चिड़िया पाठ सार

CBSE Class 7 Hindi Chapter 9 “Chidiya”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Malhar Book

 

चिड़िया सार – Here is the CBSE Class 7 Hindi Malhar Chapter 9 Chidiya Summary with detailed explanation of the lesson ‘Chidiya’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary

इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 7 हिंदी मल्हार के पाठ 9 चिड़िया पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप  इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 7 चिड़िया पाठ के बारे में जानते हैं।

 

Chidiya (चिड़िया)

 

लेखक: आरसी प्रसाद सिंह

 

कविता में कवि ने चिड़िया के माध्यम से एक बहुत ही अच्छा संदेश दिया है। चिड़िया प्रेम, मेल-जोल और स्वतंत्रता की शिक्षा देती है। वन में रहने वाले पक्षियों का घर पूरा आकाश है। वे मेहनत करते हैं, जितना ज़रूरी हो उतना ही लेते हैं और बाकी दूसरों के लिए छोड़ देते हैं। उनके मन में लालच, स्वार्थ अथवा दूसरों का हक छीनने की भावना नहीं होती। कवि के अनुसार, पक्षियों का यह सरल और संतुलित जीवन मनुष्य के लिए एक प्रेरणा है। चिड़िया हमें यही सिखाने आती है और गाकर उड़ जाती है, लेकिन उसके गीत में एक गहरी सीख छिपी होती है।

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चिड़िया पाठ सार Chidiya Summary

 

‘चिड़िया’ कविता में कवि ने चिड़िया के गाने के एक साधारण दृश्य को गहरे भावों से जोड़कर प्रस्तुत किया है। पीपल के पेड़ की ऊँची शाखा पर बैठी चिड़िया मधुर गीत गा रही है। जिसमें एक संदेश छिपा है। चिड़िया के इस गीत में प्यार और सौहार्द अर्थात स्नेह की सीख छिपी है। वह हमें जीवन जीने का सही तरीका सिखाती है। चिड़िया मोह-माया के बंधन में जकड़े हुए मानव को मुक्ति-मंत्र बताती है। कवि ने पक्षियों की जीवनशैली का भी सुंदर चित्रण किया है। जंगल में तरह-तरह के अनेक पक्षी एक साथ, प्रेमपूर्वक मिल-जुलकर रहते हैं। उनमें आपसी भाईचारा और सहयोग की भावना होती है। कवि पक्षियों के सरल, सादा और स्वतंत्र जीवन की सुंदर झलक दिखाते हैं। पक्षी जहाँ रहते हैं, वहाँ अपनी छोटी-सी खुशहाल और स्थायी दुनिया बसा लेते हैं। दिनभर मेहनत करके भोजन की तलाश करते हैं और रात में पेड़ों की डालियों पर सो जाते हैं। उनके मन में न लालच, न पाप की भावना और न कोई चिंता होती है। पक्षी संतोषपूर्ण और सादा जीवन जीते हैं। पक्षी केवल अपने श्रम से प्राप्त भोजन ही खाते हैं। यदि कुछ बच जाता है, तो वे उसे दूसरों के भले के लिए छोड़ देते हैं। बिना किसी डर के आकाश में घूमते रहते हैं। पक्षी ईमानदार और आदर्श जीवन जीने वाला प्राणी है। चिड़िया मनुष्य से आग्रह करती है कि वह उससे जीवन जीने का तरीका सीखे। वह अपने पैरों में सांसारिक बंधनों की जंजीरों अर्थात भौतिक सुखों, लोभ और बंधनों को तोड़ दे। वह इंसानियत से नफ़रत की भावना को त्याग दे। पीपल की डाली पर चिड़िया यही सुंदर और गहरा संदेश सुनाने आती है। क्षण भर के लिए बैठती है, गाना गा कर हैरान कर देने वाला सन्देश सुनाती है और फिर उड़ जाती है।

 

चिड़िया पाठ व्याख्या Chidiya Explanation

 

पीपल की ऊँची डाली पर
बैठी चिड़िया गाती है !
तुम्हें ज्ञात क्या अपनी
बोली में संदेश सुनाती है?
चिड़िया बैठी प्रेम-प्रीति की
रीति हमें सिखलाती है !
वह जग के बंदी मानव को
मुक्ति-मंत्र बतलाती है!

शब्दार्थ
डाली – पेड़ की शाखा
ज्ञात – जानकारी
प्रेम-प्रीति – प्यार और सौहार्द
रीति – ढंग, तरीका
जग – संसार
बंदी – कैदी
मुक्ति-मंत्र – स्वतंत्र होने का रास्ता, बंधन से छुटकारे की बात

व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने चिड़िया के गाने के एक साधारण दृश्य को गहरे भावों से जोड़कर प्रस्तुत किया है। कवि कहता है कि पीपल के पेड़ की ऊँची शाखा पर बैठी चिड़िया मधुर गीत गा रही है। कवि हमसे प्रश्न करते हैं कि क्या तुम चिड़िया के गीत को समझ पा रहे हो? उत्तर देते हुए कवि कहते हैं कि चिड़िया का यह गीत कोई साधारण गीत नहीं है, बल्कि इसमें एक संदेश छिपा है। चिड़िया के इस गीत में प्यार और सौहार्द अर्थात स्नेह की सीख छिपी है। वह हमें जीवन जीने का सही तरीका सिखाती है। कहने का आशय यह है कि चिड़िया हमें सिखाती है कि जीवन में प्रेम और शांति का मार्ग ही श्रेष्ठ है। चिड़िया एक स्वतंत्र पक्षी है। जिसमें लोभ या बंधन की कोई भावना नहीं है। इसी कारण चिड़िया मोह-माया के बंधन में जकड़े हुए मानव को मुक्ति-मंत्र बताती है। भाव यह है कि चिड़िया मानव को जीवन की असली स्वतंत्रता का रास्ता दिखाती है। सांसारिक बंधनों और इच्छाओं में जकड़े हुए मनुष्य को चिड़िया सिखाती है कि जीवन को सरल, प्रेमपूर्ण और बंधन मुक्त कैसे बनाया जा सकता है।

Chidiya Summary img 1

वन में जितने पंछी हैं, खंजन,
कपोत, चातक, कोकिल;
काक, हंस, शुक आदि वास
करते सब आपस में हिलमिल!
सब मिल-जुलकर रहते हैं वे,
सब मिल-जुलकर खाते हैं;
आसमान ही उनका घर है;
जहाँ चाहते, जाते हैं !

शब्दार्थ –
पंछी – पक्षी, चिड़िया
खंजन – एक प्रकार का सुंदर, छोटा पक्षी
कपोत – कबूतर
चातक – पपीहा
कोकिल – कोयल
काक – कौआ
हंस – एक सफेद, सुंदर और शांत पक्षी
शुक – तोता
वास – रहना, निवास करना
हिलमिल – प्रेम और सौहार्द से, मिल-जुलकर

व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने पक्षियों की जीवनशैली का सुंदर चित्रण किया है। कवि बताते हैं कि जंगल में तरह-तरह के अनेक पक्षी रहते हैं। जैसे- खंजन(एक छोटा पक्षी), कबूतर, पपीहा, कोयल, कौआ, हंस, तोता इत्यादि। वे सभी पक्षी एक साथ, प्रेमपूर्वक मिल-जुलकर रहते हैं। वे मिल-जुलकर रहते हैं और मिल-बाँटकर खाते हैं। कहने का आशय यह है कि उनमें आपसी भाईचारा और सहयोग की भावना होती है। पक्षियों का कोई सीमित घर नहीं होता, पूरा आसमान ही उनका घर होता है। जहाँ चाहें, बिना किसी रोक-टोक के उड़कर जा सकते हैं। भाव यह है कि वे पूरी तरह स्वतंत्र होते हैं।

रहते जहाँ, वहाँ वे अपनी,
दुनिया एक बसाते हैं;
दिन भर करते काम,
रात में पेड़ों पर सो जाते हैं!
उनके मन में लोभ नहीं है,
पाप नहीं परवाह नहीं;
जग का सारा माल हड़पकर,
जाने की भी चाह नहीं।

शब्दार्थ –
दुनिया एक बसाते हैं – अपने जीवन को सुखी और स्थिर बनाते हैं
लोभ – लालच
पाप – बुरे काम
परवाह – चिंता, फ़िक्र
माल – धन
हड़पकर – लूटकर
चाह नहीं – इच्छा नहीं

व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि पक्षियों के सरल, सादा और स्वतंत्र जीवन की सुंदर झलक दिखाते हैं। कवि कहते है कि पक्षी जहाँ रहते हैं, वहाँ अपनी छोटी-सी खुशहाल और स्थायी दुनिया बसा लेते हैं। दिनभर मेहनत करके भोजन की तलाश करते हैं और रात में पेड़ों की डालियों पर सो जाते हैं। उनके मन में न तो कोई लालच होता है, न कोई पाप की भावना और न ही किसी चीज़ की कोई चिंता होती है। उनके मन में संसार का सारा धन अकेले हड़पकर कहीं दूर चले जाने की भी कोई इच्छा नहीं होती। भाव यह है कि पक्षी संतोषपूर्ण और सादा जीवन जीते हैं। मानव को भी पक्षियों से सीख लेनी चाहिए और लालच छोड़ कर सादा और संतुलित जीवन जीना चाहिए।

Chidiya Summary img 2

जो मिलता है अपने श्रम से,
उतना भर ले लेते हैं;
बच जाता जो, औरों के
हित, उसे छोड़ वे देते है !
सीमा-हीन गगन में उड़ते,
निर्भर विचरण करते हैं;
नहीं कमाई से औरों की,
अपना घर वे भरते हैं !

शब्दार्थ –
श्रम – परिश्रम, मेहनत
हित – भला, भलाई
सीमा-हीन – बिना सीमा वाला, जिसकी कोई सीमा नहीं होती
गगन – आकाश
निर्भय – बिना भय के
विचरण – घूमना, उड़ना
कमाई – जो मेहनत से प्राप्त किया गया हो

व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि पक्षियों की संतोषपूर्ण और निःस्वार्थ जीवन शैली की प्रशंसा की है। कवि कहते हैं कि पक्षी केवल उतना ही लेते हैं, जितना वे अपनी मेहनत से इकठ्ठा करते हैं, कहने का आशय यह है कि पक्षी केवल अपने श्रम से प्राप्त भोजन ही खाते हैं। यदि कुछ बच जाता है, तो वे उसे दूसरों के भले के लिए छोड़ देते हैं, अपने पास नहीं रखते। पक्षी सीमाहीन आकाश में स्वतंत्रता से उड़ते हैं और बिना किसी डर के आकाश में घूमते रहते हैं। वे कभी भी किसी और की मेहनत से अपना घर नहीं भरते। भाव यह है कि पक्षी ईमानदार और आदर्श जीवन जीने वाला प्राणी है। जो हमें यह सीख देता हैं कि हमें भी पक्षियों से प्रेरणा लेकर ईमानदारी, परोपकार और संतोष के साथ जीवन जीना चाहिए।

Chidiya Summary img 3

वे कहते हैं, मानव! सीखो
तुम हमसे जीना जग में;
हम स्वच्छंद और क्यों तुमने
डाली है बेड़ी पग में?
तुम देखो हमको, फिर अपनी
सोने की कड़ियाँ तोड़ो;
ओ मानव! तुम मानवता से
द्रोह-भावना को छोड़ो !
पीपल की डाली पर चिड़िया
यही सुनाने आती है
बैठ घड़ी भर, हमें चकित कर,
गा-कर फिर उड़ जाती है।

शब्दार्थ –
जग – संसार
स्वच्छंद – स्वतंत्र, आज़ाद
बेड़ी – जंज़ीर
पग – पाँव, पैर
सोने की कड़ियाँ – सांसारिक बंधन, भौतिक लालच का प्रतीक
तोड़ो – मुक्त हो जाओ, आज़ाद हो जाओ
मानवता – इंसानियत, मानव प्रेम
द्रोह-भावना – द्वेष, नफ़रत की भावना
घड़ी भर – थोड़ी देर के लिए, क्षण भर के लिए
चकित – आश्चर्यचकित, हैरान

व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में चिड़िया मनुष्य से आग्रह करती है कि हमें देखो और हमसे जीवन जीने का तरीका सीखो। कवि कहते हैं कि चिड़िया मनुष्य को बताती है कि हे मानव! तुम संसार में हमसे जीवन जीना सीखो। हम स्वतंत्र हैं परन्तु तुमने क्यों अपने पैरों में सांसारिक बंधनों की जंजीरे बाँध रखी है। तुम हमें देखों और फिर अपनी सोने की कड़ियाँ अर्थात भौतिक सुखों, लोभ और बंधनों को तोड़ दो। चिड़िया मानव से कहती हैं कि हे मानव! तुम इंसानियत से नफ़रत की भावना को त्याग दो। पीपल की डाली पर चिड़िया हमें यही सुंदर और गहरा संदेश सुनाने आती है। क्षण भर के लिए बैठती है हमें गाना गा कर हैरान कर देने वाला सन्देश सुनाती है और फिर उड़ जाती है। भाव यह है कि चिड़िया गाकर यह सन्देश सुनाती है कि मानव को स्वाभाविक व् प्रेम और सहयोग में विश्वास रखते हुए जीवन जीना चाहिए। और मानवता के विरुद्ध मन में पनप रही द्वेष, हिंसा और स्वार्थ की भावना का परित्याग कर देना चाहिए। ये पंक्तियाँ हमें प्रकृति से सीखने को प्रेरित करती है और स्वतंत्रता, एवं मानवता की ओर लौटने की प्रेरणा देती हैं।

 

निष्कर्ष (Conclusion)

कविता में कवि ने चिड़िया के माध्यम से संदेश देने का प्रयास किया है। चिड़िया प्रेम, मेल-जोल और स्वतंत्रता की शिक्षा देती है। पक्षियों का सरल और संतुलित जीवन मनुष्य के लिए एक प्रेरणा है। चिड़िया हमें यही सिखाने आती है और गाकर उड़ जाती है, लेकिन उसके गीत में एक गहरी सीख छिपी होती है। इस लेख में पाठ प्रवेश, पाठ सार, शब्दार्थ सहित व्याख्या, प्रश्नोत्तर, अन्य प्रश्न, बहुविकल्पात्मक प्रश्न व् पठित पद्यांश दिए गए हैं। यह लेख विद्यार्थियों की परीक्षा हेतु अत्यधिक सहायक है।