CBSE Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 3 Manushyata Question Answers from previous years question papers (2019-2025) with Solutions
Manushyata Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 3, “Manushyata”.
Questions from the Chapter in 2025 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि लोगों से किस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा करता है? किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख कीजिए। (25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि लोगों से परोपकार की भावना और सहानुभूति पूर्ण व्यवहार की अपेक्षा करता है। वह चाहता है कि मनुष्य दूसरों के लिए जिए और त्याग करे।
प्रश्न 2 – किसी भी देश के विकास के लिए उदार व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, कैसे? ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर लिखिए। (25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के अनुसार, उदार व्यक्ति अपने त्याग, सहानुभूति और परोपकार से समाज को जोड़ते हैं और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करते हैं। ऐसे लोग ही राष्ट्र को नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाते हैं। उनका योगदान विकास की नींव होता है क्योंकि वे दूसरों के कल्याण में अपना जीवन समर्पित करते हैं।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘मनुष्यता’ कविता के संदर्भ में लिखिए कि उदार लोगों के प्रति संसार कैसा आचरण करता है ?
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के अनुसार जो मनुष्य अपने पूरे जीवन में दूसरों की चिंता करता है उस महान व्यक्ति की कथा का गुण गान सरस्वती अर्थात पुस्तकों में किया जाता है। पूरी धरती उस महान व्यक्ति की आभारी रहती है। उस व्यक्ति की बातचीत हमेशा जीवित व्यक्ति की तरह की जाती है और पूरी सृष्टि उसकी पूजा करती है। जो व्यक्ति पूरे संसार को अखण्ड भाव और भाईचारे की भावना में बाँधता है वह व्यक्ति सही मायने में मनुष्य कहलाने योग्य होता है।
प्रश्न 2 – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने वास्तविक सामर्थ्यवान किसे कहा है और क्यों ?
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने वास्तविक सामर्थ्यवान उसे कहा है जो दूसरों के लिए जीना व मरना सीख ले। जो दूसरों की चिंता करे। जो त्याग भाव जान ले। जो दूसरों के लिए मरता और जीता है। जो दूसरों का परोपकार व कल्याण करें। जो दुःख में दूसरे मनुष्यों के काम आये। जो आपसी समझ को बनाये रखें और भेदभाव को बढ़ावा न दें। ऐसी सोच वाला मनुष्य ही वास्तविक सामर्थ्यवान है, जो अपने साथ-साथ दूसरों का कल्याण और उद्धार कर सके।
प्रश्न 3 – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर लिखिए कि मृत्यु को सुमृत्यु कब माना जाता है ?
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर जिस मनुष्य में अपने और अपनों के हित-चिंतन से पहले और सर्वोपरि दूसरों का हित चिंतन होता है और उसमें वे गुण हों, जिनके कारण कोई मनुष्य मृत्युलोक से गमन कर जाने के बावजूद युगों तक दुनिया की यादों में बना रहे, ऐसे मनुष्य की मृत्यु को ही कवि ने सुमृत्यु कहा है।
अर्थात जब किसी मनुष्य को उसके सद्गुणों के कारण मृत्यु के बाद भी याद किया जाता है तो उस मनुष्य की मृत्यु भी सुमृत्यु बन जाती है।
प्रश्न 4 – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर लिखिए कि कैसा जीवन जीने वाले लोग मरकर अमर हो जाते हैं।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर कहा जा सकता है कि मर कर भी वह मनुष्य कभी नहीं मरता जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीता है, क्योंकि अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं। कवि के अनुसार मनुष्य वही है जो दूसरे मनुष्यों के लिए मरे अर्थात जो मनुष्य दूसरों की चिंता करे वही असली मनुष्य कहलाता है। ऐसे व्यक्तियों को मरने के बाद भी याद किया जाता है अर्थात वे मरकर भी अमर हो जाते हैं।
प्रश्न 5 – ‘मनुष्यता’ कविता में किस तरह के जीवन को व्यर्थ कहा गया है और क्यों ?
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में ऐसे जीवन को व्यर्थ कहा गया है जिसमें मनुष्य दूसरों के लिए कुछ भी ना कर सके। ऐसे जीवन जीने वाले मनुष्य का जीना और मरना दोनों बेकार है। क्योंकि मर कर भी वह मनुष्य कभी नहीं मरता जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीता है, क्योंकि अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं। मनुष्य वही है जो दूसरे मनुष्यों के लिए मरे अर्थात जो मनुष्य दूसरों की चिंता करें।
प्रश्न 6 – ‘मनुष्यता’ कविता में ‘विचार लो कि मर्त्य हो’ कहकर कवि पाठकों को क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में ‘विचार लो कि मर्त्य हो’ कहकर कवि पाठकों को संदेश देना चाहता है कि हमें यह जान लेना चाहिए कि मृत्यु का होना निश्चित है, हमें मृत्यु से नहीं डरना चाहिए। बल्कि हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि लोग हमें मरने के बाद भी याद रखें क्योंकि जो मनुष्य दूसरों के लिए कुछ भी ना कर सके, उनका जीना और मरना दोनों बेकार है।
प्रश्न 7 – “घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी” – ‘मनुष्यता’ कविता से ली गई इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने जीवन रूपी मार्ग पर आगे बढ़ते समय क्या याद रखने को कहा है और क्यों ?
उत्तर – “घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी” – ‘मनुष्यता’ कविता से ली गई इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने जीवन रूपी मार्ग पर आगे बढ़ते समय यह याद रखने को कहा है कि मनुष्यों को अपनी इच्छा से चुने हुए मार्ग में ख़ुशी ख़ुशी चलना चाहिए, रास्ते में कोई भी संकट या बाधाएं आये, उन्हें हटाते चले जाना चाहिए। मनुष्यों को यह ध्यान रखना चाहिए कि आपसी समझ न बिगड़े और भेदभाव न बड़े। बिना किसी तर्क वितर्क के सभी को एक साथ ले कर आगे बढ़ना चाहिए तभी यह संभव होगा कि मनुष्य दूसरों की उन्नति और कल्याण के साथ अपनी समृद्धि भी कायम करें।
प्रश्न 8 – मानव जीवन का सबसे बड़ा भय मृत्यु ही है, फिर भी ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मृत्यु से भयभीत न होने की बात क्यों कही है ?
उत्तर – यह सत्य है कि मानव जीवन का सबसे बड़ा भय मृत्यु ही है, फिर भी ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मृत्यु से भयभीत न होने की बात कही है क्योंकि हमें यह जान लेना चाहिए कि मृत्यु का होना निश्चित है, हमें मृत्यु से नहीं डरना चाहिए। मृत्यु के भय को छोड़कर हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि लोग हमें मरने के बाद भी याद रखें। जो मनुष्य दूसरों के लिए कुछ भी ना कर सकें, उनका जीना और मरना दोनों बेकार है । मर कर भी वह मनुष्य कभी नहीं मरता जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीता है। कवि के अनुसार मनुष्य वही है जो दूसरे मनुष्यों के लिए मरे अर्थात जो मनुष्य दूसरों की चिंता करे।
प्रश्न 9 – ‘मनुष्यता’ कविता में भाग्यहीन किसे और क्यों कहा गया है ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में ऐसे व्यक्तियों को भाग्यहीन कहा गया है जो संपत्ति या यश पर घमंड करते हैं। कविता में कहा गया है कि इस बात पर कभी गर्व नहीं करना चाहिए कि हमारे साथ हमारे अपनों का साथ है क्योंकि इस संसार में कोई भी व्यक्ति अनाथ नहीं है, उस ईश्वर का साथ सब के साथ है। वह बहुत दयावान है उसका हाथ सबके ऊपर रहता है। वह व्यक्ति भाग्यहीन है जो इस प्रकार का उतावलापन रखता है क्योंकि मनुष्य वही व्यक्ति कहलाता है जो इन सब चीजों से ऊपर उठ कर सोचता है।
Questions which came in 2022 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘विचार लो कि मर्त्य हो, न मृत्यु से डरो कभी’ – ‘मनुष्यता’ कविता से उद्धृत प्रस्तुत पंक्ति का भाव
कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में ‘विचार लो कि मर्त्य हो, न मृत्यु से डरो कभी’ पंक्ति का भाव यह है कि हमें यह जान लेना चाहिए कि मृत्यु का होना निश्चित है, हमें मृत्यु से नहीं डरना चाहिए। बल्कि हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि लोग हमें मरने के बाद भी याद रखें क्योंकि जो मनुष्य दूसरों के लिए कुछ भी ना कर सके, उनका जीना और मरना दोनों बेकार है।
प्रश्न 2 – कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है? ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर बताइए।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर जिस मनुष्य में अपने और अपनों के हित-चिंतन से पहले और सर्वोपरि दूसरों का हित चिंतन होता है और उसमें वे गुण हों, जिनके कारण कोई मनुष्य मृत्युलोक से गमन कर जाने के बावजूद युगों तक दुनिया की यादों में बना रहे, ऐसे मनुष्य की मृत्यु को ही कवि ने सुमृत्यु कहा है।
अर्थात जब किसी मनुष्य को उसके सद्गुणों के कारण मृत्यु के बाद भी याद किया जाता है तो उस मनुष्य की मृत्यु भी सुमृत्यु बन जाती है।
प्रश्न 3 – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर लिखिए कि पशु-प्रवृत्ति क्या है और सच्चा मनुष्य किसे कह सकते हैं।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर जो मनुष्य दूसरों के लिए कुछ भी ना कर सके, उनका जीना और मरना दोनों बेकार है। मर कर भी वह मनुष्य कभी नहीं मरता जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीता है, क्योंकि अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं अर्थात केवल अपने ही कल्याण के बारे में सोचना व् अपने ही स्वार्थ के लिए जीना पशु-प्रवृत्ति के अंतर्गत आता है। कवि के अनुसार सच्चा मनुष्य वही है जो दूसरे मनुष्यों के लिए मरे अर्थात जो मनुष्य दूसरों की चिंता करे वही असली मनुष्य कहलाता है।
प्रश्न 4 – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने सब को साथ चलने की प्रेरणा क्यों दी है? इससे समाज को क्या लाभ हो सकता है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने सब को साथ चलने की प्रेरणा दी है। मनुष्यों को अपनी इच्छा से चुने हुए मार्ग में ख़ुशी ख़ुशी चलना चाहिए,रास्ते में कोई भी संकट या बाधाएं आये, उन्हें हटाते चले जाना चाहिए। मनुष्यों को यह ध्यान रखना चाहिए कि आपसी समझ न बिगड़े और भेदभाव न बड़े। बिना किसी तर्क वितर्क के सभी को एक साथ ले कर आगे बढ़ना चाहिए तभी यह संभव होगा कि मनुष्य दूसरों की उन्नति और कल्याण के साथ अपनी समृद्धि भी कायम करें।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि मनुष्य को क्या प्रेरणा देना चाहता है?(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि यह प्रेरणा देना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है। परोपकार ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हम युगों तक लोगो के दिल में अपनी जगह बना सकते है और परोपकार के द्वारा ही समाज का कल्याण व समृद्धि संभव है। अतः हमें परोपकारी बनना चाहिए ताकि हम सही मायने में मनुष्य कहलाये।
प्रश्न 2 – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि किन-किन मानवीय गुणों का वर्णन करता है। आप इन गुणों को क्यों आवश्यक समझते हैं, तर्क सहित उतर लिखिए।(लगभग 60-70 शब्दों में)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य के बहुत से मानवीय गुणों का वर्णन किया है जैसे – प्रेम, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति, उदारता, त्याग आदि। इन सभी मानवीय गुणों को मनुष्य के लिए आवश्यक बताया गया है। क्योंकि असली मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीना व मरना सीख ले। जो दूसरों की चिंता करे। जो त्याग भाव जान ले। जो दूसरों के लिए मरता और जीता है। जो भेदभाव से ऊपर उठ कर सोचे। जो दयालु और परोपकारी हो। जो दुःख में दूसरे मनुष्यों के काम आये। जो विपत्ति और विघ्न को हटाते हुए अपने चुने हुए रास्तों पर चले और आपसी समझ को बनाये रखें क्योंकि ऐसी सोच वाला मनुष्य ही अपना और दूसरों का कल्याण और उद्धार कर सकता है। कवि ने दधीचि, कर्ण, रंतिदेव आदि लोगों के उदाहरण द्वारा दूसरों के लिए जीने की, उनकी सहायता करने की प्रेरणा दी है।
प्रश्न 3 – ‘मनुष्यता’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में समझाइए।(लगभग 80-100 शब्दों में)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में इंसानियत का सही अर्थ समझाने का प्रयास किया गया है। मनुष्य को मृत्यु से नहीं डरना चाहिए क्योंकि मृत्यु तो निश्चित है पर हमें ऐसा कुछ करना चाहिए कि लोग हमें मृत्यु के बाद भी याद रखें। असली मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीना व मरना सीख ले। हमें उदार बनना चाहिए क्योंकि उदार मनुष्यों का हर जगह गुण गान होता है। पुराणों में उन लोगों के बहुत उदाहरण हैं जिन्हें उनकी त्याग भाव के लिए आज भी याद किया जाता है। सच्चा मनुष्य वही है जो त्याग भाव जान ले। मनुष्यों के मन में दया और करुणा का भाव होना चाहिए। हम सब उस एक ईश्वर की संतान हैं। हमें भेदभाव से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। हमें दयालु बनना चाहिए क्योंकि दयालु और परोपकारी मनुष्यों का देवता भी स्वागत करते हैं। विपत्ति और विघ्न को हटाते हुए मनुष्य को अपने चुने हुए रास्तों पर चलना चाहिए, आपसी समझ को बनाये रखना चाहिए और भेदभाव को नहीं बढ़ाना चाहिए ऐसी सोच वाला मनुष्य ही अपना और दूसरों का कल्याण और उद्धार कर सकता है।
प्रश्न 4 – ‘मनुष्यता’ कविता के द्वारा कवि ने क्या प्रतिपादित करना चाहा है? विस्तार से स्पष्ट कीजिए।(लगभग 80-100 शब्दों में)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के द्वारा कवि एक सच्चे मनुष्य के गुणों का उल्लेख कर रहा है। उसके अनुसार एक सच्चा मनुष्य वही है, जो केवल अपने बारे में न सोचकर सभी के कल्याण के बारे में सोचें। कवि ने राजा रंतिदेव, दधीचि, राजा उशीनर एवं कर्ण जैसे महादानियों का उदाहरण देकर मनुष्यों को दान जैसे पुण्यकर्म करने के लिए प्रेरित किया है। समाज में फैली कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए महात्मा बुद्ध का उदाहरण देकर उनके समान स्नेहपूर्वक सारी कुप्रथाओं का अंत के करने की ओर संकेत किया है। कवि समझाना चाहते हैं कि एक सच्चा मानव वही है जो सब कुछ पाने के बाद भी घमंड न करे और अपना ही कल्याण नहीं अपितु संसार के कल्याण एवं सुख की भी कामना करे। एक सच्चा मनुष्य प्रेम, सद्भावना, सच्चाई एवं दया जैसे गुणों को बढ़ावा देता है। और कभी किसी भी विपत्ति में घबराता नहीं है। समाज की उन्नति व् समृद्धि के लिए आज के समय में सच्चे मनुष्यों की ही आवश्यकता है।
प्रश्न 5 – ‘ ‘मनुष्यता’ कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने एक ओर स्वर्णिम भारत का पौराणिक और ऐतिहासिक गौरवपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया है तो दूसरी ओर आधुनिक भारत की समस्त चेतनाओं और मान्यताओं का सफल प्रतिनिधित्व भी किया है।’ विस्तार से स्पष्ट कीजिए। (लगभग 80-100 शब्दों में)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने एक ओर स्वर्णिम भारत का पौराणिक और ऐतिहासिक गौरवपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि पुराणों तथा पौराणिक कथाएं ऐसे व्यक्तियों के उदाहरणों से भरी पड़ी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए त्याग दिया जिस कारण उन्हें आज तक याद किया जाता है। भूख से परेशान रतिदेव ने अपने हाथ की आखरी थाली भी दान कर दी थी और महर्षि दधीचि ने तो अपने पूरे शरीर की हड्डियाँ वज्र बनाने के लिए दान कर दी थी। उशीनर देश के राजा शिबि ने कबूतर की जान बचाने के लिए अपना पूरा मांस दान कर दिया था। वीर कर्ण ने अपनी ख़ुशी से अपने शरीर का कवच दान कर दिया था। इन सभी उदाहरणों के द्वारा मैथिलीशरण गुप्त ने आधुनिक भारत की समस्त चेतनाओं और मान्यताओं का सफल प्रतिनिधित्व भी किया है। जहाँ उन्होंने एक सच्चे मानव के गुणों को बतलाकर मनुष्य को मनुष्यता की ओर अग्रसर किया है।
प्रश्न 6 – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर लिखिए की उदार व्यक्ति के कौन-कौन से गुण उसे अलग पहचान देते हैं। अपने परिचितों में से किसी एक का उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि उसे उदार व्यक्ति कैसे कहा जा सकता है।(लगभग 80-100 शब्दों में)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर उदार व्यक्ति परोपकारी होता है। अपने हित से पहले दूसरों के हित के बारे में सोचता है। अपना पूरा जीवन दूसरों के कल्याण व लोकहित में बिता देता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता, सभी के साथ समान आत्मीय भाव रखता है। प्रेम, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति, उदारता, त्याग आदि कुछ ऐसे गुण हैं जो उदार व्यक्ति को दूसरों से अलग पहचान देते हैं।
अपने ताऊ जी में मैं इन सभी गुणों का मिश्रण देखती हूँ। वे सभी को एक समान दृष्टि से देखते हैं व् सभी का भला करने में विश्वास रखते हैं। वे हम सभी को एक सीख हमेशा देते रहते हैं ‘सादा जीवन उच्च विचार’ , स्वयं भी वे इसका पालन करते हैं। उन्हीं की देखरेख में मेरा पूरा बचपन बीता है और आज मैं अपने भीतर जो भी सद्गुण अनुभव करती हूँ वे सभी ताऊ जी की ही देन है। (उदाहरण छात्र अपने शब्दों में लिखें)
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – कविता के आधार पर मनुष्यता के गुणों/लक्षणों की चर्चा विस्तारपूर्वक कीजिए।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त मनुष्य मात्र के बंधुत्व को परिभाषित करते हुए, हमें मनुष्यता से आवृत गुणों के मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं। उनके अनुसार, जीना मरना उसी का सार्थक है, जो दूसरों के लिए जीता मरता है। परोपकार, दयालुता और उदारता; ये तीन मानवीय गुण ऐसे हैं, जो मानव जीवन को सार्थक बनाने में सक्षम है। दूसरों का हित-चिंतन भी अपने और अपनों के हित-चिंतन की तरह महत्वपूर्ण होना चाहिए। केवल अपने लिए जीना पशु-प्रवृत्ति है, जबकि दूसरों के लिए जीना ही सच्चे अर्थों में मनुष्यता है।
प्रश्न 2 – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर लिखिए कि पशु-प्रवृत्ति क्या है।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर स्पष्ट है कि पशु की यह प्रवृत्ति होती है कि वह आप ही आप चरता है, उसे दूसरों की चिंता नहीं होती व् पशु केवल अपने लिए ही जीता है। केवल अपनी सुख-सुविधाओं की चिंता करना मनुष्य को शोभा नहीं देता। अतः उसे इस पशु-प्रवृत्ति का अनुकरण नहीं करना चाहिए क्योंकि सच्चा मनुष्य तो वही कहलाता है जो परहित में आत्मबलिदान तक कर देता है।
प्रश्न 3 – उन मानवीय गुणों पर अपने विचार व्यक्त कीजिए जिनका उल्लेख कवि ने ‘मनुष्यता’ कविता में किया है।
उत्तर – राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर हमें मानवीय गुणों पर चलने की सलाह दी है। कवि के अनुसार, जीना मरना उसी का सार्थक है, जो दूसरों के लिए जीता मरता है। परोपकार, दयालुता और उदारता; ये तीन मानवीय गुण ऐसे हैं, जो मानव जीवन को सार्थक बनाने में सक्षम है। केवल अपने लिए जीना पशु-प्रवृत्ति है, जबकि दूसरों के लिए जीना ही सच्चे अर्थों में मनुष्यता है।
प्रश्न 4 – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि यह सन्देश देना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है। परोपकार ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हम युगों तक लोगो के दिल में अपनी जगह बना सकते है और परोपकार के द्वारा ही समाज का कल्याण व समृद्धि संभव है। अतः हमें परोपकारी बनना चाहिए ताकि हम सही मायने में मनुष्य कहलाये।
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