CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 12 Sanskriti Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions

 

Sanskriti Previous Year Questions with Answers –  Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 12, “Sanskriti”.

 

Questions from the Chapter in 2025 Board Exams

 

प्रश्न 1 – ‘संस्कृतिपाठ के आधार पर संस्कृति और असंस्कृति में अंतर बताइए (25-30 शब्दों में)
उत्तर- संस्कृति वह योग्यता है जिससे कल्याण की भावना के साथ कोई आविष्कार या कार्य किया जाए, जबकि असंस्कृति वह है जिसमें कल्याण की भावना नहीं होती। संस्कृति समाज के हित में होती है, पर असंस्कृति स्वार्थ या हानि का कारण बनती है।

 

Questions which came in 2024 Board Exam

 

प्रश्न 1 – संस्कृति और सभ्यता अलग-अलग कैसे हैं? पठित पाठ ‘संस्कृति’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – जिस योग्यता , क्षमता या बुद्धिमानी से , अथवा जिस स्वभाव , आदत या आचार – व्यवहार के कारण अथवा जिस प्रेरणा या उमंग के बल पर आग का व सुई – धागे का आविष्कार हुआ है , वह किसी व्यक्ति विशेष की संस्कृति कही जाती है ; और उस संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ , अथवा जो चीज़ उस व्यक्ति ने अपने तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की है , उसका नाम है सभ्यता। कहने का तात्पर्य यह है कि किसी व्यक्ति की योग्यता , स्वभाव या आचार – व्यवहार को उसकी संस्कृति कहा जाता है और उस योग्यता , स्वभाव अथवा आचार – व्यवहार के द्वारा जो सर्व कल्याण को ध्यान में रखते हुए आविष्कार किया जाता है वह सभ्यता कहा जाता है। 

प्रश्न 2 – सुसंस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है? ‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण अर्थात ग्रैविटेशन के सिद्धांत अथवा प्रिंसिपल का आविष्कार किया। इसलिए वह संस्कृत मानव था। आज के युग का प्राकृतिक नियमों के सिद्धांतों के विज्ञान का विद्यार्थी न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण को तो भली-भाँती समझता है ही, उसके साथ उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान प्राप्त है जिनसे शायद न्यूटन अपरिचित ही रहा। अर्थात आज के विद्यार्थी को भले ही गुरुत्वाकर्षण के साथ – साथ कई सिद्धांत और बातें पता हों लेकिन ऐसा होने पर भी हम आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को न्यूटन की अपेक्षा अधिक सभ्य भले ही कह सकते है पर न्यूटन जितना संस्कृत नहीं कह सकते। क्योंकि न्यूटन ने अपनी योग्यता , स्वभाव या आचार – व्यवहार का इस्तेमाल करके नए तथ्य का आविष्कार किया जबकि आज के विद्यार्थियों को ये आविष्कार बिना किसी कोशिश के ही प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 3 – ‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर सभ्यता और संस्कृति के बीच के अंतर को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – जिस योग्यता , क्षमता या बुद्धिमानी से , अथवा जिस स्वभाव , आदत या आचार – व्यवहार के कारण अथवा जिस प्रेरणा या उमंग के बल पर आग का व सुई – धागे का आविष्कार हुआ है , वह किसी व्यक्ति विशेष की संस्कृति कही जाती है ; और उस संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ , अथवा जो चीज़ उस व्यक्ति ने अपने तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की है , उसका नाम है सभ्यता। कहने का तात्पर्य यह है कि किसी व्यक्ति की योग्यता , स्वभाव या आचार – व्यवहार को उसकी संस्कृति कहा जाता है और उस योग्यता , स्वभाव अथवा आचार – व्यवहार के द्वारा जो सर्व कल्याण को ध्यान में रखते हुए आविष्कार किया जाता है वह सभ्यता कहा जाता है।

प्रश्न 4 – क्या संस्कृति के समान असंस्कृति भी होती है? स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – जिन साधनों का निर्माण व्यक्ति ने विनाश के लिए कर लिया है तथा जिनसे वह विनाश भी कर रहा है वह उसकी संस्कृति है या असंस्कृति और उसकी सभ्यता है या असभ्यता। संस्कृति का यदि कल्याण की भावना से नाता टूट जाएगा तो वह असंस्कृति होकर ही रहेगी और ऐसी संस्कृति का अवश्यंभावी अर्थात जिसके होने की पूरी संभावना हो ऐसा परिणाम असभ्यता के अतिरिक्त दूसरा क्या होगा ? कहने का अभिप्राय यह है कि यदि कल्याण भावना से कोई आविष्कार किया गया है तो वह संस्कृति है परन्तु यदि कल्याण की भावना निहित नहीं है तो वह असंस्कृति ही होगी।

प्रश्न 5 – कौसल्यायन जी ने ‘संस्कृति’ किसे कहा है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – हमारी समझ में मानव संस्कृति की जो योग्यता आग व सुई – धागे का आविष्कार कराती है ; वह भी संस्कृति है और जो योग्यता तारों की जानकारी कराती है , वह भी संस्कृति है ; और जो योग्यता किसी महामानव से सब कुछ अर्थात सारी धन – संपत्ति , अमूल्य निधि या पदार्थ का त्याग कराती है , वह भी संस्कृति है। कहने का अभिप्राय यह है कि जो भी योग्यता दूसरों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए कोई आविष्कार करवाती है या किसी नए तथ्य की जानकारी उपलब्ध करवाती है वह संस्कृति है।

प्रश्न 6 – ‘संस्कृति’ पाठ के संदर्भ में लिखिए कि आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराने वाली मानव की योग्यता को संस्कृति कहा जाना चाहिए या असंस्कृति। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – संस्कृति का कल्याण की भावना से गहरा नाता है। इसे कल्याण से अलग कर के नहीं देखा जा सकता। यह भावना मनुष्य को मानवता हेतु उपयोगी तथ्यों का आविष्कार करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में कोई व्यक्ति जब अपनी योग्यता का प्रयोग आत्मविनाश के साधनों की खोज करने में करता है और उससे आत्मविनाश करता है तब यह असंस्कृति बन जाती है। ऐसी संस्कृति में जब कल्याण की भावना नहीं होती है तब वह असंस्कृति का रूप ले लेती है।

Questions that appeared in 2023 Board Exams

 

प्रश्न 1 – ‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर बताइए कि ‘संस्कृत व्यक्ति’ कौन होता है? उसकी खूबियों पर टिप्पणी कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति उसे कहा जा सकता है जो अपना पेट भरा होने तथा तन ढका होने पर भी निठल्ला नहीं बैठता है। वह अपने विवेक और बुद्धि से किसी नए तथ्य का दर्शन करता है और समाज को अत्यंत उपयोगी आविष्कार देकर उसकी सभ्यता का मार्ग प्रशस्त करता है। उदाहरणार्थ न्यूटन संस्कृत व्यक्ति था जिसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की। इसी तरह सिद्धार्थ ने मानवता को सुखी देखने के लिए अपनी सुख – सुविधा छोड़कर जंगल की ओर चले गए थे। साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ वह है जो अपनी बुद्धि, अपनी समझ और अपनी क्षमता से किसी ऐसे नए तथ्य का आविष्कार करें जो सभी के लिए कल्याणकारी हो।

प्रश्न 2 – ‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर लिखिए कि आज के विज्ञान के विद्यार्थियों को लेखक न्यूटन के मुकाबले कहाँ देखता है। उसकी बातों से अपनी सहमति/असहमति तर्कों द्वारा साबित कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण अर्थात ग्रैविटेशन के सिद्धांत अथवा प्रिंसिपल का आविष्कार किया। इसलिए वह संस्कृत मानव था। आज के युग का प्राकृतिक नियमों के सिद्धांतों के विज्ञान का विद्यार्थी न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण को तो भली-भाँती समझता है ही, उसके साथ उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान प्राप्त है जिनसे शायद न्यूटन अपरिचित ही रहा। अर्थात आज के विद्यार्थी को भले ही गुरुत्वाकर्षण के साथ – साथ कई सिद्धांत और बातें पता हों लेकिन ऐसा होने पर भी हम आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को न्यूटन की अपेक्षा अधिक सभ्य भले ही कह सकते है पर न्यूटन जितना संस्कृत नहीं कह सकते। लेखक की इन बातों से हम सहमत हैं क्योंकि न्यूटन ने अपनी योग्यता , स्वभाव या आचार – व्यवहार का इस्तेमाल करके नए तथ्य का आविष्कार किया जबकि आज के विद्यार्थियों को ये आविष्कार बिना किसी कोशिश के ही प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 3 – लोग संस्कृति और सभ्यता को ठीक-ठीक समझने में अभी भी भूल क्यों करते हैं? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति शब्दों की सही समझ अब तक इसलिए नहीं बन पाई है क्योंकि लोग सभ्यता और संस्कृति शब्दों का प्रयोग तो खूब करते हैं पर वे इनके अर्थ के बारे में भ्रमित रहते हैं। वे इनके अर्थ को जाने – समझे बिना मनमाने ढंग से इनका प्रयोग करते हैं। इन शब्दों के जो अर्थ उन्हें पहले समझ में आते भी हैं , वे बाद में इन शब्दों के साथ भौतिक और आध्यात्मिक जैसे विशेषण लगाकर और भी गलत – सलत लगने लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनका अर्थ अपने – अपने विवेक से लगा लेते हैं। इससे स्पष्ट है कि इन शब्दों के सही अर्थ की समझ अब तक नहीं बन पाई है।

प्रश्न 4 – ‘संस्कृति’ पाठ के लेखक किन तर्कों के आधार पर न्यूटन को ‘संस्कृत मानव’ कहते हैं? क्या आप भी उनसे सहमत हैं? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे यह तर्क दिया गया है कि न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत संबंधी नए तथ्य का दर्शन किया और इस सिद्धांत की खोज किया। नई चीज़ की खोज करने के कारण न्यूटन संस्कृत मानव था। कुछ लोग जो न्यूटन के पीढ़ी के हैं, वे न्यूटन के सिद्धांत को जानने के अलावा अन्य बहुत – सी उन बातों का ज्ञान रखते हैं जिनसे न्यूटन सर्वथा अनभिज्ञ था, परंतु उन्हें संस्कृत मानव इसलिए नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने न्यूटन की भाँति किसी नए तथ्य का आविष्कार नहीं किया। ऐसे लोगों को संस्कृत मानव नहीं बल्कि सभ्य मानव कहा जा सकता है। इस तर्क से हम भी सहमत हैं।

 

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