CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 9 Lakhnavi Andaz Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions

 

Lakhnavi Andaz Previous Year Questions with Answers –  Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 9, “Lakhnavi Andaz”.

 

Questions which came in 2024 Board Exam

 

प्रश्न 1 – ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के लेखक को ऐसा क्यों लगा कि उनकी उपस्थिति ने नवाब साहब को असहज कर दिया? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लेखक सोचने लगे कि हो सकता है कि , नवाब साहब ने बिलकुल अकेले यात्रा करने के अंदाजे से और बचत करने के विचार से सेकंड क्लास का टिकट खरीद लिया होगा और नवाब लोग हमेशा प्रथम दर्ज़े में ही सफर करते थे और उन नवाब साहब को लेखक ने दूसरे दर्ज़े में सफ़र करते देख लिया था तो लेखक के अनुसार हो सकता है कि इस कारण उनको हिचकिचाहट हो रही हो। या फिर हो सकता है कि अकेले सफर में वक्त काटने के लिए ही उन नवाब साहब ने खीरे खरीदे होंगे और अब किसी सफेद कपड़े पहने हुए व्यक्ति अर्थात लेखक के सामने खीरा कैसे खाएँ , यह सोच कर ही शायद उन्हें परेशानी हो रही हो ?

प्रश्न 2 – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ का लेखक, डिब्बे में नवाब साहब की उपस्थिति से असहज क्यों हो गया? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लेखक, डिब्बे में नवाब साहब की उपस्थिति से असहज हो गया क्योंकि लेखक ने अंदाज़ा लगाया था कि लोकल ट्रेन का वह सेकंड क्लास का छोटा डिब्बा खाली होगा परन्तु लेखक के अंदाज़े के विपरीत वह डिब्बा खाली नहीं था। उस डिब्बे के एक बर्थ पर लखनऊ के नवाबी परिवार से सम्बन्ध रखने वाले एक सफेद कपड़े पहने हुए सज्जन व्यक्ति बहुत सुविधा से पालथी मार कर बैठे हुए थे।

प्रश्न 3 – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में लेखक किन विशेष कारणों से सेकेंड क्लास में यात्रा करने का निर्णय लेता है? क्या वह अपने उद्देश्य में सफल हो पाता है? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लेखक ने टिकट सेकंड क्लास का ले लिया ताकि वे अपनी नयी कहानी के संबंध में सोच सके और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य का नज़ारा भी ले सकें , इसलिए भीड़ से बचकर , शोरगुल से रहित ऐसा स्थान जहाँ कोई न हो। लेखक ने अंदाज़ा लगाया था कि लोकल ट्रेन का वह सेकंड क्लास का छोटा डिब्बा खाली होगा परन्तु लेखक के अंदाज़े के विपरीत वह डिब्बा खाली नहीं था। उस डिब्बे के एक बर्थ पर लखनऊ के नवाबी परिवार से सम्बन्ध रखने वाले एक सफेद कपड़े पहने हुए सज्जन व्यक्ति बहुत सुविधा से पालथी मार कर बैठे हुए थे।

Questions that appeared in 2023 Board Exams

 

प्रश्न 1 – ‘नवाब साहब ने खीरे बाहर फेंक दिए’- आपकी दृष्टि में उनका यह व्यवहार कहाँ तक उचित है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – अपनी झूठी शान दिखाने के लिए नवाब साहब ने खीरे बाहर फेंक दिए। उनका यह व्यवहार बिलकुल भी उचित नहीं था क्योंकि उन्होंने स्वयं ही खीरे खाने के लिए ख़रीदे थे और लेखक के सामने खीरे खाना उन्हें अपनी शान के विरुद्ध लग रहा था। 

प्रश्न 2 – ‘झूठी शान और दिखावे से अपना व्यक्तित्व ही धूमिल पड़ता है।’ इस कथन को ‘लखनवी अंदाज़’ कहानी के आधार पर उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘झूठी शान और दिखावे से अपना व्यक्तित्व ही धूमिल पड़ता है।’ ‘लखनवी अंदाज़’ कहानी के आधार पर यह स्पष्ट होता है। उदाहरण के लिए, जब नवाब साहब की खीरे काटने की हर एक क्रिया – प्रक्रिया और उनके जबड़ों की कंपन से यह स्पष्ट था कि उन खीरों को काटने और उस पर जीरा – मिला नमक और लाल मिर्च की लाली बिखेरने की सारी प्रक्रिया में उनका मुख खीरे के रस का स्वाद लेना की कल्पना मात्र से ही जल से भर गया था। जिस तरह जब हम अपनी पसंदीदा खाने की किसी चीज़ को देखते हैं तो हमारे मुँह में पानी आ जाता है उसी तरह नवाब साहब के मुँह में भी खीरों को खाने के लिए तैयार करते समय पानी भर आया था। नवाब साहब ने सेकंड क्लास का टिकट ही इस ख़याल से लिया होगा ताकि कोई उनको खीरा खाते न देख लें लेकिन अब लेखक के ही सामने इस तरह खीरे को खाने के लिए तैयार करते समय अपना स्वभाविक व्यवहार कर रहे थे। 

प्रश्न 3 – नवाब साहब की झूठी शानों-शौकत और घमंड भरे व्यवहार को देखकर लेखक ने उनके साथ किस प्रकार का व्यवहार किया? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर इसे साबित कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – नवाब साहब अपनी नवाबी शान-शौकत को दिखाने की आदत रखते थे। वह अपनी हरकत से ठाट-बाट का प्रदर्शन करने में लगे थे। लेखक के डब्बे में आने पर नवाब साहब ने लेखक के साथ सफ़र करने के लिए किसी भी प्रकार की कोई ख़ुशी जाहिर नहीं की। लेखक भी बिना नवाब की ओर देखते हुए उनके सामने की सीट पर जा कर बैठ गए। और जब उन्होंने खीरे खाने की तैयारी की तो उससे उनके दिखावे की झलक स्पष्ट दिख रही थी जिस कारण लेखक ने उनके द्वारा खीरे खाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

 

Questions which came in 2022 Board Exam

 

प्रश्न 1 – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा।
उत्तर – लेखक बताते हैं कि आराम से अगर लोकल ट्रेन के सेकंड क्लास में जाना हो तो उसके लिए कीमत भी अधिक लगती है। लेखक को बहुत दूर तो जाना नहीं था। लेकिन लेखक ने टिकट सेकंड क्लास का ही ले लिया ताकि वे अपनी नयी कहानी के संबंध में सोच सके और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य का नज़ारा भी ले सकें , इसलिए भीड़ से बचकर , शोरगुल से रहित ऐसा स्थान जहाँ कोई न हो , लेखक ने चुना।

प्रश्न 2 – यदि लेखक ने खीरा खा लिया होता तो क्या नवाब साहब भी खीरा खा लेते ? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर तर्क सहित स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – यदि लेखक ने खीरा खा लिया होता, तो संभव है कि नवाब साहब भी खीरा खा लेते। लखनवी अंदाज़ पाठ में नवाब साहब अपनी शान और आत्म-सम्मान को बनाए रखने के प्रयास में थे। लेखक की उपस्थिति और उसके द्वारा खीरा न खाने से नवाब साहब को अपने दिखावे को बनाए रखना पड़ा। यदि लेखक खीरा खा लेता, तो नवाब साहब भी दिखावा छोड़कर खीरा खाने लगते क्योंकि वे भी खीरे का आनंद लेना चाहते थे, लेकिन समाज में नवाबी स्थिति और शिष्टता के कारण वे खीरा नहीं खा पा रहे थे। 

प्रश्न 3 – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में पाठकों के लिए क्या संदेश निहित है ?
उत्तर – ‘लखनवी अंदाज’ नामक पाठ के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहता है कि हमें अपना व्यावहारिक दृष्टिकोण विस्तृत करते हुए दिखावेपन से दूर रहना चाहिए। हमें वर्तमान के कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए तथा काल्पनिकता को छोड़कर वास्तविकता को अपनाना चाहिए जो हमारे व्यवहार और आचरण में भी दिखना चाहिए।

प्रश्न 4 – खीरा खाने की चाहत होते हुए भी लेखक ने नवाब साहब के आग्रह पर खीरा क्यों नहीं खाया ? उसने खीरा खाने की अपनी अरुचि का क्या कारण बताया ? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर – नवाब लोग अपनी नवाबी को कायम रखने के लिए दिखावे का सहारे लेते हैं। जब लेखक अचानक नवाब साहब वाले डब्बे में आया तो उस समय नवाब साहब खीरे खाने की तैयारी में थे। परन्तु लेखक जैसे आम आदमी के समक्ष खीरे जैसी तुच्छ चीज खाना नवाब साहब को अपनी हैसीयत के विपरीत लगा। जब लेखक ने खीरा खाने से इंकार कर दिया तब अपनी झूठी नवाबी शान को दिखाने के लिए उन्होंने खीरे फ़ेंक दिए और कारण बताया कि खीरा पेट के लिए अच्छा नहीं होता। उनका यह कारण बिलकुल गलत था क्योंकि उन्होंने स्वयं ही खीरे खाने के लिए ख़रीदे थे परन्तु लेखक के समक्ष झूठा दिखावा करने के लिए खीरे नहीं खाए।

 प्रश्न 5 – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए कि गाड़ी के किस डिब्बे में लेखक चढ़ गए और उनका कौन-सा अनुमान प्रतिकूल निकला ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक जिस लोकल ट्रेन से जाना चाहता था, किसी कारण थोड़ी देरी होने के कारण लेखक से वह गाड़ी छूट रही थी। सेकंड क्लास के एक छोटे डिब्बे को खाली समझकर, लेखक ज़रा दौड़कर उसमें चढ़ गए। लेखक ने अंदाज़ा लगाया था कि लोकल ट्रेन का वह सेकंड क्लास का छोटा डिब्बा खाली होगा परन्तु लेखक के अंदाज़े के विपरीत वह डिब्बा खाली नहीं था। उस डिब्बे के एक बर्थ पर लखनऊ के नवाबी परिवार से सम्बन्ध रखने वाले एक सफेद कपड़े पहने हुए सज्जन व्यक्ति बहुत सुविधा से पालथी मार कर बैठे हुए थे।

प्रश्न 6 – ‘लेखक की तुलना में नवाब साहब अधिक शिष्ट और सभ्य थे।’ ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर सोदाहरण बताइए ।
उत्तर – लखनवी अंदाज़ पाठ के आधार पर, नवाब साहब लेखक की तुलना में अधिक शिष्ट और सभ्य थे। क्योंकि नवाब साहब ने बड़े ही सलीके से खीरे को खाने से पहले उसे साफ किया, और अत्यंत शाही तरीके से तैयार किया। नवाब साहब ने खीरा खाने से पहले लेखक से कई बार पूछा कि क्या वह खीरा खाना पसंद करेगा। किन्तु लेखक ने केवल अपने आत्मसम्मान को बचाने के लिए खीरा खाने से इंकार कर दिया और तिरछी नजरों से केवल नवाब साहब को देखता रहा।

प्रश्न 7 – नवाब साहब ने खीरा न खाने का जो कारण बताया, क्या वह सही था ? ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर कारण सहित लिखिए |
उत्तर – जब लेखक ने खीरा खाने से इंकार कर दिया तब अपनी झूठी नवाबी शान को दिखाने के लिए उन्होंने खीरे फ़ेंक दिए और कारण बताया कि खीरा पेट के लिए अच्छा नहीं होता। उनका यह कारण बिलकुल गलत था क्योंकि उन्होंने स्वयं ही खीरे खाने के लिए ख़रीदे थे परन्तु लेखक के समक्ष झूठा दिखावा करने के लिए खीरे नहीं खाए।

प्रश्न 8 – ‘नवाबी नसल’ से आप क्या समझते हैं ? ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के संदर्भ में लिखिए ।
उत्तर – “लखनवी अंदाज’ पाठ में नवाब साहब की सभी हरकतें, दिखावे व् नजाकत लखनवी नवाबों जैसे हैं। नवाब लोग अपनी हैसियत को ऊँचा दिखाने के लिए दिखावे करते हैं। पाठ में नवाब साहब भी पहले तो खीरा खाने की सभी तैयारियों को बड़ी ही नजाकत से पूरा किया परन्तु जब लेखक ने खीरा खाने से मना कर दिया तब अपनी झूठी शान दिखाने के लिए खीरे को तुच्छ कहकर फ़ेंक दिया।

प्रश्न 9 – लेखक को देखकर नवाब साहब असहज क्यों हो गए ? ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – लेखक के डिब्बे में अचानक से कूद जाने के कारण उन सज्जन के ध्यान में बाधा या अड़चन पड़ गई थी, जिस कारण उन सज्जन की नाराज़गी साफ़ दिखाई दे रही थी। लेखक उन सज्जन की नाराज़गी को देख कर सोचने लगे कि, हो सकता है, वे सज्जन भी किसी कहानी के लिए कुछ सोच रहे हों या ऐसा भी हो सकता है कि लेखक ने उन सज्जन को खीरे – जैसी तुच्छ वस्तु का शौक करते देख लिया था और इसी हिचकिचाहट के कारण नवाब साहब असहज हो गए।

प्रश्न 10 – लेखक को नवाब साहब का मौन रहना और बातें करना दोनों ही अच्छा नहीं लग रहा था, क्यों ? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर – लेखक को नवाब साहब का मौन रहना और बातें करना दोनों ही अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि जब नवाब साहब बात कर रहे थे तब उनकी झूठी शान और दिखावा साफ दिख रहा था। और जब नवाब साहब मौन थे और खीरे को शाही तरीके से काटकर सजा रहे थे तो वह लेखक को असहज कर रहा था, क्योंकि इससे उनकी असली स्थिति और दिखावे की असंगति स्पष्ट हो रही थी।

प्रश्न 11 – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में नवाब साहब ने लेखक को खीरे की क्या विशेषता बताई और क्या वह सही थी ?
उत्तर – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में नवाब साहब ने लेखक को खीरे के बारे में कहा कि खीरा होता तो बहुत स्वादिष्ट है लेकिन जल्दी पचने वाला नहीं होता , और साथ – ही – साथ बेचारे बदनसीब पेट पर बोझ डाल देता है। यह बात बिलकुल अनुचित है क्योंकि नवाब साहब ने खीरे ख़रीदे तो खाने के लिए ही थे परन्तु लेखक जैसे आम आदमी के सामने खीरे जैसे तुच्छ वस्तु का सेवन करना उन्हें अपनी शान के खिलाफ लगा।

प्रश्न 12 – बड़े जतन से खीरा खाने की तैयारी के बावजूद भी नवाब साहब ने खीरा क्यों नहीं खाया ? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए |
उत्तर – बड़े जतन से खीरा खाने की तैयारी के बावजूद भी नवाब साहब ने खीरा इसलिए नहीं खाया क्योंकि नवाब साहब ने खीरे ख़रीदे तो खाने के लिए ही थे परन्तु लेखक जैसे आम आदमी के सामने खीरे जैसे तुच्छ वस्तु का सेवन करना उन्हें अपनी शान के खिलाफ लगा।

प्रश्न 13 – नवाब साहब द्वारा किया गया सहसा अभिवादन लेखक को अच्छा नहीं लगने के क्या कारण रहे होंगे ? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर – लेखक के डिब्बे में अचानक से कूद जाने के कारण उन सज्जन के ध्यान में बाधा या अड़चन पड़ गई थी, जिस कारण उन सज्जन की नाराज़गी साफ़ दिखाई दे रही थी। लेखक उन सज्जन की नाराज़गी को देख कर सोचने लगे कि, हो सकता है, वे सज्जन भी किसी कहानी के लिए कुछ सोच रहे हों या ऐसा भी हो सकता है कि लेखक ने उन सज्जन को खीरे जैसी तुच्छ वस्तु का शौक करते देख लिया था और इसी हिचकिचाहट के कारण नवाब साहब असहज हो गए। नवाब साहब कुछ देर तक तो गाड़ी की खिड़की से बाहर देखकर वर्तमान स्थिति पर गौर करते रहे थे , अचानक से ही नवाब साहब ने लेखक को पूछा कि क्या लेखक भी खीरे खाना पसंद करेंगे । इस तरह अचानक से नवाब साहब के व्यवहार में हुआ परिवर्तन लेखक को कुछ अच्छा नहीं लगा। क्योंकि पहले के व्यवहार से स्पष्ट था कि नवाब साहब को लेखक का डिब्बे में आना पसंद नहीं आया था।

प्रश्न 14 – क्या सेकंड क्लास में बैठकर लेखक अपनी नई कहानी के बारे में सोच पाया ? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर – सेकंड क्लास में बैठकर लेखक अपनी नई कहानी के बारे में अवश्य सोच पाया क्योंकि जब नवाब साहब ने लेखक को खीरे के बारे में बताया कि खीरा होता तो बहुत स्वादिष्ट है लेकिन जल्दी पचने वाला नहीं होता , और साथ – ही – साथ बेचारे बदनसीब पेट पर बोझ डाल देता है। नवाब साहब की ऐसी बातें सुनकर लेखक को जो बात समझ नहीं आ रही थी अब समझ में आ रही थी ! नवाब साहब की बात सुन कर लेखक ने मन ही मन सोचा कि नवाब साहब ही नयी कहानी के लेखक हैं, क्योंकि लेखक के अनुसार अगर खीरे की सुगंध और स्वाद का केवल अंदाज़ा लगा कर ही पेट भर जाने का डकार आ सकता है तो बिना विचार, बिना किसी घटना और पात्रों के, लेखक के केवल इच्छा करने से ही ‘नयी कहानी’ भी बन सकती। 

प्रश्न 15 – ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए कि नवाब साहब को खीरे खाने की तैयारी करते देख लेखक ने क्या सोचा ? उसके मन में कौन-सी इच्छा जगी और नवाब साहब के पूछने पर उसने खाने से क्यों मना कर दिया ?
उत्तर – लेखक तिरछी नज़रों से नवाब साहब को खीरे खाने की तैयारी करते देखकर सोच रहे थे , नवाब साहब ने सेकंड क्लास का टिकट ही इस ख़याल से लिया होगा ताकि कोई उनको खीरा खाते न देख लें लेकिन अब लेखक के ही सामने इस तरह खीरे को खाने के लिए तैयार करते समय अपना स्वभाविक व्यवहार कर रहे हैं। अपना काम कर लेने के बाद नवाब साहब ने फिर एक बार लेखक की ओर देख लिया और फिर उनसे एक बार खीरा खाने के लिए पूछ लिया, और साथ – ही – साथ उन खीरों की खासियत बताते हुए कहते हैं कि वे खीरे लखनऊ के सबसे प्रिय खीरें हैं। नमक – मिर्च छिड़क दिए जाने से उन ताज़े खीरे की पानी से भरे लम्बे – लम्बे टुकड़ों को देख कर लेखक के मुँह में पानी ज़रूर आ रहा था, लेकिन लेखक पहले ही इनकार कर चुके थे, जिस कारण लेखक ने अपना आत्मसम्मान बचाना ही उचित समझा।

 

Questions from the Chapter in 2020 Board Exams

 

प्रश्न 1 – ‘लखनवी अंदाज़’ रचना में नवाब साहब की सनक को आप कहाँ तक उचित ठहराएँगे? क्यों ?
उत्तर – ‘लखनवी अंदाज’ रचना में नवाब साहब की सनक को काफी हद तक सकारात्मक कहा जा सकता है। आप सनक को किस रूप से लेते हैं यह जरूरी है क्योंकि सनक अंदाज की हो या बलिदान की वह सकारात्मक और नकारात्मक हमारी सोच पर निर्भर करती है। देशभक्ति रखने वाला देश भक्त, संत, महात्माओं की भक्ति और परोपकार की सनक महापुरुषों की नव निर्माण की सनक सकारात्मक है, तो नवाब साहब की सनक भी सकारात्मक है, अर्थात‌ उचित है। क्योंकि वे भी अपने नवाबी अंदाज को बरकरार रखना चाह रहे थे।

प्रश्न 2 – नवाब साहब द्वारा लेखक से बातचीत की उत्सुकता न दिखाने पर लेखक ने क्या किया ?
उत्तर – जब लेखक डिब्बे में आया तब नवाब साहब ने लेखक से बातचीत की उत्सुकता नहीं दिखायी। लेखक ने नवाब साहब की इस उपेक्षा का बदला उपेक्षा से ही दिया। उसने भी नवाब साहब से बातचीत की उत्सुकता नहीं दिखाई और नवाब साहब के सामने बैठकर भी उनसे आँखें फेर ली। ऐसा लेखक ने इसलिए किया क्योंकि यह लेखक के स्वाभिमान का प्रश्न था, जिसे वह बनाए रखना चाहता था।

प्रश्न 3 – नवाब साहब किस वर्ग के प्रतीक हैं ? उनके प्रति आपकी राय क्या है ? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में नवाब साहब सामंती वर्ग के प्रतीक हैं। नवाब साहब के माध्यम से लेखक ने समाज के उस सामंती वर्ग पर व्यंग्य किया है, जो वास्तविकता से दूर एक बनावटी जीवन जीने का आदी है। उनके प्रति हमारी राय केवल इतनी है कि बनावटी दुनिया से हट कर उन्हें वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए। आज भी समाज में ऐसी दिखावटी संस्कृति दिखाई देती हैं जिनके अधीन लोग वास्तविकता से दूर केवल दिखावे के लिए अपने सनकी व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं।

प्रश्न 4 – ‘लखनवी अंदाज़’ के लेखक ने नवाब साहब के सामने बैठ आँखें क्‍यों चुरा लीं?
उत्तर – ‘लखनवी अंदाज़’ के लेखक ने नवाब साहब के सामने बैठ आँखें चुरा लीं क्योंकि जब लेखक डिब्बे में आया तब नवाब साहब ने लेखक से बातचीत की उत्सुकता नहीं दिखायी। लेखक ने नवाब साहब की इस उपेक्षा का बदला उपेक्षा से ही दिया। उसने भी नवाब साहब से बातचीत की उत्सुकता नहीं दिखाई और नवाब साहब के सामने बैठकर भी उनसे आँखें फेर ली। कहा जा सकता है कि लेखक ने अपने आत्मसम्मान में आँखें चुरा लीं थी।

प्रश्न 5 – नवाब साहब की नवाबी प्रकृति को स्पष्ट करते हुए लिखिए कि उन्होंने खीरा खाना उचित क्यों नहीं समझा।
उत्तर – नवाब लोग अपनी नवाबी को कायम रखने के लिए दिखावे का सहारे लेते हैं। जब लेखक अचानक नवाब साहब वाले डब्बे में आया तो उस समय नवाब साहब खीरे खाने की तैयारी में थे। परन्तु लेखक जैसे आम आदमी के समक्ष खीरे जैसी तुच्छ चीज खाना नवाब साहब को अपनी हैसियत के विपरीत लगा। इसी वजह से उन्होंने खीरा खाना उचित नहीं समझा।

प्रश्न 6 – “पतनशील सामंती समाज झूठी शान के लिए जीता है” – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – “पतनशील सामंती समाज झूठी शान के लिए जीता है” – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर यह बात स्पष्ट की गई है। क्योंकि जब लेखक अचानक नवाब साहब वाले डब्बे में आया तो उस समय नवाब साहब खीरे खाने की तैयारी में थे। परन्तु लेखक जैसे आम आदमी के समक्ष खीरे जैसी तुच्छ चीज खाना नवाब साहब को अपनी हैसियत के विपरीत लगा। जिस कारण खीरा पसंद होते हुए भी नवाब साहब ने खीरा खाने की पूरी प्रक्रिया की और खीरा खाने के स्थान पर फेंक दिया।

 

2019 Exam Question and Answers from the chapter

 

प्रश्न 1 – ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा?
उत्तर – लेखक बताते हैं कि आराम से अगर लोकल ट्रेन के सेकंड क्लास में जाना हो तो उसके लिए कीमत भी अधिक लगती है। लेखक को बहुत दूर तो जाना नहीं था। लेकिन लेखक ने टिकट सेकंड क्लास का ही ले लिया ताकि वे अपनी नयी कहानी के संबंध में सोच सके और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य का नज़ारा भी ले सकें , इसलिए भीड़ से बचकर , शोरगुल से रहित ऐसा स्थान जहाँ कोई न हो , लेखक ने चुना।

प्रश्न 2 – ‘लखनवी अंदाज़’ के पात्र नवाब साहब के व्यवहार पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर – नवाब साहब के व्यवहार में तहजीब, नजाकत के साथ-साथ दिखावेपन की झलक दिखती है। उनमें नवाबी अकड़ थी जिस कारण वह स्वयं को दूसरों से अधिक शिष्ट व शालीन दिखाना चाहते हैं। खीरा पसंद होते हुए भी कहीं लेखक उन्हें तुच्छ न समझ ले इसलिए खीरे की गंध को ग्रहण कर स्वाद का आनन्द लेकर बाहर फेंक दिया जो बहुत ही हास्यास्पद लगता है। परन्तु अपनी खानदानी नवाबी और दिखावटी जीवनशैली द्वारा वे स्वयं को गर्वित महसूस करते हैं। और स्वयं को दूसरों से अधिक उच्च समझते हैं।

प्रश्न 3 – खीरा काटने में नवाब साहब की विशेषज्ञता का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए ।
उत्तर – नवाब साहब ने पहले खीरों को अच्छे से धोया और पोंछ कर सुखाया और फिर तौलिये को बिछा कर साफ खीरे उस पर सजा दिए। तत्पश्रात खीरों को फांकों में काटा और उस पर नमक और लाल मिर्च की सुखी बुरक दी। बड़े इत्मीनान से खीरों को सूँघा और बिना खाये ही रसास्वादन करके सभी खीरों को खिड़की से बाहर फेंक दिया।

प्रश्न 4 – नवाब साहब ने खीरा खाने की पूरी तैयारी की और उसके बाद उसे बिना खाए फेंक दिया । इस नवाबी व्यवहार पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर – नवाब साहब ने यत्नपूर्वक खीरा काटकर नमक – मिर्च छिड़का और सूँघ कर खिड़की से बाहर फेंक दिया। उनका ऐसा करना उनकी नवाबी ठसक दिखाता है। वे लोगों के कार्य व्यवहार से हटकर अलग कार्य करके अपनी नवाबी दिखाने की कोशिश करते हैं। उनका ऐसा करना उनके अमीर स्वभाव और नवाबीपन दिखाने की प्रकृति या स्वभाव को इंगित करता है।

 प्रश्न 5 – नवाब साहब के किन हाव-भावों से लेखक को अनुभव हुआ कि वे बातचीत करने को तनिक भी उत्सुक नहीं हैं ? ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – भीड़ से बचकर यात्रा करने के उद्देश्य से जब लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में चढ़ा तो देखा उसमें एक नवाब साहब पहले से बैठे थे। लेखक को देखकर उन नवाब साहब ने कुछ ऐसे हाव – भाव दिखाए जिनको देखकर लेखक ने जान लिया कि नवाब साहब उनसे बातचीत करने के इच्छुक नहीं हैं।
वे हाव – भाव थे –

  • नवाब साहब के चिंतन में व्यवधान पड़ा , जिससे उनके चेहरे पर व्यवधान के भाव उभर आए।
  • नवाब साहब की आँखों में असंतोष का भाव उभर आया।
  • उन्होंने लेखक से बातचीत करने की पहल नहीं की।
  • लेखक की ओर देखने के बजाए वे खिड़की से बाहर देखते रहे।
  • कुछ देर बाद वे डिब्बे की स्थिति को देखने लगे। 

प्रश्न 6 – ‘लखनवी अंदाज़’ में नवाब साहब के द्वारा खीरे को छीलने और परोसने का जो सूक्ष्म वर्णन लेखक ने किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर – नवाब साहब ने पहले खीरों को अच्छे से धोया और पोंछ कर सुखाया और फिर तौलिये को बिछा कर साफ खीरे उस पर सजा दिए। तत्पश्रात खीरों को फांकों में काटा और उस पर नमक और लाल मिर्च की सुखी बुरक दी। बड़े इत्मीनान से खीरों को सूँघा और बिना खाये ही रसास्वादन करके सभी खीरों को खिड़की से बाहर फेंक दिया। 

प्रश्न 7 – नवाब साहब ने खीरों को सूँघा और खिड़की से बाहर फेंक दिया। नवाब साहब के इस व्यवहार को उचित या अनुचित कैसे ठहराएँगे ?
उत्तर – नवाब साहब ने यत्नपूर्वक खीरा काटकर नमक – मिर्च छिड़का और सूँघ कर खिड़की से बाहर फेंक दिया। उनका ऐसा करना उनकी नवाबी ठसक दिखाता है। वे लोगों के कार्य व्यवहार से हटकर अलग कार्य करके अपनी नवाबी दिखाने की कोशिश करते हैं। उनका ऐसा करना उनके अमीर स्वभाव और नवाबीपन दिखाने की प्रकृति या स्वभाव को दर्शाता है। नवाब साहब का यह व्यवहार बिलकुल अनुचित था क्योंकि केवल अपनी झूठी शान दिखाने के लिए उन्होंने खाने का अपमान किया और पैसे भी बर्बाद किया। जबकि उन्हें खीरे बहुत पसंद थे।

प्रश्न 8 – ‘लखनवी अंदाज़’ को रोचक कहानी बनाने वाली कोई दो बातें लिखिए ।
उत्तर – ‘लखनवी अंदाज़’ को रोचक कहानी बनाने वाली दो बातें निम्नलिखित हैं –
पहली नवाब साहब का खीरे छिलने, काटने व् बिना खाए ही फ़ेंक देना।
दूसरा लेखक का नवाब साहब को सब कार्य करते हुए तिरछी निगाहों से देखना व् सभी बातों का रोचक ढंग से वर्णन करना।

प्रश्न 9 – आप कैसे कह सकते हैं कि नवाब साहब को लेखक यशपाल का डिब्बे में आना पसंद नहीं आया ?
उत्तर – लेखक के डिब्बे में अचानक से कूद जाने के कारण नवाब साहब के ध्यान में बाधा या अड़चन पड़ गई थी , जिस कारण नवाब साहब की नाराज़गी साफ़ दिखाई दे रही थी। लेखक नवाब साहब की नाराज़गी को देख कर सोचने लगे कि , हो सकता है , वे नवाब साहब भी किसी कहानी के लिए कुछ सोच रहे हों या ऐसा भी हो सकता है कि लेखक ने नवाब साहब को खीरे – जैसी तुच्छ वस्तु का शौक करते देख लिया था और इसी हिचकिचाहट के कारण वे नाराज़गी में हों। उन नवाब साहब ने लेखक के साथ सफ़र करने के लिए किसी भी प्रकार की कोई ख़ुशी जाहिर नहीं की।

 

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