Ram Lakshman Parshuram Samvad Question Answers

 

Class 10 Hindi A Kshitij Bhag 2 Book Chapter 2 Ram Lakshman Parshuram Samvad question answers

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राम लक्ष्मण परशुराम संवाद Important Question Answers

 

Ram Lakshman Parshuram Samvad Question Answers (Extract Based Questions) (पठित काव्यांश)

पठित काव्यांश प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

1 –

नाथ संभुधनु भंजनिहारा होइहि केउ एक दास तुम्हारा ।।

आयेसु काह कहिअ किन मोही सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही ।।

सेवकु सो जो करै सेवकाई अरिकरनी करि करिअ लराई ।।

सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा सहसबाहु सम सो रिपु मोरा ।।

सो बिलगाउ बिहाइ समाजा मारे जैहहिं सब राजा ।।

सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने बोले परसुधरहि अवमाने

बहु धनुही तोरी लरिकाईं कबहुँ असि रिस कीन्हि गोसाईं ।।

येहि धनु पर ममता केहि हेतू सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू ।।

 

प्रश्न 1 – श्री राम जी के द्वारा शिव धनुष तोड़े जाने के कारण कौन क्रोधित हो जाते हैं?

() परशुराम जी

() भगवान् शिव

() लक्ष्मण जी

() राम जी स्वयं

उत्तर () परशुराम जी

 

प्रश्न 2 – शिव धनुष तोड़ने वाले के लिए परशुराम जी किन वाक्यों का प्रयोग करते हैं?

() सेवक वह कहलाता है , जो सेवा का कार्य करता है। शत्रुता का काम करके तो लड़ाई ही मोल ली जाती है

() जिसने भी भगवान् शिव के धनुष को तोड़ा है , उसकी चाहे हज़ार भुजाएँ हों वह फिर भी मेरा शत्रु है

() जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह व्यक्ति खुद बखुद इस समाज से अलग हो जाए , नहीं तो यहाँ उपस्थित सभी राजा मारे जाएँगे

() उपरोक्त सभी

उत्तर () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 3 – काव्यांश मेंभंजनिहाराकिसे कहा गया है? 

() वस्तुओं को निहारने वाला

() हज़ार भुजाओं वाला

() भंग करने वाला व् तोड़ने वाला

() भुजाओं को तोड़ने वाला

उत्तर () भंग करने वाला व् तोड़ने वाला

 

प्रश्न 4 – प्रभु राम क्या कह कर परशुराम जी के क्रोध को शांत करने की कोशिश करने लगे?

() हे नाथ ! भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक दास ही होगा

() हे नाथ ! भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई शत्रु ही होगा

() हे नाथ ! भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक शिष्य ही होगा

() हे नाथ ! भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई शुभचिंतक ही होगा

उत्तर – () हे नाथ ! भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक दास ही होगा

 

प्रश्न 5 – “सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने” , पंक्ति में कौनसा अलंकार है

() रूपक अलंकार

() मानवीकरण अलंकार

() उत्प्रेक्षा अलंकार

() अनुप्रास अलंकार

उत्तर () उपरोक्त सभी

 

2 –

लखन कहा हसि हमरे जाना सुनहु देव सब धनुष समाना ।।

का छति लाभु जून धनु तोरें देखा राम नयन के भोरें ।।

छुअत टूट रघुपतिहु दोसू मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू ।।

बोले चितै परसु की ओरा रे सठ सुनेहि सुभाउ मोरा ।।

बालकु बोलि बधौं नहि तोही केवल मुनि जड़ जानहि मोही ।।

बाल ब्रह्मचारी अति कोही बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही ।।

भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही

सहसबाहुभुज छेदनिहारा परसु बिलोकु महीपकुमारा ।।

 

प्रश्न 1 – लक्ष्मण जी परशुराम जी के क्रोध को बेमतलब का क्यों कहते हैं?

() क्योंकि उनके अनुसार सभी धनुष एक समान होते हैं

() क्योंकि उनके अनुसार श्री राम ने केवल उस धनुष को छुआ था, और वह छुंते ही टूट गया

() क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि उस धनुष के साथ परशुराम जी के क्या भाव जुड़े थे

() उपरोक्त सभी

उत्तर – () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 2 – ‘भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्हीपंक्ति का क्या आशय है?

() अपनी भुजाओं के बल का प्रदर्शन कई बार दुनिया के समक्ष किया

() अपनी भुजाओं के बल से पृथ्वी को कई बार राजाओं से रहित करके उसे ब्राह्मणों को दान में दे दिया था

() इन भुजाओं के समान इस पृथ्वी पर किसी में इतना बल नहीं है

() भुजाओं के बल पर कई राजा पृथ्वी को दान कर चुके हैं

उत्तर – () अपनी भुजाओं के बल से पृथ्वी को कई बार राजाओं से रहित करके उसे ब्राह्मणों को दान में दे दिया था

 

प्रश्न 3 – काव्यांश मेंबिस्वबिदितका क्या अर्थ है

() दुनिया में सबसे अनोखा

() दुनिया में प्रसिद्ध

() दुनिया में सबसे अलग

() दुनिया में सबसे बुद्धिमान

उत्तर – () दुनिया में प्रसिद्ध

 

प्रश्न 4 – ‘बाल ब्रह्मचारी अति कोही बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोहीपंक्ति में परशुराम जी क्या जताना चाहते हैं?

() कि वे अत्यधिक क्रोधी व्यक्ति हैं

() कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं

() कि वे क्षत्रियकुल के शत्रु हैं

() वे लक्ष्मण जी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहते थे केवल अपने क्रोध का परिचय देना चाहते थे

उत्तर – () वे लक्ष्मण जी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहते थे केवल अपने क्रोध का परिचय देना चाहते थे

 

प्रश्न 5 – काव्यांश में परशुराम जी लक्ष्मण जी को क्या समझाने का प्रयास कर रहे हैं?

() कि उनसे बलवान इस पृथ्वी पर और कोई दूसरा नहीं है

() कि उन्हें जब क्रोध आता है तो वे किसी बालक को भी मारने से नहीं हिचकिचाते

() कि उनसे क्रोधी महर्षि इस पूरी पृथ्वी पर दूसरा नहीं मिलेगा

() कि बाल ब्रह्मचारी हैं और वे क्षत्रिय कुल के शत्रु हैं

उत्तर () कि उन्हें जब क्रोध आता है तो वे किसी बालक को भी मारने से नहीं हिचकिचाते

 

3 –

बिहसि लखनु बोले मृदु बानी अहो मुनीसु महाभट मानी ।।

पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु चहत उड़ावन फूँकि पहारू ।।

इहाँ कुम्हड़बतिआ कोउ नाहीं जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।।

देखि कुठारु सरासन बाना मैं कछु कहा सहित अभिमाना ।।

भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी ।।

सुर महिसुर हरिजन अरु गाईं हमरे कुल इन्ह पर सुराई ।।

बधें पापु अपकीरति हारें मारतहू पा परिअ तुम्हारें ।।

कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा ।।

जो बिलोकि अनुचित कहेउँ छमहु महामुनि धीर

सुनि सरोष भृगुबंसमनि बोले गिरा गंभीर ।।

 

प्रश्न 1 – लक्ष्मण जी ने परशुराम जी के हाथ में फरसा और धनुषबाण देखकर ही अभिमानपूर्वक कुछ कहा था। कहने का क्या तात्पर्य यह है?

() कि एक ब्राह्मण ही दूसरे ब्राह्मण से अभिमान पूर्वक कुछ कह सकता है

() कि एक क्षत्रिय ही दूसरे क्षत्रिय से अभिमान पूर्वक कुछ कह सकता है

() कि एक ब्राह्मण ही किसी क्षत्रिय से अभिमान पूर्वक कुछ कह सकता है

() कि एक क्षत्रिय ही किसी ब्राह्मण से अभिमान पूर्वक कुछ कह सकता है

उत्तर – () कि एक क्षत्रिय ही दूसरे क्षत्रिय से अभिमान पूर्वक कुछ कह सकता है

 

प्रश्न 2 – जनेऊ से परशुराम जी क्या जान पड़ते हैं?

() एक साधारण ब्राह्मण

() एक भृगुवंशी क्षत्रिय 

() एक भृगुवंशी ब्राह्मण

() एक क्रोधी ब्राह्मण

उत्तर – () एक भृगुवंशी ब्राह्मण

 

प्रश्न 3 – लक्ष्मण जी के अनुसार परशुराम जी ने व्यर्थ में ही फरसा और धनुषबाण धारण किया हुआ है। क्यों?

() क्योंकि परशुराम जी एक भृगुवंशी ब्राह्मण हैं

() क्योंकि परशुराम जी का तो एकएक वचन ही करोड़ों वज्रों के समान कठोर है

() क्योंकि एक ब्राह्मण को फरसा और धनुषबाण धारण करना शोभा नहीं देता

() उपरोक्त सभी

उत्तर() क्योंकि परशुराम जी का तो एकएक वचन ही करोड़ों वज्रों के समान कठोर है

 

प्रश्न 4 – कौन देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गाय, इन सभी पर वीरता नहीं दिखाया करते?

() रघुकुल वीर

() क्षत्रिय कुल

() श्रीराम व् लक्ष्मण जी

() परशुराम जी

उत्तर – () रघुकुल वीर

 

प्रश्न 5 – लक्षमण जी ने, यहाँ कोई भी अपनी तर्जनी उँगली को देखते ही मरने वाला नहीं है, ऐसा क्यों कहा है?

() क्योंकि परशुराम जी ने क्रोध में अपनी तर्जनी उँगली लक्ष्मण जी को दिखाई थी

() क्योंकि परशुराम जी ने क्रोध में अपनी तर्जनी उँगली सभी को दिखा कर डराना छाह था

() क्योंकि परशुराम जी ने क्रोध में अपनी तर्जनी उँगली दिखा कर वहाँ सभा में उपस्थित सभी राजाओं का वध कर देने की बात कही थी

() उपरोक्त सभी

उत्तर () क्योंकि परशुराम जी ने क्रोध में अपनी तर्जनी उँगली दिखा कर वहाँ सभा में उपस्थित सभी राजाओं का वध कर देने की बात कही थी

 

4 –

कौसिक सुनहु मंद येहु बालकु | कुटिलु कालबस निज कुल घालकु ।।

भानुबंस राकेस कलंकू निपट निरंकुसु अबुधु असंकू ।।

कालकवलु होइहि छन माहीं कहौं पुकारि खोरि मोहि नाहीं ।।

तुम्ह हटकहु जौ चहहु उबारा कहि  प्रतापु बलु रोषु हमारा ।।

लखन कहेउ मुनि सुजसु तुम्हारा तुम्हहि अछत को बरनै पारा ।।

अपने मुहु तुम्ह आपनि करनी बार अनेक भाँति बहु बरनी ।।

नहि संतोषु पुनि कछु कहहू जनि रिस रोकि दुसह दुख सहहू ।।

बीरब्रती तुम्ह धीर अछोभा गारी देत पावहु सोभा ।।

सूर समर करनी करहिं कहि जनावहिं आपु

बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु ।।

 

प्रश्न 1 – परशुराम जी किसे लक्ष्मण जी को समझाने को कहते हैं?

() श्री राम जी को

() विश्वामित्र जी को

() जनक जी को

() जनक जी की सभा में उपस्थित लोगों को

उत्तर () विश्वामित्र जी को

 

प्रश्न 2 – परशुराम जी लक्ष्मण जी को कैसा बालक कहते हैं?

() मूर्ख

() निडर

() उदंण्ड 

() उपरोक्त सभी

उत्तर – () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 3 – ‘राकेस कलंकूकिसके लिए प्रयुक्त किया गया है?

() श्री राम

() लक्ष्मण जी

() परशुराम जी

() रधुवंश कुल

उत्तर – () लक्ष्मण जी

 

प्रश्न 4 – लक्ष्मण जी ने शूरवीर किसे कहा है?

() जो युद्ध भूमि में वीरता सिद्ध करता है

() जो अपनी बढ़ई करता है

() जो अपने आप अपनी शूरवीरता गिनाता है

() जो अत्यधिक क्रोध दिखता है

उत्तर () जो युद्ध भूमि में वीरता सिद्ध करता है

 

प्रश्न 5 – परशुराम जी ने लक्ष्मण जी को शांत करवाने के लिए विश्वामित्र जी को क्यों कहा?

() क्योंकि परशुराम जी लक्ष्मण जी से युद्ध करने से डर रहे थे

() क्योंकि परशुराम जी नहीं चाहते थे कि वे लक्ष्मण जी से और बातें करें

() परशुराम जी ने लक्ष्मण जी से बात करके अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते थे

() क्योंकि परशुराम जी नहीं चाहते थे कि वे क्रोध में कुछ अनर्थ कर दें

उत्तर – () क्योंकि परशुराम जी नहीं चाहते थे कि वे क्रोध में कुछ अनर्थ कर दें

 

5 –

तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा बार बार मोहि लागि बोलावा ।।

सुनत लखन के बचन कठोरा परसु सुधारि धरेड कर घोरा ।।

अब जनि देइ दोसु मोहि लोगू कटुबादी बालकु बधजोगू ।।

बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा अब येहु मरनिहार भा साँचा ।।

कौसिक कहा छमिअ अपराधू बाल दोष गुन गनहिं साधू ।।

खर कुठार मैं अकरुन कोही आगे अपराधी गुरुद्रोही ।।

उतर देत छोड़ौं बिनु मारे केवल कौसिक सील तुम्हारे ।।

येहि काटि कुठार कठोरे गुरहि उरिन होतेउँ श्रम थोरे ।।

गाधिसूनु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ

अयमय खाँड़ ऊखमय अजहुँ बूझ अबूझ ।।

 

प्रश्न 1 – “तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा” , पंक्ति में कौन सा अलंकार हैं?

() रूपक अलंकार

() उत्प्रेक्षा अलंकार

() उपमा अलंकार

() अनुप्रास अलंकार

उत्तर () उत्प्रेक्षा अलंकार

 

प्रश्न 2 – गाधिसूनु किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

() लक्ष्मण

() श्री राम

() परशुराम

() विश्वामित्र

उत्तर – () विश्वामित्र

 

प्रश्न 3 – साधु लोग किसकी गिनती नहीं करते हैं?

() बालकों के गुणों की

() बालकों के गुण और दोष की

() बालकों के दोषों की

() बालकों के क्रोध की

उत्तर () बालकों के गुण और दोष की

 

प्रश्न 4 – विश्वामित्र किस पर मन ही मन हँस रहे थे?

() परशुराम पर

() श्री राम पर

() लक्ष्मण पर

() जनक पर

उत्तर() परशुराम पर

 

प्रश्न 5 – परशुराम जी श्री राम व् लक्ष्मण को क्या समझ रहे थे?

() साधारण बालक

() साधारण क्षत्रिय

() साधारण राजकुमार

() हठी बालक

उत्तर() साधारण क्षत्रिय

 

6 – (CBSE 2021)

कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा को नहि जान बिदित संसारा ।।

माता पितहि उरिन भये नीकें गुररिनु रहा सोचु बड़ जी कें ।।

सो जनु हमरेहि माथें काढ़ा दिन चलि गये ब्याज बड़ बाढ़ा ।।

अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली तुरत देउँ मैं थैली खोली ।।

सुनि कटु बचन कुठार सुधारा हाय हाय सब सभा पुकारा

भृगुबर परसु देखाबहु मोही बिप्र बिचारि बचौं नृपद्रोही ।।

मिले कबहूँ सुभट रन गाढ़े द्विजदेवता घरहि के बाढ़े ।।

अनुचित कहि सबु लोगु पुकारे रघुपति सयनहि लखनु नेवारे ।।

लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु

बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु ||

 

प्रश्न 1 – किसका पराक्रम विश्व प्रसिद्ध है?

() श्री राम

() लक्ष्मण

() परशुराम

() विश्वामित्र

उत्तर () परशुराम

 

प्रश्न 2 – लक्ष्मण जी के वचन परशुराम जी की क्रोधाग्नि में कैसे काम कर रही थी?

() घी का

() पानी का

() आहुति का

() प्रेम का

उत्तर – () घी का

 

प्रश्न 3 – परशुराम जी के क्रोध को कौन शांत करने का प्रयास कर रहा था?

() विश्वामित्र जी

() लक्ष्मण जी

() श्री राम जी

() जनक जी

उत्तर() श्री राम जी

 

प्रश्न 4 – “जल सम बचन” , में कौन सा अलंकार है?

() उपमा अलंकार

() रूपक अलंकार

() उत्प्रक्षा अलंकार

() अनुप्रास अलंकार

उत्तर () उपमा अलंकार

 

प्रश्न 5 – रघुकुलभानु किसके लिए प्रयुक्त किया गया है?

() लक्ष्मण

() श्री राम

() परशुराम

() विश्वामित्र

उत्तर – () श्री राम
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Ram Lakshman Parshuram Samvad Question Answers (Extra Questions) (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)

 

 

प्रश्न 1 – शिव धनुष तोड़े जाने पर परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम क्या वचन कहते हैं?

उत्तर श्री राम जी के द्वारा शिव धनुष तोड़े जाने के कारण जब परशुराम जी क्रोधित हो जाते हैं। जब उन के क्रोध को देखकर जनक के दरबार में सभी लोग भयभीत हो गए तो श्री राम ने आगे बढ़कर परशुराम जी से कहा कि हे मुनिवर भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला आपका ही कोई एक दास होगा। आप की क्या आज्ञा है, आप मुझसे क्यों नहीं कहते? कहने का तात्पर्य यह है कि श्री राम परशुराम जी के क्रोध को शांत करने का प्रयास कर रहे थे। 

 

प्रश्न 2 – राम के जल के सामान शीतल वचनों को सुन कर भी परशुराम जी क्रोधित हो कर क्या कहते हैं?

उत्तर राम के वचन सुनकर क्रोधित परशुराम जी कहते हैं कि सेवक वह कहलाता है , जो सेवा का कार्य करता है। शत्रुता का काम करके तो लड़ाई ही मोल ली जाती है। कहने का तात्पर्य यह है कि आप किसी को कष्ट दे कर उसको खुशी नहीं दे सकते। परशुराम जी यहाँ तक कह देते हैं कि जिसने भगवान शिव जी के इस धनुष को तोड़ा है, वह सहस्रबाहु के समान उनका शत्रु है। और जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह व्यक्ति खुद बखुद जनक की सभा से अलग हो जाए , नहीं तो वहाँ उपस्थित सभी राजा मारे जाएँगे।

 

प्रश्न 3 – परशुराम जी के क्रोध का लक्ष्मण किस तरह मज़ाक बनाते हैं?

उत्तर परशुराम जी के क्रोधपूर्ण वचनों को सुनकर लक्ष्मण जी परशुराम जी का अपमान करते हुए कहते हैं कि बचपन में उन्होंने ऐसे छोटेछोटे बहुत से धनुष तोड़ डाले थे, किंतु ऐसा क्रोध तो कभी किसी ने नहीं किया, जिस प्रकार परशुराम जी कर रहे हैं। इसी धनुष पर उनकी इतनी ममता क्यों है? लक्ष्मण यह भी कहते हैं कि इस धनुष के टूटने से क्या लाभ है तथा क्या हानि, यह बात उनकी समझ में नहीं रही है। क्योंकि श्री राम जी ने तो इसे केवल छुआ था, लेकिन यह धनुष तो छूते ही टूट गया। फिर इसमें श्री राम जी का क्या दोष है? लक्ष्मण परशुराम जी के क्रोध को बेमतलब का मान रहे थे क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि उस धनुष के साथ परशुराम जी के क्या भाव जुड़े थे।

 

प्रश्न 4 – लक्ष्मण की व्यंग्य भरी बातें सुनकर परशुराम जी कैसे उत्तर देते हैं?

उत्तर लक्ष्मण की व्यंग्य भरी बातें सुनकर परशुराम जी अत्यंत क्रोधित हो जाते हैं और लक्ष्मण जी से कहते हैं कि मृत्यु के वश में होने से उन्हें यह भी होश नहीं कि वे क्या बोल रहे हैं? क्योंकि वे समस्त विश्व में विख्यात भगवान शिव के धनुष की तुलना अपने बचपन में तोड़े हुए धनुषों के साथ कर रहे हैं। परशुराम जी अपने आराध्य भगवान् शिव के धनुष के टूटने से अत्यंत दुखी हैं और धनुष को तोड़ने वाले को अपने शत्रु की तरह देख रहे हैं।

 

प्रश्न 5 – राम, लक्ष्मण, परशुराम संवाद में परशुराम जी लक्ष्मण जी को अपना परिचय कैसे देते हैं?

OR

परशुराम ने अपनी किन विशेषताओं का उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया? (CBSE 2019)

उत्तर राम, लक्ष्मण, परशुराम संवाद में परशुराम जी अपना परिचय अत्यधिक क्रोधी स्वभाव वाले व्यक्ति के रूप में देते हैं और बताते हैं कि वे पूरे विश्व में क्षत्रिय कुल के घोर शत्रु के रूप में प्रसिद्ध हैं। लक्ष्मण जी को अपना फरसा दिखाकर कहते हैं कि क्या उन्होंने परशुराम जी के स्वभाव के विषय में नहीं सुना है? वे केवल बालक समझकर लक्ष्मण जी का वध नहीं कर रहे हैं। क्या लकसजमन जी उन्हें केवल एक मुनि समझ रहे हैं? वे बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति हैं। उन्होंने अपनी भुजाओं के बल से पृथ्वी को कई बार राजाओं से रहित करके उसे ब्राह्मणों को दान में दे दिया था। अपने फरसे से उन्होंने सहस्रबाहु अर्थात हजारों लोगों की भुजाओं को काट डाला था।

 

प्रश्न 6 – परशुराम जी लक्ष्मण जी को अपने क्रोध परिचय कैसे देते हैं और वे लक्ष्मण जी को नुक्सान क्यों नहीं पहुंचते?

उत्तरपरशुराम जी लक्ष्मण जी को अपने क्रोध परिचय देते हुए कहते हैं कि लक्ष्मण उनसे भिड़कर अपने मातापिता को चिंता में डालें अर्थात अपनी मौत को बुलाऐं। उनका फरसा बहुत भयंकर है। यह गर्भ में पल रहे बच्चों का भी नाश कर डालता है अर्थात उनके फरसे की गर्जना सुनकर गर्भवती स्त्रियों का गर्भपात हो जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि परशुराम जी लक्ष्मण जी को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्हें जब क्रोध आता है तो वे किसी बालक को भी मारने से नहीं हिचकिचाते। किन्तु वे लक्ष्मण जी को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहते थे। कहने का तात्पर्य यह है कि परशुराम जी केवल उस व्यक्ति को सजा देना चाहते थे जिसने उनके आराध्य शिव जी के धनुष को तोड़ा था। वे लक्ष्मण जी को बालक समझ कर केवल अपने क्रोध का परिचय देते हैं।

 

प्रश्न 7 – परशुराम जी के क्रोधित वचनों को सुनकर लक्ष्मण जी उनको किस प्रकार प्रत्युत्तर देते हुए और अधिक व्यंग्य कसते हैं?

उत्तर  परशुराम जी के क्रोध से भरे वचनों को सुनकर लक्ष्मण जी बहुत ही अधिक कोमल वाणी में हँसकर परशुराम जी से कहते हैं कि वे तो अपने आप को बहुत बड़ा योद्धा समझते हैं और बारबार अपना फरसा दिखाते हैं। ऐसा लगता है कि वे फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हैं, परंतु यहाँ पर कोई भी सीता फल अर्थात कुम्हड़े के छोटे फल के समान नहीं हैं, जो तर्जनी उँगली को देखते ही मर जाएँ। उन्होंने परशुराम जी के हाथ में फरसा और धनुषबाण देखकर ही अभिमानपूर्वक उनसे कुछ कहा था। कहने का तात्पर्य यह है कि एक क्षत्रिय ही दूसरे क्षत्रिय से अभिमान पूर्वक कुछ कह सकता है। जनेऊ से तो वे एक भृगुवंशी ब्राह्मण जान पड़ते हैं इन्हें देखकर ही, जो कुछ भी परशुराम जी ने कहा उसे सहन कर लक्ष्मण अपने क्रोध को रोके हुए हैं।

 

प्रश्न 8 – लक्ष्मण जी ने ऐसा क्यों कहा की यहाँ कोई परशुराम जी की तर्जनी ऊँगली से मरने वाला नहीं है?

उत्तर लक्षमण जी ने, तर्जनी उँगली को देखते ही मर जाएँ, ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि परशुराम जी ने क्रोध में अपनी तर्जनी उँगली दिखा कर कहा था कि अगर वह व्यक्ति सभा से अलग नहीं हो जाता अर्थात उनके सामने नहीं जाता जिसने उनके आराध्य शिव जी का धनुष तोड़ा है तो वे वहाँ सभा में उपस्थित सभी राजाओं का वध कर देंगे।

 

प्रश्न 9 – बारबार लक्ष्मण जी को समझाने पर भी जब वे नहीं मानते तो परशुराम जी विश्वामित्र जी से क्या कहते हैं?

उत्तर लक्ष्मण जी की व्यंग भरी बातों को सुन कर परशुराम जी विश्वामित्र जी को उन्हें समझाने को कहते है कि हे विश्वामित्र ! यह बालक ( लक्ष्मण ) बहुत कुबुद्धि और कुटिल लगता है। और यह काल (मृत्यु ) के वश में होकर अपने ही कुल का घातक बन रहा है। यह सूर्यवंशी बालक चंद्रमा पर लगे हुए कलंक के समान है।  यह बालक मूर्ख , उदंण्ड , निडर है और इसे भविष्य का भान तक नहीं है। अभी यह क्षणभर में काल का ग्रास हो जाएगा अर्थात् मैं क्षणभर में इसे मार डालूँगा। मैं अभी से यह बात कह रहा हूँ , बाद में मुझे दोष मत दीजिएगा। यदि तुम इस बालक को बचाना चाहते हो तो , इसे मेरे प्रताप , बल और क्रोध के बारे में बता कर अधिक बोलने से मना कर दीजिए।

 

प्रश्न 10 – परशुराम जी विश्वामित्र जी को क्यों कहते हैं कि वे लक्ष्मण जी को समझा दें?

उत्तर लक्ष्मण जी जब परशुराम जी का अपमान किए जा रहे थे तब परशुराम जी ने लक्ष्मण जी को शांत करवाने के लिए विश्वामित्र जी को कहा, क्योंकि परशुराम जी नहीं चाहते थे कि वे क्रोध में कुछ अनर्थ कर दें। किन्तु लक्ष्मण जी परशुराम जी पर व्यंग्य करते जा रहे थे। परशुराम जी का क्रोधित व्यवहार सम्पूर्ण संसार में विख्यात था किन्तु लक्ष्मण जी इससे अनजान थे और वे अनजाने में ही परशुराम जी के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे थे।

 

प्रश्न 11 – परशुराम जी के वचन सुनकर विश्वामित्र जी मन ही मन परशुराम जी का अज्ञानियों की तरह व्यवहार देख कर हँसने लगे। क्यों?

उत्तर परशुराम जी के वचन सुनकर विश्वामित्र जी ने मन ही मन में हँसकर सोचा कि मुनि परशुराम जी को हराहीहरा सूझ रहा है अर्थात् चारों ओर विजयी होने के कारण ये राम और लक्ष्मण को साधारण क्षत्रिय ही समझ रहे हैं। मुनि अब भी नहीं समझ रहे हैं कि ये दोनों बालक लोहे की बनी हुई तलवार हैं, गन्ने के रस की नहीं, जो मुँह में लेते ही गल जाएँ अर्थात् रामलक्ष्मण सामान्य वीर होकर बहुत पराक्रमी योद्धा हैं। परशुराम जी अभी भी इनकी साहस, वीरता क्षमता से अनभिज्ञ हैं। लक्ष्मण जी निडर स्वभाव के हैं और परशुराम जी जो आज तक सभी क्षत्रियों पर विजयी रहे हैं, वे रामलक्ष्मण को भी एक साधारण क्षत्रिय ही समझ रहे हैं। जिस कारण विश्वामित्र जी उनकी अज्ञानता पर मन ही मन हँस रहे हैं।

 

प्रश्न 12 – लक्ष्मण जी की किन बातों को सुन कर परशुराम जी उन्हें मारने के लिए दौड़ पड़े और इसका क्या परिणाम हुआ?

उत्तर परशुराम जी के क्रोध से पूर्ण वचनों को सुन कर लक्ष्मण जी ने परशुराम जी से कहा कि आपके पराक्रम को कौन नहीं जानता। वह सारे संसार में प्रसिद्ध है। आपने अपने माता पिता का ऋण तो चुका ही दिया हैं और अब अपने गुरु का ऋण चुकाने की सोच रहे हैं। जिसका आपके जी पर बड़ा बोझ है। और अब आप ये बात भी मेरे माथे डालना चाहते हैं। बहुत दिन बीत गये। इसीलिए उस ऋण में ब्याज बहुत बढ़ गया होगा। बेहतर है कि आप किसी हिसाब करने वाले को बुला लीजिए। मैं आपका ऋण चुकाने के लिए तुरंत थैली खोल दूंगा। लक्ष्मण जी के कडुवे वचन सुनकर परशुराम जी ने अपना फरसा उठाया और लक्ष्मण जी पर आघात करने को दौड़ पड़े सारी सभा हायहाय पुकारने लगी। इस पर लक्ष्मण जी बोले वे परशुराम जी को ब्राह्मण समझ कर बारबार बचा रहे हैं। उनको कभी युद्ध के मैदान में वीर योद्धा नहीं मिले हैं। लक्ष्मण जी के ऐसे वचन सुनकर सभा में उपस्थित सभी लोग यह अनुचित है , यह अनुचित हैकहकर पुकारने लगे। यह देखकर श्री राम जी ने लक्ष्मण जी को आँखों के इशारे से रोक दिया।

 

प्रश्न 13 – लक्ष्मण जी और राम जी के परशुराम जी से संवाद में क्या अंतर् था?

उत्तर लक्ष्मण जी के उत्तरों ने, परशुराम जी के क्रोध रूपी अग्नि में आहुति का काम किया। जिससे उनका क्रोध अत्यधिक बढ़ गया। जब श्री राम ने देखा कि परशुराम जी का क्रोध अत्यधिक बढ़ चुका है। अग्नि को शांत करने के लिए जैसे जल की आवश्यकता होती हैं। वैसे ही क्रोध रूपी अग्नि को शांत करने के लिए मीठे वचनों की आवश्यकता होती हैं। श्री राम ने भी वही किया। श्री राम ने अपने मीठे वचनों से परशुराम जी का क्रोध शांत करने का प्रयास किया। भाव यह है कि जितने क्रोधित स्वभाव के लक्ष्मण जी थे उसके बिलकुल विपरीत श्री राम का स्वभाव अत्यंत शांत था।

 

प्रश्न 14 – क्रोध से बात और अधिक बिगड़ जाती है। ‘राम-लक्ष्मण,परशुराम संवाद कविता के आलोक में इस कथन की पुष्टि कीजिए। (CBSE 2023)

 

उत्तर – क्रोध से बात और अधिक बिगड़ने की गुंजाइश हमेशा ही बनी रहती है। क्रोधी व्यक्ति का अपने ऊपर नियंत्रण नहीं रहता। उसे क्रोध की अवस्था में यह ध्यान नहीं रहता कि वह क्या और किसे बोल रहा है। दोनों ही पक्ष एक दूसरे को प्रत्युतर में कटु व् व्यंग्यात्मक बातें सुनाते हैं, जिससे विपरीत पक्ष अपना आपा खो बैठता है। ‘राम-लक्ष्मण,परशुराम संवाद कविता में भी परशुराम जी के प्रत्युत्तर में लक्ष्मण जी उनके पद व् अवस्था का ध्यान न रखते हुए उन्हें कटु व् कठोर बातें सुनाते हैं। यदि विश्वामित्र जी व् श्री राम जी बीच में अपने कोमल व् विनम्र स्वभाव का प्रदर्शन न करते तो न जाने परिणाम क्या होता।

 

प्रश्न 15 – लक्ष्मण ने ‘कुम्हड़ बतिया’ का दृष्टांत क्यों दिया है? इसके द्वारा वे मुनि व् सभा को क्या सन्देश देना चाहते हैं? (CBSE 2020)

उत्तर – लक्ष्मण ने ‘कुम्हड़बतिया’ का दृष्टांत तब दिया जब परशुराम लक्ष्मण को तुक्छ समझ कर बार-बार उँगली दिखा रहे थे। लक्ष्मण जी ने परशुराम जी को  ‘कुम्हड़बतिया’ का उदाहरण तब दिया जब वे उन्हें बार-बार अपने क्रोध,पराक्रम और प्रतिष्ठा के विषय में बताते हुये उन्हें अपने फरसे की तीक्ष्णता से भी अवगत करा रहे थे जिसे बार-बार सुन कर लक्ष्मण जी अपना नियंत्रण खो बैठे और प्र्त्युत्तर में बोले कि बार-बार ये फरसा दिखा कर आप मानो फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हो तो यहाँ कोई कुम्हड बतिया अर्थात कमजोर नहीं हैं जो आपकी तर्जनी देख कर डर जाए। इस उदाहरण के द्वारा लक्ष्मण जी परशुराम जी को सचेत करना चाहते है कि उनकी बातों से वे थोड़ा सा भी नहीं डरे है, लक्ष्मण जी को अपनी शक्ति और क्षमता पर पूरा विश्वास है और वे परशुराम जी का घमंड तोड़ने का पूरा साहस रखते हैं। वे तो उन्हें एक ऋषि, महात्मा समझ कर छोड़ रहे थे। और रघुकुल वीर ब्राह्मण और ऋषि, महात्माओं के साथ युद्ध नहीं करते।

 

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Class 10 Hindi A Kshitij Lesson 2 Ram Lakshman Parshuram Samvad Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

 

प्रश्न 1 – परशुराम जी के क्रोध को शांत करने का प्रयास कौन करता है?

() जनक जी

() लक्ष्मण जी

() प्रभु राम जी

() स्वयं भगवान् शिव

उत्तर() प्रभु राम जी

 

प्रश्न 2 – पूरे विश्व में परशुराम जी किस रूप में प्रसिद्ध हैं?

() अत्यंत क्रोधी महर्षि के रूप में

() क्षत्रिय कुल के घोर शत्रु के रूप में

() अत्यंत शक्तिशाली महर्षि के रूप में

() सबसे बड़े ज्ञानी व् शिव भक्त के रूप में

उत्तर() क्षत्रिय कुल के घोर शत्रु के रूप में

 

प्रश्न 3 – ‘हे नाथ ! भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई एक दास ही होगायह किसका कथन है?

() जनक जी का

() प्रभु श्री राम का

() परशुराम जी का

() लक्ष्मण जी का

उत्तर () प्रभु श्री राम का

 

प्रश्न 4 – ‘सहसबाहु सम सो रिपु मोरावाक्यांश से क्या प्रतीत होता है?

() जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है उसे परशुराम जी अपना शत्रु मानते हैं

() परशुराम जी अपने आप को सर्वश्रेष्ठ समझते हैं

() परशुराम जी अपने आगे खड़े हजारों भुजाओं वाले को भी अपना शत्रु समझते हैं

() परशुरा जी सौ भुजाओं वाले को अपना शत्रु मानते हैं

उत्तर() जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है उसे परशुराम जी अपना शत्रु मानते हैं

 

प्रश्न 5 –  लक्ष्मण जी के अनुसार परशुराम जी का क्रोध बेमतलब क्यों था?

() क्योंकि उनके अनुसार सभी धनुष एक समान होते हैं

() क्योंकि उनके अनुसार श्री राम ने केवल उस धनुष को छुआ था, और वह छुंते ही टूट गया

() क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि उस धनुष के साथ परशुराम जी के क्या भाव जुड़े थे

() उपरोक्त सभी

उत्तर () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 6 – परशुराम जी ने कई बार अपनी भुजाओं के बल से पृथ्वी को किससे रहित कर दिया था?

() क्षत्रियों से

() राजाओं से

() ब्राह्मणों से

() बलवान व्यक्तियों से

उत्तर () क्षत्रियों से

 

प्रश्न 7 – ‘रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि सँभारपंक्ति से परशुराम लक्ष्मण को क्या समझाना चाहते हैं?

() कि लक्ष्मण उनके क्रोध की परीक्षा ले

() कि लक्ष्मण सोच समझ कर अपनी बातें करें

() कि लक्ष्मण बिना सोचे समझें बचपन में तोड़े गए धनुषों की शिव धनुष से तुलना करें

() कि लक्ष्मण उनकी बातों को समझने का प्रयास करें

उत्तर() कि लक्ष्मण बिना सोचे समझें बचपन में तोड़े गए धनुषों की शिव धनुष से तुलना करें

 

प्रश्न 8 – ‘गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोरपंक्ति से परशुराम जी के बारे में क्या पता चलता है?

() कि उन्होंने गर्भ से ही क्षत्रियों की शत्रुता स्वीकार की है

() कि उन्हें जब क्रोध आता है तो वे किसी बालक को भी मारने से नहीं हिचकिचाते

() कि उनके क्रोध से गर्भ में पल रहे बच्चे भी डरते हैं

() उपरोक्त सभी

उत्तर () कि उन्हें जब क्रोध आता है तो वे किसी बालक को भी मारने से नहीं हिचकिचाते

 

प्रश्न 9 – परशुराम कोभृगुबरक्यों कहा जाता है?

() क्योंकि वो भृगु राक्षस के वंशज थे

() क्योंकि वो भृगु ऋषि थे

() क्योंकि वो भृगु ऋषि के वंशज थे

() इनमें से कोई नहीं

उत्तर – () क्योंकि वो भृगु ऋषि के वंशज थे

 

प्रश्न 10 – परशुराम ने अपनी भुजाओं के बल पर क्या किया था?

() धरती को ब्राह्मण रहित

() धरती को क्षत्रिय रहित

() धरती को वीर रहित

() धरती को रघुकुल रहित

उत्तर – () धरती को क्षत्रिय रहित

 

प्रश्न 11 – लक्ष्मण, परशुराम से संघर्ष क्यों नहीं करना चाहते थे?

() क्योंकि परशुराम अत्यंत क्रोधी थे

() क्योंकि परशुराम महान वीर थे

() क्योंकि परशुराम ब्राह्मण थे

() क्योंकि परशुराम शिव भक्त थे

उत्तर () क्योंकि परशुराम ब्राह्मण थे

 

प्रश्न 12 – देवता, ब्राह्मण, भक्त और गाय पर कौन अपनी वीरता नहीं दिखाते हैं?

() रघुकुल वीर

() भृगुवंशी वीर

() ब्राह्मण कुल वीर

() उपरोक्त सभी

उत्तर() रघुकुल वीर

 

प्रश्न 13 – “परसुशब्द का क्या अर्थ होता है?

() आने वाला कल

() परशुराम

() फरसा

() बिता हुआ कल

उत्तर – () फरसा

 

प्रश्न 14 – परशुराम के अनुसार लक्ष्मण कैसे व्यक्ति हैं?

() मूर्ख

() कुटिल

() मंदबुद्धि

() उपरोक्त सभी

उत्तर – () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 15 – लक्ष्मण द्वारा प्रयोग किए गए अपशब्द, परशुराम के लिए कैसे थे?

() क्रोध रूपी अग्नि में घी की आहुति देने के समान

() क्रोध रूपी अग्नि में पानी की छींटें देने के समान

() क्रोध रूपी अग्नि में तेल की आहुति देने के समान

() क्रोध रूपी अग्नि में हवन सामग्री की आहुति देने के समान

उत्तर() क्रोध रूपी अग्नि में घी की आहुति देने के समान

 

प्रश्न 16 – “आपके व्यवहार को संसार में कौन नहीं जानता” , यह शब्द किसके द्वारा किसके लिए गए?

() लक्ष्मण द्वारा राम के लिए

() राम द्वारा परशुराम के लिए

() परशुराम द्वारा लक्ष्मण के लिए

() लक्ष्मण द्वारा परशुराम के लिए

उत्तर () लक्ष्मण द्वारा परशुराम के लिए

 

प्रश्न 17 – “महाभट”, का क्या अर्थ है?

() अपने कार्य में निपुण

() महान योद्धा

() महान राजा

() महान ब्राह्मण

उत्तर – () महान योद्धा

 

प्रश्न 18 – राम,लक्ष्मण, परशुराम संवाद में परशुराम ने अपनी किनकिन शौर्य कथाओं का बखान किया?

() धरती को क्षत्रिय विहीन करना

() सहस्त्रबाहु की भुजाओं को काटना

() क्षत्रियों से जीती सारी संपत्ति ब्राह्मणों को दान करना

() उपरोक्त सभी

उत्तर () उपरोक्त सभी

 

प्रश्न 19 – राम के वचन, परशुराम के लिए कैसे थे

() अग्नि के सामान उग्र

() जल के समान शीतल

() पाषाण के सामान कठोर

() वायु के सामान अदृश्य

उत्तर () जल के समान शीतल

 

प्रश्न 20 – महिदेव का क्या अर्थ है

() क्षत्रिय

() महादेव

() ब्राह्मण

() परशुराम

उत्तर () ब्राह्मण

 

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