मैया मैं नहिं माखन खायो पाठ सार
CBSE Class 6 Hindi Chapter 9 “Maiya Main Nahin Makhan Khayo”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Malhar Book
मैया मैं नहिं माखन खायो सार – Here is the CBSE Class 6 Hindi Malhar Chapter 9 Maiya Main Nahin Makhan Khayo Summary with detailed explanation of the lesson ‘Maiya Main Nahin Makhan Khayo’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary
इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 6 हिंदी मल्हार के पाठ 9 मैया मैं नहिं माखन खायो पाठ सार, पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 6 मैया मैं नहिं माखन खायो पाठ के बारे में जानते हैं।
Maiya Main Nahin Makhan Khayo
प्रस्तुत पद कवि सूरदास द्वारा रचित है। सूरदास ने इस पद में बाल कृष्ण की लीलाओं का मार्मिक चित्रण किया है। यह पद श्री कृष्ण द्वारा माखन-चोरी करने व् अपने आपको निर्दोष बताने से संबंधित है। जब कृष्ण माखन खाते हुए पकड़े जाते हैं तो वे अपनी माता यशोदा को सफाई देने लगते हैं कि उन्होंने मक्खन नहीं खाया। कृष्ण के बालसुलभ नटखट स्वभाव और मासूमियत को माता यशोदा अच्छे से समझती है। कविता में वात्सल्य रस का प्रयोग अत्यंत सुंदर तरीके से किया गया है।
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मैया मैं नहिं माखन खायो पाठ सार – Maiya Main Nahin Makhan Khayo Summary
‘मैया मैं नहिं माखन खायो’ कविता में कवि सूरदास जी ने श्री कृष्ण और माता यशोदा के उस वार्तालाप के अंश का वर्णन किया है जहाँ श्री कृष्ण अपनी नटखट बातों से माता यशोदा को मनाने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने मक्खन नहीं खाया है। श्रीकृष्ण कई तर्क देते हैं जैसे – वे सुबह होते ही गौओं के पीछे चले जाते हैं और शाम होने पर ही घर आते हैं। उनके छोटे-छोटे हाथ अथवा बाँह हैं वे कैसे छीको अर्थात दही या मक्खन रखने का बर्तन को प्राप्त कर सकते हैं। श्री कृष्ण अपने ग्वाल मित्रों पर ही आरोप लगा देते हैं कि असल में वे ग्वाल मित्र ही उनके मुँह पर जबरदस्ती मक्खन लगा देते हैं, जिसके कारण माता यशोदा को यह भ्र्म हो जाता है कि कृष्ण ने मक्खन खाया है। श्री कृष्ण माँ यशोदा को अपनी बातों में लाने के लिए उनकी तरफदारी करने लगते हैं कि वे बहुत भोली हैं जो किसी की भी बातों पर विश्वास कर लेती हैं। जो लाठी और छोटा कम्बल माँ यशोदा ने कृष्ण को गौ चराने व् ठण्ड से बचने को दिया था उसे वे वापिस करते हुए कहते हैं कि इन्हें वापिस ले लो क्योंकि इनकी वजह से उन्हें वन में गौ चराने जाना पड़ा। सूरदास जी कहते हैं ऐसी नटखट बातों को सुनकर यशोदा माँ को कृष्ण पर प्रेम उमड़ पड़ता है और वे श्रीकृष्ण को अपने हृदय से लगा लेती हैं।
मैया मैं नहिं माखन खायो पाठ व्याख्या Maiya Main Nahin Makhan Khayo Explanation

मैया मैं नहिं माखन खायो।
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो।
चार पहर बंसीबट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।।
मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो।
ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो ।।
तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो।
जिय तेरे कछु भेद उपजि हैं, जानि परायो जायो।।
ये ले अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहिं नाच नचायो।
सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो।।
शब्दार्थ –
मैया – माता
माखन – मक्खन
भोर – प्रातः, सुबह भयो – होने पर
गैयन – गौ, गाय
पाछे – पीछे
मधुबन – ब्रजभूमि के एक वन का नाम
मोहि – मुझे
पठायो – भेजना
बंसीवट – बरगद का वह पेड़ जिसके नीचे श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते थे
साँझ – साँयकाल, शाम का समय
बहियन – हाथ, बाँह
छोटो – छोटा
छीको – खूँटी आदि में लटकाया जाने वाला एक उपकरण ,जैसे – हँड़िया या मटका छीका पर लटका देना
केहि – कैसे
बिधि – उपाय
पायो – ग्रहण करना
ग्वाल – अहीर, गोपालक
बैर – शत्रु, दुश्मन
बरबस – जबरदस्ती, बलपूर्वक किया गया कार्य
लपटायो – लगाना
भोरी – भोली
कहे – कहने में
पतियायो – विश्वास करना, सच समझ लेना
जिय – हृदय
भेद – संशय, शंका
उपजि – उत्पन्न होना
पराया – दूसरा
लकुटि – लाठी
कमरिया – छोटा कम्बल
बहुतहिं – बहुत ही
बिहँसि – हँसकर
उर – हृदय
कंठ – गला
व्याख्या – प्रस्तुत पद्यांश में कवि सूरदास जी ने श्री कृष्ण और माता यशोदा के उस वार्तालाप के अंश का वर्णन किया है जहाँ श्री कृष्ण अपनी नटखट बातों से माता यशोदा को मनाने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने मक्खन नहीं खाया है। श्रीकृष्ण अपने आप को सच्चा बताते हुए माता यशोदा से कहते हैं कि हे माता !मैंने माखन नहीं खाया है। सुबह होते ही आप मुझे मधुबन में गौओं के पीछे भेज देती हो। दिन के चारों पहर तो मैं बरगद के पेड़ के नीचे बाँसुरी बजाता रहता हूँ या वन में भटकता रहता हूँ और शाम होने पर ही मैं घर आता हूँ। कहने का आशय यह है कि श्री कृष्ण माता यशोदा को विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहे हैं कि वे तो सुबह से शाम तक वन में बाँसुरी बजाते हुए गौओं को चराने के काम में व्यस्त होते हैं, वे कैसे मक्खन चुरा या खा सकते हैं।
आगे श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं तो छोटा बालक हूँ, जिसके छोटे–छोटे हाथ अथवा बाँह हैं। मैं किस प्रकार से अपने इन छोटे बाँह और हाथों से छीको अर्थात दही या मक्खन रखने का बर्तन को प्राप्त कर सकता हूँ। ये सभी ग्वाल–बाल तो मेरे शत्रु हैं जो ये मक्खन मेरे मुख पर जबरदस्ती लगा देते हैं। कहने का आशय यह है कि श्री कृष्ण माता यशोदा को विश्वास दिखाते हुए कहते हैं कि वे तो इतने छोटे हैं कि उनकी छोटी–छोटी भुजाएं तो दही–मक्खन रहने वाले बरतन तक भी नहीं पहुँचती तो वे कैसे मक्खन खा सकते हैं। आगे श्री कृष्ण अपने ग्वाल मित्रों पर ही आरोप लगा देते हैं कि असल में वे ग्वाल मित्र ही उनके मुँह पर जबरदस्ती मक्खन लगा देते हैं, जिसके कारण माता यशोदा को यह भ्रम हो जाता है कि कृष्ण ने मक्खन खाया है।
आगे श्री कृष्ण कहते हैं कि माँ! तू मन की बहुत भोली है, जो इन सबकी बातों में आ जाती है या सबकी बातों पर विश्वास कर लेती है। मुझे लगता है की तेरे दिल में जरूर कोई संदेह है, जो मुझे पराया समझकर मुझ पर संदेह कर रही हो। यह अपनी लाठी और कम्बल ले लो, इन्होंने मुझे बहुत नाच नचाया है। कहने का आशय यह यह है कि श्री कृष्ण माँ यशोदा को अपनी बातों में लाने के लिए उनकी तरफदारी करने लगते हैं कि वे बहुत भोली हैं जो किसी की भी बातों पर विश्वास कर लेती हैं। जो लाठी और छोटा कम्बल माँ यशोदा ने कृष्ण को गौ चराने व् ठण्ड से बचने को दिया था उसे वे वापिस करते हुए कहते हैं कि इन्हें वापिस ले लो क्योंकि इनकी वजह से उन्हें वन में गौ चराने जाना पड़ा। अर्थात कृष्ण माँ यशोदा को चेतावनी दे रहे हैं कि यदि वे उनपर विश्वास नहीं करेंगी तो वे अब गौ चराने भी नहीं जाएंगे। सूरदास जी कहते हैं इन सभी बातों को सुनकर यशोदा माँ हँस जाती हैं और श्रीकृष्ण को अपने हृदय से लगा लेती हैं।

Conclusion
इस कविता में भगवान कृष्ण अपनी माता यशोदा को विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने मक्खन नहीं खाया। कृष्ण बड़ी चतुराई से अपनी माँ को समझाते हैं कि उन्होंने कुछ नहीं किया। वे कई तर्क भी प्रस्तुत करते हैं। कविता में माँ-बेटे के रिश्ते की मधुरता और विश्वास को दर्शाया गया है। कविता में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं और उनकी मासूमियत का वर्णन किया गया है। इस लेख में पाठ प्रवेश, पाठ सार, पाठ व्याख्या दिए गए हैं। यह लेख विद्यार्थियों को पाठ को अच्छे से समझने में सहायक है। विद्यार्थी अपनी परीक्षा के लिए इस लेख की सहायता ले सकते हैं।