CBSE Class 8 Hindi Chapter 8 Aadami Ka Anupat (आदमी का अनुपात) Question Answers (Important) from Malhar Book
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सीबीएसई कक्षा 8 हिंदी मल्हार के पाठ 9 आदमी का अनुपात प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 8 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे आदमी का अनुपात प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।
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पाठ से
आइए, अब हम इस कविता को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (*) । बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) कविता के अनुसार ब्रह्मांड में मानव का स्थान कैसा है?
- पृथ्वी पर सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण
- ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म(*)
- सूर्य, चंद्र आदि सभी नक्षत्रों से बड़ा
- समस्त प्रकृति पर शासन करने वाला
उत्तर – ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म(*)
(2) कविता में मुख्य रूप से किन दो वस्तुओं के अनुपात को दिखाया गया है?
- पृथ्वी और सूर्य
- देश और नगर
- घर और कमरा
- मानव और ब्रह्मांड(*)
उत्तर – मानव और ब्रह्मांड(*)
(3) कविता के अनुसार मानव किन भावों और कार्यों में लिप्त रहता है?
- त्याग, ज्ञान और प्रेम में
- सेवा और परोपकार में
- ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में (*)
- उदारता, धर्म और न्याय में
उत्तर – ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में (*)
(4) कविता के अनुसार मानव का सबसे बड़ा दोष क्या है?
- वह अपनी सीमाओं और दुर्बलताओं को नहीं समझता।
- वह दूसरों पर शासन स्थापित करना चाहता है।
- वह प्रकृति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता है।
- वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।(*)
उत्तर – वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।(*)
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर – मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कविता मानव की छोटी स्थिति को ब्रह्मांड की विशालता के सामने प्रत्यक्ष दर्शाती करती है। कविता में मानव और ब्रह्माण्ड के बारे में बताया गया है। साथ ही, यह मानव के नकारात्मक गुणों जैसे अहंकार, ईर्ष्या, नफ़रत और स्वार्थ पर व्यंग्य किया है, जो उसकी कमियों को उजागर करते हैं। कविता ने समझया गया है कि मनुष्य अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।
पंक्तियों पर चर्चा
नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। अपने समूह में इनके अर्थ पर चर्चा कीजिए और लिखिए-
(क) “अनगिन नक्षत्रों में / पृथ्वी एक छोटी / करोड़ों में एक ही।”
अर्थ – यह पंक्ति ब्रह्मांड की विशालता को और पृथ्वी को उस ब्रह्माण्ड का एक छोटा सा हिस्सा मात्र दर्शाती है। अनगिनत तारों और ग्रहों में पृथ्वी एक छोटा-सा ग्रह है, जो ब्रह्मांड के करोड़ों ग्रहों में बहुत छोटा लेकिन अद्वितीय है, सबसे अलग है।
चर्चा – यह पंक्ति हमें बताती है कि पृथ्वी ब्रह्मांड में कितनी छोटी है, फिर भी मानव अज्ञान के कारण इसे बहुत बड़ा समझता है।
(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है / अपने को दूजे का स्वामी बताता है।”
अर्थ – इस पंक्ति के माध्यम से मानव के अहंकार को देखा जा सकता है, कि मानव अपने चारों ओर परत-दर-परत किस तरह दीवारें खड़ी करके खुद को दूसरों से अलग और बड़ा व् दूसरों का मालिक समझता है।
चर्चा – यह पंक्ति बताती है कि मानव अपने चारों ओर कृत्रिम सीमाओं को खड़ा करता है और अहंकार के कारण अपने आप को दूसरों से महान और दूसरों को तुच्छ समझता है।
(ग) “देशों की कौन कहे / एक कमरे में / दो दुनिया रचाता है।”
अर्थ – इस पंक्ति से स्पष्ट होता है कि मनुष्य किस तरह अपने अहंकार के कारण छोटे से स्थान, जैसे एक कमरे में, भी दूसरों के साथ मतभेदों के कारण दो अलग-अलग दुनियाएँ बना लेता है।
चर्चा – इस पंक्ति से मानव के स्वभाव का पता चलता है कि किस तरह छोटी-छोटी बातों पर वह अपने सगे-सम्बन्धियों से भी विभाजन कर लेता है।

मिलकर करें मिलान
नीचे दो स्तंभ दिए गए हैं। अपने समूह में चर्चा करके स्तंभ 1 की पंक्तियों का मिलान स्तंभ 2 में दिए गए सही अर्थ से कीजिए।
| क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. | संख्यातीत शंख सी दीवारें | 1. ब्रह्मांड की विशालता का प्रतीक |
| 2. | पृथ्वी एक छोटी, करोड़ों में एक | 2. आदमी के संकुचित होने का प्रतीक |
| 3. | ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा | 3. मनुष्य द्वारा खींची गई कृत्रिम सीमाएँ |
| 4. | दो व्यक्ति कमरे में / कमरे से छोटे | 4. सीमित स्थान में भी और अलगाव की प्रवृत्ति |
| 5. | परिधि नभ गंगा की | 5. पृथ्वी की अल्पता और अनोखेपन की ओर संकेत |
| 6. | एक कमरे में दो दुनिया रचता | 6. मनुष्य की नकारात्मक भावनाएँ |
उत्तर –
| क्रम | स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
| 1. | संख्यातीत शंख सी दीवारें | 3. मनुष्य द्वारा खींची गई कृत्रिम सीमाएँ |
| 2. | पृथ्वी एक छोटी, करोड़ों में एक | 5. पृथ्वी की अल्पता और अनोखेपन की ओर संकेत |
| 3. | ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा | 6. मनुष्य की नकारात्मक भावनाएँ |
| 4. | दो व्यक्ति कमरे में / कमरे से छोटे | 2. आदमी के संकुचित होने का प्रतीक |
| 5. | परिधि नभ गंगा की | 1. ब्रह्मांड की विशालता का प्रतीक |
| 6. | एक कमरे में दो दुनिया रचता | 4. सीमित स्थान में भी और अलगाव की प्रवृत्ति |
अनुपात
इस कविता में ‘मानव’ और ‘ब्रह्मांड’ के उदाहरण द्वारा व्यक्ति के अल्पत्व और सृष्टि की विशालता के अनुपात को दिखाया गया है। अपने साथियों के साथ मिलकर विचार कीजिए कि मानव को ब्रह्मांड जैसा विस्तार पाने के लिए इनमें से किन-किन गुणों या मूल्यों की आवश्यकता होगी? आपने ये गुण क्यों चुने, यह भी साझा कीजिए।

उत्तर –
1. सहअस्तित्व – एक दूसरे के विकास में सहयोग करते हुए साथ-साथ रहना।
2. सौहार्द – आपसी प्रेम, स्नेह और भाईचारा बढ़े और संघर्ष कम हों।
3. विविधता का सम्मान – ब्रह्मांड में असंख्य रूप और स्वरूप हैं, और सभी का अपना-अपना महत्व है।
4. संतुलन – अपने कार्यों, इच्छाओं और संसाधनों के उपयोग में संतुलन होना आवश्यक है।
5. समावेशिता – हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि का हो, समाज का हिस्सा बने।
6. स्वतंत्रता – किसी व्यक्ति या समूह को अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों को स्वतंत्र रूप से निर्धारित करने की स्वतंत्रता देना है।
7. सहनशीलता – किसी से किसी भी प्रकार के मतभेद या कठिनाई में भी शान्ति, विवेक और धैर्य से काम लेना।
8. शांति – ताकि ब्रह्मांड की विशालता में स्थिरता और सद्भाव बना रहे।
मैंने ये गुण चुने क्योंकि इन गुणों के प्रभाव से मनुष्य हर प्राणी और प्रकृति के साथ संतुलन में रह सके। ये सभी गुण न केवल मनुष्य के अहंकार, ईर्ष्या, नफ़रत और स्वार्थ जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों को कम करेंगे, बल्कि मनुष्यों को उसकी सीमित सीमाओं से बाहर निकलकर ब्रह्माण्ड की विशालता के बारे में सोचने और समृद्ध बनाने में भी सहायक होंगे। ऐसे गुणों के प्रभाव से मनुष्य अपने छोटे से दायरे से बाहर निकल पाएगा, और स्वतंत्र, विनम्र और सहयोगी भी बन पाएगा।
सोच-विचार के लिए
कविता को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए—
(क) कविता के अनुसार मानव किन कारणों से स्वयं को सीमाओं में बाँधता चला जाता है?
(ख) यदि आपको इस कविता की एक पंक्ति को दीवार पर लिखना हो, जो आपको प्रतिदिन प्रेरित करे तो आप कौन-सी पंक्ति चुनेंगे और क्यों?
(ग) कवि ने मानव की सीमाओं और कमियों की ओर ध्यान दिलाया है, लेकिन कहीं भी क्रोध नहीं दिखाया। आपको इस कविता का भाव कैसा लगा— व्यंग्य, करुणा, , चिंता या कुछ और? क्यों?
(घ) आपके अनुसार ‘दीवारें उठाना’ केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम है या कुछ और भी हो सकता है? अपने विचारानुसार समझाइए।
(ङ) मानवता के विकास में सहयोग, समर्पण और सहिष्णुता जैसी सकारात्मक प्रवृत्तियाँ ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ और घृणा ा जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों से कहीं अधिक प्रभावी हैं। उदाहरण देकर बताइए कि सहिष्णुता या सहयोग के कारण समाज में कैसे परिवर्तन आए हैं?
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘सृष्टि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए—

उत्तर –

सृजन
(ख) अगर इसी कविता की तरह कोई कहानी लिखनी हो जिसका नाम हो ‘ब्रह्मांड में मानव’ तो उसको आरंभ कैसे करेंगे? कुछ वाक्य लिखिए।
उत्तर – यदि ‘ब्रह्मांड में मानव’ नामक शीर्षक वाली कोई कहानी लिखनी हो तो उसका आरम्भ कुछ इस तरह से किया जा सकता है – “ विशाल ब्रह्मांड में एक छोटा सा नीला ग्रह विध्यमान है, जो असंख्य नक्षत्रों के बीच एक बिंदु के समान प्रतीत होता है। उस नीले ग्रह को पृथ्वी नाम दिया गया है। इस ग्रह पर मानव नाम का एक जीव रहता है। वह इस ग्रह के छोटे जीवों में शामिल है परन्तु वह अपने सपनों के आधार पर सितारों तक पहुँचने की चाह रखता है। ”
कविता की रचना
‘दो व्यक्ति कमरे में
कमरे से छोटे—
इन पंक्तियों में ‘—‘ चिह्न पर ध्यान दीजिए। क्या आपने इस चिह्न को पहले कहीं देखा है? इस चिह्न को ‘निदेशक चिह्न’ कहते हैं। यह एक प्रकार का विराम चिह्न है जो किसी बात को आगे बढ़ाने या स्पष्ट करने के लिए उपयोग होता है। यह किसी विषय की अतिरिक्त जानकारी, जैसे— व्याख्या, उदाहरण या उद्धरण देने के लिए उपयोग होता है। इस कविता में इस चिह्न का प्रयोग एक ठहराव, सोच का संकेत और आगे आने वाले महत्वपूर्ण विचार की ओर पाठक का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है। यह संकेत देता है कि अब कुछ ऐसा कहा जाने वाला है जो पाठक को सोचने पर विवश करेगा।
इस कविता में ऐसी अनेक विशेषताएँ छिपी हैं, जैसे— अधिकतर पंक्तियों का अंतिम शब्द ‘में’ है, बहुत छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं आदि।

(क) अपने समूह के साथ मिलकर कविता की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर –
कविता में लय और प्रवाह बनाए रखने के लिए बहुत छोटी-छोटी पंक्तियों का प्रयोग किया गया है।
छोटे स्तर से बड़े स्तर तक जाने के लिए पंक्तियों का क्रमिक दोहराया गया है। जैसे – “कमरा है घर में, घर है मोहल्ले में, मोहल्ला नगर में…”
कविता में छोटे से – विशाल तक का क्रम दिखाया गया है। जैसे – आदमी-कमरा-घर-मोहल्ला-नगर-प्रदेश-देश-पृथ्वी-ब्रह्मांड।
रूपक और उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है।
मानव के अहंकार, नफ़रत, ईर्ष्या, स्वार्थ, अविश्वास जैसी प्रवृत्तियों को उजागर किया गया है।
मानव के छोटेपन और ब्रह्मांड की विशालता की स्पष्ट तुलना की गई है।
कठिन शब्दों की बजाय सरल, सहज, रोज़मर्रा के शब्दों का प्रयोग किया गया है, जिससे कविता द्वारा दिया गया संदेश सबको आसानी से समझ आता है।
नकारात्मक और सकारात्मक भावों का संतुलन दिखाया गया है।
(ख) नीचे इस कविता की कुछ विशेषताएँ और वे पंक्तियाँ दी गई हैं जिनमें ये विशेषताएँ झलकती हैं। विशेषताओं का सही पंक्तियों से मिलान कीजिए—
| क्रम | कविता की विशेषताएँ | कविता की पंक्तियाँ |
| 1. | सरल वाक्य के शब्दों को विशेष क्रम में लगाया गया है। | 1. संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है |
| 2. | मुहावरे का प्रयोग किया गया है। | 2. कमरा है घर में, घर है मोहल्ले में, मोहल्ला नगर में… |
| 3. | छोटे से बड़े की ओर विस्तार देने के लिए शब्दों को दोहराया गया है। | 3. देशों की कौन कहे, एक कमरे में दो दुनिया रचाता है |
| 4. | प्रश्न शैली में व्यंग्य किया गया है। | 4. कमरा है घर में |
| 5. | अतिशयोक्ति से भरा कथन है (बढ़ा-चढ़ाकर कहना)। | 5. यह है अनुपात आदमी का विराट से |
| 6. | मानव के अहंकार पर तीखा व्यंग्य किया गया है। | 6. अपने को दूजे का स्वामी बताता है |
उत्तर –
| क्रम | कविता की विशेषताएँ | कविता की पंक्तियाँ |
| 1. | सरल वाक्य के शब्दों को विशेष क्रम में लगाया गया है। | 4. कमरा है घर में |
| 2. | मुहावरे का प्रयोग किया गया है। | 1. संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है |
| 3. | छोटे से बड़े की ओर विस्तार देने के लिए शब्दों को दोहराया गया है। | 2. कमरा है घर में, घर है मोहल्ले में, मोहल्ला नगर में… |
| 4. | प्रश्न शैली में व्यंग्य किया गया है। | 3. देशों की कौन कहे, एक कमरे में दो दुनिया रचाता है |
| 5. | अतिशयोक्ति से भरा कथन है (बढ़ा-चढ़ाकर कहना)। | 5. यह है अनुपात आदमी का विराट से |
| 6. | मानव के अहंकार पर तीखा व्यंग्य किया गया है। | 6. अपने को दूजे का स्वामी बताता है |
कविता का सौंदर्य
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने समूह में मिलकर खोजिए। इन प्रश्नों से आप कविता का आनंद और अच्छी तरह से ले सकेंगे।
(क) कविता में अलग-अलग प्रकार से ब्रह्मांड की विशालता को व्यक्त किया गया है। उनकी पहचान कीजिए।
उत्तर –
कविता में अलग-अलग प्रकार से ब्रह्मांड की विशालता को व्यक्त किया गया है जैसे –
आकार की तुलना से – आदमी से कमरे, घर, मोहल्ले, नगर, प्रदेश, देश, पृथ्वी और फिर अनगिन नक्षत्रों व् ब्रह्माण्ड तक का क्रम दिखाया गया है।
संख्या की विशालता से – “अनगिन नक्षत्र”, “लाखों ब्रह्मांड”, “करोड़ों में एक पृथ्वी” जैसे प्रयोग द्वारा संख्या की विशालता दिखाई गई है।
विस्तार की सीमा से – “परिधि नभ गंगा की” कहकर आकाशगंगा की विशाल परिधि का उल्लेख किया गया है।
अनंत विविधता के उदाहरण से – “हर ब्रह्मांड में कितनी ही पृथ्वियाँ, कितनी ही भूमियाँ, कितनी ही सृष्टियाँ” कहकर अनंत विविधता का चित्रण।
आपके शब्द
“सबको समेटे है
परिधि नभ गंगा की”
आपने ‘आकाशगंगा’ शब्द सुना और पढ़ा होगा। लेकिन कविता में ‘नभ गंगा’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है।
आप भी अपने समूह में मिलकर इसी प्रकार दो शब्दों को मिलाकर नए शब्द बनाइए।
उत्तर –
चांदनीरात (चांदनी + रात) – चांदनी से भरी हुई रात।
धरतीमाता (धरती + माता) – पृथ्वी के लिए स्नेहपूर्ण संबोधन।
तारामंडल (तारा + मंडल) – तारों का समूह।
अग्निपथ (अग्नि + पथ) – आग जैसा कठिन मार्ग।
पवनचक्की (पवन + चक्की) – हवा से चलने वाली चक्की।
सागरमोती (सागर + मोती) – समुद्र से प्राप्त मोती।
गृहप्रवेश (गृह + प्रवेश) – घर में प्रवेश करना।
स्वर्गभूमि (स्वर्ग + भूमि) – स्वर्ग के समान स्थान।
आपके प्रश्न
“हर ब्रह्मांड में
कितनी ही पृथ्वियाँ
कितनी ही भूमियाँ
कितनी ही सृष्टियाँ”
क्या आपके मस्तिष्क में कभी इस प्रकार के प्रश्न आते हैं? अवश्य आते होंगे। अपने समूह के साथ मिलकर अपने मन में आने वाले प्रश्नों की सूची बनाइए। अपने शिक्षक, इंटरनेट और पुस्तकालय की सहायता से इन प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़ने का प्रयास कीजिए।
उत्तर –
1 – क्या ब्रह्मांड के बाहर और भी ब्रह्मांड हैं?
उत्तर – ये तो साफ है कि ब्रह्मांड के अंदर ग्रह, उपग्रह, तारे, गैलेक्सी जैसी चीजें हैं लेकिन ब्रह्मांड के बाहर क्या है, कोई दूसरा ब्रह्मांड, कोई दूसरा ग्रह, कोई दूसरी गैलेक्सी? इस सवाल का जवाब स्पष्ट रूप से अभी तक वैज्ञानिक नही खोज पाए हैं।
2 – क्या कहीं ब्रह्मांड में पृथ्वी के अलावा जीवन होगा?
उत्तर – K2-18b एक ऐसा ग्रह है, जो पृथ्वी से 124 प्रकाश वर्ष दूर है। यह पृथ्वी से 2.6 गुना बड़ा और 8.6 गुना भारी है। 2015 में केपलर टेलीस्कोप ने इसे खोजा था। यह अपने तारे की हैबिटेबल जोन में है, जहां जीवन संभव हो सकता है।
3 – यदि पृथ्वी के अलावा कहीं जीवन है तो क्या वहाँ के जीव हमारे जैसे दिखते होंगे?
उत्तर – यदि पृथ्वी के अलावा कहीं जीवन है तो यह उस ग्रह के वातावण पर निर्धारित होगा कि उस पर रहने वाले जीव हमारी तरह दिखते होंगे या बिलकुल अलग।
4 – क्या अलग-अलग ब्रह्मांडों के बीच यात्रा कर पाना संभव है?
उत्तर – आज के समय में यह संभव नहीं है। परन्तु वैज्ञानिक लगातार कोशिश कर रहे हैं कि वे कोई ऐसी तकनीक बनाने में सफल हों जो ब्रह्माण्डों की उलझी गुथी को सुलझा सकें।
5 – क्या वहाँ भी सभी हमारी तरह सोचते समझते होंगे जैसे हमारी पृथ्वी पर है?
उत्तर – यह ग्रह के वातावरण और परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि वहां पर मौजूद जीवों ने अपने आप को किस कदर जीवन जीने के लिए विकसित किया है।
6 – क्या ब्रह्मांड की कोई सीमा है?
उत्तर – आश्चर्य की बात है, नहीं। ब्रह्मांड का कोई किनारा या केंद्र नहीं है – यह एक साथ हर जगह फैल रहा है। बिग बैंग अंतरिक्ष में कोई बिंदु नहीं था, बल्कि समय का एक क्षण था। प्रत्येक पर्यवेक्षक स्वयं को केन्द्रीय मानता है, लेकिन ब्रह्माण्ड विज्ञान हमें बताता है कि हम सभी अंतरिक्ष में समान रूप से स्थित हैं।ब्रह्माण्ड में वह सब कुछ सम्मिलित है, जो अस्तित्व में है। यदि इसके “बाहर” कुछ नहीं है, तो कोई किनारा नहीं है – और किनारे के बिना, कोई केंद्र नहीं हो सकता। ब्रह्माण्ड अनंत हो सकता है, या यह परिमित लेकिन असीम हो सकता है, जैसे किसी गोले की सतह जो स्वयं को घेरे हुए हो।
विशेषण राषण और विशेष्य
“पृथ्वी एक छोटी”
यहाँ ‘छोटी’ शब्द ‘पृथ्वी’ की विशेषता बता रहा है अर्थात ‘छोटी’ ‘विशेषण’ है। ‘पृथ्वी’ एक संज्ञा शब्द है जिसकी विशेषता बताई जा रही है। अर्थात ‘पृथ्वी’ ‘विशेष्य’ शब्द है।

अब आप नीचे दी गई पंक्तियों में विशेषण और विशेष्य शब्दों को पहचानकर लिखिए–
| पंक्ति | विशेषण | विशेष्य |
| 1. दो व्यक्ति कमरे में | दो | व्यक्ति |
| 2. अनगिन नक्षत्रों में | ||
| 3. लाखों ब्रह्मांडों में | ||
| 4. अपना एक ब्रह्मांड | ||
| 5. संख्यातीत शंख सी | ||
| 6. एक कमरे में | ||
| 7. दो दुनिया रचाता है पाठ से आगे |
उत्तर
| पंक्ति | विशेषण | विशेष्य |
| 1. दो व्यक्ति कमरे में | दो | व्यक्ति |
| 2. अनगिन नक्षत्रों में | अनगिन | नक्षत्र |
| 3. लाखों ब्रह्मांडों में | लाखों | ब्रह्मांड |
| 4. अपना एक ब्रह्मांड | अपना, एक | ब्रह्मांड |
| 5. संख्यातीत शंख सी | संख्यातीत | शंख |
| 6. एक कमरे में | एक | कमरा |
| 7. दो दुनिया रचाता है पाठ से आगे | दो | दुनिया |
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) कोई ऐसी स्थिति बताइए जहाँ ‘अनुपात’ बिगड़ गया हो जैसे काम का बोझ अधिक और समय कम।
उत्तर – अपने स्कूल के दोनों में एक बार विद्यालय के वार्षिक समारोह में हम सभी 8 मित्रों ने एक नाटक की तैयारी की। सभी कुछ सही था, परन्तु समारोह से 2 दिन पहले एक मित्र का दुर्घटना के कारण पैर टूट गया। जिस कारण हमारा ‘अनुपात’ बिगड़ गया था। अभ्यास का समय केवल 2 दिन था, संवाद, मंच सज्जा, और वेशभूषा की तैयारी पूरी थी, लेकिन एक पात्र कम हो गया था। नए साथी को तैयार करने में सभी पर काम का बोझ बहुत बढ़ गया और समय बहुत कम पड़ा।
(ख) आप अपने परिवार, विद्यालय या मोहल्ले में ‘विराटता’ (विशाल दृष्टिकोण) कैसे ला सकते हैं? कुछ उपाय सोचकर लिखिए। (संकेत – किसी को अनदेखा न करना, सबकी सहायता करना आदि)
उत्तर –
सबकी बात सुनना और मुद्दों पर सभी की राय लेना।
सभी यथाशक्ति मदद करना।
मतभेदों को भूलकर जरूरत के समय एकजुट होना।
पर्यावरण की रक्षा के लिए मिलकर काम करना।
पशु-पक्षियों की रक्षा के लिए मिलकर सोचना व् काम करना।
(ग) ‘करोड़ों में एक ही पृथ्वी’ – इस पंक्ति को पढ़कर आपके मन में क्या भाव आता है? आप इस अनोखी पृथ्वी को सुरक्षित रखने के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर – ‘करोड़ों में एक ही पृथ्वी’ – इस पंक्ति को पढ़कर हमारे मन में पृथ्वी का सभी ग्रहों से अनोखा और कीमती होने का भाव आता है।
इस अनोखी पृथ्वी को सुरक्षित रखने के लिए हम निम्नलिखित चीजें कर सकते हैं जैसे – पेड़ लगाना, प्रदुषण कम करना, पानी बचाना, और पर्यावरण की रक्षा करना, संसाधनों का उचित प्रयोग करना इत्यादि।
(घ) कविता हमें ‘अपने को दूजे का स्वामी बताने’ के प्रति सचेत करती है। आप अपने किन-किन गुणों को प्रबल करेंगे ताकि आपमें ऐसा भाव न आए?
उत्तर – कविता हमें ‘अपने को दूजे का स्वामी बताने’ के प्रति सचेत करती है। मैं अपने अंदर सहानुभूति, विनम्रता, स्नेह, सद्भाव और सहयोग जैसे गुणों को बढ़ाऊँगी ताकि मेरे मन में कभी दूसरों के लिए हीनभाव न उत्पन्न हो सके और सभी के साथ प्रेम और सम्मान से रह सकूँ।
(ङ) अपने जीवन में ऐसी तीन ‘दीवारों’ के विषय में सोचिए जो आपने स्वयं खड़ी की हैं (जैसे- डर, संकोच आदि)। फिर एक योजना बनाइए कि आप उन्हें कैसे तोड़ेंगे? क्या समाज में भी ऐसी दीवारें होती हैं? उन्हें गिराने में हम कैसे सहायता कर सकते हैं?
उत्तर – मेरे अनुसार मैंने अपने जीवन में स्वयं डर, संकोच व् अविश्वास की दीवारें कड़ी की हैं। इन दीवारों में से डर की दीवार को तोड़ने के लिए मुझे नई गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहिए। संकोच को दूर करने के लिए मुझे अपनी बात को दूसरों के समक्ष खुलकर कहने की हिम्मत करनी होगी। और अविश्वास को दूर करने के लिए मुझे दूसरों से बातचीत करना व् उनके स्वभाव को समझना होगा।
समाज में भी कई दीवारें हैं जैसे – जाति, धर्म और भेदभाव। इन्हें तोड़ने के लिए लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है और नाटकों व् विज्ञापनों के माध्यम से जागरूकता फैलानी जरूरी है।
संख्यातीत शंख
“संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है”
शंख का अर्थ है— 100 पद्म की संख्या।
नीचे भारतीय संख्या प्रणाली एक तालिका के रूप में दी गई है।
| हिंदी | संख्या | गणितीय संख्या |
| एक (इकाई) | 1 | 100 |
| दस (दहाई) | 10 | 101 |
| सौ (सैकड़ा) | 100 | 102 |
| सहस्त्र (हजार) | 1,000 | 103 |
| दस हजार | 10,000 | 104 |
| लाख | 1,00,000 | 105 |
| दस लाख | 10,00,000 | 106 |
| करोड़ | 1,00,00,000 | 107 |
| दस करोड़ | 10,00,00,000 | 108 |
| अरब | 1,00,00,00,000 | 109 |
| दस अरब | 10,00,00,00,000 | 1010 |
| खरब | 1,00,00,00,00,000 | 1011 |
| दस खरब | 10,00,00,00,00,000 | 1012 |
| नील | 1,00,00,00,00,00,000 | 1013 |
| दस नील | 10,00,00,00,00,00,000 | 1014 |
| पद्म | 1,00,00,00,00,00,00,000 | 1015 |
| दस पद्म | 10,00,00,00,00,00,00,000 | 1016 |
| शंख | 1,00,00,00,00,00,00,00,000 | 1017 |
| दस शंख | 10,00,00,00,00,00,00,00,000 | 1018 |
| महाशंख | 1,00,00,00,00,00,00,00,00,000 | 1019 |
तालिका के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर खोजिए—
1. जिस संख्या में 15 शून्य होते हैं, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर – पंद्रह (15) शून्यों वाली संख्या को पद्म (10¹⁵) कहते हैं।
2. महाशंख में कितने शून्य होते हैं?
उत्तर – महाशंख में 10¹⁹, अर्थात उन्नीस (19) शून्य होते हैं।
3. एक लाख में कितने हजार होते हैं?
उत्तर – एक लाख (1,00,000) में 100 हजार होते हैं।
4. उपर्युक्त तालिका के अनुसार सबसे छोटी और सबसे बड़ी संख्या कौन-सी है?
उत्तर – सबसे छोटी संख्या एक (इकाई) अर्थात 10⁰ होती है और सबसे बड़ी संख्या महाशंख अर्थात 10¹⁹ होती है।
5. दस करोड़ और एक अरब को जोड़ने पर कौन-सी संख्या आएगी?
उत्तर – दस करोड़ (10⁸) + एक अरब (10⁹) को जोड़ने पर 1,10,00,00,000 अर्थात एक अरब दस करोड़ (110 करोड़) संख्या आएगी।
Class 8 Hindi Aadami Ka Anupat Extract Based Questions (पद्यांश पर आधारित प्रश्न)
1 –
दो व्यक्ति कमरे में
कमरे से छोटे-
कमरा है घर में
घर है मुहल्ले में
मुहल्ला नगर में
नगर है प्रदेश में
प्रदेश कई देश में
देश कई पृथ्वी पर
प्रश्न 1 – उपरोक्त पद्यांश में दो व्यक्ति कहाँ पर हैं ?
(क) घर में
(ख) कमरे में
(ग) देश में
(घ) पृथ्वी में
उत्तर – (ख) कमरे में
प्रश्न 2 – ‘कमरे से छोटे’ होने का क्या आशय है?
(क) व्यक्ति की मानसिक संकीर्णता
(ख) कमरों का बड़ा आकार
(ग) घर की ऊँची छत
(घ) आदमी की कम ऊँचाई
उत्तर – (क) व्यक्ति की मानसिक संकीर्णता
प्रश्न 3 – कमरा कहाँ स्थित है ?
(क) प्रदेश में
(ख) मुहल्ले में
(ग) घर में
(घ) नगर में
उत्तर – (ग) घर में
प्रश्न 4 – देश कहाँ स्थित है ?
(क) मुहल्ले में
(ख) पृथ्वी पर
(ग) प्रदेश में
(घ) नगर में
उत्तर – (ख) पृथ्वी पर
प्रश्न 5 – पृथ्वी क्या-क्या समेटे हुए है?
(क) व्यक्ति, कमरे
(ख) घर, मुहल्ले
(ग) नगर, प्रदेश, देश
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
2 –
अनगिन नक्षत्रों में
पृथ्वी एक छोटी
करोड़ों में एक ही
सबको समेटे है
परिधि नभ गंगा की
लाखों ब्रह्मांडों में
अपना एक ब्रह्मांड
हर ब्रह्मांड में
कितनी ही पृथ्वियाँ
कितनी ही भूमियाँ
कितनी ही सृष्टियाँ”
यह है अनुपात
प्रश्न 1 – पृथ्वी को करोड़ों में एक क्यों कहा गया है ?
(क) क्योंकि पृथ्वी करोड़ों ग्रहों में से एक है
(ख) क्योंकि पृथ्वी पर ही जीवन संभव है
(ग) क्योंकि पृथ्वी एक मात्र ग्रह है
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (ख) क्योंकि पृथ्वी पर ही जीवन संभव है
प्रश्न 2 – नभ गंगा’ का क्या अर्थ है ?
(क) आकाशगंगा
(ख) नीली गंगा
(ग) आकाश के सामान गंगा
(घ) नक्षत्र
उत्तर – (क) आकाशगंगा
प्रश्न 3 – उपरोक्त पद्यांश में “अनुपात” क्या दिखाता है ?
(क) मनुष्य इस ब्रह्मांड की विशालता के समक्ष कितना छोटा है
(ख) पृथ्वी, इस ब्रह्मांड की विशालता के समक्ष कितनी छोटी है
(ग) मनुष्य और उसकी पृथ्वी, इस ब्रह्मांड की विशालता के समक्ष कितने छोटे हैं
(घ) केवल (क)
उत्तर – (ग) मनुष्य और उसकी पृथ्वी, इस ब्रह्मांड की विशालता के समक्ष कितने छोटे हैं
प्रश्न 4 – करोड़ों में एक ही’ यह पंक्ति क्या दर्शाती है ?
(क) पृथ्वी की विशालता
(ख) पृथ्वी की शालीनता
(ग) पृथ्वी की विशेषता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) पृथ्वी की विशेषता
प्रश्न 5 – “हर ब्रह्मांड में, कितनी ही पृथ्वियाँ, कितनी ही भूमियाँ, कितनी ही सृष्टियाँ” पंक्ति क्या दर्शाती है ?
(क) ब्रह्मांड की विशालता
(ख) ब्रह्मांड की अनंतता
(ग) ब्रह्मांड का अंत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) ब्रह्मांड की अनंतता
3 –
आदमी का विराट से
इस पर भी आदमी
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा, अविश्वास
संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है
अपने को दूजे का स्वामी बताता है
देशों की कौन कहे
एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है
प्रश्न 1 – पद्यांश में आदमी की तुलना किससे की गई है ?
(क) ब्रह्माण्ड से
(ख) विराट से
(ग) पृथ्वी से
(घ) दुनिया से
उत्तर – (ख) विराट से
प्रश्न 2 – मानव में कौन से अवगुण हैं?
(क) ईर्ष्या, अहं
(ख) स्वार्थ, घृणा
(ग) अविश्वास
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – ‘संख्यातीत शंख सी दीवारें’ किसका प्रतीक हैं ?
(क) आदमी द्वारा बनाई गई सीमाओं का
(ख) आदमी द्वारा हटाई गई सीमाओं का
(ग) आदमी द्वारा छोड़ी गई सीमाओं का
(घ) आदमी द्वारा बनाई गई घर की दीवारों का
उत्तर – (क) आदमी द्वारा बनाई गई सीमाओं का
प्रश्न 4 – ‘अपने को दूजे का स्वामी बताता है’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) एक दूसरे का ख्याल करना
(ख) आत्मविश्वास
(ग) प्रेम भावना
(घ) स्वामित्व की झूठी भावना
उत्तर – (घ) स्वामित्व की झूठी भावना
प्रश्न 5 – “एक कमरे में दो दुनिया रचाता है” का क्या आशय है?
(क) मेलजोल बढ़ाना
(ख) आपसी मतभेद
(ग) मिलकर रहना
(घ) कमरे को दो रंगों में रंगना
उत्तर – (ख) आपसी मतभेद
Class 8 Hindi Malhar Lesson 9 Aadami Ka Anupat Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न 1 – ‘आदमी का अनुपात’ कविता के अनुसार दो व्यक्ति कहाँ स्थित थे ?
(क) नगर में
(ख) घर में
(ग) पृथ्वी पर
(घ) देश में
उत्तर – (ख) घर में
प्रश्न 2 – “दो व्यक्ति कमरे में” पंक्ति क्या दर्शाती है?
(क) व्यक्ति की विशालता
(ख) व्यक्ति की भावना
(ग) व्यक्ति की स्थिरता
(घ) व्यक्ति की स्थिति और सीमितता
उत्तर – (घ) व्यक्ति की स्थिति और सीमितता
प्रश्न 3 – कविता में व्यक्ति की तुलना किससे की गई है ?
(क) विराट सृष्टि से
(ख) पृथ्वी से
(ग) घर से
(घ) कमरे से
उत्तर – (क) विराट सृष्टि से
प्रश्न 4 – ‘संख्यातीत शंख सी दीवारें’ किस बात को दर्शाती हैं?
(क) आदमी अपनी सीमाओं को स्वयं बनाता है
(ख) दूसरों से अलगाव की भावना को जन्म देती हैं
(ग) आदमी दीवारें खड़ी करता है जो अनगिनत और अनजानी होती हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – ‘अपने को दूजे का स्वामी बताता है’ से कवि क्या दिखाना चाहता है?
(क) आदमी का दूसरों के प्रति सहयोग को
(ख) आदमी के बड़पन को
(ग) आदमी के घमंड और अधीनता की प्रवृत्ति को
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) आदमी के घमंड और अधीनता की प्रवृत्ति को
प्रश्न 6 – ‘विराट’ शब्द का प्रयोग कविता में किसके लिए हुआ है?
(क) पूरी पृथ्वी के लिए
(ख) सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिए
(ग) मानव के लिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिए
प्रश्न 7 – ‘लाखों ब्रह्मांडों में’ से कवि क्या स्पष्ट करना चाहता है?
(क) आदमी की तुलना में पृथ्वी की विशालता को
(ख) आदमी की तुलना में कमरे की विशालता को
(ग) आदमी की तुलना में ब्रह्मांड की विशालता को
(घ) आदमी की तुलना में नक्षत्रों की विशालता को
उत्तर – (ग) आदमी की तुलना में ब्रह्मांड की विशालता को
प्रश्न 8 – आदमी इतने बड़े ब्रह्मांड में रहने के बावजूद ईर्ष्या, घृणा और संकुचित सोच में उलझा रहता है। यह उसकी किन प्रवृत्तियों को उजागर करता है?
(क) नकारात्मक प्रवृत्तियों को
(ख) सकारात्मक प्रवृत्तियों को
(ग) भावनात्मक प्रवृत्तियों को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) नकारात्मक प्रवृत्तियों को
प्रश्न 9 – “एक कमरे में दो दुनिया रचाता है” पंक्ति से कवि का क्या आशय है ?
(क) समझौता
(ख) मतभेद
(ग) सहयोग
(घ) सद्भाव
उत्तर – (ख) मतभेद
प्रश्न 10 – आकाश की परिधि में क्या समाए हुए हैं ?
(क) असंख्य तारे
(ख) असंख्य ग्रह
(ग) असंख्य ब्रह्मांड
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 11 – आकाश की परिधि में असंख्य तारे, ग्रह और ब्रह्मांड किसके प्रतीक है?
(क) विराटता
(ख) सूक्ष्मता
(ग) फैलाव
(घ) संकुचन
उत्तर – (क) विराटता
प्रश्न 12 – सूक्ष्म होते हुए भी आदमी क्या कोशिश करता है ?
(क) पृथ्वी पर अधिकार करने की
(ख) ब्रह्माण्ड को जानने की
(ग) दूसरों पर अधिकार जताने की
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) दूसरों पर अधिकार जताने की
प्रश्न 13 – दूसरों पर अधिकार जताने की कोशिश आदमी की सबसे बड़ी त्रुटि है जो ——————— का कारण बनती है?
(क) सफलता
(ख) विभाजन और संघर्ष
(ग) विशालता
(घ) सहयोग और सद्भाव
उत्तर – (ख) विभाजन और संघर्ष
प्रश्न 14 – ‘ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा’ कविता में क्या उजागर करती हैं?
(क) मानव-स्वभाव के नकारात्मक पक्ष को
(ख) मानव-स्वभाव के सकारात्मक पक्ष को
(ग) मानव-स्वभाव के भावनात्मक पक्ष को
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) मानव-स्वभाव के नकारात्मक पक्ष को
प्रश्न 15 – ‘हर ब्रह्मांड में कितनी ही पृथ्वियाँ’ कहकर कवि क्या संकेत देना चाहते हैं?
(क) संभावित अन्य पृथ्वियों की ओर
(ख) संभावित अन्य पृथ्वियों और जीवन के अस्तित्व की ओर
(ग) कि हम ब्रह्मांड के केवल एक छोटे से भाग हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 16 – आदमी खुद को सबसे बड़ा मानते हुए दूसरों पर अधिकार जताता है, जो उसकी सोच की ———— का प्रमाण है।
(क) महानता
(ख) उदारता
(ग) संकीर्णता
(घ) विशालता
उत्तर – (ग) संकीर्णता
प्रश्न 17 – कवि कविता में किसकी आलोचना करते हैं?
(क) मानव की
(ख) मानव स्वभाव की
(ग) मानव सोच की
(घ) मानव अधिकार की
उत्तर – (ख) मानव स्वभाव की
प्रश्न 18 – कविता क्रमशः कैसे अनुपात को दिखाती है?
(क) व्यक्ति से लेकर ब्रह्मांड तक के
(ख) घर से लेकर ब्रह्मांड तक के
(ग) कमरे से लेकर ब्रह्मांड तक के
(घ) नगर से लेकर ब्रह्मांड तक के
उत्तर – (क) व्यक्ति से लेकर ब्रह्मांड तक के
प्रश्न 19 – कविता का मुख्य संदेश क्या है?
(क) व्यक्ति की विशालता और उसका स्वभाव
(ख) व्यक्ति की सीमितता और उसका अहंकार
(ग) प्रेम और विराटता
(घ) व्यक्ति की उन्नति और उसकी सोच
उत्तर – (ख) व्यक्ति की सीमितता और उसका अहंकार
प्रश्न 20 – कविता के अंत ने कवि किस बात को उजागर करता है?
(क) कि आदमी ब्रह्माण्ड की विशालता को समझता है
(ख) कि आदमी एक ही कमरे, घर, नगर, प्रदेश, देश और पृथ्वी से अपने आप को विशाल समझता है
(ग) कि आदमी एक ही कमरे में दो दुनिया रचता है -अर्थात् आंतरिक द्वंद्व और संकीर्ण सोच को
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) कि आदमी एक ही कमरे में दो दुनिया रचता है -अर्थात् आंतरिक द्वंद्व और संकीर्ण सोच को
Aadami Ka Anupat Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1 – ‘आदमी का अनुपात’ कविता के आधार पर सूक्ष्म से विशाल किस क्रम में दर्शाया गया है?
उत्तर – चारों ओर से दीवारों से घिरा छायादार कक्ष एक घर का हिस्सा मात्र है, वह घर मोहल्ले अर्थात कस्बे का एक भाग है, मोहल्ला नगर अर्थात शहर में है, नगर प्रदेश अर्थात राज्य में है, प्रदेश देश में है और कई देश मिलकर एक पृथ्वी पर स्थित हैं। उपरोक्त पंक्तियों से पता चलता है कि मनुष्य इस विशाल दुनिया का बस एक बहुत छोटा सा हिस्सा मात्र है।
प्रश्न 2 – कविता में पृथ्वी के बारे में क्या बताया गया है?
उत्तर – कविता में बताया गया है कि आकाश में चमकने वाले अनगिनत तारों और ग्रहों में हमारी पृथ्वी बहुत छोटी सी है, परन्तु उन करोड़ों तारों और ग्रहों में केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जो सभी प्राणियों को अपने अंदर समेटे हुए हैं। यह पृथ्वी अंतरिक्ष में स्थित आकाशगंगा (नभ गंगा) के गोल घेरे का हिस्सा है, जिसमें अनगिनत तारे व् ग्रह हैं।
प्रश्न 3 – पृथ्वी के आलावा अंतरिक्ष में क्या है ?
उत्तर – पृथ्वी के अलावा, अंतरिक्ष में लाखों ब्रह्मांड हैं, और हर ब्रह्मांड की अपनी कई पृथ्वियाँ, भूमियाँ और सृष्टियाँ हैं।
प्रश्न 4 – कविता में मनुष्यों के कौन-कौन से अवगुणों का वर्णन किया गया है।
उत्तर – यह ब्रह्मांड मनुष्यों से बहुत विशाल है। इतने विशाल ब्रह्मांड में छोटा-सा होने के बावजूद भी मनुष्य के भीतर दूसरों की उपलब्धियों या खुशियों से जलन, अहंकार, स्वार्थ, नफरत और अविश्वास या संदेह भरे हुए हैं। वह अपने चारों ओर परत-दर-परत इस तरह दीवारें खड़ी करता जाता है, मानो वह अपने आप को दूसरों से अलग और बड़ा मानता है। वह खुद को दूसरों का मालिक समझता है।
प्रश्न 5 – ‘देशों की कौन कहे एक कमरे में दो दुनिया रचाता है’ पंक्ति से क्या आशय है ?
उत्तर – देशों के बीच तो दूरी सभी समझते ही है, पर एक छोटे से कमरे में रहने वाले दो मनुष्य भी अपनी-अपनी अलग दुनिया बना लेते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य अपने आप को दूसरे से अलग और बड़ा समझता है, जिस वजह से एक कमरे में रहने वाले दो व्यक्ति भी मिलझुल कर नहीं रह पाते।