चौराहे पर न रुकने का निर्देश दिया , क्योंकि वे सोचते थे कि कस्बे के बीचों बीच में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति अवश्य ही विद्यमान होगी , लेकिन उन की आँखों पर चश्मा नहीं होगा। क्योंकि जब मास्टर ने मूर्ति बनाई तब वह चश्मा बनाना भूल गया। और उसकी इस कमी को कैप्टन पूरी करता था लेकिन अब तो कैप्टन भी मर गया। देशभक्त हालदार साहब को नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उदास कर देती थी।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है?
उत्तर – मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि देश में देश प्रेम एवं देशभक्ति समाप्त नहीं हुई है। देश – भक्ति उम्र की मोहताज नहीं होती। बच्चों द्वारा किया गया कार्य स्वस्थ भविष्य का संकेत है। उनमें राष्ट्र प्रेम के बीज अंकुरित हो रहे हैं।
प्रश्न 2 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ देशभक्ति का संदेश देने वाला पाठ है। यह पाठ सन्देश देता है कि देशभक्ति केवल किसी विशेष भू-भाग से प्रेम करना नहीं, बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक, प्रकृति, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, पर्वत, पहाड़, झरने आदि सभी से प्रेम करना एवं उनकी रक्षा करना है। कैप्टन चश्मे वाले की मूर्ति पर चश्मा लगाना व उसकी मृत्यु के पश्चात् बच्चों द्वारा हाथ से बनाया गया सरकंडे का चश्मा लगाना यह प्रेरणा देता है कि जरूरी नहीं कि हम देश के लिए जान देकर ही देशभक्ति दिखा सकते है। हम छोटे-छोटे कार्यों द्वारा देशभक्ति का परिचय दे सकते हैं। साथ ही यह पाठ हमें देश के प्रति अपना उत्तरदायित्व भी समझाता है।
प्रश्न 3 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर आशय समझाइए- “क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी, जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देने वालों पर भी हँसती है…।”
उत्तर – “क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी, जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देने वालों पर भी हँसती है…।” उक्त पंक्ति का आशय यह है कि बहुत से लोगों ने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। कुछ लोग उनके बलिदान की प्रशंसा न करके ऐसे देशभक्तों का उपहास उड़ाते हैं। लोगों में देशभक्ति की ऐसी घटती भावना निश्चित रूप से निंदनीय है। ऐसे लोग इस हद तक स्वार्थी होते हैं कि उनके लिए अपना स्वार्थ ही सर्वोपरि होता है। वे अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए देशभक्तों का मजाक बनाने को भी तैयार रहते हैं।
प्रश्न 4 – कैप्टन कौन था ? वह मूर्ति के चश्मे को बार-बार क्यों बदल दिया करता था ?
उत्तर – कैप्टन एक देशभक्त व्यक्ति था और शहीदों के प्रति आदरभाव रखने वाला व्यक्ति था। जब चौराहे पर नेताजी की मूर्ति बनवाई गई तो उसमें मूर्तिकार चश्मा लगाना भूल गया था जिससे कैप्टन को नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति देखकर दुख होता था। वह मूर्ति पर अपनी दूकान से कोई एक चश्मा लगा देता था पर किसी ग्राहक द्वारा वैसा ही चश्मा माँगे जाने पर उसे मूर्ति से उतारकर ग्राहक को दे देता था और मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा दिया करता था।
प्रश्न 5 – यह क्यों कहा गया है कि महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है ? ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर – महत्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है, जिस भावना से मूर्ति का निर्माण हुआ था। ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में शहर के मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर जो नेताजी की मूर्ति लगाई गई थी वह मूर्ति संगमरमर की थी। दो फुट ऊँची, फ़ौजी वर्दी में नेताजी सुंदर लग रहे थे। मूर्ति को देखते ही ‘दिल्ली चलो’ और ‘तुम मुझे खून दो… याद आने लगते थे। परन्तु उस मूर्ति में एक कमी थी। नेताजी का चश्मा नहीं बनाया गया था। इस कमी को रियल चश्मा पहनाकर कैप्टन ने पूरा कर दिया था। कैप्टन के इस कार्य के माध्यम से लोगों में जो देशप्रेम और देशभक्ति की भावना पैदा हो रही थी तथा नेताओं के प्रति जो श्रद्धा और सम्मान जागृत हो रहा था, वह सबसे महत्त्वपूर्ण था।
प्रश्न 6 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के कैप्टेन के स्वभाव की दो विशेषताएँ समझाइए ।
उत्तर – नेताजी का चश्मा पाठ के कैप्टन के स्वभाव की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1 – वह साहसी, निडर व् सच्चा देशभक्त है।
2 – उसमे नेतृत्व करने की क्षमता है। क्योंकि उसकी देखा देखी में बच्चे भी उसकी तरह शहीदों का सम्मान करना सीख लेते हैं।
प्रश्न 7 – आप अभी फौजी नहीं, विद्यार्थी हैं। आपका देश-प्रेम किन रूपों में प्रकट होता है ? ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ से हमें देश प्रेम व् देश भक्ति की सही राह मिलती है। देशभक्ति सिद्ध करने के लिए आवश्यक नहीं है कि हमें फ़ौज में भर्ती होना है। यदि हम विद्यार्थी भी हैं तब भी हम अपनी देशभक्ति देश से जुड़ी चीजों का सम्मान करके कर सकते हैं। देश की सम्पति की रक्षा करके, शहीदों का सम्मान करके, देश के विकास में योगदान करके भी हम देश प्रेम सिद्ध कर सकते हैं।
प्रश्न 8 – सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टेन क्यों कहते थे ?
उत्तर – सेनानी न होते हुए भी लोग चश्मेवाले को कैप्टन इसलिए कहते थे , क्योंकि कैप्टन चश्मे वाले में नेताजी के प्रति अगाध लगाव एवं श्रद्धा भाव था। वह शहीदों एवं देशभक्तों के अलावा अपने देश से उसी तरह लगाव रखता था जैसा कि फ़ौजी व्यक्ति रखते हैं। उसमें देश प्रेम एवं देशभक्ति का भाव कूट-कूटकर भरा था। वह नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर दुखी होता था। और कभी भी नेता जी की मूर्ति को बिना चश्मे के नहीं रहने देता था।
प्रश्न 9 – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ से हमें क्या प्रेरणा प्राप्त होती है ?
उत्तर – ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ देशभक्ति की प्रेरणा जागृत करने वाला पाठ है। इस पाठ से प्रेरणा मिलती है कि देशभक्ति केवल किसी विशेष भू-भाग से प्रेम करना नहीं, बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक, प्रकृति, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, पर्वत, पहाड़, झरने आदि सभी से प्रेम करना एवं उनकी रक्षा करना है। कैप्टन चश्मे वाले की मूर्ति पर चश्मा लगाना व उसकी मृत्यु के पश्चात् बच्चों द्वारा हाथ से बनाया गया सरकंडे का चश्मा लगाना यह प्रेरणा देता है कि जरूरी नहीं कि हम देश के लिए जान देकर ही देशभक्ति दिखा सकते है। हम छोटे-छोटे कार्यों द्वारा देशभक्ति का परिचय दे सकते हैं। साथ ही यह पाठ हमें देश के प्रति अपना उत्तरदायित्व भी समझाता है।
प्रश्न 10 – पंद्रह दिन बाद हालदार बाबू उस कस्बे में क्यों नहीं रुकना चाहते थे ? फिर भी अचानक रुककर भावुक क्यों हो गए ?
उत्तर – हालदार साहब इसलिए मायूस हो गए थे , क्योंकि वे सोचते थे कि कस्बे के बीचों बीच में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति अवश्य ही विद्यमान होगी, लेकिन उन की आँखों पर चश्मा नहीं होगा। क्योंकि जब मास्टर ने मूर्ति बनाई तब वह बनाना भूल गया। और उसकी इस कमी को कैप्टन पूरी करता था लेकिन अब तो कैप्टन भी मर गया। देशभक्त हालदार साहब को नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उदास कर देती थी।
प्रश्न 11 – हालदार साहब ने जब मूर्ति के नीचे मूर्तिकार ‘मास्टर मोतीलाल’ पढ़ा तब उन्होंने क्या-क्या सोचा ?
उत्तर – लेखक को लगता है कि अंत में उस कस्बे के एक मात्र हाई स्कूल के एक मात्र ड्राइंग मास्टर को ही मूर्ति काम सौंप दिया गया होगा क्योंकि मूर्ति के नीचे जिस मूर्तिकार का नाम लिखा गया है वह मोतीलाल है और लेखक ने उस मूर्तिकार को हाई स्कूल का ड्राइंग मास्टर इसलिए माना है क्योंकि कोई भी मूर्तिकार किसी महान व्यक्ति की मूर्ति बनाते हुए कोई गलती नहीं करेगा और लेखक मानते है कि उन मास्टर जी को यह काम इसलिए सौंपा गया होगा क्योंकि उन्होंने महीने-भर में मूर्ति बनाकर ‘पटक देने’ का विश्वास दिलाया होगा।
Related: