हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान सार
CBSE Class 6 Hindi Chapter 12 “Hind Mahasagar Mein Chota Sa Hindustan”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Malhar Book
हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान सार – Here is the CBSE Class 6 Hindi Malhar Chapter 12 Hind Mahasagar Mein Chota Sa Hindustan Summary with detailed explanation of the lesson ‘Hind Mahasagar Mein Chota Sa Hindustan’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary
इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 6 हिंदी मल्हार के पाठ 12 हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 6 हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान पाठ के बारे में जानते हैं।
Hind Mahasagar Mein Chota Sa Hindustan
Ramdhari Singh Dinkar
‘हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान’ प्रसिद्ध लेखक रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा लिखा गया एक यात्रा वृत्तांत है। इसमें लेखक मॉरिशस की यात्रा के अनुभवों को साझा करते हैं। वे नैरोबी (केन्या) के नेशनल पार्क में शेरों को देखने के रोमांचक अनुभव से लेकर मॉरिशस की संस्कृति, भाषा, धर्म और सामाजिक जीवन का विस्तार से वर्णन करते हैं। लेखक बताते हैं कि मॉरिशस भारतीय मूल के लोगों से भरा हुआ एक ऐसा देश है, जहाँ भारतीय परंपराएँ, भाषा (विशेषकर हिंदी और भोजपुरी), और त्योहार सजीव रूप में देखे जा सकते हैं। वे मॉरिशस को एक ‘छोटा-सा हिंदुस्तान’ कहते हैं, क्योंकि वहाँ के भारतीयों ने अपनी संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं को संभालकर रखा है।
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हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान पाठ सार Hind Mahasagar Mein Chota Sa Hindustan Summary
यह पाठ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा लिखा गया एक यात्रा-वृत्तांत है, जिसमें लेखक अपनी मॉरिशस यात्रा के अनुभवों को बताते हैं। यह यात्रा 15 जुलाई को दिल्ली से शुरू होती है, 16 जुलाई को मुंबई से आगे बढ़ती है और 17 जुलाई को नैरोबी (केन्या) होते हुए मॉरिशस पहुँचती है।
लेखक अपनी यात्रा के दौरान नैरोबी के नेशनल पार्क का भी वर्णन करते हैं, जहाँ वे सिंहों (शेरों) को देखने जाते हैं। पार्क एक खुले जंगल की तरह है, जहाँ सड़कों पर गाड़ियाँ दौड़ती हैं और पर्यटक जानवरों को देखते हैं। शेरों की शान और उनका स्वभाव लेखक को बहुत प्रभावित करता है। वे शिकार की प्रक्रिया को भी समझने की कोशिश करते हैं, जब शेर एक झुंड में चर रहे हिरनों की ओर बढ़ते हैं। यह अनुभव लेखक के लिए रोमांचक और कभी न भूलने वाला बन जाता है।
इसके बाद लेखक मॉरिशस पहुँचते हैं, जिसे वे ‘हिंद महासागर का मोती’ और ‘भारत-समुद्र का सबसे खूबसूरत सितारा’ कहते हैं। मॉरिशस का क्षेत्रफल 720 वर्गमील है और यह एक कृषि-प्रधान द्वीप है, जहाँ गन्ने की खेती और चीनी उत्पादन प्रमुख उद्योग हैं। लेखक बताते हैं कि मॉरिशस की असली ताकत भारतीय मूल के लोग हैं, जिन्होंने इस द्वीप को बसाया और विकसित किया। मॉरिशस की कुल जनसंख्या का 67% भारतीय मूल के लोग हैं, जिनमें से 53% हिंदू हैं। यहाँ के शहरों और गलियों के नाम कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद, बंबई और काशी जैसे भारतीय शहरों के नाम पर रखे गए हैं।
मॉरिशस की भाषा और संस्कृति भी भारतीयता से गहराई से जुड़ी हुई है। वहाँ की राजभाषा अंग्रेज़ी है, लेकिन संस्कृति की भाषा फ्रेंच है। आम लोग क्रेयोल और भोजपुरी बोलते हैं। भोजपुरी का मॉरिशस में इतना अधिक प्रभाव है कि इसे वहाँ की दूसरी जनभाषा माना जाता है। हालाँकि, मॉरिशस की भोजपुरी में फ्रेंच शब्द मिले हुए हैं, जिससे इसे समझना थोड़ा कठिन हो सकता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से मॉरिशस भारतीय परंपराओं का पालन करता है। वहाँ के लगभग हर गाँव में शिवालय बने हुए हैं, और रामचरितमानस का पाठ बड़े भक्ति-भाव से किया जाता है। शिवरात्रि यहाँ का सबसे प्रमुख धार्मिक पर्व है, जिसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। शिवरात्रि के अवसर पर लोग सफ़ेद वस्त्र धारण करके काँवर यात्रा निकालते हैं और परी तालाब (एक प्रसिद्ध झील) से जल भरकर अपने गाँवों के शिवालयों में चढ़ाते हैं।
लेखक मॉरिशस के मंदिरों और धार्मिक स्थलों की स्वच्छता और सुंदरता से प्रभावित होते हैं और यह सुझाव देते हैं कि भारत के मंदिरों को भी इतना ही स्वच्छ और सुन्दर बनाया जाना चाहिए। वे इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि मॉरिशस में बसे भारतीयों ने अपने धर्म और संस्कृति को संभालकर रखा है और मॉरिशस को ‘छोटा-सा हिंदुस्तान’ बना दिया है।
हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान पाठ व्याख्या Hind Mahasagar Mein Chota Sa Hindustan Lesson Explanation
पाठ
यात्रा पर मैं दिल्ली से 15 जुलाई को, बंबई (मुंबई) से 16 जुलाई को और नैरोबी से 17 जुलाई को मॉरिशस के लिए रवाना हुआ। इधर से जाते समय नैरोबी (केन्या) की दुनिया में मुझे एक रात और दो दिन ठहरने का मौका मिल गया। अतएव मन में यह लोभ जग गया कि मॉरिशस के भारतीयों और अफ़्रीकियों से मिलने के पूर्व हमें अफ़्रीका के शेरों से मुलाकात कर लेनी चाहिए। जहाज़ (विमान) दूसरे दिन शाम को मिलने वाला था। अतएव, हम जिस दिन नैरोबी पहुंचे, उसी दिन नेशनल पार्क में घूमने को निकल गए।
शब्दार्थ-
रवाना हुआ – यात्रा के लिए निकला
लोभ – लालच
मौका – अवसर
मुलाकात – भेंट, मिलने की क्रिया
जहाज़ (विमान) – हवाई जहाज़
नेशनल पार्क – राष्ट्रीय उद्यान, जहाँ वन्यजीव संरक्षित होते हैं
व्याख्या- लेखक ने अपनी यात्रा 15 जुलाई को दिल्ली से शुरू की, 16 जुलाई को मुंबई पहुँचे, और 17 जुलाई को नैरोबी (केन्या) के लिए रवाना हुए। नैरोबी में दो दिन ठहरने का मौका मिलने पर उनके मन में अफ्रीका के शेरों को देखने की इच्छा जागी। उन्होंने सोचा कि मॉरिशस पहुँचने के बाद वहाँ के लोगों से तो मिलेंगे ही, लेकिन अफ्रीका के वन्य जीवन को देखने का अवसर फिर नहीं मिलेगा।
उनका विमान अगले दिन शाम को था, इसलिए उन्होंने नैरोबी पहुँचते ही उसी दिन नेशनल पार्क जाने का निर्णय लिया। यह पार्क कोई साधारण चिड़ियाघर नहीं, बल्कि एक विशाल जंगल था, जहाँ जानवर खुले में घूमते थे। अफ्रीका के जंगलों और शेरों को करीब से देखने की उत्सुकता में वे इस रोमांचक सफर के लिए निकल पड़े।
पाठ
नैरोबी का नेशनल पार्क चिड़ियाघर नहीं है। शहर से बाहर बहुत बड़ा जंगल है, जिसमें घास अधिक, पेड़ बहुत कम हैं। लेकिन जंगल में सर्वत्र अच्छी सड़कें बिछी हुई हैं और पर्यटकों की गाड़ियाँ उन पर दौड़ती ही रहती हैं। हमारी गाड़ी को भी काफ़ी देर तक दौड़ना पड़ा, मगर सिंह कहीं भी दिखाई नहीं पड़े। एक जगह सड़क पर दो मोटरें खड़ी थीं और उन पर तरह-तरह के बंदर और लंगूर चढ़े हुए थे। पर्यटक लोग इन बंदरों को कभी-कभी फल या बिस्कुट खाने को दे देते हैं। अतएव मोटर के रुकते ही बंदर उसे घेर लेते हैं।
शब्दार्थ-
चिड़ियाघर – पशु-पक्षियों को प्रदर्शनी के लिए रखा जाने वाला स्थल
पर्यटक – घूमने-फिरने वाले व्यक्ति, यात्री
सर्वत्र – चारों ओर, हर जगह
व्याख्या- इस अंश में नैरोबी के नेशनल पार्क के बारे में बताया गया है। नैरोबी का नेशनल पार्क कोई चिड़ियाघर नहीं, बल्कि शहर के बाहर फैला एक विशाल जंगल है, जहाँ घास अधिक और पेड़ बहुत कम हैं। इस जंगल में अच्छी सड़कें बनी हुई हैं, जिन पर पर्यटकों की गाड़ियाँ लगातार चलती रहती हैं। यह पार्क वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक घरों में देखने का एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है।
लेखक की गाड़ी भी काफी देर तक घूमती रही, लेकिन शेर कहीं नजर नहीं आए। रास्ते में उन्होंने दो गाड़ियाँ खड़ी देखीं, जिन पर कई बंदर और लंगूर चढ़े हुए थे। पर्यटक अक्सर इन्हें फल या बिस्कुट खिलाते, इसलिए गाड़ी रुकते ही बंदर उसे घेर लेते । वे पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की हरकतें कर रहे थे।
पाठ
बड़ी दूरी तय करने के बाद या यों कहिए कि दस-बीस मील के भीतर हर सड़क छान लेने के बाद, हम उस जगह जा पहुँचे, जहाँ सिंह उस दिन आराम कर रहे थे। वहाँ जो कुछ देखा, वह जन्मभर कभी नहीं भूलेगा। कोई सात-आठ सिंह लेटे या सोए हुए थे और उन्हें घेरकर आठ-दस मोटरें खड़ी थीं। तुर्रा यह कि सिंहों को यह जानने की कोई इच्छा ही नहीं थी कि हमें देखने को आने वाले लोग कौन हैं? मोटरों और शीशे चढ़ाकर उनके भीतर बैठे लोगों की ओर सिंहों ने कभी भी दृष्टिपात नहीं किया, मानो हम लोग तुच्छातितुच्छ हों और उनकी नज़र में आने के योग्य बिल्कुल नहीं हों। हम लोग वहाँ आधा घंटा ठहरे होंगे। इस बीच एक सिंह ने उठकर जम्हाई ली, दूसरे ने देह को ताना, मगर हमारी ओर किसी भी सिंह ने नज़र नहीं उठाई। हम लोग पेड़-पौधे और खरपात से भी बदतर समझे गए।
शब्दार्थ-
तुर्रा यह कि – आश्चर्य की बात यह कि
दृष्टिपात – देखना, निगाह डालना
तुच्छातितुच्छ – अत्यंत नीच
जम्हाई – मुँह खोलकर आलस्य में साँस लेना
देह को तानना – शरीर को खींचना या फैलाना
खरपात – अनावश्यक और छोटे पौधे
बदतर – बुरा
व्याख्या– लेखक बताते हैं कि काफी लंबी दूरी तय करने और जंगल की लगभग हर सड़क छान मारने के बाद, आखिरकार वे उस स्थान पर पहुँचे, जहाँ उस दिन शेर आराम कर रहे थे। वहाँ का नज़ारा ऐसा था, जिसे जीवनभर भुलाना संभव नहीं। करीब सात-आठ शेर ज़मीन पर लेटे या सोए हुए थे और उनके चारों ओर आठ-दस गाड़ियाँ खड़ी थीं।
मजेदार बात यह थी कि शेरों को इस बात में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी कि उन्हें देखने के लिए लोग इतनी दूर से आए हैं। मोटरों में बैठे लोग उत्सुकता से उन्हें निहार रहे थे, लेकिन शेरों ने एक बार भी लेखक की ओर देखा तक नहीं। ऐसा लगा मानो लेखक उनके लिए बिल्कुल तुच्छ हैं, उनकी दुनिया में लोगों की कोई अहमियत ही नहीं।
लेखक और उनके साथी वहाँ लगभग आधे घंटे तक रुके। इस दौरान एक शेर धीरे-से उठा और जम्हाई ली, दूसरे ने शरीर को ताना, लेकिन उनकी ओर किसी ने आँख उठाकर भी नहीं देखा। लेखक को ऐसा लगा जैसे वह जंगल के पेड़-पौधों या सूखे खरपतवार से भी कम महत्वपूर्ण हैं। शेरों की यह बेपरवाही और उनका राजसी ठाठ लेखक को चकित कर देने वाला अनुभव दे गया।
पाठ
इतने में कोई मील-भर की दूरी पर हिरनों का एक झुंड दिखाई पड़ा, जिनके बीच एक जिराफ बिल्कुल बेवकूफ की तरह खड़ा था। अब दो जवान सिंह उठे और दो ओर चल दिए। एक तो थोड़ा-सा आगे बढ़कर एक जगह बैठ गया, लेकिन दूसरा घास के बीच छिपता हुआ मोर्चे पर आगे बढ़ने लगा।
हिरनों के झुंड ने ताड़ लिया कि उन पर सिंहों की नज़र पड़ रही है। अतएव वे चरना भूल कर चौकन्ने हो उठे। फिर ऐसा हुआ कि झुंड से छूटकर कुछ हिरन एक तरफ़ को भाग निकले, मगर बाकी जहाँ-के-तहाँ ठिठके खड़े रहे। बाकी हिरन ठिठके हुए इसलिए खड़े थे कि सिंह उन्हें देख रहे थे और सहज प्रवृत्ति हिरनों को यह समझा रही थी कि खतरा किसी भी तरफ़ भागने में हो सकता है। शिकार सिंह सूर्यास्त के बाद किया करते हैं और शिकार वे झुंड का नहीं करते, बल्कि उस जानवर का करते हैं जो भागते हुए झुंड से पिछड़ जाता है। अब यह बात समझ में आई कि हिरन भागने को निरापद नहीं समझकर एक गोल में क्यों खड़े थे।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरा रक्तचाप बढ़ रहा है। अतएव मैंने तय कर लिया कि अब घर लौटना चाहिए।
शब्दार्थ-
मील-भर की दूरी – लगभग 1.609344 किलोमीटर की दूरी
झुंड – समूह, टोली
मोर्चे पर आगे बढ़ना – छिपते हुए शिकार की ओर बढ़ना
ताड़ लिया – भाँप लिया, समझ लिया
चरना – घास खाना
चौकन्ने हो उठे – सतर्क हो गए
ठिठकना – रुक जाना, झिझकना
सहज प्रवृत्ति – प्राकृतिक स्वभाव, नैसर्गिक आदत
खतरा – जोखिम, भय
निरापद – सुरक्षित
सूर्यास्त – सूरज का डूबना, शाम का समय
रक्तचाप – रक्त (खून) का दबाव
तय कर लिया – निश्चय कर लिया
व्याख्या- इस अंश में लेखक बताते हैं कि तभी करीब एक मील दूर हिरनों का एक झुंड दिखाई दिया, और उनके बीच एक जिराफ़ बिल्कुल अनाड़ी की तरह खड़ा था। तभी दो युवा शेर उठे और अलग-अलग दिशाओं में चल दिए। एक थोड़ी दूर जाकर बैठ गया, लेकिन दूसरा धीरे-धीरे घास में छिपता हुआ आगे बढ़ने लगा, मानो अपने शिकार की तैयारी कर रहा हो।
हिरनों ने तुरंत यह भांप लिया कि वे शेरों की नज़र में आ चुके हैं। अचानक वे सतर्क हो गए और चरना भूलकर चौकन्ने होकर खड़े हो गए। फिर कुछ हिरन झुंड से अलग होकर भाग खड़े हुए, लेकिन बाकी ज्यों-के-त्यों खड़े रहे। यह देखकर थोड़ा अजीब लगा, लेकिन फिर समझ में आया कि वे डर के कारण एक समूह में खड़े थे। अक्सर, शेर हमेशा सूरज डूबने के बाद शिकार करते हैं और वे पूरे झुंड पर हमला नहीं करते, बल्कि उस जानवर को निशाना बनाते हैं, जो भागते हुए सबसे पीछे छूट जाता है। यही कारण था कि हिरनों का झुंड हिलने की बजाय एक गोल में खड़ा था, ताकि कोई अकेला न पड़े और शेरों का निशाना न बने।
यह पूरा दृश्य लेखक के लिए बेहद रोमांचक था, लेकिन साथ ही दिल की धड़कन भी तेज हो गई। लेखक को लगा कि उनका रक्तचाप बढ़ रहा है। शिकार के इस अद्भुत नज़ारे को देखकर लेखक के अंदर उत्साह और भय का मिला-जुला अहसास था। आखिरकार, लेखक ने तय किया कि अब लौट जाना चाहिए, क्योंकि यह अनुभव जितना रोमांचक था, उतना ही डरावना भी।
पाठ
नैरोबी से मॉरिशस तक हम बी.ओ.ए.सी. के जहाज़ में उड़े। जहाज़ नैरोबी से चार बजे शाम को उड़ा और पाँच घंटों की निरंतर उड़ान के बाद जब वह मॉरिशस पहुँचा, तब वहाँ रात के लगभग दस बज रहे थे। रात थी, अँधेरा था, पानी बरस रहा था। मगर तब भी हमारे स्वागत में बहुत लोग खड़े थे। हवाई अड्डे के स्वागत का समाँ देखकर यह भाव जगे बिना नहीं रहा कि हम जहाँ आए हैं, वह छोटे पैमाने पर भारत ही है।
मॉरिशस द्वीप भूमध्य रेखा से कोई बीस डिग्री दक्खिन और देशांतर रेखा 60 के बिल्कुल पास, किंतु उससे पच्छिम की ओर बसा हुआ है। मॉरिशस की लंबाई 29 मील और चौड़ाई कोई 30 मील है। वैसे पूरे मॉरिशस द्वीप का रकबा 720 वर्गमील आँका जाता है। यह द्वीप हिंद महासागर का मोती है, भारत-समुद्र का सबसे खूबसूरत सितारा है।
शब्दार्थ-
बी.ओ.ए.सी. – ब्रिटिश ओवरसीज एयरवेज कॉरपोरेशन, एक विमान सेवा
निरंतर उड़ान – बिना रुके लगातार यात्रा
स्वागत का समाँ – स्वागत का दृश्य या माहौल
भाव – एहसास
छोटे पैमाने पर भारत – भारत की तरह ही किंतु छोटे रूप में
भूमध्य रेखा – पृथ्वी के मध्य में स्थित काल्पनिक रेखा
देशांतर रेखा – पूर्व-पश्चिम दिशा में खींची गई काल्पनिक रेखाएँ
दक्खिन – दक्षिण दिशा
पच्छिम – पश्चिम दिशा
रकबा – क्षेत्रफल
हिंद महासागर का मोती – बहुत सुंदर द्वीप
भारत-समुद्र का सितारा – हिंद महासागर का सबसे सुंदर स्थान
व्याख्या- उन्होंने नैरोबी से मॉरिशस की यात्रा बी.ओ.ए.सी. के विमान से की। जहाज़ शाम चार बजे नैरोबी से उड़ा और पाँच घंटे लगातार उड़ने के बाद रात करीब दस बजे मॉरिशस पहुँचा। वहाँ घना अंधेरा था, बारिश हो रही थी, लेकिन इसके बावजूद हवाई अड्डे पर स्वागत के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। यह देखकर लेखक को ऐसा लगा मानो कि वह भारत के ही किसी छोटे से हिस्से में आ गए हों।
मॉरिशस एक छोटा लेकिन सुंदर द्वीप है, जो भूमध्य रेखा से लगभग 20 डिग्री दक्षिण और 60 डिग्री देशांतर के पास, किंतु थोड़ा पश्चिम की ओर स्थित है। इसकी लंबाई 29 मील और चौड़ाई लगभग 30 मील है, जबकि पूरा क्षेत्रफल 720 वर्ग मील के आसपास है। मॉरिशस को हिंद महासागर का मोती और भारत-समुद्र का सबसे चमकता सितारा कहा जाता है। यह द्वीप प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है और अपनी अनोखी भौगोलिक स्थिति के कारण बेहद खास माना जाता है।
पाठ
मॉरिशस वह देश है, जिसका कोई भी हिस्सा समुद्र से पंद्रह मील से ज्यादा दूर नहीं है। मॉरिशस वह देश है, जहाँ की जनसंख्या के 67 प्रतिशत लोग भारतीय खानदान के हैं तथा जहाँ 53 प्रतिशत लोग हिंदू हैं। मॉरिशस वह देश है, जिसकी राजधानी पोर्टलुई की गलियों के नाम कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद और बम्बई हैं तथा जिसके एक पूरे मोहल्ले का नाम काशी है। मॉरिशस वह देश है, जहाँ बनारस भी है, गोकुल भी है और ब्रह्मस्थान भी। मॉरिशस वह देश है, जहाँ माध्यमिक स्कूलों को कॉलेज कहने का रिवाज़ है।
शब्दार्थ-
खानदान – वंश, परिवार की पीढ़ी
राजधानी – मुख्य शहर जहाँ सरकार स्थित होती है
पोर्टलुई – मॉरिशस की राजधानी
मोहल्ला – नगर या शहर का एक भाग, कॉलोनी
रिवाज़ – परंपरा, प्रथा
माध्यमिक स्कूल – हाई स्कूल स्तर का विद्यालय
कॉलेज कहने का रिवाज़ – परंपरा कि स्कूलों को कॉलेज कहा जाता है
व्याख्या- मॉरिशस एक ऐसा देश है, जिसका कोई भी हिस्सा समुद्र से पंद्रह मील से ज्यादा दूर नहीं है। यह देश भारतीय संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। यहाँ की 67% आबादी भारतीय मूल की है, जिसमें से 53% हिंदू हैं।
इस देश की राजधानी पोर्टलुई की गलियों के नाम भारतीय शहरों जैसे कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद और बंबई के नाम पर रखे गए हैं। यहाँ एक पूरा मोहल्ला ‘काशी’ के नाम से जाना जाता है, और बनारस, गोकुल तथा ब्रह्मस्थान जैसे नाम भी देखने को मिलते हैं।
मॉरिशस की शिक्षा प्रणाली भी खास है। यहाँ माध्यमिक स्कूलों को ‘कॉलेज’ कहा जाता है, जो इस देश की ख़ास परंपराओं में से एक है। मॉरिशस केवल भौगोलिक रूप से ही भारत से दूर है, लेकिन सांस्कृतिक रूप से यह भारत का ही एक हिस्सा जैसा लगता है।

पाठ
चूँकि मॉरिशस के हिंदुओं में से अधिकांश बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग हैं, इसलिए हिंदी का मॉरिशस में व्यापक प्रचार है। मॉरिशस की राजभाषा अंग्रेजी, किंतु संस्कृति की भाषा फ्रेंच है। मगर जनता वहाँ क्रेयोल बोलती है। क्रेयोल का फ्रेंच से वही संबंध है, जो संबंध भोजपुरी का हिंदी से है। और क्रेयोल के बाद मॉरिशस की दूसरी जनभाषा भोजपुरी को ही मानना पड़ेगा। प्रायः सभी भारतीय भोजपुरी बोलते अथवा उसे समझ लेते हैं। यहाँ तक कि भारतीयों के पड़ोस में रहने वाले चीनी भी भोजपुरी बखूबी बोल लेते हैं। किंतु, मॉरिशस की भोजपुरी शाहाबाद या सारन की भोजपुरी नहीं है। उसमें फ्रेंच के इतने संज्ञापद घुस गए हैं कि आपको बार-बार शब्दों के अर्थ पूछने पड़ेंगे।
शब्दार्थ-
विस्तृत प्रचार – व्यापक प्रसार, अधिक प्रचलन
राजभाषा – आधिकारिक भाषा
क्रेयोल – फ्रेंच से विकसित एक स्थानीय भाषा
प्रायः – अक्सर
बखूबी – अच्छी तरह से
शाहाबाद, सारन – बिहार के ज़िले, जहाँ शुद्ध भोजपुरी बोली जाती है
संज्ञापद – संज्ञा शब्द
व्याख्या- मॉरिशस के हिंदुओं में ज्यादातर लोग बिहार और उत्तर प्रदेश से हैं, इसलिए वहाँ हिंदी का अच्छा प्रचार है। हालाँकि, मॉरिशस की राजभाषा अंग्रेजी है, लेकिन संस्कृति की भाषा फ्रेंच मानी जाती है। आम लोग ज्यादातर क्रेयोल भाषा बोलते हैं, जो फ्रेंच से बनी हुई एक बोली है। इसका फ्रेंच से वही संबंध है, जो भोजपुरी का हिंदी से है।
क्रेयोल के बाद, मॉरिशस में दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा भोजपुरी है। लगभग सभी भारतीय मूल के लोग भोजपुरी बोलते या समझते हैं। इतना ही नहीं, भारतीयों के पड़ोस में रहने वाले चीनी लोग भी अच्छी भोजपुरी बोल लेते हैं। लेकिन, मॉरिशस की भोजपुरी भारत की शाहाबाद या सारन की भोजपुरी जैसी नहीं है। इसमें फ्रेंच के इतने ज्यादा शब्द मिल गए हैं कि कई बार शब्दों के अर्थ समझने के लिए पूछना पड़ता है।
पाठ
मॉरिशस में ऊख की खेती और उसके व्यवसाय को जो सफलता मिली है, भारतीयों के कारण मिली है। मॉरिशस की असली ताकत भारतीय लोग ही हैं। सारा मॉरिशस कृषि-प्रधान द्वीप है, क्योंकि चीनी वहाँ का प्रमुख अथवा एकमात्र उद्योग है। किंतु भारतीय वंश के लोग यदि इस टापू में नहीं गए होते, तो ऊख की खेती असंभव हो जाती और चीनी के कारखाने बढ़ते ही नहीं।
भारत में बैठे-बैठे हम यह नहीं समझ पाते कि भारतीय संस्कृति कितनी प्राणवती और चिरायु है। किंतु, मॉरिशस जाकर हम अपनी संस्कृति की प्राणवत्ता का ज्ञान आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। मालिकों की इच्छा तो यही थी कि भारतीय लोग भी क्रिस्तान हो जाएँ किंतु भारतीयों ने अत्याचार तो सहे, लेकिन प्रलोभनों को ठुकरा दिया। वे अपने धर्म पर डटे रहे और जिस द्वीप में भगवान ने उन्हें भेज दिया था, उस द्वीप को उन्होंने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला। यह ऐसी सफलता की बात है, जिस पर सभी भारतीयों को गर्व होना चाहिए।
शब्दार्थ-
ऊख – गन्ना
व्यवसाय – व्यापार, धंधा
कृषि-प्रधान – कृषि आधारित, खेती पर निर्भर
प्रमुख – मुख्य, सबसे महत्वपूर्ण
टापू – द्वीप, समुद्र से घिरा हुआ भूभाग
असंभव – जो संभव न हो, कठिन
कारखाने – फैक्ट्री, मिल
प्राणवती – जीवंत, ऊर्जा से भरी
चिरायु – लम्बे समय तक जीवित रहने वाली
प्राणवत्ता – जीवंतता, सजीवता
क्रिस्तान – ईसाई धर्म अपनाने वाले
अत्याचार – अन्याय
प्रलोभन – लालच
ठुकराना – अस्वीकार करना, मना करना
गर्व – सम्मान, अभिमान
व्याख्या- मॉरिशस में गन्ने (ऊख) की खेती और उसके व्यवसाय को जो सफलता मिली है, भारतीयों के कारण मिली है। मॉरिशस की असली ताकत भारतीय लोग ही हैं। सारा मॉरिशस कृषि-प्रधान द्वीप है, क्योंकि चीनी वहाँ का प्रमुख अथवा एकमात्र उद्योग है। किंतु भारतीय वंश के लोग यदि इस टापू में नहीं गए होते, तो ऊख की खेती असंभव हो जाती और चीनी के कारखाने बढ़ते ही नहीं। भारतीयों की मेहनत और लगन ने मॉरिशस की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया और इसे एक समृद्ध देश में बदलने में अहम भूमिका निभाई।
भारत में बैठे-बैठे हम यह नहीं समझ पाते कि भारतीय संस्कृति कितनी प्राणवती और लम्बी आयु वाली है। किंतु, मॉरिशस जाकर हम अपनी संस्कृति की प्राणवत्ता का ज्ञान आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। मालिकों की इच्छा तो यही थी कि भारतीय लोग भी क्रिस्तान हो जाएँ, किंतु भारतीयों ने अत्याचार तो सहे, लेकिन लालच को ठुकरा दिया। वे अपने धर्म पर डटे रहे और जिस द्वीप में भगवान ने उन्हें भेज दिया था, उस द्वीप को उन्होंने छोटा-सा हिंदुस्तान बना डाला। यहाँ के मंदिर, त्यौहार और परंपराएँ भारतीय मूल्यों को सजीव बनाए रखती हैं। यह ऐसी सफलता की बात है, जिस पर सभी भारतीयों को गर्व होना चाहिए।

पाठ
मॉरिशस के प्रत्येक प्रमुख ग्राम में शिवालय होता है। मॉरिशस के प्रत्येक प्रमुख ग्राम में हिंदू तुलसीकृत रामायण (रामचरितमानस) का पाठ करते हैं अथवा ढोलक और झाँझ पर उसका गायन करते हैं। मॉरिशस के मंदिरों और शिवालयों को मैंने अत्यन्त स्वच्छ और सुरम्य पाया। कितना अच्छा हो, यदि हम भारत में भी अपने मंदिरों और तीर्थ स्थानों को उतना ही स्वच्छ और सुरम्य बनाना आरंभ कर दें, जितने स्वच्छ वे मॉरिशस में दिखाई देते हैं।
भारत के पर्व-त्योहार मॉरिशस में भी प्रचलित हैं। किंतु वर्ष का सर्वश्रेष्ठ धार्मिक पर्व शिवरात्रि है। मॉरिशस के मध्य में एक झील है, जिसका संबंध हिंदुओं ने परियों से बिठा दिया है और उस झील का नाम अब परी-तालाब हो गया है। परी-तालाब केवल तीर्थ ही नहीं, दृश्य से भी पिकनिक का स्थान है। किंतु, वहाँ पिकनिक पर जाने वाले लोग अपने साथ माँस-मछली नहीं ले जाते, न अपवित्रता का वहाँ कोई व्यापार करते हैं।
शब्दार्थ-
प्रत्येक – हर एक
प्रमुख ग्राम – मुख्य गाँव
शिवालय – शिव मंदिर
तुलसीकृत रामायण – गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस
पाठ – ग्रंथ का वाचन
झाँझ – एक प्रकार का वाद्य यंत्र
सुरम्य – सुंदर, रमणीय
तीर्थ स्थान – धार्मिक स्थल
प्रचलित – प्रचलन में, प्रायः मनाया जाने वाला
सर्वश्रेष्ठ – सबसे उत्तम, श्रेष्ठतम
शिवरात्रि – भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख हिंदू त्योहार
झील – तालाब, जलाशय
पिकनिक का स्थान – घूमने और आनंद लेने का स्थल
अपवित्रता – अशुद्धता, धर्म-विरुद्ध आचरण
व्यापार – गतिविधि, कार्य
व्याख्या- मॉरिशस के सारे प्रमुख गाँव में शिवालय होता है, जहाँ श्रद्धालु नियमित रूप से पूजा-अर्चना करते हैं। यहाँ हिंदू समुदाय तुलसीदास जी की रामायण (रामचरितमानस) का पाठ करता है या फिर ढोलक और झाँझ के साथ उसका मधुर गायन करता है। मॉरिशस के मंदिर और शिवालय न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि वे बहुत ही स्वच्छ और सुन्दर भी हैं। कितना अच्छा हो यदि हम भारत में भी अपने मंदिरों और तीर्थ स्थानों को उतना ही स्वच्छ और सुंदर बनाने का सोचें, जितने स्वच्छ वे मॉरिशस में दिखाई देते हैं। भारतीय संस्कृति की यह भावना वहाँ के वातावरण में सहज रूप से झलकती है।
भारत के पर्व-त्योहार मॉरिशस में भी उसी उत्साह और भक्ति के साथ मनाए जाते हैं। किंतु वहाँ वर्ष का सर्वश्रेष्ठ धार्मिक पर्व महाशिवरात्रि है, जिसे अपार श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मॉरिशस के मध्य में एक सुंदर झील है, जिसे वहाँ के हिंदुओं ने परियों से जोड़कर ‘परी-तालाब’ नाम दिया है। परी-तालाब न केवल एक पवित्र तीर्थस्थल है, बल्कि अपने मनोरम दृश्यों के कारण यह एक आकर्षक पिकनिक स्थल भी बन गया है। किंतु यहाँ आने वाले लोग माँस-मछली लेकर नहीं आते, न ही किसी प्रकार की अपवित्रता या अनुचित आचरण करते हैं। यह स्थान पवित्रता और आध्यात्मिक शांति का प्रतीक बना हुआ है।
पाठ
शिवरात्रि के समय सारे मॉरिशस के हिंदू श्वेत वस्त्र धारण करके कंधों पर काँवर लिए जुलूस बाधँकर परी तालाब पर आते हैं और परी-तालाब का जल भरकर अपने-अपने गाँव के शिवालय को लौट जाते हैं तथा शिवजी को जल चढ़ाकर अपने घरों में प्रवेश करते हैं। ये सारे कृत्य वे बड़ी ही भक्ति-भावना और पवित्रता से करते हैं। सभी वयस्क लोग उस दिन उजली धोती, उजली कमीज़ और उजली गांधी टोपी पहनते हैं। हाँ, बच्चे हाफ पैंट पहन सकते हैं, लेकिन गाँधी टोपी उस दिन उन्हें भी पहननी पड़ती है। परी-तालाब पर लगने वाला यह मेला मॉरिशस के प्रमुख आकर्षणों में से एक है और उसे देखने को अन्य धर्मों के लोग भी काफ़ी संख्या में आते हैं।
शब्दार्थ-
श्वेत वस्त्र – सफेद कपड़े
धारण करना – पहनना, अपनाना
काँवर – कंधे पर रखकर जल या प्रसाद ले जाने के लिए लकड़ी का ढाँचा
जुलूस बाँधकर – समूह में एकत्र होकर यात्रा करना
भक्ति-भावना – श्रद्धा और समर्पण की भावना
पवित्रता – शुद्धता, धार्मिक शुद्धता
वयस्क – बड़े लोग
गाँधी टोपी – महात्मा गाँधी के नाम पर प्रसिद्ध सफेद टोपी
मेला – धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव
प्रमुख आकर्षण – मुख्य देखने योग्य चीज
अन्य धर्मों के लोग – विभिन्न समुदायों के व्यक्ति
व्याख्या- शिवरात्रि के समय पूरे मॉरिशस के हिंदू श्रद्धालु श्वेत वस्त्र धारण कर, कंधों पर काँवर उठाए, भक्ति-भाव से जुलूस निकालते हुए परी-तालाब की ओर प्रस्थान करते हैं। वहाँ से वे तालाब का पवित्र जल भरकर अपने-अपने गाँव के शिवालय लौटते हैं और शिवजी को जल अर्पित करने के बाद ही अपने घरों में प्रवेश करते हैं। इन सभी धार्मिक कार्यों को वे बहुत ही श्रद्धा और पवित्रता के साथ पूरा करते हैं।
इस दिन बड़े पुरुष उजली धोती, उजली कमीज़ और उजली गांधी टोपी पहनते हैं, जबकि बच्चे हाफ पैंट पहन सकते हैं, किंतु गांधी टोपी पहनना उनके लिए भी अनिवार्य होता है। परी-तालाब पर लगने वाला यह मेला मॉरिशस के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए न केवल हिंदू श्रद्धालु, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़ी संख्या में वहाँ इकट्ठे होते हैं। इस पर्व का वातावरण आध्यात्मिकता, सौहार्द और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
Conclusion
इस पोस्ट में हमने ‘हिंद महासागर में छोटा-सा हिंदुस्तान’ नामक पाठ का सारांश, पाठ व्याख्या और शब्दार्थ को विस्तार से समझा। यह पाठ मल्हार पुस्तक में शामिल है और कक्षा 6 हिंदी के पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण भाग है।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा लिखित इस पाठ में लेखक ने अपने नैरोबी और मॉरिशस की यात्रा के अनुभवों का वर्णन किया है। यह पाठ बताता है कि भारतीय संस्कृति कितनी सजीव और सशक्त है, चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो।
इस पोस्ट को पढ़कर विद्यार्थी न केवल पाठ को बेहतर समझ सकेंगे, बल्कि इससे उन्हें परीक्षा में सटीक उत्तर लिखने और महत्वपूर्ण बिंदुओं को याद रखने में भी सहायता मिलेगी।