CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kritika Bhag 2 Book Chapter 1 Mata Ka Aanchal Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Mata Ka Aanchal Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kritika Bhag 2 Book Chapter 1, “Mata Ka Aanchal”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘माता का अँचल’ पाठ में बाबूजी माताजी से कब और क्यों नाराज़ हो जाते थे? संतान के प्रति इस प्रकार का व्यवहार क्या आपको अपने घर या घर के आसपास भी दिखाई देता है, संक्षेप में वर्णन कीजिए । (50-60 शब्दों में)
उत्तर- ‘माता का आँचल’ पाठ में बाबूजी तब नाराज़ हो जाते थे जब माताजी बालक भोलानाथ के बालों में जबरन सरसों का तेल डालकर मालिश करती थीं, जिससे वह रोने लगता था। यह व्यवहार आज भी घरों में देखने को मिलता है जब माता-पिता संतान की भलाई के लिए आपस में मतभेद करते हैं परंतु उद्देश्य सदा बच्चे का हित होता है।
प्रश्न 2 – भोलानाथ और उसके साथियों के नाटकों के खेल में बाबूजी अकसर शामिल हो जाते थे परंतु उनके शामिल होते ही बच्चे उस नाटकीय खेल को समाप्त कर भाग खड़े होते थे। आपके विचार में बाबूजी का ऐसा करना कहाँ तक उचित था? तर्कसंगत उत्तर दीजिए। (50-60 शब्दों में)
उत्तर- बाबूजी जब बच्चों के नाटकीय खेलों में शामिल होते थे, तो बच्चे झिझक के कारण खेल छोड़कर भाग जाते थे। मेरे विचार में बाबूजी का यह करना अनुचित नहीं था क्योंकि वे बच्चों की कल्पनाओं और प्रसन्नता में भागीदार बनना चाहते थे। फिर भी, उन्हें बच्चों की सहजता बनाए रखने हेतु थोड़ी दूरी रखनी चाहिए थी।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘माता का अँचल’ पाठ में जिस ग्राम्य जीवन और संस्कृति का उल्लेख है, उसमें वर्तमान में क्या अंतर आया है? क्या उस अंतर को आप सकारात्मक मानते हैं? (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – ‘माता का अँचल’ पाठ में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में हमें अनेक तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं:–
- तीस के दशक में समूह-संस्कृति, आत्मीय स्नेह और समूह में रहा करते थे।
- आज घर-पड़ोसियों की सीमाएँ सिमट गई हैं। घरों के आगे चबूतरों का बनाया जाना लगभग समाप्त हो गया है।
- आज परिवारों में एकल संस्कृति ने जन्म ले लिया, जिससे बच्चे अब समूह में खेलते हुए दिखाई नहीं देते।
- आज बच्चों के खेलने की सामग्री और खेल बदल चुके हैं। खेल खर्चीले हो गए हैं। जो परिवार खर्च नहीं कर पाते हैं वे बच्चों को हीन-भावना से बचाने के लिए समूह में जाने से रोकते हैं।
- आज की नई संस्कृति बच्चों को धूल-मिट्टी से बचना चाहती है। जिससे आज के बच्चे धूल-मिट्टी से परिचय खोते जा रहे हैं।
- पहले लोग सीधा-साधा बनावट विहीन जीवन जीते थे आज बिलकुल विपरीत हैं।
- तीस के दशक में लोग बीमारियों व् चोटों का घरेलू इलाज करते थे जिससे शरीर रसायनों से बचा रहता था।
- आज के समय में किसानों की संख्या घटती जा रही है जिस कारण लोगों को साधारण चीजों के लिए भी दूसरों पर आश्रित होना पद रहा है।
प्रश्न 2 – भोलानाथ और उसके दोस्तों के खेल आज के बच्चों के खेलों से किस रूप में भिन्न है? आपको दोनों में से कौन से खेल अधिक पसंद हैं और क्यों?(लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री से हमारे खेल और खेल सामग्रियों में बहुत अधिक अंतर आ गया है। भोलानाथ के समय में बच्चे आँगन व् खेत में पड़ी हुई किसी भी वस्तु को उठा कर उसे ही खेल का आधार बना लिया करते थे। वे खेत की मिट्टी, पत्थर, लकड़ी ,पेड़ों के पत्तों व् घर के टूटे-फूटे सामान से ही खेलते व् खुश हो जाते थे। पहले लोगों में भी दूर पड़ोस तक आत्मीय संबंध थे, जिससे बच्चों को दूर तक खेलने की स्वच्छंदता थी। खेल की सामग्रियाँ बच्चे खुद से तैयार करते थे।
परन्तु आज भोलानाथ के समय से बिलकुल भिन्न खेल और खेल सामग्री हैं और सबसे महत्वपूर्ण बच्चों की सुरक्षा हर समय अभिभावकों की चिंता का विषय है। आज खेल सामग्री का निर्माण बच्चे स्वयं नहीं करते बल्कि खिलौनों को बाज़ार से खरीद कर लाते है। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए खेलने की समय-सीमा भी तय कर दी जाती है। अतः स्वच्छंदता नहीं होती है। अब की पीढ़ी खेलने के लिए वीडियो गेम, क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल, बैस बॉल जैसी आदि चीजों से खेलते हैं। ऐसा लगता है जैसे आज के बच्चों का धूल-मिट्टी से कोई सम्बन्ध ही नहीं रहा है।
प्रश्न 3 – ‘माता का अँचल’ पाठ में वर्णित बच्चों के खेल अलग थे और वर्तमान काल में अलग हैं। दोनों में भिन्नता का विवरण देते हुए अपने विचार भी लिखिए।(लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री से हमारे खेल और खेल सामग्रियों में बहुत अधिक अंतर आ गया है। भोलानाथ के समय में बच्चे आँगन व् खेत में पड़ी हुई किसी भी वस्तु को उठा कर उसे ही खेल का आधार बना लिया करते थे। वे खेत की मिट्टी, पत्थर, लकड़ी ,पेड़ों के पत्तों व् घर के टूटे-फूटे सामान से ही खेलते व् खुश हो जाते थे। पहले लोगों में भी दूर पड़ोस तक आत्मीय संबंध थे, जिससे बच्चों को दूर तक खेलने की स्वच्छंदता थी। खेल की सामग्रियाँ बच्चे खुद से तैयार करते थे।
परन्तु आज भोलानाथ के समय से बिलकुल भिन्न खेल और खेल सामग्री हैं और सबसे महत्वपूर्ण बच्चों की सुरक्षा हर समय अभिभावकों की चिंता का विषय है। आज खेल सामग्री का निर्माण बच्चे स्वयं नहीं करते बल्कि खिलौनों को बाज़ार से खरीद कर लाते है। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए खेलने की समय-सीमा भी तय कर दी जाती है। अतः स्वच्छंदता नहीं होती है। अब की पीढ़ी खेलने के लिए वीडियो गेम, क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल, बैस बॉल जैसी आदि चीजों से खेलते हैं। ऐसा लगता है जैसे आज के बच्चों का धूल-मिट्टी से कोई सम्बन्ध ही नहीं रहा है।
प्रश्न 4 – ‘माता का अँचल’ पाठ में वह कौन-सा प्रसंग है जिसमें भोलानाथ माँ की गोद में छिप जाता है? उस समय माँ की स्थिति, प्रतिक्रिया और मनोभाव का उल्लेख कीजिए। (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – जब भोलानाथ और उनके साथी चूहों के बिल से पानी डालने लगे। तो उस बिल से साँप निकल आया। रोते-चिल्लाते भोलानाथ और उनके साथी बेतहाशा भाग चले! कोई औंध गिरा, कोई अंटाचिट। किसी का सिर फूटा, किसी के दाँत टूटे। सभी गिरते-पड़ते भागे। भोलानाथ का सारा शरीर लहूलुहान हो गया। पैरों के तलवे काँटों से छलनी हो गए। भोलानाथ एक सुर से दौड़े हुए आए और घर में घुस गए। उस समय भोलानाथ के बाबू जी बैठक के बरामदे में बैठकर हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। उन्होंने भोलानाथ को बहुत पुकारा पर उनकी अनसुनी करके भोलानाथ दौड़ते हुए मइयाँ के पास ही चले गए। जाकर उसी की गोद में शरण ली। भोलानाथ को डर से काँपते देखकर लेखक की माँ भी जोर से रो पड़ी और सब काम छोड़ बैठी। भोलानाथ को दर्द में देख वह भी दर्द से सहर गई। झटपट हल्दी पीसकर लेखक के घावों पर थोपी गई। घर में कुहराम मच गया। भोलानाथ केवल धीमे सुर से फ्साँ…स…साँय् कहते हुए मइयाँ के आँचल में लुके चले जाते थे। भोलानाथ के डर से काँपते हुए ओंठों को मइयाँ बार-बार देखकर रोती और बड़े लाड़ से भोलानाथ को गले लगा लेती थी।
प्रश्न 5 – ‘माता का अँचल’ पाठ में तारकेश्वरनाथ की अपने पिता के साथ बचपन में घटित किसी घटना का उल्लेख करते हुए आप स्वयं के बाल्य जीवन के वृत्तांत की किसी घटना का उल्लेख कीजिए। (लगभग 50- 60 शब्दों में)
उत्तर – भोलानाथ के पिता सुबह के समय जल्दी उठकर, सुबह का अपना नित्य कर्म कर – नहाकर पूजा करने बैठ जाते थे। भोलानाथ बचपन से ही अपने पिता के साथ ही रहते थे। भोलानाथ के पिता पूजा-पाठ करने के बाद राम-राम लिखने लगते थे। फिर पाँच सौ बार कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम – नाम लिखकर आटे की गोलियों में लपेटते और उन गोलियों को लेकर गंगा जी की ओर चल पड़ते थे। भोलानाथ उस समय बाबूजी के कंधे पर बैठे रहते थे। जब वह गंगा में एक-एक आटे की गोलियाँ फेंककर मछलियों को खिलाने लगते तब भी भोलानाथ उनके कंधे पर ही बैठे-बैठे हँसा करते थे। जब वह मछलियों को खाना खिलाकर घर की ओर लौटने लगते तब बीच रास्ते में झुके हुए पेड़ों की डालों पर लेखक को बिठाकर झूला झुलाते थे।
पिता जी के साथ बचपन में जब मेले देखने जाया करते थे तो अधिक भीड़ होने के कारण पिता जी हमें अपने कंधे पर बैठा कर पूरा मेला घुमाते थे।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – “बच्चों के सुख-दुख, झगड़े- खेल क्षणिक होते हैं।” – इस कथन का आशय स्पष्ट करते हुए ‘माता का अँचल’ पाठ के किन्हीं दो उदाहरणों के संदर्भ से इस कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – “बच्चों के सुख-दुख, झगड़े- खेल क्षणिक होते हैं।” उदाहरण के लिए जब गुरू जी द्वारा गुस्सा करने व् पिटाई करने पर भोलानाथ अपने पिता की गोद में रोने-बिलखने लगता है परन्तु रस्ते में अपने मित्रों को मजा करते देख वह स्वयं को रोक नहीं पाता व् ज़िद्द करके उनके साथ खेलने चला जाता है। वह अपनी मार की पीड़ा खेल की क्रीड़ा के आगे भूल जाता है। इसका कारण यह है कि बच्चे अपनी स्वाभाविक आदत के अनुसार अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलने में रुचि रखते है। उनके साथ खेलना मस्ती करना उन्हें अच्छा लगता है।
प्रश्न 2 – ‘भोलानाथ का बचपन सरल, सहज और सामाजिक था जबकि हमारा बचपन जटिल, उलझाऊ और एकांतिक बन चुका है।’ – इस कथन के आलोक में ‘माता का अँचल’ पाठ – से दो उदाहरण लेते हुए अपने जीवन के दो उदाहरणों के साथ तुलनात्मक टिप्पणी कीजिए। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – ‘भोलानाथ का बचपन सरल, सहज और सामाजिक था जबकि हमारा बचपन जटिल, उलझाऊ और एकांतिक बन चुका है।’ उदाहरण के लिए – भोलानाथ की माँ जिद्द करके उन्हें अनेक पक्षियों के नाम से निवाले बनाकर बड़े प्यार से खिलाती थी। भोलानाथ की माँ भोलानाथ को बहुत लाड़-प्यार करती थी। वह कभी उन्हें अपनी बाहों में भर कर खूब प्यार करती , तो कभी उन्हें जबरदस्ती पकड़ कर उनके सिर पर सरसों के तेल से मालिश करती। जबकि आज के बच्चे बिना फ़ोन के खाना खाने को तैयार नहीं होते और न ही आज के व्यस्त दिनचर्य में माता-पिता को बच्चों के साथ अधिक समय मिल पता है।
दूसरा उदाहरण भोलानाथ और उनकी मित्र मण्डली द्वारा खेले जाने वाले अलग-अलग खेल है जिनसे बच्चे स्वयं ही मनोरंजन करते थे। आज के बच्चों के पास न तो खेल-खलियान हैं और न ही अधिक मित्र जिसके कारण उनका बचपन जटिल, उलझाऊ और एकांतिक बन चुका है।
प्रश्न 3 – ‘माता का अँचल’ पाठ में बच्चों का जीवन अधिक प्राकृतिक और सामाजिक था, आज की तुलना में – इस कथन को ‘माता का अँचल’ से उदाहरण लेकर स्पष्ट करें। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – ‘माता का अँचल’ पाठ में बच्चों का जीवन अधिक प्राकृतिक और सामाजिक था, आज की तुलना में – इस कथन को ‘माता का अँचल’ से कई उदाहरणों से स्पष्ट किया जा सकता है जैसे –
भोलानाथ अपने हमउम्र दोस्तों के साथ तरह-तरह के नाटक करते थे। कभी चबूतरे का एक कोना ही उनका नाटक घर बन जाता तो, कभी बाबूजी की नहाने वाली चौकी ही रंगमंच बन जाती।और उसी रंगमंच पर सरकंडे के खंभों पर कागज की चादर बनाकर उनमें मिट्टी या अन्य चीजों से बनी मिठाइयों की दुकान लग जाती। तो कभी-कभी बच्चे बारात का भी जुलूस निकालते थे जिसमें तंबूरा और शहनाई भी बजाई जाती थी। दुल्हन को भी विदा कर लाया जाता था। बाबूजी भी बच्चों के खेलों में भाग लेकर उनका आनंद उठाते थे। कभी आम की फसल के दौरान आँधी चलने से बहुत से आम गिर जाते थे। बच्चे उन आमों को उठाने भागा करते थे। आज के बच्चों के पास न तो खेल-खलियान हैं और न ही अधिक मित्र जिसके कारण उनका बचपन जटिल, उलझाऊ और एकांतिक बन चुका है।
प्रश्न 4 – आज हमारा जीवन तकनीक और वस्तुओं पर निर्भर हो चला है जबकि भोलानाथ और उसके साथी इन सबसे परे होकर भी अत्यंत प्रसन्न और समृद्ध बचपन को जी रहे थे। आज के बच्चों को एक भरा-पूरा और अनुभव – सम्पन्न बचपन देने के लिए आप क्या सुझाव देंगे? पाठ के अनुभव के आधार पर उत्तर दीजिए। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – आज हमारा जीवन तकनीक और वस्तुओं पर निर्भर हो चला है जबकि भोलानाथ और उसके साथी इन सबसे परे होकर भी अत्यंत प्रसन्न और समृद्ध बचपन को जी रहे थे। भोलानाथ के समय में बच्चे आँगन व् खेत में पड़ी हुई किसी भी वस्तु को उठा कर उसे ही खेल का आधार बना लिया करते थे। वे खेत की मिट्टी, पत्थर, लकड़ी, पेड़ों के पत्तों व् घर के टूटे-फूटे सामान से ही खेलते व् खुश हो जाते थे। खेल की सामग्रियाँ बच्चे खुद से तैयार करते थे।
परन्तु आज खेल सामग्री का निर्माण बच्चे स्वयं नहीं करते बल्कि खिलौनों को बाज़ार से खरीद कर लाते है। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए खेलने की समय-सीमा भी तय कर दी जाती है। अब की पीढ़ी खेलने के लिए वीडियो गेम, क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल, बेसबॉल जैसी आदि चीजों से खेलते हैं। ऐसा लगता है जैसे आज के बच्चों का धूल-मिट्टी से कोई सम्बन्ध ही नहीं रहा है।
आज के बच्चों को एक भरा-पूरा और अनुभव – सम्पन्न बचपन देने के लिए बच्चों को उनके पसंद के अनुसार बिना रोक-टोक के खेलने देना चाहिए।
प्रश्न 5 – ‘माता का अँचल’ पाठ के भोलानाथ के जीवन के प्रसंग आपको अपने बचपन की याद दिलाते होंगे। ऐसे दो प्रसंगों का तुलनात्मक वर्णन कीजिए। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – ‘माता का अँचल’ पाठ के भोलानाथ के जीवन के प्रसंग हमें अपने बचपन की याद दिलाते हैं। भोलानाथ अपने हमउम्र दोस्तों के साथ तरह-तरह के नाटक करते थे। कभी चबूतरे का एक कोना ही उनका नाटक घर बन जाता तो कभी सरकंडे के खंभों पर कागज की चादर बनाकर उनमें मिट्टी या अन्य चीजों से बनी मिठाइयों की दुकान लग जाती। तो कभी-कभी बच्चे बारात का भी जुलूस निकालते थे। हम भी अपने बचपन में इसी तरह के खेल खेला करते थे। ‘माता का अँचल’ पाठ में भोलानाथ अपने हमउम्र दोस्तों के साथ में कभी-कभी उन आमों को उठाने के लिए भागते थे जो आम आँधी चलने से खेत में गिर जाते थे। हम भी चोरी-छिपे दूसरे लोगों के खेतों से सेब व् नाशपाती जैसे फल चुराते थे और न पकड़े जाने पर अपनी जीत मानते थे।
प्रश्न 6 – ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर ग्रामीण संस्कृति की मुख्य विशेषताओं पर टिप्पणी कीजिए। यह भी बताइए कि आज के समय में उनमें कौन-से बदलाव आए हैं। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – ‘माता का अँचल’ पाठ में ग्रामीण संस्कृति की कई विशेषताऐं बताई गई हैं जैसे – गाँव में माता-पिता अपने बच्चों के साथ अधिक समय व्यतीत करते हैं। पिता बच्चों के हर खेल में शामिल होने का प्रयास करते हैं और माता अपने बच्चे को अच्छे से खाना खिलाने के लिए तरह-तरह के स्वांग रचती है। गाँव के लोग भी सभी बच्चों को अपने ही बच्चों की तरह प्यार करते हैं और बच्चे मंडलियाँ बना कर अलग-अलग ढंग से खेल-खेलते हैं।
आज के व्यस्त समय में माता-पिता अपने बच्चों के साथ अधिक समय व्यतीत नहीं कर पाते और दिन भर व्यस्त होने के कारण न ही पिता बच्चों के साथ हर खेल में शामिल हो सकता है। आज के समय में सुरक्षा के माध्यम से बच्चों को अकेले बाहर जाने नहीं दिया जा सकता और न ही आज के बच्चों के पास खेत-खलियान बचे हैं जहाँ वे कोई खेल खेल सके।
प्रश्न 7 – ‘माता का अँचल’ पाठ में बच्चों की दिनचर्या आजकल के बच्चों की दिनचर्या से भिन्न है, कैसे? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – ‘माता का अँचल’ पाठ में बच्चों की दिनचर्या आजकल के बच्चों की दिनचर्या से भिन्न है। ‘माता का अँचल’ पाठ में बच्चों की दिनचर्या पूजा पाठ से शुरू होता था। बच्चे पिता के साथ समय बिताते थे। माता के हाथों से भर-पेट खाना खा कर, बालों में सरसों का तेल लगा कर मित्र मंडली के साथ बे-रोकटोक खेलने निकल जाते थे। आजकल के बच्चों की सुबह लेट उठ कर शुरू होती है। बच्चे माता-पिता के साथ समय न बिता कर फ़ोन देखने में व्यस्त हो जाते हैं। हल्का-फुल्का खाना खा कर वे या तो फ़ोन में व्यस्त हो जाते हैं या घर के अंदर ही वीडियो गेम आदि खेलते हैं।
प्रश्न 8 – “माता के अँचल में जो सुकून मिलता है, और कहीं नहीं।” कथन के संदर्भ में उदाहरण सहित अपने विचार लिखिए। (लगभग 50-60 शब्दों में)
उत्तर – एक पिता चाहे अपनी संतान से कितना भी प्रेम करता हो पर जो आत्मीय सुख माँ की छाया अथवा गोद में प्राप्त होता है वह पिता से प्राप्त नहीं होता। माँ के आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। यही कारण था कि प्रस्तुत पाठ में बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव होने पर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है।
Questions which came in 2022 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘माता का आँचल’ पाठ में वर्णित खेल-खिलौनों की दुनिया वर्तमान खिलौनों की दुनिया से बेहतर थी, क्यों ? कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर – भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री से हमारे खेल और खेल सामग्रियों में बहुत अधिक अंतर आ गया है। भोलानाथ के समय में बच्चे आँगन व् खेत में पड़ी हुई किसी भी वस्तु को उठा कर उसे ही खेल का आधार बना लिया करते थे। वे खेत की मिट्टी, पत्थर, लकड़ी ,पेड़ों के पत्तों व् घर के टूटे-फूटे सामान से ही खेलते व् खुश हो जाते थे। खेल की सामग्रियाँ बच्चे खुद से तैयार करते थे।
परन्तु आज भोलानाथ के समय से बिल्कुल भिन्न खेल और खेल सामग्री हैं और सबसे महत्वपूर्ण बच्चों की सुरक्षा हर समय अभिभावकों की चिंता का विषय है। आज खेल सामग्री का निर्माण बच्चे स्वयं नहीं करते बल्कि खिलौनों को बाज़ार से खरीद कर लाते है। अब की पीढ़ी खेलने के लिए वीडियो गेम, क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल, वेस-बॉल जैसी चीजों से खेलते हैं। ऐसा लगता है जैसे आज के बच्चों का धूल-मिट्टी से कोई संबंध ही नहीं रहा है।
खेल-खिलौनों की दुनिया वर्तमान खिलौनों की दुनिया से बेहतर थी क्योंकि पहले के खेल-खिलौनों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता था।
प्रश्न 2 – पिता द्वारा भोलानाथ को खाना खिलाने के बाद भी उसकी माँ उसे खाना खिलाती थी, क्यों ? ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर – भोलानाथ के बाबूजी भोलानाथ को अपने ही हाथ से, फूल के एक कटोरे में गोरस और भात मिलाकर खिलाते थे। जब भोलानाथ भर पेट से अधिक खा लेते तब मइयाँ थोड़ा और खिलाने के लिए ज़िद करती थी। वह भोलानाथ के बाबू जी से कहने लगती कि वे तो चार – चार दाने के निवाले बच्चे के मुँह में देते जाते हैं, इससे वह थोड़ा खाने पर भी समझ लेता है कि बहुत खा चुके, वे खिलाने का ढंग नहीं जानते – बच्चे को भर – मुँह कौर खिलाना चाहिए। और कहती – जब खाएगा बड़े – बड़े कौर , तब पाएगा दुनिया में ठौर अर्थात स्थान व् अवसर। भोलानाथ की माता भोलानाथ के पिता से कहती हैं कि पुरुष क्या जाने कि बच्चों को कैसे खाना खिलाना चाहिए , और माता के हाथ से खाने पर बच्चों का पेट भी भरता है।
प्रश्न 3 – वात्सल्य और ममता की आधार-भूमि एक रहने पर भी माता-पिता और बच्चों के संबंधों में तब से अब तक बहुत बदलाव हुए हैं। – ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर इसे सोदाहरण स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – वात्सल्य और ममता की आधार-भूमि एक रहने पर भी माता-पिता और बच्चों के संबंधों में तब से अब तक बहुत बदलाव हुए हैं। गाँव में माता-पिता अपने बच्चों के साथ अधिक समय व्यतीत करते हैं। पिता बच्चों के हर खेल में शामिल होने का प्रयास करते हैं और माता अपने बच्चे को अच्छे से खाना खिलाने के लिए तरह-तरह के स्वांग रचती है। गाँव के लोग भी सभी बच्चों को अपने ही बच्चों की तरह प्यार करते हैं और बच्चे मंडलियाँ बना कर अलग-अलग ढंग से खेल-खेलते हैं।
आज के व्यस्त समय में माता-पिता अपने बच्चों के साथ अधिक समय व्यतीत नहीं कर पाते और दिन भर व्यस्त होने के कारण न ही पिता बच्चों के साथ हर खेल में शामिल हो सकता है। आज के समय में सुरक्षा के माध्यम से बच्चों को अकेले बाहर जाने नहीं दिया जा सकता और न ही आज के बच्चों के पास खेत-खलियान बचे हैं जहाँ वे कोई खेल खेल सके।
प्रश्न 4 – ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर बालक भोलानाथ के भयभीत हो जाने वाली घटना का उल्लेख कीजिए । भयभीत भोलानाथ पिता के पास न जाकर माँ के पास ही क्यों गया ?
उत्तर – जब भोलानाथ और उनके साथी चूहों के बिल से पानी डालने लगे, तो उस बिल से साँप निकल आया। रोते-चिल्लाते भोलानाथ और उनके साथी बेतहाशा भाग चले! कोई औंध गिरा, कोई अंटाचिट। किसी का सिर फूटा, किसी के दाँत टूटे। सभी गिरते-पड़ते भागे। भोलानाथ का सारा शरीर लहूलुहान हो गया। पैरों के तलवे काँटों से छलनी हो गए। भोलानाथ एक सुर में दौड़े हुए आए और घर में घुस गए। भोलानाथ दौड़ते हुए मइयाँ के पास ही चले गए। जाकर उसी की गोद में शरण ली। भोलानाथ को डर से काँपते देखकर लेखक की माँ भी जोर से रो पड़ी और सब काम छोड़ बैठी। भोलानाथ के डर से काँपते हुए ओंठों को मइयाँ बार-बार देखकर रोती और बड़े लाड़ से भोलानाथ को गले लगा लेती थी। इसी समय बाबू जी दौड़े आए। बाबूजी आकर झट से भोलानाथ को मइयाँ की गोद से अपनी गोद में लेना चाहते थे। पर भोलानाथ ने मइयाँ के आँचल की- प्रेम और शांति के अनुभव की-छाया न छोड़ी क्योंकि एक बच्चे को माँ के आँचल से सुरक्षित और कोई स्थान नहीं लगता।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘माता का आँचल’ किसी और युग की कोई कहानी प्रतीत होती है – अपने वर्तमान से उसकी तुलना करते हुए इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी राय लिखिए।
उत्तर – माता का आँचल किसी और युग की कोई कहानी प्रतीत होती है। ऐसा लगता है जैसे यह कहानी हमारे ही बचपन की है। परन्तु जब हम इस कहानी की तुलना अपने वर्तमान से करते हैं तो यह कहानी एक युग पीछे की ही प्रतीत होती है।
पक्ष – इस कहानी को पढ़ कर हम सीख ले सकते हैं कि कैसे बच्चों के साथ समय बिता कर हम उनकी अच्छी परवरिश कर सकते हैं। वर्तमान में बच्चों को सही सीख की आवश्यकता है क्योंकि आज के बच्चे केवल फ़ोन, टीवी इंटरनेट आदि पर ही लगे रहते हैं। लोगों के साथ उठने-बैठने व् प्रकृति के साथ खेलने की उनमें कमी होती जा रही है। इससे उनके संर्वांगीण विकास में भी बाधा आ रही है।
विपक्ष – आज के आधुनिक व् खर्चीले समय में इस कहानी की तरह व्यवहार करना संभव नहीं है। यदि माता-पिता बच्चों के आगे-पीछे घूमते रहेंगे तो वे बच्चों के मुताबिक़ सुख-सुविधाओं को उपलब्ध नहीं करवा पाएंगे।
प्रश्न 2 – ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर बाल-मनोविज्ञान पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर – ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर यदि बाल-मनोविज्ञान की बात की जाए तो बालक का जुड़ाव माता से अधिक होता है। माता से बच्चे का ममत्व का रिश्ता होता है। बालक चाहे अपने पिता से कितना प्रेम करता हो या पिता अपने बच्चे को कितना भी प्रेम देता हो पर जो आत्मीय सुख माँ के आँचल में प्राप्त होता है वह कभी पिता से प्राप्त नहीं होता। विपत्ति आने पर बच्चा पिता को नहीं बल्कि माँ के आँचल को ही ढूंढता है।
प्रश्न 3 – ‘माता का आँचल’ पाठ के लेखक के बचपन की स्मृतियों से अपने बचपन की यादों की तुलना करते हुए लिखिए कि आपका बचपन भी आज कितना बदल गया है।
उत्तर – ‘माता का आँचल’ पाठ के लेखक के बचपन की स्मृतियों को देखते हुए हम कह सकते हैं कि हमारा बचपन आज बहुत बदल गया है। लेखक जहाँ अपने मित्रों के साथ मिट्टी में स्वच्छंदता से खेलता था, जिस तरह उनके पिता उनके हर खेल में शामिल होते थे। आज न तो हम मिट्टी में खेल सकते हैं और न ही हमारे माता – पिता के पास इतना समय होता है कि वे हमारे हर खेल में अपना समय दे सकें। पहले के खेल प्रकृति की गोद में खेले जाते थे परन्तु आज सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए घर के अंदर ही मनोरंजन के साधन उपलब्ध करवाए जाते हैं।
प्रश्न 4 – ‘माता का आँचल’ पाठ में ग्रामीण जीवन की झाँकी है – सोदाहरण स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – ‘माता का आँचल’ पाठ में ग्रामीण जीवन की झाँकी है। कहीं बच्चों का स्वछंदता से खेलना व् कहीं पिता का पुत्र को कंधे पर बिठा कर मच्छलियों को खाना खिलाने ले जाना और कहीं आम की फसल के दौरान आँधी चलने से गिरे हुए आमों को बच्चे द्वारा उठाने के लिया भागना। ये सारी चीज़ें गाँव में ही हो सकती हैं।
प्रश्न 5 – ‘माता का आँचल’ पाठ में वर्णित खेलों से आज के खेल कितने अलग हैं, इसका तुलनात्मक वर्णन कीजिए।
उत्तर – भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री से हमारे खेल और खेल सामग्रियों में बहुत अधिक अंतर आ गया है। भोलानाथ के समय में बच्चे आँगन व् खेत में पड़ी हुई किसी भी वस्तु को उठा कर उसे ही खेल का आधार बना लिया करते थे। वे खेत की मिट्टी, पत्थर, लकड़ी ,पेड़ों के पत्तों व् घर के टूटे-फूटे सामान से ही खेलते व् खुश हो जाते थे। पहले लोगों में भी दूर पड़ोस तक आत्मीय संबंध थे, जिससे बच्चों को दूर तक खेलने की स्वच्छंदता थी। खेल की सामग्रियाँ बच्चे खुद से तैयार करते थे।
परन्तु आज भोलानाथ के समय से बिल्कुल भिन्न खेल और खेल सामग्री हैं और सबसे महत्वपूर्ण बच्चों की सुरक्षा हर समय अभिभावकों की चिंता का विषय है। आज खेल सामग्री का निर्माण बच्चे स्वयं नहीं करते बल्कि खिलौनों को बाज़ार से खरीद कर लाते है। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए खेलने की समय-सीमा भी तय कर दी जाती है। अतः स्वच्छंदता नहीं होती है। अब की पीढ़ी खेलने के लिए वीडियो गेम, क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल, बेसबॉल जैसी आदि चीजों से खेलते हैं। ऐसा लगता है जैसे आज के बच्चों का धूल-मिट्टी से कोई सम्बन्ध ही नहीं रहा है।
प्रश्न 6 – “बच्चा चाहे किसी के साथ कितना भी घुल-मिलकर रहे पर भय और दुख की घड़ी में माँ की गोद में ही सुरक्षित महसूस करता है।” ‘माता का आँचल’ पाठ के संदर्भ में इस पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर – बच्चे के पिता बच्चे के द्वारा खेले जाने वाले प्रत्येक खेल में शामिल होने का प्रयास करते थे। वे प्रयास करते थे कि किसी-न-किसी प्रकार अधिकांश समय वे अपने बच्चे के साथ रहे। अतः यह स्वाभाविक था कि बच्चे को अपने पिता से अधिक लगाव था। उसके पिता उसके संग दोस्तों जैसा व्यवहार भी करते थे। भोलानाथ अपने पिता से अपार स्नेह करता था पर जब उस पर विपदा आई तो उसे जो शांति व प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में जाकर मिली वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती। क्योंकि एक पिता चाहे अपनी संतान से कितना भी प्रेम करता हो पर जो आत्मीय सुख माँ की छाया अथवा गोद में प्राप्त होता है वह पिता से प्राप्त नहीं होता। माँ के आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। यही कारण था कि प्रस्तुत पाठ में बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव होने पर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है।
प्रश्न 7 – ‘माता का आँचल’ पाठ के शीर्षक की सार्थकता इस पाठ की किस घटना में निहित है ?
उत्तर – इस पाठ के लिए ‘माँ का आँचल’ शीर्षक उपयुक्त है। क्योंकि इस पाठ में माँ के आँचल की महत्वता को दर्शाने का प्रयास किया गया है। पाठ में भले ही लेखक के पिता का लेखक के प्रति असीम प्रेम व् सजगता दिखाई गई है किन्तु भय व् डर की स्थिति में लेखक पिता के नहीं बल्कि माँ के आँचल में सुरक्षा पाता है। सामान्य तौर पर भी देखा जाता है कि पिता भले ही अपने बच्चे को हर मुसीबत से बचाता हो उसके साथ हर खेल में उसका हिस्सा बनता हो परन्तु एक माँ अपने बच्चे के दर्द में उससे भी अधिक दर्द महसूस करती है। वह अपने बच्चे को सांत्वना देने के लिए सारे काम छोड़ कर केवल बच्चे का ही ध्यान रखने लगती है। वह अपनी सुध-बुध खो बैठती है। माँ का यही व्यवहार बच्चे को पिता से अधिक आत्मीय सुख व् प्रेम का अनुभव कराता है।
प्रश्न 8 – भोलानाथ संकट के समय में अपने पिता के पास न जाकर माता के पास क्यों जाता है ? ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – भोलानाथ संकट के समय में अपने पिता के पास न जाकर माता के पास इसलिए जाता है क्योंकि एक पिता चाहे अपनी संतान से कितना भी प्रेम करता हो पर जो आत्मीय सुख माँ की छाया अथवा गोद में प्राप्त होता है वह पिता से प्राप्त नहीं होता। माँ के आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। यही कारण था कि ‘माता का आँचल’ पाठ में बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव होने पर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है।
प्रश्न 9 – ‘बच्चे रोना-धोना, पीड़ा, आपसी झगड़े ज्यादा देर तक अपने साथ नहीं रख सकते हैं।’ ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर इस कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘बच्चे रोना-धोना, पीड़ा, आपसी झगड़े ज्यादा देर तक अपने साथ नहीं रख सकते हैं’ ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर यह कथन स्पष्ट होता है। उदाहरण के लिए जब गुरू जी द्वारा गुस्सा करने व् पिटाई करने पर भोलानाथ अपने पिता की गोद में रोने-बिलखने लगता है परन्तु रस्ते में अपने मित्रों को मजा करते देख वह स्वयं को रोक नहीं पाता व् ज़िद्द करके उनके साथ खेलने चला जाता है। वह अपनी मार की पीड़ा खेल की क्रीड़ा के आगे भूल जाता है। इसका कारण यह है कि बच्चे अपनी स्वाभाविक आदत के अनुसार अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलने में रुचि रखते है। उनके साथ खेलना मस्ती करना उन्हें अच्छा लगता है।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – ‘माता का आँचल’ नामक पाठ में लेखक ने तत्कालीन समाज के पारिवारिक परिवेश का जो चित्रण किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – माता का अंचल ग्रामीण संस्कृति पर आधारित लेखक के बचपन का संस्मरण है उस समय के सामाजिक परिवेश में बच्चों का बचपन बहुत ही स्वच्छंद और आनंदमय होता था। पारिवारिक स्नेह तथा पिता पुत्र के प्रति अगाध प्रेम था। लेखक भोलानाथ ने उस समय का वर्णन किया है कि उनका अधिक समय पिता के साथ ही बीतता था माता से सिर्फ दूध पीने का नाता था। सारा दिन भोलानाथ अपने मित्रों के साथ खेल तमाशों में व्यस्त रहता। पिता भी उसकी हर गतिविधि में शामिल रहते। परन्तु जब संकट आया तो भोलानाथ माँ की शरण में जा छुपता क्योंकि हर बच्चे को लगता है कि संकट के समय माँ का अंचल ही उसके लिए सबसे सुरक्षित और महफूज जगह है। बच्चों की शरारतों तथा धार्मिक वातावरण का वर्णन भी किया है।
प्रश्न 2 – ‘माता का आँचल’ पाठ की दो बातों का उल्लेख कीजिए जो आपको अच्छी लगी हों। इनसे आपको क्या प्रेरणा मिली ?
उत्तर – ‘माता का अंचल’ पाठ बच्चों के बचपन की एक झलक है। इस पाठ में बच्चों के स्वच्छंद बचपन का वर्णन है कि किस प्रकार वे अपने हमजोलियों के बीच मिट्टी में ही, बिना खेल खिलौनों के अपना जीवन बिताते हैं। इस पाठ की बहुत सी बातें हमें अच्छी लगी जैसे – पिताजी का भोलेनाथ के हर खेल में शामिल होना और हर खेल पर अपनी बच्चों सी टिप्पणी देना। जब चूहे के बिल में से साँप निकल आया और दहशत में आकर संकट के समय भोलेनाथ का माँ के आँचल में जाकर छुप जाना मन को आनंदित करने वाला दृश्य है। इस पाठ में बहुत से प्रसंग गुदगुदाने वाले भी हैं। जैसे – पिता का इस प्रकार बच्चा बन जाना बहुत सुखद अनुभव है जो सभी पाठकों को आनंदित करता है।
प्रश्न 3 – ‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर बच्चों के प्रति माता-पिता के वात्सल्य को अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर – प्रस्तुत पाठ में भोलानाथ के पिता एक सजग व स्नेही पिता के रूप में हैं। उनके दिन का आरम्भ भोलानाथ के साथ शुरू होता है। उसे नहलाकर पूजा पाठ कराना, उसको अपने साथ कंधे पर बिठा कर घुमाने ले जाना, उसके व् उसके साथियों के साथ बच्चा बनकर खेलना व उसकी बालसुलभ क्रीड़ा से प्रसन्न होना, उनके स्नेह व प्रेम को व्यक्त करता है। बच्चे की ज़रा सी भी पीड़ा उनसे देखी नहीं जाती। गुरु जी द्वारा सजा दिए जाने पर वह उनसे माफी माँग कर अपने साथ ही ले आते हैं। इस तरह के व्यवहार से उनका भोलानाथ के लिए असीम प्रेम व सजगता झलकती है।
भोलानाथ की माता भी वात्सल्य व ममत्व से भरपूर है। भोलानाथ को भोजन कराने के लिए उनका तरह-तरह से स्वांग रचना एक स्नेही माता की ओर संकेत करता है। जो अपने पुत्र को भोजन कराने के लिए चिंतित है। दूसरी ओर उसको लहूलुहान व भय से काँपता देखकर माँ भी स्वयं रोने व चिल्लाने लगती है। अपने पुत्र की ऐसी स्थिति देखकर माँ का हृदय भी दुख से भर जाता है। वह अपने सारे काम छोड़कर अपने पुत्र को अपनी बाँहों में भरकर उसको सांत्वना देने का प्रयास करती है। अपने आँचल से उसके शरीर को साफ करती है, इससे उनकी माँ का अपने पुत्र के प्रति असीम प्रेम, ममत्व व वात्सल्य का पता चलता है।
प्रश्न 4 – ‘माता का आँचल’ पाठ से ऐसे दो प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों ।
उत्तर – प्रस्तुत पाठ में ऐसे बहुत से प्रसंग है जो हमारे दिल को खुश कर जाते हैं –
जैसे भोलानाथ जब अपने पिता की गोद में बैठा कर आईने में अपने प्रतिबिम्ब को देखकर खुश होता है। और जब पिता ने रामायण पाठ छोड़कर उसे देखा तो कैसे शर्माकर व मुस्कुराकर आईना रख देता है। यहाँ लेखक ने बच्चों का अपने अक्ष के प्रति जिज्ञासा भाव का और उसका शर्माकर आईना रखने का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है।
दूसरा प्रसंग जब बच्चों द्वारा बारात का नाटक रचते हुए बारात द्वारा एक कोने से दूसरे कोने तक दुल्हन को लिवा लाना व पिता द्वारा दुल्हन का घूंघट उठाने पर सब बच्चों का शर्माकर खिलखिला कर भाग जाने का वर्णन भी अत्यधिक मनोहर है।
प्रश्न 5 – ऐसा क्यों होता है कि विपत्ति के समय बच्चा पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है ? सोदाहरण समझाइए ।
उत्तर – बच्चे के पिता बच्चे के द्वारा खेले जाने वाले प्रत्येक खेल में शामिल होने का प्रयास करते थे। वे प्रयास करते थे कि किसी-न-किसी प्रकार अधिकांश समय वे अपने बच्चे के साथ रहे। अतः यह स्वाभाविक था कि बच्चे को अपने पिता से अधिक लगाव था। उसके पिता उसके संग दोस्तों जैसा व्यवहार भी करते थे। भोलानाथ अपने पिता से अपार स्नेह करता था पर जब उस पर विपदा आई तो उसे जो शांति व प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में जाकर मिली वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती। क्योंकि एक पिता चाहे अपनी संतान से कितना भी प्रेम करता हो पर जो आत्मीय सुख माँ की छाया अथवा गोद में प्राप्त होता है वह पिता से प्राप्त नहीं होता। माँ के आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। यही कारण था कि प्रस्तुत पाठ में बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव होने पर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है।
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Very useful for non _Hindi students.I prepare according to these questions.