CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 10 Ek Kahani Yeh Bhi Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Ek Kahani Yeh Bhi Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 10, “Ek Kahani Yeh Bhi”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘एक कहानी यह भी’ की लेखिका के जीवन पर उनकी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का क्या प्रभाव पड़ा? (25-30 शब्दों में)
उत्तर – लेखिका के व्यक्तित्व को उभारने में उनकी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का महत्त्वपूर्ण योगदान था। प्राध्यापिका ने उनके साहित्यिक दृष्टिकोण को व्यापक बनाया। उन्होंने लेखिका में आत्मविश्वास, साहस और सक्रिय भागीदारी की भावना विकसित की, जिससे लेखिका केवल विचार नहीं सुनती थीं, बल्कि उनमें भाग भी लेने लगीं।
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘एक कहानी यह भी’ की लेखिका के जीवन से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लेखिका के जीवन से हमें कठिनाइयों के बावजूद आत्मनिर्भरता, शिक्षा की महत्ता, और सामाजिक बदलाव के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने अपनी आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को पार करके खुद को स्थापित किया और अपने परिवार की जटिलताओं से सीख लेकर आगे बढ़ी।
प्रश्न 2 – ‘एक कहानी यह भी’ पाठ की लेखिका मन्नू भंडारी के अपने क्षेत्र में सफलता की ऊँचाइयों को छूने के बावजूद हीन-भाव से न उबर पाने का क्या कारण था? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – आज भी जब कोई लेखिका का परिचय करवाते समय जब कुछ विशेषता लगाकर लेखिका की लेखक संबंधी महत्वपूर्ण सफलताओं का ज़िक्र करने लगता है तो लेखिका झिझक और हिचकिचाहट से सिमट ही नहीं जाती बल्कि गड़ने – गड़ने को हो जाती हैं। अर्थात लेखिका अपनी सफलताओं का जिक्र सुनते समय झिझक जाती हैं। इसका कारण बताते हुए लेखिका कहती हैं कि शायद अचेतन मन में किसी पर्त के नीचे अब भी कोई हीन – भावना दबी हुई है जिसके चलते लेखिका को अपनी किसी भी उपलब्धि पर भरोसा नहीं हो पता है। सब कुछ लेखिका को ऐसा लगता है जैसे सब कुछ लेखिका को किस्मत मिल गया है।
प्रश्न 3 – ‘एक कहानी यह भी’ से लिया गया ‘निहायत असहाय मज़बूरी में लिपटा उनका यह त्याग कभी मेरा आदर्श नहीं बन सका।’ – यह कथन किसके लिए कहा गया है और क्यों? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘एक कहानी यह भी’ से लिया गया ‘निहायत असहाय मज़बूरी में लिपटा उनका यह त्याग कभी मेरा आदर्श नहीं बन सका।’ – यह कथन लेखिका ने अपनी माँ के लिए कहा क्योंकि लेखिका की माँ ने अपनी पूरी ज़िदगी में अपने लिए कभी कुछ नहीं माँगा , कुछ नहीं चाहा केवल सबको दिया ही दिया। अर्थात लेखिका की माँ हमेशा सबकी इच्छाओं को पूरा करने में लगी रहती थी कभी अपनी इच्छाओं पर ध्यान नहीं देती थी। भले ही लेखिका और उनके भाई – बहिनों का सारा लगाव उनकी माँ के साथ था लेकिन बहुत अधिक मजबूर और निराश्रय अर्थात मजबूरी में लिपटा उनका त्याग कभी लेखिका के लिए आदर्श नहीं बन सका। कहने का तात्पर्य यह है कि उनका त्याग , उनकी सहनशीलता और क्षमाशीलता लेखिका अपने व्यवहार में शामिल नहीं कर सकीं।
प्रश्न 4 – ‘एक कहानी यह भी’ पाठ में ‘धरती से कुछ ज्यादा ही धैर्य और सहनशक्ति थी शायद उनमें’ – यह कथन किसके लिए कहा गया है और क्यों? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – अपनी माँ के धैर्य , शांति और सब्र की तुलना लेखिका धरती से करती हैं और धरती को सबसे ज्यादा सहनशील माना जाता है और लेखिका की माँ में भी सहनशक्ति बहुत ज्यादा थी। लेखिका की माँ उनके पिता जी के हर अत्याचार और कठोर व्यवहार को इस तरह स्वीकार करती थी जैसे वे उनके इस तरह के व्यवहार को प्राप्त करने के योग्य हो और लेखिका की माँ अपने बच्चों की हर फ़रमाइश और ज़िद को चाहे वो फ़रमाइश सही हो या नहीं , अपना फर्ज समझकर बडे़ सरल और साधारण भाव से स्वीकार करती थीं। लेखिका की माँ ने अपनी पूरी ज़िदगी में अपने लिए कभी कुछ नहीं माँगा , कुछ नहीं चाहा केवल सबको दिया ही दिया। उनका त्याग , उनकी सहनशीलता और क्षमाशीलता लेखिका अपने व्यवहार में शामिल नहीं कर सकीं।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘एक कहानी यह भी’ के आधार पर स्वतंत्रता आंदोलन के आखिरी चरण के परिदृश्य का वर्णन कीजिए जिनमें कोई दो बिंदु अवश्य शामिल हों।(लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – “एक कहानी यह भी” के आधार पर स्वतंत्रता आंदोलन के आखिरी चरण का परिदृश्य बहुत ही जोशीला और सक्रिय था। स्वतंत्रता आंदोलन के आखिरी चरण में प्रभात फेरियां और हड़तालें अपनी चरम पर थी। लेखिका और उनके साथी प्रभात फेरियां निकालते, हड़तालें करवाते और नारे लगाते थे। इससे आजादी की भावना और जोश हर जगह फैला हुआ था। स्वतंत्रता आंदोलन के आखिरी चरण में छात्रों की भागीदारी भी कई गुना बढ़ गई थी। स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राएं आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। लेखिका भी इन गतिविधियों में शामिल होकर स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देती थीं।
प्रश्न 2 – हम कैसे कह सकते हैं कि मन्नू भण्डारी के पिता बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – अजमेर से पहले उनके पिता जी इंदौर में थे जहाँ उनका बहुत अधिक सम्मान और इज़्ज़त की जाती थी, उनकी बहुत प्रतिष्ठा थी और उनका नाम था। उनके पिता जी केवल शिक्षा के उपदेश ही नहीं देते थे , बल्कि उन दिनों वे आठ – आठ, दस – दस विद्यार्थियों को अपने घर रखकर पढ़ाया करते थे, और उन विद्यार्थियों में से कई तो बाद में ऊँचे – ऊँचे पदों पर पहुँचे।
प्रश्न 3 – ‘एक कहानी यह भी’ के संदर्भ में लिखिए कि वर्तमान पड़ोस-कल्चर में किन बातों का अभाव दृष्टिगोचर होता है। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – उस ज़माने में लड़कियों को उतनी अधिक आज़ादी नहीं थी परन्तु उस जमाने की एक अच्छी बात यह थी कि उस ज़माने में एक घर की दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थीं बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थीं इसलिए मोहल्ले के किसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी , बल्कि कुछ घर तो परिवार का हिस्सा ही थे। लेखिका आज के वर्तमान समय की बात करते हुए कहती हैं कि आज तो लेखिका को बड़ी प्रबलता के साथ यह महसूस होता है कि अपनी ज़िदगी खुद जीने के इस वर्तमान समय या युग में दबाव ने महानगरों के फ़्लैट में रहने वालों को हमारे इस पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाले ‘पड़ोस – कल्चर’ से बिलकुल अलग करके हम सभी को कितना संकीर्ण,असहाय और असुरक्षित बना दिया है। कहने का तात्पर्य यह है कि लेखिका पुराने समय के ‘पड़ोस – कल्चर’ को आज के फ़्लैट सिस्टम से बहुत अधिक अच्छा और सुरक्षित मानती हैं।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आधार पर लेखिका के पिताजी के सकारात्मक और नकारात्मक गुणों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – अजमेर से पहले उनके पिता जी इंदौर में थे जहाँ उनका बहुत अधिक सम्मान और इज़्ज़त की जाती थी , उनकी बहुत प्रतिष्ठा थी और उनका नाम था। उनके पिता जी केवल शिक्षा के उपदेश ही नहीं देते थे , बल्कि उन दिनों वे आठ – आठ, दस – दस विद्यार्थियों को अपने घर रखकर पढ़ाया करते थे, और उन विद्यार्थियों में से कई तो बाद में ऊँचे – ऊँचे पदों पर पहुँचे। लेखिका अपने पिता जी के दो व्यक्तित्व हमें बताती हैं। वे कहती हैं कि एक ओर तो उनके पिता जी बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और स्वयं को दूसरों से बढ़कर समझने वाले अर्थात घमंडी व्यक्ति थे।
प्रश्न 2 – मन्नू भंडारी के पिता ने अपनी आर्थिक विवशताएँ कभी बच्चों को क्यों नहीं बताईं होंगी ?
उत्तर – मन्नू भंडारी के पिता ने अपनी आर्थिक विवशताएँ कभी बच्चों को नहीं बताईं क्योंकि लेखिका के पिता ने शुरूआती दिनों में बहुत वैभवशाली दिन देखे थे। वे बहुत अहंकारी थे। बिगड़ती अर्थिक स्थिति के कारण उनका अहं और बढ़ गया था, शायद इसीलिए उन्होंने अपनी अर्थिक विवशताएँ कभी बच्चों को भी नहीं बताईं।
प्रश्न 3 – मन्नू भंडारी की ऐसी कौन-सी खुशी थी जो प्रथम स्वतंत्रता दिवस की खुशी में समाकर रह गई ?
उत्तर – सन् 1947 के मई महीने में शीला अग्रवाल जी को कॉलिज वालों ने लड़कियों को भड़काने और कॉलिज का अनुशासन बिगाड़ने के आरोप में नोटिस थमा दिया। इस बात को लेकर कोई हुड़दंग न मचे , इसलिए जुलाई में थर्ड इयर की क्लासेज़ बंद करके लेखिका और उनकी साथी छात्राओं का कॉलेज में प्रवेश करना बंद कर दिया। परन्तु लेखिका और उनकी साथियों ने हुड़दंग तो बाहर रहकर भी इतना मचाया कि कॉलिज वालों को अगस्त में आखिर थर्ड इयर खोलना पड़ा। लेखिका और बाकी साथियों को जीत की खुशी तो थी , पर उनके सामने इससे भी खड़ी बहुत – बहुत बड़ी खुशी थी जिसके सामने यह खुशी कम पड़ गई और वह ख़ुशी थी शताब्दी की सबसे बड़ी उपलब्धि 15 अगस्त 1947 अर्थात आज़ादी की खुशी।
प्रश्न 4 – “विद्यार्थी जीवन में योग्य शिक्षक सही दिशा दिखाने वाले मार्गदर्शक होते हैं” – ‘एक कहानी यह भी’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – “विद्यार्थी जीवन में योग्य शिक्षक सही दिशा दिखाने वाले मार्गदर्शक होते हैं” – ‘एक कहानी यह भी’ के आधार पर यह कथन स्पष्ट होता है। लेखिका को भी उनके विद्यार्थी जीवन में शीला अग्रवाल जैसी अच्छी शिक्षिका मिली जिन्होंने लेखिका को न केवल साहित्य में आगे बढ़ने में सहायता की बल्कि उन्होंने लेखिका का स्वतंत्रता संग्राम में भी आगे रहने में मार्गदर्शन किया। उनके मार्गदर्शन के द्वारा ही लेखिका में आत्मविश्वास जागा और उन्होंने कई सफलताएँ प्राप्त की।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – मन्नू भंडारी याद करती हैं कि उनके बचपन में पूरा मोहल्ला उनका घर होता था। लेखिका ने वर्तमान स्थिति के बारे में क्या कहा है ?
उत्तर – जहाँ लेखिका के भाइयों के खेल की गतिविधियों का दायरा घर के बाहर ही अधिक रहता था और लेखिका और उनकी बहन के खेल की गतिविधियों की सीमा घर के अंदर तक ही थी। लेखिका बताती कि भले ही उस ज़माने में लड़कियों को उतनी अधिक आज़ादी नहीं थी परन्तु उस जमाने की एक अच्छी बात यह थी कि उस ज़माने में एक घर की दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थीं बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थीं इसलिए मोहल्ले के किसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी, बल्कि कुछ घर तो परिवार का हिस्सा ही थे। लेखिका आज के वर्तमान समय की बात करते हुए कहती हैं कि आज तो लेखिका को बड़ी प्रबलता के साथ यह महसूस होता है कि अपनी ज़िदगी खुद जीने के इस वर्तमान समय या युग में दबाव ने महानगरों के फ़्लैट में रहने वालों को हमारे इस पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाले ‘पड़ोस – कल्चर’ से बिलकुल अलग करके हम सभी को कितना संकीर्ण, असहाय और असुरक्षित बना दिया है। कहने का तात्पर्य यह है कि लेखिका पुराने समय के ‘पड़ोस – कल्चर’ को आज के फ़्लैट सिस्टम से बहुत अधिक अच्छा और सुरक्षित मानती हैं।
प्रश्न 2 – मन्नू भंडारी का अपने पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – लेखिका और उसके पिता के विचारों में कुछ समानता के साथ – साथ असमानता भी थी। लेखिका के पिता में विशिष्ट बनने और बनाने की चाह थी पर वे चाहते थे कि यह सब घर की चारदीवारी में रहकर हो , जो संभव नहीं था। वे नहीं चाहते थे कि लेखिका सड़कों पर लड़कों के साथ हाथ उठा – उठाकर नारे लगाए , जुलूस निकालकर हड़ताल करे। दूसरी ओर लेखिका को अपनी घर की चारदीवारी तक सीमित आज़ादी पसंद नहीं थी। उन्हें पता था कि यदि वे अपनी जिंदगी में कुछ ख़ास करना चाहती हैं तो उन्हें घर की चारदीवारी से बाहर निकलना ही पड़ेगा। यही वैचारिक टकराहट लेखिका और उनके पिता जी के मध्य टकराव का कारण था।
प्रश्न 3 – पाठ के आधार पर मन्नू भंडारी की माँ के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – लेखिका अपनी माँ की धैर्य, शांति और सब्र की तुलना धरती से करती हैं और धरती को सबसे ज्यादा सहनशील माना जाता है और लेखिका की माँ में भी सहनशक्ति बहुत ज्यादा थी। लेखिका की माँ उनके पिता जी के हर अत्याचार और कठोर व्यवहार को इस तरह स्वीकार करती थी जैसे वे उनके इस तरह के व्यवहार को प्राप्त करने के योग्य हो और लेखिका की माँ अपने बच्चों की हर फ़रमाइश और ज़िद को चाहे वो फ़रमाइश सही हो या नहीं, अपना फर्ज समझकर बडे़ सरल और साधारण भाव से स्वीकार करती थीं। लेखिका की माँ ने अपनी पूरी ज़िदगी में अपने लिए कभी कुछ नहीं माँगा , कुछ नहीं चाहा केवल सबको दिया ही दिया। उनका त्याग, उनकी सहनशीलता और क्षमाशीलता लेखिका अपने व्यवहार में शामिल नहीं कर सकीं।
प्रश्न 4 – मन्नू भंडारी के पिता के दकियानूसी मित्र ने उन्हें क्या बताया कि वे भड़क उठे?
उत्तर – जब मन्नू भंडारी मुख्य बाजार के चौराहे पर भाषण दे रहीं थी, तब लेखिका के पिता जी के बहुत ही रुढ़िवादी या पुराने ख़याल या विचारों के एक मित्र ने लेखिका को भाषण देते हुए देख लिया था। लेखिका के पिता जी लेखिका पर विश्वास करने लगे थे, इसी विश्वास को तोड़ने का काम लेखिका के पिता जी के उन मित्र ने लेखिका के घर आ कर लेखिका के पिता जी से लेखिका की शिकायत करके किया। उन्होंने लेखिका के पिता को भड़काते हुए बहुत सी बातें सुनाई जैसे – लेखिका अर्थात मन्नू की तो मत मारी गई है पर लेखिका के पिता जी अर्थात भंडारी जी को तो बुद्धि से काम लेना चाहिए। यह तो ठीक है कि लेखिका के पिता जी ने अपनी लड़कियों को आज़ादी दी है , लेकिन लेखिका न जाने कैसे – कैसे उलटे – सीधे लड़कों के साथ हड़तालें करवाती , हुड़दंग मचाती फिर रही है। उनके और लेखिका के पिता जी के घरों की लड़कियों को यह सब शोभा नहीं देता। क्या लेखिका के पिता जी को कोई मान – मर्यादा , इज़्ज़त – आबरू का खयाल नहीं रह गया है।
प्रश्न 5 – मन्नू भंडारी और उनके पिता के बीच मतभेद के दो कारण लिखिए ।
उत्तर – लेखिका और उसके पिता के मतभेदों और टकराहट का मुख्य कारण उनके विचारों का परस्पर विरोधी होना था। एक ओर लेखिका के पिता चाहते थे कि उनकी बेटी देश और समाज के हालातों से परिचित हो, प्रगतिशील सोचवाली बने, लेकिन वह उसे घर की चारदीवारी तक ही सीमित रखना चाहते थे। लेखिका को अपने पिता की यह सीमा स्वीकार नहीं थी। लेखिका के पिता को यह स्वीकार नहीं था कि उनकी बेटी लड़कों के साथ शहर की सड़कों पर नारे लगाती, हड़ताल कराती और जुलूस निकालती घूमे। इनके अतिरिक्त लेखिका ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध राजेन्द्र यादव से विवाह किया था जो मन्नू भंडारी और उनके पिता के बीच मतभेद का एक मुख्य कारण था।
प्रश्न 6 – मन्नू भंडारी के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का प्रभाव किस रूप में पड़ा ?
उत्तर – लेखिका के व्यक्तित्व पर मुख्यतया दो लोगों का प्रभाव पड़ा, जिन्होंने उसके व्यक्तित्व को गहराई तक प्रभावित किया। ये दोनों लोग हैं – लेखिका के पिता जी और प्राध्यापिका शीला अग्रवाल जी।
पिता जी का प्रभाव – लेखिका के व्यक्तित्व पर उसके पिता जी का नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों रूपों में प्रभाव पड़ा। लेखिका के पिता का स्वभाव शक्की हो गया था क्योंकि उन्होंने जिन लोगों पर आँख बंद करके भरोसा किया था उन्होंने उनके साथ विश्वासघात किया। इसका परिणाम यह हुआ कि वे परिवार के सदस्यों को भी शक की दृष्टि से देखते थे और इसका प्रभाव लेखिका के मन में भी पड़ा , क्योंकि जब कोई लेखिका के काम को ले कर उनकी तारीफ़ करता था तो लेखिका को भी शक्क होता था की कहीं वो उनका मजाक तो नहीं बना रहा है। सकारात्मक दृष्टि से देखा जाए तो लेखिका के पिता जी ने लेखिका को राजनैतिक परिस्थितियों से अवगत कराया तथा देश के प्रति जागरूक करते हुए सक्रिय भागीदारी निभाने के योग्य बनाया।
प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का प्रभाव – लेखिका के व्यक्तित्व को उभारने में शीला अग्रवाल का महत्त्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने लेखिका की साहित्यिक समझ का दायरा बढ़ाया और अच्छी पुस्तकों को चुनकर पढ़ने में मदद की। इसके अलावा उन्होंने लेखिका में वह साहस एवं आत्मविश्वास भर दिया जिससे उसकी रगों में बहता खून लावे में बदल गया।
प्रश्न 7 – मन्नू भंडारी के पिता उन्हें किससे दूर रखना चाहते थे और क्यों ?
उत्तर – लड़कियों को जिस उम्र में स्कूली शिक्षा के साथ – साथ सलीकेदार गृहिणी और हर काम को श्रेष्ठ तरीके से ने में योग्य, खाना बनाने की कला में निपुण बनाने के उपाय सिखाए जाते थे, लेखिका के पिता जी इस बात पर बार – बार ज़ोर देते रहते थे, कि लेखिका रसोई से दूर ही रहे। क्योंकि रसोई को लेखिका के पिता जी भटियारखाना कहते थे और उनके हिसाब से वहाँ रहना अपनी क्षमता और प्रतिभा को भट्टी में झोंकना था। अर्थात लेखिका के पिता जी का मानना था कि अगर लडकियां केवल रसोई में ही रहेंगी तो भले ही वे अच्छी गृहणी के हर कार्य में निपुण हो जाएँ पर उनके अंदर के सभी गुण और योग्यताएँ समाप्त हो जाती हैं और वे एक छोटे से दायरे तक ही सिमित रह जाती हैं।
प्रश्न 8 – वह कौन-सी घटना थी जिसके कारण मन्नू भंडारी को अपने आँख-कानों पर विश्वास नहीं हो पाया ?
उत्तर – लेखिका राजनैतिक कार्यक्रमों में बढ़ – चढ़कर भाग ले रही थी। इस कारण लेखिका के कॉलेज की प्रिंसिपल ने उसके पिता जी के पास पत्र भेजा जिसमें अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की बात लिखी गई थी। यह पढ़कर लेखिका के पिता जी गुस्से में आ गए थे। वे लेखिका को बुरा – भला बड़बड़ाते हुए कॉलेज गए थे। कॉलेज की प्रिंसिपल ने जब बताया कि मन्नू के एक इशारे पर लड़कियाँ कक्षाओं को छोड़ कर बाहर आ जाती हैं और नारे लगाती हुई प्रदर्शन करने लगती हैं तो लेखिका के पिता जी ने कहा कि यह तो देश की माँग है। उन्होंने घर पहुँच कर हर्ष से गदगद होकर जब यही बात लेखिका की माँ को बताई और लेखिका की माँ ने यही बात लेखिका को बताई, इस बात को सुनकर लेखिका को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो पाया था।
प्रश्न 9 – मन्नू भंडारी की माँ का त्याग उनका आदर्श नहीं बन सका, क्यों ?
उत्तर – लेखिका की माँ हमेशा सबकी इच्छाओं को पूरा करने में लगी रहती थी कभी अपनी इच्छाओं पर ध्यान नहीं देती थी। भले ही लेखिका और उनके भाई – बहिनों का सारा लगाव उनकी माँ के साथ था लेकिन बहुत अधिक मजबूर और निराश्रय अर्थात मजबूरी में लिपटा उनका त्याग कभी लेखिका के लिए आदर्श नहीं बन सका। कहने का तात्पर्य यह है कि उनका त्याग , उनकी सहनशीलता और क्षमाशीलता लेखिका अपने व्यवहार में शामिल नहीं कर सकीं।
प्रश्न 10 – मन्नू भंडारी के पिता के स्वभाव में क्रोध और शक्कीपन आने के कुछ कारणों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – लेखिका के पिता जी को किन्ही परायों ने नहीं बल्कि उनके अपनों ने ही धोखा दिया था और लेखिका अंदाजा लगाते हुए कहती हैं कि अपनों के हाथों धोखा खाने की न जाने कैसी गहरी चोटें होंगी , जिन्होंने आँख बंद करके सबका विश्वास करने वाले उनके पिता जी को बाद के दिनों में इतना संदेह करने वाला बना दिया था कि कभी – कभी लेखिका और उनके भाई – बहन और माँ भी उसकी चपेट में आते ही रहते थे। कहने का तात्पर्य यह है कि लेखिका के पिता पहले सभी पर विश्वास करते थे परन्तु अपनों से धोखा खाने के बाद कभी – कभी लेखिका के पिता कुछ बातों पर अपने ही परिवार के लोगों पर भी संदेह करने लग गए थे।
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