Class 9 NCERT Hindi (Course A) Kritika Bhag-1 Chapter Wise difficult word meanings
Here, the difficult words and their meanings of all the Chapters of CBSE Class 9 Hindi (Course A) Kritika Bhag-1 Book have been compiled for the convenience of the students. This is an exhaustive list of the difficult words and meanings of all the Chapters from the NCERT Class 9 Hindi Kritika Bhag-1 Book. The difficult words’ meanings have been explained in an easy language so that every student can understand them easily.
- Chapter 1 – Is Jal Pralay Mein (इस जल प्रलय में)
- Chapter 2 – Mere Sang ki Auraten (मेरे संग की औरतें)
- Chapter 3 – Reedh Ki Haddi (रीढ़ की हड्डी)
Chapter 1 – Is Jal Pralay Mein (इस जल प्रलय में)
- इलाका– क्षेत्र
- कोसी, पनार, महानंदा, गंगा– बिहार की प्रमुख नदियाँ
- बाढ़– नदियों का पानी जरूरत से ज़्यादा बढ़ जाना और चारों ओर फैल जाना
- प्राणी– जीव
- समूह– झुंड, टोली
- पनाह– शरण, आड़
- सावन-भादो– हिंदू पंचांग के दो मानसूनी महीने (जुलाई-अगस्त)
- सपाट– एकदम समतल, बिना ऊँच-नीच के
- परती– वह ज़मीन जो जोती-बोई न जाती हो
- झुंड-मुंड– जानवरों के बहुत सारे झुंड
- विभीषिका– भयंकरता
- हैसियत– पद, भूमिका
- रिलीफ वर्कर– राहत कार्य करने वाला व्यक्ति
- धर्मयुग– एक प्रसिद्ध हिन्दी साप्ताहिक पत्रिका
- कथा-दशक– धर्मयुग में प्रकाशित कहानियों की विशेष श्रृंखला
- छुटपुट– छोटे-छोटे, अलग-अलग
- रिपोर्ताज- रिपोर्ट के रूप में लिखा गया साहित्य
- विनाश-लीला– तबाही की घटनाएँ
- अंकित– दर्ज, लिखा हुआ
- भँसना– फँस जाना
- अविराम वृष्टि – बिना रुके लगातार वर्षा
- पुनपुन का पानी – पुनपुन नदी का पानी, जो बाढ़ के कारण शहर में घुस आया
- राजेंद्रनगर, कंकड़बाग – पटना शहर के निचले इलाके, जो बाढ़ से प्रभावित हुए
- भोगा है – अनुभव किया है, झेला है
- ईंधन – जलाने योग्य वस्तुएँ जैसे लकड़ी, कोयला आदि, खाना पकाने या गर्मी के लिए
- कांपोज़ की गोलियाँ – पेट की तकलीफ में ली जाने वाली दवा (एक सामान्य ब्रांड था सन् 1960–70 के दशक में)
- प्लावित – जिस पर बाढ़ का पानी चढ़ आया हो, जो जल में डूब गया हो
- गोलघर – पटना का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल
- जानो! गोलघर डूबे गेछे! – यह बंगला भाषा में वाक्य है, जिसका अर्थ है “जानते हो! गोलघर डूब गया है!”
- अबले– इस समय तक,अब तक
- रिक्शा – तीन पहियों की सवारी गाड़ी
- विशेषज्ञ – जानकार व्यक्ति
- व्याख्याता – समझाने वाला, शिक्षक
- आचार्य – गुरु, शिक्षक
- कवि – कविता लिखने वाला
- अनवरत – निरंतर, लगातार
- अनर्गल – बेतुकी, विचारहीन, मनमानी
- अनगढ़ – बेडौल, टेढ़ा-मेढ़ा
- गद्यमय – गद्य जैसा, गद्य में
- स्वगतोक्ति – अपने आप में कुछ बोलना
- मोटर – इंजन वाली गाड़ी
- ट्रैक्टर – खेती में काम आने वाला भारी वाहन
- ट्रक – भारी माल ढोने वाली गाड़ी
- टमटम – घोड़े से चलने वाली गाड़ी
- जिज्ञासा – जानने की इच्छा
- कालोनी – बस्ती, मोहल्ला
- इंडस्ट्रियल एरिया – कारखानों वाला क्षेत्र
- कॉफी हाउस – चाय/कॉफी पीने की सार्वजनिक जगह
- शक्ल – रूप, आकार
- गेरुआ – मटमैलापन लिये लाल रंग का
- झाग – फेन, बुलबुले वाला पदार्थ
- तरल – बहने वाला, द्रव
- दूत – संदेशवाहक
- आतंक – डर, भय
- बरबस – अपने आप, बिना सोचे
- सभय – डर से भरा हुआ
- प्रणाम-निवेदन – नमस्कार करते हुए निवेदन
- अस्फुट – अस्पष्ट
- मुँह से कुछ अस्फुट शब्द निकले – मुंह से साफ़ न सुनाई देने वाले शब्द निकले
- कायर – डरपोक
- अनुनय भरे स्वर में – विनती या प्रार्थना करते हुए आवाज़ में
- लौटा ले भैया – वापस ले चलो भाई
- सिनेमा हॉल – फिल्म देखने की जगह
- शो बंद – फिल्म का प्रदर्शन बंद
- गांधी मैदान – पटना का प्रसिद्ध खुला मैदान
- पैलेस होटल – एक होटल का नाम
- एयरलाइंस दफ़्तर – हवाई जहाज़ सेवा का कार्यालय
- नियन विज्ञापन – चमकदार रंग-बिरंगे रोशनी वाले विज्ञापन
- सैकड़ों – बहुत बड़ी संख्या में
- साँपों की सृष्टि – सांप जैसे दृश्य बन रहे थे
- रेलिंग – लोहे की बनी बाड़
- सभा-सम्मेलन – बैठक और बड़ी जनसभा
- आवरण – परत, ढक्कन
- गैरिक – भगवा या गेरुआ रंग
- आच्छादित – ढका हुआ
- शनै:-शनै: – धीरे-धीरे
- अधेड़ – उम्र में आधे (लगभग 40-60 वर्ष)
- मुस्टंड – भारी-भरकम शरीर वाला व्यक्ति
- गँवार – अशिक्षित, गाँव का सीधा-सादा व्यक्ति
- उलटकर – पलटकर, मुड़कर
- बूझो – समझो
- आम आदमी – साधारण व्यक्ति, सामान्य जन
- साहित्यिक गोष्ठियाँ – साहित्य से जुड़ी बैठकों या चर्चाओं की सभाएँ
- वक्तव्य – कथन, कहा हुआ वाक्य या बात
- दानापुर – पटना के पास का एक क्षेत्र (यहाँ प्रतीक के रूप में)
- उत्तर बिहार – बिहार राज्य का उत्तरी भाग
- बाढ़ग्रस्त – बाढ़ से प्रभावित
- ग्रामीण क्षेत्र – गाँवों वाला इलाका
- साढ़े सात – सात बजकर तीस मिनट
- आकाशवाणी – सरकारी रेडियो सेवा
- स्थानीय समाचार – उस स्थान से संबंधित ताज़ा खबरें
- प्रसारित हो रहा था – सुनाया जा रहा था
- उत्कर्ण होकर – सुनने को उत्सुक
- प्रवेश कर सकता है – अंदर आ सकता है
- समाचार – खबर
- दिल दहलाने वाला – बहुत डरावना, भय पैदा करने वाला
- कलेजा धड़क उठा – बहुत तेज़ दिल धड़कने लगा (डर से)
- चेहरे पर आतंक की रेखाएँ उभरना – डर का भाव चेहरे पर आ जाना
- सहज हो गए – सामान्य दिखने लगे
- चेहरे पर चेष्टा करके – चेहरे के भाव से प्रयास करके
- तनिक अधिक – थोड़ा ज्यादा
- उत्साहित – जोश में, खुशी में
- हड़बड़ी – जल्दबाज़ी, अफरा-तफरी
- लादे जा रहे थे – चढ़ाए जा रहे थे (वाहनों पर)
- खरीद-बिक्री बंद – सामान बेचना और खरीदना बंद
- पानवालों की बिक्री – पान बेचने वालों का व्यापार
- आसन्न संकट – पास आया हुआ
- आतंकित – डर से भरा हुआ
- आदमकद आईना – बड़ा आईना, जिसमें पूरा शरीर दिखाई दे
- सूरतें – चेहरे, रूप
- मुहर्रमी – चेहरा बदलने वाली, मुसीबत या संकट का संकेत
- ठठाकर – जोर से हँसते हुए
- बुज़दिलों – डरपोक, कायर लोग
- हुलिया – रूप, चेहरा
- उछाली जा रही थीं – बातें फैलाई जा रही थीं, उड़ी जा रही थीं
- धनुष्कोटि – एक स्थान का नाम, जो समुद्र के किनारे स्थित है और वहाँ एक भयंकर बाढ़ के बाद यह इलाका गायब हो गया था
- गोलघर के मुँडे – गोलघर के ऊपरी हिस्से पर
- बिस्कोमान बिल्डिंग – पटना में स्थित एक प्रसिद्ध इमारत
- माकूल मौका – उपयुक्त समय, सही अवसर
- इनकम टैक्सवालों – आयकर विभाग के अधिकारी
- काले कारबारियों – अवैध व्यापार करने वाले लोग
- छापा मारना – अचानक तलाशी लेना
- आसामी बा-माल – संपत्ति वाला व्यक्ति, जो माल-मकान का मालिक हो
- राजेंद्रनगर चौराहा – पटना का एक प्रमुख चौराहा
- मैगजीन कॉर्नर – पत्रिकाओं की दुकान का एक कोना
- पत्र-पत्रिकाएँ – अखबार और मैगज़ीन
- पूर्ववत् – पहले जैसा, जैसा पहले था
- खुराक – यहाँ किताबों की एक प्रकार की ‘आवश्यकता’
- हेडली चेज़ – एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, जिनकी जासूसी किताबें मशहूर हैं
- सुधि लेगा – ध्यान रखेगा, ख्याल रखेगा
- फ़्लैट – अपार्टमेंट, एक कमरा या अधिक कमरे वाला आवासीय स्थान
- जनसंपर्क – सार्वजनिक संबंध, सरकारी या संगठन से संबंधित प्रचार
- लाउडस्पीकर – ध्वनि प्रसार उपकरण, जिससे आवाज़ दूर-दूर तक सुनाई देती है
- घोषणा – सूचना देना, किसी बात का उद्घोषण
- गोलंबर – एक गोल चौराहा, जहाँ चार रास्ते मिलते हैं
- प्रतिध्वनित – गूंजना, ध्वनि का पुनरावृत्ति होना
- सिनेमा अथवा लॉटरी – फिल्म या लॉटरी (टिकट का खेल, जिसमें पुरस्कार जीते जा सकते हैं)
- अलमस्त – मस्त, खुश, या हलके-फुलके मूड में
- सन्नाटा – चुप्प, शांति, कोई आवाज़ न होना
- अलाप उठता है – गीत या स्वर को गाने की शुरुआत करना
- बंधु – मित्र, भाई
- मितवा – प्रियजन
- सुन मेरे बंधु रे – सुन मेरे भाई, सुन मेरे मित्र
- मोरे मितवा – मेरे प्रिय
- जनसंपर्क की गाड़ी – एक गाड़ी, जो प्रचार या सूचना फैलाने के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग करती है
- ऐलान – घोषणा, सूचना देना
- संभावना – हो सकने का भाव
- गैस – गैस सिलिंडर, जो खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होता है
- गृहस्वामिनी – घर की मालिकिन, घर की महिला मालिक
- सिलिंडर – गैस का भंडारण करने वाला सिलिंडर
- मीटर-उटर – मीटर रीडर या किसी मापने वाले यंत्र के जैसी कोई चीज़
- अंदाज़ – अनुमान, नाप-तौल
- कोयला – जलाने के लिए इस्तेमाल होने वाला लकड़ी
- स्टोव – चूल्हा या खाना पकाने का उपकरण
- किरासन – पेट्रोलियम तेल, जो स्टोव या चूल्हे में जलाने के लिए प्रयोग होता है
- धमके – अचानक आना
- फिलहाल – इस समय, वर्तमान में
- ध्वनि गूँजना – आवाज़ का पुनः सुनाई देना
- ब्लॉक – एक बड़ा भवन या इमारत का हिस्सा, या एक क्षेत्र
- अलाव – जलती हुई आग, जलाने के लिए एक जगह पर रखी हुई लकड़ी या अन्य सामग्री
- सुलगा दिया – जलाना, आग लगाना
- हलचल – शोरगुल, हड़कंप
- स्मृतियाँ – यादें
- चलचित्र – फिल्म, चलचित्र का अर्थ चित्रों के चलते हुए दृश्यों से है
- बेतरतीब – असंगत, बिना किसी क्रम के
- मनिहारी – बिहार का एक क्षेत्र, जो पहले पूर्णिया ज़िले में था, अब कटिहार में है
- गंगा मैया की बाढ़ – गंगा नदी की बाढ़
- चहलकदमी – थोड़ी देर पैदल चलना, टहलना
- टाँगें सीधी करना – आराम करना, थकान दूर करना
- शरणार्थी – जो किसी आपदा से बचने के लिए किसी सुरक्षित जगह पर शरण ले
- बालूचर – रेत की ऊँची जगह, जो पानी में द्वीप जैसी लगती है
- हिदायत – सलाह या चेतावनी
- पकाही घाव – पानी में लगातार रहने से पैरों की उंगलियों या तलवों में होने वाला सड़नयुक्त घाव
- दियासलाई की डिबिया – माचिस की डिब्बी
- किरासन तेल – मिट्टी का तेल (केरोसीन), जलाने या कीट भगाने के लिए
- महानंदा – बिहार की एक प्रमुख नदी
- बापसी थाना – एक पुलिस थाना क्षेत्र (थाने का नाम)
- रिलीफ़ के डाक्टर साहब – राहत कार्यों के लिए नियुक्त डॉक्टर
- कुंई-कुंई – कुत्ते की रोती हुई आवाज़
- भीषण भयभीत – बहुत ज़्यादा डरा हुआ
- कुकुर – कुत्ता
- छप-से – तेज़ी से पानी में उतरना
- हमार – हमारा
- हम हुँ नहीं जाएगा – मैं भी नहीं जाऊँगा
- परमान नदी – बिहार की एक और नदी
- मुसहरी – एक जाति (आदिवासी) जो दोने, पत्तलें आदि बनाने का काम करती है
- राहत बाँटना – मदद के लिए खाना, दवा आदि देना
- झुलसाकर – आग से हल्का सा जलाकर
- मचान – लकड़ी या बांस से बनी ऊँची जगह
- बलवाही नाच – एक प्रकार का लोक-नृत्य
- नटुआ – गाँवों में नाच-गाना करने वाला कलाकार
- दुलहिन का हाव-भाव – दुल्हन की तरह चलने-फिरने और चेहरे के भाव दिखाना
- धानी / घरनी – स्त्री (पत्नी)
- द्रुत ताल – तेज़ गति से बजाई जाने वाली ताल (बीट)
- लथपथ – सने हुए
- मुक्त खिलखिलाहट – बिना किसी कारण या दबाव के आई जोरदार हँसी
- रिलीफ़ बाँटना – बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री (खाना, कपड़ा आदि) देना
- भोला शास्त्री – लेखक के घनिष्ठ मित्र का नाम
- बालचर – स्काउटिंग करने वाला (ब्वॉय स्काउट)
- केले के पौधे का ‘भेला’ – केले के तनों को बाँधकर बनाई गई अस्थायी नाव
- जल-विहार – पानी में मौज-मस्ती करना
- झिंझिर – आनंद मनाना, जल में सैर करना
- हरमोनियम-तबला – संगीत वाद्ययंत्र
- पुनपुन का पानी – पुनपुन नदी का बाढ़ का पानी
- सजे-धजे युवक और युवतियाँ – अच्छे कपड़े पहनकर तैयार हुए लड़के और लड़कियाँ
- लग्गी से नाव खे रहा था – बाँस की लंबी छड़ी से नाव चला रहा था
- डायलॉक – संवाद
- फब्तियों की वर्षा – व्यंग्यपूर्ण और चुटीली बातें, सीटियाँ और किलकारियाँ
- प्रतिध्वनि – गूँजती हुई आवाज़
- एक्ज़बिशनिज़्म – प्रदर्शनवाद
- छुमंतर हो गई – अचानक गायब हो गई
- मुखर – ज़ोर से बोलने वाला, स्पष्ट आवाज़ में
- नैया तोरी मंझधार – तुम्हारी नाव बीच धार में है
- होश्यार होश्यार – सावधान!
- काहो रामसिंगार, पनियां आ रहलो है? – कहो रामसिंगार, पानी आ रहा है क्या?
- ऊँहूँ, न आ रहलौ है। – नहीं, नहीं आ रहा है।
- ढाई बज गए – रात के 2:30 बजे हैं
- अटक गया – कहीं रुक गया, ठहर गया
- तटबंध पर लड़ते हुए इंजीनियरों की जीत – बाँध को टूटने से रोकने में इंजीनियरों की सफलता
- दैवी चमत्कार – भगवान की कृपा से चमत्कारी रूप से बचाव
- सामूहिक रुदन – कई कुत्तों का एक साथ रोना
- मंडली – समूह, टोली
- चौप चौप – चुप रहने का आदेश देने की ध्वनि
- स्वजन – अपने करीबी लोग
- अथाह जल – गहरा और फैलता हुआ बाढ़ का पानी
- चोंगा – टेलीफोन का रिसीवर
- टुंग फुंग – कोई भी टोन या आवाज़ नहीं
- करवट लेना – सोने की कोशिश करना, लेकिन बेचैनी के कारण करवट बदलते रहना
- आसन्नप्रसवा – जिसे आजकल में ही बच्चा होने वाला हो
- टुकुर-टुकुर देखना – बिना पलक झपकाए लगातार देखना
- भूली-बिसरी याद – पुरानी और कभी-कभी भूल जाने वाली स्मृतियाँ
- झकझोरकर – जोर से हिला कर, झटका देकर
- आ रहलौ है! – पानी आ रहा है!
- किलोल– खेल, आनंद
- दल – झुण्ड
- अवरोध– रूकावट
- बाज़ू– बाँह
- शोर-कोलाहल-कलरव-चीख-पुकार – शोर-शराबा
- सशक्त– शक्तिवान
- क्रमश:– क्रम से, एक एक करके
- कैमरा– तस्वीर या वीडियो रिकॉर्ड करने का यंत्र
- टेप-रिकॉर्डर– ध्वनि को रिकॉर्ड करने और बजाने का उपकरण
- लोप– अभाव, गायब
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Chapter 2 – Mere Sang ki Auraten (मेरे संग की औरतें)
- ज़ाहीर – स्पष्ट
- मर्म – स्वरूप
- परदानशीं – परदा करने वाली स्त्री
- बैरिस्ट्री – वकालत की पढ़ाई
- विलायत – विदेश
- बसर – व्यतीत
- इज़हार – व्यक्त करना
- मुँहज़ोर – बहुत बोलने वाली
- लिहाज़ – ख्याल
- नज़ाकत – सूक्ष्मता
- हुज़ूर – उपस्थिति
- हैरतअंगेज़ – अचंभित कर देने वाला
- फ़रमाबरदार – आज्ञाकारी
- इम्तिहान – परीक्षा
- पुश्तैनी – पैतृक
- धेला – आधा पैसा, प्राचीन काल में प्रचलित एक प्रकार का सिक्का
- चनका खाना – लचक जाना
- छींका – रस्सियों या तारों का वह जाल जो खाने-पीने की चीज़ें आदि रखने के लिए छत या दीवार आदि से लटकाया जाता है
- गनीमत – सौभाग्य
- वाशिंदें – नागरिक, वास करने वाला
- अभिभूत – वशीभूत, जिस पर प्रभाव डाला गया हो
- तिलिस्म – अद्भुत या अलौकिक, चमत्कार
- सनक – किसी बात की धुन, मन की झोंक
- शख्सियत – व्यक्तित्व
- परीजात – उत्पन्न, जन्मा हुआ
- मुस्तैद – तैयार, चुस्त, तत्पर
- ज़ाहिर – साफ, स्पष्ट
- लाड़ – प्यार
- गोपनीय – राज, रहस्य
- बखूबी – अच्छे से
- निजत्व – अपना होने की अवस्था
- लीक – मर्यादा, दायरा
- खिसकना – हटना
- गनीमत – संतोष करने योग्य
- फ़ज़ल – अनुग्रह, दया
- अपरिग्रह – संग्रह न करना, किसी से कुछ ग्रहण न करना
- पतोहू – बहू
- गैर-रवायती – चली आ रही रीत के उलट
- पोशीदा – चोरी-छिपे
- वाजिब – उचित
- बदस्तूर – नियम से
- आरज़ू – इच्छा
- गैर-वाजिब – अनुचित
- जुस्तजू – खोज, तलाश, इच्छा
- अफ़रा-तफ़री – हड़बड़ाहट
- रतजगा – रात्रि-जागरण
- सेंध – चोरी करने के उद्देश्य से दीवार में किया गया बड़ा छेद जिसमें से होकर चोर किसी कमरे या कोठरी में घुसता है, सुरंग
- इतमीनान – शान्ति, संतोष, तसल्ली
- टटोलकर – छूँ कर
- अकबकाया – घबराना
- एहतियात – सावधानी
- ब्रदर्स कारामजोव – इसके लेखक प्रसिद्ध रूसी उपन्यासकार दास्तोवस्ती हैं
- मिराक – मानसिक रोग
- मोहलत – फुर्सत, अवकाश
- नाहक – व्यर्थ ही
- रोमानी – प्रेम-प्रसंग, प्रेमी
- दुर्योग – खराब समय
- शिरकत – शामिल
- इजाज़त – अनुमति
- सत्ताधारी – अधिकारी, अफसर हाकिम
- चुप्पी साध जाना – चुप हो जाना
- बदस्तूर – उसी प्रकार से, पहले की तरह
- मिराक – मानसिक रोग
- मोहलत – समय
- गड्ड-मड्ड – मिली-जुली, अव्यवस्थित
- अनाचार-अत्याचार – दुर्व्यवहार
- कंठस्थ – अच्छे से याद होना
- ग्रहण – लेना, स्वीकार करना
- आड़े – अवरोधित, बाधा
- पैदाइशी – जन्म से, जन्मजात
- बतौर – रीति से, तरीके पर
- चलन – प्रथा, रस्म
- हवाला – मिसाल, ज़िक्र, उदाहरण
- पोंगापंथी – ढोंगी
- घरघुस्सू – घर की रीतियों में घुसे रहने वाले
- तथ्य – हकीकत
- हज़म – पचाना
- आलोचना – गुण व दोष दोनों पर प्रकाश डालना
- आलम – तौर-तरीका
- प्रतीक – चिह्न
- रसोइये – खाना बनाने वाला
- फ़ारिग – कार्य से निवृत्त, निश्चित
- उदासीन – अनमना, जो किसी के लेने देने में न हो
- कुढ़ते-भुनते – किसी प्रकार का कष्ट पड़ने पर मन-ही-मन दुःखी और विकल होना, अफ़सोस करना
- तरबतर – गीला, किसी तरल पदार्थ से पूर्णतः भीगा हुआ
- खरामा-खरामा – धीरे-धीरे
- रुतबा – प्रतिष्ठता, इज्जत
- इम्तिहान – परीक्षा
- अड़ – ज़िद, हट
- कुतर्क – अनुचित, बुरा और गलत तर्क
- गनीमत – सौभाग्य
- दिलचस्पी – ख्वाइश, इच्छा
- शागिर्द – शिष्य, छात्र
- ऐलान – घोषणा
- निर्णय – फैसला
- वाकिफ़ – जानने-समझने वाला, जानकार, परिचित
- हथियार डाल दिए – हार मान लेना
- कगार – किनारा
- प्रयोजन – लाभ
- दड़बों – पिंजरों की तरह स्थान
- राय – सलाह
- दरख्वास्त – प्रार्थना, निवेदन, आग्रह
- इसरार – आग्रह
- ख्यात – प्रसिद्ध
- ज़िद्दीपन – अपनी अनुचित बात पर भी अड़े रहने की अवस्था या भाव, हठीलापन, हठीपन
- नमूने – उदाहरण, मिसाल
- खासियत – गुण, हुनर
- कयामती – मुसीबत, प्रकोप
- माकूल – मुनासिब, अच्छा
- एकमुश्त – इकठ्ठा, एक साथ
- मलाल – मन में होने वाला दुःख
- निचाट – सुनसान, निर्जन
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Chapter 3 – Reedh Ki Haddi (रीढ़ की हड्डी)
- मामूली – साधारण
- महाशय – सम्मानपूर्वक किसी पुरुष के लिए प्रयुक्त शब्द
- अधेड़ उम्र – लगभग 40 से 50 वर्ष के बीच की उम्र
- तख्त – चौकोर लकड़ी का मजबूत फर्नीचर, जिस पर बैठा या लेटा जाता है।
- कलस– गगरी, घड़ा
- दरी– फर्श पर बिछाने के लिए गलीचा या चटाई
- मेज़पोश- मेज पर बिछाने वाला कपड़ा
- झाड़न – धूल झाड़ने वाला कपड़ा या ब्रश
- गुलदस्ता – फूलों की सजावटी टोकरियाँ या वास
- सहसा– अचानक
- गंदुमी रंग – गेहूँ के रंग जैसा त्वचा का वर्ण
- ज़ाहिर– जो स्पष्ट रूप से सबके सामने हो
- व्यस्त– किसी कार्य में लगा हुआ
- भीगी बिल्ली की तरह – डर और झेंप का भाव बताने वाला मुहावरा, जो नौकर की स्थिति को बताता है।
- कोठरी – छोटा कमरा
- बक्स – चौकोर या आयताकार संदूक
- हरिमोनियम और सितार – संगीत वाद्ययंत्र
- मुँह फुलाए – नाराज़ होकर चुप बैठ जाना।
- मर्ज़ – बीमारी
- जतन – प्रयास
- सिर चढ़ा रखा है – ज़रूरत से ज़्यादा लाड़-प्यार दिया है
- स्त्री-सुबोधिनी – एक पारंपरिक, नैतिक शिक्षा देने वाली पुस्तक, जिसे महिलाओं की शिक्षा के लिए उपयुक्त माना जाता था।
- लच्छन – चाल-चलन या व्यवहार।
- ग्रामोफ़ोन – शब्द ध्वनियों को टेप करके पुनः सुनानेवाला यंत्र
- ठठोली – मज़ाक, हँसी-ठिठोली करने की आदत।
- टीमटाम – सजावट, साज-सज्जा, शृंगार।
- पौडर-वौडर – सौंदर्य प्रसाधन, विशेषकर पाउडर
- बाज़ आना – तंग आकर किसी से किनारा करना, हार मानना।
- कारबार चलता है – व्यापार चलता है।
- एंट्रेंस – यहाँ हाईस्कूल की परीक्षा के लिए प्रयुक्त शब्द।
- कतई – बिल्कुल, ज़रा भी नहीं।
- ज़बान पर काबू – अपने बोले गए शब्दों पर नियंत्रण।
- ज़िक्र – चर्चा
- मर्ज़ी – इच्छा
- ठीक-ठाक – ठीक स्थिति में
- बाजा-सितार – यहाँ हारमोनियम और सितार जैसे वाद्य यंत्र
- ट्रे – खाने-पीने की वस्तुएँ रखने की प्लेटनुमा वस्तु
- करीने से – सलीके से, अच्छे ढंग से
- दकियानूसी खयाल – पुराने जमाने की सोच, रूढ़िवादी विचार
- सेर-सवा सेर – कहावत, जिसका मतलब होता है – बाप जितना तेज़ है, बेटा उससे भी आगे
- बी.एस.सी.– बैचलर ऑफ साइंस, विज्ञान विषय में किया जाने वाला कोर्स
- कोरी-कोरी सुनाना – खरी-खोटी सुनाना, कड़वी बातें कहना
- तालीम – शिक्षा
- चौपट – बर्बाद
- बेवकूफ़ – मूर्ख, नासमझ
- कमबख़्त – शापित या झुंझलाहट प्रकट करने वाला शब्द
- लोक चतुराई – व्यवहार में चतुर, दुनियादार सोच वाला
- फितरती – चालाक, शातिर स्वभाव का
- कमबख्त – भाग्यहीन
- दस्तक– हाथ का हल्का आघात
- खीस निपोरना – बनावटी मुस्कान के साथ दाँत दिखाना
- खिसियाहट भरी आवाज़ – संकोच या असहजता से भरी आवाज़
- खासियत– विशेषता
- तशरीफ़ लाइए – आइए, पधारिए (सम्मानपूर्वक आमंत्रण)
- बेंत – लाठी या छड़ी (अक्सर बुज़ुर्गों के सहारे चलने की वस्तु)
- खँखार कर – गला साफ़ करना, बातचीत शुरू करने का संकेत
- मेहरबानी – कृपा
- मुखातिब – किसी के सामने देखकर या संबोधित करते हुए
- वीक-एण्ड – सप्ताहांत, शनिवार-रविवार की छुट्टियाँ
- मार्जिन – अतिरिक्त समय, संभावित अंतर
- बालाई – दूध से बनी मलाई
- दो आने – पुराने ज़माने की मुद्रा, आठ आने = एक रुपया
- हज़म करने की ताकत – पचाने की क्षमता (यहाँ स्वास्थ्य का संकेत)
- खीसें निपोरना – बेमन से या दिखावटी ढंग से मुस्कराना
- सिटिंग – अध्ययन का एक लंबे समय तक बैठकर किया गया सत्र
- फ़र्राटे की अंग्रेज़ी – बहुत तेज़, धाराप्रवाह और प्रभावशाली अंग्रेज़ी।
- ज़ब्त करना – अपने भावनाओं या विचारों पर नियंत्रण रखना
- रंगीन ज़माना – आकर्षक, आनंदमय और सुनहरा बीता हुआ समय
- ‘बिज़नेस’ की बातचीत – यहाँ विवाह संबंधी बातचीत, यानी मूल मुद्दे की चर्चा
- तकल्लुफ़ – औपचारिकता, ज़रूरत से ज़्यादा शिष्टाचार
- काबिल – योग्य, लायक
- हाज़िर हुआ – उपस्थित हुआ, आया
- हैसियत – आर्थिक या सामाजिक स्थिति
- बैकबोन – रीढ़ की हड्डी
- विलायती चाय – अंग्रेज़ी शैली की चाय (कम दूध और कम चीनी वाली, यानी स्ट्रॉन्ग चाय)
- हिंदुस्तानी चाय – भारतीय शैली की चाय (दूध और चीनी ज़्यादा, उबालकर बनाई जाती है)
- फ़ैशन – चलन, रिवाज
- ज़ायका – स्वाद
- टैक्स – कर, शुल्क
- आमदनी – आय, कमाई
- प्याला – कप (चाय या अन्य पेय पदार्थ पीने का बर्तन)
- स्टैंडर्ड के माफ़िक – अपने स्तर के अनुसार
- बेढब – असंगत, ठीक ढंग से परिभाषित न होने वाला
- तश्तरी – छोटी प्लेट या डिश
- निहायत – बहुत ज़्यादा
- राज़ी नहीं होतीं – स्वीकार नहीं करतीं
- रस्म – औपचारिकता, परम्परा
- अहसान – उपकार, कृपा
- जायचा (जन्मपत्र) – कुंडली, जन्म तिथि, समय और स्थान के अनुसार ज्योतिषीय विवरण
- भनक पड़ना – किसी बात की हल्की-सी जानकारी होना
- मेम साहब – यहाँ तात्पर्य है अत्यधिक पढ़ी-लिखी, आधुनिक, या अँग्रेजी से प्रभावित महिला
- मैट्रिक पास – दसवीं कक्षा उत्तीर्ण
- गृहस्थी – पारिवारिक जीवन
- बी.ए. – बैचलर ऑफ़ आर्ट्स (एक कोर्स)
- एम.ए. – मास्टर ऑफ़ आर्ट्स (एक कोर्स)
- ऊँची तालीम – उच्च शिक्षा
- सादगी के कपड़े – बिना गहनों, रंगीन या भारी वस्त्रों के सादे और सामान्य वस्त्र
- आँखें गड़ाकर ताकना – ध्यानपूर्वक देखना
- नाक पर रखा हुआ सोने की रिम वाला चश्मा – चश्मा जिसकी रिम (फ्रेम) सोने की बनी है, यहाँ यह विशेष ध्यान खींचता है और शिक्षा या बुद्धिमत्ता का प्रतीक बन जाता है
- सकपकाकर – थोड़ा घबराकर या हड़बड़ाकर प्रतिक्रिया देना
- आँखें दुखनी आ गई थीं – आँखों में जलन, दर्द या थकान होना
- संतुष्ट – मान लेना, राज़ी
- चेहरे पर भी छवि है – मुखाकृति सुंदर है
- एकाध गीत – गिनती में बहुत कम, एक आध
- सितार – संगीत वाद्ययंत्र
- तल्लीनता – गाने में पूरी तरह डूब जाना, एकाग्रता से गाना
- झेंपती-सी आँखें – संकोच या शरमाती हुई आँखें
- काफ़ी – पर्याप्त
- पेंटिंग-वेंटिंग – चित्रकला, कला के अन्य रूप
- तसवीर – चित्र
- वगैरह – आदि, इत्यादि
- इनाम-विनाम – पुरस्कार, या पुरस्कारों के रूप में मिली पहचान
- बेबस भेड़-बकरियाँ – यह एक रूपक है जिसका अर्थ है कोई भी जीव, जो अपनी स्वतंत्रता खो चुका हो, यहाँ पर उमा यह दर्शा रही है कि महिलाएँ स्वतंत्र नहीं होतीं और उन्हें खरीदी-बिक्री की तरह समझा जाता है
- कसाई – यहाँ, कसाई का अर्थ है वह व्यक्ति जो मांस काटने का काम करता है, और इस संदर्भ में यह महिलाओं के प्रति शोषण या दमन की प्रक्रिया को दर्शाता है
- बेइज़्ज़ती – अपमान, शरम
- नाप-तोल – माप, ध्यान से देखना या मूल्यांकन करना
- इर्द-गिर्द – आस-पास, चारों ओर
- साहबज़ादा – उच्च वर्गीय व्यक्ति का बेटा, यहाँ इसका प्रयोग किसी ऐसे व्यक्ति के संदर्भ में किया गया है जो अपनी स्थिति को लेकर घमंडी हो
- ताक-झाँक – चुपके से देखना, छिपकर किसी को देखने की कोशिश करना
- कायरता – डरपोकपन
- इज़्ज़त – मान, प्रतिष्ठा
- खयाल – ध्यान, सोच-विचार
- दगा – धोखा, विश्वासघात
- बेबसी – विवशता, लाचारी
- रूलासापन – रोते हुए और दुखी होने की स्थिति
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