CBSE Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 4 Parvat Pradesh Mein Pavas Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions

 

Parvat Pradesh Mein Pavas Previous Year Questions with Answers –  Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 4, “Parvat Pradesh Mein Pavas”.

 

Questions from the Chapter in 2025 Board Exams

 

प्रश्न 1 – निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए:

पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश,
पलपल परिवर्तित प्रकृतिवेश
मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्र दृगसुमन फाड़,
अवलोक रहा है बारबार
नीचे जल में निज महाकार,
जिसके चरणों में पला ताल
दर्पणसा फैला है विशाल !

 

(i) ’पलपल परिवर्तित प्रकृतिवेशपंक्ति का अभिप्राय है :
(A) प्रकृति अपनी वेशभूषा बारबार बदल रही है
(B) पर्वतों पर बादल बारबार रूप बदल रहे हैं
(C) प्रकृति का रूप सौंदर्य पलपल नए रूप धारण कर रहा है
(D) बादल बारबार प्रकृति को नया रूप प्रदान कर रहे हैं
उत्तर – (C) प्रकृति का रूप सौंदर्य पलपल नए रूप धारण कर रहा है

 

(ii) पर्वतों की आँखें किसे कहा गया है ?
(A) दर्पण को
(B) ताल को
(C) पुष्पों को
(D) मेखला को
उत्तर – (C) पुष्पों को

 

(iii) तालाब की समानता दर्पण से किस आधार पर की गई है ?
(A) रूपाकार
(C) पारदर्शिता
(B) चमक
(D) स्वच्छता
उत्तर – (D) स्वच्छता

 

(iv) पर्वत ताल में क्या देख रहा है?
(A) आकाश का प्रतिबिंब
(B) रंगबिरंगे पुष्प
(C) अपना विशाल आकार
(D) बादलों का सौंदर्य
उत्तर – (C) अपना विशाल आकार

 

(v) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने किसका वर्णन किया है?
(A) वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश की अलौकिक सुषमा
(B) वर्षा ऋतु में रंगबिरंगे पुष्पों की सुंदरता
(C) पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाने वाली वनस्पति
(D) पर्वतों की तलहटी में पलने वाले तालाब
उत्तर – (A) वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश की अलौकिक सुषमा

 

प्रश्न 2 – बादलों से पर्वत के छिप जाने पर कवि की कल्पना, ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (25-30 शब्दों में)

उत्तर – कवि की कल्पना में इस पल-पल बदलते मौसम में अचानक बादलों के आकाश में छाने से ऐसा लगता है कि पर्वत जैसे गायब हो गए हो। ऐसा लग रहा है मानो आकाश धरती पर टूटकर आ गिरा हो। केवल झरनों का ही शोर सुनाई दे रहा है।

 

प्रश्न 3 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने पर्वत की विशालता को किस प्रकार चित्रित किया है? स्पष्ट कीजिए। (25-30 शब्दों में)

उत्तर – कवि कहता है कि करघनी के आकार वाले पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आँखें फाड़ कर नीचे जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि पहाड़ ने जिस तालाब को अपने चरणों में पाला है वह तालाब पहाड़ के लिए विशाल आईने का काम कर रहा है।

Questions which came in 2024 Board Exam

 

प्रश्न 1 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में वर्णित पर्वतीय प्रदेश की सुंदरता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर – कवि ने इस कविता में पर्वतीय प्रदेश की सुंदरता का वर्णन इतने अद्भुत तरीके से किया है कि ऐसा लग रहा है मानो प्रकृति सजीव हो उठी है। पर्वतीय क्षेत्र में वर्षा ऋतु के प्रवेश से प्रकृति के रूप में बार बार बदलाव आ रहा है अर्थात कभी बारिश होती है तो कभी धूप निकल आती है। पहाड़ों पर उगे हजारों फूल ऐसे लग रहे हैं जैसे पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे विशाल आईने रूपी तालाब के जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं। मोतियों की लड़ियों के समान सुंदर झरने की करतल ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है। पर्वतों पर उगे हुए पेड़ शांत आकाश को ऐसे देख रहे हैं जैसे वो उसे छूना चाह रहे हों। ऐसा लगता है जैसे वे हमें निरन्तर ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं। चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है।

 

Questions that appeared in 2023 Board Exams

 

प्रश्न 1 – ‘हैं झाँक रहे नीरव नभ पर’ ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता से ली गई पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘हैं झाँक रहे नीरव नभ पर’ ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता से ली गई पंक्ति का भाव यह है कि पहाड़ों पर उगे हुए अनेकों पेड़ों के माध्यम से हमें निरन्तर ऊँचा उठने की प्रेरणा दी जा रही है। कहने का तात्पर्य यह है कि एक तक दृष्टि से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। 

 

प्रश्न 2 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि को धरती पर आकाश का टूट पड़ना क्यों प्रतीत होता है ?

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि को धरती पर आकाश का टूट पड़ना इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि पर्वतीय क्षेत्रों में तेज बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हो। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो क्योंकि धुंध बादलों की तरह प्रतीत हो रही है। 

 

प्रश्न 3 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में आई पंक्ति “हैं झाँक रहे नीरव नभ पर” का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में आई पंक्ति “हैं झाँक रहे नीरव नभ पर” का आशय यह है कि जिस तरह पर्वतीय क्षेत्रों में पहाड़ों के हृदय से उठ-उठ कर अनेकों पेड़ ऊँचा उठने की इच्छा लिए एक टक दृष्टि से स्थिर हो कर शांत आकाश को इस तरह देख रहे हैं, मनो वो किसी चिंता में डूबे हुए हों। अर्थात वे पेड़ हमें निरन्तर ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें पेड़ों की तरह स्थिर हो कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। 

 

प्रश्न 4 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर लिखिए कि झरने पर्वत का गुणगान क्यों और कैसे कर रहे हैं।

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में झरने पर्वत का गुणगान कर रहे हैं। क्योंकि पर्वत अपनी सुंदरता व् सभी को प्रेरित करने का कार्य कर रहे हैं। झरने मोतियों की लड़ियों के समान सुंदर, झर झर की आवाज करते हुए बह रहे हैं। उनकी करतल ध्वनि हर किसी की नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है।

 

प्रश्न 5 – ‘पर्वतीय प्रदेश में पावस’ कविता में झरनों का वर्णन किस रूप में हुआ है ? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – ‘पर्वतीय प्रदेश में पावस’ कविता में झरनों का वर्णन अत्यधिक सुन्दर तरीके से किया गया है। कविता में बताया गया है कि झरने मोतियों की लड़ियों के समान सुंदर, झर झर की आवाज करते हुए बह रहे हैं, ऐसा लग रहा है की वे पहाड़ों का गुणगान कर रहे हों। उनकी करतल ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है।

 

प्रश्न 6 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर लिखिए कि शाल के वृक्ष कहाँ चले गए और क्यों।

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर प्रकृति का भयानक रूप देख कर शाल के पेड़ डर कर धरती के अंदर धंस गए हैं। क्योंकि तेज बारिश के बाद पर्वतीय क्षेत्र में मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हो। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। 

 

प्रश्न 7 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर लिखिए कि कवि को ऐसा क्यों लगता है कि जैसे अचानक पर्वत पंख लगाकर उड़ गया हो ?

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के अनुसार कवि को ऐसा लग रहा है कि जैसे अचानक पर्वत पंख लगाकर उड़ गया हो क्योंकि पर्वतीय क्षेत्र में तेज बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। धुंध के कारण पेड़ों को देख पाना कठिन हो गया है और घनी धुंध बादलों की तरह प्रतीत हो रही है। जिस कारण पेड़ों के गायब होने का भ्रम हो रहा है। 

 

प्रश्न 8 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर पर्वतों द्वारा अपने रूप-सौंदर्य को निहारने की कल्पना और कारण को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने पहाड़ों के आकार की तुलना करघनी अर्थात कमर में बांधने वाले आभूषण से की है। कवि कहता है कि करघनी के आकार वाले पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि पहाड़ ने जिस तालाब को अपने चरणों में पाला है वह तालाब पहाड़ के लिए विशाल आईने का काम कर रहा है। पर्वतों द्वारा अपने रूप-सौंदर्य को इस तरह निहारने का कारण बारिश के बाद पर्वतीय क्षेत्र की सुंदरता है। 

 

प्रश्न 9 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में पर्वतों की दृष्टि किसे कहा गया है ? पर्वत अपना प्रतिबिंब कहाँ और क्यों निहार रहे हैं ?

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में पर्वतों की दृष्टि पर्वतों पर उगने वाले फूलों को कहा गया है। पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि पहाड़ ने जिस तालाब को अपने चरणों में पाला है वह तालाब पहाड़ के लिए विशाल आईने का काम कर रहा है। उस तालाब रूपी आईने में पर्वत अपनी सुंदरता को निहार रहा है क्योंकि बारिश के बाद तालाब पानी से भर जाता है और साफ पानी में पर्वत का प्रतिबिम्ब भी साफ दिखाई देता है। 

 

Questions which came in 2022 Board Exam

 

प्रश्न 1 – ‘पावस ऋतु’ किसे कहते हैं? इस ऋतु में पर्वत पर कैसा दृश्य होता है? ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर – ‘पावस ऋतु’ वर्षा ऋतु को कहते हैं। पर्वतीय क्षेत्र में वर्षा ऋतु के प्रवेश से प्रकृति के रूप में बार बार बदलाव आ रहा है अर्थात कभी बारिश होती है तो कभी धूप निकल आती है। पहाड़ों पर उगे हजारों फूल ऐसे लग रहे हैं जैसे पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे विशाल आईने रूपी तालाब के जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं। मोतियों की लड़ियों के समान सुंदर झरने की करतल ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है। पर्वतों पर उगे हुए पेड़ शांत आकाश को ऐसे देख रहे हैं जैसे वो उसे छूना चाह रहे हों। ऐसा लगता है जैसे वे हमें निरन्तर ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं। चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है। 

प्रश्न 2 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में पर्वतों को ‘मेखलाकार पर्वत अपार’ कहने का कवि का क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने पर्वतों को ‘मेखलाकार पर्वत अपार’ कहा है इसका अभिप्राय यह है कि कवि ने पहाड़ों के आकार की तुलना करघनी अर्थात कमर में बांधने वाले आभूषण से की है। पहाड़ों का आकार कमर की तरह घुमावदार होता है और वर्षा ऋतु में जो सौंदर्य पहाड़ों का सामने दिखता है वह किसी आभूषण से कम नहीं लगता। और साथ-ही-साथ मेखलाकर पर्वत अपार से कवि पर्वत की विशालता दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं। 

प्रश्न 3 – कवि ने झरने के ‘झर-झर’ स्वर में क्या कल्पना की है? ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर – ‘पर्वतीय प्रदेश में पावस’ कविता में झरनों का वर्णन अत्यधिक सुन्दर तरीके से किया गया है। कविता में बताया गया है कि झरने मोतियों की लड़ियों के समान सुंदर, झर झर की आवाज करते हुए बह रहे हैं, ऐसा लग रहा है की वे पहाड़ों का गुणगान कर रहे हों। उनकी करतल ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है। 

प्रश्न 4 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर लिखिए कि कवि ने वृक्षों को पर्वतों की उच्चाकांक्षाएँ क्यों कहा है?
उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने वृक्षों को पर्वतों की उच्चाकांक्षाएँ कहा है क्योंकि पहाड़ों के हृदय से उठ-उठ कर अनेकों पेड़ ऊँचा उठने की इच्छा लिए एक टक दृष्टि से स्थिर हो कर शांत आकाश को इस तरह देख रहे हैं, मनो वो किसी चिंता में डूबे हुए हों। अर्थात वे हमें निरन्तर ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं।

 

Questions from the Chapter in 2020 Board Exams

 

प्रश्न 1 – ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने ऐसा क्यों कहा है? (लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि तेज बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। कहने का अभिप्राय यह है कि घनी धुंध के कारण धरती पर कोई भी भूभाग दिखाई नहीं दे रहा है और धुंध में बादल का आभास हो रहा है। इसी कारण कवि ने ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ कहा है। 

 

प्रश्न 2 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की तुलना किससे की गई है, और क्यों? (लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की तुलना किसी बड़े दर्पण से की गई है क्योंकि बारिश के बाद तालाब में पानी पूरा भर गया है और बिलकुल साफ़ पानी है। जिसमें पर्वत का प्रतिबिम्ब साफ़ दिखाई दे रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं। इसी दृश्य को देख कर कवि ने कल्पना की है कि पहाड़ ने जिस तालाब को अपने चरणों में पाला है वह तालाब पहाड़ के लिए विशाल आईने का काम कर रहा है।

 

प्रश्न 3 – ‘यों जलद-यान में विचर-विचर था – इंद्र खेलता इंद्रजाल।’ – भाव स्पष्ट कीजिए। (लगभग 30-40 शब्दों में)

उत्तर – ‘यों जलद-यान में विचर-विचर था – इंद्र खेलता इंद्रजाल।’ – पंक्ति का भाव यह है कि बारिश के बाद चारों ओर घनी धुंध होने के कारण ऐसा लग रहा है कि मानो तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है। क्योंकि घनी धुंध इधर-उधर जाते हुए किसी विमान की तरह लग रही है जो इधर-उधर विचरण कर रहा हो।

 

2019 Exam Question and Answers from the chapter

 

प्रश्न 1 – पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के सौन्दर्य का वर्णन ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर – पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। प्रकृति का ऐसा भयानक रूप देख कर शाल के पेड़ डर कर धरती के अंदर धंस गए हैं। चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखाता हुआ घूम रहा है।

 

प्रश्न 2 – सुमित्रानंदन पंत ने ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की तुलना किससे की है और क्यों?

उत्तर – सुमित्रानंदन पंत ने अपनी कविता “पर्वत प्रदेश में पावस” में एक तालाब और एक दर्पण के बीच समानता दिखाई है। तालाब का जल अत्यंत निर्मल एवं स्वच्छ होता है तथा पर्वत और उस पर उगने वाले सहसनो के पुष्पों का प्रतिबिंब स्पष्ट दिखाई देता है। दर्पण से तालाब की यह तुलना बड़ी सटीक है।

 

प्रश्न 3 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – सुमित्रानंदन पंत की कविता, “पर्वत प्रदेश में पावस”, में पर्वत प्रदेश, पर्वत श्रृंखला में स्थित एक हिल स्टेशन की कहानी है। जिसे लेखक ने अपनी आँखों से देखा है। वह इसका वर्णन इस तरह से करता है कि पाठक वहाँ होने की कल्पना कर सकता है, पहाड़ों को देख सकता है। बरसात के मौसम में आप पहाड़ी क्षेत्र में कई अलग-अलग नजारे देख सकते हैं। पर्वतों की तलहटी में निर्मल जल से भरी झील में पर्वतों की श्रंखला तथा उनकी हिमाच्छादित तथा कुछ मेघो से आच्छादित शिखर स्पष्ट दिखाई देते हैं। झील एक दर्पण की तरह दिखती है। झरनों के गिरने की आवाज खूबसूरत होती है और पानी की बूंदें मिलकर मोतियों की माला सी लगती हैं। पहाड़ों पर उगे ऊँचे-ऊँचे वृक्ष ऐसे लगते हैं जैसे कोई आकाश की ओर देख रहा हो और कोई चिंता के कारण झुक गया हो। बादल आए और पर्वत पर बरसने लगे। बारिश में आप केवल झरने की आवाज ही सुन सकते हैं। भारी वर्षा के कारण ऊँचे साल के वृक्ष दिखाई नहीं देते। चारों ओर धुएँ का साया है मानो तालाब से भाप उठ रही हो। पर्वतीय क्षेत्र में बदलते इन सभी दृश्यों को देखकर ऐसा लगता है कि यह कोई जादू की चाल है।

 

प्रश्न 4 – वर्षा ऋतु में प्रकृति का रूप किस प्रकार परिवर्तित होता है? ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – वर्षा ऋतु में मौसम हर पल बदलता रहता है। कभी तेज़ बारिश आती है तो कभी मौसम साफ हो जाता है। पर्वत अपनी पुष्प रूपी आँखों से अपने चरणों में स्थित तालाब में अपने आप को देखता हुआ प्रतीत होता है। बादलों के धरती पर आ जाने के कारण ऐसा लग रहा है कि जैसे आसमान धरती पर आ गया हो और कोहरा धुएं की तरह लग रहा है जिसके कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई हो।

 

प्रश्न 5 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर प्रकृति के दो सबसे मनोरम दृश्यों का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में प्रकृति के कई मनोरम दृश्यों का चित्रण किया है। वर्षा ऋतु में प्रकृति के हर पल बदलते रूप का अद्धभुत वर्णन किया है, कभी वर्षा होती है तो कभी धूप निकल आती है। पर्वतों पर उगे हजारों फूल ऐसे लग रहे है जैसे पर्वतों की आँखे हो और वो इन आँखों के सहारे अपने आपको अपने चरणों ने फैले दर्पण रूपी तालाब में देख रहे हों। पर्वतों से गिरते हुए झरने कल कल की मधुर आवाज कर रहे हैं जो नस नस को प्रसन्नता से भर रहे हैं। और बारिश के बाद के मौसम का भी सुंदर वर्णन किया है। जैसे घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कहीं उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हो, चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है।

 

प्रश्न 6 – वर्षा ऋतु में पर्वतीय सौंदर्य पर एक अनुच्छेद सुमित्रानंदन पंत की कविता के आलोक में लिखिए।

उत्तर – बरसात के मौसम में यहां के पहाड़ हर पल नया रूप धारण कर लेते हैं। उन पर बहुत से फूल खिले हुए हैं, और पहाड़ के नीचे एक तालाब है जहाँ आप पहाड़ का प्रतिबिंब देख सकते हैं। पर्वत पर उगने वाले सहस्त्र पुष्प पर्वत के सहस्त्र नेत्रों के समान दिखते हैं और पर्वत पर उगने वाले शाल के वृक्ष आकाश की ओर देखकर चिंतित और उदास प्रतीत होते हैं। प्रकृति पल भर में अपना रूप बदलती है और चारों ओर घने काले बादल छा जाते हैं। भारी बारिश से पहाड़ों, नदियों और यहां तक ​​कि आकाश को भी देखना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, झरने की आवाज अभी भी साफ सुनाई दे रही है। जब बारिश बहुत तेज होती है तो ऐसा लगता है जैसे आसमान फट गया हो और शाल के पेड़ (एक प्रकार का पेड़) जमीन में धंस गए हों। बादल तालाब से उठने वाले धुएँ का आभास करा सकते हैं। इससे ऐसा लगता है जैसे तालाब में आग लगी हो। हर पल दृश्य बदलता है और यह बताना मुश्किल है कि क्या हो रहा है। ऐसा लगता है कि भगवान इंद्र अपने जादू का उपयोग बादल में बैठने के लिए कर रहे हैं।

 

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